शिमला। नियमितीकरण की मांग को लेकर एसएमसी (SMC) शिक्षकों का क्रमिक अनशन 10वें दिन भी जारी है। हिमाचल की राजधानी शिमला में हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बावजूद भी क्रमिक अनशन पर बैठे SMC शिक्षकों के हौसले बुलंद हैं। शिक्षकों का साफतौर पर कहना है कि जब तक नियमतिकरण की मांग पूरी नहीं हो जाती, वे अनशन पर बैठे रहेंगे। 8 फरवरी से पेन डाउन स्ट्राइक शुरू होगी और कक्षाओं का बहिष्कार किया जाएगा।
एसएमसी (SMC) शिक्षक संघ चंबा के कोषाध्यक्ष रामलोक ने बताया कि काफी लंबे समय से उनकी नियमतिकरण की मांग है, जिसको लेकर उन्हें क्रमिक अनशन पर बैठना पड़ा। कुछ शिक्षक उम्र की उस दहलीज पर हैं, जहां उनकी निगाहें सरकार को निहार रही हैं।
उनकी उम्र 47 वर्ष से अधिक हो गई है और 20 फीसदी अध्यापक ऐसे हैं जो 50 वर्ष से अधिक के हैं। बच्चों के भविष्य संवारने का जिम्मा उनके ऊपर है, लेकिन उनका खुद का भविष्य ही अंधेरे में है। सरकार को चेताते हुए शिक्षकों ने कहा कि उन्हें या तो नियमित किया जाए अन्यथा उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाए।
हमारे शिक्षण समुदाय की सेवा और हमारे देश और हमारे बच्चों के लिए बलिदान का सम्मान करने के लिए कुछ कहने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शिक्षक, संस्थापक थे, संस्थापक हैं और भविष्य में भी रहेंगे। प्रौद्योगिकी में चाहे कितनी भी प्रगति क्यों न हो जाए, शिक्षक की भूमिका को कम नहीं आंका जा सकता।
कक्षा में शिक्षकों द्वारा संदेश का सीधा प्रसारण जब छात्रों को प्राप्त होता है तो वह उन पर इतना गहरा प्रभाव डालता है कि किसी भी समाज में कोई अन्य उपकरण उसका स्थान नहीं ले सकता। इसलिए, यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है जब हम सुनते या कहते हैं कि किताबें और शिक्षक हमारे सबसे अच्छे साथी हैं। शिक्षक दिवस हमें यह याद दिलाता है।
हमारे राष्ट्रपति डॉक्टर एस राधाकृष्णन जी को नमन, जिन्होंने शिक्षकों के महत्व को समझा और यह उनकी इच्छा थी कि उनका जन्मदिन, 5 सितंबर, शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए। मुझे हर दिन यह याद रखना अच्छा लगता है कि उनकी महिमा ने हमें एक शिक्षक के मूल्य को समझने का एक शानदार मौका दिया।
मैं महसूस करता हूं और आशा करता हूं कि छात्रों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षकों से ईमानदारी से काम करने की उनकी हार्दिक इच्छा पूरी की जाएगी, ताकि उन सभी छात्रों की मदद की जा सके जो कल के नागरिक हैं, हमारे गौरव भारत का भविष्य हैं।
*महान शिक्षाविद्, हमारे महान भारत के दूसरे महान राष्ट्रपति पर गर्व करते हुए नमन *
*डॉ रोशन लाल शर्मा कियारा चांदपुर बिलासपुर हिमाचल प्रदेश*
कांगड़ा, बिलासपुर, लाहौल-स्पीति, किन्नौर से किसी का नहीं हुआ चयन
शिमला। शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले हिमाचल के 13 शिक्षकों क राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए चयनित हुए हैं। राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित शिक्षकों की सूची पहली बार कार्यक्रम से मात्र एक दिन पहले जारी हुई है।
सोमवार दोपहर चार बजे प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय की ओर से इस बाबत अधिसूचना जारी की गई। अधिसूचना जारी होने बाद ही चयनित शिक्षकों को फोन पर इसकी सूचना दी गई।
मंगलवार 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर राजभवन शिमला में राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर इन शिक्षकों को सम्मानित करेंगे। कांगड़ा, बिलासपुर, लाहौल-स्पीति और किन्नौर से एक भी शिक्षक का पुरस्कार के लिए चयन नहीं हुआ है।
