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खुलासा : पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए भारत पहुंच रहा चिट्टा, फिर हिमाचल में सप्लाई

सोलन पुलिस ने अटारी बॉर्डर से पकड़ा नशा सप्लायर

सोलन। हिमाचल , पंजाब आदि राज्यों में चिट्टे के नशे का प्रचलन बढ़ गया है। हिमाचल में आए दिन चिट्टे के मामले में पकड़े जाते हैं। ऐसे ही एक मामले की जांच में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान से चिट्टा/हेरोइन ड्रोन के जरिए भारत आता है और इसके बाद हिमाचल आदि में सप्लाई किया जाता है। इस नशे के कारोबार में पंजाब के अमृतसर में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के नजदीकी एक गांव का व्यक्ति शामिल है।

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बता दें कि हिमाचल के सोलन पुलिस की स्पेशल टीम ने 25 सितंबर, 2023 को एक चिट्टा तस्कर को पकड़ा था। पुलिस को सूचना मिली थी कि शूलिनी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाला एक छात्र दक्ष ठाकुर चिट्टा/हेरोइन की खरीद फरोख्त में संलिप्त है, जो यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स और अन्य युवक युवतियों को चिट्टा/हेरोइन सप्लाई करने का काम कर रहा है। ये छात्र शूलिनी यूनिवर्सिटी से एम फार्मा (M Pharma)का कोर्स कर रहा है।

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सूचना मिलने के बाद पुलिस ने टीम गठित की और दक्ष ठाकुर के कमरे की तलाशी ली गई। तलाशी के दौरान दक्ष ठाकुर (23) पुत्र अविंदर सिंह तहसील घनारी जिला ऊना से करीब 12 ग्राम चिट्टा बरामद हुआ। सोलन थाना सदर में मामला दर्ज किया गया और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी को 5 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया।

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बैकवर्ड लिंकेज इन्वेस्टिगेशन के दौरान आरोपी से इस खेप के सप्लायर बारे पूछताछ की गई तो पता चला कि आरोपी युवक पिछले कुछ साल से अटारी बॉर्डर के एक नशा तस्कर मंगल सिंह (33) पुत्र संतोख सिंह, सब तह अटारी जिला अमृतसर पंजाब के संपर्क में है और उससे लगातार हेरोइन की तस्करी हिमाचल प्रदेश में जिला ऊना, मंडी और सोलन में कर रहा था।

पुलिस ने नशा तस्कर मंगल सिंह के बारे जानकारी हासिल की। जांच में पता चला कि यह नशा तस्कर पंजाब के अमृतसर जिले में भारत-पाकिस्तान की सीमा से 6 किमी दूर एक गांव में रहता है और पाकिस्तान से ड्रोन के माध्यम से आने वाली हेरोइन की तस्करी में कई सालों से संलिप्त है।

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इस आरोपी को पकड़ने के लिए एक विशेष टीम गठित की गई। टीम ने दिनांक 27 सितंबर 2023 को अटारी बॉर्डर के पास भारत-पाकिस्तान की सीमा के साथ लगते क्षेत्र में आरोपी मंगल सिंह को गिरफ्तार कर लिया और सोलन लाया गया। आरोपी को न्यायालय में पेश करके 13 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया है। इस आरोपी के नेटवर्क में संलिप्त हिमाचल के अन्य तस्करों को भी जांच में शामिल किया गया है। मामले में जांच जारी है।

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बता दें कि सोलन पुलिस द्वारा पिछले 3 माह में अभी तक बाहरी राज्यों के 32 सप्लायरों (जो दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से हैं) को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें 4 अफ्रीकी मूल के नाइजीरियन नागरिक भी शामिल हैं। इन बाहरी राज्यों के तस्करों द्वारा हिमाचल प्रदेश में चलाए जा रहे चिट्टा तस्करी के 6 बड़े नेटवर्कों को ध्वस्त कर दिया गया है, जिससे सैकड़ों युवाओं को चिट्टा की आपूर्ति बंद हुई है।

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भारत , हिंदुस्तान, इंडिया “त्रिमूर्ति” को सलाम

इसमें कोई शक नहीं कि नामकरण के अनुसरण का किसी व्यक्ति /स्थान के गुणों व विशेषताओं से गहरा संबंध होता है। यही कारण है कि परंपरागत रूप से हम नामकरण निर्धारित करते समय किसी के गुणों के साथ संबंध स्थापित करने के लिए ज्योतिषियों की मदद लेते हैं।

