शिमला। हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विपक्ष ने एक दिन में दूसरी बार वॉकआउट किया।
राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया। विपक्ष के सदस्य नारेबाजी करते सदन से बाहर आ गए।
इससे पहले अर्की अली खड्ड मुद्दे पर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया था। विधायक विपिन परमार ने कहा कि पूरे हिमाचल सहित कांगड़ा जिला के साथ भेदभाव हो रहा है।
राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान विपक्ष के विधायकों ने बड़ी संजीदगी से मुद्दों को उठाया, लेकिन मुख्यमंत्री इस और गंभीर नहीं हैं। हिमाचल की जनता को गुमराह किया जा रहा है।
शिमला। हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन शुक्रवार को भी बिलासपुर और सोलन के अर्की की सीमा पर स्थित अली खड्ड पर बन रही उठाऊ पेयजल योजना को लेकर सदन के अंदर खूब हंगामा हुआ। मंत्री हर्षवर्धन चौहान के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
जवाब में मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि 8 पंचायत के हजारों लोगों के लिए अली खड्ड से उठाऊ पेयजल योजना का कार्य चल रहा है जिसको लेकर कुछ लोग आपत्ति जाहिर कर रहे हैं और विपक्ष इसका फायदा उठाना चाहता है।
विधायक रणधीर शर्मा भी प्रदर्शनकारियों के साथ शामिल हुए जिसके चलते एक एफआईआर दर्ज हुई है और मामले को लेकर छानबीन की जा रही है।
पेयजल योजना बनने से अली खड्ड से चल रही बिलासपुर की पेयजल योजनाओं पर कोई असर नहीं होगा। विपक्ष बेवजह इस मामले को तूल दे रहा है। इस बात से खफा विपक्ष ने सदन में नारेबाजी की और नारे लगाते हुए सदन से बाहर आ गए।
नालागढ़। हिमाचल में बाहरी राज्यों के व्यक्तियों को ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट देने का निजी बस ऑपरेटरों ने विरोध जताया है। सरकार से ऐसा न करने की मांग की है।
निजी बस ऑपरेटर्स की एक विशेष बैठक नालागढ़ में हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर संघ राजेश पराशर की अध्यक्षता में हुई। इसमें निजी बस ऑपरेटर को आ रही समस्याओं के बारे में चर्चा हुई।
इसके साथ ही नालागढ़ निजी बस ऑपरेटर यूनियन ने एक प्रस्ताव पारित किया और सरकार को भेजा है।
प्रस्ताव के अनुसार हिमाचल प्रदेश के इतिहास में आज दिन तक कभी भी बाहरी राज्यों के स्थाई निवासियों को ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट जारी नहीं किए जाते थे।
लेकिन, पिछले दिनों प्रदेश सरकार द्वारा बाहर से आने वाली ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट की गाड़ियों पर स्पेशल रोड टैक्स लगाया गया है, ताकि प्रदेश को कर की प्राप्ति हो सके।
जिन लोगों की बसें बाहरी राज्य से नालागढ़ और बद्दी में आती हैं, अब उन्हें हिमाचल परिवहन विभाग ने प्रदेश में ही परमिट देना शुरू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इसका हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ नालागढ़ के निजी बस ऑपरेटरों ने भी कड़ा विरोध किया है। परिवहन विभाग के इस फैसले की पुरजोर निंदा की है।
निजी बस ऑपरेटरों ने हिमाचल प्रदेश सरकार से मांग की है कि तत्काल प्रभाव से बाहरी राज्यों के व्यक्तियों को ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट जारी करने पर रोक लगाई जाए।
अगर ऐसा न हुआ तो हिमाचल प्रदेश के लोगों का व्यवसाय छिन जाएगा। इसके अलावा बैठक में एचपी 02 की बसों का स्पेशल रोड टैक्स निर्धारित करने के लिए जारी अधिसूचना पर भी चर्चा हुई है।
