सरिया के दाम 5700 से 6000 हजार रुपए प्रति क्विंटल थे जो कि अब 6500 रुपए प्रति क्विंटल हो गए हैं।
डीलरों का कहना है कि सरिए के बाद सीमेंट के दामों में फिर बढ़ोतरी हो सकती है। अगर सीमेंट की कीमत फिर बढ़ती है तो लोगों को महंगाई की दोहरी मार झेलनी पड़ेगी।
सीमेंट और सरिया ही नहीं ईंट, रेत, बजरी के दाम भी आसमान छू रहे हैं। बढ़िया क्वालिटी की ईंट का दाम दस रुपए प्रति ईंट तक हो गया है। दाम बढ़ने से भवन व अन्य निमार्ण और ज्यादा महंगे हो गए हैं।
शिमला। एचआरटीसी ने किसी भी तरह की बस का कोई किराया नहीं बढ़ाया है। वर्तमान में निर्धारित किराया की वसूल किया जा रहा है। हिमाचल पथ परिवहन निगम के एमडी रोहन चंद ठाकुर ने बताया कि यह बिल्कुल ही असत्य एवं गलत है कि लग्जरी बसों में यात्रा करना 10 प्रतिशत महंगा हो जाएगा।
परिवहन निगम द्वारा किसी भी तरह की बस का कोई भी किराया बढ़ाया नहीं गया है। वर्तमान में निर्धारित किराया ही यात्रियों से लिया जा रहा है। परिवहन निगम द्वारा केवल 10 प्रतिशत छूट स्मार्ट कार्ड धारकों को 1 अक्टूबर से 31 मार्च तक लग्जरी बसों में हर वर्ष दी जाती है।
यह लग्जरी बसों के किराये में छूट 1 अप्रैल से 31 सितंबर तक नहीं दी जाती है। यह छूट पिछले कई वर्ष से दी जा रही है। परिवहन निगम द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड के पृष्ठ भाग में भी इस बारे लिखा गया है। यह कोई नई बात नहीं है। परिवहन निगम द्वारा लग्जरी बसों का कोई भी किराया नहीं बढ़ाया गया है और यह किराया पूर्व की भांति लिया जा रहा है।
यह विशेष विभाग चलने-फिरने में परेशानी और दिक्कत महसूस करने वाले मरीजों को संपूर्ण नजरिए से फिर से ठीक से चलने-फिरने की ताकत प्रदान करता है
हर साल, फोर्टिस अस्पताल मुलुंड में ठीक तरह से चलने-फिरने में परेशानी महसूस करने वाले करीब 350-400 लोगों का इलाज होता है
फोर्टिस अस्पताल मुलुंड ने मूवमेंट डिसऑर्डर एंड डीबीएस क्लीनिक का शुभारंभ किया। यह चलने-फिरने में तरह-तरह की परेशानी महसूस करने वाले लोगों के इलाज के लिए एक समर्पित सुविधा है। यहां डायस्टोनिया, ट्रेमर्स, चेहरे पर आने वाली ऐंठन यानी हेमिफेशियल स्पाज़्म और एटैक्सिया का इलाज किया जाता है। इस यूनिट का उद्घाटन न्यूरो और स्पाइन सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. गुरनीत सिंह साहनी और मुलुंड स्थित फोर्टिस अस्पताल के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ. विशाल बेरी ने किया। इस अवसर पर पहले चलने-फिरने में परेशानी महसूस करने वाले और अब अपना सफलतापूर्वक इलाज करा चुके मरीज भी मौजूद थे।
फोर्टिस अस्पताल मुलुंड में मूवमेंट डिसऑर्डर एंड डीबीएस क्लीनिक के शुभारंभ अवसर पर अस्पताल की टीम
