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शहीद विजय कुमार गौतम पंचतत्व में विलीन, 6 साल के बेटे ने दी मुखाग्नि

PWD मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी अंतिम संस्कार में पहुंचे

शिमला। लद्दाख के लेह जिला में हुए सड़क हादसे में वीर गति को प्राप्त हुए हवलदार विजय कुमार गौतम का उनके पैतृक गांव डिमणी में आज राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

सैकड़ों लोगों ने नम आंखों से शहीद विजय को अंतिम विदाई दी। विजय न सिर्फ अपने परिवार को अकेला छोड़ गया बल्कि उन सभी युवाओं का भी साथ छोड़ गया जिनको वह सेना भर्ती के लिए प्रेरित करता था ट्रेनिंग देता था।

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हवलदार विजय कुमार गौतम की पार्थिव देह सोमवार सुबह शिमला पहुंची। विजय कुमार की पार्थिव देह को हेलीकॉटर के माध्यम से शिमला के अन्नाडेल मैदान में उतारा गया। यहां पर शहीद विजय कुमार को आर्मी जवानों द्वारा पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।

इसके बाद देह को पैतृक गांव रवाना किया गया। जवान विजय कुमार पुत्र बाबूराम शर्मा शिमला ग्रामीण की ग्राम पंचायत नेहरा की तहसील सुन्नी के गांव डिमणी के रहने वाले थे। विजय की पार्थिव देह पहुंचते ही विजय कुमार अमर रहे के नारों से पूरा डिमणी गांव गूंज उठा।

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घर पर विजय के मां-बाप और पत्नी ने उनके अंतिम दर्शन किए। इसके बाद शहीद हवलदार विजय कुमार गौतम का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। 6 साल के बेटे ने विजय को मुखाग्नि दी। PWD मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी अंतिम संस्कार के दौरान मौजूद रहे और शहीद को श्रद्धांजलि दी।

बलिदानी विजय कुमार के घर में उनके माता-पिता, पत्नी व दो बच्चे हैं। विजय का एक बड़ा भाई भी है। विजय का बड़ा बेटा 6 साल का है जबकि छोटा बेटा महज डेढ़ साल का है।

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विजय कुमार ने दाड़गी स्कूल से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उसके बाद वह सेना में भर्ती हो गए थे। विजय बेहद ही गरीब परिवार से संबंध रखते थे। खेल में वह शुरू से ही अव्वल थे। स्कूल में राज्य स्तर पर उन्होंने कबड्डी व खो-खो खेला। सेना में भी कई मेडल इन्होंने खेल में जीते।

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विजय कुमार गरीब परिवार से संबंध रखते थे। उनकी मां ने बकरियां पालकर उनकी पढ़ाई का खर्चा निकाला और फिर बड़ी मेहनत के बाद उन्हें सेना में भर्ती करवाया। विजय कुमार न केवल पढ़ाई में अव्वल थे, बल्कि खेलों में भी उनका रुझान था।

भारतीय सेना में भर्ती होते ही विजय कुमार ने न केवल अपने घर-परिवार की जिम्मेदारी संभाली बल्कि वे गांव के बच्चों को भी सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करते थे। विजय कुमार जब भी छुट्टियों में आते तो युवाओं को सेना भर्ती की ट्रेनिंग देते और साथ ही उन्हें खेलों की भी जानकारी देते थे।

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हिमाचल ने खो दिया अनमोल रत्न : डिमणी वासी हमेशा याद रखेंगे विजय की शहादत

पैतृक गांव पहुंची पार्थिव देह, होगा अंतिम संस्कार

शिमला। लद्दाख के लेह में शनिवार को सड़क हादसे का शिकार हुए हिमाचल के हवलदार विजय कुमार गौतम की पार्थिव देह सोमवार सुबह शिमला के अन्नाडेल पहुंची।

यहां से सड़क मार्ग के द्वारा उनकी देह को उनके पैतृक गांव डिमणी ले जाया गया जहां उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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शनिवार को सेना की गाड़ी लेह में 60 फीट गहरी खाई में गिर गई थी जिसमें 9 जवानों ने दम तोड़ दिया। इस घटना में शिमला जिला का जवान हवलदार विजय कुमार गौतम भी शहीद हुआ।

सेना के काफिले में पांच गाड़ियां शामिल थीं जिसमें 34 जवान सवार थे। शहीद जवान विजय कुमार गौतम पुत्र बाबूराम शर्मा शिमला ग्रामीण की ग्राम पंचायत नेहरा की तहसील सुन्नी के गांव डिमणी का रहने वाला था।

