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शारदीय नवरात्र शुरू होने से पहले घर से निकाल दें ये चीजें वरना नाराज हो जाएंगी मां दुर्गा

शारदीय नवरात्र की शुरुआत जल्द होने वाली है। इस वर्ष शारदीय नवरात्र की शुरुआत 15 अक्टूबर (रविवार) से हो रही है। यदि आप माता रानी की कृपा पाना चाहते हैं तो नवरात्र के शुरू होने से पहले अपने घर से कुछ चीजों को निकाल फेंके, क्योंकि ये चीजें घर में नकारात्मकता लाती हैं।

ऐसी कौन की पांच चीजें हैं जो आपको नवरात्र से पहले घर से बाहर करनी है उनके बारे में आपको बताते हैं विस्तार से ….

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कटी-फटी धार्मिक पुस्तकें करें प्रवाहित

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में कभी भी कटी-फटी धार्मिक पुस्तकें नहीं रखनी चाहिए। यदि कोई धार्मिक पुस्तक फट गई है, तो उसे नवरात्र से पहले बहते जल में प्रवाहित कर दें।

घर से बाहर करें खंडित मूर्तियां

सबसे पहले आपको घर से बाहर करनी है खंडित मूर्तियां। घर में किसी भी भगवान की खंडित मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। इसे शुभ नहीं माना जाता है। अगर आपके घर में खंडित मूर्तियां हैं तो शारदीय नवरात्र के शुरू होने से पहले घर से इसको निकाल कर किसी पवित्र नदी में बहा देना चाहिए।

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बंद घड़ी रोके तरक्की

घर में बंद घड़ी रखने से परिवार के लोगों की तरक्की रुक जाती है और घर में नकारात्मकता बढ़ जाती है। इसलिए घर में बंद पड़ी घड़ी और अन्य फालतू सामान को नवरात्र शुरू होने से पहले हटा दें।

टूटा हुआ कांच लाए गरीबी

टूटा हुआ कांच या फिर इससे बनी चीजें रखने से घर में नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है, जिसके कारण आर्थिक स्थिति कमजोर होने लगती है। इसलिए नवरात्र शुरू होने से पहले घर से कांच की टूटी हुई चीजें निकाल दें।

पुराने जूते-चप्पल को निकालें

अगर आपके घर में पुराने जूते चप्पल पड़े हैं, जिनका इस्तेमाल आप नहीं करते हैं उन्हें नवरात्र शुरू होने से पहले घर से निकाल दें। वास्तु जानकारों के अनुसार घर में पुराने जूते, चप्पल रखने से नकारात्मक ऊर्जा आती है।

 

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माता चिंतपूर्णी मंदिर नवरात्र मेले : बिना पंजीकरण दर्शन की नहीं होगी अनुमति

15 से 25 अक्टूबर तक लागू रहेगी धारा 144

ऊना। जिला दंडाधिकारी ऊना महेंद्र पाल गुर्जर ने आदेश जारी करते हुए कहा कि माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर में असूज नवरात्र मेलों के चलते कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला ऊना में 15 अक्टूबर से 25 अक्टूबर, 2023 तक धारा 144 लागू रहेगी।

उन्होंने बताया कि इस दौरान कानून एवं व्यवस्था में तैनात जवानों को छोड़कर किसी भी व्यक्ति द्वारा आग्नेय अस्त्र लेकर चलने पर पूर्ण पाबंदी रहेगी।

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महेंद्र पाल गुर्जर ने बताया कि नवरात्र के दौरान ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए मंदिर न्यास को छोड़कर अन्यों द्वारा लाऊड स्पीकर के इस्तेमाल करने पर पूर्ण मनाही रहेगी।

इसके अतिरिक्त ब्रास बैंड, ड्रम, लंबे चिमटे आदि के लाने पर भी पूर्ण पाबंदी रहेगी। यदि कोई व्यक्ति इन वस्तुओं को अपने साथ लाता है तो उन्हें पुलिस द्वारा स्थापित बैरियर पर ही जमा करवाना होगा। साथ ही इस दौरान पॉलीथीन के इस्तेमाल पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।

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जिला दंडाधिकारी ने कहा कि खुले में और सड़क किनारे लंगर लगाने पर भी प्रतिबंध रहेगा और आतिशबाजी इत्यादि की भी अनुमति नहीं होगी। मेलावधि के दौरान पर्ची काउंटर पर   बिना पंजीकरण माता श्री चिंतपूर्णी के दर्शन करने की अनुमति नहीं होगी।

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पितृपक्ष 2023 शुरू : श्राद्ध के दौरान ध्यान रखें कुछ बातें, क्या करें-क्या न करें जानें

