तवांग। पहाड़ी राज्यों में स्थित गांव में सुविधाओं की कमी भले हो, लेकिन टैलेंट की कमी बिलकुल भी नहीं है। ऐसे कई लोग हैं जो अपने हुनर के दम पर भारत ही नहीं दुनिया भर में नाम कमा रहे हैं। ऐसा ही एक कलाकार है अरुणाचल प्रदेश में जो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोर रहा है।
आम जनता के साथ इस कलाकार ने मुख्यमंत्री पेमा खांडू का भी दिल जीत लिया है। मुख्यमंत्री को इस युवक का हुनर इतना पसंद आया कि उन्होंने खुद अपने ट्विटर हैंडल पर इसको शेयर किया है।
वीडियो में दिख रहा ये कलाकार मोनपा इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स (MIPA) का छात्र है। ये एक पारंपरिक पोशाक पहने हुए पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्र ‘ड्रामिन’ के साथ मोनपा (Monpa Song) गा रहा है। मोनपा को तिब्बती बौद्ध समारोहों और त्योहारों के दौरान बजाया जाता है।
मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, “ये वीडियो तवांग जिले के बोंगलेंग गांव में शूट किया गया था। जैसे ही उन्होंने ये वीडियो शेयर किया वैसे ही लोगों ने तेजी से अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करानी शुरू कर दी।
एक यूजर ने कहा कि लोक परंपरा यकीनन बहुत समृद्ध होती है। खासकर ऐसे कलाकारों की तारीफ तो बनती है जो इन्हें जिंदा रखे हुए हैं। वीडियो वाकई बेहद खास है। अगर आपको वीडियो पसंद आया हो तो कमेंट कर जरूर बताएं।
बिलासपुर। बेटे से सिर सेहरा सजाने का ख्वाब तो पूरा न हुआ लेकिन बांचा राम ने जिस तरह से शहीद बेटे की अंतिम विदाई की उसको देखकर हर कोई उनको सलाम कर रहा है। अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में शहीद हुए 22 वर्षीय सैनिक अंकेश भारद्वाज की पार्थिव देह जब घर के आंगन में पहुंची तो रो-धोकर नहीं बल्कि पिता ने कोट-पेंट और पगड़ी पहनकर उसका स्वागत किया। पूरे घर को लड़ियों और पत्रमाला से सजाया गया था। टेंट और स्वागत गेट लगाया गया था।
हर तरफ होर्डिंग लगाए गए थे। अंतिम संस्कार के लिए चंदन की लकड़ी मंगवाई गई थी। पार्थिव शरीर आते ही वहां शहीद अंकेश भारद्वाज अमर रहे के नारे लगने लगे। युवाओं समेत महिलाओं और बुजुर्गों ने पुष्प वर्षा से शहीद का स्वागत किया। शहीद अंकेश के सम्मान में 300 फिट तिरंगा यात्रा दधोल से शुरू की गई थी। इसके अलावा युवाओं ने बाइक रैली निकालकर शहीद को श्रद्धांजलि दी।
माता-पिता ने बेटे को दूल्हे की तरह सजाकर अंतिम विदाई दी। बैंड पर जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी गीत की धुन बज रही थी और आसमान में आतिशबाजी के बीच शहीद को घर से विदा किया गया। शहीद का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ घुमारवीं उपमंडल के सेऊ में किया गया। छोटे भाई ने अपने आदर्श और बड़े भाई की चिता को मुखाग्नि दी। सैकड़ों लोगों ने नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई दी। खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग के साथ मौके पर एसडीएम राजीव ठाकुर, डीएसपी अनिल सहित अन्य अधिकारी भी इस दौरान मौजूद रहे।