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बलिदानी विजय कुमार के घर में उनके माता-पिता, पत्नी व दो बच्चे हैं। विजय का एक बड़ा भाई भी है। विजय का बड़ा बेटा 6 साल का है जबकि छोटा बेटा महज डेढ़ साल का है।

विजय कुमार गौतम के भाई राजकुमार ने कहा कि आज हमारे गांव डिमणी ने एक अनमोल रत्न खो दिया है। बचपन से ही विजय शिक्षा के साथ खेल में भी अव्वल रहता था। उन्होंने 12वीं के बाद सेना में सेवाएं देना आरंभ की और आज देश के लिए शहादत दी है।

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उनकी शहादत को हमेशा यह देश याद रखेगा वह अपने पीछे दो छोटे बच्चों, पत्नी व बूढ़े माता-पिता को छोड़ गए हैं। उनकी इस शहादत को पूरा गांव नमन करता है।

नेहरा ग्राम पंचायत की प्रधान मीरा शर्मा ने कहा कि विजय कुमार गौतम 2007 से सेना में सेवाएं दे रहे रहे थे। लद्दाख में दुर्घटना में वह देश के लिए शहीद हो गए और अपने पीछे डेढ़ व 6 वर्ष के बेटे, माता-पिता तथा पत्नी को छोड़ गए। वह एक ऐसा बेटा था जो सभी गांव के युवाओं को सेना में भर्ती होने जे लिए प्रेरित करता था।

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शिमला पहुंची शहीद विजय कुमार की पार्थिव देह, अंतिम दर्शन को पहुंचे लोग

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जवान विजय कुमार पुत्र बाबूराम शर्मा शिमला ग्रामीण की ग्राम पंचायत नेहरा की तहसील सुन्नी के गांव डिमणी के रहने वाले थे। विजय के पैतृक गांव में कुछ ही देर में पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। सेना की ओर से शनिवार को विजय के शहीद होने की आधिकारिक जानकारी परिवार को दी गई थी।

विजय के परिवार वालों को जैसे ही उनकी मौत की खबर मिली घर में मातम पसर गया। मां और पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। छोटे-छोटे दो मासूमों के सिर से पिता का साया उठ चुका है लेकिन उन्हें ये मालूम तक नहीं कि आखिर हुआ क्या है।

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रिश्तेदार और गांव के लोग विजय के घर पहुंचकर उनके परिजनों को सांत्वना देने पहुंच रहे हैं। बलिदानी विजय कुमार के घर में उनके माता-पिता, पत्नी व दो बच्चे हैं। विजय का एक बड़ा भाई भी है। विजय का बड़ा बेटा 6 साल का है जबकि छोटा बेटा महज डेढ़ साल का है।

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कांगड़ा : शहीद अरविंद की पार्थिव देह नहीं पहुंच पाई घर, राह देख रहे मां-बाप

मौसम की खराबी के चलते सड़क मार्ग से लाई जा रही

कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के विकास खंड सुलह के तहत ग्राम पंचायत मरहूं के गांव चटियाला के शहीद अरविंद कुमार (32) के घर पर इस समय मातम पसरा हुआ है। मां-बाप और पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। रिश्तेदार और गांव के लोग उन्हे ढांढस बंधाने पहुंच रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद अरविंद कुमार का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह मौसम की खराबी के चलते उधमपुर से एयरलिफ्ट नहीं हो पाया। ऐसे में अब उनका पार्थिव शरीर उधमपुर से सड़क मार्ग से उनके गृह जिला लाया जा रहा है जो शाम तक पालमपुर के होलटा स्थित आर्मी कैंप पहुंचने की संभावना है।

राजौरी में शहीद हिमाचल के दो जांबाजों सहित पांच जवानों को सेना का सैल्यूट

अरविंद के भाई भूपेंद्र कुमार ने बताया कि शहीद अरविंद अभी दो महीने पहले ही छुट्टी काट कर ड्यूटी पर लौटे थे। भाई ने बताया कि उन्हें सेना की ओर से शुक्रवार को फोन आया कि उनके भाई को गोली लगी है और वह घायल हैं। जब वह घर पर आए तो दोबारा फोन आया कि अरविंद आतंकी मुठभेड़ में शहीद हो गए हैं। अरविंद की पूरी रेजिमेंट को कुपवाड़ा से पुंछ बुलाया गया था।

मरहूं निवासी शहीद अरविंद कुमार के पिता का नाम उज्जवल सिंह, माता का नाम निर्मला देवी और पत्नी का नाम बिंदू देवी है। शहीद अरविंद कुमार सेना में 2012 में भर्ती हुए थे। उनकी शादी को पांच वर्ष हो गए हैं। उनकी दो बेटियां हैं जिनकी आयु 4 और 2 वर्ष है। उनका एक बड़ा भाई और एक बहन है।

