रानीताल। हिमाचल के कांगड़ा जिला के वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रानीताल (कुठार) में शराब के नशे में धुत्त होकर स्कूल पहुंचे कैमिस्ट्री के प्रवक्ता को निलंबित कर दिया गया है। हिमाचल प्रदेश उच्च शिक्षा निदेशालय ने वीडियो वायरल होने के बाद यह कार्रवाई की है।
मामला संज्ञान में आने के बाद स्कूल के प्रिंसिपल ने कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। शिक्षा निदेशालय ने प्रवक्ता पर कड़ी कार्रवाई करते हुए निलंबित कर दिया है।
शिक्षा निदेशालय का तर्क है कि इससे विभाग की छवि धूमिल हुई है। साथ ही छात्रों पर भी नकारात्मक असर पड़ा है। (रानीताल)
अगर आप कुछ ठान ले तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है केरल की जिलुमोल मैरिएट (32) ने। इडुक्की की मूल निवासी जिलुमोल मैरिएट को ड्राइविंग लाइसेंस मिला है।
अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें क्या बड़ी बात है। गाड़ी चलाना सीखों, ड्राइविंग टेस्ट पास करो और लाइसेंस प्राप्त करो।
पर हम आपको बता दें कि जिलुमोल मैरिएट के दोनों हाथ नहीं हैं। बिना हाथों से जन्म लेने वाली मैरिएट अब चारपहिया वाहन चला सकती हैं। ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के साथ ही जिलुमोल मैरिएट एशिया की पहली ऐसी महिला बन गई हैं, जिनके हाथ न होने के बावजूद उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस मिला है।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने पलक्कड़ में एक कार्यक्रम के दौरान जिलुमोल मैरिएट को ड्राइविंग लाइसेंस सौंपा।
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X (पहले ट्विटर) में फोटो सहित पोस्ट भी डाली है। उन्होंने पोस्ट डालते लिखा कि जिलुमोल मैरिएट थॉमस की अदम्य भावना की सराहना।
हाथों के बिना पैदा होने के बावजूद, वह अपना ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने में सफल रही। यह गर्व का क्षण था जब मैंने पलक्कड़ में उनका लाइसेंस सौंप दिया। जिलुमोल का दृढ़ संकल्प वाकई सराहनीय है। उनकी यात्रा में निरंतर सफलता की कामना।
बता दें कि बिना हाथों से जन्म लेने वाली जिलुमोल मैरिएट का सपना था कि एक दिन वह गाड़ी चलाएं और इसके लिए कानून से अनुमति भी मिले। वह कोच्चि में ग्राफिक आर्ट डिजाइनर के रूप में काम करती हैं।
वह कुछ वर्ष से ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए प्रयास कर रही थीं। वह वाहन चलाने की ट्रेनिंग भी ले रही थीं। मैरियट उनके इस सपने को राज्य सरकार और एक स्थानीय स्टार्ट-अप ने नई उड़ान दी।
स्टार्ट-अप ने कार के लिए खास तौर पर ऑपरेटिंग इंडिकेटर्स, वाइपर और हेडलैंप के लिए वॉयस कमांड-बेस्ड सिस्टम डेवलप किया।
तकनीकी और सिस्टम की मदद से मैरिएट को कार चलाने के लिए हाथों का इस्तेमाल नहीं करना होगा। वह एक आवाज से कुछ चुनिंदा फीचर्स को ऑपरेट कर सकेंगी। कार चलाने के लिए मैरियट पैरों का इस्तेमाल करती हैं।
पैरों से स्टीयरिंग व्हील संभालती हैं। उन्होंने खुद को हर परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार किया है। मैरियट साइन भी पैर से करती हैं। कार चलाने का प्रशिक्षण लेने के बाद मैरियट ने जरूरी अनिवार्य ड्राइविंग टेस्ट पास किया।
उन्होंने लिखित और ‘H’ टेस्ट सफलतापूर्वक पास किया। इसके बाद दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत उन्हें लाइसेंस जारी किया गया।
लिखी कामयाबी की इबारत, कमा रहीं साढ़े तीन लाख रुपए
