e-District Portal के माध्यम से जारी किए जा रहे प्रमाण पत्र
शिमला। हिमाचल सरकार e-District Portal के माध्यम से सभी प्रकार के प्रमाण-पत्र जारी कर रही है, जिस कारण ओबीसी (OBC) और एससी (SC) प्रमाण-पत्र बनाने के लिए महिलाओं को बार-बार मायके जाने की आवश्यकता नहीं है। यह जानकारी राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान (Himachal Budget Session) ज्वालामुखी के विधायक संजय रतन के सवाल के जवाब में दी है।
संजय रतन ने सवाल पूछा था कि ओबीसी और एससी प्रमाण-पत्र बनाने के लिए महिलाओं को बार-बार उनके मायके जाना पड़ता है। यदि हां, तो क्या सरकार विवाह उपरांत संबंधित राजस्व कार्यालय से प्रमाण-पत्र जारी करने का विचार रखती है।
हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान (Himachal Budget Session) के दौरान सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा के सवाल से जवाव में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने जानकारी दी है कि गत वर्ष बरसात के कारण प्रदेश में कुल 9905.77 करोड़ का नुकसान हुआ है।
प्रदेश सरकार द्वारा गत वर्ष बरसात के कारण हुए नुकसान की भरपाई हेतु 1254.22 करोड़ रुपये विभिन्न जिलों व विभागों को जारी किए गए हैं, जिसमें से प्रभावित लोगों को मुआवजे के तौर पर 483.16 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। केंद्र सरकार द्वारा इस आपदा हेतु अभी तक कोई भी विशेष पैकेज प्रदान नहीं किया गया है।
हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान (Himachal Budget Session) के दौरान बल्ह के विधायक इंद्र सिंह गांधी के सवाल के जवाब में पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने जानकारी मुहैया करवाई है कि गत तीन वर्ष में प्रदेश में कोई भी नई ग्राम पंचायत गठित नहीं हुई है।
2020 में 412 नई पंचायतें गठित हुई हैं, जिनमें से 46 पंचायतों के नए भवन की धरातल मंजिल बन कर तैयार हो गई है।
सरकार द्वारा इन नवनिर्मित पंचायतों के भवनों के निर्माण के लिए तैयार आरेखण 23 मार्च 2021 और 2 जुलाई 2021 के निर्देशानुसार 83.89 लाख रुपये की राशि उपलब्ध करवाए जाने का प्रावधान था, लेकिन अब 29 अगस्त 2023 से संशोधित आरेखण अनुसार 114.90 लाख रुपये का बजट उपलब्ध करवाया जा रहा है ।
इन नवगठित 412 ग्राम पंचायतों में पंचायत चौकीदार की श्रेणी के पद सृजित न होने के कारण किसी भी पंचायत में पंचायत चौकीदार नियुक्त नहीं किए गए हैं। इन ग्राम पंचायतों के लिए पंचायत चौकीदार के पदों को भरने संबंधी प्रस्तावना वर्तमान में प्रकियाधीन है।
शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सरकार ने जानकारी मुहैया करवाई है कि जेओए (आईटी) पोस्ट कोड 817 में रिजल्ट घोषित करने से संबंधित आगामी कार्रवाई अभी अपेक्षित नहीं है। यानी अभी रिजल्ट नहीं निकाला जा सकता है।
सुंदरनगर के विधायक राकेश जंवाल के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जानकारी मुहैया करवाई है कि जेओए आईटी पोस्ट कोड 817 के पदों की भर्ती प्रक्रिया अभी पूर्ण नहीं हुई है। मामले में कोई भी साक्षात्कार आयोजित नहीं किया गया है, क्योंकि ग्रुप सी के पदों के लिए 17 अप्रैल 2017 की जारी अधिसूचना के अनुसार साक्षात्कार समाप्त कर दिए गए हैं।
विषयगत मामला वर्तमान में राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार रोधक ब्यूरो के अन्वेषणाधीन है। सरकार ने 9 फरवरी 2024 को कैबिनेट की बैठक में उन सभी भर्ती मामलों से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जांच करने के लिए एक कैबिनेट सब कमेटी गठित करने का निर्णय लिया है, पूर्ववर्ती कर्मचारी चयन आयोग की चल रही जांच के कारण परिणाम लंबित हैं।
