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हिमाचल विधानसभा : नई सरकार का पहला सत्र, तपोवन में लौटी रौनक, लोगों में दिखा उत्साह

तपोवन। हिमाचल में 14वीं विधानसभा का पहला सत्र आज धर्मशाला तपोवन में शुरू हुआ। नई बनी कांग्रेस की सुक्खू सरकार का भी पहला सत्र है। पहले सत्र को लेकर लोगों में खासा उत्साह दिखा। काफी संख्या में लोग पहुंचे वहीं, लंबे अरसे के बाद तपोवन में रौनक लौटी है।
हिमाचल के इतिहास में पहली बार बिना कैबिनेट के विधानसभा सत्र हो रहा है वहीं सदन में उप मुख्यमंत्री भी पहली बार बैठे हैं। धर्मशाला के तपोवन में सदन की कार्यवाही राष्ट्रगान के साथ शुरू हुई। सुक्खू सरकार का यह पहला सत्र है। प्रोटेम स्पीकर चंद्र कुमार सभी विधायकों को बारी-बारी पद एवं गोपनीयता की शपथ दिला रहे हैं। सबसे पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शपथ ली। दूसरे नंबर पर मुकेश अग्निहोत्री और तीसरे नंबर पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शपथ ग्रहण की।
हिमाचल विधानसभा सत्र : पहले ही दिन गरमाया माहौल, थोड़ी देर हंगामा
हालांकि, पहले ही दिन सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने हंगामा कर दिया। हिमाचल में पूर्व सरकार के फैसलों को पलटने के विरोध में हुआ। विपक्ष ने दफ्तर और संस्थान डिनोटिफाइ करने पर सवाल उठाए। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार के निर्णयों पर आपत्ति जताई। कहा कि इस तरह फैसले पलटना ठीक नहीं है।
बता दें कि 6 जनवरी तक चलने वाले इस सत्र में कुल 3 सीटिंग होंगी। सत्र के दूसरे दिन यानी कल विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) का चुनाव होगा। स्पीकर चुनने की प्रक्रिया प्रोटेम स्पीकर की अगुवाई में पूरी की जाएगी।
स्पीकर के चयन के बाद राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ ऑर्लेकर का अभिभाषण होगा। इस पर विधायक चर्चा करेंगे। सत्र के तीसरे व अंतिम दिन अभिभाषण पर चर्चा होगी और मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू जवाब देंगे।
शपथ से पहले ही सदन में माहौल गरमा गया था। विपक्ष ने बदले की भावना और ओपीएस के वादे पर भारी हंगामा किया। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि इस तरह पूर्व सरकार के फैसले निरस्त करना ठीक नहीं है।

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हिमाचल : कहीं घूमने जाने और पटाखे खरीदने को नहीं हैं पैसे, तो नो टेंशन

हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार देगी

शिमला। माता-पिता अपने बच्चों को हर माह जेब खर्च देते हैं। इससे बच्चों की कई जरूरतें पूरी होती हैं। वहीं, युवा घूमने फिरने के लिए भी इसका प्रयोग करते हैं। पर जिनके माता-पिता नहीं हैं, उन्हें अपनी कई इच्छाओं को दबाना पड़ता है। पर अनाथ बच्चे अब टेंशन न लें।

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अगर उन्होंने कहीं घूमने फिरने जाना है तो पैसों की कम आड़े नहीं आएगी। हिमाचल की सुक्खू सरकार इन बच्चों को हर माह 4 हजार रुपए जेब खर्च देगी। इसके लिए हिमाचल में मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष किया गया है। इसमें 101 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

वहीं, दिवाली पर पटाखे, लोहड़ी पर मूंगफली, गजक और होली पर रंग खरीदने को भी पैसे नहीं हो तो भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि सरकार ने हर त्यौहार में अनाथ बच्चों को 500 रुपए फेस्टिव भत्ता देने का भी ऐलान किया है। इसके अलावा मुफ्त शिक्षा भी दी जाएगी। एक माता पिता की तरह अनाथ बच्चों के जीवन यापन की जरूरतों का ख्याल सरकार रखेगी।

