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लोकतंत्र के पर्दे के पीछे अलोकतांत्रिक मानसिकता

विदेशी प्रभुत्व के शासन से मुक्ति पाने की एक लंबी यात्रा संसदीय सरकार में अपने भाइयों के लोकतांत्रिक शासन की स्थापना के साथ समाप्त हो गई है। प्रभुत्व महसूस करने की मानसिकता समाप्त हो गई होगी लेकिन ऐसा नहीं लगता है… ।

स्वतंत्रता सेनानियों को आशा रही होगी कि संसदीय सरकार में अपने भाइयों की संगति में हृदय और आत्मा में परिवर्तन होगा, जो हृदय और आत्मा ब्रिटिश प्रभुत्व के दौरान अवरुद्ध थी। हमने राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का जो दृश्य देखा है, उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि लोकतंत्र का अर्थ समझ में नहीं आ रहा है या कहें कि गलत समझा जा रहा है।

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लोकतंत्र जनता की स्वतंत्र राय के साथ बहुमत की राय पर आधारित है और इस प्रकार नागरिकों का दिल जीतने वालों को कर्तव्य सौंपा जाता है। प्रतिनिधियों से अपेक्षा की जाती है कि वे शासन को अच्छे से संभालेंगे। इसी कारण वे संविधान के प्रति निष्ठावान रहने की शपथ लेते हैं। यह प्रक्रिया स्वतंत्रता की घोषणा के बाद से पांच वर्षों के अंतराल पर चल रही है।

हमारे पसंदीदा नेताओं का शासनकाल मील का पत्थर साबित हुआ है लेकिन विपक्षी दलों द्वारा अविश्वास का संकेत भी बढ़ते पैमाने पर देखा गया है। अविश्वास की यह प्रक्रिया छोटी-छोटी बातों पर हावी होने लगी है। यह अविश्वास ही है जो दर्शाता है मानो हम किसी विदेशी देश द्वारा शासित हो रहे हैं। इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि पांच साल के कार्यकाल के बाद गवर्निंग बॉडी में बदलाव स्वागतयोग्य है. लेकिन कमान सौंपना जनता की स्वतंत्र इच्छा से ही स्वीकार्य होगा।

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राजनीतिक क्षेत्र में दिन-ब-दिन जो हो रहा है, वह सरकार में बैठे लोगों का अनादर करना है, जैसे कि सरकार चलाना उनका अधिकार नहीं है। किसी भी राजनीतिक दल द्वारा इस प्रकार की मानसिकता कभी न कभी अपमान और अविश्वास का बीज बोती है जो लोकतंत्र के आवरण के नीचे एक अलोकतांत्रिक मानसिकता को दर्शाती है। माना जाता है कि यह अविश्वास की छवि है जो बढ़ती जा रही है और जनता के साथ कई समस्याएं पैदा कर रही है।

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लोकतांत्रिक शासन कोई छीनी जाने वाली चीज़ नहीं है जिसे किसी भी तरह से हड़प लिया जाए। यदि भारत के किसी भी क्षेत्र में किसी भी राजनीतिक दल के लिए इस सत्य को समझना कठिन है, तो इसका मतलब है कि ऐसा दल या गठबंधन अलोकतांत्रिक मानसिकता वाला है। हमें इस तथ्य के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है कि हमारी चिंता वैश्विक है जैसा कि हम इन दिनों जी20 शिखर सम्मेलन में देख रहे हैं।

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चूंकि मानवता के कल्याण के लिए हमारी चिंता वैश्विक है, इसलिए, राजनीति के अपने परिवार के भीतर भी हमारा दृष्टिकोण सामंजस्यपूर्ण होना चाहिए। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, विरोध के लिए विरोध को मन और आत्मा से दूर रखना होगा। हमें याद रखना होगा कि भाइयों के प्रति दान, दया और सहानुभूति की शुरुआत घर से होती है और यह आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।

जय भारत

-डॉ (प्रो.) आरएल शर्मा, बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश

 

