उत्तरकाशी। मंगलवार के दिन उत्तरकाशी से मंगल खबर आई। सिलक्यारा टनल में फंसे 41 श्रमिकों को 17वें दिन सुरक्षित निकाल लिया। इस दौरान न तो श्रमिक ठीक से सो पाए और न ही उनके परिजन। इनके अलावा कुछ और लोग थे वो भी 17 दिन आराम से नहीं बैठे।
अपनी जान की परवाह किए बिना 41 जिंदगियों को बचाने में जुटे रहे। हौसला और जज्बा था कि सभी को सुरक्षित निकालना है। यह लोग रेस्क्यू में जुटे बचाव दल के सदस्य हैं। कहीं न कहीं इन लोगों ने भी आज राहत की सांस ली होगी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए 17 दिन से अथक परिश्रम के साथ लगे बचाव दल के सदस्यों से भेंट कर उनका धन्यवाद व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों, सेना एवं प्रदेश प्रशासन की टीमों के बेहतरीन समन्वय एवं आप सभी के समर्पण भाव से ही असंभव सा प्रतीत होने वाला यह मिशन सफलतापूर्वक पूर्ण हुआ है।
आप सभी को कोटि-कोटि नमन। ewn24 news choice of himachal भी बचाव दल के तमाम सदस्यों सहित उन सबके जज्बे को सलाम करता जो रेस्क्यू में जुटे थे।
उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित सिल्क्यारा टनल में फंसे सभी 41 मजदूरों को आखिरकार सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। 17 दिन से चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन आज सफल हुआ। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला की बल्ह घाटी के बंगोट गांव का विशाल कुमार भी सुरक्षित बाहर निकल गया है।
विशाल के बाहर निकले की खबर मिलते ही उनके परिवार में खुशी का माहौल है। विशाल के परिवार में आज त्योहार जैसा माहौल बन गया है। विशाल के सुरक्षित निकलने की खुशी में परिजन पटाखे चलाकर और मिठाई बांटकर जश्न मना रहे हैं। विशाल की मां उर्मिला और दादी अपने लाडले के सुरंग से बाहर आने की खबर सुनकर काफी खुश हैं।
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने माला पहनाकर और गले लगाकर विशाल का स्वागत किया। विशाल के परिजनों ने सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए केंद्र और उत्तराखंड सरकार का आभार जताया है।
उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित सिल्क्यारा टनल में फंसे सभी 41 मजदूरों को आखिरकार सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। 17 दिन से चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन आज सफल हुआ।
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने मजदूरों से मुलाकात कर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। 17 दिन बाद सिल्क्यारा टनल से बाहर आए मजदूरों का सबसे पहले प्रारंभिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण टनल में बने अस्थाई मेडिकल कैंप में किया जा रहा है।
सिल्क्यारा टनल से जिंदगी की जंग जीत कर बाहर आए पहले बैच के पहले मजदूर को उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी ने माला पहनाकर स्वागत किया। पाइप के जरिए सबसे पहले बाहर आने वाले मजदूर का नाम विजय होरो है। वह खूंटी का रहना वाला है। टनल से बाहर निकने के बाद विजय ने अपने परिवार से मुलाकात की।
उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सभी रेस्क्यू किए गए मजदूरों से मुलाकात की और उनका हालचाल जाना। इस दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री जनरल (से.नि) वीके सिंह भी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रमिकों और रेस्क्यू अभियान में जुटे हुए कर्मियों के मनोबल और साहस की जमकर सराहना की है। सीएम धामी ने बाहर निकाले जा रहे श्रमिकों के परिजन से भी मुलाकात की।
इससे पहले, मजूदरों को सुरक्षित बाहर निकाले जाने के लिए बाबा बौख नाग के प्रकोप की बात सामने आने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विदेश से आए इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने बाबा बौखनाग की पूजा अर्चना की थी।
