हादसे में घायलों को अपनी गाड़ी में पहुंचाया अस्पताल
शिमला। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कुफरी में एक परिवार के लिए मददगार बनकर आए और उनकी जान बचाकर मानवता की मिसाल पेश की। जयराम ठाकुर ने शिमला जिला के कुफरी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हुई एक कार के घायलों को अपनी गाड़ी में अस्पताल पहुंचाया।
जानकारी के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ठियोग से एक जनसभा को संबोधित कर वापस शिमला की तरफ लौट रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि टैंकर और गाड़ी के बीच टक्कर हुई थी जिसके चलते चार लोग घायल हो गए थे।
इस हादसे में गाड़ी चला रहे ड्राइवर, दो महिलाएं और एक बच्चा घायल हुए हैं। नेता प्रतिपक्ष ने तुरंत अपनी गाड़ी में सभी घायलों को अस्पताल पहुंचाया और अपने सुरक्षा कर्मियों और कार्यकर्ताओं को भी उनके साथ अस्पताल भेजा।
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ठियोग में पन्ना प्रमुख सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे। वह वापस शिमला लौट रहे थे, तभी रास्ते में उन्होंने यह हादसा हुआ देखा।
उनके साथ भारतीय जनता पार्टी के अन्य नेता और कार्यकर्ता भी मौजूद थे। जयराम ठाकुर ने घायलों को वक्त पर इलाज करवाने और हर संभव मदद के लिए अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक से खुद फोन पर बात भी की।
शिमला। अक्सर युवाओं का आइकॉन कोई प्रसिद्ध हस्ती, खिलाड़ी, राजनेता, फिल्म स्टार, अधिकारी आदि होते हैं। पर कोई अपराधी किसी युवा का आइकॉन हो तो यह हैरानी की बात है। वो अपराधी नशे का सबसे बड़ा किंग हो तो और भी गंभीर विषय है। ऐसा ही एक मामला हिमाचल में सामने आया है।
हिमाचल की सिरमौर पुलिस ने कुछ दिन पहले नाहन में एक युवा ड्रग तस्कर को पकड़ा है। पुलिस ने आरोपी सम्राट चौहान उर्फ वासू (23) निवासी वाल्मीकी बस्ती नाहन शहर के घर से चिट्टा,नकदी, सोने के गहने बरामद किए हैं।
साथ ही आरोपी के घर से पाब्लो एस्कोबार की तस्वीर भी बरामद हुई है। फोटो के पीछे फोन नंबर लिखे थे, जिसके चलते पुलिस ने इसे कब्जे में लिया है। आरोपी पाब्लो एस्कोबार की पूजा करता था। पाब्लो एस्कोबार आरोपी युवक का आईकॉन है।
कौन था पाब्लो एस्कोबार
हम आपको बताते हैं कि आखिर यह पाब्लो एस्कोबार कौन था, जिसकी पूजा आरोपी करता था। पाब्लो एस्कोबार कोलंबियाई ड्रग किंग था। इसे कभी “दुनिया का सबसे बड़ा अपराधी” कहा जाता था। वह कोकीन का सबसे बड़ा तस्कर था।
पाब्लो एस्कोबार को इतिहास का सबसे अमीर अपराधी कहा जाता था। 1989 में उसकी अनुमानित व्यक्तिगत संपत्ति 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। वह 22 साल की उम्र में करोड़पति बना गया था।
कहा जाता है कि जुर्म की उम्र लंबी नहीं होती है। एक न एक दिन इसका अंत जरूर होता है। पाब्लो एस्कोबार को 44 साल की उम्र में 2 दिसंबर 1993 को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था और इस बड़े अपराधी के आतंक का अंत हो गया था।
आरोपी के घर से 110 ग्राम चिट्टा बरामद
हिमाचल के सिरमौर जिला एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग टीम को युवक की संदिग्ध गतिविधियों के बारे सूचना मिली थी। टीम ने युवक के घर में दबिश दी। टीम को युवक के धर से 110 ग्राम चिट्टा (हेरोइन), 35,270 रुपए, एक सोने की चेन और सोने की बालियां बरामद हुईं।
