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शरीर की सारी नसें पलभर में खोल देगा ये घरेलु उपाय, माइग्रेन में भी मिलेगी राहत

आज के समय में कई तरह की बीमारियों से लोग परेशान रहते हैं। इनमें से एक है नसों में दर्द। बहुत से लोगों को हाथ–पैर में होने वाली झनझनाहट की समस्या होती है या कमर, गर्दन व रीड़ की हड्डी (मणके) में कोई नस दबी या अकड़ जाती है। इन सब समस्याओं के लिए डॉक्टर के पास जाने से पहले अगर कुछ घरेलु उपाय कर लिया जाए तो आराम मिल सकता है।

इसके लिए आपको ज्यादा सामान की जरूरत भी नहीं है। आपको चाहिए सिर्फ कपूर और नींबू। जी हां, सिर्फ इन दो चीजों से आपका दर्द गायब हो सकता है। कैसे, ये आपको बताते हैं विस्तार से …

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दिन में सिर्फ एक बार यह साधारण सा घरेलु उपाय करके देखिए, सिर के बाल से पैर की उंगली तक सारी नसें मुक्त होने का आपको स्पष्ट अनुभव होगा। सिर से पैर तक एक तरह से करंट का अनुभव होगा, आपके शरीर की नसें मुक्त होने का स्पष्ट अनुभव होगा।

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हाथ-पैर में होने वाली झनझनाहट (खाली चढ़ना) तुरंत बंद हो जाती है। पुराना घुटनों का दर्द और कमर, गर्दन या रीड की हड्डी (मणके) में कोई नस दबी या अकड़ गई है तो वह पूरी तरह से ठीक हो जाएगी, पुराना एड़ी का दर्द भी ठीक हो जाएगा।

इस उपाय से बहुत से लोगों के लाखों रुपए बच सकते हैं। साथ ही इस उपाय का फायदा ये है कि इससे पैर में फटी एड़ियां और डेड स्किन रिमूव हो जाती है और आपके पैर भी कोमल हो जाते हैं।

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इस तरह करें ये घरेलु उपाय –

इस उपाय को करने के लिए डेढ़ से दो लीटर गुनगुना पानी लें, जिसका तापमान पैर को सहन होने जितना गरम हो, उसमें आधे नींबू का रस निचोड़े और फिर नींबू को भी उस पानी में डाल दें। दूसरी चीज कपूर है-कोई भी कपूर हो।

कपूर की तीन गोलियां बारीक पीस कर उसका पाउडर बना लें, यह भी उस पानी में मिला लें, फिर पांच से दस मिनट तक पैरों को इस पानी में डाल कर रखें। जैसे ही आप पैरों को पानी में डालेंगे, तो आपको इससे सिर से पैर तक एक तरह से करंट का अनुभव होगा।

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आपके सिर के बालों से पैर तक की सारी नसें मुक्त होने का स्पष्ट रूप से अनुभव होगा। इसका कारण यह है कि हमारे पैरों में 172 प्रकार के प्रेशर पॉइंट होते हैं, जो हमारे शरीर की सभी नसों के साथ जुड़े होते हैं।

यह नींबू और कपूर वाला गुनगुना पानी इन 172 प्रकार के प्रेशर पॉइंट्स को मुक्त कर देता है और इससे शरीर की सारी नसें एकदम से री एक्टिवेट हो जाती हैं और पूरी तरह से मुक्त हो जाती हैं, ऐसा अनुभव होता है।

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इस उपाय में सिर्फ पांच से दस मिनट तक इस पानी में पैर डाल कर रखने हैं और यह दिन में कभी भी सुबह या शाम को कर सकते हैं। इससे हाथ, पैर में होने वाली झनझनाहट (खाली चढ़ना) बंद हो जाती हैं और कोई नस दबी या अकड़ गई हो तो वह खुल जाएगी और सिरदर्द भी इस उपाय से बंद हो जाता है।

जिन लोगों को माइग्रेन की तकलीफ हो वह भी पानी में पैर रखने के साथ ही बंद हो जाएगी। अगर स्नायु अकड़ गए हों या शरीर दर्द कर रहा हो तो यह उपाय करके देखिए।

इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है और यह उपाय सरल रूप से किया जा सकता है। यह उपाय पांच दिन करना है। यह उपाय देखने में सरल लगता है लेकिन इसका रिजल्ट बहुत ही अच्छा और असरदार होता है।

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क्या आपकी हड्डियों से आती है कट-कट की आवाज … जानें इसके पीछे की वजह