6 दिन से परिवार बेटे की पार्थिव देह का इंतजार कर रहा था। 6 फरवरी को अंकेश के बर्फीले तूफान में लापता होने और उसके बाद 8 फरवरी को शहीद होने की खबर मिली थी। शहीद की देह शनिवार देर शाम हमीरपुर जिला के भोटा कस्बे में पहुंची थी। शनिवार सुबह शहीद अंकेश भारद्वाज का शव पठानकोट पहुंचा था। इससे पहले असम के तेजपुर एयरपोर्ट से शव को पठानकोट एयरपोर्ट लाया गया। वहां से सड़क मार्ग से हमीरपुर पहुंचाया गया। रात होने के कारण शहीद की पार्थिव देह भोटा में रखी गई थी।
अंकेश भारद्वाज का जन्म 6 सितंबर, 2000 में हुआ और अभी करीब 21 वर्ष के थे। अंकेश भारद्वाज साल 2019 में सेना में भर्ती हुए थे। अंकेश एक सैनिक परिवार से संबंध रखता थे। अंकेश के पिता बांचा राम भी पूर्व सैनिक हैं। उनके तीन चाचा सैनिक रहे हैं व दो अभी बीएसफ में सेवाएं दे रहे हैं। अंकेश अपने माता-पिता का बड़ा बेटा था और छोटा बेटा ग्यारहवीं मे पढ़ता है। ewn24news की तरफ से शहीद जवान को भावभीनी श्रद्धांजलि।
बिलासपुर। अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में शहीद हुए 22 वर्षीय सैनिक अंकेश भारद्वाज पंचतत्व में विलीन हो गए। शहीद का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ घुमारवीं उपमंडल के सेऊ में किया गया। छोटे भाई ने अपने आदर्श और बड़े भाई की चिता को मुखाग्नि दी।
सैकड़ों लोगों ने नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई दी। बैंड पर जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी गीत की धुन बज रही थी और आसमान में आतिशबाजी के बीच शहीद को घर से विदा किया गया।
इससे पहले शादी समारोह जैसे सजे घर में बैंड-बाजों के साथ शहीद अंकेश भारद्वाज का स्वागत हुआ। हर तरफ भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे गूंज उठे। शहीद अंकेश भारद्वाज के पिता भले ही बेटे को दूल्हा बनाने की हसरत पूरी न कर पाए हों, लेकिन उसकी अंतिम विदाई उन्होंने धूमधाम से की।
पूरे घर को लड़ियों और पत्रमाला से सजाया गया था। टेंट और स्वागत गेट लगाया गया था। हर तरफ बाकायदा होर्डिंग लगाए गए थे। अंतिम संस्कार के लिए चंदन की लकड़ी मंगवाई गई थी।
6 दिन से परिवार बेटे की पार्थिव देह का इंतजार कर रहा था। 6 फरवरी को अंकेश के बर्फीले तूफान में लापता होने और उसके बाद 8 फरवरी को शहीद होने की खबर मिली थी। शहीद की देह शनिवार देर शाम हमीरपुर जिला के भोटा कस्बे में पहुंची थी।
दरअसल, शनिवार सुबह शहीद अंकेश भारद्वाज का शव पठानकोट पहुंचा था। इससे पहले असम के तेजपुर एयरपोर्ट से शव को पठानकोट एयरपोर्ट लाया गया। वहां से सड़क मार्ग से हमीरपुर पहुंचाया गया। रात होने के कारण शहीद की पार्थिव देह भोटा में रखी गई थी।
अंकेश भारद्वाज का जन्म 6 सितंबर, 2000 में हुआ और अभी करीब 21 वर्ष के थे। अंकेश भारद्वाज साल 2019 में सेना में भर्ती हुए थे। अंकेश एक सैनिक परिवार से संबंध रखता थे। अंकेश के पिता पांचा राम भी पूर्व सैनिक हैं।
उनके तीन चाचा सैनिक रहे हैं व दो अभी बीएसफ में सेवाएं दे रहे हैं। अंकेश अपने माता-पिता का बड़ा बेटा था और छोटा बेटा ग्यारहवीं मे पढ़ता है। ewn24news की तरफ से शहीद जवान को भावभीनी श्रद्धांजलि।