हिमाचल निजी बस ऑपरेटर संघ के अध्यक्ष राजेश पराशर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सरकार द्वारा एक अधिसूचना जारी की गई, जिसमें एचपी 02 की बसों का स्पेशल रोड टैक्स निर्धारित किया गया।
अधिसूचना में लिखा गया है कि यह अधिसूचना 1 दिसंबर 2023 से लागू होगी और प्रदेश सरकार द्वारा 2 वर्ष तक एचपी 02 की गाड़ियों का स्पेशल रोड टैक्स लेने की प्रक्रिया को अमलीजामा नहीं पहनाया गया।
अब जब निजी बस ऑपरेटर अपनी एचपी 02 की गाड़ियों का टैक्स जमा करने के लिए आरटीओ कार्यालय जा रहे हैं तो जब वह अपनी गाड़ी का नंबर डालकर टैक्स जमा करने के लिए कहते हैं तो विभाग की साइट में बस का पिछले दो वर्ष का टैक्स और ब्याज जुर्माने सहित भरने को कहा जा रहा है, जबकि नोटिफिकेशन लागू होने की तिथि 1 दिसंबर 2023 है और विभाग जनवरी 2021 से टैक्स मांग रहा है।
उन्होंने कहा कि इस विषय को भी हिमाचल प्रदेश सरकार व परिवहन विभाग के ध्यान में लाना चाहते हैं कि इसका भी हाल तत्काल किया जाए, ताकि समय पर लोग अपनी गाड़ियों के परमिट पासिंग और टैक्स जमा करवा सकें, जो पिछले 2 वर्ष का टैक्स जुर्माने और ब्याज के साथ मांगा जा रहा उसे बस ऑपरेटर देने के लिए तो तैयार है परंतु सरकार द्वारा तय नहीं किया गया कि कितना टैक्स लेना है।
ऐसी स्थिति में उनसे ब्याज और जुर्माना वसूल करना बिल्कुल गलत बात है। इस बैठक में हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर संघ के महासचिव मनोज राणा , ओपी ठाकुर, किशन सिंह सैनी, जितेंद्र सिंह चंदेल, नसीब सिंह सैनी ,बलकार सिंह, हरनेक सिंह और नालागढ़ निजी बस आपरेटर संघ के अध्यक्ष व नालागढ़ कोऑपरेटिव सोसाइटी ट्रक यूनियन के अध्यक्ष जितेंद्र ठाकुर भी शामिल रहे।
धर्मशाला। कांगड़ा जिला में धर्मशाला के तपोवन में 19 दिसंबर यानी कल से हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है। सत्र के एक दिन पहले धर्मशाला में सत्तापक्ष और विपक्ष ने विधायक दल की बैठक कर रणनीति तैयार की।
भाजपा विधायक दल की बैठक नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में धर्मशाला के एक निजी होटल में आयोजित की गई।
विपक्ष गारंटियों, आउटसोर्स, आपदा में राहत व कानून व्यवस्था आदि के मुद्दे पर सत्ता पक्ष को घेरने की रणनीति तैयार की। सुक्खू सरकार का एक साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। ऐसे में विपक्ष हमलावर दिख सकता है।
उधर, कांग्रेस विधायक दल की बैठक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई। सत्ता पक्ष ने विपक्ष के हमलों का जवाब देने की रणनीति तैयार की। यानी विपक्ष भी तैयार और सत्ता पक्ष भी तैयार।
इससे पहले, विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई। सर्वदलीय बैठक में सत्ता पक्ष, प्रतिपक्ष तथा निर्दलीय विधायकों से शीतकालीन सत्र के संचालन में रचनात्मक सहयोग देने की अपील की।
इस बैठक में संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान, मुख्य संसदीय सचिव मोहन लाल ब्राक्टा, माननीय सदस्य सुखराम चौधरी तथा निर्दलीय विधायक होशियार सिंह उपस्थित थे।
कुलदीप सिंह पठानिया ने बैठक के दौरान सभी सदस्यों से आग्रह किया कि हिमाचल प्रदेश विधान सभा की अपनी एक गरिमा है तथा इसका गौरवमयी इतिहास रहा है।
अतः इसके अनुरूप सभी माननीय सदस्य नियमों की परिधि में अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं को प्रमुखता से उठाएं तथा उस पर सार्थक चर्चा करें और सरकार से उसका उत्तर पाएं।
उन्होंने सता पक्ष से अनुरोध किया कि वे माननीय सदस्यों को उनकी सूचनाओं का तथ्यों सहित शीघ्र जवाब दें। पठानिया ने कहा कि उनका भरसक प्रयास रहेगा कि वे सभी को अपनी-अपनी बात रखने का मौका देंगे ताकि सदन का समय सार्थक तथा व्यवहारिक चर्चा में व्यतीत हो।