मूवमेंट डिसऑर्डर क्लीनिक का संचालन डॉ. गुरनीत सिंह साहनी की अगुवाई में उनकी टीम करेगी। इस टीम में मूवमेंट डिसऑर्डर विशेषज्ञ डॉ. अनिल वेंकट चलम और डॉ. सईद मोइद जफर शामिल है। यह क्लीनिक मरीजों की बीमारी और स्थिति की पूरी तरह से जांच कर व्यक्तिगत उपचार योजना प्रदान करता है। इनमें न्यूरोलॉजिस्ट्स से सलाह, मेडिकशन थेरेपी, बोटोक्स के इंजेक्शन और संभावित सर्जरी शामिल है। इलाज के तहत मरीज की स्टीरियोटैक्टिक सर्जरी, रेडियो फ्रीक्वेंसी सर्जरी, डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन (डीबीएस) करने के साथ रोगियों में शारीरिक और संज्ञान लेने की शक्तियां फिर से विकसित की जाती है। इसके अलावा साइकोथेरेपी से भी मरीजों का इलाज किया जाता है।
फोर्टिस अस्पताल मुलुंड में न्यूरो और स्पाइन सर्जरी के सीनियर कंसलटेंट डॉ. गुरनीत सिंह साहनी ने कहा, “चलने-फिरने में गड़बड़ी या परेशानी लंबे समय से चली आ रही पुरानी बीमारी का नतीजा होती है, जो मरीजों और उनके परिवार के लिए काफी चुनौतियां पैदा करती हैं। मरीजों की जांच के बाद देखा गया है कि पिछले कुछ सालों से इस तरह के मामले बढ़ रहे हैं। इस समय चलने-फिरने में होने वाली परेशानी से प्रति 10 लाख लोगों में से 60 से 100 लोग पीड़ित है। यह याद रखना बहुत जरूरी है कि इस बीमारी को दूर करने और मरीजों का जीवन-स्तर सुधारने के लिए इलाज के विकल्प उपलब्ध हैं।’’
चलने-फिरने की बीमारी से पीड़ित लोगों के इलाज की प्रक्रिया तब और भी जटिल हो जाती है, जब इसके काफी गंभीर लक्षण दिखते हैं। हाथ पैरों का न चाहते हुए हिलना और हाथ पैरों में कंपकंपी को अक्सर इलाज कराने योग्य बीमारी न मानकर पारिवारिक लक्षण नाम कर खारिज कर दिया जाता है। इससे मरीजों को अक्सर शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है। हालांकि, इस तरह की धारणाएं लोगों की जिंदगी पर असर डालती है, इसलिए इस तरह की बीमारियों का समय पर इलाज और जांच कराना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। मूवमेंट डिसऑर्डर क्लीनिक में टीम मरीजों के इलाज के लिए नई तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति का सहारा लेने के लिए पूरी तरह समर्पित है। यहां टीम की ओर से रोगियों का बेहतर ढंग से इलाज के लिए नई चिकित्सा तकनीक को अपनाया जाता है।
चलने-फिरने और कोई काम करने में दिक्कत महसूस करने वाले मरीजों के लिए मूवमेंट डिसऑर्डर एंड डीबीएस क्लीनिक की जरूरत पर जोर देते हुए डॉ. गुरनीत सिंह साहनी ने कहा, “आम धारणा के विपरीत चलने-फिरने में दिक्कत या परेशानी किसी भी उम्र में महसूस की सकती है। यह केवल बुजुर्गों को ही नहीं होती, जैसा कि अक्सर माना जाता है। हालांकि, पार्किंसन रोग बुढ़ापे से जुड़ा है, कई स्थितियों जैसे डायस्टोनिया का जेनेटिक आधार होता है, इस कारण यह बीमारी नौजवानों में भी दिखाई देती है। मरीजों की बढ़ती हुई तादाद से संपूर्ण विशेषज्ञता रखने वाले मूवमेंट डिसऑर्डर एंड डीबीएस क्लीनिक की जरूरत महसूस होने लगी है, जिससे अलग-अलग बीमारी से पीड़ित रोगियों की अलग-अलग चिकित्सा संबंधी जरूरतों को प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सके।’’