यह ज्योतिषीय विश्लेषण और उन ग्रहों की समझ में हमारा विश्वास है जो किसी व्यक्ति को उसके जन्म के समय प्रभावित करते हैं। इस संदर्भ में हमारी सांस्कृतिक विरासत और मान्यताएँ वैज्ञानिक पद्धतियाँ हैं। आप इस तथ्य के गवाह होंगे कि हमारे पंडितों का समुदाय जो ज्योतिष में अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं, उनसे नामकरण संस्कार करने के लिए सलाह ली जाती है।

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आपको पता होना चाहिए कि यह पवित्र और वैज्ञानिक प्रथा व्यक्ति, संबंधित परिवार और इस प्रकार पूरे समाज के लिए अच्छा काम करती है। जैसा कि आप भारत को जानते हैं, हमारी प्राचीन भूमि/देश का नामकरण दुष्यन्त और शकुन्तला के पुत्र राजा भरत से हुआ है।

बाद में, व्यापारी या आक्रमणकारी इस भूमि के निवासियों के साथ व्यापार करने के लिए यहां आए और इस संदर्भ में उन्हें एहसास हुआ कि इंडिया/इंडियन नामकरण सिंधु घाटी की भूमि/सभ्यता के लिए बेहतर होगा। और इसे स्वीकार कर लिया है गया और मान्यता दी गई और धीरे धीरे यह अन्य लोगों और देशों के साथ पत्राचार में लोकप्रिय हो गया।

इस प्रकार भारत को हिंद के साथ-साथ इंडिया का भी अर्थ मिल गया। वैसे तो एक से अधिक नाम रखना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन अगर हममें अपने पैतृक वंश का सम्मान करने की भावना है तो यह भी बुरी नहीं बल्कि अच्छी बात है। चूँकि, हम इसे परस्पर उपयोग करते हैं, इसलिए कोई नुकसान नहीं है।

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यह उन लोगों के लिए हानिकारक हो जाता है जो इसे अनावश्यक रस्साकशी बनाते हैं। राजा भरत के नाम पर हमारी प्राचीन भूमि का पुनरुद्धार स्वागत योग्य है, लेकिन अन्य नामकरण के लिए सम्मान जो दूसरों के साथ पत्राचार में लोकप्रिय है, वैश्विक परिवार के संदर्भ में ऐतिहासिक रूप से भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

जिस तरह हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है, उसी तरह हमारी मातृभूमि को तीन नामों से जाना जाता है, यानी भारत, हिंदुस्तान और इंडिया। तीनों नामों की उत्पत्ति हमारी पृष्ठभूमि के साथ हमारे अपने भारतीय उपमहाद्वीप में हुई है। सुविधा के लिए, सिंधु घाटी ने हिंद, हिंदू और हिंदुस्तान को इनपुट दिया।

भारत चंद्र वंश से आया था और इंडिया सिंधु घाटी के आसपास की भूमि को दर्शाता है। बिना किसी पूर्वाग्रह के अपनी मातृभूमि के तीनों नामों का सम्मान करें।

यदि अधिकांश लोग हमारे माननीय प्रधान मंत्री जी की पहल के तहत इंडिया को भारत कहने या संप्रेषित करने के इच्छुक हैं, तो उस मामले में कोई नुकसान नहीं है, लेकिन इसे औपनिवेशिक विरासत से जोड़ना, मेरा मानना ​​है, प्रचार के लिए प्रासंगिक नहीं है। खैर, समरथ को नहीं दोष गुसाईं।

जय भारत जय हिंद जय इंडिया

डॉ. रोशन लाल शर्मा
बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश

 

 

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भारत ने फिर लहराया परचम : चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक लॉन्च, यात्रा शुरू

नई दिल्ली। भारत के लिए आज बड़ा दिन है। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के 3 साल 11 महीने और 23 दिन बाद भारत ने आज चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया। दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से बाहुबली रॉकेट LVM3-M4 से इसे स्पेस में भेजा गया है।

16 मिनट बाद चंद्रयान को रॉकेट ने ऑर्बिट में प्लेस किया। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने इस सक्सेसफुल लॉन्च के बाद कहा कि चंद्रयान 3 ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है।

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चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट के तीन लैंडर/रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। करीब 40 दिन बाद, यानी 23 या 24 अगस्त को लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे। ये दोनों 14 दिन तक चांद पर एक्सपेरिमेंट करेंगे।

प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा के ऑर्बिट में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स की स्टडी करेगा। मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि लूनर सरफेस कितनी सिस्मिक है, सॉइल और डस्ट की स्टडी की जाएगी।

अगर मिशन सक्सेसफुल रहा तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। अमेरिका और रूस दोनों के चंद्रमा पर सक्सेसफुली उतरने से पहले कई स्पेस क्राफ्ट क्रैश हुए थे। चीन 2013 में चांग’ई-3 मिशन के साथ अपने पहले प्रयास में सफल होने वाला एकमात्र देश है।

