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हिमाचल में बागवानों के लिए अच्छी नहीं खबर, क्या बोले विशेषज्ञ- पढ़ें खबर

ओलावृष्टि को लेकर अलर्ट किया है जारी

शिमला। हिमाचल में बागवानों के लिए कुछ अच्छी खबर नहीं है। आने वाले दिनों में मौसम चिंता बढ़ा सकता है। ओलावृष्टि से नुकसान उठाना पड़ सकता है। हिमाचल में 26 अप्रैल देर शाम एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने जा रहा है।

इसका असर 30 अप्रैल तक प्रदेश भर में देखने को मिलेगा। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार इस दौरान कई इलाकों में भारी बारिश, ओलावृष्टि के साथ-साथ कुछ ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होने की भी संभावना है।

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मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि प्रदेश के कई इलाकों में 27 और 28 अप्रैल को भारी बारिश दर्ज की जा सकती है। इस दौरान ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी भी देखने को मिल सकती है। खास तौर पर बागवानों के लिए यह मौसम चिंता का सबब बन सकता है। इस दौरान ओलावृष्टि को लेकर भी अलर्ट जारी किया गया है।

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा, जिससे आने वाले 4 दिन तक प्रदेश में बारिश बर्फबारी और ओलावृष्टि होने के आसार हैं।

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उन्होंने कहा इस दौरान जिला चंबा और मंडी जैसे जिलों में भारी बारिश दर्ज की जा सकती है। सुरेंद्र पॉल ने कहा कि यह पश्चिमी विक्षोभ 26 अप्रैल की देर शाम से सक्रिय होगा और 30 अप्रैल तक प्रदेश में इसका असर देखने को मिलेगा। सुरेंद्र पॉल ने बताया कि प्रदेश में 27 से 29 अप्रैल के दौरान बारिश की तीव्रता अधिक रहने के आसार हैं।

जिला चंबा,लाहौल-स्पीति, किन्नौर और कुल्लू की ऊंची पहाड़ियों पर हल्की से मध्यम बर्फबारी होने की संभावना है। वहीं, पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से प्रदेश के तापमान पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। आने वाले दो दिनों में प्रदेश के सेब बहुल इलाकों में ओलावृष्टि होने की भी संभावना जताई है।

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उन्होंने कहा कि शिमला, मंडी और कुल्लू जिला में मध्यम स्तर की ओलावृष्टि होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि तापमान बढ़ने की स्थिति में ओलावृष्टि अधिक होने की संभावना रहती है। ऐसे में इन इलाकों के लिए ओलावृष्टि को लेकर अलर्ट भी जारी किया गया है।

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शिमला : किसान-बागवान 26 को नारकंडा से सचिवालय तक निकालेंगे वाहन रैली

केंद्र सरकार के खिलाफ बोलेंगे हल्ला

शिमला। देश भर में किसान-बागवान मांगों को लेकर 26 जनवरी को सड़कों पर उतरेंगे।। शिमला में भी किसान-बागवान केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोलेंगे और नारकंडा से सचिवालय तक वाहन रैली निकाली जाएगी। इसमें प्रदेश भर के सैकड़ों किसान केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे।

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सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष सोहन ठाकुर ने शिमला में पत्रकार वार्ता कर कहा कि तीन वर्ष पहले संयुक्त किसान मोर्चा का आंदोलन हुआ था, लेकिन उस दौरान केंद्र सरकार से जो समझौता हुआ, उसकी एक भी मांग नहीं मानी गई है।

उन्होंने बताया कि पूरे देश में 26 जनवरी को वाहन और ट्रैक्टर रैली होगी। उसी कड़ी में हिमाचल में भी आंदोलन होगा। शिमला के नारकंडा से प्रदेश सचिवालय तक वाहन रैली निकाली जाएगी।

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उन्होंने कहा कि मौसम की बेरुखी के साथ बागवानों को सरकार की बेरुखी भी झेलनी पड़ रही है। सेब उत्पादन में बागवानों की लागत लगातार बढ़ रही है। दूसरी तरफ केंद्र ने एमआईएस का बजट घटा दिया है। सरकार उद्योगपतियों को अनुदान दे रही है, लेकिन बागवानों को सब्सिडी नहीं दी जा रही।

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उन्होंने कहा कि इस वर्ष भी बारिश नहीं हुई है, जिससे बागवानी पर संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि पीएम ने वॉशिंगटन एप्पल की इंपोर्ट ड्यूटी कम की है। बागवान सेब की इंपोर्ट ड्यूटी को 100 फीसदी करने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा कीटनाशकों और दूसरी सब्सिडी के लिए भी किसान संघर्ष कर रहे हैं।

