शिमला। हिमाचल प्रदेश में 108 व 102 एंबुलेंस के पहिए थम सकते हैं। 108 व 102 एंबुलेंस यूनियन हड़ताल पर जा सकती है। यूनियन का कहना है कि सरकार से न्यूनतम वेतन को लेकर कई बार मांग उठाई है, लेकिन इसे अनसुना किया गया है। अगर 24 घंटे के अंदर उनकी मांग पर गौर नहीं किया जाता है, तो वे मजबूरन 24 घंटे की हड़ताल पर जाएंगे।
108 व 102 एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष पूर्ण चंद ने कहा कि हिमाचल की पूर्व की भाजपा सरकार में भी अपनी मांगों को लेकर यूनियन ने हड़ताल की थी, जिसके बाद कंपनी को हटा दिया गया। वर्तमान में कंपनी न्यूनतम वेतन देने के लिए फॉर्म 5 मांग रही है, लेकिन सरकार इसे नहीं दे रही है, जिससे कर्मचारी काफी परेशान हो रहे हैं।
उन्होंने बताया कि वह मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री से मिले हैं। उन्होंने एनएचएम को बैठक करने के लिए कहा था, लेकिन एक महीने बाद भी उनकी मांगों को लेकर कुछ नहीं हुआ है। अथॉरिटी ने उनका न्यूनतम वेतन 17235 रुपए तय किया है, लेकिन उन्हें 13500 रुपए ही मिल रहे हैं।
हिमाचल में 1800 के करीब कर्मचारी हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सभी विषयों को जानते हैं। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उनके समक्ष भी यह विषय कई बार उठाया गया, लेकिन आज अधिकारी सही तरीके से बात सरकार के समक्ष नहीं रख रहे हैं।
उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 24 घंटे के अंदर उनकी मांग को नहीं माना जाता है तो वह मजबूरन डीसी के माध्यम से ज्ञापन सौंपेंगे और 24 घंटे की हड़ताल पर भी जा सकते हैं।
शिमला। एक तरफ जहां एचआरटीसी कर्मियों को तोहफा मिला है तो निगम की बसों में सफर करने वाले यात्रियों और छात्रों के लिए अच्छी खबर है। शिमला में एचआरटीसी की कैशलेस टिकट प्रणाली और स्कूल व कॉलेज के छात्रों के लिए ऑनलाइन स्टूडेंट बस पास सेवा की शुरुआत कर दी गई है।
यात्री अब यूपीआई (UPI), क्यू आर कोड (QR Code), क्रेडिट व डेबिट कार्ड के माध्यम से भी एचआरटीसी (HRTC) बसों में किराया दे पाएंगे। हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों को बेहतर परिवहन सेवाएं देने की दृष्टि से शिमला से जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट तक पहली “शटल ट्रैवलर सेवा” को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया है। राजधानी शिमला में एचआरटीसी से जुड़ी इन सेवाओं की शुरुआत डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने की है।
इसके अलावा HRTC के कर्मचारियों को 4 फीसदी डीए (DA) की भी घोषणा की है। एचआरटीसी (HRTC) कर्मचारी काफी लंबे समय से डीए का इंतजार कर रहे थे। कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 28 प्रतिशत से बढ़कर 32 प्रतिशत हो जाएगा। डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि आचार संहिता लगने से पहले इसको लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दी जाएगी।
शिमला। हिमाचल सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनर के वेतनमान व डीए के एरियर को लेकर जारी आदेश वापस ले लिए हैं।
सुक्खू सरकार ने 4 मार्च 2024 को वेतनमान और डीए के एरियर को लेकर आदेश जारी किए थे। इन आदेशों के बाद कर्मचारियों में रोष था। इसके मध्यनजर सरकार ने इन्हें वापस ले लिया है।