जिला शिमला से तीन, कुल्लू-ऊना और हमीरपुर से दो-दो शिक्षकों को चुना गया है। मंडी-सोलन-सिरमौर और चंबा जिला से पुरस्कार के लिए एक-एक शिक्षक का चयन हुआ है।
10 शिक्षकों का चयन प्रदेशभर से प्राप्त हुए 39 आवेदनों के आधार हुआ है। तीन शिक्षकों किशोरी लाल, दलीप सिंह और हरीराम शर्मा को सरकार की ओर से गठित राज्य स्तरीय कमेटी ने चयनित किया है।
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कारों की सूची में तीन प्रवक्ता, तीन जेबीटी और दो प्रिंसिपल शामिल हैं। इनके अलावा एक-एक डीपीई, टीजीटी, डीएम, एचटी और सीएचटी को चुना गया है। राजभवन में होने वाले कार्यक्रम में इन शिक्षकों को प्रशस्ति पत्र और शॉल व टोपी देकर सम्मानित किया जाएगा।
हालांकि, सम्मानित किए जाने वाले शिक्षकों को मिलने वाले वित्तीय लाभ और सेवाविस्तार को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। इस संदर्भ में सरकार की ओर से अभी नीति तैयार की जा रही है। राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कारों से सम्मानित होने वाले शिक्षकों को सेवानिवृत्ति के बाद तय वेतन पर एक वर्ष का सेवाविस्तार देने की योजना है।
अमर चंद चौहान, वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल आनी, कुल्लू, प्रिंसिपल
दीपक कुमार, वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल चंबा, प्रवक्ता बायोलॉजी
अशोक कुमार, वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल मंडी, प्रवक्ता वाणिज्य
कृष्ण लाल, वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल बजौरा, कुल्लू, डीपीई
हेम राज, वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल हिमरी, शिमला, टीजीटी नॉन मेडिकल
कमल किशोर, वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल त्यूरी, ऊना, कला शिक्षक
नरेश शर्मा, प्राथमिक स्कूल गिरथरी, हमीरपुर, मुख्य शिक्षक
प्रदीप कुमार, प्राथमिक स्कूल सलोह, सोलन, जेबीटी
शिव कुमार, प्राथमिक स्कूल ककराना, ऊना, जेबीटी
कैलाश सिंह शर्मा, केंद्रीय प्राथमिक स्कूल लालपानी, शिमला, जेबीटी
किशोरी लाल, उपशिक्षा निदेशक कार्यालय हमीरपुर, सीएचटी
दलीप सिंह, वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल वासनी, सिरमौर, प्रवक्ता अंग्रेजी
हरि राम शर्मा, मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल नेरवा, शिमला, प्रिसिंपल
शिमला। हिमाचल कैबिनेट की बैठक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई है। बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। बैठक में कारागार विभाग में जेल वार्डरों के 69 पद भरने का निर्णय लिया। कारागार विभाग में सोलन जिले के उप-कारागार नालागढ़ (किशनपुरा) में विभिन्न श्रेणियों के 20 पद भरने को भी स्वीकृति प्रदान की।
हिमाचल कैबिनेट बैठक में अंशकालिक पंचायत चौकीदारों के मासिक मानदेय को 6200 से बढ़ाकर 6700 रुपए करने का निर्णय लिया, जो 1 अप्रैल, 2023 से प्रभावी होगा। इससे 3226 पंचायत चौकीदार लाभान्वित होंगे। इसके अतिरिक्त पंचायतीराज संस्थाओं के चयनित प्रतिनिधियों के मानदेय में वृद्धि करने का निर्णय भी लिया।
कैबिनेट की बैठक में पावर डैवल्पर्ज से राज्य में विभिन्न ऊर्जा परियोजनाओं पर जल उपकर लगाने के बारे में चर्चा के लिए सचिव, ऊर्जा, की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने का निर्णय लिया। इस कमेटी में जल शक्ति विभाग, वित्त विभाग और विधि विभाग के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