बिलासपुर। अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में शहीद हुए 22 वर्षीय सैनिक अंकेश भारद्वाज की पार्थिव देह घर पहुंच गई है। शादी समारोह जैसे सजे घर में बैंड-बाजों के साथ शहीद अंकेश भारद्वाज का स्वागत हुआ। हर तरफ भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे गूंज उठे। शहीद का अंतिम संस्कार कुछ ही देर में पैतृक गांव घुमारवीं उपमंडल के सेऊ में किया जाएगा।
6 दिन से परिवार बेटे की पार्थिव देह का इंतजार कर रहा है। 6 फरवरी को अंकेश के बर्फीले तूफान में लापता होने और उसके बाद 8 फरवरी को शहीद होने की खबर मिली थी। शहीद की देह शनिवार देर शाम हमीरपुर जिला के भोटा कस्बे में पहुंची थी।
दरअसल, शनिवार सुबह शहीद अंकेश भारद्वाज का शव पठानकोट पहुंचा था। इससे पहले असम के तेजपुर एयरपोर्ट से शव को पठानकोट एयरपोर्ट लाया गया। वहां से सड़क मार्ग से हमीरपुर पहुंचाया गया। रात होने के कारण शहीद की पार्थिव देह भोटा में रखी गई। इस दौरान प्रशासन की तरफ से एसडीएम शशि पाल शर्मा, डीएसपी शेर सिंह, घुमारवीं डीएसपी अनिल, बडसर तहसीलदार वीना ठाकुर, भोटा पुलिस सहायता कक्ष के प्रभारी सुरेश, हवलदार सुरजीत आदि मौजूद रहे।
उधर, शहीद अंकेश भारद्वाज के पिता भले ही बेटे को दूल्हा बनाने की हसरत पूरी न कर पाए हों, लेकिन उसकी अंतिम विदाई वह उसी तरह करेंगे। बांचा राम ने पूरे घर को लड़ियों और पत्रमाला से सजाया है। टेंट और स्वागत गेट लगाया गया है। जिस रास्ते से शहीद की पार्थिव देह घर लाई जानी है, उस रास्ते में बाकायदा होर्डिंग लगाए गए हैं। अंकेश के दोस्तों और ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार के लिए चंदन की लकड़ी मंगवाई है। दाह संस्कार की लकड़ी मुक्तिधाम में पहुंचाई जा चुकी है।
शहीद के पिता का कहना है कि मैं अपने शहीद बेटे को दूल्हे की तरह विदा करूंगा। बेटे की अंतिम विदाई बैंड के साथ राष्ट्रगान की धुन में होगी, ताकि क्षेत्र के नौजवान सेना में जाने के लिए प्रेरित हों। शहीद अंकेश के पिता के इस हौसले को देख कर हर कोई उनको दिल से सलाम कर रहा है।
अंकेश भारद्वाज का जन्म 6 सितंबर, 2000 में हुआ और अभी करीब 21 वर्ष के थे। अंकेश भारद्वाज साल 2019 में सेना में भर्ती हुए थे। अंकेश एक सैनिक परिवार से संबंध रखता थे। अंकेश के पिता पांचा राम भी पूर्व सैनिक हैं। उनके तीन चाचा सैनिक रहे हैं व दो अभी बीएसफ में सेवाएं दे रहे हैं। अंकेश अपने माता-पिता का बड़ा बेटा था और छोटा बेटा ग्यारहवीं मे पढ़ता है। ewn24news की तरफ से शहीद जवान को भावभीनी श्रद्धांजलि।
सैन्य सम्मान के साथ शहीद गुरबाज सिंह को दी गई अंतिम विदाई
बटाला। अरुणाचल प्रदेश में हिमस्खलन की चपेट में आने से शहीद बटाला के गांव मसानिया के गुरबाज सिंह की पार्थिव देह घर पर पहुंची तो हर तरफ जय हिंद और शहीद जवान अमर रहे के नारे गूंजने लगे। पांच दिन से शहीद बेटे का इंतजार कर रहे मां-बाप बेटे को तिरंगे में लिपटे देखकर रोने लगे। सैन्य सम्मान के साथ गुरबाज सिंह को अंतिम विदाई दी गई।