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चंद्रयान-3 का बजट लगभग 615 करोड़ रुपए है। इससे 4 साल पहले भेजे गए चंद्रयान 2 की लागत भी 603 करोड़ रुपए थी। हालांकि, इसकी लॉन्चिंग पर भी 375 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग से पहले पीएम मोदी ने मिशन के लिए शुभकामनाएं दीं। भारत के स्पेस सेक्टर में 14 जुलाई 2023 की तारीख हमेशा सुनहरे अक्षरों में अंकित रहेगी। हमारा तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 अपनी यात्रा पर निकलेगा। यह मिशन हमारे राष्ट्र की आशाओं और सपनों को आगे बढ़ाएगा। चंद्रयान-3 मिशन के लिए शुभकामनाएं!

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हिमाचल और चंडीगढ़ से दिल्ली जाने वाली HRTC बसों को लेकर नए आदेश जारी

 

 

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हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय शोध पात्रता परीक्षा की तिथि में बदलाव

 

 

हिमाचल सरकार ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर, आपातकालीन स्थिति में करें कॉल

 

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भारत में ड्राइवर AC केबिन में बैठकर दौड़ाएंगे ट्रक, गडकरी ने फाइल की साइन

नई दिल्ली। भारत में आने वाले समय में ट्रक के केबिन में AC की सुविधा होगी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री न‍िति‍न गडकरी ने ट्रक के केबिन में AC की अनिवार्यता को लेकर फाइल साइन कर दी है। इस बात की जानकारी उन्होंने खुद दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में दी।

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उन्होंने संबोधन में कहा कि हमारी लॉजिस्टिक कॉस्ट दुनिया की तुलना में अधिक है। अगर हमें एक्सपोर्ट बढ़ाना है तो लॉजिस्टिक कॉस्ट को कम करना होगा। इसके लिए अच्छे रोड के साथ ट्रक और अच्छे ड्राइवर की जरूरत है। भारत में ड्राइवर्स की कमी है। कोई 14 तो कोई 16 घंटे काम करता है। बाहरी देशों में बस व ट्रक चलाने का टाइम निर्धारित है।

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वहीं, यह भी देखने में आया है कि भारत में ट्रक ड्राइवर 42, 44 और 47 डिग्री तापमान में ट्रक चलाते हैं। इससे चालक की हालत खराब हो जाती है। इसके लिए उनकी प्राथमिकता AC केबिन रही है।

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शुरू में कई लोगों ने यह बोलकर विरोध किया कि इससे कॉस्ट बढ़ जाएगी। पर मैं बताना चाहता हूं कि कार्यक्रम में आने से पहले ट्रक के केबिन में एसी की अनिवार्यता को लेकर फाइल पर साइन करके आया हूं। 2025 से सभी ट्रकों में चालक दल के सदस्‍यों के लिए एसी कंपार्टमेंट होने की जरूरत है। गडकरी ने कहा कि हमें यह ध्‍यान रखना होगा क‍ि ट्रक चलाने वाले लोगों को अच्छी सुव‍िधाएं दी जाएं।

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https://youtu.be/iQiKV_0pUpo   https://youtu.be/IoLMi8IRqlI

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नीरज चोपड़ा ने फिर किया धमाल : दोहा डायमंड लीग जीती, ये है आगे का लक्ष्य

नई दिल्ली। भारत के गोल्डन बॉय जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने एक बार फिर भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। नीरज चोपड़ा ने दोहा डायमंड लीग का खिताब अपने नाम किया है। पांच मई को दोहा के कतर स्पोर्ट्स क्लब में हुई प्रतियोगिता में नीरज ने पहले ही प्रयास में 88.67 मीटर दूर भाला फेंका।

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टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले चेक खिलाड़ी जैकब वडलेज्च दूसरे स्थान पर रहे। नीरज का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 89.94 मीटर है, जो राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी है। वह 2018 में दोहा डायमंड लीग में अपनी इकलौती भागीदारी में 2018 में 87.43 मीटर के साथ चौथे स्थान पर रहे थे।

 

 

हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने ट्वीट कर नीरज की उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी है। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने लिखा, “दोहा डायमंड लीग में 88.67 मीटर भाला फेंक कर भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने पर नीरज चोपड़ा जी को बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं।”

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वहीं, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने लिखा, “गोल्डन बॉय” नीरज चोपड़ा जी ने दोहा डायमंड लीग जीतकर एक बार फिर से भारत का परचम लहराया है। एक सराहनीय प्रयास के अन्तर्गत दोहा डायमंड लीग में नीरज चोपड़ा ने पहले ही प्रयास में 88.67 मीटर थ्रो कर पहला स्थान हासिल किया है। नीरज चोपड़ा आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।”