हिमाचल : अनाथ बच्चों के लिए बड़ा ऐलान, मुफ्त शिक्षा-जेब खर्च भी देगी सरकार

हिमाचल के करीब 6 हजार बच्चे अब अपने आप को अनाथ न समझें। उन्हें माता पिता के रूप में सुक्खू सरकार मिल गई है। अपनी पढ़ाई, खर्चे और अन्य जरूरतों की चिंता न करें। बस एक शिक्षित और सभ्य नागरिक बनकर देश और प्रदेश के विकास में योगदान दें। हिमाचल में मुख्यमंत्री सुखाश्रय सहायता कोष सामाजिक, न्याय एवं अधिकारिता विभाग के माध्यम से शुरू होगा।

सरकार ने अनाथ बच्चों के लिए बड़ी पहल की है। अब हिमाचल की जनता भी इसमें अपना योगदान दे। हिमाचल के लोगों से भी आग्रह है कि वे भी अपने आसपास ऐसे बच्चों पर नजर रखें और अगर कहीं ऐसा बच्चा हो तो विभाग को इसकी सूचना दें।

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हिमाचल : अनाथ बच्चों के लिए बड़ा ऐलान, मुफ्त शिक्षा-जेब खर्च भी देगी सरकार

हर त्योहार में 500 रुपए फेस्टिवल भत्ता देने की भी घोषणा

शिमला। अनाथ बच्चों के लिए सुक्खू सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। हिमाचल की सुक्खू सरकार ने ऐलान किया है कि अनाथ बच्चों को मुफ्त शिक्षा और जीवन यापन का खर्च सरकार देगी। इसके अलावा 4 हजार रुपए महीना जेब खर्च भी सरकार देगी।

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हर त्योहार में 500 रुपए फेस्टिवल भत्ता देने का भी ऐलान किया है। अनाथ आश्रम का दौरा करने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यह ऐलान किया है। अनाथ बच्चों की भावनाओं को सम्मान देने के लिए सरकार ने यह निर्णय लिए हैं।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार अनाथ बच्चों के माता पिता की भूमिका निभाएगी। इसके लिए मुख्यमंत्री सुखाशय कोष की स्थापित होगा। यह तुरंत प्रभाव से लागू होगा। इसके लिए 101 करोड़ के बजट का सरकार ने प्रावधान किया है। सीएम ने कहा कि हिमाचल में करीब 6 हजार बच्चे अनाथ हैं।

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इसमें कोई अनाथ आश्रम में रह रहे हैं। कोई गोद लिया गया है या कोई खुद जीवन यापन कर रहा हो, उन्हें इस योजना का लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि जैसे हम अपने बेटे और बेटी को सुविधा देते हैं, वैसे ही सुविधा इन बच्चों को दी जाएगी। इन्हें जेब खर्च के लिए पैसे मिलेंगे।

कोई युवक कोई कोर्स करना चाहता हो तो भी सरकार मदद करेगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि ऐसे बच्चे अपने आप को अकेले न समझें। वहीं, एकल नारी को भी योजना का लाभ मिलेगा। उनकी शादी का खर्च भी दिया जाएगा।

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सुक्खू सरकार का फरमान, गोपनीयता का ख्याल रखें सचिवालय कर्मी

सूचना लीक में पाया दोषी तो होगी कार्रवाई

शिमला। सुक्खू सरकार ने एक और फरमान जारी किया है। यह फरमान सचिवालय में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए है। इसको लेकर एक सर्कुलर जारी किया है।

जारी सर्कुलर में सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को सरकार की गोपनीयता का ख्याल रखने की हिदायत दी है। ऐसा न करने पर कार्रवाई की बात कही है।

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सर्कुलर में लिखा गया है कि सचिवालय के सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को सलाह दी जाती है कि वे इस संबंध में अत्यधिक सावधानी बरतें। यदि भविष्य में सरकार द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया के दौरान कोई अधिकारी/कर्मचारी सूचना लीक करने आदि में संलिप्त पाया जाता है, तो नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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आईएएस डॉ अभिषेक जैन को सौंपा शिक्षा और आईटी सचिव का जिम्मा