पठानिया ने इस अवसर पर कल सदन में लाए जाने वाले विषयों पर जानकारी भी दी और यह आश्वस्त किया कि वे जनहित में उठाए जाने वाले विषयों पर सभी को चर्चा का मौका देने का प्रयास करेंगे।
शिमला।हिमाचल प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र के छठे दिन सतापक्ष द्वारा लाए गए स्टाम्प संशोधन विधेयक पर सदन में खूब हंगामा हुआ। विपक्ष ने आरोप लगाया कि लोकतंत्र की हत्या कर बिल पास किया गया है। इसके विरोध ने विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार ने 10 गुणा वृद्धि के साथ सदन में स्टाम्प संशोधन विधेयक लाया, जिसका बोझ आम जनता पर पड़ेगा। जब बिल को प्रस्तुत किया गया तो सत्तापक्ष के पास बहुमत नहीं था, लेकिन सरकार ने लोकतंत्र की हत्या करते हुए बिल को पास किया है, जिसका विपक्ष ने विरोध किया और सदन से वॉकआउट किया है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि जब बिल लाया गया तो कांग्रेस के 17 और बीजेपी के 19 विधायक सदन में थे। इसलिए बहुमत विपक्ष के पास था और बिल अपने आप ही गिर गया है, लेकिन लोकतंत्र की हत्या करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने बिल पर दूसरी बार वोटिंग करवाई, जोकि नियमों के खिलाफ है। बिल में दस गुणा स्टाम्प ड्यूटी बढ़ाई गई है, जो आम आदमी पर बोझ डालेगी।
हिमाचल राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि राजस्व विभाग ने कई वर्ष बाद सरकार ने बदलाव के लिए काम किया है, जिससे लोगों के जमीन से संबधित मामलों के निपटारे में तेजी आएगी। क्योंकि अभी तक के आंकड़ों की बात करें तो डिमार्केशन सहित कई मामले निपटारे के लिए लंबित पड़े हैं। ऐसे में भू राजस्व संशोधन और स्टाम्प संशोधन विधेयक बिल भी सेब की भांति राजस्व विभाग में मील का पत्थर साबित होगा।
शिमला। हिमाचल सरकार ने हर विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल खोलने का निर्णय लिया है। इसके लिए सरकार ने कदमताल शुरू कर दी है। राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूलों के लिए सरकार ने रोडमैप भी तैयार कर लिया है। हिमाचल में राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल एसडीएम दप्तर के 3-4 किलोमीटर के दायरे में खोले जाएंगे।
इन स्कूलों में 4-5 राजकीय प्राथमिक स्कूलों के शिक्षा ग्रहण करेंगे। सरकार एक बच्चे पर 36 हजार रुपए खर्च करती है। स्कूलों में मिड-डे मील की व्यवस्था की है। अब इस योजना में अधिक पैसे का प्रावधान कर इन स्कूलों में भी दोपहर के भोजन की व्यवस्था की जाएगी।
इन स्कूलों की स्थापना के लिए 50 बीघा या 100 कनाल भूमि का चयन किया जा रहा है। जहां सरकारी जगह उपलब्ध नहीं होगी वहां निजी भूमि खरीदकर इन स्कूलों की स्थापना की जाएगी औऱ इसके लिए हमने 300 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया है। 3-4 किलोमीटर दायरे में जिन 5-6 राजकीय प्राथमिक स्कूलों में जितने भी बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, उन सभी छात्रों को राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल में शिक्षा दी जाएगी। 10-12 बीघा भूमि में छात्रों को खेलने के लिए खेल मैदान बनाने की व्यवस्था की जाएगी और ये मैदान भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार स्थापित किए जाएंगे।