इस साल के पितृपक्ष की शुरुआत 29 सितंबर यानी आज से हो गई है और इसका समापन 14 अक्टूबर (शनिवार) को सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा। पितृ पक्ष के 16 दिन की अवधि में पूर्वजों का निमित्त पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किया जाता है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध करने से जीवन में आने वाली बाधाएं परेशानियां दूर होती हैं और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

देव पूजा से पहले जातक को अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए। पितरों के प्रसन्न होने पर देवता भी प्रसन्न होते हैं। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में जीवित रहते हुए घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान और मृत्योपरांत श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। इसके पीछे यह मान्यता भी है कि यदि विधिनुसार पितरों का तर्पण न किया जाये तो उन्हें मुक्ति नहीं मिलती और उनकी आत्मा मृत्युलोक में भटकती रहती है।

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यह माना जाता है कि इन 16 दिन की अवधि के दौरान सभी पूर्वज अपने परिजनों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंड दान किया जाता है। इन अनुष्ठानों को करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे किसी व्यक्ति के पूर्वजों को उनके इष्ट लोकों को पार करने में मदद मिलती है। वहीं, जो लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान नहीं करते हैं उन्हें पितृ ऋण और पितृ दोष सहना पड़ता है।

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श्राद्ध पक्ष के दौरान यदि आप अपने पितरों का श्राद्ध कर रहे हैं तो इन बातों के बारे में खास ध्यान रखना चाहिए –

शास्त्रों के अनुसार बड़े पुत्र और सबसे छोटे पुत्र को श्राद्ध करने का अधिकार है। इसके अलावा विशेष परिस्थिति में किसी भी पुत्र को श्राद्ध करने का अधिकार है।
पितरों का श्राद्ध करने से पूर्व स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
कुश घास से बनी अंगूठी पहनें। इसका उपयोग पूर्वजों का आह्वान करने के लिए किया जाता है।
पिंडदान के एक भाग के रूप में जौ के आटे, तिल और चावल से बने गोलाकार पिंड को भेंट करें।
शास्त्र सम्मत मान्यता यही है कि किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण द्वारा ही श्राद्ध कर्म (पिंडदान, तर्पण) करवाना चाहिए।
श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है।
इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए।

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श्राद्ध पक्ष के दौरान न करें ये काम –

शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
इस दौरान कोई वाहन या नया सामान न खरीदें।
इसके अलावा, मांसाहारी भोजन का सेवन बिलकुल न करें। श्राद्ध कर्म के दौरान आप जनेऊ पहनते हैं तो पिंडदान के दौरान उसे बाएं की जगह दाएं कंधे पर रखें।
श्राद्ध कर्मकांड करने वाले व्यक्ति को अपने नाखून नहीं काटने चाहिए। इसके अलावा उसे दाढ़ी या बाल भी नहीं कटवाने चाहिए।
तंबाकू, धूम्रपान सिगरेट या शराब का सेवन न करें। इस तरह के बुरे व्यवहार में लिप्त न हों। यह श्राद्ध कर्म करने के फलदायक परिणाम को बाधित करता है।
यदि संभव हो तो 16 दिन के लिए घर में चप्पल न पहनें।
ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के पखवाड़े में पितृ किसी भी रूप में आपके घर में आते हैं। इसलिए, इस पखवाड़े में, किसी भी पशु या इंसान का  अनादर नहीं किया जाना चाहिए। बल्कि, आपके दरवाजे पर आने वाले किसी भी प्राणी को भोजन दिया जाना चाहिए और आदर सत्कार करना चाहिए।
पितृ पक्ष में श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
पितृ पक्ष में कुछ चीजों को खाना मना है, जैसे- चना, दाल, जीरा, काला नमक, लौकी और खीरा, सरसों का साग आदि नहीं खाना चाहिए।
अनुष्ठान के लिए लोहे के बर्तन का उपयोग न करें। इसके बजाय अपने पूर्वजों को खुश करने के लिए सोने, चांदी, तांबे या पीतल के बर्तन का उपयोग  करें।
यदि किसी विशेष स्थान पर श्राद्ध कर्म किया जाता है तो यह विशेष फल देता है। कहा जाता है कि गया, प्रयाग, बद्रीनाथ में श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। जो किसी भी कारण से इन पवित्र तीर्थों पर श्राद्ध कर्म नहीं कर सकते हैं वे अपने घर के आंगन में किसी भी पवित्र स्थान पर तर्पण और पिंड दान कर सकते हैं।
श्राद्ध कर्म के लिए काले तिल का उपयोग करना चाहिए। पिंडदान करते वक्त तुलसी जरूर रखें।
श्राद्ध कर्म शाम, रात, सुबह या अंधेरे के दौरान नहीं किया जाना चाहिए।
पितृ पक्ष में, गायों, कुत्तों, चींटियों और ब्राह्मणों को यथासंभव भोजन कराना चाहिए।
इस प्रकार विधि विधान से श्राद्ध पूजा कर जातक पितृ ऋण से मुक्ति पा लेता है व श्राद्ध पक्ष में किए गए उनके श्राद्ध से पितृ प्रसन्न होते हैं व आपके घर परिवार व जीवन में सुख-समृद्धि होने का आशीर्वाद देते हैं।