शिमला। हिमाचल कैबिनेट की बैठक प्रदेश सचिवालय शिमला में शुरू हो गई है। बैठक मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह की अध्यक्षता में हो रही है। कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के बाद मुहर लग सकती है। एसएमसी और कंप्यूटर टीचर की बैठक पर नजरें टिकी हैं।
एसएमसी (SMC) और कंप्यूटर टीचर को कोई तोहफा मिलने की उम्मीद है। बता दें कि पक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने एसएमसी (SMC) और कंप्यूटर टीचर के लिए पॉलिसी बनाने का आश्वासन दिया था।
सरकार बनने के बाद शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी गठित की थी। तीन दिन पहले कैबिनेट सब कमेटी की बैठक हुई है। इसमें चार विकल्प सुझाए गए थे। इन्हीं को लेकर चर्चा हो सकती है।
हिमाचल कैबिनेट बैठक में जेओए आईटी (JOA-IT) पोस्ट कोड 817 के रिजल्ट को लेकर चर्चा हो सकती है। चर्चा के बाद सरकार कोई फैसला ले सकती है। कैबिनेट बैठक में खनन नीति पर भी चर्चा हो सकती है।
बैठक में राज्यपाल के बजट अभिभाषण के ड्राफ्ट को मंजूरी मिलेगी। नए हिमाचल राज्य चयन आयोग को फंक्शनल बनाने को लेकर भी चर्चा हो सकती है। इसके अलावा कुछ पदों को भरने की मंजूरी मिल सकती है।
शिमला। हिमाचल प्रदेश डिजिटल मीडिया पॉलिसी-2024 (Himachal Digital Media Policy-2024) को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दी है। राजपत्र/ई-गजट में प्रकाशित होने की डेट के साथ पॉलिसी लागू मानी जाएगी। बता दें कि हिमाचल की सुक्खू सरकार हिमाचल डिजिटल मीडिया पॉलिसी-2024 बनाई है। कैबिनेट में मंजूरी के बाद इसको लेकर नोटिफिकेशन जारी की गई है।
इस हिमाचल प्रदेश डिजिटल मीडिया पॉलिसी-2024 में न्यूज वेब चैनल, न्यूज वेबसाइट/पोर्टल और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर को कवर किया गया है। इसके लिए सूचना एवं जन संपर्क विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
समाचार वेब चैनलों के पैनल में शामिल होने के लिए पात्रता मानदंड की बात करें तो राज्य सरकार या भारत सरकार के साथ पंजीकृत कंपनियों और फर्मों के स्वामित्व और
पैनल में हिमाचल प्रदेश को अधिकतम कवरेज देने वाली एक विशेष पंजीकृत कंपनी के केवल एक समाचार वेब चैनल को शामिल किया जाएगा। चैनल का पिछले 2 वर्षों में न्यूनतम वार्षिक टर्नओवर 5 लाख होना चाहिए।
चैनल और उसका मालिक दिवालिया घोषित न हो। साथ भारत सरकार और हिमाचल सरकार द्वारा ब्लैक लिस्ट न किया गया हो। चैनल उसी नाम से हिमाचल में दो साल तक ऑपरेट हुआ होना चाहिए। साथ ही हिमाचल में 80 फीसदी कवरेज देता हो।
चैनल के कम से कम पांच लाख सब्सक्राइबर होने चाहिए। इसके लिए फेसबुक और यूट्यूब के मिलाकर 30 लाख से अधिक सब्सक्राइबर वाले चैनल ए, 10 लाख से अधिक और 30 लाख तक वाले बी और 5 लाख से 10 लाख सब्सक्राइबर वाले चैनल सी कैटेगरी में रखे गए हैं।
आवेदन की तारीख से पिछले तीन महीनों की अवधि के दौरान एक महीने की अवधि में कम से कम तीन सौ समाचार वीडियो या साउंड बाइट्स या समाचार आइटम अपलोड होने चाहिए। चैनल के पास समर्पित स्टाफ और हिमाचल में एक कार्यालय होना चाहिए।
न्यूज वेबसाइट/ वेब पोर्टल की बात करें तो संपादक का बोनाफाइड हिमाचली होना जरूरी है। न्यूज वेबसाइट/ वेब पोर्टल खबरों के लिए समर्पित होना चाहिए। इसके लिए संपादक को नोटराइज सर्टिफिकेट जमा करवाना होगा। उसी नाम से चले दो साल हो गए हों। इसके लिए डोमेन रजिस्ट्रेशन जमा करवानी होगी।