अगर किसी छात्र का घर स्कूल से दूर होगा तो उसे शाम को गाड़ी से छोड़ने की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाएगी। इन स्कूलों की स्थापना के लिए 9 जगह चिन्हित कर विभाग के नाम रजिस्टर कर दी गई हैं। कांगड़ा के इंदौरा, जसवां परागपुर, पालमपुर, किन्नौर, ऊना, हरोली, कुटलैहड़, गगरेट और हमीरपुर के बड़सर में इन स्कूलों की स्थापना के लिए भूमि विभाग के नाम रजिस्टर हो गई है। 46 जगह एफसीए के कारण भूमि विभाग के नवाम रजिस्टर नहीं हो पाई है।
विभाग द्वारा भूमि क्लीयरेंस के आवश्यक दस्तावेज अपलोड कर दिए गए हैं। पहले फेज के लिए 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। यह क्लस्टर प्री नर्सरी से स्टार्ट होगा और इसमें प्राइमरी स्तर तक शिक्षा दी जाएगी। यह जानकारी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 27 मार्च को हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान प्रश्नकाल में दी है।
विधानसभा के बजट सत्र में सवाल के जवाब में दी जानकारी
शिमला।हिमाचल में योग्य कुशल बेरोजगारों की संख्या 2,43,037 है। प्रदेश में अनुसूचित जनजाति वर्ग के कुशल बेरोजगारों की संख्या 12,339 है। कुशल बेरोजगारों को निजी क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से श्रम एवं रोजगार विभाग द्वारा रोजगार मेलों तथा कैंपस साक्षात्कारों का आयोजन करवाया जाता है, जोकि एक निरंतर प्रक्रिया है। यह जानकारी विधानसभा बजट सत्र के दौरान भरमौर के विधायक जनक राज के पूछे सवाल के जवाब में स्वास्थ्य और श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. धनी राम शांडिल ने दी है।
जानकारी में बताया गया कि विभाग द्वारा औद्योगिक कौशल भत्ता योजना 2018 को भी क्रियान्वित किया जा रहा है। योजना का उद्देश्य हिमाचल प्रदेश के उद्योगों/कारखानों में नियुक्त नए पात्र कामग्रों/कर्मचारियों/प्रशिक्षुओं को नौकरी के दौरान कौशल विकास के लिए भत्ता प्रदार करता है, ताकि इसके फलस्वरूप वह उद्योंगों/कारखानों में बेहतर रोजगार के अवसर अर्जित करने के लिए समर्थ हो पाएं। श्रम एवं रोजगार विभाग युवाओं की सुविधा के लिए रोजगार कार्यालयों में पंजीकरण के लिए ऑनलाइन पोर्टल विकसित कर रहा है, जिसके अंतर्गत वह कहीं से भी रोजगार कार्यालयों में अपना पंजीकरण/नवीनीकरण ऑनलाइन करवा सकेंगे।
युवाओं को रोजगार के अवसर सुगमता से प्रदान करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल में नियोक्ताओं को पंजीकरण करने का प्रावधान भी रखा जा रहा है, ताकि नियोक्ता मांग अनुसार योग्य एवं कुशल बेरोजगार युवाओं को रोजगार अवसर प्रदान कर सकें।
हिमाचल में कुशल बेरोजगार युलाओं की क्षमता के उचित दोहन/युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा 16 जनवरी 2023 को जारी अधिसूचना के अंतर्गत उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में उप कैबिनेट कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी प्रदेश के सभी बेरोजगार युवाओं को रोजगार के उचित अवसर प्रदान करने की दिशा में रोडमैप तैयार कर रही है और चरणबद्ध तरीके से कार्य कर रही है।
वैकल्पिक सरेंखण की स्वीकृति के बाद तैयार होगी डीपीआर
शिमला।पठानकोट-मंडी फोरलेन में रजोल-कछियारी, रजोल-कछियारी-ठानपुरी पैकेज II-B का हिस्सा है। इस भाग के वैकल्पिक सरेंखण (Alternative Alignment) की स्वीकृति के लिए
28 दिसंबर 2022 को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, मुख्यालय नई दिल्ली को भेजा गया है। स्वीकृति प्राप्त होने के उपरान्त डीपीआर बनाने की प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी। यह जानकारी हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कांगड़ा के विधायक पवन काजल के सवाल के जवाब में पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रामादित्य सिंह ने दी है।