कांगड़ा ज़िला के ज्वालामुखी और फतेहपुर तथा हमीरपुर ज़िला के भोरंज में प्राथमिक स्तर तक राजीव गांधी राजकीय मॉडल डे-बोर्डिंग स्कूल खोलने के लिए निर्माण गतिविधियां आरंभ करने की अनुमति प्रदान की। प्रदेश में 13 स्थानों पर ऐसे स्कूलों का निर्माण शुरू करने के लिए कैबिनेट ने पहले ही मंजूरी दे दी है।
कैबिनेट ने किरतपुर-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बिलासपुर जिला के भघेड़, मण्डी जिला के नेरचौक और कुल्लू जिला के भुंतर में हाईवे-सह-पर्यटक पुलिस थाने खोलने तथा इन थानों को क्रियाशील करने के लिए विभिन्न श्रेणियों के आवश्यक पदों को सृजित करने तथा भरने की अनुमति प्रदान की। बैठक के दौरान वर्ष 2023-24 के लिए बार की समयावधि दोपहर 12 बजे से प्रातः एक बजे तक निर्धारित करने को स्वीकृति प्रदान की गई।
कैबिनेट ने रोजगार अवसर प्रदान करने के लिए प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में कागज रहित पंजीकरण प्रणाली आरंभ करने को भी मंजूरी प्रदान की। जिला शिमला के राजकीय महाविद्यालय धामी में विभिन्न श्रेणियों के आवश्यक पदों के सृजन तथा भरने सहित मेडिकल तथा नॉन मेडिकल
देश के विभिन्न हिस्सों में उत्कृष्टता के 16 केंद्र स्थापित
नई दिल्ली।सीबीएसई (CBSE) ने बोर्ड से संबद्ध सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों के सतत व्यावसायिक विकास के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। ऐसे शिक्षकों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सलाह देने के लिए सीबीएसई द्वारा एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। इसके बाद, इस बात पर सहमति बनी है कि अप्रैल, 2023 की शुरुआत में सीबीएसई (CBSE) से संबद्ध सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप स्कूलों के शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिश के अनुसार प्रत्येक स्कूल को कम से कम 50 घंटे के सतत व्यावसायिक विकास (सीपीडी) में अपने सभी शिक्षकों की भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए। जैसा कि सीबीएसई (CBSE) उप-नियमों में भी अनिवार्य है, प्रत्येक शिक्षक से एक वर्ष में बोर्ड द्वारा आयोजित कम से कम 25 घंटे के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने की अपेक्षा की जाती है। शेष अन्य स्रोतों से संबंधित राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों द्वारा व्यवस्थित किया जाता है।
सीबीएसई ने सभी सीबीएसई (CBSE) संबद्ध स्कूलों के शिक्षकों के सेवाकालीन प्रशिक्षण पर ध्यान देने के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में उत्कृष्टता के 16 केंद्र स्थापित किए हैं। सीओई दो श्रेणियों के तहत प्रशिक्षण आयोजित करते हैं। सामान्य और विषय विशिष्ट। कक्षा X और XII के विषयों के साथ संरेखित 23 प्रशिक्षण पाठ्यक्रम हैं, जबकि किशोर शिक्षा कार्यक्रम, कला एकीकरण, समावेशी शिक्षा, हैप्पी क्लासरूम, साइबर सुरक्षा और सुरक्षा और अन्य से लेकर 22 सामान्य पाठ्यक्रम हैं।
हाल ही में लद्दाख यूटी में 124 माध्यमिक और वरिष्ठ माध्यमिक सरकारी स्कूलों को सीबीएसई (CBSE) से संबद्ध किया गया है। आंध्र प्रदेश के 1000 सरकारी स्कूल भी सीबीएसई के दायरे में आ गए हैं। जैसा कि अधिक से अधिक सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, सार्वजनिक निजी भागीदारी वाले स्कूल सीबीएसई से संबद्ध हो जाते हैं, बोर्ड के लिए यह अनिवार्य है कि वह संबंधित राज्य केंद्रशासित प्रदेश के संबंधित शिक्षा विभागों के सहयोग से विशेष प्रशिक्षण देकर इन स्कूलों में शिक्षकों को इस संक्रमण काल के माध्यम से संभाले। .
