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शिमला। माता-पिता अपने बच्चों को हर माह जेब खर्च देते हैं। इससे बच्चों की कई जरूरतें पूरी होती हैं। वहीं, युवा घूमने फिरने के लिए भी इसका प्रयोग करते हैं। पर जिनके माता-पिता नहीं हैं, उन्हें अपनी कई इच्छाओं को दबाना पड़ता है। पर अनाथ बच्चे अब टेंशन न लें।
अगर उन्होंने कहीं घूमने फिरने जाना है तो पैसों की कम आड़े नहीं आएगी। हिमाचल की सुक्खू सरकार इन बच्चों को हर माह 4 हजार रुपए जेब खर्च देगी। इसके लिए हिमाचल में मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष किया गया है। इसमें 101 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
वहीं, दिवाली पर पटाखे, लोहड़ी पर मूंगफली, गजक और होली पर रंग खरीदने को भी पैसे नहीं हो तो भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि सरकार ने हर त्यौहार में अनाथ बच्चों को 500 रुपए फेस्टिव भत्ता देने का भी ऐलान किया है। इसके अलावा मुफ्त शिक्षा भी दी जाएगी। एक माता पिता की तरह अनाथ बच्चों के जीवन यापन की जरूरतों का ख्याल सरकार रखेगी।
हिमाचल के करीब 6 हजार बच्चे अब अपने आप को अनाथ न समझें। उन्हें माता पिता के रूप में सुक्खू सरकार मिल गई है। अपनी पढ़ाई, खर्चे और अन्य जरूरतों की चिंता न करें। बस एक शिक्षित और सभ्य नागरिक बनकर देश और प्रदेश के विकास में योगदान दें। हिमाचल में मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष सामाजिक, न्याय एवं अधिकारिता विभाग के माध्यम से शुरू होगा।
सरकार ने अनाथ बच्चों के लिए बड़ी पहल की है। अब हिमाचल की जनता भी इसमें अपना योगदान दे। हिमाचल के लोगों से भी आग्रह है कि वे भी अपने आसपास ऐसे बच्चों पर नजर रखें और अगर कहीं ऐसा बच्चा हो तो विभाग को इसकी सूचना दें।
शिमला। अनाथ बच्चों के लिए सुक्खू सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। हिमाचल की सुक्खू सरकार ने ऐलान किया है कि अनाथ बच्चों को मुफ्त शिक्षा और जीवन यापन का खर्च सरकार देगी। इसके अलावा 4 हजार रुपए महीना जेब खर्च भी सरकार देगी।
हर त्योहार में 500 रुपए फेस्टिवल भत्ता देने का भी ऐलान किया है। अनाथ आश्रम का दौरा करने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यह ऐलान किया है। अनाथ बच्चों की भावनाओं को सम्मान देने के लिए सरकार ने यह निर्णय लिए हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार अनाथ बच्चों के माता पिता की भूमिका निभाएगी। इसके लिए मुख्यमंत्री सुखाशय कोष की स्थापित होगा। यह तुरंत प्रभाव से लागू होगा। इसके लिए 101 करोड़ के बजट का सरकार ने प्रावधान किया है। सीएम ने कहा कि हिमाचल में करीब 6 हजार बच्चे अनाथ हैं।
इसमें कोई अनाथ आश्रम में रह रहे हैं। कोई गोद लिया गया है या कोई खुद जीवन यापन कर रहा हो, उन्हें इस योजना का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि जैसे हम अपने बेटे और बेटी को सुविधा देते हैं, वैसे ही सुविधा इन बच्चों को दी जाएगी। इन्हें जेब खर्च के लिए पैसे मिलेंगे।
कोई युवक कोई कोर्स करना चाहता हो तो भी सरकार मदद करेगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि ऐसे बच्चे अपने आप को अकेले न समझें। वहीं, एकल नारी को भी योजना का लाभ मिलेगा। उनकी शादी का खर्च भी दिया जाएगा।
शिमला। सुक्खू सरकार ने एक और फरमान जारी किया है। यह फरमान सचिवालय में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए है। इसको लेकर एक सर्कुलर जारी किया है।
जारी सर्कुलर में सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को सरकार की गोपनीयता का ख्याल रखने की हिदायत दी है। ऐसा न करने पर कार्रवाई की बात कही है।
सर्कुलर में लिखा गया है कि सचिवालय के सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को सलाह दी जाती है कि वे इस संबंध में अत्यधिक सावधानी बरतें। यदि भविष्य में सरकार द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया के दौरान कोई अधिकारी/कर्मचारी सूचना लीक करने आदि में संलिप्त पाया जाता है, तो नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।
शिमला। हिमाचल की सुक्खू सरकार ने 2002 बैच के आईएएस डॉ अभिषेक जैन को सचिव (शिक्षा व आईटी) लगाया है। इस बारे में आज अधिसूचना जारी कर दी गई है।