62 मीडियम रेजीमेंट में तैनात 22 वर्षीय शहीद गुरबाज सिंह भी शामिल गुरबाज सिंह परिवार के इकलौता बेटे थे। गुरबाज के पिता गुरमीत सिंह भी सेना से रिटायर्ड हुए थे। गुरबाज सिंह के चाचा गुरदीप सिंह सेना में ही जम्मू इलाके में तैनात हैं। शहीद गुरबाज भी सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहते थे। अपने इसी जज्बे के कारण वह 18 अक्तूबर, 2018 को सेना में भर्ती हुए थे। इस समय वह अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में तैनात थे।
नेटवर्क की वजह से परिवार से सप्ताह में एक बार ही बात होती थी। एक फरवरी को उनका घर वालों को अंतिम बार फोन आया था। उन्होंने परिवार से बात की और सभी का हाल-चाल जाना। गुरबाज ने फोन पर कहा था कि मार्च में आने वाले संग मेले में वह गांव आएंगे। सितंबर 2021 में हुए श्री गुरु नानक देव जी के विवाह पर्व में शामिल होने के लिए गुरबाज छुट्टी पर आए थे। उसके बाद उनके शहीद होने की खबर ही मिली। गुरबाज के घर पर उनके पिता गुरमीत सिंह, मां हरजीत कौर और बड़ी बहन जसपिंदर कौर हैं।
अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में शहीद हुए सात जांबाजों में से 6 का आज पूरे सैन्य और राजकीय सम्मान का अंतिम संस्कार किया गया। हिमाचल के कांगड़ा जिला के बैजनाथ उपमंडल के महेशगढ़ के शहीद राकेश सिंह, पठानकोट के गांव चक्कड़ निवासी राइफलमैन अक्षय पठानिया, पंजाब के बटाला के गांव मसानिया के गुरबाज सिंह, जम्मू कश्मीर के कठुआ जिला के लखनपुर के जंडौर गांव अरुण कटाल, खौड़ के चक मलाल निवासी राइफलमैन विशाल शर्मा और डोरी डगेर के हवलदार जुगल किशोर पंच तत्व में विलीन हो गए।
सैकड़ों लोगों ने नम आंखों से शहीदों को अंतिम विदाई दी। वहीं, हिमाचल के हमीरपुर जिला के शहीद अंकेश भारद्वाज का आज अंतिम संस्कार नहीं हो पाया है। ewn24news की तरफ से शहीद जवान को भावभीनी श्रद्धांजलि।
पूरे राजकीय एवं सैनिक सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार
बैजनाथ। अरुणाचल प्रदेश के कमांग सेक्टर में शहीद हुए बैजनाथ मंडल के गांव लोअर महेशगढ़ के 26 वर्षीय राकेश सिंह की पार्थिव देह शनिवार को उनके गांव पहुंची। शहीद की पार्थिव देह जैसे ही पैतृक गांव पहुंची तो शहीद राकेश सिंह अमर रहे के नारे गूंज उठे। शहीद राकेश का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय एवं सैनिक सम्मान के साथ किया गया।
शहीद राकेश को वन युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री राकेश पठानिया बैजनाथ के विधायक मुल्ख राज प्रेमी वूल फेडरेशन के अध्यक्ष त्रिलोक कपूर, डीसी कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल, जिला प्रशासन के अधिकारी, पुलिस वरिष्ठ अधिकारी, एसडीएम बैजनाथ सलीम आजम, सेना के अधिकारियों और बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए।
वन मंत्री ने शोक संतप्त परिवार से भेंट कर अपनी संवेदनाएं भी प्रकट की तथा शहीद के गांव को जोड़ने वाली सड़क कन्द्राल, महेशगढ़, गवालटिक्कर का नाम शहीद राकेश के नाम पर रखने की बात कही।