मंडी। कवि सोहन लाल द्विवेदी की लिखी कविता कि यह पंक्तियां ‘‘लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’’ मंडी जिला के सुंदरनगर के भरज्वाणु की सुनीता देवी पर पूरी तरह से फिट बैठती हैं। बीमार पति की देखभाल की चिंता, न खेती लायक जमीन, ऊपर से पढ़ी लिखीं भी कम। इससे बावजूद सुनीता देवी ने हिम्मत नहीं हारी और आमदनी के साथ पति की देखभाल का तोड़ निकाल लिया।
उन्होंने घर की छत पर पनीरी उगाने का काम शुरू किया। इसके बाद उन्होंने लीज पर ली भूमि पर प्राकृतिक सब्जियां उगाने का कार्य भी शुरू किया। अब सुनीता तीन से साढ़े तीन लाख रुपए की कमाई कर रही हैं। यही नहीं कृषि शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे छात्रों को पनीरी उगाने का प्रशिक्षण भी दे रही हैं।
सुंदरनगर के भरज्वाणु की सुनीता देवी केवल 5वीं पास हैं और आज वह छत पर पनीरी उगाने का कार्य करने पर देशभर में नाम कमा रही है। उन्हें नाचन जनकल्याण सेवा समिति, कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर और कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति ने उनके घर आकर सम्मानित कर चुके हैं। वहीं, केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने भी महिला किसान दिवस के अवसर पर सुनीता के साथ वर्चुअली बातचीत कर उनके सराहनीय कार्य के लिए तारीफ की है।
सुंदरनगर कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के विभिन्न कृषि शिक्षण संस्थानों के बच्चे सुनीता देवी के पास प्रशिक्षण लेने के लिए आते हैं। अब तक वह 300 से अधिक बच्चों को प्राकृतिक खेती और छत पर पनीरी के बारे में प्रशिक्षण दे चुकी हैं। छत पर पनीरी उगाने के कार्य को लेकर सुनीता देवी इलाके के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन कर उभरी हैं।
सुंदरनगर के भरज्वाणु की सुनीता देवी का कहना है कि पति के अकसर बीमार रहने और खेती लायक जमीन न होने पर घर की छत पर पनीरी उगा कर आय का सहारा बनाने के बारे में सोचा, जिससे कि वह घर पर रहकर अपने बीमार पति का भी ख्याल रख पाएंगी। इसके साथ ही पनीरी को उगाने के लिए जमीन की भी जरूरत नहीं होगी।
इसके लिए उन्होंने घर की छत पर लकड़ी के बाक्स बनाकर उसमें विभिन्न सब्जियों की नर्सरी तैयार की और बाजार में बेचना शुरू किया। इससे सुनीता देवी को एक लाख तक की कमाई होने लगी। सुनीता देवी छत पर गोभी, बंद गोभी, ब्रोकली, घीया, करेला, खीरा, प्याज आदि के पनीरी उगाती है और बाजार में बेचती हैं।
गांव के लोग उनसे घर पर आकर ही पनीरी ले जाते हैं और इस तरीके को भी सीखते हैं। सुनीता देवी ने पनीरी को उगाने के कार्य में सफलता मिलने पर सरकार की सहायता से प्राकृतिक खेती करने की सोची। इसके लिए उन्होंने जमीन लीज पर लेकर खेती शुरू कर दी। सुनीता देवी का कहना है कि पनीरी बेचकर और प्राकृतिक खेती करके वह तीन से साढ़े तीन लाख रुपये सालाना की आय अर्जित कर रही है।
सुनीता देवी ने प्रदेश सरकार और कृषि विभाग का धन्यवाद करते हुए बताया उनकी सफलता के पीछे प्रदेश सरकार विशेषकर कृषि विभाग का योगदान रहा है। उन्हें समय-समय कृषि विकास से कृषि से संबंधित नवीनतम जानकारी के साथ आर्थिक सहायता मिलती रही है।
उधर, डीसी अरिंदम चौधरी ने बताया कि सुनीता देवी जैसी मेहनती महिलाओं को कृषि, उद्यान सहित अन्य विभागों की स्वावलंबी योजनाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देश पर महिलाओं की आय बढ़ाने तथा उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से भी कई कदम उठाए जा रहे हैं।