मेडिकल भाषा में इसे कहा जाता है क्रेपिटस

ऐसा शायद बहुत से लोगों के साथ होता होगा कि कभी कभी अचानक चलने, उठने और बैठने से घुटनों, कूल्हे और कोहनी की हड्डियों से कट-कट की आवाज आती है। बहुत से लोगों को लगता है कि इस प्रकार की आवाज आने का मतलब है कि हड्डियां कमजोर हो चुकी हैं।

कई बार लोग इसे जोड़ों से जुड़ा रोग भी समझ लेते हैं। आज हम इसी बारे में विस्तार से बात करने वाले हैं। हम आपको बताते हैं कि हड्डियों में आने वाली इस तरह के आवाज का क्या मतलब है और इसके क्या नुकसान हैं।

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जोड़ों से आने वाली कट-कट की आवाज को मेडिकल भाषा में “क्रेपिटस” कहा जाता है। क्रेपिटस सामान्य लोगों के जोड़ों को हिलाने-डुलाने पर आने वाली ध्वनि का मेडिकल नाम है।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जोड़ों के भीतर रहने वाले द्रव में हवा के छोटे बुलबुले फूटते हैं। इन्हीं बुलबुलों के फूटने से यह आवाज पैदा होती है।

कई बार जोड़ों के बाहर मौजूद मांसपेशियों के टेंडन या लिगामेंट्स की रगड़ से भी आवाज सुनाई देती है। जोड़ों में हल्की चटकने की आवाज आना ऑस्टियोआर्थराइटिस का संकेत हो सकता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस एक तरह का गठिया रोग है, जिसमें हड्डियों के सिरों पर लचीले ऊतकों की संख्या कम हो जाती है।

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घुटनों के जोड़ों पर मौजूद कार्टिलेज धीरे-धीरे खत्म हो जाता है। जैसे ही क्षतिग्रस्त घुटने का जोड़ गति करता है इससे टूटने या चटकने जैसी आवाजें आती हैं, जिसे घुटने की चरचराहट कहते हैं। यह आवाजें घुटने में अक्सर होती हैं और आमतौर पर दर्द नहीं देतीं।

हालांकि, अगर किसी बच्चे या किशोरावस्था में हड्डियों से कट-कट की आवाज आ रही है और उसकी हड्डियों में कोई दर्द या परेशानी का अनुभव नहीं हो रहा है तो परेशानी की कोई बात नहीं है। इसका मतलब यह नहीं कि बच्च्चे की हड्डियां कमजोर हैं या उसके शरीर में कैल्शियम की कमी है।

हड्डियों से कट-कट की आवाज आने का मतलब है कि उसकी हड्डियों में वायु अधिक है। इस वजह से हड्डियों के जोड़ों में एयर बबल्स बनते हैं और टूटते हैं। जिसकी वजह से हड्डियों से कट-कट की आवाज आती है।

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इसके लिए आप कुछ देसी इलाज कर सकते हैं जैसे कि …

मेथी के दाने का सेवन

अगर आपको अक्सर यह समस्या होती है, तो यह गठिया का या हड्डियों के जोड़ों में लुब्रिकेंट की कमी का संकेत हो सकते हैं। इसलिए इससे समय पर राहत पाना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप कई घरेलू उपाय ट्राई कर सकते हैं।

इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए रात को आधा चम्मच मेथी दाना पानी में भिगो दें और सुबह मेथी दानों को चबा-चबा कर खाएं। उसके बाद पानी पी लें। इससे हड्डियों के बीच एयर बबल्स की समस्या खत्म हो सकती है।

सोंठ वाला दूध पीना शुरू करें

कई बार आवाज आने के मतलब हड्डियों के जोड़ों में लुब्रिकेंट की कमी का संकेत हो सकता है। अक्सर देखा जाता है कि ज्यादा उम्र के लोगों की हड्डियों से कट-कट की आवाज आती है और दर्द होता है।

इससे छुटकारा पाने के लिए और कैल्शियम की पूर्ति के लिए एक गिलास दूध में एक चौथाई चम्मच सौंठ डालकर उबालें ओर उसमे थोड़ी सी हल्दी मिलाकर हल्का कुनकुना रहने पर इसका सेवन करें।

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ताजा दही और शहद का सेवन

इसके अलावा एक कटोरी ताजा दही में एक चम्मच शहद मिलाकर लगातार एक महीने तक सेवन करने से हड्डियां फौलाद की तरह मजबूत और सख्त हो जाती हैं।