बता दें कि नीरज पिछले साल ‘समग्र फिटनेस और ताकत’ की कमी के कारण दोहा डायमंड लीग में हिस्सा नहीं ले सके थे। वह पिछले सितंबर में ज्यूरिख में 2022 ग्रैंड फिनाले जीतने के बाद डायमंड लीग चैंपियन बनने वाले पहले भारतीय बने। इससे एक महीने पहले वह लुसाने में डायमंड लीग मीट जीतने वाले पहले भारतीय बने थे।

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भारतीय भाला फेंक एथलीट एशियाई खेलों के भी मौजूदा चैंपियन हैं। उन्होंने इंडोनेशिया के जकार्ता में आयोजित 2018 एशियाई खेल में गोल्ड मेडल जीता था। वे इस साल 23 सितंबर से 8 अक्टूबर तक चीन के हांगझोऊ में होने वाले एशियाई खेलों में अपने ख़िताब को डिफेंड करना चाहेंगे। नीरज चोपड़ा ने पिछले साल यूएसए के यूजीन में आयोजित विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था और 19 से 27 अगस्त तक हंगरी के बुडापेस्ट में होने वाली 2023 संस्करण में एक बेहतर प्रदर्शन करना चाहेंगे।

पुरुषों के भाला फेंक में भारतीय राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम रखने वाले नीरज चोपड़ा ने चोट के कारण पिछले साल ज्यूरिख मीट के बाद से प्रतिस्पर्धा नहीं की है। अगले साल होने वाले पेरिस 2024 ओलिंपिक के मद्देनजर, 2023 का सीजन 25 वर्षीय नीरज चोपड़ा के लिए महत्वपूर्ण होगा। वे फ्रांस में अपने ओलंपिक खिताब को डिफेंड करना चाहेंगे।

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भारत की पर्वतारोही दो बेटियों अरुणिमा सिन्हा और बलजीत कौर पर हमें गर्व

एक मौत को मात देकर पर्वत से लौटी और एक चढ़ी

भारत की दो बेटियां जिन पर हम सबको गर्व है। एक बेटी मौत को मात देकर पर्वत से सकुशल लौटी और एक मौत को मात देकर दुनिया की सबसे ऊंची जगह माउंट एवरेस्ट पर चढ़ी। जी हां हम बात कर रहे हैं हिमाचल के सोलन की पर्वतारोही बलजीत कौर और उत्तर प्रदेश की पद्मश्री डॉ. अरुणिमा सिन्हा की। अरुणिमा सिन्हा विश्व की पहली दिव्यांग हैं जिन्होंने माउंट एवरेस्ट फतेह किया।

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अरुणिमा सिन्हा की एक बात जिससे प्रतीत होता है कि एक पैर गंवाने के बावजूद सबसे ऊंची चोटी फतह करने के उनके इरादे कितने बुलंद थे। अरुणिमा ने कहा था कि ‘आप सोच सकते हैं, जो लड़की बैड से उठ भी नहीं सकती और कुछ अलग करना चाहती है। उसे अपने आप को प्रूव करना है, लोग पागल बोलते थे। जिस दिन आपको दुनिया पागल बोलना शुरू कर दे तो आप समझ लें कि आपका गोल आपके करीब है और कोई आपको रोक नहीं सकता है’।

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अरुणिमा सिन्हा 12 अप्रैल 2011 को ट्रेन से लखनऊ से दिल्ली जा रही थीं। बरेली के पास ट्रेन में कुछ गुंडों ने पर्वतारोही अरुणिमा के गले की सोने की चेन छीनने की कोशिश की। जब अरुणिमा सिन्हा ने विरोध किया तो गुंडों ने उन्हें चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया। उस वक्त दूसरे ट्रैक पर एक और ट्रेन गुजर रही थी। अरुणिमा उससे टकराकर रेलवे ट्रैक पर गिर गई। वह बुरी तरह जख्मी हो गई थीं। वह उठ नहीं पा रही थीं। दाहिने पैर की हड्डियां जींस से बाहर लटक रही थीं। रीढ़ की हड्डी में फ्रेक्चर आए थे। अगली सुबह गांव वालों ने अरुणिमा को देखा और बरेली अस्पताल ले गए।

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बरेली अस्पताल में न तो एनेस्थिसिया का प्रबंध था और नहीं ऑक्सीजन थी। अरुणिमा का तुरंत इलाज जरूरी था, क्योंकि और देर होती तो कुछ भी हो सकता था। ऐसे में वहां के चिकित्सक लाचार हो गए कि इलाज कैसे करें। अरुणिमा देख नहीं पा रहीं थीं पर डॉक्टर और फार्मासिस्ट की बात सुन पा रहीं थीं। अरुणिमा ने बिना एनेस्थिसिया के ही पैर काटने के लिए कहा, क्योंकि वह दर्द बर्दाश्त नहीं कर पा रही थीं।