मूवमेंट डिसऑर्डर के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण चुनौती इस स्थिति को लेकर जागरूकता का अभाव है। पब्लिक के साथ कई अस्पतालों के डॉक्टरों में इस बीमारी को लेकर पर्याप्त जागरूकता नहीं है। चलने–फिरने में दिक्कत या परेशानी का दायरा अलग-अलग मरीजों में अलग-अलग हो सकता है। उदाहरण के लिए हाथ पैरों में कंपन से पीडि़त मरीज अजीबीगरीब हरकतें कर सकता है। जबकि पार्किंसन बीमारी से पीड़ित मरीजों में धीमी और हाथ-पैरों को झटकने की आदत देखी जा सकती है। बीमारी के इन अलग-अलग लक्षणों के बावजूद दोनों ही तरह के मरीजों को इलाज की जरूरत होती है, जो मूवमेंट डिसऑर्डर एंड डीबीएस क्लीनिक में विशेषज्ञों की देखरेख में इलाज से प्रभावी ढंग से पूरी हो सकती हैं।
मुलुंड के फोर्टिस अस्पताल में फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ. विशाल बेरी ने कहा, “चलने-फिरने में होने वाली गड़बड़ियों के प्रति मरीजों को जागरूक करने की जरूरत काफी तेजी से उभर रही है। इससे मरीजों को जल्दी जांच कराने और इलाज शुरू करने में मदद मिल सकती है। चलने-फिरने में मरीजों को होने वाली परेशानी से रोगियों और उनके परिवारों पर भावनात्मक बोझ बढ़ जाता है। चिकित्सा उपचार के साथ थेरेपी से, जिसमें मनोवैज्ञनिकों से सलाह और समर्थन व मदद देने वाले समूह शामिल हैं, हम मरीजों का इलाज करते हैं। इससे हम मरीजों को अपनी स्थिति सकारात्मक और प्रभावी ढंग से मैनेज करने में मदद करना चाहते हैं।’’
शिमला। एक तरफ जहां एचआरटीसी कर्मियों को तोहफा मिला है तो निगम की बसों में सफर करने वाले यात्रियों और छात्रों के लिए अच्छी खबर है। शिमला में एचआरटीसी की कैशलेस टिकट प्रणाली और स्कूल व कॉलेज के छात्रों के लिए ऑनलाइन स्टूडेंट बस पास सेवा की शुरुआत कर दी गई है।
यात्री अब यूपीआई (UPI), क्यू आर कोड (QR Code), क्रेडिट व डेबिट कार्ड के माध्यम से भी एचआरटीसी (HRTC) बसों में किराया दे पाएंगे। हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों को बेहतर परिवहन सेवाएं देने की दृष्टि से शिमला से जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट तक पहली “शटल ट्रैवलर सेवा” को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया है। राजधानी शिमला में एचआरटीसी से जुड़ी इन सेवाओं की शुरुआत डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने की है।
इसके अलावा HRTC के कर्मचारियों को 4 फीसदी डीए (DA) की भी घोषणा की है। एचआरटीसी (HRTC) कर्मचारी काफी लंबे समय से डीए का इंतजार कर रहे थे। कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 28 प्रतिशत से बढ़कर 32 प्रतिशत हो जाएगा। डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि आचार संहिता लगने से पहले इसको लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दी जाएगी।
नई दिल्ली। मेटा का सर्वर अचानक डाउन होने के कारण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड अचानक बंद हो गए। तीनों प्लेटफॉर्म के बंद होने से दुनिया भर में हड़कंप मच गया। सभी लोग ट्विटर यानी X पर पहुंच गए।
फेसबुक, इंस्टाग्राम बंद होने से जहां कुछ लोग परेशान हुए वहीं मीमर अपना काम शुरू कर दिया है। X पर मीम की भरमार लग गई। लोग अलग-अलग तरीके से इस स्थिति का मजाक बनाकर मजा ले रहे हैं। आप भी देखिए ये मजेदार मीम्स …..
