Categories
Top News Lifestyle/Fashion

भारत , हिंदुस्तान, इंडिया “त्रिमूर्ति” को सलाम

इसमें कोई शक नहीं कि नामकरण के अनुसरण का किसी व्यक्ति /स्थान के गुणों व विशेषताओं से गहरा संबंध होता है। यही कारण है कि परंपरागत रूप से हम नामकरण निर्धारित करते समय किसी के गुणों के साथ संबंध स्थापित करने के लिए ज्योतिषियों की मदद लेते हैं।

यह ज्योतिषीय विश्लेषण और उन ग्रहों की समझ में हमारा विश्वास है जो किसी व्यक्ति को उसके जन्म के समय प्रभावित करते हैं। इस संदर्भ में हमारी सांस्कृतिक विरासत और मान्यताएँ वैज्ञानिक पद्धतियाँ हैं। आप इस तथ्य के गवाह होंगे कि हमारे पंडितों का समुदाय जो ज्योतिष में अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं, उनसे नामकरण संस्कार करने के लिए सलाह ली जाती है।

हिमाचल : गाड़ी चलाते मोबाइल पर कर रहे बात और सोच रहे कोई नहीं देख रहा-तो गलत हैं आप

आपको पता होना चाहिए कि यह पवित्र और वैज्ञानिक प्रथा व्यक्ति, संबंधित परिवार और इस प्रकार पूरे समाज के लिए अच्छा काम करती है। जैसा कि आप भारत को जानते हैं, हमारी प्राचीन भूमि/देश का नामकरण दुष्यन्त और शकुन्तला के पुत्र राजा भरत से हुआ है।

बाद में, व्यापारी या आक्रमणकारी इस भूमि के निवासियों के साथ व्यापार करने के लिए यहां आए और इस संदर्भ में उन्हें एहसास हुआ कि इंडिया/इंडियन नामकरण सिंधु घाटी की भूमि/सभ्यता के लिए बेहतर होगा। और इसे स्वीकार कर लिया है गया और मान्यता दी गई और धीरे धीरे यह अन्य लोगों और देशों के साथ पत्राचार में लोकप्रिय हो गया।

इस प्रकार भारत को हिंद के साथ-साथ इंडिया का भी अर्थ मिल गया। वैसे तो एक से अधिक नाम रखना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन अगर हममें अपने पैतृक वंश का सम्मान करने की भावना है तो यह भी बुरी नहीं बल्कि अच्छी बात है। चूँकि, हम इसे परस्पर उपयोग करते हैं, इसलिए कोई नुकसान नहीं है।

मुख्यमंत्री सुक्खू बोले- पर्यटकों के लिए सुरक्षित हिमाचल, आ सकते हैं भ्रमण पर

यह उन लोगों के लिए हानिकारक हो जाता है जो इसे अनावश्यक रस्साकशी बनाते हैं। राजा भरत के नाम पर हमारी प्राचीन भूमि का पुनरुद्धार स्वागत योग्य है, लेकिन अन्य नामकरण के लिए सम्मान जो दूसरों के साथ पत्राचार में लोकप्रिय है, वैश्विक परिवार के संदर्भ में ऐतिहासिक रूप से भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

जिस तरह हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है, उसी तरह हमारी मातृभूमि को तीन नामों से जाना जाता है, यानी भारत, हिंदुस्तान और इंडिया। तीनों नामों की उत्पत्ति हमारी पृष्ठभूमि के साथ हमारे अपने भारतीय उपमहाद्वीप में हुई है। सुविधा के लिए, सिंधु घाटी ने हिंद, हिंदू और हिंदुस्तान को इनपुट दिया।

भारत चंद्र वंश से आया था और इंडिया सिंधु घाटी के आसपास की भूमि को दर्शाता है। बिना किसी पूर्वाग्रह के अपनी मातृभूमि के तीनों नामों का सम्मान करें।

यदि अधिकांश लोग हमारे माननीय प्रधान मंत्री जी की पहल के तहत इंडिया को भारत कहने या संप्रेषित करने के इच्छुक हैं, तो उस मामले में कोई नुकसान नहीं है, लेकिन इसे औपनिवेशिक विरासत से जोड़ना, मेरा मानना ​​है, प्रचार के लिए प्रासंगिक नहीं है। खैर, समरथ को नहीं दोष गुसाईं।

जय भारत जय हिंद जय इंडिया

डॉ. रोशन लाल शर्मा
बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश

 

 

ऊना : सिक्योरिटी गार्ड एवं सुपरवाइजर के 100 पदों पर भर्ती, 19 हजार तक वेतन

 

