शिमला। हिमाचल में बागवानों के लिए कुछ अच्छी खबर नहीं है। आने वाले दिनों में मौसम चिंता बढ़ा सकता है। ओलावृष्टि से नुकसान उठाना पड़ सकता है। हिमाचल में 26 अप्रैल देर शाम एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने जा रहा है।
इसका असर 30 अप्रैल तक प्रदेश भर में देखने को मिलेगा। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार इस दौरान कई इलाकों में भारी बारिश, ओलावृष्टि के साथ-साथ कुछ ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होने की भी संभावना है।
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि प्रदेश के कई इलाकों में 27 और 28 अप्रैल को भारी बारिश दर्ज की जा सकती है। इस दौरान ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी भी देखने को मिल सकती है। खास तौर पर बागवानों के लिए यह मौसम चिंता का सबब बन सकता है। इस दौरान ओलावृष्टि को लेकर भी अलर्ट जारी किया गया है।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा, जिससे आने वाले 4 दिन तक प्रदेश में बारिश बर्फबारी और ओलावृष्टि होने के आसार हैं।
उन्होंने कहा इस दौरान जिला चंबा और मंडी जैसे जिलों में भारी बारिश दर्ज की जा सकती है। सुरेंद्र पॉल ने कहा कि यह पश्चिमी विक्षोभ 26 अप्रैल की देर शाम से सक्रिय होगा और 30 अप्रैल तक प्रदेश में इसका असर देखने को मिलेगा। सुरेंद्र पॉल ने बताया कि प्रदेश में 27 से 29 अप्रैल के दौरान बारिश की तीव्रता अधिक रहने के आसार हैं।
जिला चंबा,लाहौल-स्पीति, किन्नौर और कुल्लू की ऊंची पहाड़ियों पर हल्की से मध्यम बर्फबारी होने की संभावना है। वहीं, पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से प्रदेश के तापमान पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। आने वाले दो दिनों में प्रदेश के सेब बहुल इलाकों में ओलावृष्टि होने की भी संभावना जताई है।
उन्होंने कहा कि शिमला, मंडी और कुल्लू जिला में मध्यम स्तर की ओलावृष्टि होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि तापमान बढ़ने की स्थिति में ओलावृष्टि अधिक होने की संभावना रहती है। ऐसे में इन इलाकों के लिए ओलावृष्टि को लेकर अलर्ट भी जारी किया गया है।
हमीरपुर। फल-सब्जियों की कीमतों की जानकारी आम लोगों तक पहुंचाने तथा इनकी कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए जिला प्रशासन और खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने हमीरपुर के बचत भवन में एक डिजिटल स्क्रीन स्थापित की है।
डीसी हेमराज बैरवा ने बताया कि हमीरपुर शहर के कई सामाजिक संगठन और आम उपभोक्ता फलों एवं सब्जियों की कीमतों पर नजर रखने के लिए तथा इन्हें रोजाना किसी सार्वजनिक स्थल पर प्रदर्शित करने की मांग कर रहे थे।
इसी के मद्देनजर बचत भवन में डिजिटल स्क्रीन स्थापित की गई है, जिस पर प्रतिदिन फल-सब्जियों के दाम प्रदर्शित किए जा रहे हैं। हेमराज बैरवा ने बताया कि जिला में हिमाचल प्रदेश जमाखोरी और मुनाफाखोरी निवारण आदेश-1977 के विभिन्न प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाएगा। इसका उल्लंघन करने वाले कारोबारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मेडिकल कॉलेज में 25 सितंबर से शुरू होगी ओपन हार्ट सर्जरी
