धर्मशाला। हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय शाहपुर परिसर में शोधार्थी छात्रा दुष्कर्म मामले के आरोपी प्रोफेसर को चार दिन का पुलिस रिमांड मिला है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में पेश किया। जहां से उसे चार दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया।
बता दें कि हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पर शोधार्थी छात्रा ने दुष्कर्म का आरोप लगाया है। पुलिस स्टेशन शाहपुर में दी शिकायत में छात्रा ने बताया कि आरोपी ने शाहपुर के निजी होटल में उसके साथ गंदा काम किया।
छात्रा की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। पुलिस ने बुधवार को आरोपी प्रोफेसर को गिरफ्तार भी कर लिया।
हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय ने आरोपी प्रोफेसर को निलंबित कर दिया है।
धर्मशाला। हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय शाहपुर परिसर की एक शोधार्थी छात्रा से दुष्कर्म का मामला सामने आया है। आरोप संस्थान के प्रोफेसर पर लगे हैं। पुलिस ने आरोपी शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है। हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय ने आरोपी प्रोफेसर को निलंबित कर दिया है।
छात्रा ने पुलिस स्टेशन शाहपुर में दी शिकायत में बताया कि प्रोफेसर ने शाहपुर क्षेत्र के निजी होटल में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। छात्रा की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। पुलिस ने बुधवार को आरोपी प्रोफेसर को गिरफ्तार कर लिया है।
वहीं, छात्रा के साथ दुष्कर्म को लेकर छात्र भड़क गए हैं। छात्रों ने सीयू परिसर में तालाबंदी कर प्रदर्शन किया। आरोपी प्रोफेसर को निलंबित करने की मांग पर अड़े रहे। बाद में विवि प्रशासन ने प्रोफेसर को निलंबित कर दिया।
धर्मशाला। हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय के नव मीडिया विभाग के छात्रों द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्री फिल्म, ‘भारतीय चित्र साधना’ की ओर से 2024 में होने वाले ‘चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल’ (CBFF) में ‘बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म’ (कैंपस कैटेगरी) में नॉमिनेट की गई है। फिल्म फेस्टिवल का 5वां संस्करण 23 से 25 फरवरी, 2024 तक हरियाणा के पंचकूला में आयोजित किया जा रहा है।
इस फिल्म फेस्टिवल में देश के सिनेमा जगत के तमाम दिग्गज शामिल होंगे। केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के नव मीडिया विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राम प्रवेश राय के अनुसार यह बहुत हर्ष और गौरव की बात है। विभाग के विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्री फिल्म, ‘बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म’ (कैंपस कैटेगरी) में नॉमिनेट की गई है।
डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘Next stop Folk Music’ लोक संगीत पर आधारित एक फिल्म है, जिसमें भारत के तीन अलग–अलग स्थान (राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और बिहार) की संस्कृतियों में लोक संगीत का स्थान और स्तर को दिखाया गया है।
इस फिल्म का मुख्य निर्देशन नव मीडिया विभाग के अश्विनी रंजन और अनुभव कुमार दुबे ने किया है और सहायक निर्देशन की भूमिका काजल कपूर और अनुभूति मेहता ने निभाई है। इस फिल्म को 23 फरवरी 2024 को रेड बिशप टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स, सेक्टर–1, पंचकूला, हरियाणा में स्क्रीन किया जाएगा।
धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (CU) के धौलाधार परिसर एक में वीरवार को इसरो (ISRO) हैदराबाद और हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में वायुमंडलीय तड़ित संसूचन प्रणाली (Atmospheric Lightning Detection System) का उद्घाटन कुलपति प्रो. एसपी बंसल ने किया।