जानकारी में बताया गया कि इसका सर्वे नागनपट्ट, भोई, बंडी खड्ड, बंडी खास, घरटेहड़, स्वाला, झिखर, भरोट, क्योरी, पाथर, गुलरेहड़ा, चैतड़ू, बनवाला, बगली, पटौला, घुडी, अंसौली, बुहली भड़वाल, मटौर, घुरक्कड़ी खास, सनेहर घुरक्कड़ी, चकबन घुरक्कड़ी, चकबन कछियारी, टांडा खोली, भटनाला, रजियाणा खास गांवों से गुजरते हुए ठानपुरी तक प्रस्तावित है।
शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 प्रस्तुत किया। पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान राज्य की वास्तविक जीडीपी स्थिर भावों पर 8,143 करोड़ रुपए से अधिक होगी। राज्य आय के प्रथम अग्रिम अनुमानों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में वित्तीय वर्ष 2021-22 के 7.6 प्रतिशत की तुलना में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि होगी। वित्तीय वर्ष 2021-22 के 1,26,433 करोड़ रुपए के सकल घरेलू उत्पाद के अंतिम अनुमानों की तुलना में वित्तीय वर्ष 2022-23 में स्थिर भावों (2011-12) पर राज्य की जीडीपी 1.34,576 करोड़ रुपए अनुमानित है।
वित्तीय वर्ष 2022-23 में जीडीपी प्रचलित भावों पर 1,95,404 करोड़ रुपए अनुमानित है, जोकि वित्तीय वर्ष 2021-22 के अस्थाई अनुमानों के अनुसार 1.76,269 करोड़ रुपए से 19,135 करोड़ की शुद्ध वृद्धि दर्शाते हैं। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान नोमिनल जीडीपी में वृद्धि वित्त वर्ष 2021-22 के 135 प्रतिशत की तुलना में 10.9 प्रतिशत अनुमानित है। पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान राज्य की वास्तविक जीडीपी स्थिर भावों पर 8,143 करोड़ रुपए से अधिक होगी। राज्य आय के प्रथम अग्रिम अनुमानों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में वित्तीय वर्ष 2021-22 के 7.6 प्रतिशत की तुलना में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
वित्तीय वर्ष 2021-22 के 1,26,433 करोड़ रुपए के सकल घरेलू उत्पाद के अंतिम अनुमानों की तुलना में वित्तीय वर्ष 2022-23 में स्थिर भावों (2011-12) पर राज्य की जीडीपी 1.34,576 करोड़ रुपए अनुमानित है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में जी.डी.पी. प्रचलित भावों पर 1,95,404 करोड़ अनुमानित है। जोकि वित्तीय वर्ष 2021-22 के अस्थायी अनुमानों के अनुसार 1.76,269 करोड़ से ₹19,135 करोड़ की शुद्ध वृद्धि दर्शाते हैं। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान नोमिनल जीडीपी में वृद्धि वित्त वर्ष 2021-22 के 135 प्रतिशत की तुलना में 10.9 प्रतिशत अनुमानित है।
वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए अग्रिम अनुमानों के अनुसार, प्राथमिक क्षेत्र से सकल मूल्य वर्धित, स्थिर भावों पर 20 प्रतिशत की गति से बढ़ने की संभावना है। वित्त वर्ष 2022-23 (अ.अ.) के दौरान प्राथमिक क्षेत्र का जीवीए स्थिर भावों पर 2021-22 (प्र.स.अ.) के 16.395 करोड़ के मुकाबले 116,717 करोड़ हो गया। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अग्रिम अनुमानों के अनुसार स्थिर (2011-12) मावों पर द्वितीयक क्षेत्र का जीवीए 60,444 करोड अनुमानित है जोकि वित्त वर्ष 2021-22 (प्र. स.अ.) के अनुसार 56,408 करोड़ रुपए था और पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2022-23 में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है।