बता दें कि सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर को संशोधित वेतनमान और डीए एरियर को लेकर सरकार ने 4 मार्च को आदेश जारी कर थे।
आदेशों के अनुसार संशोधित वेतनमान के एरियर की बात करें तो कुल बकाया का 1.5 प्रतिशत माह मार्च 2024 में देय होना था। 3 प्रतिशत वार्षिक भुगतान वित्तीय वर्ष 2024-25 में किया जाना था, जो प्रति माह कुल बकाया का 0.25 प्रतिशत की दर से वितरित किया जाना था।
वेतनमान में संशोधन का बकाया कर्मचारियों/पेंशनभोगियों के वेतन/पेंशन के साथ मासिक रूप से वितरित किया जाना था। वहीं, वित्तीय वर्ष 2024-25 में नियमित सरकारी कर्मचारियों के वेतन के साथ 1.5 प्रतिशत मासिक की दर से महंगाई भत्ते की बकाया राशि का भुगतान किया जाना था।
यह सुनिश्चित करने को कहा था कि बकाया वेतनमान के बकाया और डीए के बकाया के लिए निर्धारित सीमा से अधिक न होगा। पेंशन/पारिवारिक पेंशन के कुल बकाया का अतिरिक्त 1.5 प्रतिशत मार्च 2024 के महीने में 2016 से पहले के पेंशनभोगियों/पारिवारिक पेंशनभोगियों को वितरित किया जाना था।
वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 2016 से पहले के पेंशनभोगियों/पारिवारिक पेंशनभोगियों को कुल पेंशन/पारिवारिक पेंशन बकाया का 3 प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान किया जाना था।
वित्तीय वर्ष 2024 25 में पेंशन बकाया का 3 प्रतिशत मार्च 2024 की मासिक पेंशन से कुल पेंशन बकाया का 0.25 प्रतिशत किस्तों में दिया जाना तय हुआ था। यह अप्रैल 2024 के महीने में देय होना था। यदि बकाया राशि 5000 रुपये से कम है तो ऐसी बकाया राशि का भुगतान अंतिम किस्त के रूप में एकमुश्त किया जाना था।
1 जुलाई 2022 से 31 मार्च 2024 तक पेंशनर को डीए बकाया की बात करें तो प्रति माह कुल बकाया का 1.5 फीसदी की दर से दिया जाना तय हुआ था। यह भुगतान 1 अप्रैल 2024 से शुरू होना था।
4 मार्च को जारी आदेशों के तहत पेंशनर/फेमिली पेंशनर की मृत्यु होने की स्थिति में पूरी बकाया राशि नामांकित कानूनी उत्तराधिकारी को एकमुश्त अदा की जाना थी। यह राशि इन आदेशों के जारी होने की तारीख से दो महीने के भीतर दी जानी थी।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने बजट सत्र के दौरान मुहैया करवाई जानकारी
शिमला। हिमाचल में कर्मचारियों और पेंशनर के वेतन और पेंशन आदि का 9651 करोड़ रुपए एरियर अभी अदा होना बाकी है। कुल बकाया वेतन और पेंशन आदि का एरियर 10,957 करोड़ रुपए था। इसमें से वेतन, पेंशन एवं ग्रेच्युटी एरियर के प्रथम किस्त के तौर पर लगभग 1306 करोड़ रुपये अदा किए गए हैं।
यह जानकारी हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान बिलासपुर के विधायक त्रिलोक जंवाल के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मुहैया करवाई है।
जवाब में बताया गया कि कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन व पेंशन आदि रिविजन के आदेश 3 जनवरी, 2022 व 25 फरवरी, 2022 को जारी किए गए थे। कर्मचारियों व पेंशनरों को वेतन, पेंशन रिविजन का लाभ प्रथम जनवरी, 2016 से दिया गया है। वेतन व पेंशन आदि का कुल एरियर रुपये 16599 करोड़ था, जिसमें से लगभग 5643 करोड़ रुपए अंतरिम राहत के तौर पर समायोजित हुआ था।
कुल बकाया वेतन एवं पेंशन आदि का एरियर 10957 करोड़ रुपए था। इसमें से वेतन, पेंशन एवं ग्रेच्युटी एरियर के प्रथम किस्त के तौर पर लगभग 1306 करोड़ रुपये (जो वेतन एवं पेंशन एरियर का 20 फीसदी या अधिकतम 50,000 तथा ग्रेच्युटी एरियर का 20 फीसदी था) को सितंबर 2022 में जारी किया गया ।
