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शिमला। नई शिक्षा नीति के विरोध में एसएफआई (SFI) ने आज डीसी ऑफिस के बाहर धरना प्रदर्शन किया। एसएफआई का कहना है कि ये नीति निजी शिक्षा को बढ़ावा देने वाली है। छात्र संगठन ने इस दौरान नई शिक्षा नीति के विरोध में केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और पुतला भी फूंका।
एसएफआई (SFI) के जिला सचिव कमल शर्मा ने कहा कि 2020 में कोविड के दौरान बिना किसी चर्चा के नई शिक्षा नीति को लागू किया गया। नई शिक्षा नीति निजीकरण को बढ़ावा देने वाली है।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी 10 से 15 किलोमीटर के दायरे में स्थित स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है, जिसका सीधा सा मतलब है कि वहां पर निजी स्कूल खोलकर लूट की छूट दी जाएगी।
इस नीति को शिक्षा का व्यापारीकरण कर कुछ लोगों को लाभ देने के लिए लाया गया है। ये शिक्षा नीति सरकारी शिक्षा को खत्म करने की साजिश है। एसएफआई (SFI) इसे वापस लेने की मांग कर रही है।
शिमला। हिमाचल प्रदेश सचिवालय में कार्यरत कनिष्ठ आशुलिपिकों (जूनियर स्टेनोग्राफर) द्वारा विभागों से अस्थाई ड्यूटी पर सचिवालय में कार्यरत आशुटंककों (स्टेनोग्राफर) को सचिवालय सेवाओं में समायोजित करने पर हिमाचल सचिवालय निजी सचिव एवं निजी सहायक संघ ने अपना विरोध दर्ज किया है।
संघ के प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि सचिवालय में कनिष्ठ आशुलिपिकों के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों को दरकिनार कर विभागों के आशुटंककों (स्टेनोग्राफर) को कनिष्ठ आशुलिपिकों (जूनियर स्टेनोग्राफर) के पद पर पदोन्नत करके सचिवालय में समायोजित किया जा रहा है जो कि नियमों के विरुद्ध है।
गौरतलब है कि सचिवालय में कर्मचारी चयन आयोग/लोक सेवा आयोग के माध्यम से कनिष्ठ आशुलिपिकों (जूनियर स्टेनोग्राफर) के पद सीधी भर्ती के आधार पर पद भरे जाते हैं क्योंकि सचिवालय में आशुटंककों (स्टेनोग्राफर) का कोई पद नहीं है। आशुटंककों (स्टेनोग्राफर) के पद केवल विभागों में ही सृजित हैं।
संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू तथा सभी मंत्रियों से मिल कर इन नियुक्तियों का विरोध प्रकट किया और उन्हें ज्ञापन सौंपा सभी मंत्रियों ने प्रतिनिधिमंडल की मांगों को सुना और अधिकारियों को लिखित रूप में इस प्रकार की नियुक्तियां स्थगित करने के निर्देश दिए।
इससे पूर्व सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि मंडल ने भी मुख्यमंत्री से मिलकर इन नियुक्तियों के विरुद्ध अपना विरोध प्रकट किया है।
शिमला। फिल्म ‘आदि पुरुष’ को लेकर देशभर में विरोध हो रहा है। हिमाचल में भी फिल्म का विरोध शुरू हो गया है। हिमाचल में देवभूमि क्षत्रिय संगठन व सवर्ण मोर्चा ने भी सोमवार को रोष जताते हुए शिमला में दो थियेटर बंद करवा दिए। यही नहीं देवभूमि क्षत्रिय संगठन स्वर्ण मोर्चा के सुप्रीमो रुमित सिंह ठाकुर ने हिमाचल में अन्य थियेटर मालिकों से 48 घंटे के भीतर फिल्म उतारने को कहा है। रुमित सिंह ठाकुर ने दो टूक कहा कि अगर फिल्म नहीं उतारी तो हमें बंद करवानी आती है।
वहीं, देवभूमि क्षत्रिय संगठन व सवर्ण मोर्चा के सुप्रीमो रुमित सिंह ठाकुर व अन्य कार्यकर्ताओं ने हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने वाली फिल्म ‘आदि पुरुष’ का विरोध जताने के साथ-साथ टूटीकंडी सिनेमा हॉल में बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ भी किया। हालांकि, सिनेमाघर में कल से ही आदि पुरुष फिल्म की स्क्रीनिंग बंद कर दी गई है। शिमला के शाही सिनेमाघर में भी फिल्म का विरोध किया।
रुमित सिंह ठाकुर ने कहा कि फिल्म में जो दृश्य और डायलॉग दिखाए गए हैं, वे हिंदू समाज के लोगों के लिए ठेस पहुंचाने वाले हैं, इसलिए इस फिल्म पर प्रतिबंध लगना चाहिए। एक तरफ जहां अयोध्या में राम का भव्य मंदिर बन रहा है, दूसरी तरफ भगवान श्री राम का और माता सीता का इन फिल्मों के माध्यम से अपमान और मजाक उड़ाया जा रहा है, जोकि सहन नहीं होगा। जब भी धार्मिक आस्थाओं पर आधारित कोई फिल्म बनी उसके लिए धर्मगुरुओं शंकराचार्य की कमेटी के गठन किया जाए, जो इनको पास करने की अनुमति दे। तभी फिल्में सिनेमा घरों में दिखाई जाए।
बता दें कि अरबों रुपये के बजट से बनी फिल्म आदि पुरुष बड़े परदे पर रिलीज हो गई है। रिलीज के साथ ही फिल्म को लेकर विवाद भी पैदा हो गया है। आरोप है कि फिल्म में मर्यादापुरुषोत्तम राम के साथ और रामायण की मूल भावना के साथ मजाक किया गया है।
हिंदू संगठन फिल्म का जमकर विरोध कर रहे हैं। फिल्म का निर्देशन ओम राउत ने किया है। अभिनेता प्रभास ने राघव (राम), कृति सैनन ने जानकी (सीता) और सैफ अली खान ने लंकेश (रावण) की भूमिका निभाई है।