पीएम नरेंद्र मोदी ने भी रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता पर बधाई दी है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “उत्तरकाशी में हमारे श्रमिक भाइयों के रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता हर किसी को भावुक कर देने वाली है। टनल में जो साथी फंसे हुए थे, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि आपका साहस और धैर्य हर किसी को प्रेरित कर रहा है।
मैं आप सभी की कुशलता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं। यह अत्यंत संतोष की बात है कि लंबे इंतजार के बाद अब हमारे ये साथी अपने प्रियजनों से मिलेंगे। इन सभी के परिजनों ने भी इस चुनौतीपूर्ण समय में जिस संयम और साहस का परिचय दिया है, उसकी जितनी भी सराहना की जाए वो कम है।
मैं इस बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को भी सलाम करता हूं। उनकी बहादुरी और संकल्प-शक्ति ने हमारे श्रमिक भाइयों को नया जीवन दिया है। इस मिशन में शामिल हर किसी ने मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल कायम की है।”
उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा टनल में 17 दिन से फंसे मजदूरों और उनके परिजनों का इंतजार आज खत्म होने वाला है। किसी भी घड़ी खुशखबरी आ सकती है। टनल में खुदाई पूरी हो गई है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम सुरंग के अंदर चली गई है। वहीं, मेडिकल टीम भी सुरंग के अंदर गई है। 41 एंबुलेंस टनल के अंदर हैं। टनल के अंदर काफी हलचल है।
उत्तरकाशी में श्रमिकों के परिजनों को सुरंग के पास लिया गया है। परिजनों को कार्ड दिया गया है। परिजन मजदूरों के साथ अस्पताल जाएंगे। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह मौके पर पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह सुरंग के अंदर है। गर्म कपड़े भी सुरंग में मंगवाए गए हैं। गद्दे और स्ट्रेचर भी सुरंग के अंदर ले जाए गए। रस्सी और सीढ़ी भी सुरंग के अंदर ले जाई गई है। सुरंग के अंदर बेड लगाए गए हैं।
बता दें कि 800 मिमी व्यास का पाइप भी डाला जा चुका है। NDRF व एसडीआरएफ की टीम पाइप के जरिए मजदूरों तक पहुंच गई है। ये टीम मजदूरों को पाइप के जरिए बाहर निकालने में मदद करेगी। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही मजदूरों को बाहर निकाला जा सकता है।
उत्तरकाशी में रेस्क्यू टीमों ने मजदूरों के परिजनों से उनके कपड़े और बैग तैयार रखने को कहा है। मजदूरों को निकालने के बाद उन्हें सीधे हॉस्पिटल ले जाया जाएगा। रेस्क्यू से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि खुदाई पूरी हो गई है। NDRF की टीम पाइप के जरिए मजदूरों के पास जा रही है। एनडीआरएफ की टीम पाइप के जरिए एक एक कर मजदूरों को पाइप के जरिए बाहर निकालेगी।
बता दें कि उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में 8 राज्यों के 41 मजदूर फंसे हैं। इसमें उत्तराखंड के 2, हिमाचल प्रदेश का 1, यूपी के 8, बिहार के 5, पश्चिम बंगाल के 3, असम के 2, झारखंड के 15 और ओडिशा के 5 मजदूर फंसे हैं।
सिल्क्यारा टनल में हिमाचल प्रदेश का युवक विशाल भी फंसा हुआ है। विशाल के परिजन बेहद परेशान हैं और लगातार उसके सकुशल लौटने की प्रार्थना कर रहे हैं।
उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा टनल में 17 दिन से फंसे मजदूरों और उनके परिजनों का इंतजार आज खत्म होने वाला है। किसी भी घड़ी खुशखबरी आ सकती है। टनल में खुदाई पूरी हो गई है।
800 मिमी व्यास का पाइप भी डाला जा चुका है। NDRF की टीम पाइप के जरिए मजदूरों तक पहुंच गई है। ये टीम मजदूरों को पाइप के जरिए बाहर निकालने में मदद करेगी। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही मजदूरों को बाहर निकाला जा सकता है।
रेस्क्यू टीमों ने मजदूरों के परिजनों से उनके कपड़े और बैग तैयार रखने को कहा है। मजदूरों को निकालने के बाद उन्हें सीधे हॉस्पिटल ले जाया जाएगा।