फिजिकल एक्टिविटी करें

फिजिकल एक्टिविटीज में बिजी रहने से इससे बचा जा सकता है। यदि आप ज्यादा बैठे रहते हैं या एक ही स्थिति में बहुत अधिक खड़े होते हैं, तो आप अकड़ सकते हैं और आपके जोड़ों में आवाज आ सकती है। घूमने के लिए बार-बार ब्रेक लें। यदि आप पूरे दिन डेस्क पर बैठते हैं तो कम से कम हर आधे घंटे में उठने का लक्ष्य रखें।

स्ट्रेचिंग और एक्सरसाइज करें

इससे बचने का एक अन्य उपाय स्ट्रेचिंग है। इससे आपके जोड़ों को चिकना करने में मदद मिल सकती है। आपको रोजाना हल्की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करनी चाहिए।

हेल्दी एंड फिट रहने के लिए प्रति सप्ताह 150 मिनट एक्सरसाइज करने का प्रयास करें। ऐसी गतिविधियां चुनें जो आपकी उम्र और जीवन शैली के अनुकूल हों। कोई भी शारीरिक गतिविधि, जैसे घर का काम, बागवानी, या छोटी सैर आपके व्यायाम दिनचर्या का हिस्सा हो सकती है।

नोट- घरेलु उपाय काम न आने पर डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

 

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नींबू ही नहीं इसका छिलका भी है बड़े काम का, जानिए कैसे करें इस्तेमाल

नींबू का इस्तेमाल यूं तो हर मौसम में किया जाता है लेकिन गर्मियों में तो इसकी जरूरत और भी ज्यादा हो जाती है। नींबू का रस जितना फायदेमंद होता है उतना ही लाभकारी होता है इसका छिलका। जी हां वहीं छिलका जिसको आप निचोड़ कर फेंक देते हैं।

नींबू के छिलके में पोटैशियम, कैल्शियम, विटामिन सी पाया जाता है जो बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। नींबू के छिलके से आप स्क्रब बना सकते हैं। निचोड़े हुए नींबू के छिलकों को फेंकें नहीं, इन्हें ऐसे इस्तेमाल करें। हम आपको बताते हैं कि आप किस तरह नींबू और इसके छिलके का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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इससे पहले एक जरूरी बात जान लें। नींबू के रस से विटामिन सी का लाभ लेने के लिए आपको एक बात का खास ध्यान रखना होगा। अगर आपने स्टोर करके फ्रिज में रखा है आपको उसके अन्य गुण मिलेंगे, जैसे हाजमा अच्छा रहेगा, शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन होगा, लेकिन आपको उसमें विटामिन सी नहीं मिलेगा। नींबू के रस का पूरा लाभ पाने के लिए उसे निकालकर तुरंत पी जाएं तभी आपको उसमें मौजूद विटामिन सी का पूरा फायदा मिलेगा।

स्क्रब की तरह करें इस्तेमाल : नींबू के छिलके के अंदर शक्कर और कॉफी डालें। इसे चेहरे पर हल्के हाथों से स्क्रब की तरह लगाएं। 10 मिनट बाद धो लें। इस स्क्रब का इस्तेमाल चेहरे के अलावा हाथ-पैर के लिए भी कर सकती हैं। स्किन टैनिंग की समस्या का ये आसान उपाय है।

हैंड लोशन बनाएं : नींबू को हैंड लोशन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। नींबू को गुलाब जल में मिलाकर हाथों की स्किन पर मलें। खुरदरे हाथों के लिए दानेदार चीनी और एक नींबू का रस मिलाकर हाथों से तब तक रगड़ें जब तक कि चीनी घुल न जाए। फिर पानी से धो लें। नियमित रूप से करेंगे तो यह त्वचा की बनावट में सुधार करने में मदद करेगा।

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ड्राई स्किन के लिए बनाएं उबटन : कई लोगों की स्किन इतनी ड्राई होती है कि गर्मियों में भी उन्हें स्किन की नमी बनाए रखने के लिए अलग से ब्यूटी प्रोडक्ट खरीदने पड़ते हैं। यदि आपकी स्किन भी बहुत ड्राई है तो आप त्वचा पर घर पर बना उबटन लगाएं। इसके लिए एक अंडा, एक बड़ा चम्मच नारियल का तेल, एक नींबू का रस और दो बड़े चम्मच एलोवेरा जेल को अच्छी तरह मिलाएं। चेहरे और बाहों पर लगाएं। 15 मिनट बाद धो लें।