गौर हो कि मंगलवार रात करीब 8 बजे के बाद भारत समेत दुनिया के कई देशों में यूजर्स का अकाउंट अपने आप ही लॉग आउट हो गया। इसके बाद उन्हें लॉग इन करने में समस्या आने लगी।
हालांकि व्हाट्सएप पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिला। यूजर्स के साथ ऐसा क्यों हुआ इस बारे में अधिक जानकारी सामने नहीं आई है।
प्रदेश मे रेलवे विस्तार और आधुनिकीकरण से बढ़ेंगी पर्यटन गतिविधियां : राज्यपाल
बैजनाथ। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 13,168 करोड़ रुपये के रेलवे परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है, जिससे पहाड़ी प्रदेश में रेल नेटवर्क सुदृढ़ होगा और लोगों को और बेहतर रेल सुविधा उपलब्ध होंगी।
राज्यपाल आज कांगड़ा जिले के बैजनाथ पपरोला रेलवे स्टेशन में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। वह यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्चुअल तौर पर अमृत भारत योजना के अंतर्गत देश भर में एक साथ 554 स्टेशनों के पुनर्विकास एवं 1585 रोड ओवरब्रिज और अंडरपास के लोकार्पण एवं शिलान्यास अवसर पर उपस्थित थे।
इन परियोजनाओं में हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ पपरोला स्टेशन, एक रोड ओवरब्रिज और अंडरपास को भी शामिल किया गया है। उन्होंने प्रदेश के लिए इन परियोजनाओं की आधारशिला के लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की है कि बैजनाथ पपरोला स्टेशन का भी अमृत भारत स्टेशन योजना में जीर्णोंद्वार होगा और विश्व स्तरीय मानकों के अनुरूप स्टेशन निर्मित होने से शिव भूमि बैजनाथ में पर्यटकों की आमद बढ़ने से यहां लोगों को लाभ होगा।
राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में रेलवे द्वारा यात्रियों की सुगम व बेहतर यात्रा के लिए अनेकों कार्य किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 के बजट में रेल के विकास के लिए हिमाचल प्रदेश को अब तक का सर्वाधिक रिकॉर्ड 2681 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं, जो वर्ष 2009 से 2014 के औसत बजट 108 करोड़ रुपए से 25 गुना अधिक है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में नई रेल लाइनों के निर्माण, दोहरीकरण और रेल मार्गों के विद्युतीकरण में भी अभूतपूर्व गति से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में बीते 10 वर्षों में लगभग 49 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण किया गया है। हिमाचल में 1 भारत ट्रेन भी चलाई जा रही है, जो राज्य के लोगों को तेज, सुगम और सुविधाजनक यात्रा की सुविधा उपलब्ध करवा रही है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल के अम्ब अन्दौरा रेलवे स्टेशन पर अत्याधुनिक रेल सुविधाएं उपलब्ध करवाने लिए स्टेशन का पुनर्विकास किया जा रहा है। राज्यपाल शुक्ल ने कहा कि हिमाचल में रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को नई गति देने के लिए भी कार्य किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देश में 1300 स्टेशनों को पुनर्विकास के लिए चिन्हित कर उन स्टेशन पर अत्याधुनिक यात्री सुविधाएं उपलब्ध करवाने की योजना तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा 508 स्टेशनों के पुनर्विकास के कार्य का शिलान्यास अगस्त 2023 में किया गया था।
राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में दो नैरोगेज हेरिटेज लाइन हैं। इनमें कालका शिमला यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। इसके अंतर्गत आने वाले शिमला स्टेशन के पुनर्विकास का कार्य तेजी से चल रहा है।