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कांगड़ा : श्री चामुंडा मंदिर में पहले नवरात्र से शुरू होगी प्राकृतिक फूलों की बिक्री

परिसर में गेंदे के फूल की नर्सरी लगाने की शुरुआत की गई

धर्मशाला। कांगड़ा जिला के प्रमुख शक्तिपीठों को प्लास्टिक मुक्त बनाया जाएगा। इसके लिए प्रारंभिक तौर पर चामुंडा मंदिर में प्राकृतिक वस्तुओं, फूलों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस से लेकर नवरात्र तक विशेष जागरूकता अभियान आरंभ किया गया है।

डीसी डॉ निपुण जिंदल ने बताया कि चामुंडा मंदिर में पहले नवरात्र 15 अक्तूबर को प्राकृतिक फूलों की बिक्री के लिए कैनोपी युक्त विक्रय केंद्र की भी शुरूआत की जाएगी, ताकि श्रद्धालुओं को प्राकृतिक फूलों के उपयोग के लिए प्रेरित किया जा सके। डॉ निपुण जिंदल ने कहा कि उन्होंने मंदिर परिसर में गेंदे के फूल की नर्सरी लगाने की शुरुआत भी गई है।

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डीसी ने कहा कि श्री चामुंडा माता मंदिर से शुरू किए गए प्लास्टिक मुक्त मंदिर परिसर अभियान के तहत मंदिरों में रखे प्लास्टिक फूलों को असली फूलों से बदला जाएगा। उन्होंने कहा कि श्री चामुंडा मंदिर से शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट को क्रमवार जिले के सभी बड़े मंदिरों में लागू किया जाएगा।

डीसी डॉ निपुण जिंदल ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण अत्यंत जरूरी है तथा इस दिशा में आस्था के केंद्र मंदिरों से शुरूआत की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक फूलों के उपयोग से एक ओर जहां पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। वहीं फूलों की खेती से स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।

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डॉ निपुण जिंदल ने कहा कि मंदिर में उपयोग किए जाने वाले फूलों को एकत्रित कर धूप, गुलाल सहित विभिन्न उत्पाद भी तैयार किए जाएंगे। इसमें भी युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि आईएचबीटी पालमपुर के साथ भी इस दिशा में कार्य योजना तैयार की जा रही है।

पर्यावरण संरक्षण में आम जनमानस की सहभागिता जरूरी है तथा इस दिशा में मंदिरों के साथ साथ अपने आसपास भी प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण का सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है, अगर पर्यावरण साफ और स्वच्छ होगा तो उससे स्वास्थ्य भी बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान तथा भविष्य की आने वाली पीढ़ियों की भलाई के लिए पर्यावरण की रक्षा करना सभी नागरिकों का दायित्व है।

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कुल्लू दशहरा 24 अक्टूबर से, शिमला में हुई हाई लेवल मीटिंग-कर्टन रेजर जारी

विश्व भर से 18 से 20 देश के सांस्कृतिक दल बुलाए

शिमला। अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा 24 अक्टूबर से लेकर 30 अक्टूबर 2023 तक मनाया जाएगा। दशहरे पर्व को आकर्षक बनाने के लिए विश्व भर से 18 से 20 देश के सांस्कृतिक दल बुलाए गए हैं। ये दल कुल्लू दशहरा में अपनी प्रस्तुतियां देंगे। देव समागम के इस महोत्सव को लेकर शिमला में हाई लेवल बैठक आयोजित की गई।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कल शिमला से अमृतसर के लिए होंगे रवाना

कुल्लू दशहरा को लेकर आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू , डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री सहित आला अफसर मौजूद रहे। इस दौरान कुल्लू दशहरा का “कर्टन रेजर” भी जारी किया गया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि आपदा से हिमाचल को भारी नुकसान हुआ है, जिसमें कुल्लू जिला में भी ज्यादा नुकसान हुआ है।