ऑयली स्किन वाले करें ये उपाय : ऑयली स्किन के लिए भी नींबू का रस फायेदेमंद है। एक टेबल स्पून गुलाब जल में 2-3 बूंद नींबू का रस मिलाकर रूई से चेहरे पर लगाएं। ऐसा करने से स्किन का एक्स्ट्रा ऑयल निकल जाता है और स्किन चिपचिपी नहीं दिखती। इससे स्किन की चमक भी बढ़ती है।

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मॉइस्चराइज की तरह करें इस्तेमाल : नींबू के रस में शहद मिलाकर रोजाना चेहरे पर लगा सकते हैं। शहद त्वचा को मॉइस्चराइज करता है, इसके नियमित उपयोग से स्किन का रंग हल्का हो जाता है।

बालों के लिए भी फायदेमंद : नींबू का इस्तेमाल बालों को धोने के लिए भी किया जा सकता है। आप एक मग पानी में नींबू का रस मिलाएं, बालों में शैम्पू के बाद आखिर में इस पानी से बालों को धो लें। इसके अलावा आप इसे ‘चाय के पानी’ में भी मिला सकते हैं। उपयोग की गई चाय की पत्तियों को पानी में उबालें और ठंडा कर लें। इसमें एक नींबू का रस मिलाएं। शैम्पू के बाद आखिर में इस पानी से बाल धोएं। इससे बालों की चमक बढ़ती है।

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रंगों से बिंदास खेलें होली, बालों को बचाने के लिए अपनाएं ये टिप्स

स्किन और बालों के लिए खतरनाक हो सकते हैं रंग

हमारे देश में होली यानी रंगों का त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। होली के दिन से कुछ दिन पहले ही लोग एक-दूसरे रंग लगाना शुरू कर देते हैं। रंगों के साथ होली खेलने के लिए तो सभी उत्सुक रहते हैं लेकिन रंगों को लेकर डर भी बना रहता है।

रंग अच्छे ना हों तो स्किन और बालों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं। खासकर लड़कियों को ये चिंता सताती है कि होली के रंग कहीं उनके बालों को खराब न कर दें। रंगों से होली खेलने के बाद बालों को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। इसके लिए हम आपको कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं। ये टिप्स लड़की हो या लड़का दोनों के लिए ही कारगर साबित होंगे …

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बालों में लगाएं तेल

होली खेलने से पहले बालों में तेल लगाने से रंग बालों में प्रवेश नहीं कर पाता और जब आप बालों के रंग को होली के बाद धो रहे होते हैं, तो बाल नहीं टूटते। इससे बचने के लिए स्कैल्प की अच्छी तरह मालिश करें। मालिश करने के लिए नारियल तेल या जैतून के तेल का उपयोग करें। इससे बालों पर एक परत चढ़ जाती है, जो बालों को सुरक्षा प्रदान करती है।

होली से पहले बालों को धोएं

होली वाले दिन सुबह बालों में तेल लगाने से पहले उनका धुला हुआ होना काफी जरूरी है। इसके लिए आप बालों को एक रात पहले अच्छे से धो सकते हैं। ऐसा करने से बालों को काफी सुरक्षा मिलेगी। अगर एक रात पहले बाल धो रहे हैं, तो एक रात पहले बालों को धोएं और कंडीशन करें। होली खेलने जाने से पहले लीव-इन कंडीशनर भी लगा सकते हैं।

बालों के सिरों को कटवा लें

होली के लिए अपने बालों की देखभाल करने के लिए सबसे पहले बालों के सिरों को कटवा लें। दरअसल, सिंथेटिक रंग आपके बालों को रूखा बना सकते हैं और दोमुंहे बालों का कारण बन सकते हैं इसलिए होली के कुछ दिन पहले बालों के सिरों को कटवा लें, ताकि उनकी अच्छी से देखभाल कर सकें।

बालों को ढक कर रखें

एक बार जब आप अपने बालों में तेल लगा लें, तो उसके बाद बालों को ढकना सबसे अच्छा उपाय है। बालों को ढकने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप सिर पर स्कार्फ बांध सकते हैं या फिर कैप लगा सकते हैं। महिलाएं भी बालों को खुला रखने से बचें, इसके बजाय बालों का बन बनाकर रखें और टाइट पोनीटेल बनाएं। इससे सिर में रंग नहीं जाएगा।