पता चला है कि आरोपी पाब्लो एस्कोबार की पूजा करता था। उन्होंने कहा कि इन लोगों के लिए इस तरह के अपराधी, जोकि सबसे बड़े तस्कर रहे हैं आईकॉन हैं। यह चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि अपराधियों को आदर्श मानना या उनका गुणगान करना यूथ बंद करें।
पालमपुर। कांगड़ा के पालमपुर बस स्टैंड में युवती पर युवक द्वारा दराट से हमले का मामला सामने आया है। युवती पीजीआई चंडीगढ़ में दाखिल और खतरे से बाहर है। आरोपी युवक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
वारदात 20 अप्रैल, 2024 शनिवार की है। मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने जान की परवाह किए बिना युवक धर दबोचा तो कुछ ने लड़की को अस्पताल पहुंचाकर मानवता दिखाई। इसमें थुरल निवासी प्रियंका और पालमपुर निवासी मनिंद्र शामिल हैं।
युवक के हमले के बाद खून से लथपथ एक बिटिया का दर्द दूसरी बिटिया थुरल निवासी प्रियंका ने समझा। प्रियंका डिग्री कॉलेज पालमपुर में अंतिम वर्ष की छात्रा है और पीड़ित लड़की पालमपुर के निजी कॉलेज में पढ़ती है।
वह एक दूसरे को जानती तक नहीं थी। फिर भी प्रियंका पीड़ित के जख्म नहीं देख पाई और उसे बचाने की जद्दोजहद में लगी रही। प्रियंका पालमपुर अस्पताल से लेकर मेडिकल कॉलेज टांडा तक पीड़ित युवती के साथ गई।
प्रियंका ने यह भी परवाह नहीं कि उसके कपड़े खून से खराब हो जाएंगे। सच कहते हैं कि इंसान कपड़ों से नहीं जाना जाता बल्कि दिल से जाना जाता है। इस बात को प्रियंका ने बखूबी साबित किया है।
थुरल निवासी प्रियंका ने कहा कि जब वारदात वाली जगह के पास पहुंची तो देखा कि कुछ लोग एक लड़के को पीट रहे हैं। उसने पास जाकर पूछा तो लोगों ने बताया कि इस युवक ने युवती पर दराट से हमला कर दिया है।
पास ही बैठी युवती को जब देखा तो उसके सिर से पानी की तरह खून बह रहा था। वहां पर किसी की हिम्मत नहीं कि युवती को अस्पताल ले जाया जाए।
फिर उसने वहां मौजूद एक व्यक्ति को कहा कि अंकल इसे जल्दी अस्पताल ले जाते हैं, नहीं तो युवती की मौत हो सकती है। क्योंकि खून काफी बह गया था।
फिर युवती को उठाकर सिविल अस्पताल पालमपुर ले आए। वहां पर डॉक्टरों ने फटाफट ड्रेसिंग बगैरा की और युवती को मेडिकल कॉलेज टांडा रेफर कर दिया।
प्रियंका ने बताया कि युवती के परिजन नहीं पहुंचे थे। वह और अन्य व्यक्ति युवती के साथ मेडिकल कॉलेज टांडा में गए। युवती को इमरजेंसी में लेकर गए। वहां पर डॉक्टर आदि का बहुत लाइट वर्क था।
पहले पेपर वर्क पेपर वर्क कर रहे थे। यह नहीं कि पहले उस लड़की को चेक करें। पहले लड़की को तो देखना चाहिए। टांडा में डॉक्टरों ने युवती की ड्रेसिंग खोली और साफ बगैरा किया।
जख्म काफी गहरे थे। हाथ की हड्डियां सामने दिख रही थीं। सिर का भी बुरा हाल था। टांके लगाकर युवती को चंडीगढ़ के लिए रेफर कर दिया गया।
मौका-ए-वारदात पर युवती चारों तरफ से लोगों से घिरी हुई थी। लोग दूर से वीडियो बना रहे थे अपने कंटेंट के लिए। किसी की इतनी हिम्मत नहीं हुई कि कोई उस लड़की के पास जाए और उसे वहां से अस्पताल ले जाए।
लड़की मर रही है, लेकिन लोगों को कंटेंट की पड़ी थी। प्रियंका का कहना है कि जब युवक और युवती की बहस हो रही थी तब लोगों ने कुछ नहीं किया। अगर लड़ाई हो रही है तब भी लोगों को पूछना तो चाहिए था कि क्या हो रहा है।