शिमला। हिमाचल की सुक्खू सरकार ने 2002 बैच के आईएएस डॉ अभिषेक जैन को सचिव (शिक्षा व आईटी) लगाया है। इस बारे में आज अधिसूचना जारी कर दी गई है।

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बता दें कि डॉ अभिषेक जैन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे और कुछ दिन पहले ही लौटे हैं। वह अपनी तैनाती का इंतजार कर रहे थे। जैन को अब तैनाती मिल गई है। वह देवेश कुमार और डॉ रजनीश को अतिरक्त कायभार से नियुक्त करेंगे।

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हिमाचल: कर्मचारी नेता ने सराहा सुक्खू सरकार का फैसला, कही ये बड़ी बात

बोले-जनहित व कर्मचारी हित में उठाया गया सराहनीय कदम

शिमला। हिमाचल प्रदेश सयुंक्त कर्मचारी महासंघ एवं हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा है कि सरकार द्वारा पूर्व सरकार के छह महीनों के निर्णयों की समीक्षा करना जनहित एवं कर्मचारी हित में उठाया गया सराहनीय कदम है, जिसकी संघ सराहना करता है। चौहान ने कहा कि भाजपा सरकार ने अंतिम 6 महीनों में बिना किसी बजट का प्रावधान किए राजनीतिक फायदा लेने के लिए धड़ल्ले से संस्थानों व कार्यालयों को खोलने व स्थानांतरण अंतर करने का बिना सोचे समझे काम किया, जिसमें ना तो किसी तरह की व्यवस्था को तैयार किया गया और ना ही बजट का प्रावधान किया गया।

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इससे ना तो पहले से कार्यरत संस्थान सही तरीके से काम कर पाए और ना ही नए खोले गए कार्यालय एवं संस्थानों को सही तरीके से चलाया जा सका। इससे एक और जहां कर्मचारी पशोपस्त की स्थिति में रहा, वहीं सरकारी कार्य भी बाधित रहे, जिससे आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ा।

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चौहान ने कहा कि  हिमाचल में पूर्व सरकार ने अनगिनत ऐसे शिक्षण संस्थानों को खोला व अपग्रेड किया, जिसका कोई औचित्य नहीं था, लेकिन वहां पर ना तो इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रावधान किया गया और ना ही स्टाफ की व्यवस्था की गई। दिखावा करने के लिए कुछ शिक्षकों का स्थानांतरण कर इन संस्थानों को चलाने का प्रयास तो किया गया, लेकिन पहले से चल रहे शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे बच्चों को भारी क्षति का सामना करना पड़ा।

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इससे ना तो पहले से चल रहे शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई हो पाई और ना ही नए खोले गए संस्थानों में बच्चे दाखिल हो पाए और ना ही उनकी पढ़ाई हो पाई। चौहान ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पहले से ही जरूरत से ज्यादा शिक्षण संस्थान खोले गए हैं और अधिक शिक्षण संस्थान खोलने की आवश्यकता हिमाचल जैसे छोटे राज्य में नहीं है।

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हिमाचल डि-नोटिफाई मिशन-नंदा बोले, मंडी की हार का बदला ले रही कांग्रेस

