पालमपुर। हिमाचल के कांगड़ा जिला के पालमपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत ग्राम पंचायत द्रोगनु के गांव द्रोवी के आर्मी जवान प्रवीण कुमार (32) की सड़क हादसे में जान चली गई है। सैनिक प्रवीण कुमार अरुणाचल प्रदेश में ग्रीफ रेजिमेंट में तैनात थे। सैनिक का शनिवार को पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। बेटे ने सैनिक प्रवीण कुमार की चिता का मुखाग्नि दी। अंतिम यात्रा में मुख्य संसदीय सचिव (शहरी विकास एवं शिक्षा) आशीष बुटेल शामिल हुए।
सैनिक प्रवीण कुमार के घर में माता-पिता, पत्नी, भाई और बेटा और बेटी हैं। सैनिक प्रवीण कुमार की माता का नाम हिमा देवी है और पिता का सोहन लाल है। पत्नी रिंपला देवी, 6 साल का बेटा रियांश और तीन साल की बेटी आदविक है। भाई का नाम गगन है।
लंज। अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा पर ड्यूटी के दौरान ग्लेशियर से पैर फिसलने पर खाई में गिरकर शहीद हुए जवान रोहित कुमार का वीरवार को राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार कर दिया गया।
शहीद जवान रोहित कुमार हिमाचल के कांगड़ा जिला के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत लंज खास का निवासी था।
आज जब शहीद रोहित कुमार की पार्थिव देह लंज स्कूल के पास से गुजरी तो छात्रों ने सैल्यूट कर शहीद जवान रोहित कुमार श्रद्धांजलि दी।
छात्रों ने ही नहीं उस स्कूल ने भी जरूर शहीद रोहित कुमार को श्रद्धांजलि दी होगी, जहां रोहित कुमार ने प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी और इन्हीं छात्रों की तरह कभी घर से वर्दी पहनकर और बैग लेकर सहपाठियों के साथ स्कूल पहुंचता था और मस्ती करता था।
लंज स्कूल के छात्रों को शिक्षकों ने सड़क किनारे खड़े होकर शहीद रोहित कुमार को फूल बरसाकर श्रद्धांजलि दी। बता दें कि परिजनों और गांव वालों ने नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई दी।
रोहित की बहन रीता देवी ने अपने भाई को मुखाग्नि दी। एडीसी कांगड़ा रोहित जस्सल, तहसीलदार कांगड़ा मोहित रतन पंचायत प्रधान रेखा देवी और बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
गुरुवार सुबह जब रोहित कुमार की पार्थिव देह लंज खास पहुंची तो हर तरफ “रोहित कुमार अमर रहे” और “जब तक सूरज चांद रहेगा रोहित तुम्हारा नाम रहेगा” के नारे गूंज उठे। रोहित की मां अपने लाल को तिरंगे में लिपटा देख खुद को संभाल नहीं पाईं और फूट-फूट कर रोने लगीं।
रोहित कुमार वर्ष 2018 में भारतीय सेना में भर्ती हुए था और पूर्वोत्तर अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा पर ड्यूटी पर तैनात था। रोहित की अभी शादी नहीं हुई थी। रोहित के घर में उनकी मां और बहन है।
पति द्वारा तलाक दिए जाने के बाद उसकी माता रानी देवी ने बेटे रोहित कुमार व बेटी रीता देवी को मायके में रहते हुए लोगों के घरों में काम करके तथा मनरेगा में मजदूरी करके बड़ी मुश्किल से पाला था।
रोहित कुमार अपनी मां की मेहनत को देखते हुए व अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए वर्ष 2018 में आरटी में बतौर सैनिक पालमपुर भर्ती हो गया। रोहित के सेना में भर्ती होने पर परिवार को काफी उम्मीदें थीं।
रोहित के मामा पवन कुमार ने बताया कि रोहित पिछले दो महीने पहले ही 3 नवंबर को छुट्टी काट कर गया था। अगली छुट्टी में आलीशान मकान बनाने का सपना दिखाकर घर से निकले रोहित कुमार का सपना अधूरा ही रह गया।
लंज। जिस बेटे के सिर पर सेहरा सजाने का सपना मां देख रही थी आज उसी बेटे को दूल्हे की तरह सजाकर अंतिम विदाई दी। कांगड़ा जिला के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत लंज खास के जवान रोहित कुमार का आज अंतिम संस्कार किया गया।
मां फूट-फूटकर रो रही थी। सोचा था कि बेटे के सिर पर सहरा सजाएगी और बारात में खूब नाचेगी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। बेटा शेरवानी की जगह तिरंगे में लिपटा घर आया और मां ने बारात नहीं अंतिम विदाई के लिए बेटे को दूल्हे की तरह सजाया।
