बच्चे को देखने के बाद बढ़ा परिवार का हौसला
उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों से पहली बार एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरे के माध्यम से बातचीत कर उनका कुशलक्षेम पूछा गया। सभी श्रमिक पूरी तरह सुरक्षित हैं।
कैमरे के जरिए मजदूरों के परिवारों ने इतने दिन बाद सुरंग में फंसे अपनों का चेहरा देखा और उनसे बात की। परिजनों ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वो जल्द ही सुरक्षित बाहर आ जाएंगे। वीडियो में हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला का विशाल भी नजर आया।
उत्तरकाशी : सुरंग में फंसे मजदूरों से एंडोस्कोपी फ्लेक्सी कैमरे से की बातचीत, जानें डिटेल
बल्ह घाटी के बंगोट गांव के विशाल के वीडियो और फोटो देखकर परिजनों ने राहत की सांस ली। मां उर्मिला ने कहा कि बेटे को सुरक्षित देखने के बाद मन को शांति मिली है।
बच्चे को देखने के बाद हौसला हुआ है कि विशाल सुरक्षित है। विशाल की दादी ने कहा कि बच्चे को देखने से मन भर गया है। वैसे दुख में हैं, लेकिन बच्चे को देखने के बाद खुशी का ठिकाना नहीं है।
अब उसके सुरक्षित बाहर निकलने का इंतजार है। परमात्मा का शुक्र है कि पोता पूरी तरह सुरक्षित है।
विशाल की मां उर्मिला और दादी के अलावा परिजनों में इस बात की खुशी है कि विशाल टनल के अंदर सुरक्षित है। परिजनों ने प्रदेश सरकार से मांग उठाई है कि जल्द से जल्द फंसे हुए सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जाए।
ताजा अपडेट के मुताबिक उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में ऑगर मशीन से 39 मीटर तक ड्रिलिंग हो चुकी है। कुल 57 से 60 मीटर तक ड्रिलिंग होनी है। अधिकारियों का कहना है कि सब कुछ ठीक रहा तो आज रात तक रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने की उम्मीद है।
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उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर वीडियो शेयर किया है। उन्होंने बताया कि सिल्क्यारा टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए राहत एवं बचाव कार्य तेजी से किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना के विमानों द्वारा विशेष उपकरण भी मंगवाए गए हैं।
सिल्क्यारा में जारी रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ और भारत सरकार की अन्य तकनीकी एजेंसियों को प्रदेश सरकार पूर्ण सहयोग प्रदान कर रही हैं।
टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं भी बचाव कार्यों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
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बता दें कि सुरंग में मंगलवार सुबह से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग का काम तो शुरू हो गया है। ऑगर मशीन ने अभी काम शुरू नहीं किया है।
अधिकारियों का कहना है कि अगले 30 से 40 घंटे में मजदूरों को निकाला जा सकता है। अगर बीच में कोई बड़ा पत्थर नहीं आया या कोई स्टील की चीज नहीं आई तो हम ऐसा हो पाएगा।
मजदूरों को पाइप के जरिए खाद्य सामग्री भेजी जा रही है। सुरंग में फंसे मजदूरों को दाल और रोटी आदि भेजी गई। मौके पर मौजूद मजदूरों के परिजनों के ठहरने की भी व्यवस्था की है।
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क्या है मामला
उत्तरकाशी में यमुनोत्री हाईवे पर सिल्क्यारा से पोल गांव के लिए सुरंग का निर्माण किया जा रहा है। 12 नवंबर को दिवाली वाले दिन सुरंग में भारी भूस्खलन हुआ था। इसके चलते मुहाने के पास सुरंग बंद होने से 41 मजदूर अंदर फंस गए।
पहले जेसीबी से मलबा हटाने की कोशिश की गई पर सफलता हाथ न लगी। इसके बाद 14 नवंबर को दिल्ली से अमेरिकी ऑगर मशीन मंगवाई गई। इसके बाद दो दिन तक ऑगर मशीन से ड्रिलिंग की गई पर 22 मीटर ड्रिलिंग के बाद काम बंद करना पड़ा।
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इसका कारण है कि 1750 हॉर्स पावर की इस मशीन के चलने से सुरंग में कंपन बढ़ रहा था। ऐसे में मलबा गिरने का खतरा बना हुआ था। रेस्क्यू कार्य में लगे लोगों की सुरक्षा के लिए शुक्रवार रात यहां ह्यूम पाइप बिछाए गए।
इस दौरान यहां सुरंग की दीवार पर एक दरार भी दिखाई दी, जिसके चलते एहतियातन यहां फिलहाल ड्रिलिंग का काम रोक दिया गया।
हिमाचल के मंडी का विशाल भी उत्तरकाशी में फंसा
उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल में हिमाचल के मंडी जिला की बल्ह घाटी के सिध्याणी पंचायत के बंगोट गांव का विशाल भी फंसा है। विशाल की मां का रो-रो कर बुरा हाल है। हर दिन भारी गुजर रहा है।
मां का कहना है कि उसके बच्चे को सुरक्षित घर भेज दो, बाकी उसे कुछ नहीं चाहिए। विशाल का बड़ा भाई योगेश और पिता धर्म सिंह घटनास्थल पर मौजूद हैं। विशाल दिवाली से पहले घर आया था और छुट्टी काटकर लौटा था।
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