आज डीसी और एसडीएम के माध्यम से ज्ञापन दे रही भाजपा
शिमला। हिमाचल की सुक्खू सरकार ने कल एक ही नोटिफिकेशन के माध्यम से पूरे हिमाचल  में 307 सरकारी दफ्तर बंद कर दिए हैं। भाजपा सरकार के इस निर्णय को लेकर उग्र हो गई है। इसे सरकार का तुगलकी फरमान कहा है। यही नहीं सुक्खू सरकार को हिटलर की सरकार भी करार दिया है।
भाजपा प्रदेश सह मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने कहा कि सरकार को कहीं ना कहीं यह भी सता रहा है कि मंडी में वह 10 में से 9 सीटें हार गए हैं, तभी मंडी में दल बल के साथ कार्यालय को बंद किया जा रहा है। इससे पहले धर्मपुर के शिवा प्रोजेक्ट का कार्यालय बंद किया गया और एक्सीलेंस सेंटर बंद किया गया और अब जब कार्यालय बंद हो रहे हैं तो सबसे ज्यादा तादात मंडी की निकल कर आ रही है। मंडी के बल्ह इलाके में जो एयरपोर्ट बनना है, उसकी भी एजेंसी को बदला गया है।
भाजपा प्रदेश सह मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में वर्तमान कांग्रेस सरकार बदले की भावना से काम कर रही है।
जैसे ही कांग्रेस की सरकार हिमाचल प्रदेश में बनी, तब से ही इस प्रकार की भावना उनकी सामने निकलकर आ रही थी। कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि 1 अप्रैल 2022 से जितने भी फैसले पूर्व में जयराम सरकार द्वारा लिए गए हैं, उनपर पुनः विचार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कल प्रदेश सरकार ने एक ही नोटिफिकेशन के माध्यम से पूरे प्रदेश में 307 कार्यालय बंद कर दिए, यह एक तुगलकी फरमान से कम नहीं है यह दिखाता है कि यह सरकार एक हिटलर की सरकार है।
 इसके अलावा 1 दिन में बिजली बोर्ड के 32 दफ्तरों को बंद करना निंदनीय है।
 हैरानी की बात तो यह है कि सभी दफ्तरों को एक उचित प्रक्रिया के माध्यम से सभी मंजूरी लेते हुए खोला गया था।
उन्होंने कहा की एक दिन में 179 स्वास्थ्य संस्थाओं को बंद कर दिया, जिससे लोगों को जगह-जगह स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध हो रहा था, 79 पटवार सर्कल, 3 तहसील, 20 उप तहसीलें, 3 कानूनगो पटवार सर्कल और 16 सर्कल डिवीजन को भी बंद किया गया।
 यह सब दिखाता है कि प्रदेश की सरकार को विकास से कोई लेना देना नहीं है, उनको केवल चिंता है तो सिर्फ बदला लेने की।
आज पूरे प्रदेश भर में डीसी और एसडीएम के माध्यम से राज्यपाल को एक ज्ञापन भी भेजा जा रहा है, जिसके अंदर इस सरकार की कड़ी निंदा भी की गई है और इस प्रकार के निर्णय सरकार ले रही है उसको रोक लगे उस पर चिंतन करने को आग्रह किया गया है।
अगर आप स्वास्थ्य संस्थाओं के बारे में बात करें तो 40 स्वास्थ्य संस्थान तो केवल मंडी जिले में ही बंद किए गए हैं। इसके अलावा 25 सोलन में, कांगड़ा में 25 और 20 बिलासपुर के बंद किए गए हैं।
आज से पहले ऐसा कभी हिमाचल प्रदेश के इतिहास में नहीं हुआ। ऐसा हिमाचल प्रदेश में पहली बार हो रहा है। उन्होंने दावा किया है कि इस प्रकार की सरकार ज्यादा दिन चलने वाली नहीं है, क्योंकि इस प्रकार की सरकार में हिटलर राज साफ दिखाई दे रहा है।

 

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हिमाचल: 1 अप्रैल के बाद सृजित व अपग्रेड स्वास्थ्य संस्थान भी डि-नोटिफाई