 

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Good News: हिमाचल में आम की 6 नई किस्में तैयार, मालामाल होंगे बागवान

नूरपुर के जाच्छ में 605 पौधों का बगीचा तैयार किया

ऋषि महाजन/नूरपुर। हिमाचल बागवानी विभाग ने आम की 6 नई किस्में तैयार की हैं। इन किस्मों की खासियत है कि पौधे से पौधे की दूरी 3 मीटर के करीब रख कर एक कनाल में ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाए जा सकते हैं। तीन साल के बाद ये आम के पौधे पूरी तरह तैयार हो जाएंगे। आम के इन पौधों की लंबाई केवल सात से आठ फीट तक ही होगी, जिससे किसानों को फल तोड़ने में भी आसानी होगी।

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इसके साथ ही आम के शौकीनों को नया स्वाद मिलेगा। आम की इन हाइब्रिड किस्मों में फल ऑफ सीजन यानी सितंबर में तैयार होता है, जोकि सिंदूरी और लाल रंग का होगा। हिमाचल के किसान-बागवान बाजार की प्रतिस्पर्धा में बने रहने के साथ सामान्य बागवानी की तुलना में उतने ही क्षेत्र में तीन से चार गुणा ज्यादा उत्पादन कर ऊंचे दाम पा सकेंगे।

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हिमाचल के बागवानी विभाग ने 1,293 करोड़ रुपए से विश्व बैंक द्वारा प्रायोजित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना (एचपीएचडीपी) के अंतर्गत फल संतति एवं प्रदर्शन केंद्र जाच्छ (नूरपुर) में लगभग 13 कनाल क्षेत्र में आम की 6 नई किस्मों के साथ 605 पौधों का बगीचा तैयार किया है। इसमें पूसा अरुणिमा, पूसा लालिमा, पूसा सूर्या, पूसा श्रेष्ठा, मल्लिका तथा चौंसा किस्में तैयार की गई हैं। विभाग ने भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र नई दिल्ली से इन पौधों की कलमें लाकर पीसीडीओ केंद्र, जाच्छ में पौधों को तैयार किया गया है।

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इसमें रेज्ड बेड प्रणाली बनाई गई है, जिस पर इन पौधों को लगाया गया है। इनकी सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम भी लगाया गया है। इन पौधों पर दूसरे वर्ष से ही फल लगना शुरू हो गए हैं, लेकिन इनके बेहतर विकास के लिए फलों को तोड़ दिया गया है। परागन के लिए यहां मधुमक्खियों के लिए प्राकृतिक मड हाउस बनाए गए हैं।

विभाग ने इन किस्मों के अब तक 2,500 पौधे तैयार किए हैं। इन पौधों को विभाग क्लस्टर में बागवानी कर रहे किसानों को मुहैया करवाएगा। इसके अतिरिक्त विभाग ने इस वर्ष आम,लीची, किन्नू, गलगल, पपीता तथा कटहल सहित अन्य फलों के 30 हजार पौधे तैयार कर बागवानों को उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा है, जिससे बागवान आधुनिक व वैज्ञानिक तरीके से आम के साथ अन्य फलों की खेती कर सकेंगे।

 

रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए इस केंद्र में मनरेगा के तहत पंजीकृत लोगों को नर्सरी में काम के लिए लगाया जाता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को रोजगार के साथ बागवानी बारे तकनीकी ज्ञान भी प्राप्त हो रहा है।

नई किस्म की विशेषताएं

आम की पारंपरिक खेती (साधारण बागवानी) में पौधे से पौधे की दूरी 10 मीटर के करीब रखी जाती है, जहां एक कनाल भूमि पर मात्र 4 पौधे ही लगते थे। वहीं, नई किस्म के तैयार होने से हाई डेंसिटी बागवानी करते समय अब पौधे से पौधे की दूरी 3 मीटर के करीब रख कर भूमि पर 44 पौधे लगाए जा सकते हैं यानी अब किसान अपनी सीमित भूमि से भी अधिक उत्पादकता के साथ ज्यादा मुनाफा कमा सकेंगे।

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राज्य के बागवानों की दशहरी, लंगड़ा, चौसा तथा संदूरी आम की फसल अन्य आम उत्पादक राज्यों की फसल के साथ पीक सीजन में बाजार में आती है। यह आम अधिकतर हरे व पीले रंग के ही होते हैं, जिस कारण बागवानों को प्रतिस्पर्धा के कारण उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल पाता है, लेकिन आम की इन हाइब्रिड किस्मों में फल ऑफ सीजन यानी सितंबर में तैयार होता है, जोकि सिंदूरी और लाल रंग का होगा।