जब युवक ने दराट निकाला तब ही युवक को दबोच लेना चाहिए। उस वक्त भी लोग वीडियो बनाते रहे। अगर उस वक्त लोग हिम्मत दिखाते तो युवती की यह हालत न होती। जब युवक ने युवती पर दराट से हमला कर दिया उसके बाद उसे पकड़ा गया।
प्रियंका ने यह भी आरोप लगाया कि जब युवक लोगों से बात कर रहा था तो लोग युवती को ब्लैम कर रहे थे। इससे युवक और ज्यादा गुस्सा हो गया और उसने यह कदम उठा लिया। माहौल को शांत करने की जगह लोगों ने उसमें घी डालने का काम किया।
युवती प्रियंका की बातों पर मंथन जरूरी है। एक बात तो सत्य है कि कब और कहां किसी के साथ क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है। परिवार वाले और जानने वाले उस वक्त हमेशा साथ नहीं होते हैं।
ऐसे में अजनबी व्यक्ति ही दूसरे का सहारा बन सकता है। ऐसा किसी कानून में नहीं लिखा गया है, लेकिन मानवता की किताब में जरूर अंकित है।
ewn24 news Choice Of Himachal थुरल निवासी प्रियंका और पालमपुर निवासी मनिंद्र का जज्बे को सलाम करता है।
ऋषि महाजन/ जसूर। पठानकोट-मंडी फोरलेन के कार्य ने कांगड़ा जिला के व्यापारिक शहर जसूर का नूर छीन सा लिया है। वहीं, ट्रेन भी दगाबाज साबित हो रही है। इसके चलते जसूर में दुकानदारों को तो परेशानी उठानी पड़ ही रही है। साथ ही लोगों को भी दिक्कत हो रही है।
व्यापारियों का कहना है कि जसूर में फोरलेन का काम काफी धीमी गति से चला हुआ है। इसे देखते हुए लगता है कि अगले चार साल में भी यह पूरा नहीं होगा। वहीं, डेढ़ साल से छुकछुक बंद है।
कांगड़ा-चंबा लोकसभा सांसद ने हमारे मन की बात नहीं सुनी। धूल से हमारा बुरा हाल हो रहा है। आर्थिक रूप से नुकसान के साथ स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ हो रहा है।
फोरलेन के कार्य के चलते और ट्रेन बंद होने से लोग बाजार का रुख करने से बच रहे हैं। साथ ही धूल से व्यापारियों को बीमारियां का खतरा बढ़ गया है। क्योंकि व्यापारियों को तो मजबूरन दुकानें खोलकर पूरा दिन बैठना ही पड़ता है।
व्यापार मंडल जसूर के प्रधान राजीव महाजन का कहना है कि डेढ़ साल से रेल बंद है। इसको लेकर मौजूदा कांगड़ा के सांसद किशन कपूर ने प्रश्न नहीं उठाया। फोरलेन का कार्य पिछले दो साल से धीमी गति से चल रहा है। इस गति से अगले चार साल तक काम पूरा होने की उम्मीद नहीं है।
इससे लोगों और जसूर के दुकानदारों को नुकसान हो रहा है। नुकसान की भरपाई दो तीन साल तक नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि धीमी गति से चले फोरलेन के कार्य को लेकर समस्त व्यापारियों से बैठक कर आगामी रणनीति बनाई जाएगी। अगर जरूरी हुआ तो प्रदर्शन का रास्ता अपनाया जाएगा।
जसूर निवासी गोलू पठानिया और रण सिंह का कहना है कि पिछले डेढ़ साल से रेल बंद पड़ी है। नूरपुर रोड (जसूर) रेलवे स्टेशन सुना पड़ा है। फोरलेन का कार्य काफी धीमी गति से चला है। कोई सुध लेने वाला नहीं है। व्यापारियों को लोगों की बात सुनने वाले को ही वोट मिलेगा।
लोकसभा चुनाव में वोट न देने वालों के खातें से 350 रुपए कटने की बात
शिमला। लोकसभा चुनावों को लेकर एक खबर इन दिनों तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस खबर में ये दावा किया गया है कि लोकसभा चुनाव में वोट न देने वालों के बैंक अकाउंट से 350 रुपये कट जाएंगे।
