शिमला। हिमाचल प्रदेश विधान सभा का बजट सत्र शुरू हो गया है। बजट सत्र की शुरुआत राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल के अभिभाषण से हुई। राज्यपाल कांग्रेस सरकार की 13 महीने की उपलब्धियों को सदन में रखेंगे। कल यानी 15 फरवरी से राज्यपाल के अभिभाषण पर दो दिन चर्चा होगी। यह 14वीं विधानसभा का दूसरा बजट सत्र और पांचवां विधानसभा सत्र है।
बता दें कि इस बजट सत्र में 13 बैठकें रखी गई हैं। बजट सत्र 29 फरवरी तक चलेगा। लोकसभा चुनाव की आहट से पहले बजट सत्र को लेकर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष आमने-सामने हैं, जिसके चलते सत्र हंगामेदार रह सकता है।
17 फरवरी को सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने कार्यकाल का दूसरा बजट पेश करेंगे। उसके बाद चार दिन तक बजट पर चर्चा होगी। 22 और 26 फरवरी को गैर सरकारी कार्य दिवस निर्धारित किया गया है। 26, 27 और 29 को अनुदान मांगों पर चर्चा की जाएगी।
इसी के साथ 29 फरवरी को बजट पारित कर दिया जाएगा। इस बार विधानसभा सदस्यों द्वारा अभी तक कुल 793 प्रश्नों की सूचनाएं भेजी गई हैं, जिनमें 582 तारांकित और 209 आतारांकित प्रश्नों की सूचनाएं प्राप्त हुई हैं। नियम 130 के अंतर्गत 8 सूचनाएं प्राप्त हुई हैं।
शिमला। हिमाचल की सुक्खू सरकार का दूसरा बजट सत्र 14 फरवरी, 2024 से शुरू हो रहा है। हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में 13 बैठकें रखी गई हैं। बजट सत्र 29 फरवरी तक चलेगा। सत्र को लेकर विधानसभा सचिवालय ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। लोकसभा चुनाव की आहट से पहले बजट सत्र को लेकर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष आमने-सामने हैं, जिसके चलते सत्र हंगामेदार रह सकता है।
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने पत्रकार वार्ता में बताया कि 17 फरवरी को सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने कार्यकाल का दूसरा बजट पेश करेंगे। उसके बाद चार दिन तक बजट पर चर्चा होगी। 22 और 26 फरवरी को गैर सरकारी कार्य दिवस निर्धारित किया गया है। 26, 27 और 29 को अनुदान मांगों पर चर्चा की जाएगी।
इसी के साथ 29 फरवरी को बजट पारित कर दिया जाएगा। कुलदीप पठानिया ने बताया कि इस बार विधानसभा सदस्यों द्वारा अभी तक कुल 793 प्रश्नों की सूचनाएं भेजी गई हैं, जिनमें 582 तारांकित और 209 आतारांकित प्रश्नों की सूचनाएं प्राप्त हुई हैं। नियम 130 के अंतर्गत 8 सूचनाएं प्राप्त हुई हैं।
हिमाचल को हरित प्रदेश बनाने की दिशा में कौन से कदम उठाए
शिमला।नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को देश का पहला हरित राज्य बनाने का दावा कहां गया। शपथ ग्रहण से लेकर बजट तक मुख्यमंत्री ने हिमाचल को देश का पहला हरित राज्य बनाने को लेकर बड़ी-बड़ी बातें कहीं थीं। सरकार बने 9 महीने और विधानसभा में बजट को आए लगभग 7 महीने का समय बीत गया है।
इस दौरान सरकार ने हिमाचल को हरित प्रदेश बनाने की दिशा में कौन से कदम उठाए हैं। इस बात का जवाब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को देना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री ने प्रदेश को हरित ऊर्जा प्रदेश बनाने की बातें कर खूब वाहवाही लूटी। मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी और इसके बाद सब कुछ भूल गए। सरकार के गठन को नौ महीने का समय हो गया है, लेकिन इस दिशा में मुख्यमंत्री द्वारा एक भी प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि हरित ऊर्जा प्रदेश का भविष्य है और प्रदेश में हरित ऊर्जा के लिए अपार संभावनाएं हैं। इसलिए हरित ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश को अग्रणी राज्य बनाने के लिए सरकार को गंभीर प्रयास करने चाहिए। सरकार में बैठे लोगों को इधर- उधर की बात करने की जगह वादे पूरे करें।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में डेढ़ हज़ार इलेक्ट्रिक बसों का बेड़ा एचआरटीसी में शामिल करने और निजी बसों के संचालकों को इलेक्ट्रिक वाहन लेने पर सब्सिडी देने की घोषणा थी। अब तक सरकार इस मामले में क्या कर पाई है। परिवहन मंत्री प्रदेश को बताएं कि कितने निजी बस संचालकों को यह सब्सिडी अब तक दी गई है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने अगले नौ महीने में 200 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का लक्ष्य रखा था। 2024 के अंत तक 500 मेगावॉट के सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना करने और हर जिले की 2 पंचायत को ग्रीन पंचायत के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी।