हिमाचल के किसान-बागवान बाजार की प्रतिस्पर्धा में बने रहने के साथ सामान्य बागवानी की तुलना में उतने ही क्षेत्र में तीन से चार गुणा ज्यादा उत्पादन कर ऊंचे दाम पा सकेंगे।

क्या कहते हैं बागवानी विभाग के अधिकारी

बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलशील नेगी ने बताया कि वर्ष 2021 में विभाग ने भारतीय कॄषि अनुसंधान संस्थान, पूसा (नई दिल्ली) से आम की इन किस्मों की कलमें लाकर पीसीडीओ केंद्र, जाच्छ में बगीचा लगाकर पौधों की नई किस्मे तैयार की हैं। इसके अतिरिक्त विभाग ने इस केंद्र में लीची, किन्नू, गलगल, पपीता तथा कटहल के पौधे तैयार किए हैं, जिनके पौधे भी सीजन पर किसानों को उपलब्ध करवाए जाएंगे।

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बागवानी विभाग किसानों को आधुनिक व वैज्ञानिक तरीके से बागवानी करने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण कोर्स भी आयोजित करवाता है। इसके अतिरिक्त उन्हें प्रशिक्षण टूअर पर भी भेजता है। उनका कहना है कि प्रदेश के बागवान इस प्रदर्शन केंद्र का जरूर भ्रमण करें, ताकि वे आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से बागवानी करने के गुर सीख सकें।

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बता दें कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू प्रदेश को फल राज्य के तौर पर नई पहचान दिलाने के साथ बागवानों को आर्थिंक रूप से समृद्ध बनाने के लिए बागवानी विकास को विशेष प्राथमिकता दे रहे हैं। राज्य में फलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए फल क्लस्टर/हब विकसित करने की दिशा में प्रदेश सरकार ने कार्य शुरू करने की पहल की है, जिसके तहत हाई डेंसिटी प्लांटेशन और माइक्रो इरीगेशन सिस्टम को विकसित किया जाएगा।

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शिमला : सेब के पौधों से झड़ गए फूल, ओलावृष्टि ने बढ़ाई बागवानों की मुसीबत

शिमला। हिमाचल प्रदेश में मौसम ने करवट बदली तो कुछ के लिए बादल गर्मी से राहत और सुहावने मौसम का पैगाम लेकर आए वहीं, कुछ क्षेत्रों में अंधड़ ओलावृष्टि ने किसानों-बागवानों की मुसीबतें बढ़ा दी। बीते दिनों प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में मेघ जमकर बरसे। अक तरफ गुजरते अप्रैल के साथ पहाड़ों पर बर्फबारी देखने को मिली, वहीं शिमला और ऊपरी क्षेत्रों में ओलावृष्टि ने बाग़वानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया।

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शिमला जिला के जुब्बल, कोटखाई, रोहड़ू, चौपाल और ठियोग के सेब बहुल इलाकों में ओलावृष्टि ने फसलों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। ओलावृष्टि से बागवानों को हुए नुकसान पर कम्युनिस्ट नेता और ठियोग से पूर्व विधायक राकेश सिंघा खुलकर सामने आए। राकेश सिंह सरकार से फसलों के नुकसान को लेकर बागवानों को मुआवजा देने की मांग की है।

सीपीआईएम नेता और पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने सरकार से किसान बाग़वानो को मुआवजा देने की मांग की है। राकेश सिंघा ने कहा कि सेब की फ़सल को करोड़ों का नुकसान हुआ है।

राकेश सिंघा ने कहा कि सेब सबसे नाजुक स्थिति में हैं, लेकिन ओलावृष्टि के कारण प्रदेश के बहुत से क्षेत्रों में सेब के पौधों में से फूल झड़ गए हैं जो फसल आने का पहला कदम है। उन्होंने कहा कि कोटखाई, रोहड़ू, चौपाल, ठियोग में फसलें पुरी तरह से खराब हो गई हैं। उन्होंने बताया कि बलसन, नारकंडा मे 3-4 घंटे तक लगातार ओलावृष्टि होती रही।

राकेश सिंघा ने सरकारों को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि बाग़वानों को आज तक मुआवजे के नाम पर अठन्नी भी नहीं मिली है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू मंच से ही व्यवस्था परिवर्तन की बात करते आए हैं।

ऐसे में राकेश सिंघा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि व्यवस्था बदलने वाली सरकार किसानों की मदद करे, अन्यथा इस सरकार और पूर्व की सरकार मे कोई अंतर नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि फसलों के नुकसान का आकलन करना कठिन है ऐसे में बागवानों को उनकी फसलों के लिए मुआवजा मिलना चाहिए।