बता दें कि डॉ अभिषेक जैन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे और कुछ दिन पहले ही लौटे हैं। वह अपनी तैनाती का इंतजार कर रहे थे। जैन को अब तैनाती मिल गई है। वह देवेश कुमार और डॉ रजनीश को अतिरक्त कायभार से नियुक्त करेंगे।
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शिमला। हिमाचल प्रदेश सयुंक्त कर्मचारी महासंघ एवं हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा है कि सरकार द्वारा पूर्व सरकार के छह महीनों के निर्णयों की समीक्षा करना जनहित एवं कर्मचारी हित में उठाया गया सराहनीय कदम है, जिसकी संघ सराहना करता है। चौहान ने कहा कि भाजपा सरकार ने अंतिम 6 महीनों में बिना किसी बजट का प्रावधान किए राजनीतिक फायदा लेने के लिए धड़ल्ले से संस्थानों व कार्यालयों को खोलने व स्थानांतरण अंतर करने का बिना सोचे समझे काम किया, जिसमें ना तो किसी तरह की व्यवस्था को तैयार किया गया और ना ही बजट का प्रावधान किया गया।
इससे ना तो पहले से कार्यरत संस्थान सही तरीके से काम कर पाए और ना ही नए खोले गए कार्यालय एवं संस्थानों को सही तरीके से चलाया जा सका। इससे एक और जहां कर्मचारी पशोपस्त की स्थिति में रहा, वहीं सरकारी कार्य भी बाधित रहे, जिससे आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ा।
चौहान ने कहा कि हिमाचल में पूर्व सरकार ने अनगिनत ऐसे शिक्षण संस्थानों को खोला व अपग्रेड किया, जिसका कोई औचित्य नहीं था, लेकिन वहां पर ना तो इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रावधान किया गया और ना ही स्टाफ की व्यवस्था की गई। दिखावा करने के लिए कुछ शिक्षकों का स्थानांतरण कर इन संस्थानों को चलाने का प्रयास तो किया गया, लेकिन पहले से चल रहे शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे बच्चों को भारी क्षति का सामना करना पड़ा।
इससे ना तो पहले से चल रहे शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई हो पाई और ना ही नए खोले गए संस्थानों में बच्चे दाखिल हो पाए और ना ही उनकी पढ़ाई हो पाई। चौहान ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पहले से ही जरूरत से ज्यादा शिक्षण संस्थान खोले गए हैं और अधिक शिक्षण संस्थान खोलने की आवश्यकता हिमाचल जैसे छोटे राज्य में नहीं है।
शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल की सुक्खू सरकार द्वारा बिजली बोर्ड के अनेकों दफ्तरों जिसमें लगभग 10 इलेक्ट्रिकल डिवीजन, 6 ऑपरेशन सर्किल और 17 सब डिवीजनों को डि-नोटिफाई किया गया है, इसका भाजपा कड़ा विरोध करती है। एक-एक करके सभी संस्थानों को बंद किए जाने के राज्य सरकार के फैसले पूर्ण रूप से सरकार का तानाशाही व्यवहार दिखता है। जयराम ने कहा की यह सभी डिवीजन और सब डिवीजन उचित रूप से खोली गई थी, जिसमें बोर्ड को बैठक और स्वीकृति एवं सरकार की सभी परमिशनें ली गई थीं।
सुक्खू सरकार का यह रवैया बेहद दुखदायी है। इन सभी निर्णयों का भाजपा विरोध करती है और करेगी, इसके खिलाफ हम कोर्ट भी जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकार बदले की भावना से काम कर रही है और हमारी सरकार द्वारा जितने भी जनहित के निर्णय लिए थे, उस पर राजनीति कर रही है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बदला बदली की भावना से राजनीति कर रहे हैं और एक के बाद एक पूर्व जितने भी निर्णय जयराम सरकार ने जनहित के लिए थे, उसको पलटने का काम कर रही है। यह सरकार केवल निर्णय पलटने आई है। भाजपा इस प्रकार के निर्णय की घोर निंदा करती है।
सुक्खू सरकार ने धर्मपुर स्थित शिवा प्रोजेक्ट का पहला कार्यालय भी बंद कर दिया और उस कार्यालय के तमाम कर्मचारियों को शिमला बुला लिया, इसी के साथ एक्सीलेंस केंद्र को भी बंद करने का कार्य किया। यह साफ दर्शाता है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को जनहित की कोई टेंशन नहीं है उनको केवल भाजपा के अच्छे कार्यों को पलटने की टेंशन है।
उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकाल में कभी एसा नहीं देखा गया कि व क्षेत्र किस पार्टी का शाशित क्षेत्र है अपितु केवल समग्र हिमाचल प्रदेश के विकास के उद्देश्य ही भाजपा का फोकस रहा। आज कांग्रेस पार्टी के नेताओं के इस व्यवहार को देख जनता में भी आलोचना की चर्चाएं हैं जोकि धीरे-धीरे जगजाहिर भी हो जाएगी। इस प्रकार की बदला बदली वाली सरकार ज्यादा देर चलने वाली नहीं है। मुख्यमंत्री अपने तो मंत्री भी नहीं बना पा रहे हैं और राजनीति कर जनता को परेशान कर रहे हैं।