इसके लिए 250 किलोवॉट से लेकर 2 मेगावॉट के सोलर प्लांट लगाने के लिए राज्य सरकार ने 40 प्रतिशत सब्सिडी देने और उत्पादित बिजली को खरीदने के लिए भी कहा था। मुख्यमंत्री बताएं कि वह अब तक कितने लोगों को प्लांट सब्सिडी दे चुके हैं और कितनी बिजली खरीद चुके हैं।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बजट भाषण में छात्राओं को इलेक्ट्रिक स्कूटी खरीदने पर 25 हजार की सब्सिडी देने की बात कही थी। सीएम बताएं कि इन छह महीनों में कितनी छात्राओं को स्कूटी के लिए सब्सिडी मिली है।
शिमला।हिमाचल भाजपा ने वर्तमान कांग्रेस सरकार पर शराब माफिया के दबाव में काम करने का आरोप जड़ा है। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता एवं श्री नैना देवी से विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि मार्च महीने के बाद हिमाचल प्रदेश में अनेकों नई जगहों पर शराब के ठेके खुल रहे हैं। कई जगह पंचायतों के एनओसी लिए बिना भी शराब के ठेके खुले हैं।
इन ठेकों का वहां की जनता विशेषकर महिला मंडल जबरदस्त विरोध कर रही हैं, परंतु जब प्रशासन से बात होती है तो वह कहते हैं कि यह शराब के ठेके नहीं सब ठेके हैं और इनके लिए पंचायतों की एनओसी की आवश्यकता नहीं है।
इस तरह के जो नियम वर्तमान सरकार ने बनाए हैं, यह पूर्ण रूप से शराब माफिया को लाभ देने के लिए है, इसकी भारतीय जनता पार्टी कड़ी निंदा करती है। इन अनुचित नियमों की आड़ में शराब के ठेकेदारों ने जगह-जगह शराब के ठेके और अहाते खोलना शुरू कर दिए हैं, जिसके कारण हिमाचल प्रदेश की स्वरूप और भावना बिगड़ रही है।
हिमाचल भाजपा का मानना है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार वैसे तो नशे के खिलाफ अभियान चला रही है, जिसका भारतीय जनता पार्टी समर्थन करती है। दूसरी तरफ यह सरकार शराब माफिया के दबाव में काम कर रही है, सबको तो यह भी लग रहा है कि नशे के खिलाफ इनका अभियान एक नौटंकी तो नहीं है।
उन्होंने कहा कि किरतपुर-मनाली फोरलेन का अभी उद्घाटन भी नहीं हुआ है और अभी उस फोरलेन पर चाय की दुकानें भी नहीं है। परंतु शराब के ठेके खुल चुके हैं, एक फोरलेन पर जगह-जगह शराब के ठेके बड़ी संख्या में खुले हैं। भाजपा पूछना चाहती है कि क्या यह ठेके नियमों के तहत खुले हैं? परमिशन लेकर खुले हैं? सरकार इस सभी ठेकों की जांच करे और जो हिमाचल प्रदेश में शराब को लेकर पॉलिसी बनी है, उसको सख्ती से लागू करना चाहिए।
रणधीर शर्मा ने कहा कि ऐसा भी हमारे समक्ष आया है कि कई शराब के ठेकेदार सरकार को धोखा दे रहे हैं और पैसे बचाने का कार्य कर रहे हैं। नई एक्साइज पॉलिसी के अंतर्गत जिन लोगों को ठेके मिले हैं, वे समय पर अपनी फीस भी डिपाजिट नहीं कर रहे हैं, इसकी भी सरकार इंक्वायरी करें। ठेकेदार अपने पुराने टेंडर के पैसे ना भर के अपने रिश्तेदारों के नाम पर भी नए टेंडर ले चुके हैं, सरकार को इसकी भी उचित जांच करनी चाहिए।
शिमला।केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश सरकार की कर्ज की सीमा को 14,500 करोड़ से घटाकर 9,000 करोड़ सालाना कर दिया है। वहीं, विदेशी बैंकों द्वारा फंडेड विभिन्न योजनाओं की लिमिट भी तय कर दी है, जिससे हिमाचल प्रदेश का विकास आने वाले दिनों में प्रभावित होने वाला है। कांग्रेस उपाध्यक्ष और मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा कि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मोदी सरकार ने प्रदेश सरकार की कर्ज सीमा को घटा दिया है, जबकि सीमा बढ़नी चाहिए थी।