बिजली बोर्ड के डिवीजनों पर भी चला है चाबुक
शिमला। हिमाचल में बिजली बोर्ड के न्यू डिवीजन, ऑपरेशन सर्कल और इलेक्ट्रिक सेक्शन को डि-नोटिफाई करने के साथ ही सुक्खू सरकार ने 1 अप्रैल 2022 के बाद सृजित/अपग्रेड स्वास्थ्य संस्थानों को भी डि-नोटिफाई कर दिया है। इस बारे भी अधिसूचना जारी कर दी है।
बता दें कि हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने पूर्व की जयराम सरकार के दो और फैसले पर चाबुक चलाया है। सुक्खू सरकार ने नए बने बिजली बोर्ड के डिवीजन, न्यू ऑपरेशन सर्कल और इलेक्ट्रिक सेक्शन को डी-नोटिफाई कर दिया है। इन डिवीजन, ऑपरेशन सर्कल और इलेक्ट्रिक सेक्शन में तैनात स्टाफ के स्थानांतरण आदेश अलग से जारी होंगे।
डी-नोटिफाई न्यू इलेक्ट्रिक डिवीजन में शिलाई, सराहन, नैरचौक, संगडाह, सुजानपुर, थुनाग, देवी मरहूं मुंडी एट नागनी, भावानगर, तीसा, हरोली, थानाकलां, भोरंज शामिल हैं। साथ ही इलेक्ट्रिक सेक्शन बठेहर बंजार, न्यू ऑपरेशन सर्कल नूरपुर, भवारना, धर्मपुर शामिल हैं। बता दें कि सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने अप्रैल 2022 के बाद पिछली सरकार के कैबिनेट फैसलों पर रोक लगा दी है। साथ ही अन्य निर्णय भी लिए हैं। अब बिजली बोर्ड के  नए बने बिजली बोर्ड के डिवीजन, न्यू ऑपरेशन सर्कल और इलेक्ट्रिक सेक्शन को डी-नोटिफाई कर दिया है।
उधर, हिमाचल सरकार के निर्णयों के खिलाफ भाजपा मुखर हो गई है। भाजपा ने सरकार को इन निर्णयों पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो भाजपा सड़क से लेकर सदन तक इसका विरोध करेगी। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने तो फैसलों के खिलाफ कोर्ट जाने की भी चेतावनी दी है।
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जयराम बोले-सुक्खू सरकार के निर्णयों का करते हैं विरोध-जाएंगे कोर्ट

कश्यप बोले- बदला बदली की भावना से राजनीति कर रहे

शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल की सुक्खू सरकार द्वारा बिजली बोर्ड के अनेकों दफ्तरों जिसमें लगभग 10 इलेक्ट्रिकल डिवीजन, 6 ऑपरेशन सर्किल और 17 सब डिवीजनों को डि-नोटिफाई किया गया है, इसका भाजपा कड़ा विरोध करती है। एक-एक करके सभी संस्थानों को बंद किए जाने के राज्य सरकार के फैसले पूर्ण रूप से सरकार का तानाशाही व्यवहार दिखता है। जयराम ने कहा की यह सभी डिवीजन और सब डिवीजन उचित रूप से खोली गई थी, जिसमें बोर्ड को बैठक और स्वीकृति एवं सरकार की सभी परमिशनें ली गई थीं।

हिमाचल विधानसभा का शीतकालीन सत्र बुलाने के आदेश रद्द, अधिसूचना जारी

सुक्खू सरकार का यह रवैया बेहद दुखदायी है। इन सभी निर्णयों का भाजपा विरोध करती है और करेगी, इसके खिलाफ हम कोर्ट भी जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकार बदले की भावना से काम कर रही है और हमारी सरकार द्वारा जितने भी जनहित के निर्णय लिए थे, उस पर राजनीति कर रही है।

ओपीएस बहाली को लेकर सीएम सुखविंदर सुक्खू की बड़ी बात- पढ़ें खबर

 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बदला बदली की भावना से राजनीति कर रहे हैं और एक के बाद एक पूर्व जितने भी निर्णय जयराम सरकार ने जनहित के लिए थे, उसको पलटने का काम कर रही है। यह सरकार केवल निर्णय पलटने आई है। भाजपा इस प्रकार के निर्णय की घोर निंदा करती है।

सुक्खू सरकार के निर्णयों पर भाजपा उग्र, डिप्टी सीएम पद पर भी उठाए सवाल

 

सुक्खू सरकार ने धर्मपुर स्थित शिवा प्रोजेक्ट का पहला कार्यालय भी बंद कर दिया और उस कार्यालय के तमाम कर्मचारियों को शिमला बुला लिया, इसी के साथ एक्सीलेंस केंद्र को भी बंद करने का कार्य किया। यह साफ दर्शाता है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को जनहित की कोई टेंशन नहीं है उनको केवल भाजपा के अच्छे कार्यों को पलटने की टेंशन है।