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हिमाचल : राशन कार्ड धारकों को राहत, E-KYC सत्यापन की लास्ट डेट बढ़ाई

शिमला। हिमाचल के उन राशन कार्ड धारकों के लिए राहत भरी खबर है जिन्होंने अभी तक ई-केवाईसी सत्यापन (E-KYC Verification) नहीं करवाया है।

हिमाचल प्रदेश खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग ने राशन कार्ड धारकों के लिए ई-केवाईसी सत्यापन की अंतिम तिथि यानी लास्ट डेट बढ़ा दी है। किसी कारण केवाईसी नहीं करवा पाने वाले राशन कार्ड धारक अब 30 सितंबर तक इसे पूरा करवा सकते हैं।

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इससे पहले विभाग ने ई-केवाईसी सत्यापन (E-KYC Verification) के लिए 31 अगस्त अंतिम तिथि तय की थी। विभाग ने स्पष्ट किया था कि निर्धारित अवधि के भीतर केवाईसी सत्यापन नहीं करवाने वाले उपभोक्ताओं के राशन कार्ड बंद कर दिए जाएंगे और उन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सस्ते राशन का लाभ भी नहीं मिलेगा।

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पूरे प्रदेश में भारी बारिश के कारण 10 जुलाई से कई जगह सड़कें, पानी, बिजली और इंटरनेट की सुविधा बाधित रही। इस कारण कई उपभोक्ता ई-केवाईसी सत्यापन (E-KYC Verification) नहीं करवा पाए हैं। कोई भी उपभोक्ता राशन लेने से वंचित न रहे इसके लिए विभाग ने केवाईसी सत्यापन की अंतिम तिथि को 30 सितंबर तक बढ़ा दिया है।

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विभाग ने यह भी कहा कि है कि 30 सितंबर तक केवाईसी सत्यापन नहीं होने पर संबंधित उपभोक्ता का राशन कार्ड बंद कर दिया जाएगा। बता दें कि हिमाचल में 19 लाख से अधिक राशन कार्ड धारक हैं। आधार कार्ड और राशन कार्ड में दर्शाई उपभोक्ता की सूचना का आपस में मिलान करने के लिए ई-केवाईसी सत्यापन करवाया जा रहा है।

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इससे पहले प्रदेश में कई जगह जाली राशन कार्ड भी सामने आए थे इसलिए भी केवाईसी सत्यापन आवश्यक किया गया है। खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के जिला नियंत्रक अरविंद शर्मा ने कहा कि ई-केवाईसी करवाने से वंचित रहे राशनकार्ड धारक अब 30 सितंबर तक इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।

 

 

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भारत , हिंदुस्तान, इंडिया “त्रिमूर्ति” को सलाम

इसमें कोई शक नहीं कि नामकरण के अनुसरण का किसी व्यक्ति /स्थान के गुणों व विशेषताओं से गहरा संबंध होता है। यही कारण है कि परंपरागत रूप से हम नामकरण निर्धारित करते समय किसी के गुणों के साथ संबंध स्थापित करने के लिए ज्योतिषियों की मदद लेते हैं।

यह ज्योतिषीय विश्लेषण और उन ग्रहों की समझ में हमारा विश्वास है जो किसी व्यक्ति को उसके जन्म के समय प्रभावित करते हैं। इस संदर्भ में हमारी सांस्कृतिक विरासत और मान्यताएँ वैज्ञानिक पद्धतियाँ हैं। आप इस तथ्य के गवाह होंगे कि हमारे पंडितों का समुदाय जो ज्योतिष में अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं, उनसे नामकरण संस्कार करने के लिए सलाह ली जाती है।

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आपको पता होना चाहिए कि यह पवित्र और वैज्ञानिक प्रथा व्यक्ति, संबंधित परिवार और इस प्रकार पूरे समाज के लिए अच्छा काम करती है। जैसा कि आप भारत को जानते हैं, हमारी प्राचीन भूमि/देश का नामकरण दुष्यन्त और शकुन्तला के पुत्र राजा भरत से हुआ है।