इस मौके पर कुलपति ने कहा कि यह परियोजना इसरो-हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहयोग से प्रभावोत्पादक शोध की दिशा में एक मील का पत्थर है। आज इस वैश्विक परियोजना का हिस्सा बनना हमारे विश्वविद्यालय के लिए एक अनमोल क्षण है।
उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले इसरो (ISRO) ने यह निर्णय लिया था कि कुछ इस तरह के सिस्टम हिमालय रेंज में इंस्टॉल किए जाएंगे। खुशी इस बात की है कि इसरो ने हमारे केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला में एटमॉस्फेरिक लाइटनिंग डिटेक्शन सिस्टम इंस्टॉल करने का फैसला लिया है।
पर्यावरण विज्ञान विभाग में कार्यरत प्रो. दीपक पंत के माध्यम से यह प्रोजेक्ट हमें मिला है। यह प्रोजेक्ट केवल एक-दो वर्ष के लिए नहीं बल्कि आने वाले 15-20 साल के लिए है।
जैसे, आपने अभी देखा होगा कि पहले कहीं-कहीं कुल्लू में बादल फटने की घटना सुनने को मिलती थीं, लेकिन इस वर्ष पूरा पर्यावरण असंतुलित हुआ था। उन्होंने कहा कि बादल फटने की घटना हमने शिमला, धर्मशाला, मंडी और सिरमौर के साथ-साथ देश के अन्य भागों में भी देखीं।
इस तरह के असंतुलन के कारण वातावरण में नाइट्रस ऑक्साइड का उत्पादन हो रहा है, उसके कारण ओजोन लेयर को क्षति हो रही है। इस सारी प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिए यह सिस्टम यहां इंस्टॉल किया गया है।
यह पूरे विश्व स्तर का डाटा इकट्ठा करेगा। इस तरह की कुछ रिसर्च पहले से भी हो रही है और आगे भी हम इसमें आगे बढ़ेंगे, जिससे इसके कारणों का पता लग सके।
इसके साथ, अगर कोई ऐसी संभावनाएं बनेंगी और हमें लगेगा इस तरह का आगे आने वाले समय में और असंतुलन होने वाला है तो उसके लिए इसरो के साथ मिलकर पहले से सावधानियां सुझाई जाएंगी, इसरो के साथ मिलकर काम भी किया जाएगा।
मैं प्रो. दीपक पंत और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं। यह जो सिस्टम इंस्टॉल होने जा रहा है, बहुत लाभदायक होगा न केवल हिमाचल के लिए बल्कि पूरे देश की हिमालयन रेंज के लिए।
इस मौके पर उनके साथ प्रो. प्रदीप कुमार अधिष्ठाता अकादमिक, प्रो. राजेश कुमार, विभागाध्यक्ष और अधिष्ठाता, भौतिकी एवं पदार्थ विज्ञान सकूल, प्रो. ओएसकेएस शास्त्री, निदेशक इनक्यूबेशन सेंटर (उद्भव केंद्र), प्रो. दीपक पंत, इंस्टीट्यूट इनोवेशन काउंसिल के अध्यक्ष, परिसर निदेशक प्रो. मनोज कुमार सक्सेना कार्यक्रम के दौरान उपस्थित थे। इस मौके पर इसरो साइट से डॉ. आलोक ताओरी भी ऑनलाइन माध्यम से मौजूद रहे।
भारतीय जनसंचार संस्थान के प्रोफेसर प्रमोद कुमार ने कही बात
धर्मशाला। कश्मीर घाटी से हिंदुओं के पलायन का एक बहुत बड़ा कारण स्थानीय मीडिया द्वारा 1989 के आस-पास घट रही घटनाओं की तथ्यपूर्ण कवरेज नहीं करना था। यदि उस समय स्थानीय मीडिया ने निष्पक्ष-कवरेज की होती कश्मीरी हिंदुओं का विस्थापन रूक सकता था।
उस समय राष्ट्रीय मीडिया ने भी तथ्यों तक पहुंचने में विशेष प्रयास नहीं किए। ये बात भारतीय जनसंचार संस्थान के प्रोफेसर प्रमोद कुमार ने HCU के कार्यक्रम में 1947 के बाद जम्मू-कश्मीर में मीडिया के यात्रा विषय पर बोलते हुए कहीं।
रिपोर्टरों को घाटी छोड़कर जम्मू आना पड़ा, इसलिए पूरा देश और नीति-नियंता वहां पर घट रही घटनाओं को लेकर अंधेरे में रहे और कश्मीरी हिंदुओं की सुरक्षा के लिए आवश्यक दबाव नहीं बन सका।
वह हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (HCU) के कश्मीर अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित ’ संवैधानिक अधिमिलन सप्ताह’ के दौरान बोल रहे थे। प्रो. प्रमोद कुमार ने कहा कि 1989 के आस-पास नए-नए आतंकी समूह उभर रहे थे और वह प्रसिद्धि पाने के लिए मीडिया का उपयोग कर रहे थे।