शिमला। कांगड़ा जिला के डॉ राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज, अस्पताल टांडा में लोगों को बड़ी सुविधा मिलने जा रही है। इसके चलते लोगों को आईजीएमसी शिमला और पीजीआई चंडीगढ़ के चक्करों से निजात मिलेगी। डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज, अस्पताल टांडा में हृदय शल्य चिकित्सा केंद्र स्थापित किया गया है।
यह केंद्र 25 सितंबर से कार्यशील हो जाएगा। इसके तहत टांडा मेडिकल कॉलेज के सीटीवीएस विभाग में ओपन हार्ट सर्जरी शुरू की जाएगी। सरकार की ओर से इसको लेकर मंजूरी दे दी है और अब लोगों को हार्ट सर्जरी के लिए शिमला नहीं आना पड़ेगा, बल्कि टांडा में मेडिकल अस्पताल में ही इसकी सुविधा मिलेगी।
प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष और नगरोटा बगवां से विधायक आरएस बाली ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का आभार जताते हुए कहा कि टांडा मेडिकल कॉलेज में ओपन हार्ट सर्जरी शुरू होने से लोगों को बड़ी राहत मिलने जा रही है। 2017 में कांग्रेस की सरकार के समय यहां पर हार्ट सर्जरी शुरू करने को लेकर व्यवस्था की थी, लेकिन बीते 5 साल से इस पर कोई भी कार्य नहीं हुआ।
अब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के प्रयासों से 25 सितंबर से टांडा मेडिकल कॉलेज में हार्ट सर्जरी की सुविधा शुरू होने जा रही है, जिससे निचले हिमाचल से लोगों को हार्ट सर्जरी के लिए आईजीएमसी शिमला या पीजीआई चंडीगढ़ नहीं जाना पड़ेगा। अब ये सुविधा टांडा मेडिकल कॉलेज में मिलने से काफी बड़ी राहत लोगों को मिलेगी और सोमवार से नियमित रूप से हार्ट सर्जरी टांडा मेडिकल कॉलेज में शुरू हो जाएगी।
पीडब्ल्यूडी विक्रमादित्य सिंह बोले-जल्द मिलेगी स्वीकृति
नई दिल्ली।हिमाचल कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष और मंडी की सांसद प्रतिभा सिंह और पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने नई दिल्ली में केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री गिरिराज सिंह से मुलाकात की।
सांसद प्रतिभा सिंह ने मंडी संसदीय क्षेत्र की 54 ग्रामीण सड़कों के लिए 599.55 करोड़ रुपए मांगें। केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री गिरिराज सिंह ने मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार का आश्वासन दिया।
अपने फेसबुक पेज पर मुलाकात की जानकारी देते हुए हिमाचल के पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य ने लिखा कि हिमाचल के मसले हम प्राथमिकता से केंद्र सरकार से उठाते रहेंगे। मंडी सांसद प्रतिभा सिंह के साथ केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह से मुलाकात की।
उन्होंने जानकारी दी कि प्रदेश में बहुत जल्द पीएमजीएसवाई फेज 3 (PMGSY PHASE 3) में 2500 किलोमीटर सड़कों के लिए करीब 2800 करोड़ की स्वीकृति मिलने वाली है, जिससे प्रदेश की बहुत सी सड़कों का उद्धार होगा।
धर्मशाला में सफल ट्रायल के बाद पूरे प्रदेश में शुरू हुई सुविधा
शिमला।हिमाचल में अब कहीं से भी ऑनलाइन लर्नर लाइसेंस बना सकते हैं। आरएलए धर्मशाला में सफल ट्रायल के बाद इसे पूरे हिमाचल में शुरू कर दिया गया है। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के फेसबुक पेज सहित अन्य पेज पर दी गई है।