बाद में, व्यापारी या आक्रमणकारी इस भूमि के निवासियों के साथ व्यापार करने के लिए यहां आए और इस संदर्भ में उन्हें एहसास हुआ कि इंडिया/इंडियन नामकरण सिंधु घाटी की भूमि/सभ्यता के लिए बेहतर होगा। और इसे स्वीकार कर लिया है गया और मान्यता दी गई और धीरे धीरे यह अन्य लोगों और देशों के साथ पत्राचार में लोकप्रिय हो गया।

इस प्रकार भारत को हिंद के साथ-साथ इंडिया का भी अर्थ मिल गया। वैसे तो एक से अधिक नाम रखना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन अगर हममें अपने पैतृक वंश का सम्मान करने की भावना है तो यह भी बुरी नहीं बल्कि अच्छी बात है। चूँकि, हम इसे परस्पर उपयोग करते हैं, इसलिए कोई नुकसान नहीं है।

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यह उन लोगों के लिए हानिकारक हो जाता है जो इसे अनावश्यक रस्साकशी बनाते हैं। राजा भरत के नाम पर हमारी प्राचीन भूमि का पुनरुद्धार स्वागत योग्य है, लेकिन अन्य नामकरण के लिए सम्मान जो दूसरों के साथ पत्राचार में लोकप्रिय है, वैश्विक परिवार के संदर्भ में ऐतिहासिक रूप से भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

जिस तरह हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है, उसी तरह हमारी मातृभूमि को तीन नामों से जाना जाता है, यानी भारत, हिंदुस्तान और इंडिया। तीनों नामों की उत्पत्ति हमारी पृष्ठभूमि के साथ हमारे अपने भारतीय उपमहाद्वीप में हुई है। सुविधा के लिए, सिंधु घाटी ने हिंद, हिंदू और हिंदुस्तान को इनपुट दिया।

भारत चंद्र वंश से आया था और इंडिया सिंधु घाटी के आसपास की भूमि को दर्शाता है। बिना किसी पूर्वाग्रह के अपनी मातृभूमि के तीनों नामों का सम्मान करें।

यदि अधिकांश लोग हमारे माननीय प्रधान मंत्री जी की पहल के तहत इंडिया को भारत कहने या संप्रेषित करने के इच्छुक हैं, तो उस मामले में कोई नुकसान नहीं है, लेकिन इसे औपनिवेशिक विरासत से जोड़ना, मेरा मानना ​​है, प्रचार के लिए प्रासंगिक नहीं है। खैर, समरथ को नहीं दोष गुसाईं।

जय भारत जय हिंद जय इंडिया

डॉ. रोशन लाल शर्मा
बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश

 

 

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डॉक्टर एस राधाकृष्णन की मधुर स्मृति में शिक्षकों को बधाई

हमारे शिक्षण समुदाय की सेवा और हमारे देश और हमारे बच्चों के लिए बलिदान का सम्मान करने के लिए कुछ कहने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शिक्षक, संस्थापक थे, संस्थापक हैं और भविष्य में भी रहेंगे। प्रौद्योगिकी में चाहे कितनी भी प्रगति क्यों न हो जाए, शिक्षक की भूमिका को कम नहीं आंका जा सकता।

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कक्षा में शिक्षकों द्वारा संदेश का सीधा प्रसारण जब छात्रों को प्राप्त होता है तो वह उन पर इतना गहरा प्रभाव डालता है कि किसी भी समाज में कोई अन्य उपकरण उसका स्थान नहीं ले सकता। इसलिए, यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है जब हम सुनते या कहते हैं कि किताबें और शिक्षक हमारे सबसे अच्छे साथी हैं। शिक्षक दिवस हमें यह याद दिलाता है।