प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश/निकाय प्रशिक्षण के लिए अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के साथ अप्रैल से मार्च तक एक केंद्रीकृत वार्षिक प्रशिक्षण कैलेंडर विकसित करेगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक सरकारी शिक्षक को बोर्ड/राज्य सरकार या सरकारी/क्षेत्रीय शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा आयोजित न्यूनतम 25 घंटे का प्रशिक्षण प्राप्त हो और शेष 25 घंटे के सीपीडी की व्यवस्था स्कूल द्वारा ही की जाएगी। शिक्षक प्रशिक्षण के सभी तौर-तरीकों को राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझेदारी में अंतिम रूप दिया गया है, जो सीबीएसई प्रशिक्षण पोर्टल पर अपने सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और पीपीपी स्कूलों से शिक्षक प्रशिक्षण के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करवाएंगे।
शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने सीएम कार्यालय में तीन अधिकारियों को ट्रांसफर से जुड़ी जिम्मेदारी सौंप दी है। ये तीनों अधिकारी IAS, HAS, शिक्षकों और अन्य विभागों के कर्मचारियों के तबादलों से जुड़े मामले देखेंगे। इसके लिए आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।
इसमें IAS अधिकारी एवं मुख्यमंत्री के विशेष सचिव गृह व सतर्कता तथा निदेशक विजिलेंस राजेश्वर गोयल IAS और HAS अधिकारियों के तबादलों से संबंधित मामलों को देखेंगे। मुख्यमंत्री के OSD एवं सेवानिवृत्त IAS अधिकारी गोपाल शर्मा शिक्षा विभाग से संबंधित मामलों को देखेंगे।
IAS अधिकारी और मुख्यमंत्री से विशेष निजी सचिव और विशेष सचिव विवेक भाटिया IAS और HAS अधिकारियों और शिक्षा विभाग के तबादलों के अलावा अन्य मामलों को देखेंगे। इस वर्किंग से जहां फाइलों का निपटारा जल्द हो सकेगा, वहीं ट्रांसफर से संबंधित कामकाज में पारदर्शिता आएगी।
सरकार के इस फैसले से लोगों को भी काफी सहूलियत मिलेगी। खासकर उनको जिन्हें ट्रांसफर के सिलसिले में बार-बार सचिवालय आना पड़ता है। सरकार द्वारा संबंधित अधिकारियों को ट्रांसफर से जुड़े मामलों का बंटवारा करने के बाद कर्मचारियों और अधिकारियों को सहूलियत होगी और उनके ट्रांसफर से जुड़े मामलों का निपटारा जल्दी हो सकेगा।
इससे पहले मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव ट्रांसफर से जुड़े मामलों को देखते थे। उनके काम की व्यस्तता के चलते कई बार ट्रांसफर से जुड़े मामलों में अधिक समय लग जाता था। इससे कर्मचारियों और अधिकारियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। सरकार के इस कदम से काफी लोगों को सहायता मिलने वाली है।