अद्वितीय उपयोगकर्ता गणना (Unique User Count), जो किसी समाचार वेबसाइट/वेब पोर्टल की कवरेज की सीमा तय करती है, किसी विशेष समाचार वेबसाइट/वेब पोर्टल की पहुंच को मापने के लिए एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है। पिछले छह महीनों (विभाग में आवेदन जमा करने की तारीख से 6 महीने तक) के लिए प्रति माह कम से कम 5001 की औसत Unique User Count वाली समाचार वेबसाइट/वेब पोर्टल पैनल में शामिल होने के लिए पात्र होंगे।
पिछले छह महीनों के औसत यूनिक यूजर (UU) डेटा को भारत में वेबसाइट ट्रैफिक पर नजर रखने वाले Google Analytics के साथ क्रॉस-चेक और सत्यापित किया जाएगा। इस शर्त का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रति माह अधिक अद्वितीय उपयोगकर्ताओं वाली समाचार वेबसाइटों/वेब पोर्टलों पर रणनीतिक रूप से विज्ञापन देकर सरकारी विज्ञापनों की दृश्यता बढ़ाई जाए।
समाचार वेबसाइटों/वेब पोर्टलों की अद्वितीय उपयोगकर्ताओं की संख्या Google Analytics डेटा के आधार पर तय की जाएगी और समाचार वेबसाइट/वेब पोर्टल के संपादक को पैनल में शामिल होने के लिए आवेदन के साथ प्राधिकरण को यह डेटा और मासिक डेटा भी प्रदान करना होगा।
यदि आवश्यक हुआ, तो प्राधिकरण भारत में वेबसाइट ट्रैफिक की निगरानी करने वाले एक विश्वसनीय तृतीय-पक्ष टूल के माध्यम से समाचार वेबसाइटों/वेब पोर्टलों के संपादकों द्वारा प्रस्तुत यूयू डेटा की जांच करेगा।
केवल उन्हीं संपादकों की समाचार वेबसाइट/वेब पोर्टल को पैनल में शामिल करने पर विचार किया जाएगा, जिनके पास पत्रकारिता/जनसंचार में डिप्लोमा/स्नातक की डिग्री है या वेब पत्रकारिता में न्यूनतम 10 वर्ष का अनुभव हो।
केवल उन्हीं समाचार वेबसाइटों पर विचार किया जाएगा जिनके संपादक वेब पत्रकारिता को अपनी प्राथमिक नौकरी के रूप में अपना रहे हैं। समाचार वेबसाइट का संपादक पूर्णकालिक वेब पत्रकार होना चाहिए और सरकार/पीएसयू/संगठन/मीडिया हाउस का कर्मचारी (नियमित/अनुबंध/आउटसोर्स या कोई मानदेय प्राप्त करने वाला) नहीं होना चाहिए और इस आशय का शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा।
एक समाचार वेबसाइट के केवल एक संपादक को एक परिवार (यूएचएफ/संयुक्त) से सूचीबद्ध किया जाएगा। पैनल में शामिल होने के लिए आवेदन की पहली तारीख से पहले छह महीने की अवधि (विभाग में आवेदन जमा करने के दिन से 6 महीने तक) के लिए औसत अद्वितीय उपयोगकर्ता संख्या के आधार पर समाचार वेबसाइटों/वेब पोर्टलों को निम्नलिखित तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जाएगा।
ऐसा विज्ञापनों को जारी करने के लिए दरें तय करने के उद्देश्य से किया जाएगा। छह महीने के लिए प्रति माह औसत अद्वितीय गणना में 20001 और ज्यादा वाले पोर्टल A, 10,001 से 20 हजार तक वाले B और 5,001 से 10 हजार वाले C कैटेगरी में शामिल होंगे। अधिक जानकारी के लिए ऑफिशियल नोटिफिकेशन पढ़ें।
शिमला। हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर संघ और बस व कार कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राजेश पराशर राजू, महासचिव रमेश कमल, मनोज राणा, कांगड़ा से मनमोहन बेदी, ओम प्रकाश ठाकुर, जितेंद्र ठाकुर, मनाली से राम रतन शर्मा, मंडी से हंस ठाकुर, बिलासपुर से राजेश पटियाल, सिरमौर से मामराज शर्मा, ऊना से महेंद्र मनकोटिया और कांगड़ा से रवि दत्त शर्मा ने कहा है कि पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश के परिवहन विभाग द्वारा जो ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट 01 और 02 बसों, टैक्सियों और मैक्सी कैब को जारी करने का फैसला लिया है, इसका पुरजोर विरोध करते हैं।
