बिजली बोर्ड की बदहाली के पीछे यह भी एक कारण
शिमला। जनवरी माह की 3 तारीख हो गई है और हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को सैलरी और पेंशनर को पेंशन नहीं मिल पाई है। बिजली बोर्ड कर्मचारियों का दावा है कि बिजली बोर्ड के इतिहास में 52 साल में पहली बार सैलरी में देरी हुई है। बिजली बोर्ड कर्मचारियों के लिए ओपीएस भी बहाल नहीं हो सकी है। मार्च के बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों को लीव इनकैशमेंट और ग्रेज्युटी नहीं मिली है।
52 साल में पहली बार सैलरी में देरी, शिमला में बिजली बोर्ड कर्मचारियों का हल्ला
नई परियोजनाओं का निर्माण नहीं हो सका और बिजली बोर्ड के पास बिजली मीटर तक नहीं हैं। अगर बिजली बोर्ड कर्मचारियों की मानें तो इसके पीछे कारण मुफ्त बिजली और बोर्ड में स्थाई एमडी की नियुक्ति नहीं होना है। शिमला बिजली बोर्ड मुख्यालय कुमार हाउस के बाहर कर्मचारियों के प्रदर्शन के बाद हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड कर्मचारी व इंजीनियर ज्वाइंट फ्रंट के सह संयोजक हीरा लाल ने कहा कि बिजली बोर्ड की वित्तीय स्थिति कैसे बिगड़ी है, यह सबसे बड़ा सवाल है।
कांगड़ा में 0 से 5 वर्ष के 38 हजार बच्चों के नहीं बने आधार कार्ड, चलेगा विशेष अभियान
बिजली बोर्ड से करीब 50 हजार परिवार जुड़े हैं। इसमें करीब 29 हजार पेंशनर और 15 से 16 हजार कर्मचारी हैं। बोर्ड करीब 26 लाख उपभोक्ताओं को बिजली देता है। बदहाली का कारण वर्तमान और पूर्व राज्य सरकारें हैं। 125 यूनिट बिजली फ्री के चक्कर में ऐसा वक्त आया है। अक्टूबर से दिसंबर तक सरकार से मिलने वाली करीब 1200 करोड़ रुपए की सबसिडी बिजली बोर्ड को नहीं मिल सकी है। इसके चलते 52 साल में पहली बार पहली तारीख को पेंशनर को पेंशन और कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिल सकी है।
हिमाचल के डीजीपी संजय कुंडू को हटाने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
वहीं, इन हालातों के लिए बिजली बोर्ड प्रबंधन भी दोषी है। बिजली बोर्ड एमडी के पद पर 9 माह से अतिरिक्त चार्ज है। एमडी हरिकेश मीणा बिजली बोर्ड को समय नहीं दे पा रहे हैं। परियोजनाओं का निर्माण नहीं हो सका है। बोर्ड के बिजली मीटर तक नहीं हैं। ओपीएस की बहाली नहीं हो सकी है। अब तक कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिली है। यहां तक की मार्च के बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों को लीव इनकैशमेंट और ग्रेज्युटी भी नहीं मिल सकी है।
IPS सतवंत अटवाल को सौंपा हिमाचल पुलिस महानिदेशक का अतिरिक्त कार्यभार
अगर बिजली बोर्ड कर्मचारियों की बात मानें तो फ्री बिजली भी बदहाली का कारण है। अभी हिमाचल में 125 यूनिट बिजली फ्री दी जा रही है, तभी ऐसे हालात हैं तो अगर कांग्रेस के वादे के अनुसार 300 यूनिट बिजली फ्री दे दी गई तो क्या होगा, यह सबसे बड़ा सवाल है।