जॉब अलर्ट : हमीरपुर में ऑपरेटर और एसोसिएट के 100 पदों पर होगी भर्ती

 

कुल्लू : पतलीकूहल से दिल्ली दौड़ी वोल्वो बस, पहले मंडी से हो रहा था संचालन

 

हिमाचल : IIT Mandi में फर्स्ट ईयर के छात्रों से रैगिंग, 72 स्टूडेंट्स के खिलाफ कार्रवाई

 

Categories
Top News Himachal Latest Hamirpur State News

आरक्षण का कोई मतलब नहीं, कोई प्रासंगिकता नहीं

आरक्षण की प्रथा आजादी के बाद से संवैधानिक परंपरा की छाया में चल रही है। इस तरह का प्रयास समाज के दबे-कुचले तबके के लिए न्याय के सिद्धांत पर शुरू हुआ, जिस तबके को जाति और पंथ के साए में कुचला जाना माना जाता है।

यह उन दिनों की कहानी थी जहां एक विशेष स्थान की जाति व्यवस्था बहुत बंद थी और इस प्रकार निचली जातियों में आने वाले लोगों के उत्पीड़न का प्रतिनिधित्व करती थी। भारत की स्वतंत्रता ने संवैधानिक अधिकारों के नाम पर वैमनस्य की प्रथा को सद्भाव में बदल दिया।

माननीय नेताओं के निर्देशों के अनुसार एक विशेष अवधि के उन्नयन के संदर्भ में वित्तीय सहायता के माध्यम से संसाधनों, नौकरियों और शैक्षिक अवसरों के वितरण के मामले में निचली जातियों को कुछ विशेष प्रकार की वरीयता दी गई थी।

समाज के दबे-कुचले तबके के उत्थान के लिए प्रतिबद्धता का वह दौर खत्म हो गया है और कुछ वर्षों से इस तरह की तरजीह सरकार की व्यवस्था में नर्क है जो उन लोगों के लिए अभिशाप की भूमिका निभा रही है जिनकी योग्यता को चुनौती दी जा रही है। इस प्रकार समाज के पात्र वर्गों को नीचे घसीटा जा रहा है जिससे उनके लिए दरिद्रता की स्थिति निर्मित हो रही है।

आरक्षण की यह प्रथा मेधावी वर्ग के लिए दरिद्रता की स्थिति ही नहीं है, बल्कि हमारी सामाजिक व्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका है, जिसका पालन-पोषण अक्षम कार्यकर्ताओं/अधिकारियों/प्रशासकों और राजनेताओं द्वारा किया जा रहा है। सामाजिक प्रणाली किसी भी नौकरी के अवसर के लिए उम्मीदवारों के चयन की मांग उनकी क्षमता और योग्यता के अनुसार करती है।

आप इस तथ्य से सहमत हों या न हों लेकिन यह कटु सत्य है कि यदि किसी संगठन में कोई अयोग्य उम्मीदवार इस आरक्षण नीति के आधार पर पद धारण करता है तो वह संगठन वर्षों तक सामाजिक विकास की दृष्टि से पीछे रह जाता है।

कुछ लोगों के लिए यह बेतुका संदेश लग सकता है या एक तरह का भ्रम लेकिन आरक्षण की इस घिसी-पिटी नीति और प्रक्रिया का गहरा प्रभाव आप हर जगह देख सकते हैं। आधुनिक युग प्रतिस्पर्धा का युग है जहां किसी भी प्रकार के आरक्षण के लिए कोई स्थान नहीं है। जय हिंद जय भारत ।

-डॉ रोशन लाल शर्मा, कियारा चांदपुर, सदर बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश)

 

हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय शोध पात्रता परीक्षा का शेड्यूल जारी-यहां देखें

 

HPbose : SOS 8वीं, 10वीं और 12वीं अनुपूरक परीक्षा के लिए पंजीकरण तिथियां घोषित

 

 

हिमाचल कैबिनेट बैठक की तिथि में बदलाव, अब रविवार नहीं इस दिन होगी

 

बॉलीवुड में छाने को तैयार हंसराज रघुवंशी, अक्षय कुमार की OMG-2 में गाएंगे गाना

 

TET को लेकर बड़ी अपडेट : पेपर के बाद दी जाएगी OMR की डुप्लीकेट कॉपी

बिलासपुर के सौग में देवर ने भाभी पर दराट से किया हमला, गई जान

हिमाचल और देश दुनिया से जुड़ी हर बड़ी अपडेट के लिए जुड़ें EWN24 NEWS की वेबसाइट https://ewn24.in/ फेसबुक https://www.facebook.com/ewn24 और यूट्यूब https://www.youtube.com/@ewn24news/videos के साथ