ऐसा करने से हिमाचल के युवाओं का रोजगार खत्म होगा। बाहरी राज्यों के बड़े-बड़े ऑपरेटर आकर अपनी टैक्सियां और बसों को स्कूलों, उद्योगों में चलाकर हिमाचल प्रदेश के युवाओं का रोजगार छीन लेंगे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री से विनम्र आग्रह है कि तत्काल हस्तक्षेप करके इस पर रोक लगाई जाए।
वहीं, हिमाचल प्रदेश में परिवहन व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों के उत्थान के लिए परिवहन कल्याण बोर्ड गठित करने की मांग उठाई भी की है। प्रदेश में परिवहन व्यवसाय को उद्योग का दर्जा देने की भी मांग रखी है।
उक्त ऑपरेटर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के निजी बस ऑपरेटर की एक विशेष बैठक 13 अक्टूबर 23 को डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में हुई थी, जिसमें परिवहन विभाग के प्रधान सचिव के साथ-साथ निदेशक परिवहन भी शामिल हुए थे। बैठक में बहुत सी मांगों पर सहमति बनी थी। इसमें से अभी काफी मांगें पूरी होने को बची हैं।
इसमें विशेष तौर पर बसों की बैठने की क्षमता को घटना और कुछ अन्य मुद्दे रह गए हैं, जिन्हें भी तत्काल लागू करने का आग्रह किया है। हिमाचल में चल रही 02 की बसों का स्पेशल रोड टैक्स निर्धारित करने का मामले में हिमाचल प्रदेश के निजी बस ऑपरेटर ने सरकार के आभार जताया है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने धर्मशाला में घोषणा की
धर्मशाला। हिमाचल में अब किसानों से खरीदे जाने वाले दूध में 6 रुपए की बढ़ोतरी होगी। अब किसानों से 37 रुपए में दूध खरीदा जाएगा। पहले 31 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से दूध खरीदा जाता था। यह घोषणा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने धर्मशाला के पुलिस ग्राउंड में सरकार के एक साल पूरा होने पर आयोजित कार्यक्रम में की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मिल्क फेडरेशन हिमाचल के किसानों से 31 रुपए प्रति किलो के हिसाब से दूध खरीदती हैं। वह अगले माह यानी जनवरी से इसमें 6 रुपए की बढ़ोतरी का ऐलान करते हैं। अब दूध 37 रुपए प्रति लीटर से हिसाब से खरीदा जाएगा। इससे किसानों को लाभ होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार अगले साल तीन गारंटियों को बजट में शामिल करेगी। सरकार एक साल में 20 हजार सरकारी नौकरियां देगी। इसमें वन मित्र, वन रक्षक, पुलिस कांस्टेबल, पटवारी, पंप ऑपरेटर, मल्टी टास्क वर्कर और शिक्षक आदि की नौकरियां शामिल हैं। इतनी संख्या में पहले कभी सरकारी क्षेत्र में रोजगार नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि जेओए आईटी पोस्ट कोड 817 का रिजल्ट भी जल्द निकाला जाएगा।
वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने महिलाओं को 1500 रुपए भत्ते को लेकर घोषणा की है। उन्होंने धर्मशाला पुलिस ग्राउंड में मंच से लाहौल स्पीति जिले की सभी 18 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को प्रथम चरण में 1500 रुपए देने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि अगले चरणों में सरकार सभी जिलों में महिलाओं को 1500 रुपए देगी।
इसके अलावा अगले साल से सामाजिक सुरक्षा पेंशन ले रहीं 2 लाख 37 हजार महिलाओं की पेंशन बढ़ाकर 1500 करने की बात भी कही है। इन महिलाओं को अभी 1100 रुपए पेंशन मिलती है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि सरकार एक ऐसी सोलर योजना शुरू करने जा रही है। इसके तहत आप सरकार को 6 कनाल (3 बीघा) जगह दें और सरकार प्रतिमाह 20 हजार रुपए देगी। एक साल में 2 लाख 40 हजार रुपए देगी।