इसी के साथ ये भी लिखा गया है कि जिन वोटर्स के बैंक अकाउंट में पैसे नहीं होंगे, उनका यह पैसा मोबाइल रिचार्ज के समय कट जाएगा। इस खबर को लोग भी बिना सोचे समझे शेयर कर रहे हैं जिस कारण ये खबर खूब वायरल हो रही है।
हालांकि, इस खबर की सच्चाई कुछ और ही है। इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया ने मंगलवार को इस खबर को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसे साफ तौर पर फेक न्यूज बताया है। इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया ने लिखा है कि यह दावा फर्जी है, भारतीय चुनाव आयोग द्वारा ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
बता दें कि इस वायरल फेक खबर में लिखा गया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में जो मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं करेंगे, चुनाव आयोग उनके बैंक खातों से 350 रुपये काट लेगा।
अगर आपका अकाउंट नहीं है तो आपके मोबाइल से पैसे काट लिए जाएंगे। इसके लिए मिनिमम 350 रुपए का रिचार्ज कराना होगा, इससे कम रकम से फोन रिचार्ज ही नहीं होगा।
ये भी लिखा गया है कि कोई वोटर इस आदेश के खिलाफ कोर्ट न जा पाए, इसके लिए आयोग ने पहले ही कोर्ट से मंजूरी ले ली है।
इसके खिलाफ अब कोई भी शख्स याचिका दायर नहीं कर सकता। भारत सरकार की प्रेस एजेंसी प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (PIB) ने भी इस खबर को फर्जी बताया है।
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गौर हो कि देशभर की 543 लोकसभा सीटों पर 7 चरणों में वोटिंग होगी। पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को मतदान होगा। दूसरे चरण के लिए 26 अप्रैल, तीसरे फेज के लिए 7 मई और चौथे चरण के लिए 13 मई को वोटिंग होगी।
वहीं, पांचवें फेज के लिए 20 मई, छठे चरण के लिए 25 और सांतवें चरण के लिए 1 जून को वोटिंग होगी। 4 जून, 2024 को आम चुनाव के नतीजों का ऐलान किया जाएगा।
नालागढ़। हिमाचल के सोलन जिला के नालागढ़ क्षेत्र की पंचायत दभोटा में घर में आग लगने से तीन साल के बच्चे की मौत हो गई है। वहीं, पिता पीजीआई चंडीगढ़ रेफर किए गए हैं। माता को भरतगढ़ अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया है।
कहते हैं कि होनी बहुत बलवान है, होनी को टाला नहीं जा सकता है। होनी होकर रहती है। लेकिन, रमेश कुमार के घर का बिजली का कनेक्शन न कटा होता तो शायद यह हादसा टल सकता था और तीन साल के मासूम की जान बच जाती।
मासूम को तो शायद यह भी पता न हो कि बाकियों की बिजली है और उनके घर में बिजली क्यों नहीं है।
बता दें कि दभोटा पंचायत की हरिजन बस्ती के रमेश कुमार पुत्र प्यारा सिंह अपनी पत्नी दो बेटों, बहुओं के साथ एक घर में रहते हैं। यह गरीब परिवार से संबंधित हैं। रमेश कुमार किसी की गाड़ी चलाकर परिवार का गुजर बसर करते हैं।
सतनाम भी गाड़ी चलाता है। दो दिन पहले बिजली बिल न भरने के चलते बिजली बोर्ड ने उनका बिजली का कनेक्शन काट दिया था। बिना रोशनी काम चलना मुश्किल था। ग्रामीणों के अनुसार ऐसे में रोशनी के लिए सतनाम सिंह और उसकी पत्नी पूजा ने कमरे में मोमबत्ती जलाई थी।
मोमबत्ती फ्रिज पर रखी थी। मोमबत्ती बुझाए बिना ही दोनों सो गए। मोमबत्ती से फ्रिज के कवर में आग लगी और आग कमरे में फैल गई।