उन्होंने इस सड़क के निर्माण की सभी औपचारिकताओं को पूर्ण करने के आदेश विभाग को जारी किए। शहीद राकेश की पत्नी का नाम अंजली है। शहीद का 6 माह का बेटा रियांश है। पिता जिगरी राम और मां संध्या देवी हैं।
बिलासपुर। हिमाचल के बिलासपुर जिला के घुमारवीं उपमंडल के सेऊ गांव के 21 वर्षीय अंकेश भारद्वाज की पार्थिव देह कल यानी 13 फरवरी को सुबह 10 बजे घर पहुंचेगी। शहीद का कल अंतिम संस्कार होगा। हालांकि, शहीद की पार्थिव देह देवभूमि हिमाचल पहुंची चुकी है। पर पठानकोट से शहीद के घर की दूरी ज्यादा होने के चलते देरी हो गई।
पार्थिव देह को हमीरपुर के भोटा रेस्ट हाउस में रखा गया है। यहां से कल पैतृक गांव ले जाया जाएगा। भोटा से शहीद के गांव की दूरी करीब 22 से 25 किलोमीटर है। खाद्य आपूर्ति मंत्री राजिंद्र गर्ग ने बताया कि शहीद अंकेश भारद्वाज की पार्थिव देह कल करीब 10 बजे पैतृक गांव पहुंचेगी।
इससे पहले करीब 9 बजे भोटा से रवाना होगी। हमीरपुर और बिलासपुर सीमा पर तरघेल से तिरंगा यात्रा का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शहीद अंकेश की अंतिम यात्रा पूरे सम्मान के साथ निकाली जाएगी।
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में घुमारवीं के सेऊ गांव के शहीद अंकेश भारद्वाज के पिता भले ही बेटे को दूल्हा बनाने की हसरत पूरी न कर पाए हों, लेकिन उसकी अंतिम विदाई वह उसी तरह करेंगे। बांचा राम ने पूरे घर को लड़ियों और पत्रमाला से सजाया है। टेंट और स्वागत गेट लगाया गया है।
जिस रास्ते से शहीद की पार्थिव देह घर लाई जानी है उस रास्ते में बाकायदा होर्डिंग लगाए गए हैं। अंकेश के दोस्तों और ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार के लिए चंदन की लकड़ी मंगवाई है। दाह संस्कार की लकड़ी मुक्तिधाम में पहुंचाई जा चुकी है।
शहीद के पिता खुद को संभालते हुए लोगों से बेटे की शहादत के बारे में नाज से बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि मैं अपने शहीद बेटे को दूल्हे की तरह विदा करूंगा। बेटे की अंतिम विदाई बैंड के साथ राष्ट्रीय गान की धुन में होगी, ताकि क्षेत्र के नौजवान सेना में जाने के लिए प्रेरित हों। शहीद अंकेश के पिता के इस हौसले को देख कर हर कोई उनको दिल से सलाम कर रहा है।
बैजनाथ। कांगड़ा जिला में उपमंडल बैजनाथ के कंदराल पंचायत के शहीद राकेश सिंह की पार्थिव देह पैतृक गांव पहुंच गई है। महेशगढ़ में शहीद राकेश सिंह का अंतिम संस्कार किया जाएगा। शहीद पार्थिव देह देखकर मां और पत्नी रो-रो कर बेसुध हो गईं। पिता भी बेटे की देह को देखकर खुद को नहीं संभाल पाए और फूट-फूटकर रोने लेगे।
सुबह करीब आठ बजे तेजपुर स्टेशन में सभी बलिदानियों को सेना की ओर से श्रद्धांजलि देकर पठानकोट भेजा गया। पठानकोट से सड़क मार्ग से उनकी देह को उनके पैतृक गांव महेशगढ़ पहुंचाया गया। पूरा परिवार शहीद राकेश के इस तरह प्राकृतिक आपदा का शिकार होने पर शोक संतप्त है। परिवार पांच दिन से बेटे को अंतिम बार देखने के लिए तरस रहा था।