लर्नर लाइसेंस बनवाने के लिए अब लोगों को आरएलए और आरटीओ कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, बल्कि घर बैठे ही लोग अपना लर्नर लाइसेंस बनवा सकेंगे। लोगों को पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग प्राधिकरण कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे लर्नर लाइसेंस प्राप्त करने के इच्छुक लोगों के समय, धन और ऊर्जा की बचत होगी।
नागरिकों को घरद्वार पर सुविधा उपलब्ध करवाने और डिजिटल सेवा का विस्तार करने के लिए पायलट आधार पर आरएलए धर्मशाला में फेसलेस/कॉन्टैक्टलेस लर्नर लाइसेंस सेवा शुरू की गई थी। ट्रायल सफल रहा है। ट्रायल सफल रहने के बाद इस पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है। इस सुविधा का लाभ लेने के लिए सात चरणों का पालन करना होगा, जिसमें सबसे पहले आवेदक को लर्नर लाइसेंस के लिए सारथी पोर्टल पर आधार आधारित प्रमाणीकरण के साथ आवेदन करना होगा।
दूसरे चरण में अनिवार्य जानकारियां जैसे नाम, पता और फोटो आधार पोर्टल से प्राप्त किए जाएंगे। तीसरे चरण में हस्ताक्षर अपलोड करने होंगे। उसके बाद ऑनलाइन मोड से आवश्यक शुल्क भुगतान करना होगा। पांचवें चरण में सड़क सुरक्षा पर अनिवार्य वीडियो ट्यूटोरियल देखना होगा। उसके बाद आवेदक को किसी भी स्थान से ऑनलाइन लर्नर लाइसेंस परीक्षा देनी होगी तथा सफल होने पर, अंतिम चरण में आवेदक को अपने मोबाइल पर एसएमएस के माध्यम से पोर्टल द्वारा भेजे गए लिंक के माध्यम से या सारथी वेब पोर्टल पर जाकर अपना लर्नर लाइसेंस प्राप्त होगा।
लर्नर लाइसेंस के लिए सारथी पोर्टल के माध्यम से आवश्यक दस्तावेज और हस्ताक्षर अपलोड करके आवेदन किया जा सकता है। आवेदक इसी के माध्यम से अपेक्षित शुल्क भी ऑनलाइन जमा कर सकते हैं। आवेदन के दौरान प्रार्थी का व्यक्तिगत डेटा आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा। आधार आधारित लर्नर लाइसेंस प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन होगी, जहां कोई सत्यापन, जांच और अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी।
आवेदन के लिए आधार पर दी जानकारी ही मान्य होगी। यदि कोई व्यक्ति आधार के अलावा कोई अन्य पता देना चाहता है तो आवेदन को गैर-फेसलेस माना जाएगा और दस्तावेज के सत्यापन के लिए आवेदक को आरएलए कार्यालय जाना होगा। आवेदन जमा करने के सात दिनों के भीतर, लर्नर लाइसेंस के लिए प्रत्येक आवेदक को सुरक्षित ड्राइविंग पर एक ऑनलाइन वीडियो ट्यूटोरियल देखना होगा।
यह आवेदक यह ट्यूटोरियल पोर्टल पर स्वयं जाकर या सुविधा केंद्र की सहायता से पूरा कर सकता है। ट्यूटोरियल में यातायात और सड़क पर वाहन चलाने के नियम, चालक के कर्तव्य, मानवरहित रेलवे क्रासिंग से गुजरते समय बरती जाने वाली सावधानियां और मोटर वाहन चलाते समय आवश्यक दस्तावेजों से संबंधित मामलों पर जानकारी शामिल होगी।
सुरक्षित ड्राइविंग पर ट्यूटोरियल करने के बाद, प्रत्येक आवेदक को आवेदन जमा करने के सात दिन के भीतर पोर्टल पर ऑनलाइन टेस्ट देना होगा। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन टेस्ट शुरू होने से पहले आवेदक का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित फेस ऑथेंटिकेशन किया जाएगा। इस दौरान यदि आवेदन प्रपत्रों में उपलब्ध चेहरे की छवि (आधार रिकॉर्ड के अनुसार) परीक्षण के लिए उपस्थित होने वाले आवेदक के चेहरे से मेल खाती होगी, तभी परीक्षण प्रक्रिया शुरू होगी।