डीप कंडीशनर करें

कंडीशनर बालों को अधिक सुरक्षा प्रदान करते हैं इसलिए शुरुआत में ही बालों को कंडीशनर करना न भूलें। कंडीशनर को अपने बालों पर कम से कम 10 मिनट तक लगा रहने दें, लेकिन ध्यान रखें कि कंडीशनर बालों की जड़ों में न लगे। 10 मिनट बाद बालों को धो लें। इसके बाद बालों को अच्छे से सुखा लें।

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ऐसे लोग भूलकर भी ना करें अमरूद का सेवन, वरना सेहत को पड़ जाएगा भारी

अमरूद के सिर्फ फायदे ही नहीं नुकसान भी हैं

नई दिल्ली। अमरूद तो आपने खाया ही होगा। अमरूद स्वाद और सेहत के लिहाज से काफी फायदेमंद होता है। इसके साथ ही इसमें अनेक पोषक तत्वों का भंडार होता है और इस वजह से यह कई बीमारियों से शरीर की रक्षा करता है। यानी कुल मिलाकर अमरूद किसी चमत्कारी फल से कम नहीं है।

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सिर्फ यही नहीं, अमरूद के पत्ते भी सेहत के लिए लाभदायक होते हैं। ये भी कई बीमारियों से शरीर को बचाने में सक्षम हैं, क्योंकि इन पत्तों में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे गुण पाए जाते हैं।

लेकिन, बहुत कम लोगों को पता होगा कि इसके कुछ नुकसान भी हैं। अमरूद को कुछ बीमारियों में तो बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। तो चलिए जानते हैं उनके बारे में ताकि आप अब से ही सावधान हो जाएं…

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इन लोगों को नहीं करना चाहिए अमरूद का सेवन
  • जिन लोगों को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की समस्या है उन्हें इसका सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए. अगर आपको अमरूद खाने के बाद उल्टी या पेट दर्द महसूस होता है तो वह इसे खाने से परहेज करें।
  • वहीं, जो लोग एक्जिमा जैसी बीमारी से पीड़ित हैं उन्हें भी इससे परहेज करना चाहिए। इससे त्वचा में जलन हो सकती है. इसके पत्तों का इस्तेमाल अर्क के रूप में बिल्कुल ना करें.
  • वहीं, जिन लोगों की सर्जरी होने वाली हो किसी तरह की उन्हें दो हफ्ते पहले से सेवन बंद कर देना चाहिए. इससे ब्लड सर्कुलेशन में परेशानी आ सकती है।
  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिला को भी अमरूद नहीं खाना चाहिए. साथ ही जिन लोगों को सर्दी जुकाम उन्हें भी अमरूद का सेवन नहीं करना चाहिए. इसकी तासीर ठंडी होती है जो सर्दी को ट्रिगर कर सकती है।
  • शुगर के मरीजों को भी इसका सेवन कम करना चाहिए. अगर खाते भी हैं तो ब्लड शुगर अपना जरूर चेक करवाएं, तो अब से सावधानी बरतनी चाहिए।
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सर्दियों में कब्ज और तनाव से रहना चाहते दूर तो करें यह ट्राई

सर्दियों का मौसम आ गया है। शरीर को बाहर से तो गर्म कपड़े पहनकर गर्म रख सकते हैं पर अंदर से भी शरीर गर्म रखना जरूरी होता है। ऐसे में सर्दियों में गर्म प्रकृति के फूड को खाने में शामिल करना चाहिए। ऐसे ही एक आसानी से मिलने वाले फूड के बारे में हम आपको बताते हैं। जी हां यह है तिल। तिल के बारे आप सब लोग जानते होंगे।

कई लोग तिल की चटनी का प्रयोग भी करते हैं। क्या आपको पता है कि तिल के बीजों में औषधीय गुण होते हैं। यह कई तरह की बीमारियों के लिए संजीवनी का काम करते हैं। हालांकि, सामान्य जानकारी के लिए हम यह बता रहे हैं। ज्यादा जानकारी के लिए डॉक्टर से ही संपर्क करें।

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तिल के बीज प्रोटीन, स्वस्थ वसा के भरपूर होते हैं। इन बीजों में पिनोरेसिनॉल पाचन एंजाइम माल्टेस की क्रिया को रोकता है। ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है। बहुत लोग कब्ज और खराब पाचन से परेशान रहते हैं। कब्ज कई रोगों की जड़ है। खराब पाचन या कब्ज में तिल के बीजों का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।