आंतकी घटनाओं का श्रेय लेने की होड़ मची थी और इसके लिए आतंकी समूह मीडिया संस्थानों पर निरंतर दबाव बना रहे थे।
उन्होंने कहा कि उस समय के समाचार-पत्रों की खबरों का विश्लेषण यह बताता है कि वहां की मीडिया-पारिस्थितिकी पूरी तरह से आंतकियों के दबाव में आ गई थी ।
वहीं, सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता यशराज सिंह बुंदेला ने कहा कि आजादी के समय भारतीय रियासतों के विलय को लेकर लॉर्ड माउंटबेटन और जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरिसिंह ने पत्राचार के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए।
मगर इस व्यक्तिगत पत्राचार को संवैधानिक वैधता के रूप में दर्शाते हुए इसके सहारे एक वर्ग ने जम्मू- कश्मीर को विवादित क्षेत्र के रूप में दर्शाने का षड्यंत्र रचा।
इससे जम्मू-कश्मीर के विषय को समझने में मुश्किल पैदा होती रही है। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (HCU) के कश्मीर अध्ययन केंद्र की ओर से आयोजित संवैधानिक अधिमिलन सप्ताह कार्यशाला में जम्मू-कश्मीर के एकीकरण की प्रक्रियाः विधिक एवं संवैधानिक दृष्टिकोण विषय पर व्याख्यान देते सर्वाच्च न्यायालय के अधिवक्ता यशराज सिंह बुंदेला ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का हमेशा से एक अभिन्न अंग रहा है और हमेशा रहेगा। मगर जम्मू-कश्मीर को विवादित क्षेत्र के रूप में दिखाने के लिए एक वर्ग लंबे समय से झूठे राजनीतिक विमर्श गढ़ता रहा है।
यही वर्ग अक्टूबर, 1947 में जम्मू-कश्मीर पर हुए पाकिस्तानी सेना के आक्रमण को कबायली आक्रमण के रूप में बताता रहा।
इसके अलावा यह झूठ फैलाया गया कि महाराजा हरिसिंह एक कमजोर शासक थे और वह जम्मू-कश्मीर को एक स्वतंत्र देश बनाना चाहते थे। जम्मू-कश्मीर को लेकर इस तरह के झूठे विमर्श लंबे समय तक आगे बढ़ाए गए।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (HCU) धर्मशाला के कश्मीर अध्ययन की ओर से 26 अक्टूबर से लेकर 31 अक्टूबर तक संवैधानिक अधिमिलन सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है।
शुक्रवार को ऑनलाइन आयोजित किए गए सत्र में कश्मीर अध्ययन केंद्र की निदेशक प्रो. आभा चौहान, प्रो. मलकीत सिंह, डॉ. जयप्रकाश सिंह, डॉ. अजय कुमार, डॉ. उदयभान सिंह, डॉ. चंद्रशेखर, डॉ. करतार सिंह सहित विभिन्न विभागों के आचार्य, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के छात्रों को डॉ. अम्बेडकर उत्कृष्टता केंद्र (डीएसीई) के तहत “संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)” की एग्जाम के लिए मुफ्त कोचिंग प्रदान करने के लिए प्रवेश परीक्षा की सूचना जारी कर दी गई है।
अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित छात्र, जिनकी कुल पारिवारिक आय सभी स्रोतों से प्रति वर्ष आठ लाख रुपये या उससे कम है, उक्त योजना के तहत लाभ के लिए पात्र हैं।
ऑनलाइन आवेदन जमा करने की तिथि 18 अक्टूबर 2023 से लेकर 29 अक्टूबर 2023 तक है। वहीं, प्रवेश परीक्षा 18 नवंबर 2023 को आयोजित की जाएगी। अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) छात्रों को मुफ्त कोचिंग के लिए कुल सीटों की संख्या 100 है।
कुल सीटों में से 70 प्रतिशत सीटें अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए आरक्षित हैं। अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), सामान्य और अन्य श्रेणी के लिए कुल पेड सीटों की संख्या 25 है। योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के समय स्नातक स्तर का पाठ्यक्रम पूरा कर चुके या संबंधित स्नातक पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में अध्ययनरत छात्र पात्र होंगे।
चयनित अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) उम्मीदवारों को पाठ्यक्रम की पूरी अवधि के लिए प्रति माह 4000 रुपये की दर से वजीफा दिया जाएगा, जो एक वर्ष यानी 12 महीने से अधिक नहीं होगा।