देहरादून। डीजीपी उत्तराखंड अशोक कुमार सेवानिवृत्त हुए तो पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों ने उन्हें अनोखे और भव्य तरीके से विदाई दी। उनकी सेवानिवृत्ति के अवसर पर पुलिस लाइन्स देहरादून में कार्यक्रम आयोजित किया। इस दौरान भव्य रैतिक परेड का आयोजन भी हुआ।
पुलिस लाइन्स देहरादून में पुलिस अधिकारियों ने डीजीपी के वाहन को रस्खी से खींचकर उन्हें विदाई दी। यह वीडियो उत्तराखंड पुलिस ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट में शेयर किया है। अभिनव कुमार उत्तराखंड के नए डीजीपी बने हैं।
1989 बैच के आईपीएस अधिकारी अशोक कुमार 30 नवंबर, 2023 को उत्तराखंड डीजीपी के पद से पूर्ण रूप से सेवानिवृत्त हुए। साल 2020 में जिस समय पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा था उस वक्त आईपीएस अशोक कुमार ने बतौर उत्तराखंड डीजीपी की कमान संभाली थी। प्रदेश की कमान संभालने के बाद बतौर डीजीपी अशोक कुमार ने कानून व्यवस्था को लेकर कई अहम काम किए।
उन्होंने आम जनता की समस्याओं को दूर किया। ड्यूटी में लापरवाही बरतने पर पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई भी की। डीजीपी की कमान संभालने के बाद अशोक कुमार ने प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई बेहतरीन प्रयास किए। कोरोना काल में विकट परिस्थितियों से जूझते हुए बेहतरीन पुलिसिंग की।
हरिद्वार महाकुंभ, कांवड़ यात्रा, चारधाम यात्रा में बेहतरीन कार्य अशोक कुमार के बतौर डीजीपी कार्यकाल में शुमार है। इसके अलावा ऑपरेशन स्माइल, ऑपरेशन प्रहार, ऑपरेशन मर्यादा, ड्रग्स फ्री देवभूमि सहित कई अभियानों में डीजीपी अशोक कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने कामयाबी हासिल की।
अशोक कुमार ने कहा कि 34 वर्ष से अधिक की समर्पित सेवा के बाद पुलिस सेवा का अंतिम दिन काफी भावुक क्षण हैं। वर्दी ने सेवा के हजारों मौके दिए। टीम के बिना कुछ भी संभव नहीं है। आप मेरे साथ खड़े रहे। जान जोखिम में डालकर खड़े रहे। मैं अपने पुलिस के सभी साथियों का धन्यवाद करता हूं।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी नए नेतृत्व के साथ मिलकर लगन, अनुशासन, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और जोश के साथ राज्य व आम जनता की सेवा एवं सुरक्षा करते रहेंगे तथा उनका विश्वास जीतने में सफल होंगे।
शिमला। हिमाचल के शिमला जिला में आयोजित रामपुर लवी मेले में एक गायिका की प्रस्तुति के बाद ”मेले बाबू ने थाना थाया’ गाना इतना फेमस हो गया कि मशहूर कॉमेडियन भारती सिंह भी इस गाने पर रील बनाने से खुद को रोक नहीं पाईं।
वीडियो में भारती अपने पति हर्ष के साथ ये गाना गाते हुए मस्ती कर रही हैं। हालांकि पहले इस गाने की वजह से गायिका काफी ट्रोल हुई और उनका मजाक भी बनाया गया लेकिन जैसे जैसे इस गाने पर लोग रील बनाते गए ये गाना और फेमस होता गया।
असल में ये किन्नौरा म्यूजिक प्रोडक्शन के तहत बना Dj kinnora 6 का गाना है। गाने के बोल लिखे हैं बीरबल किन्नौरा ने और आवाज भी उनकी ही है। इससे हटके ये गाना एक किन्नौरी सिंगर ने रामपुर लवी मेले में गाया था जिसको लेकर वह काफी ट्रोल हुई थीं।
असल में ये गाना बेहद मजेदार है और मजाकिया और खूबसूरत अंदाज में गाया गया है जो कि आज की पीढ़ी के ऊपर तंज भी है।