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डॉक्टर ने बिना बेहोश किए पैर काटा और इलाज किया। अरुणिमा का काफी खून बह चुका था, उन्हें खून की जरूरत थी। खून बरेली अस्पताल के डॉक्टर और फार्मासिस्ट ने दिया। इस घटना में अरुणिमा अपना दाहिना पैर गवां बैठी और दूसरे पैर में रॉड डालनी पड़ी।

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भगवान की कृपा से पर्वतारोही अरुणिमा ठीक होने लगी। उन्होंने परिस्थितियों से हारने की वजाए दुनिया की सबसे ऊंची जगह माउंट एवरेस्ट को फतह करने की सोची। शुरू में सबने इसे पागलपन कहा। अरुणिमा सिन्हा बॉस्केबाल खिलाड़ी भी रही हैं। खिलाड़ी के जज्बा लिए अरुणिमा ने 21 मई 2013 को माउंट एवरेस्ट फतह किया।

अब बात करत हैं हिमाचल की बेटी पर्वतारोही बलजीत कौर की। बलजीत कौर बीते 16 अप्रैल को नेपाल के अन्नपूर्णा पर्वत के लिए रवाना हुईं। 17 अप्रैल को उसके साथ मौजूद शेरपा बीच रास्ते में छोड़कर चला गया। कुछ दूरी पर जाने के बाद एक अन्य शेरपा कंपनी द्वारा भेजा गया। करीब 36 घंटे का सफर तय करने के बाद 17 अप्रैल को शाम 6 बजे वह माउंट अन्नपूर्णा पर पहुंचीं। वह और उनके साथ शेरपा दोनों थके हुए थे। शेरपा दो दिन पहले ही एक अन्य चोटी पर जाकर आया था।

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अन्नपूर्णा पहाड़ी से लौटते वक्त भी वह थकी हुईं महसूस कर रही थीं। शेरपा एक अन्य पर्वतारोही की सहायता के लिए चला गया। वह अकेली चलती रहीं। 10 मीटर चलने के बाद वह आराम करती। इसके बाद फिर सफर शुरू करतीं। तेज बर्फीला तूफान चल रहा था। थकान की वजह से देर रात नींद आ गई। 18 अप्रैल की सुबह उनकी नींद खुली। उस वक्त करीब आठ बजे थे।

वह बर्फ के बीच वहां पर अकेली थीं। उन्होंने हौंसला नहीं हारा और सुरक्षा रस्सी को नहीं छोड़ा। जिंदगी और मौत से जंग लड़ते हुए सुरक्षा रस्सी के सहारे आगे बढ़ती रहीं। उन्होंने इस मौके पर हौसला तो दिखाया ही पर संयम भी नहीं खोया। अपने मोबाइल के एप से रेस्क्यू टीम से सहायता लेने को सैटेलाइट सिग्नल भेजा। करीब पांच घंटे बाद रेस्क्यू दल उनके पास पहुंचा और बलजीत कौर को रेस्क्यू किया। वह 48 घंटे तक बर्फ में रहकर मौत को मात देकर अपने घर सोलन लौटीं।

 

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कांगड़ा : 1905 की याद ताजा कर गया भूकंप, है ये समानता

कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश सहित उत्तर भारत में आज भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए। आज कांगड़ा जिला में जोरदार झटके घाटी में 117 साल पहले 4 अप्रैल को आए भूकंप की याद ताजा कर गए। उस भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी। आज का भूकंप उससे कहीं न कहीं जुड़ा हुआ है। जी हां, समानता क्या वो हम आपको बताते हैं।

Breaking : हिमाचल सहित उत्तर भारत में हिली धरती, महसूस किए गए भूकंप के झटके

सचिन पंडित के अनुसार 4 अप्रैल, 1905 को कांगड़ा में जब भूकंप आया था उस दिन अमावस्या थी और आज भी अमावस्या है। यही नहीं उस दिन भी मंगलवार था और आज भी मंगलवार ही है। कहीं न कहीं आज फिर वो जख्म ताजा हो गए।

आज से 117 साल पहले चार अप्रैल, 1905 को कांगड़ा में आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8 मापी गई थी। तब लगभग 19000 लोग मौत का शिकार हुए थे तथा 38 हजार पशु भी इस भूकंप की भेंट चढ़ गए थे। अकेले कांगड़ा नगर में मरने वाले लोगों की संख्या 10257 थी। (ewn24news)