नींद में सतनाम और उसकी पत्नी का दम घुटने लगा। तब उन्हें पता चला कि आग लग गई है। उन्होंने सहायता के लिए शोर मचाया। शोर सुनकर गांव के लोग इकट्ठा हुए। लोगों ने कुल्हाड़ी से दरवाजे को काटा।
इसके बाद पति और पत्नी को बाहर निकाला। इस दौरान तीन साल का बिहान बुरी तरह झुलस गया था।
सतनाम और बिहान को पीजीआई चंडीगढ़ ले जाया गया, लेकिन बिहान ने रास्ते में दम तोड़ दिया। पत्नी को भरतगढ़ अस्पताल भेज दिया गया, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उसे घर भेज दिया गया।
दभोटा के रमेश कुमार उनकी पत्नी, रमेश कुमार का दूसरा बेटा हुकम राम अपने परिवार के साथ दूसरे कमरे में सोए थे। अब बिजली बिल भरना तो दूर रमेश कुमार द्वारा पाई पाई इकट्ठे कर जोड़ा पूरा सामान भी जलकर राख हो गया है।
साथ ही उनका तीन साल का पोता दुनिया को अलविदा कह गया और बेटा पीजीआई में जिंदगी और मौत से लड़ रहा है।
पंचायत प्रधान दभोटा करणवीर सिंह का कहना है कि रमेश कुमार पुत्र प्यारा सिंह के घर में रात करीब साढ़े 11 बजे अचानक आग लग गई। इनका बिजली का कनेक्शन दो-तीन दिन पहले बिजली बोर्ड ने काट दिया था। रोशन के लिए मोमबत्ती जलाकर फ्रिज पर रखी थी और मोमबत्ती से फ्रिज के कवर में आग लग गई।
इसके बाद आग पूरे घर में भड़क गई। लोगों ने इकट्ठा होकर आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक सब कुछ राख हो चुका था। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड वाले अगर बिजली बिल भरने के लिए एक दो दिन दे देते तो यह हादसा नहीं होता।
पंचायत प्रधान ने कहा कि रमेश कुमार गरीब परिवार से संबंधित हैं। आग लगने से सारा सामान जलकर राख हो गया है। प्रशासन गरीब परिवार की ज्यादा से ज्यादा मदद करे, ताकि परिवार अपना जीवन यापन कर सके।
बिजली बोर्ड के दभोटा क्षेत्र के जेई अर्शदीप राणा ने बताया कि रमेश कुमार का करीब तीन से साढ़े तीन हजार रुपए बिजली बिल बकाया है। पहले भी परिवार को कई बार बिजली बिल भरने के लिए चेतावनी दी गई थी।
बिल न भरने के चलते ऑनलाइन कनेक्शन काटने के निर्देश जारी हुए थे, जिसके चलते बिजली कनेक्शन काटा गया। रमेश कुमार के परिवार को कहा था कि पेमेंट करने के बाद कनेक्शन फिर से जोड़ दिया जाएगा।
इसके बाद डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री बाहर निकले और तेजी में गेट की तरफ गए व रोहित ठाकुर को वापस लेकर आए। आखिर हुआ क्या यह तो पता नहीं चल सका लेकिन रोहित ठाकुर इस दौरान कुछ इमोशनल दिखे।
बताया जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश सचिवालय में चल रही कैबिनेट बैठक में से एक-एक मंत्री उठकर बाहर जाने लगे। कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी सबसे पहले कैबिनेट छोड़कर निकले।
इसके बाद रोहित ठाकुर गुस्से से बाहर निकले। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर को मनाने के लिए उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री उनके पीछे दौड़े और रोहित ठाकुर को मना कर वापस बैठक में लेकर चले गए।
हरिपुर। नगरोटा सूरियां-हरिपुर सड़क मार्ग पर सकरी में तीखे मोड़ पर हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इसके बावजूद पीडब्ल्यूडी विभाग कोई संज्ञान नहीं ले रहा है। शायद किसी की जान जाने के बाद ही विभाग नींद से जागेगा।