नगरोटा बगवां। हिमाचल के कांगड़ा जिला के नगरोटा बगवां डबल मर्डर केस के आरोपी ने वारदात के 24 दिन बाद एसपी ऑफिस कांगड़ा एट धर्मशाला में सरेंडर कर दिया। पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि बड़े भाई और भाभी की गोली मारकर हत्या करने के बाद आरोपी दीपक कुमार दो नवंबर को अपनी गाड़ी में रानीताल वाया लंज नूरपुर होते दिल्ली के लिए फरार हुआ था। 3 नवंबर को दिल्ली पहुंचा और किसी होटल में रुका।
4 नवंबर को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर गाड़ी पार्क कर टिकट लेकर गोवा चला गया। दो दिन गोवा में रुकने के बाद फिर दिल्ली वापस आ गया। इसी बीच मामले की जांच को डीएसपी कांगड़ा अंकित शर्मा और एसएचओ कांगड़ा की अगुवाई में गठित एसआईटी ने आरोपी की गाड़ी को ट्रैक कर उसे रेलवे स्टेशन से जब्त कर लिया था।
आरोपी जब नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचा तो वहां गाड़ी नहीं थी। उसने लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि गाड़ी को पुलिस ने कब्जे में ले लिया है। जैसे ही उसे पुलिस द्वारा गाड़ी कब्जे में लेने की बात पता चली तो वह इसके बाद मथुरा भाग गया।
इस दौरान वह जयपुर, अंबाला, नोएडा और चंडीगढ़ भी रहा।आरोपी को पुलिस का इतना डर हो गया था कि कहीं भी पुलिस को देखता था तो भाग जाता था। इस दौरान आरोपी ने अपने परिवार से संपर्क करने की कोशिश भी की।
उसने नोएडा से चिट्ठी भी भेजी, जोकि पुलिस के हाथ लगी। साथ ही घरवालों के फोन नंबर पर भी संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन फोन बंद आए। इससे आरोपी डर गया कि उसका परिवार मुसीबत में है।
परिवार से संपर्क नहीं हो पाने से प्रेशर में आकर आरोपी ने परिवार की खातिर सरेंडर कर दिया। आरोपी ने चंडीगढ़ से जम्मू रूट वाली बस ली और मुकेरियां उतरा। मुकेरियां से टैक्सी लेकर धर्मशाला पहुंचा और एसपी ऑफिस में सरेंडर किया। एसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री ने आरोपी के सरेंडर करने की पुष्टि की है।
बता दें कि नगरोटा बगवां पुलिस स्टेशन के तहत जसौर भेड़ू टीका में छोटे भाई दीपक कुमार (45) ने अपने बड़े भाई विपिन कुमार (54) और भाभी रमा देवी (46) की गोली मारकर हत्या कर दी। विपिन कुमार जमानाबाद स्कूल में लेक्चरर पद पर कार्यरत थे, जबकि उसकी पत्नी गृहिणी थी।
आरोपी भी स्कूल चलाता है। मामला दो नवंबर (वीरवार) दोपहर दो बजे के बाद का है। इस वक्त दोनों पति-पत्नी (विपन और रमा) दिन में घर पर थे। आरोपी दीपक बंदूक लेकर उनके घर पहुंचा। घर के पिछली तरफ के आंगन में उसने दोनों पर गोली दाग दी।
एक गोली बड़े भाई विपन के सिर पर लगी और दूसरी भाभी के गले में लगी। गोली लगने से दोनों आंगन में गिर गए और दोनों ने दम तोड़ दिया। घटना के समय विपिन की गोद ली दोनों बेटियां घर पर थीं।
वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी मौके से फरार हो गया। मामले की सूचना मिलने के बाद नगरोटा बगवां पुलिस स्टेशन से टीम मौके पर पहुंची। शवों को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी।
आरोपी की पत्नी और बेटी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। डबल मर्डर केस में फरार आरोपी दीपक कुमार की पत्नी मान्या कुमारी व बेटी कविता कुमारी को गिरफ्तार कर कांगड़ा में न्यायाधीश शिवांगी जोशी की अदालत में पेश किया गया था।
पूछताछ के दौरान कई खुलासे भी हुए थे जैसे कि हत्याकांड से पहले हुई बहस और झगड़े की पल-पल की जानकारी आरोपी की बेटी अपने पिता को दे रही थी।