उन्होंने कहा कि रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के अन्तर्गत लैंडस्केप के साथ सर्कुलेटिंग एरिया का विकास, अलग-अलग प्रवेश का निकास द्वार, टू-व्हीलर, फोर-व्हीलर और ऑटो रिक्शा के लिए अलग-अलग पार्किंग की सुविधा तथा यात्री क्षमता के अनुसार पर्याप्त क्षेत्र में प्रवेश हॉल का निर्माण किया जाएगा।
प्लेटफॉर्म पर कोच की सही स्थिति जानने के लिए कोच इंडिकेशन बोर्ड का प्रावधान, एक प्लेटफॉर्म से दूसरे पर जाने के लिए 12 मीटर चौड़ाई के फुट ओवर ब्रिज का प्रावधान, नए प्लेटफॉर्म शेल्टर का प्रावधान तथा दिव्यांगजन की सुविधा के लिए टॉयलेट्स और वाटर बूथ की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाएगी।
इस अवसर पर सांसद किशन कपूर, सांसद इंदु गोस्वामी ने भी लोगों को संबोधित किया।
लेडी गवर्नर जानकी शुक्ला, मुख्य संसदीय सचिव किशोरी लाल, पूर्व विधायक मुल्क राज प्रेमी, सहायक मंडल रेल प्रबंधक आरके कालरा, उपायुक्त कांगड़ा हेमराज बैरवा, पुलिस अधीक्षक शालिनी अग्निहोत्री आदि उपस्थित थे। इससे पूर्व, राज्यपाल तथा लेडी गवर्नर ने ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ में पूजा अर्चना भी की।
शिमला। बजट पर सामान्य चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि महिलाओं को 1500 रुपए की शुरुआत दो भागों में की गई है।
हिमाचल के जिला लाहौल स्पीति में 1500 रुपए पेंशन देने की शुरुआत करने के लिए विधायक रवि ठाकुर ने हमसे वहां 25 तारीख को आने का आग्रह किया है। हम वहां जा रहे हैं।
इसका दूसरा चरण जिन 2.37 लाख महिलाओं को 1100 रुपए की पेंशन मिलती है, उनको भी उसी दिन 1500 रुपए मिलने शुरू हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि हम यहां 14 माह के लिए नहीं आए हैं।
हम पांच साल के लिए आए हैं, हमने जनता के बीच पांच साल का वादा किया है और हम 5 साल के बजट के अनुसार आगे बढ़ रहे हैं।
300 यूनिट फ्री बिजली को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में परिस्थितियों को देखते हुए फैसला किया जाएगा। हमें प्रदेश की आर्थिक स्थिति भी देखनी है।
मेरे पास बिजली बोर्ड के कर्मचारी आए और उन्होंने कहा कि हमें कुछ नहीं चाहिए, हमें केवल पेंशन चाहिए। आप हमें बिजली का बिल देना शुरू कीजिए, यह लिखित दिया है।
शिमला। हिमाचल में शराब से जुटाए पैसे से दूध की गंगा बहेगी। जी हां शराब पर मिल्क सेस से एकत्रित पैसे को दूध गंगा योजना के तहत यूज किया जाएगा। मिल्क सेस से जनवरी तक 90 करोड़ रुपए से ज्यादा इकट्ठे हो गए हैं। यह जानकारी हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने दी।
इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 1 अप्रैल 2023 से 31 जनवरी 2024 तक शराब की बोतल पर मिल्क सेस से 90 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है। यह जानकारी सोमवार को हिमाचल विधानसभा बजट सत्र के दौरान दी गई है। प्रश्नकाल में शराब की बोतल पर मिल्क सेस के मुद्दा गूंजा। श्री नैना देवी जी के विधायक रणधीर शर्मा और शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया ने इस बारे प्रश्न पूछा था।
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि शराब पर मिल्क सेस 10 रुपये प्रति बोतल लगाया है। 31 जनवरी तक करीब 90 करोड़ 77 लाख 99 हजार 232 रुपये एकत्र कर लिए गए हैं। उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 100 करोड़ रुपये को टच कर जाएगा।
इस पैसे को मिल्क के विकास के लिए किसानों को दिया जाएगा यानी इसको गंगा योजना के तहत यूज किया जाएगा। इससे जो राजस्व प्राप्त होगा उससे चिलिंग प्लांट्स और दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने में लगाया जाएगा।