गनीमत है कि स्कूल बस में बैठे छोटे-छोटे बच्चे और कार सवार सभी लोग सही सलामत हैं। हादसे का पता चलते ही बच्चों के अभिभावक और स्कूल प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी भी तुरंत मौके पर पहुंचे।
बच्चों को स्कूल की दूसरी बस में बैठकर स्कूल के लिए भेज दिया। कार सवार ने अपनी गलती मानी और दोनों पक्षों ने आपसी समझौता हो गया।
गौरतलब है कि 5 दिन पहले भी एक कार इसी जगह मोड़ काटते वक्त पलट गई थी। लोगों का कहना है कि इसी जगह पर पहले भी हादसे हुए हैं। लोगों की मांग है कि इस जगह पर शीघ्र ही चेतावनी बोर्ड लगाया जाए और साथ ही इस तीखे मोड़ को दोनों तरफ से खोला जाए।
नगरोटा सूरियां के स्थानीय निवासी सरदार सुरिंदर सिंह सोहल ने प्रशासन से मांग उठाई है कि समय रहते इस और जरूर ध्यान दिया जाए, ताकि भविष्य में कोई बड़ी घटना या हादसा फिर से ना हो।
उधर, पीडब्ल्यूडी हरिपुर के एसडीओ गुरबचन सिंह ने बताया कि जगह का निरीक्षण करके आगामी कार्रवाई के लिए उच्च अधिकारियों को भेजा गया है। जल्द ही उचित कदम उठाया जाएगा। (हरिपुर)
हरिपुर। कांगड़ा जिला के देहरा विधानसभा क्षेत्र की हरिपुर तहसील की झकलेड़ पंचायत के छब्बड़ गांव में 19 वर्षीय युवती ने आत्महत्या कर ली। युवती ने आज सुबह मायके में नए बनाए कमरे में पंखे से दुपट्टे का फंदा लगाकर जान दे दी। युवक के प्यार में पड़ी युवती का ऐसा अंत देखकर रुह कांप जा रही है।
पूरा मामला 19 साल की युवती और 29 साल के युवक के प्रेम से शुरू हुआ। उस वक्त शायद युवती ने भी सोचा न होगा कि इस प्यार का अंत ऐसा होगा। 31 जनवरी के आसपास युवती अचानक लापता हो जाती है।
परिजनों के ढूंढने के बावजूद नहीं मिली तो परिजनों ने एक फरवरी को पुलिस स्टेशन हरिपुर में गुमशुदगी की शिकायत की, लेकिन उसी दिन परिजनों ने युवती को ढूंढ भी लिया।
युवती की माता ने उक्त युवक पर बेटी के शारीरिक शोषण का आरोप लगाया और शिकायत पुलिस स्टेशन हरिपुर में दी।
शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने युवती का मेडिकल करवाकर 376 आदि धाराओं में मामला दर्ज कर लिया। इससे पहले कि पुलिस मामले में आगे बढ़ पाती दो फरवरी को केस में नया मोड़ आ गया।
जिस युवक पर युवती की मां ने आरोप लगाए थे, उस युवक ने युवती से शादी करने को हामी भर दी।
शादी का कोई प्रोपर तरीका नहीं अपनाया गया, बल्कि नोटरी हस्ताक्षर एफेडेविट बनाया गया। युवक के माता पिता ने कोई अच्छा मुहूर्त देखकर शादी करवाने की बात कही।
इसके बाद युवती के देहरा कोर्ट में बयान हुए। युवती ने बयान में कहा कि युवक ने उसके साथ शादी का फैसला लिया है। अब वह केस वापस लेना चाहते हैं। युवती के बयान के बाद केस बंद हो गया और युवक पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार भी हट गई।
सबको ऐसा लगा कि मियां बीबी राजी हो गए, अब सब ठीक हो गया। लेकिन यह किसी को पता नहीं था कि युवती की परेशानियां दूर नहीं हुई हैं। युवक के माता-पिता ने युवती को बहू के रूप में अपनाने से मना कर दिया।
शादी के बाद भी युवती मायके से विदा न हो सकी और मायके में रही। कुछ दिन बाद युवक शायद किसी दबाव में युवती को मायके से ले गया और अपनी बुआ के घर रहने लगे।