वहीं, जिन हाथों से बहन ने इतने साल राखी बांधी आज उन्ही हाथों से अपने इकलौते भाई की चिता को मुखाग्नि दी। मां-बेटी के लिए ये पल कितना दर्द भरा रहा होगा इसका एहसास कर पाना भी मुश्किल है।
अपनी मां को अच्छा जीवन दिखाने और आलीशान घर बनाने का सपना लेकर रोहित घर से निकला था, लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। आज रोहित की पार्थिव देह के साथ इन तीनों के सपने भी पंचतत्व में विलीन हो गए।
बता दें कि रोहित कुमार अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा पर शहीद हुआ। अटलरी बटालियन में तैनात 25 वर्षीय रोहित कुमार का ड्यूटी के दौरान ग्लेशियर पर पैर फिसला और वह गहरी खाई में जा गिरा।
जब तक उसको वहां से निकाला गया तब तक रोहित शहीद हो चुका था। शहीद रोहित कुमार की प्रारंभिक शिक्षा लंज स्कूल से हुई थी। रोहित कुमार वर्ष 2018 में भारतीय सेना में भर्ती हुए था और पूर्वोत्तर अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा पर ड्यूटी पर तैनात था।
पति द्वारा तलाक दिए जाने के बाद उनकी माता रानी देवी ने बेटे रोहित कुमार व बेटी रीता देवी को मायके में रहते हुए लोगों के घरों में काम करके तथा मनरेगा में मजदूरी करके बड़ी मुश्किल से पाला था।
रोहित के सेना में भर्ती होने पर परिवार को काफी उम्मीदें थीं। रोहित 3 नवंबर को छुट्टी काट कर गया था।
अगली छुट्टी में आलीशान मकान बनाने का सपना दिखाकर घर से निकले रोहित कुमार का सपना अधूरा ही रह गया। शहीद के मामा शमशेर ने प्रदेश सरकार से मांग उठाई है कि घर को चलाने वाला चिराग नहीं रहा।
अब परिवार का गुजारा चला पाना मुश्किल है। साथ ही, उन्होंने प्रदेश सरकार व विधायक केवल पठानिया के समक्ष मांग उठाई है कि शहीद की बहन को किसी नौकरी का प्रावधान किया जाए।
परिजनों और गांव वालों ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई
लंज। कांगड़ा जिला के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत लंज खास का जवान रोहित कुमार पंचतत्व में विलीन हो गया। अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा पर देश सेवा के दौरान जान गंवाने वाले शहीद रोहित कुमार का अंतिम संस्कार गुरुवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
इस दौरान परिजनों और गांव वालों ने नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई दी। युवाओं ने रानीताल से लेकर शहीद के घर तक क्षेत्र के युवाओं ने शहीदी रैली निकाली। साथ ही अंतिम धाम पर आरटी बटालियन द्वारा सलामी दी गई।
रोहित की बहन रीता देवी ने अपने भाई को मुखाग्नि दी। एडीसी कांगड़ा रोहित जस्सल, तहसीलदार कांगड़ा मोहित रतन, पंचायत प्रधान रेखा देवी और बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
गुरुवार सुबह जब रोहित कुमार की पार्थिव देह लंज खास पहुंची तो हर तरफ “रोहित कुमार अमर रहे” और “जब तक सूरज चांद रहेगा रोहित तुम्हारा नाम रहेगा” के नारे गूंज उठे। रोहित की मां अपने लाल को तिरंगे में लिपटा देख खुद को संभाल नहीं पाईं और फूट-फूट कर रोने लगीं।
बता दें कि रोहित कुमार अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा पर शहीद हुआ। अटलरी बटालियन में तैनात 25 वर्षीय रोहित कुमार का ड्यूटी के दौरान ग्लेशियर पर पैर फिसला और वह गहरी खाई में जा गिरा।
जब तक उसको वहां से निकाला गया तब तक रोहित शहीद हो चुका था। रोहित को परिजनों को फोन के माध्यम से जब ये सूचना मिली तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। जवान की मौत की खबर से पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई।
शहीद रोहित कुमार की प्रारंभिक शिक्षा लंज स्कूल से हुई थी। रोहित कुमार वर्ष 2018 में भारतीय सेना में भर्ती हुए था और पूर्वोत्तर अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा पर ड्यूटी पर तैनात था।