वारदात को अंजाम देने से पहले दोनों ही परिवारों में बहस हुई थी, वहीं हत्या को अंजाम देने के बाद आरोपी पत्नी, बेटी और अपने पिता को कार में बैठाकर 53 मील में छोड़कर फरार हुआ था।
पुलिस पूछताछ में मां-बेटी ने बताया है कि हत्याकांड से पहले दोनों ही परिवारों में बहस हुई थी। दोनों ही परिवारों में पार्किंग के लिए बनाए गए शेड को लेकर विवाद चल रहा था। इस दौरान छोटा भाई, उसकी पत्नी और बेटी एक साथ घर पर पहुंचे थे। छोटा भाई पत्नी और बेटी को वहां छोड़ कर खुद कहीं और चला गया था।
बहस की पूरी जानकारी उसकी बेटी उसे मोबाइल फोन पर दे रही थी। वारदात वाले घर में सीसीटीवी कैमरे भी लगे हुए थे, लेकिन घटना से कुछ देर पहले उन्हें भी बंद कर दिया गया था।
आरोपी छोटा भाई अपने घर से बंदूक निकाल कर लाया था और उसने उससे करीब पांच फायर किए थे, जिनमें से दो भाई और तीन भाभी को लगे थे, जबकि एक गोली बंदूक में ही थी।
आरोपी दीपक की पत्नी मान्या कुमारी की निशानदेही पर घटना में प्रयुक्त 12 बोर की बंदूक आरोपी के जसौर स्थित पुश्तैनी घर से बरामद की गई है बंदूक के अंदर जो खोल मिला वह भी उसी कंपनी का पाया गया जो खोल पुलिस ने वारदात वाले दिन घटनास्थल से कब्जे में लिया था। इससे ये स्पष्ट हो गया है कि इसी बंदूक से आरोपी ने गोली चलाई थी। (नगरोटा बगवां)
नादौन। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह क्षेत्र नादौन में अपाहिज और हादसों में घायल कुत्तों पर कहर बरपा है। कुत्तों के लिए बनाए शेल्टर को जेसीबी चलाकर गिरा दिया गया। हैरानी वाली बात है कि जब शेल्टर को जेसीबी से गिराया तो बेजुबान शेल्टर के अंदर ही थे।
मामला चाहे कुछ भी हो लेकिन बेजुबानों पर इस तरह कहर बरपाया जाना अपने आप में मानवता को तार-तार कर रहा है। नादौन पुलिस टीम मौके पर है और मामले की जांच में जुटी है।
बता दें कि नादौन-सुजानपुर रोड पर नादौन से करीब चार किलोमीटर दूर जंगलू गांव पंचायत जलाड़ी में सरामा डॉग शेल्टर है। इस डॉग शेल्टर में अपाहिज और हादसे आदि में घायल कुत्तों को रखा जाता है और उनका उपचार करवाया जाता है।
कोई भी व्यक्ति अपाहिज या घायल कुत्तों को यहां ले जा सकता है। सरामा डॉग शेल्टर की संस्थापक मैडम विनीता हैं। सरामा डॉग शेल्टर की संस्थापक मैडम विनीता ने फोन पर बताया कि जंगलू गांव पंचायत जलाड़ी में उन्होंने किराए पर कमरे और जमीन ले रखी है।
वह अपने पति और बच्चों के साथ वहीं रहती हैं। पास ही अपाहिज और हादसों में घायल कुत्तों के लिए एक शेल्टर बनाया है। इस शेल्टर में कुत्तों की देखभाल की जाती है और उनका इलाज भी किया जाता है।
इस समय वह सूरत में हैं और उनके दोनों बेटे नादौन में उक्त आवास में हैं। सुबह उन्हें बेटे का फोन आया कि मकान मालिक सहित कुछ लोगों ने मौके पर पहुंचकर कुत्तों के लिए बनाया शेल्टर और उनके आवास को जा रही सीढ़ियों को तोड़ दिया।
जेसीबी लेकर वहां पहुंचे लोगों ने डंडों से बेटों की पिटाई भी की, जिसका वीडियो भी उनके पास है। मैडम विनीता के अनुसार जमीन का मामला कोर्ट में भी चला है।
मैडम विनीता ने बताया कि कुछ कुत्तों को तो बेटे ने जैसे तैसे बचा लिया। वहीं, कितने कुत्तों को चोट लगी या किसी की मौत हुई है, इसका पता नहीं है। क्योंकि भारी भरकम शेल्टर उन पर गिरा हुआ है।
उधर, डीएसपी हेडक्वार्टर रोहिन डोगरा से बात की तो उन्होंने बताया कि पुलिस मामले में कार्रवाई कर रही है।
उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों से पहली बार एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरे के माध्यम से बातचीत कर उनका कुशलक्षेम पूछा गया। सभी श्रमिक पूरी तरह सुरक्षित हैं।
