रोहित कुमार की शहादत से लंज खास में पसरा मातम
लंज। जिस बेटे के सिर पर सेहरा सजाने का सपना मां देख रही थी आज उसी बेटे को दूल्हे की तरह सजाकर अंतिम विदाई दी। कांगड़ा जिला के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत लंज खास के जवान रोहित कुमार का आज अंतिम संस्कार किया गया।
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मां फूट-फूटकर रो रही थी। सोचा था कि बेटे के सिर पर सहरा सजाएगी और बारात में खूब नाचेगी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। बेटा शेरवानी की जगह तिरंगे में लिपटा घर आया और मां ने बारात नहीं अंतिम विदाई के लिए बेटे को दूल्हे की तरह सजाया।
वहीं, जिन हाथों से बहन ने इतने साल राखी बांधी आज उन्ही हाथों से अपने इकलौते भाई की चिता को मुखाग्नि दी। मां-बेटी के लिए ये पल कितना दर्द भरा रहा होगा इसका एहसास कर पाना भी मुश्किल है।
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अपनी मां को अच्छा जीवन दिखाने और आलीशान घर बनाने का सपना लेकर रोहित घर से निकला था, लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। आज रोहित की पार्थिव देह के साथ इन तीनों के सपने भी पंचतत्व में विलीन हो गए।
बता दें कि रोहित कुमार अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा पर शहीद हुआ। अटलरी बटालियन में तैनात 25 वर्षीय रोहित कुमार का ड्यूटी के दौरान ग्लेशियर पर पैर फिसला और वह गहरी खाई में जा गिरा।
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जब तक उसको वहां से निकाला गया तब तक रोहित शहीद हो चुका था। शहीद रोहित कुमार की प्रारंभिक शिक्षा लंज स्कूल से हुई थी। रोहित कुमार वर्ष 2018 में भारतीय सेना में भर्ती हुए था और पूर्वोत्तर अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा पर ड्यूटी पर तैनात था।
पति द्वारा तलाक दिए जाने के बाद उनकी माता रानी देवी ने बेटे रोहित कुमार व बेटी रीता देवी को मायके में रहते हुए लोगों के घरों में काम करके तथा मनरेगा में मजदूरी करके बड़ी मुश्किल से पाला था।
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रोहित के सेना में भर्ती होने पर परिवार को काफी उम्मीदें थीं। रोहित 3 नवंबर को छुट्टी काट कर गया था।
अगली छुट्टी में आलीशान मकान बनाने का सपना दिखाकर घर से निकले रोहित कुमार का सपना अधूरा ही रह गया। शहीद के मामा शमशेर ने प्रदेश सरकार से मांग उठाई है कि घर को चलाने वाला चिराग नहीं रहा।
अब परिवार का गुजारा चला पाना मुश्किल है। साथ ही, उन्होंने प्रदेश सरकार व विधायक केवल पठानिया के समक्ष मांग उठाई है कि शहीद की बहन को किसी नौकरी का प्रावधान किया जाए।
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