सामान्य श्रेणी/ईडब्ल्यूएस/अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) (क्रीमी) के लिए आवेदन शुल्क 500 रुपए है। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी (गैर क्रीमी) के लिए आवेदन शुल्क 400 रुपए और अनुसूचित जाति/एसटी/दिव्यांग के लिए 200 रुपए है।
गौरतलब है कि अगर कोई विद्यार्थी कोचिंग के दौरान किसी सिविल परीक्षा में पास हो जाता है तो उसे इंटरव्यू में आने-जाने के लिए 15 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसी संबंध में नई दिल्ली में डा. अंबेडकर फाउंडेशन और हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय में चलाए जा रहे डॉ. अंबेडकर उत्कृष्टता केंद्र के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए हैं।
केंद्र के नोडल अधिकारी प्रो. प्रदीप के अनुसार अब “संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) के साथ “राज्य लोक सेवा आयोग” की परीक्षा की कोचिंग भी छात्रों को दी जाएगी।
समझौता ज्ञापन के बाद एक और विकल्प सरकार द्वारा दिया गया है, जिसमें अगर कोई सामान्य श्रेणी से संबंधित छात्र है, या इस परीक्षा के बाद वे मैरिट में नहीं आ पाता है तो वह सालाना 75 हजार फीस देकर इस बैच में बैठ सकता है, लेकिन उसे सरकार की तरफ से कोई स्टाइपंड नहीं मिलेगा।
योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के समय स्नातक स्तर का पाठ्यक्रम पूरा कर चुके या संबंधित स्नातक पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में अध्ययनरत छात्र पात्र होंगे।
100 अंकों की होगी प्रवेश परीक्षा
हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय में मेरिट के अनुसार केंद्र द्वारा सामान्य प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी। 100 अंकों की प्रवेश परीक्षा 90 एमसीक्यू (प्रत्येक एक अंक) और 2 निबंध (अंग्रेजी और हिंदी) (5 अंक प्रत्येक) पर आधारित होगी। प्रवेश परीक्षा के पाठ्यक्रम में सामान्य अंग्रेजी (10 अंक), सामान्य हिंदी (10 अंक), संख्यात्मक क्षमता और तर्क (10 अंक), निबंध लेखन (10 अंक) से प्रश्न पूछे जाएंगे। पाठ्यक्रम की अवधि 01 वर्ष है।
धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh Central University) के कुलपति प्रोफेसर सत प्रकाश बंसल भारतीय विश्वविद्यालय संघ के प्रतिनिधि मंडल के साथ ताइवान के दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने शुक्रवार को अच्छी क्यूएस रैंकिंग वाले दो अन्य विश्वविद्यालयों का दौरा किया।
इस दौरान हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सत प्रकाश बंसल ने प्रो फू जेहन जान, अध्यक्ष नेशनल चुंग हसिंग यूनिवर्सिटी ताइवान और प्लांट पैथोलॉजी के प्रोफेसर से मुलाकात की और विभाग की गतिविधियों के बारे में बातचीत की ।
उन्होंने कहा कि हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय में भी प्लांट पैथोलॉजी में कोर्स चलाए जाएंगे। पौधों की बीमारियों का पारिस्थितिकी तंत्र पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। ये न केवल पौधों पर गुणात्मक रूप से प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं बल्कि उपज के संबंध में भी भारी नुकसान पहुंचाते हैं।
यह अनुमान लगाया गया है कि कुल नुकसान का लगभग 14 फीसदी केवल पौधों की बीमारियों के कारण होता है, जिसमें से दुनिया भर में पौधों की बीमारियों से कुल वार्षिक फसल हानि लगभग 220 बिलियन डॉलर है।
ऐसे में पादप रोग विज्ञान के विकास के साथ पौधों को इन रोगों से बचाने में जबरदस्त सफलता मिली है। हमारा राज्य, हिमाचल प्रदेश कृषि फसलों, औषधीय पौधों, वन वृक्षों और अन्य प्रजातियों सहित अपनी समृद्ध पौधों की जैव विविधता के लिए जाना जाता है।