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हमारे राष्ट्रपति डॉक्टर एस राधाकृष्णन जी को नमन, जिन्होंने शिक्षकों के महत्व को समझा और यह उनकी इच्छा थी कि उनका जन्मदिन, 5 सितंबर, शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए। मुझे हर दिन यह याद रखना अच्छा लगता है कि उनकी महिमा ने हमें एक शिक्षक के मूल्य को समझने का एक शानदार मौका दिया।

मैं महसूस करता हूं और आशा करता हूं कि छात्रों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षकों से ईमानदारी से काम करने की उनकी हार्दिक इच्छा पूरी की जाएगी, ताकि उन सभी छात्रों की मदद की जा सके जो कल के नागरिक हैं, हमारे गौरव भारत का भविष्य हैं।

*महान शिक्षाविद्, हमारे महान भारत के दूसरे महान राष्ट्रपति पर गर्व करते हुए नमन *

*डॉ रोशन लाल शर्मा
कियारा चांदपुर बिलासपुर हिमाचल प्रदेश*

 

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शिक्षक खुश तो देश खुश . . .

स्कूल-कॉलेज या किसी अन्य संस्थान में किसी भी तरह के अच्छे दिन का जश्न गर्व के दिन के साथ देखा जाता है और खूब मनाया जाता है। उन दिनों में शिक्षकों के सम्मान में मनाया जाने वाला दिन भी शामिल है, क्योंकि वे किसी भी समाज के पहले और सबसे अच्छे औपचारिक संरक्षक होते हैं, हालांकि माता-पिता के बाद।

दरअसल, सीखने की औपचारिक यात्रा उन्हीं से शुरू होती है, इसलिए छात्र जीवन भर उनके ऋणी रहते हैं। चूँकि वे उनके ऋणी हैं, इसलिए, आज के छात्रों और कल के वयस्कों को उस क्षेत्र में अपने प्रदर्शन के आधार पर इस ऋण से मुक्त होने की आवश्यकता है, जिस क्षेत्र में उन्हें पढ़ाया, प्रशिक्षित और सुसंस्कृत किया जाता है।

शिक्षक दिवस जो 5 सितंबर को डॉ. राधाकृष्णन की याद में मनाया जाता है जो तारीख परसों आ रही हैं और मुझे लगता है कि सभी शैक्षणिक संस्थान अतीत और वर्तमान के शिक्षकों को सम्मान देने के उद्देश्य से इसे मनाने के लिए तैयार हैं। क्या आप भी तैयार हैं? चूंकि डॉ. राधाकृष्णन एक दार्शनिक थे इसलिए उनके उद्धरण भी ऐसे ही रहे हैं। वह कहते थे कि किताबें वह साधन हैं जिसके द्वारा हम संस्कृतियों के बीच पुल बनाते हैं।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “जब हम सोचते हैं कि हम जानते हैं, तो हम सीखना बंद कर देते हैं।” इसके अलावा, उनकी अपेक्षा थी कि “शिक्षकों को देश में सबसे अच्छा दिमाग होना चाहिए।” उनकी इच्छा थी कि “मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय, यदि 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो यह मेरा गौरवपूर्ण विशेषाधिकार होगा।” अब, उन्होंने जो कहा उसका पालन करना आप पर निर्भर है।

आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। शिक्षक दिवस के रूप में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन मुझे इस दिन प्राथमिक विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय शिक्षा तक अपने शिक्षकों को याद करने की याद दिलाता है और मैं यह कहने के लिए बाध्य हूं कि उन्होंने मेरे भाग्य को आकार दिया। मैं आशा करता हूं कि आप सभी भी अपने शिक्षकों को याद करेंगे और उनकी सेवा के लिए उनका सम्मान करेंगे।

डॉ. रोशन लाल शर्मा, कियारा, चांदपुर, बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश

 

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उपलब्धि : दक्षिण अफ्रीका में कीनोट एड्रेस देंगे हिमाचल CU के प्रोफेसर मनोज सक्सेना