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आपदा से पर्यटन क्षेत्र भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कुल्लू दशहरा पर्यटन को वापस पटरी पर लाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। क्योंकि प्रदेश आपदा से उभर चुका है। पर्यटक अब कुल्लू सहित प्रदेश में बिना डर के घूमने के लिए आ सकते हैं।

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मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को उत्सव के लिए क्षेत्र में निर्बाध परिवहन सुविधा सुनिश्चित करने के दृष्टिगत मंडी-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग की मरम्मत कार्य युद्ध स्तर पर पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बरसात के दौरान प्रदेश विशेषकर कुल्लू जिले में पर्यटन क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

उन्होंने कहा कि इसके बावजूद आपदा के दौरान जिला प्रशासन, विभिन्न विभागों, संगठनों एवं लोगों द्वारा राहत एवं पुनर्वास कार्यों के लिए दिया गया योगदान प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि हिमाचल एक बार फिर पर्यटकों का स्वागत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है और आगामी कुल्लू दशहरा उत्सव इस संबंध में एक मील पत्थर साबित होगा।

पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहन प्रदान करने में दशहरा उत्सव की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव वास्तव में एक वैश्विक कार्यक्रम बनने के लिए तैयार है।

विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दलों के साथ-साथ रूस, इजराइल, रोमानिया, कजाकिस्तान, क्रोएशिया, वियतनाम, ताइवान, थाईलैंड, पनामा, ईरान, मालदीव, मलेशिया, कीनिया, दक्षिण सूडान, जाम्बिया, घाना और इथियोपिया सहित 19 देशों के प्रतिभागी उत्सव में एक विविध और अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक झलक दिखाएंगे।

उन्होंने कहा कि उत्सव में 25 अक्टूबर को सांस्कृतिक परेड और 30 अक्टूबर को कुल्लू कार्निवल का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही 13 विभाग क्षेत्र की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए पैगोड़ा टेंट में प्रदर्शनियां लगाएंगे। मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभागियों और उपस्थित लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

इसके अलावा, उन्होंने सांस्कृतिक एवं लोक परंपराओं को संरक्षित करने के लिए उत्सव के दौरान पारंपरिक खेलों और स्थानीय लोक कलाकारों को बढ़ावा देने के महत्व पर बल दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मेले और त्यौहार राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और इसके प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि कुल्लू दशहरा धार्मिक मान्यताओं और सांस्कृतिक मूल्यों का वैश्विक प्रतीक है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने वर्चुअल माध्यम से कुल्लू विधानसभा क्षेत्र के लिए 12 करोड़ रुपये की कई विकासात्ममक परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया। जिसमें कुल्लू में 5.49 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित चार मंजिला बहुउद्देशीय उपायुक्त कार्यालय का भवन शामिल है।

इस भवन में दो सम्मेलन कक्ष सहित विभिन्न कमरे और पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री ने ढालपुर में उभरती खेल प्रतिभाओं के लिए 3 करोड़ रुपये से निर्मित इंडोर बैडमिंटन हॉल का उद्घाटन तथा कुल्लू में 3.51 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित महिला पुलिस स्टेशन भी जनता को समर्पित किया।

 

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मणिमहेश यात्रा : इस बार एक साथ शुरू होगा डल तोड़ने और राधाष्टमी शाही स्नान का शुभ मुहूर्त

21 की बजाय 22 सितंबर को शुरू होगा राधाष्टमी शाही स्नान

चंबा। पवित्र मणिमहेश यात्रा का राधाष्टमी शाही स्नान 21 की बजाय 22 सितंबर को शुरू होगा। शाही स्नान दोपहर 1:36 बजे शुरू होगा और अगले दिन यानी 23 सितंबर 12:18 बजे तक चलेगा। इसे लेकर संचुई में मणिमहेश चेला कमेटी की बैठक हुई जिसमें पवित्र शाही स्नान से लेकर मणिमहेश प्रस्थान की रूपरेखा तैयार की गई।

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इस बैठक की अध्यक्षता कमेटी के अध्यक्ष धर्म सिंह ने की। इसमें निर्णय लिया कि संचूई गांव से त्रिलोचन महादेव की छड़ी 19 सितंबर को त्रिलोचन महादेव मंदिर संचुई से चौरासी के लिए रवाना होगी। यह छड़ी दो दिन तक चौरासी परिसर पर ठहरेगी। वहां मणिमहेश जाने वाले श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया जाएगा।

छड़ी 21 सितंबर को त्रिलोचन महादेव मंदिर संचुई गांव से सुबह 9:00 बजे मणिमहेश के लिए प्रस्थान करेगी। इसमे पहले चौरासी मंदिर और पालधा गांव में कार्तिक स्वामी मंदिर की परिक्रमा के बाद रात को हड़सर शिव मंदिर पर रुकेगी।