मंगलवार को परिवार को सूचना मिली थी कि बेटा अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में आए बर्फीले तूफान में शहीद हो गया है। तभी से परिवार पार्थिव देह का इंतजार कर रहा था। शहीद राकेश सिंह के घर में रिश्तेदारों का आना-जाना लगा हुआ था। उनकी मां एक कमरे में रो रो कर बेहाल था तो दूसरे कमरे में शहीद राकेश सिंह की 22 साल की पत्नी अपने छह महीने के बच्चे के साथ बेसुध पड़ी थी। पिता जिगरी राम सभी आने जाने वालों से मिल रहे थे लेकिन उनका का दर्द उनके चेहरे में साफ झलक रहा था। राकेश कुमार पुत्र जिगरी राम 7 साल पहले सेना में भर्ती हुए थे। सवा साल पहले उनकी शादी हुई थी। पिता जिगरी राम सेना से रिटायर हुए हैं। राकेश 4 महीने पहले छुट्टी पर घर आये थे और उसके बाद अब उनकी शहादत की खबर आई। आज शहीद को अंतिम विदाई दे दी गई और शहीद राकेश सिंह इतिहास के पन्नों में अमर हो गए।
बिलासपुर\कांगड़ा। अरुणाचल प्रदेश में हिमस्खलन की चपेट में आने से शहीद सातों जवानों की पार्थिव देह पठानकोट पहुंच गई हैं। यहां से उन्हें सैन्य वाहनों में पैतृक गांव रवाना कर दिया गया है। अरुणाचल प्रदेश में मौसम की खराबी के कारण शुक्रवार को विमान उड़ान नहीं भर पाया था जिस वजह से जवानों की पार्थिव देह शुक्रवार को पठानकोट नहीं पहुंच पाई थी।
इससे पहले सुबह वायु सेना स्टेशन तेजपुर में हवलदार जुगल किशोर, राइफलमैन अरुण कट्टल, राइफलमैन अक्षय पठानिया, राइफलमैन विशाल शर्मा, राइफलमैन राकेश सिंह, राइफलमैन अंकेश भारद्वाज और जीएनआर (टीए) गुरबाज सिंह का माल्यार्पण समारोह में हुआ।
शहीदों में जम्मू के तीन हिमाचल के दो और पंजाब के दो जवान शामिल हैं। जवानों के परिवार इस वक्त काफी मुश्किल घड़ी से गुजर रहे हैं। चार दिन से परिवार अपने बेटों की पार्थिव देह के इंतजार में बैठे हैं। आज उनकी पार्थिव देह घर पहुंच जाएगी।
रविवार को अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में गश्त के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आने से 7 सैनिक शहीद हो गए थे। इनमें हिमाचल के दो जवान भी शामिल थे। जिला बिलासपुर के घुमारवीं के सेऊ गांव के अंकेश भारद्वाज (21) और कांगड़ा जिला के बैजनाथ उपमंडल की कंदराल पंचायत के महेशगढ़ के राकेश सिंह (26) शहीद हुए हैं। राकेश सिंह की शहादत की खबर सुनते ही इलाके में मातम पसर गया।
माता संध्या देवी को बेटे के शहीद होने का पता चलने के बाद से उनका रो-रो कर बुरा हाल है। अपने बेटे को खो चुके जिगरी राम अपने घर में आने वाले हर शख्स से मिल रहे हैं, लेकिन उनकी पत्नी और शहीद राजेश की मां बेसुध होती जा रही हैं। शहीद राजेश की 22 साल की पत्नी अलग कमरे में अपने 6 महीने के बच्चे के साथ है। वह पूरी तरह से टूट चुकी है। परिवार मंगलवार से अपने बेटे की पार्थिव देह का इंतजार कर रहा है।
वहीं, बिलासपुर जिला के सेऊ गांव के 21 वर्षीय अंकेश भारद्वाज की शहादत की खबर से पूरे इलाके में मातम पसरा हुआ है। शहीद के पिता खुद को संभालते हुए लोगों से बेटे की शहादत के बारे में नाज से बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि मैं अपने शहीद बेटे को दूल्हे की तरह विदा करूंगा। बेटे की अंतिम विदाई बैंड के साथ राष्ट्रीय गान की धुन में होगी, ताकि क्षेत्र के नौजवान सेना में जाने के लिए प्रेरित हों। शहीद अंकेश के पिता पांचा राम ने रुंधे गले से जब ये शब्द कहे तो वहां मौजूद हर किसी की आंखों में आंसू आ गए।