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तिल के बीज एंग्जायटी को कम करने वाले प्रभाव के साथ एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल्स को दूर करते हैं। इससे दिमाग तनाव से मुक्त रहता है। तिल का सेवन कैसे कर सकते हैं, हम आपको बताते हैं। इसका सेवन कच्चे या सूखे रूप में किया जा सकता है। भुने हुए स्नैक्स के रूप में प्रयोग हो सकता है। गुड के साथ मिलाकर भी इसे खाया जाता है। आजकल तिल वाली रेवड़ियां, गचक और लड्डू आदि भी बाजार में मिलते हैं। लोग इन्हें खाते हैं।

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सावधान ! ठंड से बचने को जलाते हैं अंगीठी तो इन बातों का रखें ध्यान

सर्दियों का मौसम शुरू हो गया है। ठंड से बचने के लिए लोग की तरह की चीजों का सहारा लेते हैं। कुछ लोग हीटर, ब्लोअर आदि का प्रयोग करते हैं तो कुछ लोग अंगीठी या अलाव जलाते हैं। ये चीजें ठंड से तो बचाती हैं लेकिन कहीं न कहीं सेहत के लिए हानिकारक भी होती हैं। इनका प्रयोग करते समय सावधानी बरतना बेहद जरूरी है वरना ये जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अंगीठी का उपयोग ज्यादा करते हैं, लेकिन यह बात ध्यान में रखना बेहद जरूरी है कि बंद कमरे में अंगीठी जलाना हानिकारक है। जानकारी के अभाव में कई बंद कमरे के अंदर लोग अंगीठी जलाकर सो जाते हैं जो कि बड़े हादसे को न्योता देने जैसा है। ऐसा ही मामला सामने आया है शिमला जिला के कुमारसैन के शिलाजान गांव में।
यहां गैस लगने से दो लोगों की मौत हो गई है और सात बेहोश हुए हैं। इन लोगों ने ठंड से बचने के लिए लोहे की बाल्टी में लकड़ियों से आग जलाई थी। पर एक गलती कर बैठे कि रात को बाल्टी कमरे में ही रहने दी और सो गए।
सुबह बड़ी मुश्किल से दो मजदूरों ने दरवाजा खोला तो पाया कि सभी बेहोश थे। सभी को सीएचसी कोटगढ़ ले जाया गया। अस्पताल में सिरमौर जिला के चाड़ना निवासी रमेश (22) और सुनील (21) की मौत हो गई। बबाई बलीच गांल श्री रेणुका जी के विनोद, अनिल, कुलदीप, राजेन्द्र चौहान, राहुल, कुलदीप व यशपाल को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है।
किस तरह जानलेवा है कोयले की गैस जानिए –
बता दें कि बंद कमरे में लकड़ी या कोयले की अंगीठी को जलाने से ऑक्सीजन का स्तर घटता है। इसके साथ ही कमरे में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है, जो सीधे मनुष्य के दिमाग पर असर डालता है। दिमाग पर कार्बन मोनोऑक्साइड का असर पूरे शरीर में होता है और सोया हुआ इंसान बेहोश हो जाता है।
बंद कमरे में अंगीठी को रखा जाता है तो कार्बन मोनोऑक्साइड सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचता है। इसके फेफड़ों तक पहुंचने के बाद ये सीधा खून में मिल जाता है, जिससे हीमोग्लोबिन का लेवल घट जाता है और इंसान की मौत हो जाती है।
अंगीठी से निकलने वाली गैस सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं बल्कि आंखों को भी नुकसान पहुंचाती है। अंगीठी के सामने बैठने से आंसुओं की परत सूख जाती है। ठंड दूर भगाने को अंगीठी के बजाय मैकेनिकल हीटर आदि का प्रयोग ज्यादा उपयुक्त है। हालांकि रात में सोते समय इसे बंद करना भी नहीं भूलना चाहिए।
अंगीठी जलाते कुछ सावधानियां बरत सकते हैं जैसे –
  • सर्दियों में अगर आप अंगीठी का इस्तेमाल कर रहे हैं तो कभी भी कमरे को पूरी तरह से बंद न करें। कमरे की खिड़की को हमेशा खुला रखें।
  • अंगीठी जलाकर उसके आसपास ना सोएं।
  • कमरे में अंगीठी जलाते वक्त हमेशा एक बाल्टी पानी भरकर किनारे जरूर रखें।
  • जमीन पर सोने से बचें। अंगीठी के आसपास किसी भी तरह का प्लास्टिक का सामान, केमिकल, कपड़े आदि रखने से बचें।
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