वहीं, विदेशी बैंकों द्वारा वित्तपोषित योजनाओं की लिमिट भी तय कर दी है, जिससे हिमाचल प्रदेश की विकास योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं, लेकिन सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार इस चुनौती से लड़ने के लिए भी तैयार है।
नरेश चौहान ने कहा कि संसाधनों को बढ़ाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। वाटर सेस भी उनमें से एक निर्णय है, जिससे प्रदेश के राजस्व में वृद्धि होगी। केंद्र सरकार हिमाचल के विकास को रोकने में लगी है, लेकिन हिमाचल सरकार प्रदेश के विकास को थमने नहीं देगी।
शिमला।हिमाचल में एक बार फिर बेनामी पत्र चर्चा बना हुआ है। पहली की सरकारों में भी ऐसे पत्र जारी होते रहे हैं। अब सुक्खू सरकार के समय भी ऐसा एक बेनामी पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं।
बताया जा रहा है कि सीएम कार्यालय के ही एक कर्मचारी ने यह पत्र प्रधानमंत्री को लिखा गया है। इसमें करोड़ों के पैसे के लेन देन के आरोप लगाए गए हैं। इसकी जांच केंद्रीय जांच एजेंसियों से करवाने की मांग की गई है। वहीं, इसको लेकर विपक्ष भी मुखर हो गया है और मुख्यमंत्री से इस मामले की जांच करवाने की मांग की जा रही है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की ओर से मुख्यमंत्री से इस मामले में छानबीन कर हकीकत हिमाचल की जनता के समक्ष रखने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय से संबंधित अधिकारी पर आरोप लगे हैं और इसको लेकर लिखित रूप से एक पत्र भी काफी वायरल हो रहा है और पूरे प्रदेश में इसको लेकर चर्चा हो रही है। हालांकि, पत्र किसने लिखा है, उसकी जानकारी नहीं है, लेकिन यह विषय जांच का बनता है और मुख्यमंत्री जांच करें और लोगों के बीच स्पष्ट करें कि क्या तथ्य हैं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल सचिवालय में काफी समय से कर्मचारियों पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री इस मामले की छानबीन करवाएं और लोगों के सामने प्रस्तुत करें कि इन आरोपों में कितनी सच्चाई है। हालांकि आज से पहले भी कई गुमनाम पत्र चलते थे, लेकिन इसमें गंभीर आरोप लगे हैं।
उधर, मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा है कि पत्र में कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने कहा कि पत्र पर किसी का नाम नहीं है। यह प्रमाणित नहीं है। अगर किसी को शिकायत है तो वह नाम सहित एजेंसियों को शिकायत करें। मुख्यमंत्री कार्यालय में भी ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। उन्होंने मामले की जांच को लेकर कहा कि सोशल मीडिया पर चलने बाली चीजों की जांच करने में लग जाएंगे तो बड़ा मुश्किल हो जाएगा। सरकार लोगों की सेवाओं के लिए है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की आम आदमी छवि लोगों को पसंद आई है। वह सच में कॉमन मैन हैं।
शिमला।नगर निगम शिमला के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फर्जी वोट बनाकर जीत तो हासिल कर ली है, लेकिन अभी तक मेयर और डिप्टी मेयर पर कांग्रेस निर्णय नहीं कर पाई है, जो कांग्रेस पार्टी के भीतर की गुटबाजी का बड़ा उदाहरण है। कांग्रेस पार्टी गुटों में बंटी हुई है और लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी की गारंटियों की पोल खुल जाएगी। चारों सीटों पर भाजपा को जीत मिलेगी। यह बात पूर्व मंत्री और भाजपा नेता बिक्रम सिंह ठाकुर ने शिमला में कही है।
बिक्रम सिंह ठाकुर ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार में समन्वय नहीं है और पूरी सरकार एक हफ्ते से दिल्ली में बैठी है, जिससे प्रदेश में विकास कार्य ठप पड़े हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कई बार कह भी चुके हैं कि जिन्होंने काम किया वो सत्ता में फिर से नहीं लौटे तो काम करके क्या होगा। शायद इसी सोच को लेकर मुख्यमंत्री आगे बढ़ रहे हैं और विकास कार्य नहीं कर रहे हैं।