किस जिला में कितना हुआ इकट्ठा
बद्दी में 7 करोड़ 28 लाख 12 हजार 043, बिलासपुर में 5 करोड़ 25 लाख 91 हजार 960 रुपए और चंबा में 5 करोड़ 33 लाख 82 हजार 839 रुपए इकट्ठे हुए हैं। हमीरपुर में 4 करोड़ 62 लाख 54 हजार 983, कांगड़ा में 16 करोड़ 52 लाख 65 हजार 533 और किन्नौर में 1 करोड़ 28 लाख 27 हजार 977 रुपए एकत्रित हुए हैं।
कुल्लू और लाहौल स्पीति में 7 करोड़ 28 लाख 15 हजार 491, मंडी में 9 करोड़ 31 लाख 33 हजार 941, नूरपुर में 3 करोड़ 76 लाख 72 हजार 112, शिमला में 13 करोड़ 79 लाख 27 हजार 822 और सिरमौर में 4 करोड़ 49 लाख 36 हजार 927 रुपए मिल्क सेस एकत्रित हुआ है। सोलन में 6 करोड़ 09 लाख 88 हजार 570 और ऊना में 5 करोड़ 71 लाख 89 हजार 034 रुपए मिल्क सेस के रूप में इकट्ठे हुए हैं।
शिमला। हिमाचली करीब 10 माह में 9 करोड़ से अधिक शराब की बोतल गटक गए हैं। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 1 अप्रैल 2023 से 31 जनवरी 2024 तक शराब की बोतल पर मिल्क सेस से 90 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है। यह जानकारी हिमाचल विधानसभा बजट सत्र के दौरान दी गई है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा बजट सत्र के पांचवें दिन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे शुरू हुई। प्रश्नकाल में शराब की बोतल पर मिल्क सेस के मुद्दा गूंजा। श्री नैना देवी जी के विधायक रणधीर शर्मा और शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया ने इस बारे प्रश्न पूछा था।
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि शराब पर मिल्क सेस 10 रुपये प्रति बोतल लगाया है। 31 जनवरी तक करीब 90 करोड़ रुपये एकत्र कर लिए गए हैं। इस वित्त वर्ष के अंत तक 100 करोड़ रुपये इकट्ठा कर लिए जाएंगे।
अगर 1 अप्रैल 2023 से 31 जनवरी, 2024 तक मिल्क सेस की बात करें तो 90 करोड़ 77 लाख 99 हजार 232 रुपए एकत्रित किया गया है। इसमें बद्दी में 7 करोड़ 28 लाख 12 हजार 043, बिलासपुर में 5 करोड़ 25 लाख 91 हजार 960 रुपए और चंबा में 5 करोड़ 33 लाख 82 हजार 839 रुपए इकट्ठे हुए हैं।
हमीरपुर में 4 करोड़ 62 लाख 54 हजार 983, कांगड़ा में 16 करोड़ 52 लाख 65 हजार 533 और किन्नौर में 1 करोड़ 28 लाख 27 हजार 977 रुपए एकत्रित हुए हैं।
कुल्लू और लाहौल स्पीति में 7 करोड़ 28 लाख 15 हजार 491, मंडी में 9 करोड़ 31 लाख 33 हजार 941, नूरपुर में 3 करोड़ 76 लाख 72 हजार 112, शिमला में 13 करोड़ 79 लाख 27 हजार 822 और सिरमौर में 4 करोड़ 49 लाख 36 हजार 927 रुपए मिल्क सेस एकत्रित हुआ है।
सोलन में 6 करोड़ 09 लाख 88 हजार 570 और ऊना में 5 करोड़ 71 लाख 89 हजार 034 रुपए मिल्क सेस के रूप में इकट्ठे हुए हैं।
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि पिछले चार वर्ष में शराब के ठेकों की नीलामी होती थी।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के शराब के ठेके नीलाम करने के फैसले के बाद आबकारी से राजस्व प्राप्तियों में 40 फीसदी वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2023-24 में नई आबकारी नीति के तहत शराब की खुदरा दुकानों का आबंटन ऑक्शन कम टेंडर से किया गया।