रेस्क्यू से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि खुदाई पूरी हो गई है। NDRF की टीम पाइप के जरिए मजदूरों के पास जा रही है। एनडीआरएफ की टीम पाइप के जरिए एक एक कर मजदूरों को पाइप के जरिए बाहर निकालेगी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली है। धामी ने लिखा, “बाबा बौख नाग जी की असीम कृपा, करोड़ों देशवासियों की प्रार्थना एवं रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे सभी बचाव दलों के अथक परिश्रम के फलस्वरूप श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए टनल में पाइप डालने का कार्य पूरा हो चुका है। शीघ्र ही सभी श्रमिक भाइयों को बाहर निकाल लिया जाएगा।”
बता दें कि उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में 8 राज्यों के 41 मजदूर फंसे हैं। इसमें उत्तराखंड के 2, हिमाचल प्रदेश का 1, यूपी के 8, बिहार के 5, पश्चिम बंगाल के 3, असम के 2, झारखंड के 15 और ओडिशा के 5 मजदूर फंसे हैं।
सिल्क्यारा टनल में हिमाचल प्रदेश का युवक विशाल भी फंसा हुआ है। विशाल के परिजन बेहद परेशान हैं और लगातार उसके सकुशल लौटने की प्रार्थना कर रहे हैं।
काशी। वाराणसी के काशी में देव धरती पर उतरे। घाट और मंदिरों में दीए जलाकर उनका स्वागत किया गया।
बाबा विश्वनाथ की पावन धरा काशी में लाखों दीये अपना दिव्य प्रकाश बिखेरते अद्भुत और अलौकिक लग रहे थे। सुरसरि तट पर आज करीब 12 लाख से ज्यादा दीपों की माला सजी और गंगा पार रेती पर भी दीप श्रृंखला मन मोह रही थी।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने नमो घाट पर विश्वविख्यात काशी की देव दीपावली का विधिवत उद्घाटन किया। यहां मुख्यमंत्री ने 70 देशों के राजदूत और विदेशी प्रतिनिधियों की मौजूदगी में पहला दीप जलाया।
पीएम नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया पर इसको लेकर फोटो सहित पोस्ट डाली। उन्होंने लिखा कि बाबा विश्वनाथ की पावन धरा काशी में लाखों दीये अपना दिव्य प्रकाश बिखेर रहे हैं।
देव दीपावली पर यहां के घाटों का यह दृश्य अद्भुत, अलौकिक और अविस्मरणीय है। कई देशों के राजदूत भी इसके साक्षी बने। मैं इस पुण्य अवसर पर अपने सभी परिवारजनों के कल्याण की कामना करता हूं।
वहीं, हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर आस्था व प्रकाश के महापर्व कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
मंडी। हिमाचल के मंडी जिला के सीआरपीएफ (CRPF ) हवलदार संजय कुमार ने झारखंड के गुमला जिला में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली है। CRPF हवलदार संजय कुमार ने गार्ड रूम में एके 47 से खुद को गोली मार ली।
संजय कुमार दिवाली पर 15 दिन की छुट्टी पर घर आया था। छुट्टी काटने के बाद 21 नवंबर को ड्यूटी पर रिपोर्ट की थी। बता दें कि संजय कुमार सीआरपीएफ 218 बटालियन में गुमला की सिलम घाटी में हवलदार के पद पर तैनात थे।
संजय कुमार मंडी जिला स्थित सुंदरनगर थाना क्षेत्र के नेहुल गांव के रहने वाले थे। 18 साल से सीआरपीएफ में सेवारत थे। संजय के परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा व एक बेटी है।
सोमवार दोपहर करीब दो बजे के आसपास एके 47 को गार्ड रूम में लेकर गए और खुद को गोली मार ली। गोली की आवाज से कैंप में सनसनी फैल गई। आवाज सुनकर अन्य जवान दौड़ कर मौके पर पहुंचे। गार्ड रूम में CRPF हवलदार संजय को मृत पाया।
मामले की सूचना सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई। वहीं, लोकल पुलिस को भी सूचित किया। हवलदार संजय कुमार ने ऐसा खौफनाक कदम क्यों उठाया, इसका अभी खुलासा नहीं हो पाया है।
शव को सीआरपीएफ कैंप में ही रखा गया था। CRPF हवलदार संजय के शव का गुमला सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम किया गया। डॉक्टरों की तीन सदस्यीय टीम ने पोस्टमार्टम किया। हवलदार संजय कुमार का शव कल यानी मंगलवार को पैतृक गांव पहुंचने की उम्मीद है।
भारतीय सेना ने लिया बदला, लश्कर के दो आतंकी किए ढेर
जम्मू। जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सेना के पांच वीर जवानों ने देश की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। शहीद जवानों में दो कैप्टन थे।
