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कांगड़ा : शहीद अरविंद की पार्थिव देह नहीं पहुंच पाई घर, राह देख रहे मां-बाप

मौसम की खराबी के चलते सड़क मार्ग से लाई जा रही

कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के विकास खंड सुलह के तहत ग्राम पंचायत मरहूं के गांव चटियाला के शहीद अरविंद कुमार (32) के घर पर इस समय मातम पसरा हुआ है। मां-बाप और पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। रिश्तेदार और गांव के लोग उन्हे ढांढस बंधाने पहुंच रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद अरविंद कुमार का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह मौसम की खराबी के चलते उधमपुर से एयरलिफ्ट नहीं हो पाया। ऐसे में अब उनका पार्थिव शरीर उधमपुर से सड़क मार्ग से उनके गृह जिला लाया जा रहा है जो शाम तक पालमपुर के होलटा स्थित आर्मी कैंप पहुंचने की संभावना है।

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अरविंद के भाई भूपेंद्र कुमार ने बताया कि शहीद अरविंद अभी दो महीने पहले ही छुट्टी काट कर ड्यूटी पर लौटे थे। भाई ने बताया कि उन्हें सेना की ओर से शुक्रवार को फोन आया कि उनके भाई को गोली लगी है और वह घायल हैं। जब वह घर पर आए तो दोबारा फोन आया कि अरविंद आतंकी मुठभेड़ में शहीद हो गए हैं। अरविंद की पूरी रेजिमेंट को कुपवाड़ा से पुंछ बुलाया गया था।

मरहूं निवासी शहीद अरविंद कुमार के पिता का नाम उज्जवल सिंह, माता का नाम निर्मला देवी और पत्नी का नाम बिंदू देवी है। शहीद अरविंद कुमार सेना में 2012 में भर्ती हुए थे। उनकी शादी को पांच वर्ष हो गए हैं। उनकी दो बेटियां हैं जिनकी आयु 4 और 2 वर्ष है। उनका एक बड़ा भाई और एक बहन है।

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उनकी शादी सुलह के साथ लगते गांव पनतेहड़ में लगभग पांच साल पहले हुई थी। शहीद अरविंद की दो बेटियां हैं। इनमें शानमिता चार और छोटी बेटी शानविका दो साल की है। अरविंद 2012 में भारतीय सेना की नवमीं पैरा स्पेशल फोर्स में भर्ती हुए थे। वह नायक के पद पर थे। उनके पिता उज्ज्वल सिंह लोक निर्माण विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं और अरविंद का बड़ा भाई मजदूरी करता है।

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शहीद अरविंद कुमार की छोटी बेटी को कुछ समय से नाक में कुछ समस्या थी। इसका दिल्ली के एक निजी अस्पताल से उपचार शुरू करवाया था। बीते दो माह पहले जब वह छुट्टी आए थे तो अरविंद को चिकित्सकों ने ऑपरेशन की सलाह दी थी।

अरविंद छोटी बेटी के नाक का ऑपरेशन करवाना चाहते थे। वह परिवार वालों से यह कह कर गए थे कि अगली छुट्टी में अपनी बेटी के नाक का ऑपरेशन करवाएंगे जिसके बाद वह पूरी तरह ठीक हो जाएगी। अरविंद को क्या पता था कि उनका ये वादा अधूरा रह जाएगा।

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