ऊना : सिक्योरिटी गार्ड, सुपरवाइजर व एचआर के 180 पदों के लिए होंगे साक्षात्कार 

22 सितंबर को तड़के 2:00 बजे प्रस्थान करने के बाद उसी दिन 6:00 बजे धन्छौ में कार्तिक स्वामी की जातर निकाली जाएगी। आधे घंटे के बाद धन्छौ से भैरोघाटी के लिए प्रस्थान करेगी।

करीब 9:30 बजे भैरोघाटी में प्रसाद ग्रहण किया जाएगा। इसके बाद गौरी कुंड मंदिर और शिवकरोतरी की परिक्रमा के बाद छड़ी 12:00 बजे के करीब डल झील पहुंचेगी। उसी दिन 1:00 बजे डल झील को पार करने की रस्म अदा की जाएगी। शिव चेले डल झील पर राधाष्टमी तक आने वाले शिव भक्तों को आशीर्वाद देंगे।

निगुलसरी में NH05 बंद : वाया काजा-लोसर-कोकसर जा रहा किन्नौर का मटर और सेब

इस बार मणिमहेश यात्रा में डल तोड़ने के साथ राधाष्टमी शाही स्नान का शुभ मुहूर्त एक साथ शुरू होगा। हर बार डल तोड़ने के अगले दिन तड़के स्नान का शुभ मुहूर्त शुरू होता है।

इस बार लंबे समय के बाद शाही स्नान और डल तोड़ने का संयोग एक साथ बना है। ऐसे में शिव भक्त शिव के वंशज चेलों के साथ डल झील तोड़ने के साथ शाही स्नान भी कर पाएंगे।

औट टनल में बड़ा हादसा : HRTC बस, टैंपो और बाइक में टक्कर, दो घायल

22 सितंबर को दोपहर 1:36 बजे राधाष्टमी का शाही स्नान शुरू होगा। इस शुभ मुहूर्त में शिव के चेले डल झील को भी तोड़ेंगे। मणिमहेश यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु शिव के चेलों को डल झील तोड़ते वक्त देखने के लिए उनके साथ यात्रा पर जाते थे। कई बार श्रद्धालु डल तोड़ने के बाद शाही स्नान शुभ मुहूर्त में नहीं कर पाते थे क्योंकि डल तोड़ने के अगले दिन शुभ मुहूर्त होता था।

शिव चेलों को शिव भक्त अपने कंधों पर उठाकर डल तोड़ने की रस्म निभाते हैं। जिस डल झील के बीच में जाने से श्रद्धालु कतराते हैं। उसको शिव के चेले चंद मिनटों में चलकर पार करते हैं।

उस समय ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे भोलेनाथ इन चेलों को अपने हाथ पर उठाकर डल झील पार करवा रहे हों। इस नजारे को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

 

HP Cabinet : हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग की स्थापना करने का निर्णय

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नूरपुर : सत्संग में गई महिला के घर हुई थी चोरी, मुकेरियां के रहने वाले तीन लोग धरे

 

किन्रौर : निगुलसरी में चट्टानों को काट कर NH-05 बहाल करने की कवायद जारी

बिलासपुर : छत पर खेल रहा था सात साल का मासूम, अचानक फिसला पैर और …

 

चंबा : सिक्योरिटी गार्ड के 100 पदों पर भर्ती, 20 सितंबर से कैंपस इंटरव्यू

जॉब अलर्ट ऊना : फील्ड अप्रिंटिस व एन्टरप्रेन्योर डेवलपमेंट ऑफिसर के पदों पर भर्ती

 

कांगड़ा : गुम्मर से रजोल मार्ग वाहनों की आवाजाही के लिए बंद-आदेश जारी 

 

प्रियंका गांधी बोलीं- यह न देखें हिमाचल में सरकार किसकी, खुलकर मदद करे केंद्र सरकार

 

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13 सितंबर 2023 का राशिफल : आज क्या कहती है आपकी राशि, पढ़ें

मेष राशि के जातक आज अपने परिवार की खुशियों और जिम्मेदारियों का पूरा ध्यान रखेंगे और अपने आस-पास के लोगों को प्रसन्न करने की कोशिश करेगे। ऊर्जा आज इनके अंदर जबरदस्त रहने वाली है जिसका लाभ इनको अपने कार्यक्षेत्र के साथ ही पारिवारिक जीवन में मिलने वाला है। सामाजिक क्षेत्र में आपको प्रतिष्ठा मिलेगी। आज आप अपने साथी के कोई गिफ्ट ले सकते हैं। किसी शुभ और मांगलिक कार्य में आपके शामिल होने का योग भी आज दिख रहा है। क्रोध को कंट्रोल में रखें।