धर्मशाला। हिमाचल की सुक्खू सरकार ने सोमवार को धर्मशाला में व्यवस्था परिवर्तन के एक साल का जश्न मनाया। धर्मशाला पुलिस ग्राउंड में सरकार के एक साल पूरे होने पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता समारोह में पहुंचे। हिमाचल से कांग्रेस कार्यकर्ता सरकारी, निजी बसों सहित निजी वाहनों आदि में समारोह में पहुंचे। पुलिस ग्राउंड में गीत और संगीत का भी खूब दौर चला।
एक साल के समारोह में संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने महिलाओं को 1500 रुपए भत्ते को लेकर घोषणा की है। उन्होंने धर्मशाला पुलिस ग्राउंड में मंच से लाहौल स्पीति जिले की सभी 18 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को प्रथम चरण में 1500 रुपए देने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि अगले चरणों में सरकार सभी जिलों में महिलाओं को 1500 रुपए देगी।
इसके अलावा अगले साल से सामाजिक सुरक्षा पेंशन ले रहीं 2 लाख 37 हजार महिलाओं की पेंशन बढ़ाकर 1500 करने की बात भी कही है। इन महिलाओं को अभी 1100 रुपए पेंशन मिलती है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि सरकार एक ऐसी सोलर योजना शुरू करने जा रही है। इसके तहत आप सरकार को 6 कनाल (3 बीघा) जगह दें और सरकार प्रतिमाह 20 हजार रुपए देगी। एक साल में 2 लाख 40 हजार रुपए देगी।
शिमला। राजधानी शिमला में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रोपवे प्रोजेक्ट शुरू होने जा रहा है। शिमला शहर में जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए ये प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण साबित होने वाला हैं। 1555 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाला यह प्रोजेक्ट शहर में 13.55 किलोमीटर लंबा होगा। इसमें 13 स्टेशन होंगे।
डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने शिमला में मीडिया से बातचीत में बताया कि शिमला में ट्रैफिक की समस्या से निजात दिलाने के लिए यह रोपवे प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अक्टूबर तक सभी औपचारिकताएं पूरी कर काम शुरू कर लिया जाएगा।
डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इसके लिए सभी प्रकार की एनओसी और टेंडर प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। पूरा प्रोजेक्ट 5 साल में पूरा करने का लक्ष्य है। डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि 1555 करोड़ रुपए का यह प्रोजेक्ट न्यू डेवलपमेंट बैंक से फंडेड है। उन्होंने कहा कि यह रोपवे प्रोजेक्ट शिमला शहर में 13.55 किलोमीटर लंबा होगा। इसमें 13 स्टेशन बनेंगे, जिसमें रोपवे की तीन लाइनें चलेंगी।
इस रोपवे के पूरे प्रोजेक्ट में 660 ट्रॉली चलेंगी। उन्होंने बताया कि लोगों की सुविधा के लिए रोपवे प्रोजेक्ट में किराया बस किराए के समान ही रखा जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें और हिमाचल देश के लिए भी मॉडल बन सके। डिप्टी सीएम ने कहा कि आने वाले समय में परमाणू में विश्व का सबसे बड़ा एक और प्रोजेक्ट बनाया जाएगा। यह 38 किलोमीटर का विश्व का सबसे बड़ा प्रोजेकट होगा।
उन्होंने बताया कि चिंतपूर्णी माता मंदिर में 75 करोड़ रुपए से प्रोजेक्ट बनेगा। इस क्षेत्र मे निजी क्षेत्र को आकर्षित करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा नीतियों में बदलाव किया गया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में अब रोपवे ही एक रास्ता है, जिसके माध्यम से यातायात को सुचारु और आसान बनाया जा सकता है।