सेवा क्षेत्र की राज्य जीवीए में महत्वपूर्ण और तेजी से बढ़ती हिस्सेदारी है। वित्तीय वर्ष 2022-23 (अ.अ.) के लिए सेवा क्षेत्र का योगदान स्थिर भावों (2011-12) पर 49,527 करोड़ अनुमानित है, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 (प्र.स.अ.) में यह 46,350 करोड़ रुपए था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्शाता है।
अग्रिम अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए प्रचलित भावों पर प्रति व्यक्ति आय (पीसीआई) 2021-22 में 2,01,271 रुपए के मुकाबले 2,22,227 रुपए रहने का अनुमान है, जोकि वित्त वर्ष 2021-22 में 131 प्रतिशत की तुलना में 104 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। वर्ष 2022-23 में हिमाचल प्रदेश की अनुमानित प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय से 51,607 अधिक है। किसी भी राज्य का जीडीपी तीन प्रमुख क्षेत्रों-प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक द्वारा किए गए आर्थिक योगदान के संदर्भ में मापा जाता है। राज्य के सकल राज्य मूल्य वर्धन (जीवीए) में तृतीयक क्षेत्र का सबसे अधिक योगदान रहा है, इसके बाद द्वितीयक और प्राथमिक क्षेत्रों का स्थान है।
वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीवीए के अग्रिम अनुमानों के आधार पर, तृतीयक क्षेत्र का प्रचलित मूल्यों पर राज्य के जीवीए में 43.6 प्रतिशत, इसके बाद द्वितीयक क्षेत्र का 42.7 प्रतिशत और प्राथमिक क्षेत्र का 13.7 प्रतिशत योगदान है। प्रचलित भावों पर सकल राज्य मूल्य वर्धन (जी.एस.वी.ए.) में कृषि क्षेत्र का योगदान 2018-19 में 17,767 करोड़ रुपए से 40 प्रतिशत बढ़कर 2022-23 में (अग्रिम अनुमान) 24,847 करोड़ रुपए हो गया है। 2018-19 से 2022-23 के बीच (2018-19 में 10,286 करोड़ से 2022-23 में 15,561 करोड़ रुपए तक) प्रचलित कीमतों पर फसलों के जीएसवीए में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
अग्रिम अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में प्राप्त 49 प्रतिशत की वृद्धि दर के मुकाबले वित्त वर्ष 2022-23 में स्थिर कीमतों पर कृषि और संबद्ध क्षेत्र के जीएसबीए में 20 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। कृषि और संबद्ध गतिविधियों के अर्न्तगत पशुधन पालन एक महत्वपूर्ण उप-क्षेत्र है। यह वित्त वर्ष 2022-23 में कुल सकल राज्य मूल्य वर्धन (जी. एस. वीए) का 1.61 प्रतिशत और कृषि और संबद्ध क्षेत्र जीएसबीए का 12 प्रतिशत योगदान देता है।
उद्योग क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और हिमाचल में रोजगार की बहुत सारी संभावनाएं पैदा करने के लिए महत्वपूर्ण है। 2022 2023 के अग्रिम अनुमानो में औद्योगिक क्षेत्र का (खनन और उत्खनन सहित) कुल जी.बी.ए. (प्रचलित भावों में) 79,284 करोड़ रुपए अनुमानित है। जीएसवीए में प्रचलित भावों पर औद्योगिक क्षेत्र (खनन और उत्खनन सहित) का योगदान वित्तीय वर्ष 2022-23 में 4297 प्रतिशत है जिसमें 30.83 प्रतिशत विनिर्माण, 6.28 प्रतिशत निर्माण, बिजली, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाओं का 5.62 प्रतिशत एवं खनन और उत्खनन का योगदान 0.24 प्रतिशत है।
अग्रिम अनुमान के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में वित्त वर्ष 2022-23 में औद्योगिक क्षेत्र का जीवीए स्थिर कीमतों पर 7.1 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है और इसी अवधि के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर औद्योगिक क्षेत्र का जीवीए 4.1 प्रतिशत बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान, विनिर्माण क्षेत्र के 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है जो औद्योगिक क्षेत्र में तीसरी उच्चतम विकास दर है।