कैमरे के जरिए मजदूरों के परिवारों ने इतने दिन बाद सुरंग में फंसे अपनों का चेहरा देखा और उनसे बात की। परिजनों ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वो जल्द ही सुरक्षित बाहर आ जाएंगे। वीडियो में हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला का विशाल भी नजर आया।
बल्ह घाटी के बंगोट गांव के विशाल के वीडियो और फोटो देखकर परिजनों ने राहत की सांस ली। मां उर्मिला ने कहा कि बेटे को सुरक्षित देखने के बाद मन को शांति मिली है।
बच्चे को देखने के बाद हौसला हुआ है कि विशाल सुरक्षित है। विशाल की दादी ने कहा कि बच्चे को देखने से मन भर गया है। वैसे दुख में हैं, लेकिन बच्चे को देखने के बाद खुशी का ठिकाना नहीं है।
अब उसके सुरक्षित बाहर निकलने का इंतजार है। परमात्मा का शुक्र है कि पोता पूरी तरह सुरक्षित है।
विशाल की मां उर्मिला और दादी के अलावा परिजनों में इस बात की खुशी है कि विशाल टनल के अंदर सुरक्षित है। परिजनों ने प्रदेश सरकार से मांग उठाई है कि जल्द से जल्द फंसे हुए सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जाए।
ताजा अपडेट के मुताबिक उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में ऑगर मशीन से 39 मीटर तक ड्रिलिंग हो चुकी है। कुल 57 से 60 मीटर तक ड्रिलिंग होनी है। अधिकारियों का कहना है कि सब कुछ ठीक रहा तो आज रात तक रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने की उम्मीद है।
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर वीडियो शेयर किया है। उन्होंने बताया कि सिल्क्यारा टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए राहत एवं बचाव कार्य तेजी से किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना के विमानों द्वारा विशेष उपकरण भी मंगवाए गए हैं।
सिल्क्यारा में जारी रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ और भारत सरकार की अन्य तकनीकी एजेंसियों को प्रदेश सरकार पूर्ण सहयोग प्रदान कर रही हैं।
टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं भी बचाव कार्यों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
बता दें कि सुरंग में मंगलवार सुबह से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग का काम तो शुरू हो गया है। ऑगर मशीन ने अभी काम शुरू नहीं किया है।
अधिकारियों का कहना है कि अगले 30 से 40 घंटे में मजदूरों को निकाला जा सकता है। अगर बीच में कोई बड़ा पत्थर नहीं आया या कोई स्टील की चीज नहीं आई तो हम ऐसा हो पाएगा।
मजदूरों को पाइप के जरिए खाद्य सामग्री भेजी जा रही है। सुरंग में फंसे मजदूरों को दाल और रोटी आदि भेजी गई। मौके पर मौजूद मजदूरों के परिजनों के ठहरने की भी व्यवस्था की है।
उत्तरकाशी में यमुनोत्री हाईवे पर सिल्क्यारा से पोल गांव के लिए सुरंग का निर्माण किया जा रहा है। 12 नवंबर को दिवाली वाले दिन सुरंग में भारी भूस्खलन हुआ था। इसके चलते मुहाने के पास सुरंग बंद होने से 41 मजदूर अंदर फंस गए।
पहले जेसीबी से मलबा हटाने की कोशिश की गई पर सफलता हाथ न लगी। इसके बाद 14 नवंबर को दिल्ली से अमेरिकी ऑगर मशीन मंगवाई गई। इसके बाद दो दिन तक ऑगर मशीन से ड्रिलिंग की गई पर 22 मीटर ड्रिलिंग के बाद काम बंद करना पड़ा।
इसका कारण है कि 1750 हॉर्स पावर की इस मशीन के चलने से सुरंग में कंपन बढ़ रहा था। ऐसे में मलबा गिरने का खतरा बना हुआ था। रेस्क्यू कार्य में लगे लोगों की सुरक्षा के लिए शुक्रवार रात यहां ह्यूम पाइप बिछाए गए।