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बता दें कि हिमाचल प्रदेश सहित उत्तर भारत में मंगलवार रात धरती डोली। रात 10 बजकर 17 मिनट पर जोरदार भूकंप के झटके महसूस किए गए। बताया जा रहा है कि दिल्ली-NCR में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.6 रही।

हिमाचल में भी कई जगह पर तेज झटके महसूस किए गए हैं। कई जगह पर घरों में लगे पंखे काफी देर तक हिलते रहे। लोग डर कर घरों से बाहर की ओर भागे। हालांकि अभी तक कहीं से भी किसी तरह के जानी नुकसान की सूचना नहीं है।

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जानकारी के मुताबिक इस भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के फैजाबाद में था। पाकिस्तान के इस्लामाबाद, लाहौर और पेशावर में भी तेज झटके लगे। सीस्मोलॉजी विभाग के मुताबिक रात 10:17 बजे कालाफगन, अफगानिस्तान से 90 किमी की दूरी पर यह झटके महसूस किए गए।

हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसे लेकर ट्वीट भी किया है। उन्होंने लिखा, “अभी-अभी पूरे उत्तर भारत में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं जिसकी तीव्रता से 6.6 तक नापी गई है। भगवान से प्रार्थना करता हूं कि सब सकुशल हों और सब कुछ ठीक-ठाक हो।”

भूकंप आने पर क्या करें

अगर भूकंप के वक्त आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं। घर में किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढकें। भूकंप के झटके आने तक घर के अंदर ही रहें और झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें। अगर रात में भूकंप आया है और आप बिस्तर पर लेटे हैं तो लेटे रहें, तकिए से सिर ढक लें।

घर के सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें। अगर आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो किसी रुमाल या कपड़े से मुंह को ढंक लें। मलबे के नीचे खुद की मौजूदगी को जताने के लिए पाइप या दीवार को बजाते रहें, ताकि बचाव दल आपको तलाश सके। अगर आपके पास कुछ उपाय ना हो तो चिल्लाते रहें और हिम्मत ना हारें।

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भूकंप आने पर क्या ना करें

भूकंप के वक्त अगर आप घर से बाहर हैं तो ऊंची इमारतों और बिजली के खंभों से दूर रहें। अगर आप गाड़ी चला रहे हो तो उसे रोक लें और गाड़ी से बाहर ना निकलें। किसी पुल या फ्लाइओवर पर गाड़ी खड़ी ना करें। भूकंप के समय अगर आप घर में हैं तो बाहर ना निकलें।

अगर आप भूकंप के वक्त मलबे में दब जाएं तो माचिस बिल्कुल ना जलाएं। इससे गैस लीक होने की वजह से आग लगने का खतरा हो सकता है। भूकंप आने पर घर में हैं तो चलें नहीं। सही जगह ढूंढें और बैठ जाएं।

घर के किसी कोने में चले जाएं, कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें। भूकंप के वक्त लिफ्ट के इस्तेमाल बिल्कुल ना करें। साथ ही कमज़ोर सीढ़ियों का इस्तेमाल भी न करें। क्योंकि लिफ्ट और सीढ़ियां दोनों ही टूट सकती हैं।

भूकंप में अगर मलबे में दब जाएं तो ज़्यादा हिले नहीं और धूल ना उड़ाएं। आपके आप-पास जो चीज़ मौजूद हो उसी से अपनी मौजूदगी जताएं। भूकंप के दौरान आप पैनिक न करें और किसी भी तरह की अफवाह न फैलाएं।

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भूकंप की स्थिति के लिए पहले से तैयारी कैसे करें

आपको एक इमरजेंसी किट बनाकर रखनी चाहिए, जिसमें आपके जरूरी दस्तावेज, खाना, पानी और फर्स्ट एड की चीजें हों। घर के सामान को सुरक्षित रखने की कोशिश करें और छत या किसी दीवार के गिरने की स्थिति में जरूरी सामान को बचाने के उपाय करें। अपने परिवार के लिए एक इमरजेंसी प्लान तैयार करें।

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Breaking : हिमाचल सहित उत्तर भारत में हिली धरती, महसूस किए गए भूकंप के झटके

कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश सहित उत्तर भारत में मंगलवार रात धरती डोली। रात 10 बजकर 17 मिनट पर जोरदार भूकंप के झटके महसूस किए गए। बताया जा रहा है कि दिल्ली-NCR में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.6 रही।

हिमाचल में भी कई जगह पर तेज झटके महसूस किए गए हैं। कई जगह पर घरों में लगे पंखे काफी देर तक हिलते रहे। लोग डर कर घरों से बाहर की ओर भागे। हालांकि अभी तक कहीं से भी किसी तरह के जानी नुकसान की सूचना नहीं है। (ewn24news)