इन बीमारियों के कारण खतरे में रहते हैं, जो न केवल इन प्रजातियों को नष्ट कर देते हैं, बल्कि नए तरीकों को पेश करने के लिए पादप रोग विज्ञान के उनके नियंत्रण को चुनौती देते हैं। ऐसे में अगर यह कोर्स सीयू में शुरू होता है तो निश्चित रूप से किसानों को भी लाभ मिलेगा।
गौरतलब है कि ताइवान के दौरे पर भारत से पहुंचे प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई प्रो. जीडी शर्मा, भारतीय विश्वाविद्यालय संघ के अध्यक्ष कर रहे हैं। इसमें प्रो. एम पंत, कुलपति, असम विश्वविद्यालय, सिल्चर, प्रो. नीलिमा गुप्ता, कुलपति, एचएस गौर विश्वविद्यालय, सागर, प्रो. विनय पाठक, कुलपति, सीएसजेएम विश्वविद्यालय कानपुर प्रो. कुलदीप कुमार रैना, एमएस रमैया विश्वविद्यालय और प्रो. पंकज मित्तल, सचिव एआईयू शामिल हैं।
केंद्रीय विवि के भौतिकी विभाग की ओर से कार्यक्रम आयोजित
धर्मशाला।हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के शाहपुर परिसर में भौतिकी विभाग की ओर से आउटरीच गतिविधि के तहत प्रयोग प्रदर्शन (Experiments Demonstration) कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रो सुमन शर्मा एवं इंस्टीट्यूट फॉर प्लाज्मा रिसर्च, गांधीनगर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो छाया चावडा (Institute for Plasma Research), गांधीनगर के वैज्ञानिक – डॉ चेतन जरीवाला, विभागाध्यक्ष प्रो राजेश कुमार, डॉ राजेश कुमार सिंह की गरिमामय उपस्थिति में इस कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
प्रो सुमन शर्मा ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए विद्यार्थियों और शिक्षकों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि विज्ञान और तकनीक में जो अनुसंधान हो रहे हैं, उनके बारे में लोगों को जानकारी मिलनी चाहिए, आउटरीच गतिविधि (Experimental Demonstration)से यह हो सकता है। वहीं प्रो. छाया चावडा ने कहा कि इस कार्यक्रम में विद्यार्थी शोध के प्रति आकर्षित होंगे और यह उनको शोध को अपने कैरियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के अधिष्ठाता प्रो राजेश कुमार ने बताया कि 09 अक्टूबर से 13 अक्टूबर 2023 तक केन्द्रीय विश्वविद्यालय, शाहपुर परिसर में Institute for Plasma Research गांधीनगर द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम और प्रदर्शनी का आयोजन होगा। इसमें दो हजार के करीब विश्वविद्यालय, महाविद्यालय और विद्यालय के छात्र भाग लेंगे। डॉ गौरीशंकर साहु बौद्धिक कार्यक्रम का संयोजन किया।
डॉ सुरेन्द्र, डॉ विकास, डॉ अयान, डॉ नूरजहां और भौतिक विभाग के सारे शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मियों को कार्यक्रम के सफल बनाने के लिए कुलसचिव डॉ विशाल सूद ने बधाई दी। द न्यू एरा स्कूल ऑफ साइंस छतरी( The New Era School of Sciences, Chhatri) शाहपुर और आसपास के स्कूल के लगभग 60 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। कार्यक्रम में छात्रों ने शोध कार्यों में रुचि दिखाई। केंद्रीय विश्वविद्यालय शाहपुर परिसर के लगभग 90 से अधिक बच्चों ने वालंटियर के रूप में काम किया।
धर्मशाला।हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय के शिक्षा स्कूल के अधिष्ठाता और धौलाधार परिसर 1 के निदेशक प्रो मनोज कुमार सक्सेना दक्षिण अफ्रीका में कीनोट एड्रेस देंगे। दक्षिण अफ्रीका के एक सरकारी विश्वविद्यालय यूनिवर्सिटी ऑफ जूलूलैंड ने उनके द्वारा आयोजित की जाने वाली अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में प्रो मनोज कुमार सक्सेना को कीनोट एड्रेस देने के लिए आमंत्रित किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस “अफ्रीका रायसिंग: पोसिबिलिटीस, प्रायोरिटीस, पार्टनरशिप्सन” विषय पर यूनिवर्सिटी ऑफ जूलूलैंड के फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, एडमिनिस्ट्रेशन एंड लॉ के द्वारा 16 से 18 अगस्त 2023 के मध्य दक्षिण अफ्रीकी शहर रिचार्द्व बे में आयोजित की जा रही है।