टेस्ट में ड्राइविंग और यातायात संबंधित ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न पूछे जाएंगे, जिनमें से कम से कम 60 प्रतिशत का सही उत्तर देने पर आवेदक को परीक्षा में सफलतापूर्वक उत्तीर्ण माना जाएगा। परीक्षा पूरी होने के तुरंत बाद आवेदक सारथी पोर्टल के माध्यम से फॉर्म-3 पर लर्नर लाइसेंस की एक प्रति डाउनलोड/प्रिंट कर सकता है।
धर्मशाला।लर्नर लाइसेंस बनवाने के लिए अब धर्मशाला में लोगों को आरएलए और आरटीओ कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, बल्कि घर बैठे ही लोग अपना लर्नर लाइसेंस बनवा सकेंगे। डीसी कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि नागरिकों को घरद्वार पर सुविधा उपलब्ध करवाने और डिजिटल सेवा का विस्तार करने के लिए पायलट आधार पर आरएलए धर्मशाला में फेसलेस/कॉन्टैक्टलेस लर्नर लाइसेंस सेवा शुरू की गई है।
उन्होंने बताया कि प्रशासन की इस अभिनव पहल से लोगों को बिना आरएलए कार्यालय जाए भी आसान तरीके से अपना लर्नर लाइसेंस बनवाने में सुविधा होगी। लर्नर लाइसेंस के लिए फेसलेस सेवा नागरिकों को किसी भी सुविधाजनक स्थान से लर्नर लाइसेंस टेस्ट में शामिल होने की सुविधा प्रदान करेगी।
उन्होंने कहा कि इसके लिए लोगों को पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग प्राधिकरण कार्यालय जाने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे लर्नर लाइसेंस प्राप्त करने के इच्छुक लोगों के समय, धन और ऊर्जा की बचत होगी।
उन्होंने बताया कि नई सुविधा का लाभ लेने के लिए सात चरणों का पालन करना होगा, जिसमें सबसे पहले आवेदक को लर्नर लाइसेंस के लिए सारथी पोर्टल पर आधार आधारित प्रमाणीकरण के साथ आवेदन करना होगा। दूसरे चरण में अनिवार्य जानकारियां जैसे नाम, पता और फोटो आधार पोर्टल से प्राप्त किए जाएंगे। तीसरे चरण में हस्ताक्षर अपलोड करने होंगे। उसके बाद ऑनलाइन मोड से आवश्यक शुल्क भुगतान करना होगा।
पांचवें चरण में सड़क सुरक्षा पर अनिवार्य वीडियो ट्यूटोरियल देखना होगा। उसके बाद आवेदक को किसी भी स्थान से ऑनलाइन लर्नर लाइसेंस परीक्षा देनी होगी तथा सफल होने पर, अंतिम चरण में आवेदक को अपने मोबाइल पर एसएमएस के माध्यम से पोर्टल द्वारा भेजे गए लिंक के माध्यम से या सारथी वेब पोर्टल पर जाकर अपना लर्नर लाइसेंस प्राप्त होगा।
कैसे कर सकेंगे ऑनलाइन आवेदन
डॉ. निपुण जिंदल बताया कि लर्नर लाइसेंस के लिए सारथी पोर्टल के माध्यम से आवश्यक दस्तावेज और हस्ताक्षर अपलोड करके आवेदन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आवेदक इसी के माध्यम से अपेक्षित शुल्क भी ऑनलाइन जमा कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आवेदन के दौरान प्रार्थी का व्यक्तिगत डेटा आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आधार आधारित लर्नर लाइसेंस प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन होगी, जहां कोई सत्यापन, जांच और अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी।