शिमला। हिमाचल के जहां एक ही कैंपस में प्राइमरी, हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूल चल रहे हैं, वहां अब मिड डे मील का सारा कंट्रोल प्रिसिंपल के पास होगा। सरकार ने इसको लेकर निर्णय ले लिया है। यह जानकारी मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने शिमला के चौड़ा मैदान में संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद मीडिया से बातचीत में दी।
उन्होंने कहा कि कुछ स्कूलों में एक ही कैंपस में प्राइमरी वाले अलग और सेकेंडरी वाले अलग खिचड़ी बनाते हैं। इसके लिए सरकार ने फैसला लिया है कि जहां एक ही कैंपस में प्राइमरी, हाई और सेकेंडरी स्कूल चल रहे हैं, वहां पर मिड डे मील का कंट्रोल प्रिसिंपल के पास होगा। प्रिसिंपल इस पर प्रशासनिक कंट्रोल करेंगे।
वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल में क्वालिटी एजुकेशन और स्टाफ की कमी को लेकर सरकार गेस्ट फैकल्टी नीति लेकर आ रही है। जहां पर शिक्षकों की कमी होगी उन स्कूलों में गेस्ट फैकल्टी पर लेक्चरर रखे जाएंगे।
क्वालिटी एजुकेशन और मेरिट के आधार पर लेक्चरर रखे जाएंगे। इनकी नियुक्ति स्थाई होगा और पीरियड के आधार पर पैसे देय होंगे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि आने वाले समय में हिमाचल में क्वालिटी एजुकेशन अच्छी होगी।
तीन महीने बाद भी आपदा प्रभावितों को नहीं मिली राशि
मंडी। हिमाचल में व्यवस्था परिवर्तन के नारे के साथ आई कांग्रेस सरकार ने आपदा प्रभावितों के लिए बहुत बड़े आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा तो कर दी है, लेकिन कांग्रेस सरकार की यह राहत राशि तीन माह बीत जाने के बाद भी प्रभावितों नहीं मिल पाई है। यह आरोप नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने गृह विधानसभा क्षेत्र सराज जिला मंडी के खोलानाल पंचायत में आपदा प्रभावितों के बीच कही।
जयराम ठाकुर ने कहा कि भारी बारिश के दौरान सराज के खोलानाल पंचायत में भी सबकुछ तबाह चुका है। बावजूद इसके यहां के प्रभावितों को सरकार की ओर से अभी तक कोई भी राहत नहीं दी गई है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि हमनें प्रभावितों के लिए सात- सात लाख रुपए की मदद की है, जबकि गांव में लोग कह रहे हैं कि अभी तक पटवारी तक नुकसान का जायजा लेने उनके घर नहीं पहुंचा है। ऐसे में सवाल उठता है कि बड़े राहत पैकेज का ढिंढोरा पीटने वाली ये सरकार आखिर तीन महीने बीतने के बाद भी राहत राशि क्यों नहीं दे पाई है।
मंडी के खोलानाल वो गांव है, जहां बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई है कि आज भी 20 परिवारों के लोग तंबुओं में रह रहे हैं। अगर एक सप्ताह के अंदर सभी प्रभावितों को राहत राशि नहीं मिलती है तो हम प्रभावितों के साथ सड़कों पर विरोध के लिए उतर आएंगे।
सर्दियों में लोग ठिठुर रहे हैं और बच्चे बिना स्कूल भवनों के खुले आसमां के नीचे पढ़ाई करने को विवश हैं। एक जगह किसी के घर के कमरे में स्कूल चलाना पड़ रहा है। परीक्षाओं का दौर शुरू होने वाला है और ऐसे में बच्चे कहां परीक्षा दे पाएंगे इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
पूरे सराज से अध्यापकों और दूसरे कर्मचारियों को राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से प्रदेश के दूर दराज के इलाकों में ट्रांसफर किया जा रहा है। जहां से कोई बदला गया है, वहां किसी दूसरे कर्मचारी को नहीं भेजा जा रहा है, जिससे कई स्कूल और संस्थान खाली होते जा रहे हैं।