प्रो. सक्सेना कीनोट एड्रेस के साथ-साथ कांफ्रेंस के एक तकनीकी सत्र की अध्यक्षता भी करेंगे और एक सत्र में अपना शोध पत्र भी प्रस्तुत करेंगे। प्रो सक्सेना इस संगोष्ठी में “एजुकेशन इन अफ्रीका एंड एशिया : इवालविंग ह्यूमन रिसोर्सेज फॉर पोटेंशियल इकोनॉमिक ग्रोथ” विषय पर बीज वक्तव्य देंगे तथा “रायसिंग एशिया एंड अफ्रीका: द पोलिटिकल इकॉनमी ऑफ़ एजुकेशन एंड रीसर्जेंस” विषय पर अपना शोध पत्र भी प्रस्तुत करेंगे। उनकी इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सत प्रकाश बंसल ने उनको बधाई दी है।
धर्मशाला। अब होटल मैनेजमेंट में भी नेट (National Eligibility Test) लिया जाएगा। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल की अध्यक्षता में आयोजित ऑनलाइन बैठक में यह फैसला लिया गया। यूजीसी नेट (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) में एक नए विषय के रूप में हॉस्पिटैलिटी एवं होटल मैनेजमेंट के पाठ्यक्रम पर चर्चा करने और उसे अंतिम रूप देने के लिए ऑनलाइन माध्यम से एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। यह बैठक आतिथ्य उद्योग के बढ़ते महत्व को पहचानने और परीक्षा में इसके व्यापक समावेश को सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई।
इस मौके पर कुलपति ने कहा कि यूजीसी नेट (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित एक प्रतिष्ठित परीक्षा है। यह परीक्षा भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनुसंधान के लिए तथा शिक्षण पदों हेतु योग्यता मानदंड के रूप में आयोजित की जाती है। आतिथ्य और होटल प्रबंधन को एक नए विषय के रूप में शामिल करने के साथ, यूजीसी नेट का उद्देश्य देश में आतिथ्य उद्योग के बढ़ते महत्व को पहचानना और समायोजित करना है।
इस दौरान बैठक में प्रो. प्रशांत गौतम, पंजाब विश्वविद्यालय, BITS Mesra से डॉ. निशिकांत, प्रो. सुनील काबिया, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, प्रो मनीष शर्मा, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन माध्यिम से भाग लिया। बैठक में आतिथ्य और होटल प्रबंधन के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने पर चर्चा हुई, जिसका उद्देश्य इसे उद्योग की उभरती जरूरतों के अनुरूप तैयार करना और इच्छुक उम्मीदवारों के लिए एक मानकीकृत ढांचा प्रदान करना रहा। प्रो. सत प्रकाश बंसल जी ने बैठक के दौरान पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने वाले आवश्यक विषयों पर विचार-विमर्श किया।
बैठक में फील्डम की समग्र समझ प्रदान करने के लिए आतिथ्य संचालन, पर्यटन प्रबंधन, होटल प्रशासन, इवेंट प्लानिंग, खाद्य और पेय प्रबंधन, और अन्य प्रासंगिक क्षेत्रों जैसे विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करने के महत्व को मान्यता दी गई। पाठ्यक्रम को इस तरह से तैयार किए जाने का निर्णय लिया गया कि यह नवीनतम उद्योग प्रवृत्तियों को दर्शाता हो, उभरती चुनौतियों का समाधान करे और वैश्विक मानकों के अनुरूप हो। सदस्यों ने सर्वसम्मति से उम्मीदवारों के व्यावहारिक कौशल को बढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम के भीतर व्यावहारिक प्रशिक्षण और अनुभवात्मक शिक्षण घटकों को एकीकृत करने के महत्व पर सहमति व्यक्त की।
इस बैठक के निर्णय आगे की समीक्षा और यूजीसी नेट ढांचे में शामिल करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को प्रस्तुत किए जाएंगे। प्रो. बंसल ने बैठक के दौरान सभी प्रतिभागियों के बहुमूल्य योगदान और अटूट समर्थन के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अंतिम रूप दिया गया पाठ्यक्रम आतिथ्य शिक्षा में नए मानदंड स्थापित करेगा और इस गतिशील उद्योग में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल के साथ उम्मीदवारों को सशक्त करेगा।