उन्होंने बताया कि आवेदन के लिए आधार पर दी जानकारी ही मान्य होगी। उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति आधार के अलावा कोई अन्य पता देना चाहता है तो आवेदन को गैर-फेसलेस माना जाएगा और दस्तावेज के सत्यापन के लिए आवेदक को आरएलए कार्यालय जाना होगा।
आवेदन के बाद देखना होगा वीडियो ट्यूटोरियल
डीसी ने बताया कि आवेदन जमा करने के सात दिनों के भीतर, लर्नर लाइसेंस के लिए प्रत्येक आवेदक को सुरक्षित ड्राइविंग पर एक ऑनलाइन वीडियो ट्यूटोरियल देखना होगा। उन्होंने बताया कि यह आवेदक यह ट्यूटोरियल पोर्टल पर स्वयं जाकर या सुविधा केंद्र की सहायता से पूरा कर सकता है। उन्होंने बताया कि ट्यूटोरियल में यातायात और सड़क पर वाहन चलाने के नियम, चालक के कर्तव्य, मानवरहित रेलवे क्रासिंग से गुजरते समय बरती जाने वाली सावधानियां और मोटर वाहन चलाते समय आवश्यक दस्तावेजों से संबंधित मामलों पर जानकारी शामिल होगी।
ट्यूटोरियल के बाद होगा ऑनलाइन टेस्ट
डीसी ने बताया कि सुरक्षित ड्राइविंग पर ट्यूटोरियल करने के बाद, प्रत्येक आवेदक को आवेदन जमा करने के सात दिन के भीतर पोर्टल पर ऑनलाइन टेस्ट देना होगा। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन टेस्ट शुरू होने से पहले आवेदक का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित फेस ऑथेंटिकेशन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस दौरान यदि आवेदन प्रपत्रों में उपलब्ध चेहरे की छवि (आधार रिकॉर्ड के अनुसार) परीक्षण के लिए उपस्थित होने वाले आवेदक के चेहरे से मेल खाती होगी, तभी परीक्षण प्रक्रिया शुरू होगी।
उन्होंने बताया कि टेस्ट में ड्राइविंग और यातायात संबंधित ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न पूछे जाएंगे, जिनमें से कम से कम 60 प्रतिशत का सही उत्तर देने पर आवेदक को परीक्षा में सफलतापूर्वक उत्तीर्ण माना जाएगा। उन्होंने बताया कि परीक्षा पूरी होने के तुरंत बाद आवेदक सारथी पोर्टल के माध्यम से फॉर्म-3 पर लर्नर लाइसेंस की एक प्रति डाउनलोड/प्रिंट कर सकता है।
डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि वर्तमान में नागरिकों को लर्नर लाइसेंस सेवाओं का लाभ उठाने के लिए व्यक्तिगत रूप से आरएलए और आरटीओ में कार्यालय जाना पड़ता था। इसके अतिरिक्त ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण के लिए भी इन कार्यालयों पर बोझ कम हो और लोगों को घरद्वार पर सुविधाएं मिल सके, इस दिशा में भी काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस नई पहल से आधार आधारित प्रमाणीकरण के माध्यम से ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण के लिए फेसलेस सेवाएं भी पाइपलाइन में हैं तथा इन्हें भी जल्द ही शुरू किया जाएगा।
ऋषि महाजन/नूरपुर।हिमाचल बागवानी विभाग ने आम की 6 नई किस्में तैयार की हैं। इन किस्मों की खासियत है कि पौधे से पौधे की दूरी 3 मीटर के करीब रख कर एक कनाल में ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाए जा सकते हैं। तीन साल के बाद ये आम के पौधे पूरी तरह तैयार हो जाएंगे। आम के इन पौधों की लंबाई केवल सात से आठ फीट तक ही होगी, जिससे किसानों को फल तोड़ने में भी आसानी होगी।