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जानकारी के मुताबिक इस भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के फैजाबाद में था। पाकिस्तान के इस्लामाबाद, लाहौर और पेशावर में भी तेज झटके लगे। सीस्मोलॉजी विभाग के मुताबिक रात 10:17 बजे कालाफगन, अफगानिस्तान से 90 किमी की दूरी पर यह झटके महसूस किए गए।

हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसे लेकर ट्वीट भी किया है। उन्होंने लिखा, “अभी-अभी पूरे उत्तर भारत में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं जिसकी तीव्रता से 6.6 तक नापी गई है। भगवान से प्रार्थना करता हूं कि सब सकुशल हों और सब कुछ ठीक-ठाक हो।”

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भूकंप आने पर क्या करें

अगर भूकंप के वक्त आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं। घर में किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढकें। भूकंप के झटके आने तक घर के अंदर ही रहें और झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें। अगर रात में भूकंप आया है और आप बिस्तर पर लेटे हैं तो लेटे रहें, तकिए से सिर ढक लें।

घर के सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें। अगर आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो किसी रुमाल या कपड़े से मुंह को ढंक लें। मलबे के नीचे खुद की मौजूदगी को जताने के लिए पाइप या दीवार को बजाते रहें, ताकि बचाव दल आपको तलाश सके। अगर आपके पास कुछ उपाय ना हो तो चिल्लाते रहें और हिम्मत ना हारें।

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भूकंप आने पर क्या ना करें

भूकंप के वक्त अगर आप घर से बाहर हैं तो ऊंची इमारतों और बिजली के खंभों से दूर रहें। अगर आप गाड़ी चला रहे हो तो उसे रोक लें और गाड़ी से बाहर ना निकलें। किसी पुल या फ्लाइओवर पर गाड़ी खड़ी ना करें। भूकंप के समय अगर आप घर में हैं तो बाहर ना निकलें।

अगर आप भूकंप के वक्त मलबे में दब जाएं तो माचिस बिल्कुल ना जलाएं। इससे गैस लीक होने की वजह से आग लगने का खतरा हो सकता है। भूकंप आने पर घर में हैं तो चलें नहीं। सही जगह ढूंढें और बैठ जाएं।

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घर के किसी कोने में चले जाएं, कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें। भूकंप के वक्त लिफ्ट के इस्तेमाल बिल्कुल ना करें। साथ ही कमज़ोर सीढ़ियों का इस्तेमाल भी न करें। क्योंकि लिफ्ट और सीढ़ियां दोनों ही टूट सकती हैं।

भूकंप में अगर मलबे में दब जाएं तो ज़्यादा हिले नहीं और धूल ना उड़ाएं। आपके आप-पास जो चीज़ मौजूद हो उसी से अपनी मौजूदगी जताएं। भूकंप के दौरान आप पैनिक न करें और किसी भी तरह की अफवाह न फैलाएं।

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आपको एक इमरजेंसी किट बनाकर रखनी चाहिए, जिसमें आपके जरूरी दस्तावेज, खाना, पानी और फर्स्ट एड की चीजें हों। घर के सामान को सुरक्षित रखने की कोशिश करें और छत या किसी दीवार के गिरने की स्थिति में जरूरी सामान को बचाने के उपाय करें। अपने परिवार के लिए एक इमरजेंसी प्लान तैयार करें।

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जडेजा के बाद अश्विन ने भी ढाया कहर, भारत ने ऑस्ट्रेलिया को एक पारी और 132 रनों से हराया

दूसरी पारी में 91 रनों पर हुई ढेर हुए कंगारू

नागपुर। भारत की ऑस्ट्रेलिया के बीच नागपुर में खेले गए पहले टेस्ट मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को एक पारी और 132 रनों से हरा दिया है। भारत ने ऑस्ट्रेलिया को दूसरी पारी में 91 रनों पर ऑलआउट कर दिया। पहली पारी के बाद भारत की ऑस्ट्रेलिया पर 223 रनों की बढ़त थी लेकिन ऑस्ट्रेलिया इस विशाल स्कोर को पार नहीं कर सका।

गुरुवार को शुरू हुए मैच में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फ़ैसला किया था और पहले ही दिन ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम 177 रनों पर ऑलआउट हो गई थी। नागपुर में खेले गए पहले टेस्ट मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को एक पारी और 132 रनों से हरा दिया है।

मैच के तीसरे दिन रविचंद्रन अश्विन ने 5 विकेट लेकर बड़ा कारनामा कर दिया है। पहली पारी के आधार पर भारत ने ऑस्ट्रेलिया पर 223 रन की बढ़त बनाई थी. अश्विन से पहले जडेजा ने भी पहली पारी में कंगारू टीम के 5 विकेट झटके थे। वहीं ऑस्ट्रेलिया की ओर से टॉड मर्फी ने 7 विकेट चटकाए।