सुक्खू सरकार का एक और बड़ा एक्शन, न्यू बिजली बोर्ड डिवीजन डी-नोटिफाई

उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकाल में कभी एसा नहीं देखा गया कि व क्षेत्र किस पार्टी का शाशित क्षेत्र है अपितु केवल समग्र हिमाचल प्रदेश के विकास के उद्देश्य ही भाजपा का फोकस रहा। आज कांग्रेस पार्टी के नेताओं के इस व्यवहार को देख जनता में भी आलोचना की चर्चाएं हैं जोकि धीरे-धीरे जगजाहिर भी हो जाएगी। इस प्रकार की बदला बदली वाली सरकार ज्यादा देर चलने वाली नहीं है। मुख्यमंत्री अपने तो मंत्री भी नहीं बना पा रहे हैं और राजनीति कर जनता को परेशान कर रहे हैं।

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सुक्खू सरकार के निर्णयों पर भाजपा उग्र, डिप्टी सीएम पद पर भी उठाए सवाल

रणधीर शर्मा बोले-एक भी निर्णय जनहित में नहीं लिया
शिमला। हिमाचल की पूर्व की जयराम सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों को बदला जा रहा है। अब सरकार ने जयराम ठाकुर सरकार द्वारा घोषित बिजली बोर्ड के नए डिवीजन, ऑपरेशन सर्कल और सेक्शन को भी डी-नोटिफाई कर दिया है। सरकार के इन तमाम निर्णयों के खिलाफ भाजपा मुखर हो गई है। भाजपा ने सरकार को इन निर्णयों पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो भाजपा सड़क से लेकर सदन तक इसका विरोध करेगी।
भाजपा के मुख्य प्रवक्ता व विधायक रणधीर शर्मा ने शिमला में कहा कि कांग्रेस की नई नवेली सरकार ने 10 दिन में एक भी निर्णय जनहित में नहीं लिया है। अभी तक एक भी चुनावी वादे की शुरुआत नहीं हो पाई। जनविरोधी निर्णयों के साथ सरकार ने आगाज किया है। बीजेपी इसकी निंदा करती है। उन्होंने कहा कि पूर्व की बीजेपी सरकार ने जनता के हित में अनेक निर्णय लिए, लेकिन अब की सरकार अपना कैबिनेट तक नहीं बना पाई है।
मुख्यमंत्री  और उपमुख्यमंत्री बनते ही 1 अप्रैल 2022 के बाद के निर्णय को रिव्यू कर कई संस्थानों को डी नोटिफाई करने का काम किया है। यह तर्क संगत नहीं है। तुगलकी फरमान सुनाते हुए बिजली बोर्ड के अनेक संस्थान डी नोटिफाई किए हैं। शिवा प्रोजेक्ट के धर्मपुर कार्यालय को भी बंद किया है। सरकार निर्णयों पर पुनर्विचार करे अन्यथा बीजेपी सड़क से सदन तक सरकार का विरोध कर इन संस्थानों को पुनः खोलने के लिए बाध्य करेगी।
उन्होंने कहा कि सीमेंट कंपनियों की तालाबंदी हो गई सरकार ने समस्या के समाधान के लिए कोई प्रयास नहीं किया। हजारों लोगों पर रोजगार संकट खड़ा हो गया, लेकिन सरकार दिल्ली, राजस्थान के सैर स्पाटे में व्यस्त है। सरकार इसका समाधान करे। बीजेपी प्रभावितों के साथ मिलकर आंदोलन करेगी, जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
भाजपा के मुख्य प्रवक्ता व विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि पहली कैबिनेट में ओपीएस बहाल करने की बात कही गई थी। दस दिन हो गए, लेकिन अभी तक कैबिनेट का गठन ही नहीं हो पाया। इस सरकार ने कर्मचारियों के साथ भद्दा मजाक किया है। 15 सौ रुपये प्रतिमाह देने की बात कही, लेकिन अब पहले आर्थिक संसाधन खड़े करने की बात कह रहे हैं। मुख्यमंत्री व डिप्टी सीएम के बयानों में विरोधाभास है। इससे इनकी कार्यप्रणाली का अंदाजा लगाया जा सकता है। छोटे से प्रदेश में डिप्टी सीएम का पद सृजित किया और फिजूलखर्ची को बढ़ावा दिया।

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