इसके साथ ही आम के शौकीनों को नया स्वाद मिलेगा। आम की इन हाइब्रिड किस्मों में फल ऑफ सीजन यानी सितंबर में तैयार होता है, जोकि सिंदूरी और लाल रंग का होगा। हिमाचल के किसान-बागवान बाजार की प्रतिस्पर्धा में बने रहने के साथ सामान्य बागवानी की तुलना में उतने ही क्षेत्र में तीन से चार गुणा ज्यादा उत्पादन कर ऊंचे दाम पा सकेंगे।
हिमाचल के बागवानी विभाग ने 1,293 करोड़ रुपए से विश्व बैंक द्वारा प्रायोजित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना (एचपीएचडीपी) के अंतर्गत फल संतति एवं प्रदर्शन केंद्र जाच्छ (नूरपुर) में लगभग 13 कनाल क्षेत्र में आम की 6 नई किस्मों के साथ 605 पौधों का बगीचा तैयार किया है। इसमें पूसा अरुणिमा, पूसा लालिमा, पूसा सूर्या, पूसा श्रेष्ठा, मल्लिका तथा चौंसा किस्में तैयार की गई हैं। विभाग ने भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र नई दिल्ली से इन पौधों की कलमें लाकर पीसीडीओ केंद्र, जाच्छ में पौधों को तैयार किया गया है।
इसमें रेज्ड बेड प्रणाली बनाई गई है, जिस पर इन पौधों को लगाया गया है। इनकी सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम भी लगाया गया है। इन पौधों पर दूसरे वर्ष से ही फल लगना शुरू हो गए हैं, लेकिन इनके बेहतर विकास के लिए फलों को तोड़ दिया गया है। परागन के लिए यहां मधुमक्खियों के लिए प्राकृतिक मड हाउस बनाए गए हैं।
विभाग ने इन किस्मों के अब तक 2,500 पौधे तैयार किए हैं। इन पौधों को विभाग क्लस्टर में बागवानी कर रहे किसानों को मुहैया करवाएगा। इसके अतिरिक्त विभाग ने इस वर्ष आम,लीची, किन्नू, गलगल, पपीता तथा कटहल सहित अन्य फलों के 30 हजार पौधे तैयार कर बागवानों को उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा है, जिससे बागवान आधुनिक व वैज्ञानिक तरीके से आम के साथ अन्य फलों की खेती कर सकेंगे।
रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए इस केंद्र में मनरेगा के तहत पंजीकृत लोगों को नर्सरी में काम के लिए लगाया जाता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को रोजगार के साथ बागवानी बारे तकनीकी ज्ञान भी प्राप्त हो रहा है।
नई किस्म की विशेषताएं
आम की पारंपरिक खेती (साधारण बागवानी) में पौधे से पौधे की दूरी 10 मीटर के करीब रखी जाती है, जहां एक कनाल भूमि पर मात्र 4 पौधे ही लगते थे। वहीं, नई किस्म के तैयार होने से हाई डेंसिटी बागवानी करते समय अब पौधे से पौधे की दूरी 3 मीटर के करीब रख कर भूमि पर 44 पौधे लगाए जा सकते हैं यानी अब किसान अपनी सीमित भूमि से भी अधिक उत्पादकता के साथ ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे।
राज्य के बागवानों की दशहरी, लंगड़ा, चौसा तथा संदूरी आम की फसल अन्य आम उत्पादक राज्यों की फसल के साथ पीक सीजन में बाजार में आती है। यह आम अधिकतर हरे व पीले रंग के ही होते हैं, जिस कारण बागवानों को प्रतिस्पर्धा के कारण उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल पाता है, लेकिन आम की इन हाइब्रिड किस्मों में फल ऑफ सीजन यानी सितंबर में तैयार होता है, जोकि सिंदूरी और लाल रंग का होगा।
हिमाचल के किसान-बागवान बाजार की प्रतिस्पर्धा में बने रहने के साथ सामान्य बागवानी की तुलना में उतने ही क्षेत्र में तीन से चार गुणा ज्यादा उत्पादन कर ऊंचे दाम पा सकेंगे।