संगठित और असंगठित क्षेत्र की आय बढ़ाने के लिए और राज्य के बुनियादी ढांचे का विकास करने के लिए निर्माण उप-क्षेत्र का विकास महत्वपूर्ण है। निर्माण क्षेत्र में वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान उच्चतम विकास दर जोकि 9.5 प्रतिशत अनुमानित है। पर्यटकों का आगमन किसी विशेष गंतव्य में पर्यटन की मांग के मुख्य संकेतकों में से एक है। कोविड-19 महामारी के बाद घरेलू पर्यटकों का आगमन 2020 में 32.13 लाख से बढ़कर 2021 में 56.37 लाख और 2022 में कुल मिलाकर 150.99 लाख हो गया है। इससे पता चलता है कि पर्यटकों का आगमन पूर्व महामारी के स्तर तक पहुंच रहा है।
राज्य की पांच बारहमासी नदी घाटियों में लगभग 27:436 मेगावाट जलविद्युत बिजली का उत्पादन करने की क्षमता है। राज्य की कुल जलविद्युत क्षमता में से अब तक 10,519 मेगावाट का दोहन किया जा चुका है, जिसमें से 76 प्रतिशत हिमाचल प्रदेश सरकार के नियंत्रण में है जबकि शेष केंद्र सरकार द्वारा दोहन किया जा रहा है। चालू वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल से दिसंबर तक राज्य स्तर पर थोक मूल्य मुद्रास्फीति 15.4 प्रतिशत से गिरकर 50 प्रतिशत हो गई। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सी. पीआई) में 3.2 और 7.2 प्रतिशत के बीच उतार-चढ़ाव आया। चालू वित्त वर्ष में हिमाचल प्रदेश में मध्यम मुद्रास्फीति है, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (संयुक्त) जो दिसंबर-2022 (अस्थिर) में 39 प्रतिशत दर्ज की गई।
हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग 108 नागरिक अस्पतालों, 104 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, 580 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और 16 नागरिक औषधालयों के नेटवर्क के माध्यम से उपचारात्मक निवारक और पुनर्वास सेवाएं प्रदान कर रहा है। नीति आयोग एसडीजी इंडिया इंडेक्स और डैशबोर्ड 2020-21 के अनुसार एसडीजी प्रगति मापन में हिमाचल प्रदेश “फ्रंट रनर है। 2020-21 में सतत विकास लक्ष्यों (एस. डी.जी.) के मामले में हिमाचल प्रदेश केरल के बाद भारत में दूसरे स्थान पर है।
इंडिया इनोवेशन इंडेक्स – 2021 में 14.62 के स्कोर के साथ, हिमाचल प्रदेश उत्तर पूर्वी और पहाड़ी राज्यों में पांचवें स्थान पर है। सामाजिक प्रगति सूचकांक (एस.पी.आई.) 2022 के अनुसार, हिमाचल प्रदेश सातवें स्थान पर है और इसे 63.28 स्कोर के साथ टीयर-1 (बहुत उच्च सामाजिक प्रगति) में रखा गया है। 2021 दूर है।
संस्थानों को बंद करने के विरोध में की जोरदार नारेबाजी
शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन भी विपक्ष ने सदन के बाहर और अंदर खूब हंगामा किया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने सदन के भीतर संस्थानों को बंद करने के विरोध में नारेबाजी शुरू कर दी और सत्तापक्ष पर विपक्ष की आवाज़ दबाने के आरोप लगाएं और सदन की कार्यवाही से वॉकआउट कर दिया।
नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विपक्ष मुख्यमंत्री से मिलने के लिए जब उनके कमरे के बाहर पहुंचा तो सत्तापक्ष के विधायकों ने गुंडागर्दी करते हुए भाजपा के विधायकों के धक्का-मुक्की की और मुख्यमंत्री से नहीं मिलने दिया।
सरकार ने बिना सोचे-समझे 600 से अधिक संस्थानों को बंद कर दिया है जिसके खिलाफ विपक्ष सदन के बाहर और अंदर आवाज़ उठा रहा है, लेकिन सरकार विपक्ष की आवाज़ दबा रही है जिसको लेकर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया है। संस्थानों को बंद करने को लेकर जनता में खासा रोष है और लोग भी विपक्ष के साथ विरोध के लिए आना चाह रहे हैं।