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वृषभ राशि के जातकों के लिए दिन आज का मिलाजुला रहेगा। माता पिता और घर के वरिष्ठजनों से आपको मार्गदर्शन और लाभ प्राप्त होगा। अगर आज आप कोई नया काम शुरू करना चाहते हैं तो इसके लिए समय अनुकूल है, आपको प्रयास करना चाहिए। राजनीति से जुड़े जातकों को अपने विरोधियों और प्रतिद्वंद्वियों से सतर्क रहना चाहिए। छात्रों के लिए दिन अच्छा, शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति करेंगे। परिवार के साथ मनोरंजक पल बिताएंगे।

मिथुन राशि के लिए आज का दिन शुभ मंगलकारी रहेगा। आपकी राशि के स्वामी बुध के साथ चंद्रमा का बनने वाला शुभ योग आपको बुद्धि और विवेक से लाभ दिलाएगा। भाई-बहनों के साथ किसी तरह का कोई मनमुटाव चल रहा है, तो वह भी आज समाप्त हो जाएगा। संतान पक्ष से कोई शुभ समाचार मिल सकता है। बच्चों के साथ आपका बेहतर तालमेल भी आज देखने को मिलेगा। कारोबार में आज मिथुन राशि के जातकों को बुद्धि और चतुराई से लाभ मिलेगा। आपके लिए सलाह है कि सामाजिक क्षेत्र में अपनी पहचान का दायरा बढ़ाएं और किसी भी अनैतिक कार्य से दूर रहें।

कर्क राशि के जातकों लिए आज का दिन आनंददायक रहने वाला है। राशि स्वामी चंद्रमा का सूर्य और बुध के साथ में होना आपको कारोबार और व्यापार में लाभ दिलाएगा। आज आप अकाउंट और राजनीतिक क्षेत्र से संबंधित कार्य करने वाले जातकों को लाभ मिलेगा और इनके प्रभाव में वृद्धि होगी। पारिवारिक जीवन में आज आपको बहनों और पिता की ओर से लाभ और सहयोग मिल सकता है। विवाह की बात चल रही है तो बात आगे बढ़ सकती है। किसी शुभ कार्य में आज धन खर्च कर सकते हैं।

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सिंह राशि के जातकों के लिए आज 13 सितंबर का दिन बेहद ही उत्साहवर्धक रहेगा लेकिन मन को संयमित रखकर महत्वपूर्ण फैसला लेना होगा नहीं तो परेशानी होगी। वैसे आज आपके सितारे बताते हैं कि आप आज अधिक कल्पनाशील रहेंगे और अपने कार्यों में रचनात्मकता लाने की कोशिश करेंगे। आर्थिक मामलों में दिन अच्छा रहेगा। कारोबार में आज आपको लाभ का मौका मिलेगा। कोई नई डील आज फाइनल हो सकती है। सलाह है कि कर्ज और लोन लेना चाह रहे हैं तो आज इससे आपको बचना चाहिए। किसी सगे संबंधी से आपको कोई प्रतिकूल खबर मिलने से मन निराश होगा।

कन्या राशि के जातकों के लिए आज का दिन कुछ उलझन और तनाव वाला रहेगा। आज आपको अपने कार्यक्षेत्र में बेहद ही संजीदगी से काम करना होगा। मन में कई तरह की नकारात्मक बातें आएंगी मानसिक उलझन में आपको गलत निर्णय ले सकते हैं। बेहतर होगा कि कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय आज अनुभवी लोगों की सलाह से लें। आर्थिक मामलों में आज आपको जोखिम लेने से बचना चाहिए। कहीं से धन वापस नहीं मिल पाने से परेशान होंगे। वैवाहिक जीवन में जीवनसाथी की सेहत को लेकर परेशानी होगी, आपस में कहासुनी भी संभव है।

आज का दिन तुला राशि के जातकों के लिए सामान्य रूप से अच्छा रहेगा। आपको आज परिवार में जीवनसाथी का साथ सहयोग मिलेगा। लेकिन आपको आज अपने विरोधियों और शत्रुओं से सावधान रहना चाहिए। कुछ लोग पीठ पीछे आपके बुराई और शिकायत कर सकते हैं, लेकिन आपको इन पर ध्यान नहीं देना है। बिजनस में आज आपको मेहनत और कार्यकुशलता का लाभ मिेलेगा। किसी को उधार दिया हुआ धन आपको वापस मिल सकता है। आपको आज गैर जरूरी खर्चों पर नियंत्रण रखना चाहिए।