शहीद हुए अफसरों और जवानों में कैप्टन एमवी प्रांजल (मैंगलोर, कर्नाटक), कैप्टन शुभम गुप्ता (आगरा, यूपी), हवलदार अब्दुल माजिद (पुंछ, जम्मू कश्मीर), लांस नायक संजय बिष्ट (उत्तराखंड) और पैराट्रूपर सचिन लौर (अलीगढ़, यूपी ) शामिल हैं।
देश के लिए बलिदान देने वाले इन जवानों में किसी के घर पर शादी की तैयारी चल रही थी तो कहीं मां-बाप बेटे के लिए दुल्हन तलाश रहे थे और कहीं पर कोई दुल्हन विधवा हो गई। जिन घरों में खुशियां आने वाली थी वहां अब मातम पसरा हुआ है।
कैप्टन एमवी प्रांजल
राजौरी में शहीद जवानों में कैप्टन एमवी प्रांजल भी शामिल हैं। कैप्टन प्रांजल 63 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले सेना के अफसर कैप्टन प्रांजल सिर्फ 28 के थे।
वे Manglore Refinery के पूर्व MD वेंकटेश के इकलौते बेटे थे। प्रांजल की शादी दो साल पहले बेंगलुरु की अदिति से हुई थी। शादी से कुछ समय पहले ही उनकी तैनाती कश्मीर में हुई थी।
कैप्टन शुभम गुप्ता आगरा के कैप्टन शुभम गुप्ता भी राजौरी एनकाउंटर में शहीद हो गए। कैप्टन शुभम के पिता बसंत गुप्ता आगरा में डिस्ट्रिक्ट गवर्नमेंट काउंसलर जिला अदालत में है। परिवार वाले इस साल शुभम की शादी की तैयारियों में थे।
इसी बीच शुभम के शहीद होने की खबर आ गई। शुभम के शहीद होने की खबर जैसे ही सेना की ओर से शुभम के परिजनों को दी गई तो घर में शोक की लहर दौड़ गई। शुभम की मां बेसुध हो गईं और पिता पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा।
इस ऑपरेशन में जम्मू कश्मीर के अब्दुल माजिद भी राजौरी में शहीद हुए हैं। माजिद एक पैरा कमांडो थे। उनका परिवार एलओसी पर जीरो-लाइन और सीमा बाड़ के बीच स्थित अजोट गांव में रहता है। माजिद की शहादत की खबर मिलते ही परिवार में शोक की लहर दौड़ गई।
माजिद की पत्नी और तीन बच्चे भी हैं। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। हालांकि, परिजनों को बेटे की शहादत पर गर्व भी है। माजिद के भाई भी जम्मू कश्मीर लाइट इन्फेंट्री (जेकेएलआई) के सैनिक थे, जो वर्ष 2017 में पुंछ के एक इलाके में शहीद हुए थे।
आतंकियों से लोहा लेते हुए उत्तराखंड के संजय बिष्ट की शहीद हो गए। वे 19 कुमाऊं पैरा में तैनात थे। बिष्ट रामगढ़ के हली गांव के रहने वाले थे। अभी उनकी अभी शादी नहीं हुई थी।
संजय की शहादत की खबर सुनते ही उनके परिवार में मातम पसर गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। संजय 2012 में सेना में भर्ती हुए थे। उनके घर में पिता दीवान सिंह, मां मंजू, बहन ममता और भाई हैं।
इस मुठभेड़ में अलीगढ़ के जवान पैरा ट्रूपर सचिन लौर भी शामिल हैं। सचिन की कुछ दिन बाद ही शादी थी। सचिन के अलावा परिवार में बड़े भाई और माता-पिता हैं। सचिन की शहादत की खबर सुनकर पूरे गांव में मातम छा गया। सचिन के पिता किसान हैं।
बता दें कि मुठभेड़ के बाद जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने लश्कर के दो आतंकियों को भी ढेर कर दिया। राजौरी में दरमसाल के बाजीमल इलाके में 36 घंटे चली इस मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों में लश्कर-ए-तैयबा का शीर्ष कमांडर भी शामिल है।
इस पाकिस्तानी आतंकी ने अफगानिस्तान में ट्रेनिंग ली थी। इसके बाद दहशत फैलाने के लिए बॉर्डर के रास्ते भारत में घुसपैठ की थी। आतंकियों के साथ फायरिंग बुधवार को शुरू हुई थी।
लेकिन बुधवार रात को इलाके को चारों तरफ से घेरकर फायरिंग बंद कर दी गई थी। गुरुवार सुबह आतंकियों ने फिर फायरिंग की। जवाबी कार्रवाई में दो आतंकी मारे गए। मारे गए लश्कर कमांडर की पहचान कारी के तौर पर हुई है।
राजौरी। जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिला में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में सेना के दो कैप्टन समेत चार जवान शहीद हो गए हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक आज सुबह 9 बजे सेना को आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी।