मुश्किल की इस घड़ी में भी फौजी पिता के हौसले को हर कोई सलाम कर रहा है। शहीद अंकेश के माता-पिता सहित गांव के लोग बीती 6 फरवरी से अंकेश के इंतजार में सोए नहीं हैं। ग्राम सुधार समिति सेऊ ने शहीद अंकेश के लिए मुक्ति धाम को दुल्हन की तरह सजा दिया है। अंतिम विदाई के लिए पूरा गांव एकजुट होकर कार्य कर रहा है। अंकेश के पिता ने कहा कि सैकड़ों लोग जो उनके घर पर मौजूद हैं, वे इस दुख की घड़ी में उनका हौसला बढ़ा रहे हैं।
पंजाब के जवानों में पठानकोट के गांव चक्कड़ निवासी राइफलमैन अक्षय पठानिया भी शामिल हैं, जिनकी पार्थिव देह का पूरा गांव और शहीद के परिजन इंतजार कर रहे हैं। पूरे गांव का माहौल गमगीन है। अक्षय की मां रितू पठानिया और दादी सत्या देवी का रो-रो कर बुरा हाल है। मां ने रोते हुए कहा कि ‘पुत्तरा जल्दी आ जा हुन ते अक्खां चों अथरु वी सुक गये ने।’
शहीदों में बटाला के गांव मसानिया के 62 मीडियम रेजीमेंट में तैनात गुरबाज सिंह भी शामिल है। 22 वर्षीय गुरबाज का पार्थिव शरीर आज उनके पैतृक गांव मसानिया में पहुंच जाएगी। शहीद के चाचा गुरदीप सिंह ने बताया कि गुरबाज सिंह परिवार का इकलौता बेटा था। गुरबाज के पिता गुरमीत सिंह भी सेना से रिटायर्ड हुए थे जिसकी वजह से गुरबाज सिंह भी सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता था। अपने इसी जज्बे के कारण वह 18 अक्तूबर 2018 को सेना में भर्ती हुआ था।
इस समय वह अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में तैनात था। नेटवर्क की वजह से परिवार से सप्ताह में एक बार ही बात होती थी। एक फरवरी को उसका अंतिम बार फोन आया था। शहीद होने की खबर परिवार को गुरुवार को पता चली है। गुरबाज के घर पर उनके पिता गुरमीत सिंह, मां हरजीत कौर और बड़ी बहन जसपिंदर कौर हैं। ewn24news की तरफ से शहीद जवानों को भावभीनी श्रद्धांजलि।
बिलासपुर\कांगड़ा। अरुणाचल प्रदेश में हिमस्खलन की चपेट में आने से शहीद सातों जवानों की पार्थिव देह आज करीब साढ़े 10 बजे पठानकोट पहुंचेगी। यहां से उन्हे सैन्य वाहनों में उनके पैतृक गांव रवाना किया जाएगा। अरुणाचल प्रदेश में मौसम की खराबी के कारण विमान उड़ान नहीं भर पाया जिस वजह से जवानों की पार्थिव देह शुक्रवार को पठानकोट नहीं पहुंच पाई।
शहीदों में जम्मू के तीन हिमाचल के दो और पंजाब के दो जवान शामिल हैं। जवानों के परिवार इस वक्त काफी मुश्किल घड़ी से गुजर रहे हैं। चार दिन से परिवार अपने बेटों की पार्थिव देह के इंतजार में बैठे हैं। आज पार्थिव देह घर पहुंच जाएगी।
रविवार को अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में गश्त के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आने से 7 सैनिक शहीद हो गए थे। इनमें हिमाचल के दो जवान भी शामिल थे।