अब कर्मचारियों और पेंशनरों का लगभग 9651 करोड़ एरियर बकाया है। बकाया एरियर के भुगतान को लेकर 17 फरवरी, 2024 को प्रस्तुत किए गए बजट में घोषणा की गई है। घोषणा के अनुसार सभी कर्मचारियों और पेंशनर्ज के वेतन और पेंशन से संबंधित एरियर का भुगतान चरणबद्ध ढंग से 1 मार्च, 2024 से शुरू कर दिया जाएगा।
1 जनवरी, 2016 से 31 दिसंबर 2021 के बीच रिटायर हुए कर्मचारियों के लीव इनकैशमेंट (Leave Encashment) और ग्रेज्युटी (Gratuity) एरियर्ज का भुगतान भी चरणबद्ध ढंग से 1 मार्च, 2024 से शुरू कर दिया जाएगा।
हमीरपुर। हिमाचल के हमीरपुर में दो सरकारी कर्मचारियों को पांच हजार रिश्वत लेते रंगे हाथ धरा है। स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो ने यह कार्रवाई अमल में लाई है। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के जिला नियंत्रक अरविंद शर्मा ने बताया कि बीते दिन रिश्वत के आरोप में स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा हमीरपुर में पकड़े गए कर्मचारी खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के नहीं हैं।
जिला नियंत्रक ने स्पष्ट किया है कि ये कर्मचारी हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया में प्रकाशित खबरों में ये कर्मचारी खाद्य आपूर्ति विभाग के बताए गए हैं, जोकि सही नहीं है। ये कर्मचारी हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के हैं। जिला नियंत्रक ने बताया कि खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग सीमेंट के भंडारण और वितरण से संबंधित कोई भी कार्य नहीं करता है।
बता दें कि दोनों आरोपी सरकारी सीमेंट की सप्लाई जारी करने के बदले में ठेकदार से रिश्वत मांग रहे थे। ठेकदार ने इसकी शिकायत विजिलेंस अधिकारियों से कर दी। शिकायत मिलने के बाद विजिलेंस हमीरपुर की टीम ने जाल बिछाया और दोनों कर्मचारियों को पकड़ लिया। आरोपियों की पहचान स्टोर कीपर नील कमल और हेल्पर देवेश के रूप में हुई है।
एमडी को हटाने और पुरानी पेंशन बहाली के लिए प्रदर्शन जारी
शिमला। हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर के ज्वाइंट फ्रंट का धरना-प्रदर्शन सोमवार को छठे दिन भी पूरे प्रदेश में बोर्ड कार्यालयों के बाहर भोजनावकाश के दौरान जारी रहा। शिमला में बोर्ड मुख्यालय के बाहर बिजली कर्मचारियों व पेंशनर ने धरना प्रदर्शन जारी रखा। इस अवसर पर फ्रंट के संयोजक लोकेश ठाकुर व सह संयोजक हीरा लाल वर्मा और पेंशनर्ज की ओर से वाईपी सूद, एलआर ठाकुर ने कर्मचारियों को संबोधित किया।
बता दें कि बिजली बोर्ड कर्मचारी, अभियंता व पेंशनर्ज बिजली बोर्ड में एक स्थाई एमडी व पुरानी पेंशन को लागू करने की मांग को लेकर पिछले 6 दिन से संघर्षरत हैं, लेकिन अभी तक मुद्दों का समाधान नहीं हो पाया। इस दौरान एमडी हरिकेश मीणा कुमार हाउस में उपस्थित थे, लेकिन ज्वाइंट फ्रंट ने संयंम से काम लेते हुए भीड़ को संभाला। हालांकि प्रशासन द्वारा कर्मचारियों को डराने धमकाने की कोशिश भी की गई। इससे कर्मचारियों में भारी रोष दिखा।
प्रदेश भर में गेट मीटिंग को विराम देते हुए बड़े आंदोलन की ओर बढ़ने का फैसला लिया है। इसके तहत 11 जनवरी, 2024 को मार्च टू शिमला की कॉल दी गई है। इस दिन प्रदेश भर से हजारों बिजली कर्मचारी, अभियंता व पेंशनर्ज शिमला पहुंचेगे।
सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने कहा कि वर्तमान एमडी को अगर सरकार तुरंत नहीं हटाती तो आंदोलन को और तेज किया जएगा। ज्वाइंट फ्रंट का आरोप है कि बिजली बोर्ड की परिस्थितियों को बिगाड़ने व पुरानी पेंशन बहाल न होने के लिए वर्तमान एमडी का सबसे बड़ा योगदान है। इन्हें तुरंत बोर्ड़ से हटाया जाना चाहिए।
शिमला। जनवरी माह की 3 तारीख हो गई है और हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को सैलरी और पेंशनर को पेंशन नहीं मिल पाई है। बिजली बोर्ड कर्मचारियों का दावा है कि बिजली बोर्ड के इतिहास में 52 साल में पहली बार सैलरी में देरी हुई है। बिजली बोर्ड कर्मचारियों के लिए ओपीएस भी बहाल नहीं हो सकी है। मार्च के बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों को लीव इनकैशमेंट और ग्रेज्युटी नहीं मिली है।
नई परियोजनाओं का निर्माण नहीं हो सका और बिजली बोर्ड के पास बिजली मीटर तक नहीं हैं। अगर बिजली बोर्ड कर्मचारियों की मानें तो इसके पीछे कारण मुफ्त बिजली और बोर्ड में स्थाई एमडी की नियुक्ति नहीं होना है। शिमला बिजली बोर्ड मुख्यालय कुमार हाउस के बाहर कर्मचारियों के प्रदर्शन के बाद हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड कर्मचारी व इंजीनियर ज्वाइंट फ्रंट के सह संयोजक हीरा लाल ने कहा कि बिजली बोर्ड की वित्तीय स्थिति कैसे बिगड़ी है, यह सबसे बड़ा सवाल है।
बिजली बोर्ड से करीब 50 हजार परिवार जुड़े हैं। इसमें करीब 29 हजार पेंशनर और 15 से 16 हजार कर्मचारी हैं। बोर्ड करीब 26 लाख उपभोक्ताओं को बिजली देता है। बदहाली का कारण वर्तमान और पूर्व राज्य सरकारें हैं। 125 यूनिट बिजली फ्री के चक्कर में ऐसा वक्त आया है। अक्टूबर से दिसंबर तक सरकार से मिलने वाली करीब 1200 करोड़ रुपए की सबसिडी बिजली बोर्ड को नहीं मिल सकी है। इसके चलते 52 साल में पहली बार पहली तारीख को पेंशनर को पेंशन और कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिल सकी है।
वहीं, इन हालातों के लिए बिजली बोर्ड प्रबंधन भी दोषी है। बिजली बोर्ड एमडी के पद पर 9 माह से अतिरिक्त चार्ज है। एमडी हरिकेश मीणा बिजली बोर्ड को समय नहीं दे पा रहे हैं। परियोजनाओं का निर्माण नहीं हो सका है। बोर्ड के बिजली मीटर तक नहीं हैं। ओपीएस की बहाली नहीं हो सकी है। अब तक कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिली है। यहां तक की मार्च के बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों को लीव इनकैशमेंट और ग्रेज्युटी भी नहीं मिल सकी है।
अगर बिजली बोर्ड कर्मचारियों की बात मानें तो फ्री बिजली भी बदहाली का कारण है। अभी हिमाचल में 125 यूनिट बिजली फ्री दी जा रही है, तभी ऐसे हालात हैं तो अगर कांग्रेस के वादे के अनुसार 300 यूनिट बिजली फ्री दे दी गई तो क्या होगा, यह सबसे बड़ा सवाल है।
शिमला। हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। शिमला बोर्ड मुख्यालय कुमार हाउस के बाहर कर्मचारियों ने सैलरी में 52 साल में पहली बार देरी होने और ओपीएस (OPS) की बहाली ना होने पर विरोध प्रदर्शन किया। कहा कि सरकार ने अगर फरवरी से पहले OPS बहाली और बोर्ड में स्थाई एमडी की नियुक्ति नहीं की तो भविष्य में यह विरोध प्रदर्शन बड़े आंदोलन का रूप लेगा।
हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड कर्मचारी व इंजीनियर ज्वाइंट फ्रंट के सह संयोजक हीरा लाल ने बताया कि 52 साल के इतिहास में पहली बार कर्मचारियों को माह की 3 तारीख होने पर भी तनख्वाह नहीं मिली है, जोकि पहले एक तारीख को मिल जाती थी। वहीं सरकार ने प्रदेश में ओपीएस बहाल कर दी है।
मुफ्त की बिजली देने के सरकार के फैसले और बोर्ड के कुप्रबंधन चलते बिजली बोर्ड की हालत खस्ता है। बोर्ड में एमडी की स्थाई नियुक्ति नहीं हुई है। वर्तमान एमडी के पास अतिरिक्त चार्ज है। वह बिजली बोर्ड को समय नहीं दे पा रहे हैं, जिसके चलते कई प्रॉजेक्ट लटके पड़े हैं।
एमडी हरिकेश मीणा को हटाकर स्थाई एमडी लगाया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार ने अगर जल्द मांगें न मानी तो आंदोलन इसी तरह से जारी रहेगा और जरुरत पड़ने पर इसे उग्र किया जाएगा।
शिमला। हिमाचल प्रदेश में सरकारी फरमान जारी हुआ है। फरमान के अनुसार प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में काम कर रहे कर्मचारियों को दफ्तर फॉर्मल कपड़ों में पहुंचना होगा। इस दौरान जींस और टी-शर्ट पहनने पर खासतौर से मनाही की बात की गई।
अब इसको लेकर सचिवालय कर्मचारी महासंघ ने कहा है कि कर्मचारी इसके लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें इसके लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कर्मचारियों के साथ-साथ अधिकारियों पर भी इस नियम को लागू करने की बात कही है।
हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संगठन के प्रधान संजीव शर्मा ने कहा कि पहले भी ड्रेस कोड को लेकर कुछ ऐसा ही फरमान जारी किया गया था, तब भी कर्मचारियों ने ट्राउजर सिलवाए और जीन्स टीशर्ट पहन कर कार्यालय आना बंद कर दिया था।
मगर उस वक्त कुछ अधिकारियों ने ही जीन्स पहन कर आना शुरू कर दिया, जिसके बाद कर्मचारियों ने भी इसका अनुसरण करना शुरू किया।
उन्होंने कहा की सरकार अगर यह फरमान लागू करना चाहती है, तो उन्हें कम से कम दो महीनों का समय दिया जाए, ताकि कर्मचारी जरूरी इंतजामात कर सकें। उन्होंने कहा कि नियम केवल छोटे कर्मचारियों पर ही लागू न हो अधिकारियों पर भी लागू किया जाए।
संजीव शर्मा ने कहा कि अगर सरकार ड्रेस कोड रखना चाहती है तो इसके लिए भी कर्मचारी तैयार हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें भत्ता दिया जाए। प्रदेश में सर्दियां रहती हैं और कम से कम दो वर्दियां आवश्यक हो जाती हैं। ऐसे में वर्दी का खर्चा 25000 तक पहुंच जाएगा, जिसका बोझ कर्मचारियों पर डालना ठीक नहीं है।
शिमला। एचआरटीसी (HRTC) चालक, परिचालक और कर्मचारियों ने शिमला में संयुक्त समन्वय समिति (जेसीसी) का गठन कर सरकार के खिलाफ विभिन्न मांगों को लेकर मोर्चा खोलने की रणनीति बना ली है।
एचआरटीसी (HRTC) की जेसीसी ने प्रबंधन को एक सप्ताह का अल्टीमेटम देकर विभिन्न मांगों को लेकर वार्ता के लिए बुलाने का समय दिया है और महीने की एक तारीख को सैलरी न मिलने पर विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी है।
एचआरटीसी जेसीसी के नवनियुक्त अध्यक्ष मान सिंह ठाकुर ने कहा कि एचआरटीसी (HRTC) कर्मियों को महीने की 18 तारीख को सैलरी दी जा रही है। 42 महीने का ओवर टाइम नाइट भत्ता चालकों व परिचालकों का पेंडिंग है।
इसके अलावा एचआरटीसी के दो बर्खास्त परिचालकों को बिना शर्त बहाल करने, पांगी बस हादसे में दो मृत तकनीकी कर्मचारियों के परिवार को आर्थिक मदद और नौकरी देने की कर्मचारियों की मुख्य मांगे हैं, जिन पर सरकार एक सप्ताह के भीतर जेसीसी को वार्ता के लिए बुलाए।