16 से 18 अगस्त तक होगी अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस

धर्मशाला। हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय के शिक्षा स्कूल के अधिष्ठाता और धौलाधार परिसर 1 के निदेशक प्रो मनोज कुमार सक्सेना दक्षिण अफ्रीका में कीनोट एड्रेस देंगे। दक्षिण अफ्रीका के एक सरकारी विश्वविद्यालय यूनिवर्सिटी ऑफ जूलूलैंड ने उनके द्वारा आयोजित की जाने वाली अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में प्रो मनोज कुमार सक्सेना को कीनोट एड्रेस देने के लिए आमंत्रित किया गया है।

हिमाचल पुलिस कांस्टेबल बिंदू ने फतह की लाहौल की युनम पीक

अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस “अफ्रीका रायसिंग: पोसिबिलिटीस, प्रायोरिटीस, पार्टनरशिप्सन” विषय पर यूनिवर्सिटी ऑफ जूलूलैंड के फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, एडमिनिस्ट्रेशन एंड लॉ के द्वारा 16 से 18 अगस्त 2023 के मध्य दक्षिण अफ्रीकी शहर रिचार्द्व बे में आयोजित की जा रही है।

श्रावण अष्टमी मेले : हिमाचल के शक्तिपीठों में ये रहेगा आरती का समय

 

प्रो. सक्सेना कीनोट एड्रेस के साथ-साथ कांफ्रेंस के एक तकनीकी सत्र की अध्यक्षता भी करेंगे और एक सत्र में अपना शोध पत्र भी प्रस्तुत करेंगे। प्रो सक्सेना इस संगोष्ठी में “एजुकेशन इन अफ्रीका एंड एशिया : इवालविंग ह्यूमन रिसोर्सेज फॉर पोटेंशियल इकोनॉमिक ग्रोथ” विषय पर बीज वक्तव्य देंगे तथा “रायसिंग एशिया एंड अफ्रीका: द पोलिटिकल इकॉनमी ऑफ़ एजुकेशन एंड रीसर्जेंस” विषय पर अपना शोध पत्र भी प्रस्तुत करेंगे। उनकी इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सत प्रकाश बंसल ने उनको बधाई दी है।

कांगड़ा : 24 घंटे से अधिक चला रेस्क्यू ऑपरेशन, 1731 लोगों की बचाई जान

 

शिमला समरहिल लैंडस्लाइड : 21 लापता लोगों की है लिस्ट, 14 शव बरामद

 

हिमाचल कैबिनेट की बैठक की आगामी तिथि तय, इस दिन होगी

 

 

शिमला-मटौर नेशनल हाईवे नम्होल के पास हल्के वाहनों के लिए बहाल

 

 

शिमला : होटल हिमलैंड के पास लैंडस्लाइड, खलीनी चौक से लिफ्ट के बीच यातायात बंद

 

सिक्योरिटी कंपनी 93 पदों पर करेगी भर्ती, डिटेल जानने के लिए पढ़ें खबर

 

हिमाचल में यहां रोजगार का बड़ा मौका, 230 पदों के लिए होंगे साक्षात्कार

 

हिमाचल लोक सेवा आयोग का बड़ा फैसला, स्क्रीनिंग और पर्सनालिटी टेस्ट स्थगित

 

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने 20 अगस्त तक शैक्षणिक गतिविधियों पर रोक

 

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हिमाचल : उचित मूल्य की दुकानों पर अगस्त में नहीं मिलेगा चीनी का कोटा

उपभोक्ताओं को अगले माह तक करना होगा इंतजार

शिमला। हिमाचल प्रदेश के राशन डिपुओं में उपभोक्ताओं को इस महीने चीनी का कोटा को नहीं मिल पाएगा। अगस्त माह में उपभोक्ताओं को बाजार से महंगे दामों पर ही चीनी खरीदनी पड़ेगी। दरअसल इसकी वजह भी बरसात ही है।

खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक नरेंद्र धीमान ने बताया कि प्रदेश के उचित मूल्य की दुकानों यानी राशन डिपुओं में चीनी उपलब्ध करवाने वाली कंपनी के गोदाम में बरसात का पानी चला गया है। इस कारण अगस्त माह में राशन डिपुओं में चीनी का कोटा लोगों को नहीं मिल सकेगा।

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बरसात का पानी घुसने के चलते गोदामों से चीनी उठाना मुश्किल हो गया है, वहीं कुछ चीनी खराब भी हो गई है। ऐसे में सरकार ने फिलहाल चीनी की सप्लाई पर रोक लगा दी है। इसके कारण ही प्रदेश के करीब 19 लाख उपभोक्ताओं को राशन के साथ चीनी नहीं मिलेगी।

जयराम बोले – बंद सड़कें खोले सरकार, किसानों-बागवानों की फसलें हो रही बर्बाद

बता दें कि प्रदेशभर में करीब 5,000 राशन डिपो हैं। करीब 19 लाख उपभोक्ताओं को राशन सस्ते दामों में उपलब्ध करवाया जा रहा है। राशन डिपुओं में चीनी प्रति व्यक्ति 500 ग्राम दी जाती है। इसमें एपीएल परिवारों को 30 रुपये प्रति किलो और अन्य राशन कार्ड धारकों को 13 रुपए प्रति किलो चीनी उपलब्ध होती है। जबकि बाजार में चीनी 45 से 50 रुपए प्रति किलो मिलती है।

जयराम बोले – बंद सड़कें खोले सरकार, किसानों-बागवानों की फसलें हो रही बर्बाद

हर घर में चीनी की खपत काफी होती है। ऐसे में चीनी न मिलने से इस महीने लोगों को परेशानी होगी। खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक नरेंद्र धीमान ने बताया कि अगले माह चीनी का कोटा उपलब्ध होने की उम्मीद है।

कांगड़ा : रात को खिचड़ी खाकर पूरे परिवार की बिगड़ी तबीयत, एक की गई जान, तीन गंभीर

 

 

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केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सहायक कमांडेंट) परीक्षा 6 को मंडी में, ये रहेंगे प्रतिबंध

 

 

परवाणू अग्निकांड : बिल्डिंग से कूदी मां-बेटी ने तोड़ा दम, बाप-बेटा लड़ रहे जिंदगी की जंग
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हिमाचल : डिपुओं में 37 रुपए सस्ता मिलेगा सरसों का तेल

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दी जानकारी

शिमला। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों को उपदान दरों पर गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करते हुए उचित मूल्य की दुकानों (डिपुओं) के माध्यम से दिए जाने वाला सरसों का तेल 110 रुपये प्रति लीटर उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है।

ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों को सरसों का तेल अब पहले की तुलना में लगभग 37 रुपये प्रति लीटर सस्ता उपलब्ध होगा। जून, 2023 से पहले गरीबी रेखा से नीचे लाभार्थियों को सरसों का तेल 142 रुपये प्रति लीटर तथा गरीबी रेखा से ऊपर के लाभार्थियों को 147 रुपये प्रति लीटर की दर से प्राप्त हो रहा था।

मुख्यमंत्री कहा कि प्रदेश सरकार समाज के सभी वर्गों को राहत प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है। इस दिशा में निरंतर सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जन हितैषी निर्णय लिये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि उपभोक्ताओं को किफायती दरों पर गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न प्रदान किए जाएं। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 19 लाख 74 हजार 790 राशन कार्ड धारक हैं, जिन्हें 5197 उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से उपदान दरों पर विभिन्न खाद्यान्न प्रदान किए जा रहे हैं।

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नींबू ही नहीं इसका छिलका भी है बड़े काम का, जानिए कैसे करें इस्तेमाल

नींबू का इस्तेमाल यूं तो हर मौसम में किया जाता है लेकिन गर्मियों में तो इसकी जरूरत और भी ज्यादा हो जाती है। नींबू का रस जितना फायदेमंद होता है उतना ही लाभकारी होता है इसका छिलका। जी हां वहीं छिलका जिसको आप निचोड़ कर फेंक देते हैं।