जिला बिलासपुर के घुमारवीं के सेऊ गांव के अंकेश भारद्वाज (21) और कांगड़ा जिला के बैजनाथ उपमंडल की कंदराल पंचायत के महेशगढ़ के राकेश सिंह (26) शहीद हुए हैं। राकेश सिंह की शहादत की खबर सुनते ही इलाके में मातम पसर गया।
माता संध्या देवी को बेटे के शहीद होने का पता चलने के बाद उनका रो-रो कर बुरा हाल है। अपने बेटे को खो चुके जिगरी राम अपने घर में आने वाले हर शख्स से मिल रहे हैं, लेकिन उनकी पत्नी और शहीद राजेश की मां बेसुध होती जा रही हैं। शहीद राजेश की 22 साल की पत्नी अलग कमरे में अपने 6 महीने के बच्चे के साथ है। वह पूरी तरह से टूट चुकी है। परिवार मंगलवार से अपने बेटे की पार्थिव देह का इंतजार कर रहा है।
वहीं, बिलासपुर जिला के सेऊ गांव के 21 वर्षीय अंकेश भारद्वाज की शहादत की खबर से पूरे इलाके में मातम पसरा हुआ है। शहीद के पिता खुद को संभालते हुए लोगों से बेटे की शहादत के बारे में नाज से बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि मैं अपने शहीद बेटे को दूल्हे की तरह विदा करूंगा। बेटे की अंतिम विदाई बैंड के साथ राष्ट्रीय गान की धुन में होगी, ताकि क्षेत्र के नौजवान सेना में जाने के लिए प्रेरित हों। शहीद अंकेश के पिता पांचा राम ने रुंधे गले से जब ये शब्द कहे तो वहां मौजूद हर किसी की आंखों में आंसू आ गए।
मुश्किल की इस घड़ी में भी फौजी पिता के हौसले को हर कोई सलाम कर रहा है। शहीद अंकेश के माता-पिता सहित गांव के लोग बीती 6 फरवरी से अंकेश के इंतजार में सोए नहीं हैं। ग्राम सुधार समिति सेऊ ने शहीद अंकेश के लिए मुक्ति धाम को दुल्हन की तरह सजा दिया है। अंतिम विदाई के लिए पूरा गांव एकजुट होकर कार्य कर रहा है। अंकेश के पिता ने कहा कि सैकड़ों लोग जो उनके घर पर मौजूद हैं, वे इस दुख की घड़ी में उनका हौसला बढ़ा रहे हैं।
पंजाब के जवानों में पठानकोट के गांव चक्कड़ निवासी राइफलमैन अक्षय पठानिया भी शामिल हैं, जिनकी पार्थिव देह का पूरा गांव और शहीद के परिजन इंतजार कर रहे हैं। पूरे गांव का माहौल गमगीन है। अक्षय की मां रितू पठानिया और दादी सत्या देवी का रो-रो कर बुरा हाल है। मां ने रोते हुए कहा कि ‘पुत्तरा जल्दी आ जा हुन ते अक्खां चों अथरु वी सुक गये ने।’
शहीदों में बटाला के गांव मसानिया के 62 मीडियम रेजीमेंट में तैनात गुरबाज सिंह भी शामिल है। 22 वर्षीय गुरबाज का पार्थिव शरीर आज उनके पैतृक गांव मसानिया में पहुंच जाएगी। शहीद के चाचा गुरदीप सिंह ने बताया कि गुरबाज सिंह परिवार का इकलौता बेटा था। गुरबाज के पिता गुरमीत सिंह भी सेना से रिटायर्ड हुए थे जिसकी वजह से गुरबाज सिंह भी सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता था। अपने इसी जज्बे के कारण वह 18 अक्तूबर 2018 को सेना में भर्ती हुआ था।
इस समय वह अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में तैनात था। नेटवर्क की वजह से परिवार से सप्ताह में एक बार ही बात होती थी। एक फरवरी को उसका अंतिम बार फोन आया था। शहीद होने की खबर परिवार को गुरुवार को पता चली है। गुरबाज के घर पर उनके पिता गुरमीत सिंह, मां हरजीत कौर और बड़ी बहन जसपिंदर कौर हैं। ewn24news की तरफ से शहीद जवानों को भावभीनी श्रद्धांजलि।