जवान रोहित कुमार की अभी शादी नहीं हुई थी। रोहित के घर में उनकी मां और बहन है। पति द्वारा तलाक दिए जाने के बाद उनकी माता रानी देवी ने बेटे रोहित कुमार व बेटी रीता देवी को मायके में रहते हुए लोगों के घरों में काम करके तथा मनरेगा में मजदूरी करके बड़ी मुश्किल से पाला था।
अपनी मां की मेहनत को देखते हुए व अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए रोहित कुमार वर्ष 2018 में आरटी में बतौर सैनिक पालमपुर में भर्ती हो गया। रोहित के सेना में भर्ती होने पर परिवार को काफी उम्मीदें थीं।
रोहित के मामा ने बताया कि रोहित 3 नवंबर को छुट्टी काट कर गया था। अगली छुट्टी में आलीशान मकान बनाने का सपना दिखाकर घर से निकले रोहित कुमार का सपना अधूरा ही रह गया।
शहीद के मामा शमशेर ने प्रदेश सरकार से मांग उठाई है कि घर को चलाने वाला चिराग नहीं रहा। अब परिवार का गुजारा चला पाना मुश्किल है। साथ ही उन्होंने प्रदेश सरकार व विधायक केवल पठानिया के समक्ष मांग उठाई है कि शहीद की बहन को किसी नौकरी का प्रावधान किया जाए।
प्रशासन की तरफ से एडीसी कांगड़ा सौरभ जसल, डीएसपी कांगड़ा अंकित शर्मा, तहसीलदार कांगड़ा मोहित रत्न, सरकार की तरफ से केवल सिंह पठनिया के भाई डॉक्टर सुनीत पठनिया, पूर्व सैनिक लीग ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल कैप्टन वंदराल, सोशल मीडिया अध्यक्ष विनय ठाकुरआदि शहीद के अंतिम संस्कार के दौरान पहुंचे।
शिमला। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में दुश्मनों के साथ लोहा लेते शहीद हुए सिपाही पवन कुमार का अंतिम संस्कार गुरुवार को सैन्य सम्मान के साथ कर दिया गया है। शहीद पवन कुमार की पार्थिव देह गुरुवार सुबह जब रामपुर पहुंची तो हर तरफ पवन कुमार अमर रहे के नारे गूंज उठे। शहीद के अंतिम दर्शन करने के लिए रामपुर में जनसैलाब उमड़ पड़ा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष एवं लोक सभा सांसद प्रतिभा सिंह, स्थानीय विधायक नंद लाल सहित स्थानीय प्रशासन एवं आर्मी के अधिकारी भी शहीद को श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
रामपुर में सैकड़ों लोगों ने शहीद पवन कुमार धंगल को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इसके बाद पार्थिव देह करीब 2:30 बजे पैतृक गांव पिथवी में पहुंची। यहां पर शहीद के परिजनों और गांव वालों ने नम आंखों से वीर जवान को अंतिम विदाई दी। इसके बाद पूरे सैन्य सम्मान के साथ शहीद पवन कुमार का अंतिम संस्कार किया गया।
गौर हो कि हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला स्थित रामपुर की किन्नु पंचायत के पिथवी गांव का जवान पवन कुमार दंगल पुलवामा में 28 फरवरी को हुए आतंकी हमले में शहीद हुआ है। 26 वर्षीय पवन कुमार 55वीं राष्ट्रीय राइफल ग्रेनेडियर में बतौर सिपाही तैनात था। वह 2015 में सेना में भर्ती हुआ था। पवन घर का इकलौता चिराग था। पिता शिशुपाल लोक निर्माण विभाग में कार्यरत हैं, जबकि माता भजन दासी गृहिणी हैं। बहन प्रतिभा की शादी हो चुकी है।
पवन के शहीद होने की सूचना मिलते ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मां रोजाना की तरह खेत में काम कर रही थी, जबकि पिता अपनी ड्यूटी पर गए थे। बेटे की शहादत की खबर से दोनों को ही कुछ समय के लिए सदमा सा लग गया। खबर मिलते ही पवन के पिता व अन्य सदस्य जम्मू-कश्मीर के लिए निकल गए। बुधवार को सेना की तरफ से शहीद को अंतिम विदाई दी गई जिसके बाद पार्थिव देह चंडीगढ़ के लिए रवाना की गई।
जनवरी में पवन के चचेरे भाई की मौत हो गई थी। इस दौरान वह छुट्टी पर घर आया था। 7 फरवरी को ही पवन ड्यूटी के लिए वापस लौटा था। इस दौरान उसने जल्द छुट्टी पर आने की बात कही थी, लेकिन उसे क्या पता था कि अब वह कभी घर लौटेगा तो तिरंगे में लिपट कर। ewn24news choice of himachal भारत मां की सेवा में शहीद पवन कुमार को सलाम करता है।