क्या कहते हैं बागवानी विभाग के अधिकारी
बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलशील नेगी ने बताया कि वर्ष 2021 में विभाग ने भारतीय कॄषि अनुसंधान संस्थान, पूसा (नई दिल्ली) से आम की इन किस्मों की कलमें लाकर पीसीडीओ केंद्र, जाच्छ में बगीचा लगाकर पौधों की नई किस्मे तैयार की हैं। इसके अतिरिक्त विभाग ने इस केंद्र में लीची, किन्नू, गलगल, पपीता तथा कटहल के पौधे तैयार किए हैं, जिनके पौधे भी सीजन पर किसानों को उपलब्ध करवाए जाएंगे।
बागवानी विभाग किसानों को आधुनिक व वैज्ञानिक तरीके से बागवानी करने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण कोर्स भी आयोजित करवाता है। इसके अतिरिक्त उन्हें प्रशिक्षण टूअर पर भी भेजता है। उनका कहना है कि प्रदेश के बागवान इस प्रदर्शन केंद्र का जरूर भ्रमण करें, ताकि वे आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से बागवानी करने के गुर सीख सकें।
बता दें कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू प्रदेश को फल राज्य के तौर पर नई पहचान दिलाने के साथ बागवानों को आर्थिंक रूप से समृद्ध बनाने के लिए बागवानी विकास को विशेष प्राथमिकता दे रहे हैं। राज्य में फलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए फल क्लस्टर/हब विकसित करने की दिशा में प्रदेश सरकार ने कार्य शुरू करने की पहल की है, जिसके तहत हाई डेंसिटी प्लांटेशन और माइक्रो इरीगेशन सिस्टम को विकसित किया जाएगा।
मोहाली। भारत में IPL-2023 का रोमांच जारी है। पंजाब किंग्स कल यानी 13 अप्रैल को शिखर धवन की कप्तानी में मोहाली में गुजरात टाइटन्स के साथ भिड़ेगी। मोहाली में मैच से पहले पंजाब किंग्स के लिए अच्छी खबर आई है। यह अच्छी खबर यह है कि ऑलराउंडर लियाम लिविंगस्टोन टीम के साथ जुड़ गए हैं।
लिविंगस्टोन के जुड़ने से पंजाब की टीम को और मजबूती मिलेगी। क्योंकि 29 साल के लियाम लिविंगस्टोन (Liam Livingstone) लंबे-लंबे सिक्स लगाने के लिए जाने जाते हैं। पंजाब किंग्स ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें लिविंगस्टोन प्रैक्टिस के लिए जाते दिख रहे हैं। हालांकि उनका चेहरा नहीं दिख रहा है। लियाम लिविंगस्टोन को पंजाब की टीम ने 11.50 करोड़ में खरीदा है।
बता दें कि पंजाब किंग्स ने IPL-2023 में अब तक तीन मैच खेले हैं। इसमें दो जीते और एक हारा है। कल मोहाली में पंजाब की टीम चौथा मैच खेलेगी। मैच से पहले लिविंगस्टोन के टीम से जुड़ने से पंजाब किंग्स को बड़ी राहत मानी जा सकती है।
धर्मशाला। कांगड़ा जिले के सबसे बड़े सरकारी स्वास्थ्य संस्थान डॉ. राजेंद्र प्रसाद राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा का सराय भवन बन कर तैयार है। 2.50 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह भवन बहुत जल्द जनता के उपयोग के लिए सौंपा जाएगा।
इसके चालू होने पर टांडा अस्पताल आने वाले मरीजों और उनके साथ आए तीमारदारों को बड़ी सुविधा मिलेगी और उनके ठहरने के लिए बेहतर व्यवस्था उपलब्ध होगी।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा के प्रधानाचार्य डॉ. भानू अवस्थी ने बताया कि लोक निर्माण विभाग ने सराय भवन का काम पूरा कर लिया है।