बिक्रम सिंह ठाकुर ने कहा कि कांगड़ा के साथ सरकार ने पहले ही अन्याय कर दिया है। केवल एक मंत्री ही कांगड़ा से बनाया गया है, जबकि सबसे बड़ा जिला कांगड़ा है। मुख्यमंत्री यह समझ नहीं पा रहे कि किसको मंत्री बनाया जाए और किसे नाराज किया जाए। 2024 के लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस की सच्चाई जनता के सामने आ जाएगी और भाजपा लोकसभा की चारों सीटों पर जीत दर्ज करेगी।
शिमला।हिमाचल में सामान्य तबादलों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है। इस बारे आदेश जारी कर दिए हैं। बैन के दौरान किसी भी विभाग, बोर्ड, निगम और यूनिवर्सिटी आदि में संबंधित मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के मंजूरी के बिना कोई तबादला और ए़डजस्टमेंट नहीं हो सकेगी।
हिमाचल में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह की पूर्व अनुमति के बाद ट्राइबल/डिफिक्लट/हार्ड एरिया में खाली पद भरने, सेवानिवृत्ति, प्रमोशन और सृजित नए पदों के मामलों में तबादले हो सकते हैं।
इसके अलावा विजिलेंस केस, आपराधिक कार्रवाई से संबंधित और प्रशासनिक आधार और आकस्मिकताओं से जुड़े मामले में ही ट्रांसफर हो सकेगी।
शिमला। हिमाचल की सुक्खू सरकार ने सीपीएस (CPS) मोहन लाल ब्राक्टा, राम कुमार, आशीष बुटेल और किशोरी लाल को विभागों के साथ अटैच किया है। इस बारे आज आदेश जारी कर दिए गए हैं।
जारी आदेशों में सीपीएस(CPS) मोहन लाल ब्राक्टा को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ विधि विभाग, सीपीएस (Chief Parliamentary Secretaries) उद्योग मंत्री के साथ संसदीय मामले विभाग और राजस्व मंत्री के साथ बागवानी विभाग में अटैच किया है। राम कुमार को मुख्यमंत्री के साथ टीसीपी, उद्योग मंत्री के साथ उद्योग और राजस्व मंत्री के साथ राजस्व विभाग में अटैच किया है।
आशीष बुटेल को मुख्यमंत्री के साथ शहरी विकास, शिक्षा मंत्री के साथ एलीमेंटरी और हायर एजुकेशन विभाग के साथ अटैच किया गया है। किशोरी लाल को कृषि मंत्री के साथ पशुपालन विभाग, पंचायती राज मंत्री के साथ ग्रामीण और पंचायती राज विभाग के साथ अटैच किया है। सीपीएस (CPS) सुंदर सिंह ठाकुर और संजय अवस्थी को पहले ही विभागों के साथ अटैच कर दिया गया है।
बोले-जनहित व कर्मचारी हित में उठाया गया सराहनीय कदम
शिमला। हिमाचल प्रदेश सयुंक्त कर्मचारी महासंघ एवं हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा है कि सरकार द्वारा पूर्व सरकार के छह महीनों के निर्णयों की समीक्षा करना जनहित एवं कर्मचारी हित में उठाया गया सराहनीय कदम है, जिसकी संघ सराहना करता है। चौहान ने कहा कि भाजपा सरकार ने अंतिम 6 महीनों में बिना किसी बजट का प्रावधान किए राजनीतिक फायदा लेने के लिए धड़ल्ले से संस्थानों व कार्यालयों को खोलने व स्थानांतरण अंतर करने का बिना सोचे समझे काम किया, जिसमें ना तो किसी तरह की व्यवस्था को तैयार किया गया और ना ही बजट का प्रावधान किया गया।
इससे ना तो पहले से कार्यरत संस्थान सही तरीके से काम कर पाए और ना ही नए खोले गए कार्यालय एवं संस्थानों को सही तरीके से चलाया जा सका। इससे एक और जहां कर्मचारी पशोपस्त की स्थिति में रहा, वहीं सरकारी कार्य भी बाधित रहे, जिससे आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ा।
चौहान ने कहा कि हिमाचल में पूर्व सरकार ने अनगिनत ऐसे शिक्षण संस्थानों को खोला व अपग्रेड किया, जिसका कोई औचित्य नहीं था, लेकिन वहां पर ना तो इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रावधान किया गया और ना ही स्टाफ की व्यवस्था की गई। दिखावा करने के लिए कुछ शिक्षकों का स्थानांतरण कर इन संस्थानों को चलाने का प्रयास तो किया गया, लेकिन पहले से चल रहे शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे बच्चों को भारी क्षति का सामना करना पड़ा।
इससे ना तो पहले से चल रहे शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई हो पाई और ना ही नए खोले गए संस्थानों में बच्चे दाखिल हो पाए और ना ही उनकी पढ़ाई हो पाई। चौहान ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पहले से ही जरूरत से ज्यादा शिक्षण संस्थान खोले गए हैं और अधिक शिक्षण संस्थान खोलने की आवश्यकता हिमाचल जैसे छोटे राज्य में नहीं है।