इसके बाद सर्च ऑपरेशन चलाया गया। आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान में सेना के दो कैप्टन समेत चार जवान शहीद हो गए हैं। एक जवान गंभीर रूप से घायल था जिसको इलाज के लिए उधमपुर पहुंचाया गया लेकिन जवान ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।
मुठभेड़ में कैप्टन एमवी प्रांजल-63 आरआर/सिग्नल, कैप्टन शुभम 9 पैरा (एसएफ), हवलदार माजिद, 9 पैरा (एसएफ) शहीद हुए हैं। एक शहीद जवान की पहचान अभी तक सामने नहीं आई है। इनके अलावा 9 पैरा के मेजर मेहरा घायल हुए हैं जिनका इलाज चल रहा है।
शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता आगरा के डीजीसी बसंत गुप्ता के पुत्र थे।
पुलिस ने बताया कि घटनास्थल पर दो आतंकवादी फंसे हुए थे। सर्च ऑपरेशन के दौरान धर्मसाल के बाजीमल इलाके में आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई।
सर्च ऑपरेशन में सेना के राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों के साथ पैराट्रूपर्स भी शामिल हुए, लेकिन आतंकी घात लगाकर बैठे थे। जैसे ही सेना आतंकियों के नजदीक पहुंची वैसे ही आतंकियों की ओर से सेना पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई।
उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों से पहली बार एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरे के माध्यम से बातचीत कर उनका कुशलक्षेम पूछा गया।
सभी श्रमिक पूरी तरह सुरक्षित हैं। यह जानकारी उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट में वीडियो सहित डाली है।
उन्होंने बताया कि सिल्क्यारा टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए राहत एवं बचाव कार्य तेजी से किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना के विमानों द्वारा विशेष उपकरण भी मंगवाए गए हैं।
सिल्क्यारा में जारी रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ और भारत सरकार की अन्य तकनीकी एजेंसियों को प्रदेश सरकार पूर्ण सहयोग प्रदान कर रही हैं।
टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं भी बचाव कार्यों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
बता दें कि सुरंग में मंगलवार सुबह से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग का काम तो शुरू हो गया है। ऑगर मशीन ने अभी काम शुरू नहीं किया है।
अधिकारियों का कहना है कि अगले 30 से 40 घंटे में मजदूरों को निकाला जा सकता है। अगर बीच में कोई बड़ा पत्थर नहीं आया या कोई स्टील की चीज नहीं आई तो हम ऐसा हो पाएगा।
मजदूरों को पाइप के जरिए खाद्य सामग्री भेजी जा रही है। सुरंग में फंसे मजदूरों को दाल और रोटी आदि भेजी गई। मौके पर मौजूद मजदूरों के परिजनों के ठहरने की भी व्यवस्था की है।
यमुनोत्री हाईवे पर सिल्क्यारा से पोल गांव के लिए सुरंग का निर्माण किया जा रहा है। 12 नवंबर को दिवाली वाले दिन सुरंग में भारी भूस्खलन हुआ था। इसके चलते मुहाने के पास सुरंग बंद होने से 41 मजदूर अंदर फंस गए।
पहले जेसीबी से मलबा हटाने की कोशिश की गई। पर सफलता हाथ न लगी। इसके बाद 14 नवंबर को दिल्ली से अमेरिकी ऑगर मशीन मंगवाई गई। इसके बाद दो दिन तक ऑगर मशीन से ड्रिलिंग की गई। पर 22 मीटर ड्रिलिंग के बाद काम बंद करना पड़ा।
इसका कारण है कि 1750 हॉर्स पावर की इस मशीन के चलने से सुरंग में कंपन बढ़ रहा है। ऐसे में मलबा गिरने का खतरा बना हुआ है। रेस्क्यू कार्य में लगे लोगों की सुरक्षा के लिए शुक्रवार रात यहां ह्यूम पाइप बिछाए गए।
इस दौरान यहां सुरंग की दीवार पर एक दरार भी दिखाई दी, जिसके चलते एहतियातन यहां फिलहाल ड्रिलिंग का काम रोक दिया गया।
हिमाचल के मंडी का विशाल भी फंसा
उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल में हिमाचल के मंडी जिला की बल्ह घाटी के सिध्याणी पंचायत के बंगोट गांव का विशाल भी फंसा है। विशाल की मां का रो-रो कर बुरा हाल है। हर दिन भारी गुजर रहा है।
मां का कहना है कि उसके बच्चे को सुरक्षित घर भेज दो, बाकी उसे कुछ नहीं चाहिए। विशाल का बड़ा भाई योगेश और पिता धर्म सिंह घटनास्थल पर मौजूद हैं। विशाल दिवाली से पहले घर आया था और छुट्टी काट लौटा था।