भारत ने मेहमान टीम को पहली पारी में 177 के स्कोर पर समेट दिया था। जिसके जवाब में  टीम इंडिया की तरफ से रोहित शर्मा ने सबसे ज्यादा 120 रन की पारी खेली। अक्षर पटेल ने 84 रन बानाए। इसके अलावा रवींद्र जडेजा ने भी 70 रनों का योगदान दिया. जिसके चलते भारत 400 के आंकड़े तक पहुंच पाया। वहीं आखिर में आकर मोहम्मद शमी ने भी 47 गेंद में 37 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली।

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भारत में प्रोटोटाइप रिमोट ईवीएम का प्रदर्शन 16 जनवरी को होगा

आयोग ने राजनीतिक दलों को किया आमंत्रित
नई दिल्ली।  भारत निर्वाचन आयोग द्वारा विकसित बहु निर्वाचन क्षेत्र प्रोटोटाइप रिमोट ईवीएम का प्रदर्शन (Demonstration) 16 जनवरी को होगा। आयोग ने बहु निर्वाचन क्षेत्र प्रोटोटाइप रिमोट ईवीएम की कार्यप्रणाली का प्रदर्शन (Demonstration) करने के लिए सभी मान्यता प्राप्त 8 राष्ट्रीय और 57 राज्यीय दलों को 16 जनवरी 2023 को आमंत्रित किया है। इस अवसर पर आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति के सदस्य भी उपस्थित रहेंगे।
वहीं, आयोग ने अपेक्षित विधिक परिवर्तनों, प्रशासनिक प्रक्रियाओं में परिवर्तनों और घरेलू प्रवासी मतदाताओं के लिए मतदान की पद्धति/आरवीएम/प्रौद्योगिकी यदि कोई हो सहित विभिन्न संबंधित मामलों पर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से 31 जनवरी 2023 तक लिखित मंतव्य (विचार) देने का भी अनुरोध किया है।  विभिन्न हितधारकों से प्राप्त फीडबैक और प्रोटोटाइप के प्रदर्शन के आधार पर आयोग रिमोट मतदान पद्धति को क्रियान्वित करने की प्रक्रिया को उपयुक्त तरीके से आगे बढ़ाएगा।
हिमाचल : पिता की जान बचाने को बेटी ने दिया अपने लिवर का हिस्सा
बता दें कि भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव में वोट प्रतिशतता बढ़ाने और ज्यादा से ज्यादा लोगों की सहभागिता सुनिश्चित करवाने के लिए बड़ी पहल की है। आयोग ने रोजगार शिक्षा या अन्य कारणों से गृह नगर से देश में आन्य जगह रह रहे नागरिकों को रिमोट वोटिंग की सुविधा देने पर काम शुरू किया है। इससे देश में कहीं से भी अपने गृह/मूल निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदान करना संभव होगा।
शिमला : बाल गृह और वृद्धाश्रम पहुंचे सीएम, सुविधाओं का लिया जायजा 
आयोग घरेलू प्रवासी मतदाताओं की भागीदारी का संभव करने के लिए उनके रिमोट लोकेशन अर्थात शिक्षा/रोजगार आदि के प्रयोजन से उनके मौजूदा निवास स्थान से उनके गृह निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान करने की सुविधा प्रदान करने के लिए एक बहु निर्वाचन क्षेत्र रिमोट इलेक्ट्ऱॉनिक वोटिंग मशीन को प्रोयोगिक तौर पर शुरू करने के लिए तैयार है। ईवीएम का यह संशोधित रूप एक एकल रिमोट पोलिंग बूथ से 72 विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों पर मतदान करा सकता है।  इस सुविधा के शुरू होने के बाद प्रवासी मतदाताओं को मतदान के लिए वापस अपने गृह राज्य/ नगर जाने के झंझट से मुक्ति मिलेगी।
भारत चुनाव आयोग का मानना है कि प्रौद्योगिकीय तरक्की के युग में प्रवासन के आधार पर मतदान के अधिकार से वंचित करना स्वीकार विकल्प नहीं है। आयोग के अनुसार वोटर टर्नआउट में सुधार लाने और निर्वाचन में अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में एक प्रमुख बाधा आंतरिक प्रवासन (घरेलू प्रवासियों) के कारण मतदाताओं द्वारा मतदान न कर पाना भी है, जिसका समाधान किया जाना आवश्यक है। इसका हल ढूंढने के लिए आयोग की टीम ने कई विकल्पों पर विचार किया। इसके बाद M3 ईवीएम मॉडल के संशोधित संस्करण का उपयोग करने का विकल्प ढूंढा।

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