समूचे प्रदेश की शराब की खुदरा दुकानों की नीलामी के लिए रिजर्व प्राइस 1446 करोड़ रुपए रखी गई थी, जोकि बढ़कर 1815 करोड़ रुपए में नीलाम की गईं। आबकारी नीति में उपरोक्त संशोधन लाने से सरकारी राजस्व में 515 करोड़ रुपए की अतिरिक्त बढ़ोतरी हुई है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में सरकार द्वारा आबकारी अधिनियम के तहत 2305.81 करोड़ रुपए का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें से 31 जनवरी 2024 तक 2187 करोड़ रुपए राजस्व, विभाग एकत्रित ने एकत्रित कर लिया है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 के राजस्व की 70 करोड़ रुपए की राशि पिछले वर्ष 2022-23 के मार्च माह में ही सरकारी खजाने में जमा करवा दी गई थी।
‘राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना का ऐलान
शिमला। मुख्यमंत्री सुखविदर सिंह सुक्खू ने अपनी सरकार के कार्यकाल का दूसरा बजट शनिवार को हिमाचल विधानसभा में पेश किया। उन्होंने बजट भाषण में प्राकृतिक खेती में स्वरोजगार को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए 680 करोड़ रुपये की ‘राजीव गांधी स्टार्ट-अप योजना’ के तीसरे चरण में एक नई योजना ‘‘राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना’’ शुरू करने की घोषणा की है।
इसके अंतर्गत प्रथम चरण में प्रत्येक पंचायत से 10 किसानों को ‘जहर मुक्त खेती’ के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस प्रकार लगभग 36,000 किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जाएगा, जो किसान पहले से ही खेती कर रहे हों, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।
जो भी किसान इस योजना से जुड़ते रहेंगे तथा गेहूं में यूरिया और 12-32-16 और मक्की में यूरिया खाद का इस्तेमाल न करके गोबर का इस्तेमाल करेंगे, उनका अधिकतम 20 क्विंटल प्रति परिवार अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदा जाएगा।
बेरोजगार युवाओं को प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूं को 40 रुपये प्रति किलोग्राम तथा मक्की को 30 रुपये प्रति किलोग्राम के MSP पर खरीदा जाएगा।
हिमाचल में प्राकृतिक तकनीक से लगभग 37 हज़ार मिट्रिक टन से अधिक गेहूं का उत्पादन किया जा रहा है। 15 हज़ार एकड़ की भूमि को वेब पोर्टल के माध्यम से प्राकृतिक खेती भूमि के रूप में सर्टिफाई किया जाएगा।
इसके अंतर्गत 10 नए Farmer Producer Organizations गठित किए जाएंगे। 2024-25 में इस पर 50 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। फैंसिंग के लिए जालीदार बाड़ तथा कांटेदार तार लगाने के लिए 10 करोड़ रुपये किसानों को सहायता के रूप में व्यय किए जाएंगे।
हिमाचल प्रदेश कृषि मिशन’ के अंतर्गत 3 से 5 साल की अवधि में 2 हजार 500 कृषि क्लस्टर समूहों को समान रूप से विकसित करने की घोषणा की है। इस मिशन के अंतर्गत climate के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में High Value फसलों को बढ़ावा दिया जाएगा।
बजट भाषण के अनुसार 2024-25 में JICA Phase-2 प्रोजेक्ट के तहत 50 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सब्जी उत्पादन के अंतर्गत लाया जाएगा। इसके अतिरिक्त लाभार्थी कृषकों के उत्पादन में Processing के माध्यम से Value Addition का प्रावधान किया जाएगा तथा इन उत्पादों को बेचने के लिए आवश्यक मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रेक्चर का विकास किया जाएगा।
शिमला जिले में मेहंदली तथा शिलारू, कुल्लू जिला में बंदरोल में नई मंडियों का निर्माण किया जाएगा। सिरमौर में पांवटा साहिब, खैरी, घंडूरी और नौहराधार, कुल्लू में चैरीबिहाल, पतलीकूहल और खेगसू, मंडी में टकोली और कांगनी, कांगड़ा में जसूर, पास्सू व पालमपुर, सोलन में परवाणू,