नींबू के छिलके में पोटैशियम, कैल्शियम, विटामिन सी पाया जाता है जो बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। नींबू के छिलके से आप स्क्रब बना सकते हैं। निचोड़े हुए नींबू के छिलकों को फेंकें नहीं, इन्हें ऐसे इस्तेमाल करें। हम आपको बताते हैं कि आप किस तरह नींबू और इसके छिलके का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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इससे पहले एक जरूरी बात जान लें। नींबू के रस से विटामिन सी का लाभ लेने के लिए आपको एक बात का खास ध्यान रखना होगा। अगर आपने स्टोर करके फ्रिज में रखा है आपको उसके अन्य गुण मिलेंगे, जैसे हाजमा अच्छा रहेगा, शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन होगा, लेकिन आपको उसमें विटामिन सी नहीं मिलेगा। नींबू के रस का पूरा लाभ पाने के लिए उसे निकालकर तुरंत पी जाएं तभी आपको उसमें मौजूद विटामिन सी का पूरा फायदा मिलेगा।

स्क्रब की तरह करें इस्तेमाल : नींबू के छिलके के अंदर शक्कर और कॉफी डालें। इसे चेहरे पर हल्के हाथों से स्क्रब की तरह लगाएं। 10 मिनट बाद धो लें। इस स्क्रब का इस्तेमाल चेहरे के अलावा हाथ-पैर के लिए भी कर सकती हैं। स्किन टैनिंग की समस्या का ये आसान उपाय है।

हैंड लोशन बनाएं : नींबू को हैंड लोशन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। नींबू को गुलाब जल में मिलाकर हाथों की स्किन पर मलें। खुरदरे हाथों के लिए दानेदार चीनी और एक नींबू का रस मिलाकर हाथों से तब तक रगड़ें जब तक कि चीनी घुल न जाए। फिर पानी से धो लें। नियमित रूप से करेंगे तो यह त्वचा की बनावट में सुधार करने में मदद करेगा।

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ड्राई स्किन के लिए बनाएं उबटन : कई लोगों की स्किन इतनी ड्राई होती है कि गर्मियों में भी उन्हें स्किन की नमी बनाए रखने के लिए अलग से ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदने पड़ते हैं। यदि आपकी स्किन भी बहुत ड्राई है तो आप त्वचा पर घर पर बना उबटन लगाएं। इसके लिए एक अंडा, एक बड़ा चम्मच नारियल का तेल, एक नींबू का रस और दो बड़े चम्मच एलोवेरा जेल को अच्छी तरह मिलाएं। चेहरे और बाहों पर लगाएं। 15 मिनट बाद धो लें।

ऑयली स्किन वाले करें ये उपाय : ऑयली स्किन के लिए भी नींबू का रस फायेदेमंद है। एक टेबल स्पून गुलाब जल में 2-3 बूंद नींबू का रस मिलाकर रूई से चेहरे पर लगाएं। ऐसा करने से स्किन का एक्स्ट्रा ऑयल निकल जाता है और स्किन चिपचिपी नहीं दिखती। इससे स्किन की चमक भी बढ़ती है।

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मॉइस्चराइज की तरह करें इस्तेमाल : नींबू के रस में शहद मिलाकर रोजाना चेहरे पर लगा सकते हैं। शहद त्वचा को मॉइस्चराइज करता है, इसके नियमित उपयोग से स्किन का रंग हल्का हो जाता है।

बालों के लिए भी फायदेमंद : नींबू का इस्तेमाल बालों को धोने के लिए भी किया जा सकता है। आप एक मग पानी में नींबू का रस मिलाएं, बालों में शैम्पू के बाद आखिर में इस पानी से बालों को धो लें। इसके अलावा आप इसे ‘चाय के पानी’ में भी मिला सकते हैं। उपयोग की गई चाय की पत्तियों को पानी में उबालें और ठंडा कर लें। इसमें एक नींबू का रस मिलाएं। शैम्पू के बाद आखिर में इस पानी से बाल धोएं। इससे बालों की चमक बढ़ती है।