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उनकी शादी सुलह के साथ लगते गांव पनतेहड़ में लगभग पांच साल पहले हुई थी। शहीद अरविंद की दो बेटियां हैं। इनमें शानमिता चार और छोटी बेटी शानविका दो साल की है। अरविंद 2012 में भारतीय सेना की नवमीं पैरा स्पेशल फोर्स में भर्ती हुए थे। वह नायक के पद पर थे। उनके पिता उज्ज्वल सिंह लोक निर्माण विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं और अरविंद का बड़ा भाई मजदूरी करता है।

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शहीद अरविंद कुमार की छोटी बेटी को कुछ समय से नाक में कुछ समस्या थी। इसका दिल्ली के एक निजी अस्पताल से उपचार शुरू करवाया था। बीते दो माह पहले जब वह छुट्टी आए थे तो अरविंद को चिकित्सकों ने ऑपरेशन की सलाह दी थी।

अरविंद छोटी बेटी के नाक का ऑपरेशन करवाना चाहते थे। वह परिवार वालों से यह कह कर गए थे कि अगली छुट्टी में अपनी बेटी के नाक का ऑपरेशन करवाएंगे जिसके बाद वह पूरी तरह ठीक हो जाएगी। अरविंद को क्या पता था कि उनका ये वादा अधूरा रह जाएगा।

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शहीद पवन कुमार पंचतत्व में विलीन, पिथवी में सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

शिमला। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में दुश्मनों के साथ लोहा लेते शहीद हुए सिपाही पवन कुमार का अंतिम संस्कार गुरुवार को सैन्य सम्मान के साथ कर दिया गया है। शहीद पवन कुमार की पार्थिव देह गुरुवार सुबह जब रामपुर पहुंची तो हर तरफ पवन कुमार अमर रहे के नारे गूंज उठे। शहीद के अंतिम दर्शन करने के लिए रामपुर में जनसैलाब उमड़ पड़ा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष एवं लोक सभा सांसद प्रतिभा सिंह, स्थानीय विधायक नंद लाल सहित स्थानीय प्रशासन एवं आर्मी के अधिकारी भी शहीद को श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

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रामपुर में सैकड़ों लोगों ने शहीद पवन कुमार धंगल को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इसके बाद पार्थिव देह करीब 2:30 बजे पैतृक गांव पिथवी में पहुंची। यहां पर शहीद के परिजनों और गांव वालों ने नम आंखों से वीर जवान को अंतिम विदाई दी। इसके बाद पूरे सैन्य सम्मान के साथ शहीद पवन कुमार का अंतिम संस्कार किया गया।

कांगड़ा जिला प्रशासन की पहल, कागज पन्ने के दोनों साइड होगी लिखाई-छपाई-जानिए डिटेल

गौर हो कि हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला स्थित रामपुर की किन्नु पंचायत के पिथवी गांव का जवान पवन कुमार दंगल पुलवामा में 28 फरवरी को हुए आतंकी हमले में शहीद हुआ है। 26 वर्षीय पवन कुमार 55वीं राष्ट्रीय राइफल ग्रेनेडियर में बतौर सिपाही तैनात था। वह 2015 में सेना में भर्ती हुआ था। पवन घर का इकलौता चिराग था। पिता शिशुपाल लोक निर्माण विभाग में कार्यरत हैं, जबकि माता भजन दासी गृहिणी हैं। बहन प्रतिभा की शादी हो चुकी है।

HP Cabinet Meeting: हिमाचल लोक सेवा आयोग को लेकर बड़ा फैसला

पवन के शहीद होने की सूचना मिलते ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मां रोजाना की तरह खेत में काम कर रही थी, जबकि पिता अपनी ड्यूटी पर गए थे। बेटे की शहादत की खबर से दोनों को ही कुछ समय के लिए सदमा सा लग गया। खबर मिलते ही पवन के पिता व अन्य सदस्य जम्मू-कश्मीर के लिए निकल गए। बुधवार को सेना की तरफ से शहीद को अंतिम विदाई दी गई जिसके बाद पार्थिव देह चंडीगढ़ के लिए रवाना की गई।

 

जनवरी में पवन के चचेरे भाई की मौत हो गई थी। इस दौरान वह छुट्‌टी पर घर आया था। 7 फरवरी को ही पवन ड्यूटी के लिए वापस लौटा था। इस दौरान उसने जल्द छुट्‌टी पर आने की बात कही थी, लेकिन उसे क्या पता था कि अब वह कभी घर लौटेगा तो तिरंगे में लिपट कर। ewn24news choice of himachal भारत मां की सेवा में शहीद पवन कुमार को सलाम करता है।

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