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने किसानों को दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 1 अप्रैल, 2024 से गाय तथा भैंस के दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य को क्रमश: वर्तमान 38 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 45 रुपये प्रति लीटर और 47 रुपये प्रति लीटर से 55 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है।
यदि किसान को खुले बाज़ार में दूध की अधिक कीमत मिलती है तो वह इसे खुले बाज़ार में बेचने के लिए स्वतंत्र होगा। 1 अप्रैल, 2024 से दुग्ध उत्पादन सोसाइटियों से APMC द्वारा ली जाने वाली फीस माफ की जाएगी।
बजट में हिम गंगा योजना के तहत वर्ष 2024-25 के दौरान कांगड़ा के ढगवार में 1.5 लाख लीटर प्रति दिन की क्षमता वाले Fully Automated Milk and Milk Products Plant की स्थापना की घोषणा की गई है।
इस प्लांट के लिए भूमि उपलब्ध करवा दी गई है और इसकी क्षमता को बाद में बढ़ाकर 3 LLPD कर दिया जाएगा। इस प्लांट में अत्याधुनिक तकनीक से दूध का पाउडर बनाया जाएगा, जिससे कि मांग से अधिक दूध को लंबे समय तक संरक्षित (Preserve) करके रखा जा सके।
इसके अतिरिक्त दही, खोया, घी, आइसक्रीम, फ्लेवर्ड मिल्क (Flavoured Milk), processed cheese और अन्य उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इसके साथ ही यहां अल्ट्रा हीट टेक्नोलॉजी से पैकिग की सुविधा भी उपलब्ध होगी। दत्तनगर मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट में 50 हजार लीटर प्रति दिन की क्षमता का एक अतिरिक्त संयंत्र चालू कर दिया जाएगा।
ऊना तथा हमीरपुर में भी आधुनिकतम तकनीक से मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किए जाएंगे, जिन पर लगभग 50 करोड़ रुपये व्यय होंगे। स्थानीय युवाओं को किसानों/संग्रह केंद्र से मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट तक दूध ले जाने के लिए 50 फीसदी उपदान पर 200 रेफ्रिजरेटेड मिल्क वैन (Refrigerated Milk Vans) उपलब्ध करवाई जाएंगी।
बजट भाषण में पशुपालकों को उत्तम नस्ल के पशु उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से सोलन जिले के दाड़लाघाट में ‘कृत्रिम गर्भाधान प्रषिक्षण केंद्र’ की स्थापना करने की घोषणा की गई है। विषेशज्ञ पशु चिकित्सकों द्वारा गंभीर पशु रोगों की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए 44 मोबाइल वेटरनरी वैन क्रय कर ली गई हैं।
यह सेवा वर्ष 2024 में पूर्ण रूप से आरंभ कर दी जाएगी। प्रत्येक वैन में एक वेटरनरी डॉक्टर तथा एक फार्मासिस्ट तैनात होगा। पशुपालक प्रदेश में कहीं से भी टॉल फ्री फोन नंबर 1962 पर कॉल करके पशुओं के उपचार की सुविधा या पशुपालन से संबंधित अन्य जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
प्रदेश में भेड़-बकरियों के लिए FMD Vaccination शुरू करने तथा ऊन की अन्य समस्याओं के निदान के लिए एक नई योजना ”भेड़-बकरी पालक प्रोत्साहन योजना“ प्रारंभ करने की भी घोषणा की है। इस योजना पर 10 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि दी जाएगी।
प्रदेश में बढ़ते हुए बेसहारा पशुओं की समस्या के निदान के लिए एक‘State Level Task Force’का गठन किया जाएगा, जोकि 3 माह के भीतर इन पशुओं को किसानों तथा स्थानीय समुदायों से परामर्श के बाद समीप के गौ-अभ्यारण्यों तथा गौशालाओं में रखने के लिए दिशा-निर्देश सुझाएंगे।
इसी के साथ गौ-अभ्यारण्यों तथा गौशालाओं के निर्माण तथा रख-रखाव से संबंधित सुझाव भी दिए जाएंगे। निजी गौ-सदनों में आश्रित गौवंश के लिए दिए जाने वाले अनुदान 700 रुपये प्रति गौवंश प्रतिमाह से बढ़ाकर 1 हजार 200 रुपये करने का भी ऐलान किया है। इस बजट में कृषि क्षेत्र के लिए कुल 582 करोड़ रुपये प्रस्तावित हैं।