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वृश्चिक राशि के लिए आज सितारे कहते हैं कि आपको आज कार्यक्षेत्र में अपने आपको साबित करना होगा। काम अधिक दबाव रह सकता है लेकिन अच्छी बात यह रहेगी कि आपकी बुद्धि आज खूब चलेगी और सहकर्मियों एवं सहयोगियों से मदद भी पाएंगे जिससे आपका काम समय पर पूरा हो जाएगा और आप राहत की सांस लेंगे। कारोबार में आज आपको वाणी और व्यवहार कुशलता का फायदा मिलेगा। रेडीमेड कपड़ों और शौक श्रृंगार की चीजों का कारोबार करने वाले जातक अच्छा मुनाफा कमाएंगे। रक्षा और खेल जगत से जुड़े जातकों के लिए भी दिन अच्छा रहेगा।

आज आपके भाग्य स्थान में तीन ग्रहों का संयोग होना आपके लिए शुभ फलदायी रहेगा। आपका सामाजिक कद आज बढेगा। कोई सरकारी काम आपका अटक रहा है तो आज आपको प्रयास करना चाहिए सफलता मिलेगी। नौकरी में आज आपको अधिकारी वर्ग से प्रोत्साहन और सहयोग मिल सकता है। आर्थिक मामलों में आपको आज किसी से उधार लेन देन करने से बचना चाहिए। माता पिता की सेहत को लेकर चिंता हो सकती है इनका ध्यान रखें।

मकर राशि के लिए आज सितारे कहते हैं कि आपको आज किसी विवाद मामलों से राहत मिल सकती है। लेकिन आज आपके आपके ख़र्चे ज़्यादा होंगे। रोजगार प्राप्ति की दिशा में काम कर रहे लोगों को आज सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। आज आपको जीवनसाथी का भरपूर सहयोग और सानिध्य प्राप्त होगा। विद्यार्थी आज अपने भविष्य को लेकर कोई विशेष निर्णय लेंगे, जिसमें उन्हें अपने पिता का सहयोग प्राप्त होगा। नौकरी में आज आपको अपनी वाणी और व्यवहार को संयमित रखना चाहिए नहीं तो किसी बात को लेकर आपके वरिष्ठजन आपसे नाराज हो सकते हैं।

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कुंभ राशि के लिए आज सितारे कहते हें कि आपका आज अपने जीवनसाथी के साथ बेहतर तालमेल बना रहेगा। आज कारोबार में साझेदारों और सहयोगियों के आपकी अच्छी ट्यूनिंग रहेगी। नौकरीपेशा लोगों को आज कार्यक्षेत्र मे महिला मित्र से सहयोग प्राप्त होगा और किसी कार्य में सफलता पाएंगे। आप अपने व्यापार के लिए कोई नई योजना चलाना चाहते हैं तो इस कार्य के लिए आज का दिन अच्छा रहेगा। यदि भाइयों के साथ कोई विवाद चल रहा था तो वह आज सुलझ सकता है। शाम के समय आज आप अपने दोस्तों के साथ किसी सामाजिक समारोह में शामिल हो सकते हैं।

मीन राशि के लिए आज का राशिफल बता रहा है कि यदि आप अपने व्यवसाय में और नए कार्यों में निवेश करने के लिए धन खर्च करेंगे तो आपको निश्चित रूप से इसका भरपूर लाभ भविष्य में मिलेगा। लेकिन आज आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना होगा। खानपान और जीवनशैली को संयमित रखना आपके लिए लाभकारी होगा। आज लव लाइफ में प्रेमी के साथ आपका तालमेल बना रहेगा। अगर आप नौकरी बदलने की सोच रहे हैं तो उसके लिए दिन अच्छा है, प्रयास कर सकते हैं। जान पहचान का आपको लाभ मिल सकता है।

 

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गृहस्थ लोग 6 तो वैष्णव संप्रदाय के लोग 7 सितंबर को मनाएंगे जन्माष्टमी

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। जन्माष्टमी के निर्धारण में रोहिणी नक्षत्र का भी ध्यान रखते हैं। क्योंकि भगवान कृष्ण का प्राकट्य रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।

इस साल जन्माष्टमी की तारीख को लेकर भी बहुत असमंजस है। 6 सितंबर और 7 सितंबर को जन्माष्टमी का त्योहार होने की बात की जा रही है।  आखिर जन्माष्टमी की सही तिथि क्या है आपको बताते हैं …

 

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इस बार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 38 मिनट आरंभ होगी और इसका समापन 7 सितंबर को शाम में 04 बजकर 14 मिनट पर होगा। इस दौरान रोहिणी नक्षत्र पूरी रात्रि विद्यमान रहेगा। ज्योतिषविदों की मानें तो इस साल गृहस्थ लोग 6 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे और वैष्णव संप्रदाय के लोग 7 सितंबर को जन्माष्टमी का त्योहार मनाएंगे।