सराय भवन के संचालन का जिम्मा जिला रेडक्रॉस सोसाइटी कांगड़ा को सौंपना प्रस्तावित है। इसे लेकर प्रदेश सरकार से अनुमति मांगी गई है। बहुत जल्द सराय का संचालन शुरू हो जाएगा। सराय में एक समय में 50 लोगों के रुकने की व्यवस्था है।
डॉ. अवस्थी ने कहा कि टांडा अस्पताल प्रबंधन सभी रोगियों की समुचित सेवा और स्वास्थ्य सुरक्षा तथा तीमारदारों की सुविधा के लिए प्रतिबद्ध है। यह अस्पताल प्रदेश के विभिन्न जिलों को सेवाओं प्रदान करता है। मरीजों के साथ आए तीमारदारों की अधिक संख्या के चलते सभी के लिए ठहरने की व्यवस्था करना एक चुनौती है। फिर भी इसे लेकर संस्थान द्वारा हर संभव प्रयास किए जाते हैं। सराय भवन के संचालन से इसमें और सहूलियत होगी।
रोगियों को दी जा रहीं बेहतर चिकित्सा सेवाएं
उन्होंने कहा कि अस्पताल ने लोगों को लगातार बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर उत्तर भारत के बड़े स्वास्थ्य संस्थानों में अपनी जगह बनाई है। यहां के अनुभवी डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ तथा अत्याधुनिक मशीनरी की उपलब्धता से रोगियों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं दी जा रही हैं। अस्पताल में मरीजों को सभी जरूरी दवाएं निशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
अस्पताल में आवश्यक सूची की 526 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं, जिन्हें रोगियों को मुफ्त दिया जाता है। उन्होंने कहा कि निशुल्क दवाईयों के साथ-साथ अनेक प्रकार के टेस्ट और जांच भी संस्थान में निशुल्क उपलब्ध है।उन्होंने बताया कि इसके अलावा अस्पताल में हिम केयर और आयुष्मान कार्ड धारकों के निशुल्क इलाज की सुविधा है।
वहीं, जिलाधीश कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि टांडा अस्पताल जिले का सबसे बड़ा अस्पताल है और कांगड़ा के अलावा साथ लगते जिलों को भी सेवाएं प्रदान करता है, लिहाजा यहां लोगों की आमद ज्यादा है। उनकी स्वास्थ्य सुरक्षा, सेवा और सुविधा का ख्याल रखना प्राथमिकता है। अस्पताल प्रबंधन इसे लेकर पूरे समर्पण से काम कर रहा है। संस्थान में व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने को कहा गया है।
शिमला। हिमाचल में सीमेंट फैक्ट्री बंद करने का मुद्दा भी गरमाया हुआ है। हजारों लोगों की रोजी रोटी पर तलवार लटक गई है। बिलासपुर और सोलन में सीमेंट फैक्ट्री बंद करने के विवाद को लेकर आज शिमला में कंपनी के प्रतिनिधियों और ट्रक ऑपरेटरों के बीच प्रधान सचिव ट्रांसपोर्ट की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया।
इसमें सैद्धांतिक तौर पर दोनों कंपनियां सीमेंट फैक्ट्री को खोलने को लेकर राजी हो गई हैं और अगले 10 दिन के भीतर फैक्ट्रीज खुलने की संभावना बताई जताई रही है।
प्रधान सचिव ट्रांसपोर्ट आरडी नजीम ने बताया कि माल भाड़े को लेकर कंपनी और ट्रक ऑपरेटरों के बीच विवाद चल रहा है। वर्तमान में हाईकोर्ट की गाइडलाइन के बाद जो माल भाड़ा तय किया गया है, उसमें कंपनियों का कहना है कि वह बहुत ज्यादा है, उसे फिर तय किया जाना चाहिए।
सरकार ने इसको लेकर फार्मूला निकालने को लेकर सहमति जताई है। सोलन की सीमेंट कंपनी ने फैक्ट्री खोलने को लेकर सहमति जताई है, जबकि बरमाणा सीमेंट फैक्ट्री ने 10 दिन के भीतर जवाब देने को कहा है।