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गर्मियों में गाड़ी में भूलकर भी न रखें ये चीजें, वरना पड़ सकता है पछताना

गर्मी के मौसम में कारों में आग लगने की घटनाएं बहुत होती हैं। इसके पीछे बड़ी वजह गलत वायरिंग को माना जाता है। इसके अलावा भी कई ऐसी लापरवाही होती हैं, जिससे बड़ी दुर्घटना होते देर नहीं लगती। आज हम आपको बताते हैं कि धूप में कार खड़ी करते वक्त किन चीजों को उनमें भूलकर भी न रखें।

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दरअसल हम जब भी कहीं जाते हैं तो अक्सर खुली धूप में शीशे बंद करके गाड़ी को खड़ी रखना पड़ता है। इसके चलते कार के अंदर गैस बन जाती है, जिससे उसमें आग लगने की आशंका काफी बढ़ जाती है।

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इससे बचने के लिए आपको कार के शीशे एक इंच तक खुले रखने चाहिए। ऐसा करने से कार के अंदर बनने वाली गैस ऊपर उठकर खिड़की के जरिए बाहर निकल सकती है।

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बंद गाड़ी में भूलकर भी लाइटर न रखें

अगर आप धूप में गाड़ी खड़ी करके कहीं जा रहे हैं तो भूलकर भी उसमें लाइटर, डिओड्रेंट स्प्रे या उसके जैसी कोई ज्वलनशील चीज न रखें। कार के गर्म होने के बाद उसमें लाइटर से आग लगने का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसके बजाय आप लाइटर या डिओ को अपने साथ ही लेकर जाएं तो ठीक रहेगा।

इलेक्ट्रॉनिक आइटम को रखने से बचें

कई लोग मोबाइल, लैपटॉप या दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट को कार में छोड़कर जाना पसंद करते हैं। गाड़ी गर्म होने के साथ ही ये गैजेट भी गर्म होते जाते हैं और फिर कभी भी विस्फोट के साथ फट सकते हैं। इसलिए संभव हो तो इन्हें अपने साथ लेकर जाएं या किसी व्यक्ति को इनकी रखवाली के लिए बिठाकर जाएं, जो थोड़ी खिड़की खोलकर कार के अंदर बैठा रहे।

बच्चों को गाड़ी में कभी न छोड़ें

धूप में कार खड़ी करते वक्त इस बात का खास ध्यान रखें कि उसमें कभी भी बच्चों को लॉक करके न जाएं। ऐसा करने से गाड़ी में गैस बन सकती है, जिसकी चपेट में आकर बच्चा बेहोश हो सकता है या उसकी जान जा सकती है। हो सके तो बच्चों को अपने साथ लेकर जाएं या फिर किसी बड़े व्यक्ति को उनकी देखभाल के लिए साथ में बिठाकर चले जाएं।

प्लास्टिक वाली पानी की बोतलें

गर्मी के मौसम में प्यास लगाना एक स्वाभाविक सी बात है, इसके कारण लोग बाहर से प्लास्टिक की बोतल वाला पानी खरीद लेते हैं और कार में रख देते हैं , लेकिन ये काफी घातक होता है।

जाहिर सी बात है गर्मी के मौसम में प्लास्टिक काफी नुकसानदायक होता है, गर्मी ही नहीं हर मौसम में के लिए खतरनाक होता है। अगर आप कार पार्क करके और गाड़ी में पानी भूल गए तो आने के बाद उस पानी को न पियें।

 

पैसे और महत्वपूर्ण दस्तावेज

आप कभी भी अपने कार के अंदर नकद पैसे और महत्वपूर्ण कागज को न छोडें। क्योंकि अगर आपकी कार चोरी हुई तो इसके साथ -साथ आपकी ये चीजें भी चली जाएगी।

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