इस दौरान यहां सुरंग की दीवार पर एक दरार भी दिखाई दी, जिसके चलते एहतियातन यहां फिलहाल ड्रिलिंग का काम रोक दिया गया।
हिमाचल के मंडी का विशाल भी उत्तरकाशी में फंसा
उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल में हिमाचल के मंडी जिला की बल्ह घाटी के सिध्याणी पंचायत के बंगोट गांव का विशाल भी फंसा है। विशाल की मां का रो-रो कर बुरा हाल है। हर दिन भारी गुजर रहा है।
मां का कहना है कि उसके बच्चे को सुरक्षित घर भेज दो, बाकी उसे कुछ नहीं चाहिए। विशाल का बड़ा भाई योगेश और पिता धर्म सिंह घटनास्थल पर मौजूद हैं। विशाल दिवाली से पहले घर आया था और छुट्टी काटकर लौटा था।
शिमला। हिमाचल प्रदेश में एक और व्यक्ति को क्रिकेट और किस्मत ने रातोंरात करोड़पति बना दिया है। शिमला जिला में रामपुर उपमंडल के दुर्गम 15/20क्षेत्र के गानवी गांव के रहने वाले परविंदर फांकर ने ड्रीम-11 में दो करोड़ रुपए जीते हैं।
परविंदर ने आईसीसी विश्व कप 2023 के ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में ड्रीम-11 पर बेहतरीन टीम बनाकर पहला रैंक हासिल किया। सोशल मीडिया पर परविंदर को बधाइयों का तांता लगा हुआ है। लोग जमकर परविंदर की रैंकिंग के फोटो शेयर कर रहे हैं।
परविंदर फांकर चंडीगढ़ में बतौर इलेक्ट्रीशियन कार्यरत हैं। इसके अलावा वह क्रिकेट के उम्दा खिलाड़ी भी हैं और क्रिकेट में शुरू से काफी रूचि रखते हैं। गौर हो कि इससे पहले भी हिमाचल में कई लोग इस गेम में लाखों व करोड़ों रुपए जीत चुके हैं।
मां भद्रकाली के चबूतरे पर खून से किया जाता है तिलक
शिमला। हिमाचल की राजधानी शिमला से करीब 30 किलोमीटर दूर धामी के हलोग में सोमवार को पत्थर मेले का आयोजन किया गया। यह पत्थर का ऐसा अजीब खेल है कि जब तक खून न बहने लगे तब तक पत्थरों की बारिश नहीं रुकती। पत्थरों का यह मेला दिवाली के एक दिन बाद खेला जाता है। इस मेले में दो समुदायों के बीच पत्थरों की जमकर बरसात होती है।
ऐसा ही पत्थरबाजी का नजारा आज भी धामी में देखने को मिला जहां दोनों तरफ से पत्थरों की जमकर बरसात हुई। ये सिलसिला तब तक जारी रहा, जब तक कि एक पक्ष लहूलुहान नहीं हो गया। नरबलि से शुरू हुई परंपरा पशु बलि के बाद पत्थरों के खूनी खेल के रूप में निभाई जाती है। वर्षों से चली आ रही इस परंपरा में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। करीब 20 से 25 मिनट तक चला यह खेल एक पक्ष की आंख में पत्थर लगने पर थमा।
धामी रियासत के उत्तराधिकारी राजा जगदीप सिंह ने बताया कि पहले यहां हर वर्ष भद्रकाली को नर बलि दी जाती थी लेकिन धामी रियासत की रानी ने सती होने से पहले नर बलि को बंद करने का हुक्म दिया था इसके बाद पशु बलि शुरू हुई। कई दशक पहले इसे भी बंद कर दिया गया। तत्पश्चात पत्थर का मेला शुरू किया गया।
मेले में पत्थर से लगी चोट के बाद जब किसी व्यक्ति का खून निकलता है तो उसका तिलक मां भद्रकाली के चबूतरे में लगाया जाता है। इसके बाद यह खेल खत्म कर दिया जाता है। यह खेल धामी रियासत के लोगों की खुशहाली के लिए खेला जाता था आज भी इसके माध्यम से क्षेत्र की खुशहाली की कामना की जाती है।
राजवंश के लोगों का कहना है कि आज तक पत्थर लगने से किसी की जान नहीं गई है। पत्थर लगने के बाद मेले को बंद कर सती माता के चबूतरे पर खून चढ़ाया जाता है साथ ही जिसको पत्थर लगता है उसका इलाज साथ लगते अस्पताल में करवाया जाता है।