एक दिन युवक बुआ के घर से अचानक गायब हो गया और युवती वहीं पर रही। इसके बाद युवक के रिश्तेदार युवती को मायके छोड़ गए। युवती घर में नहीं छोड़ी, बल्कि बाहर छोड़कर चले गए।
इसके बाद से युवक, युवती का फोन तक नहीं उठा रहा था। न ही उसका कोई अता पता चल रहा था कि कहां है। युवती परेशान हो गई।
19 फरवरी के आसपास परेशान युवती धर्मशाला में एसपी शालिनी अग्निहोत्री के समक्ष पेश हो गई।
युवती ने एसपी को बताया कि युवक कुछ से कहीं लापता है और उसका फोन तक नहीं उठा रहा है। युवक के परिजन भी कुछ नहीं बता रहे हैं। वह बहुत परेशान है और समझ नहीं आ रहा है कि वह क्या करे। मेरी मदद करें।
युवती ने एसपी को एफेडेविट भी दिखाया, लेकिन मात्र उस एफेडेविट को शादी का वैद्य दस्तावेज नहीं माना जा सकता है। एसपी ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत युवती के बयान कोर्ट में दर्ज करवाने का फैसला लिया और इसके बाद आगामी कार्रवाई होनी थी। पर बयान करवाने में कुछ देरी हो गई।
इसके बाद युवती का एक-एक दिन भारी गुजरने लगा। युवक का कोई अता पता नहीं था। शायद युवती को भी आभास हो चुका होगा कि उसके साथ धोखा हुआ है। शादी का मात्र ड्रामा था।
युवती की हिम्मत टूटी और उसे जीवन में अंधेरा दिखा। 23 फरवरी, 2024 की सुबह छब्बड़ की यह बेटी उठी तो जरूर, लेकिन दोबारा कभी न उठ पाने के लिए सो गई।
सुबह करीब आठ बजे युवती ने मायके में कमरे में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। इस प्रकरण से पहले से दुखी माता-पिता पर दुखों का पहाड़ टूट गया।
युवती की आत्महत्या करने के बाद पुलिस भी एक्शन मोड़ में आ गई। युवती जो चाहती थी कि पुलिस युवक को ढूंढे, वैसे ही हुआ। पुलिस ने आत्महत्या के कुछ घंटों बाद युवक को ढूंढ निकाला, जोकि कहीं छिपा बैठा था। लेकिन युवती दुनिया को अलविदा कह गई थी।
तमाम घटनाक्रम से प्रतीत होता है कि एफेडेविट पर शादी मात्र युवती और उसके परिवार वालों का मुंह बंद करने को रचा ड्रामा था। युवक और युवक के परिवार वालों की मंशा कुछ और ही थी।
नोटरी हस्ताक्षर एफेडेविट का ऐसे कोई फायदा नहीं, इसके आगे भी लीगल औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं, जोकि नहीं की, बल्कि युवक और उसके परिजन युवती से पल्ला छुड़ाते रहे।
युवक गायब हो गया, उसे ढूंढने की जगह युवक के परिजन युवती को घर छोड़ आए। यह अभागी बेटी ने तो मायके से ढंग से विदा हो पाई और न ही ससुराल से सही तरीके से मायके फेरा डाल सकी। युवक युवती को मायके से ले गया, उसे कहीं और रखा। बाद में युवक के परिजन उसे लावारिस की तरह रास्ते में छोड़ आए।
अपने भविष्य को लेकर ख्वाब देखने वाली अभागी बेटी ने दुनिया को अलविदा कहने का ही फैसला ले लिया। अच्छा मुहूर्त तो नहीं आया, लेकिन अभागा दिन जरूर आया। युवती ने शादी का ही तो सपना देखा था। क्या यह इतना बड़ा गुनाह था कि जिसकी यही सजा थी।
शिमला। राजधानी शिमला स्थित अंबेडकर चौक चौड़ा मैदान में गुरुवार को पीडब्ल्यूडी मल्टी टास्क वर्कर ने रैली निकाली। इस दौरान सभी PWD मल्टी टास्क वर्कर अपनी मांगों को लेकर पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह से मिले।
इस दौरान पीडब्ल्यूडी मंत्री के सामने ही एक PWD मल्टी टास्क वर्कर को अचानक चक्कर आ गया और जमीन पर गिर गया। ये देखकर सभी लोग हक्के-बक्के रह गए। व्यक्ति को तुरंत उठाया गया और अस्पताल पहुंचाया गया।