शिमला। जेबीटी भर्ती में बीएड (B.Ed) डिग्री धारकों को शामिल करने के विरोध में JBT/डीएलएड प्रशिक्षित बेरोजगार संघ आज शिमला शिक्षा निदेशालय पहुंचा। संघ ने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ अपना विरोध जाहिर किया।
सरकार एनसीटीई (NCTE) की 2018 की गाइडलाइन का हवाला देकर बैचवाइज जेबीटी भर्ती में बीएड डिग्री धारकों को शामिल कर रही, जिससे जेबीटी की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है।
बेरोजगार जेबीटी प्रशिक्षुओं ने बताया कि बीएड को जेबीटी भर्ती में शामिल करने के मामले को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट ने एनसीटीई की अधिसूचना को खारिज कर दिया है, जिसके बाद मामला अब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन हिमाचल सरकार ने पुराने आरएंडपी रूल्स के आधार पर ही एनसीटीई की अधिसूचना जारी कर बैचवाइज जेबीटी भर्ती में बीएड डिग्री धारकों को भर्ती के लिए शामिल किया है, जबकि इसके लिए नए आरएंडपी रूल्स बनाए जाने थे।
JBT प्रशिक्षुओं ने बताया कि कई बार शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री से मामले को लेकर मिले, लेकिन हर बार आश्वासन ही मिले हैं। सरकार ने अगर जेबीटी भर्ती में बीएड को मान्यता देनी है, तो जेबीटी ट्रेनिंग को बंद क्यों नहीं करती।
इसी कड़ी में राजधानी शिमला में भी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भाजपा मुख्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया और मनीष सिसोदिया को निर्दोष करार देते हुए केंद्र सरकार पर तानाशाही के आरोप लगाए।
आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुरजीत सिंह ठाकुर ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ईमानदार लोगों को तंग करने का काम कर रही है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाई है और गरीब बच्चों के सपने पूरे करने के लिए सिसोदिया काम कर रहे हैं।
देशभर में आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता को बढ़ता देख केंद्र की मोदी सरकार केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करके ईमानदार लोगों के खिलाफ मामले दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करवा रही है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के एमसीडी चुनाव में भी भाजपा की हार हुई है जिसकी बौखलाहट में आम आदमी पार्टी के नेताओं को तंग किया जा रहा है जिसे आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे और इसी के विरोध में आज देश भर में पार्टी कार्यकर्ता धरना प्रदर्शन कर रही है।
शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल की सुक्खू सरकार द्वारा बिजली बोर्ड के अनेकों दफ्तरों जिसमें लगभग 10 इलेक्ट्रिकल डिवीजन, 6 ऑपरेशन सर्किल और 17 सब डिवीजनों को डि-नोटिफाई किया गया है, इसका भाजपा कड़ा विरोध करती है। एक-एक करके सभी संस्थानों को बंद किए जाने के राज्य सरकार के फैसले पूर्ण रूप से सरकार का तानाशाही व्यवहार दिखता है। जयराम ने कहा की यह सभी डिवीजन और सब डिवीजन उचित रूप से खोली गई थी, जिसमें बोर्ड को बैठक और स्वीकृति एवं सरकार की सभी परमिशनें ली गई थीं।
सुक्खू सरकार का यह रवैया बेहद दुखदायी है। इन सभी निर्णयों का भाजपा विरोध करती है और करेगी, इसके खिलाफ हम कोर्ट भी जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकार बदले की भावना से काम कर रही है और हमारी सरकार द्वारा जितने भी जनहित के निर्णय लिए थे, उस पर राजनीति कर रही है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बदला बदली की भावना से राजनीति कर रहे हैं और एक के बाद एक पूर्व जितने भी निर्णय जयराम सरकार ने जनहित के लिए थे, उसको पलटने का काम कर रही है। यह सरकार केवल निर्णय पलटने आई है। भाजपा इस प्रकार के निर्णय की घोर निंदा करती है।
सुक्खू सरकार ने धर्मपुर स्थित शिवा प्रोजेक्ट का पहला कार्यालय भी बंद कर दिया और उस कार्यालय के तमाम कर्मचारियों को शिमला बुला लिया, इसी के साथ एक्सीलेंस केंद्र को भी बंद करने का कार्य किया। यह साफ दर्शाता है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को जनहित की कोई टेंशन नहीं है उनको केवल भाजपा के अच्छे कार्यों को पलटने की टेंशन है।
उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकाल में कभी एसा नहीं देखा गया कि व क्षेत्र किस पार्टी का शाशित क्षेत्र है अपितु केवल समग्र हिमाचल प्रदेश के विकास के उद्देश्य ही भाजपा का फोकस रहा। आज कांग्रेस पार्टी के नेताओं के इस व्यवहार को देख जनता में भी आलोचना की चर्चाएं हैं जोकि धीरे-धीरे जगजाहिर भी हो जाएगी। इस प्रकार की बदला बदली वाली सरकार ज्यादा देर चलने वाली नहीं है। मुख्यमंत्री अपने तो मंत्री भी नहीं बना पा रहे हैं और राजनीति कर जनता को परेशान कर रहे हैं।