जन्माष्टमी की पूजा के श्रेष्ठ मुहूर्त की बात करें तो यह 6 सितंबर को रात 11 बजकर 56 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। जन्माष्टमी पर सामान्यतः: बाल कृष्ण की मूर्ति स्थापित होती है। पर आप अपनी मनोकामना के आधार पर श्री कृष्ण की मूर्ति जिस स्वरूप को चाहें स्थापित कर सकते हैं।
प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए राधा कृष्ण, संतान के लिए बाल कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर सकते हैं। इसके अलावा धन प्राप्ति के लिए कामधेनु गाय के साथ विराजमान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं।

ऐसे करें  जन्माष्टमी की पूजा

जन्माष्टमी की सुबह स्नान करके व्रत, पूजा का संकल्प लें। जलाहार या फलाहार ग्रहण करें और सात्विक रहें। मध्य रात्रि को भगवान श्री कृष्ण की धातु की प्रतिमा को किसी पात्र में रखें।प्रतिमा को पंचामृत स्नान करवाएं।  प्रतिभा को दूध, दही, शहद व शक्कर और घी से स्नान कराएं।

यह ध्यान रखें कि पहले दूध, फिर दही, फिर शहद, शक्कर और आखिर में घी से स्नान करवाएं। इसके बाद कान्हा को जल से स्नान कराएं। ध्यान रखें कि अर्पित की जाने वाली चीजें शंख में डालकर ही अर्पित करें। एक बात का और भी ध्यान रखें कि पूजा करने वाला व्यक्ति इस दिन काले या सफेद वस्त्र धारण ना करे। मनोकामना के अनुसार मंत्र जाप करें। प्रसाद ग्रहण करें और दूसरों में भी बांटें।

हिमाचल का श्री बृजराज स्वामी मंदिर : यहां एक साथ विराजमान हैं श्री कृष्ण और मीरा
वैसे तो भगवान कृष्ण का नाम ही एक महामंत्र है। इसका भी जप किया जा सकता है। इसके अलावा “हरे कृष्ण” महामंत्र का भी जप कर सकते हैं। जीवन में प्रेम और आनंद के लिए “मधुराष्टक” का पाठ करें।

अपनी समस्त कामनाओं को पूर्ण करने के लिए “गोपाल सहस्त्रनाम” का पाठ भी कर सकते हैं। श्री कृष्ण को गुरु रूप में प्राप्त करने के लिए श्रीमद्भागवत गीता का पाठ कर सकते हैं‌।

 

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हिमाचल का श्री बृजराज स्वामी मंदिर : यहां एक साथ विराजमान हैं श्री कृष्ण और मीरा

कांगड़ा जिला का नूरपुर शहर में स्थित है मंदिर

ऋषि महाजन/नूरपुर। भक्त कैसा हो और भक्ति कैसी होनी चाहिए इसका उत्तम उदाहरण हैं मीराबाई। श्री कृष्ण की अपार भक्त मीरा बाई को प्रेम व आस्था का संगम माना जाता है। आज भी लोग उनके त्याग और भक्ति भाव का गुणगान करते हैं। हिमाचल के कांगड़ा जिला के नूरपुर शहर में इस प्रेम व आस्था के संगम का प्रतीक एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसमें श्री कृष्ण और मीरा एक साथ विराजमान हैं।

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कांगड़ा जिला का नूरपुर शहर प्राचीन काल में धमड़ी नाम से जाना जाता था। बेगम नूरजहां के यहां आने के बाद शहर का नाम नूरपुर पड़ा। यहां पर राजा जगत सिंह का किला विद्यमान है। इस किले के अंदर श्री बृज राज स्वामी तथा काली माता मंदिर है।

जानकार बताते हैं कि नूरपुर स्थित श्री बृजराज स्वामी मंदिर विश्व में एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां कृष्ण व मीरा की मूर्तियां एक साथ हैं। रजवाड़ाशाही में दरबार-ए-खास (जहां राजा का दरबार सजता था) और विश्व के हजारों राधा-कृष्ण के मंदिरों में से यही एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान श्रीकृष्ण व मीरा की साक्षात मूर्तियां एक साथ स्थापित हैं।

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सौंदर्य से परिपूर्ण एक टीलेनुमा जगह पर स्थित यह नगर कभी राजपूत राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। इस मंदिर के इतिहास के साथ एक रोचक कथा जुड़ी है।

1619 से 1623 ई. में नूरपुर के राजा जगत सिंह अपने राज पुरोहित के साथ चित्तौड़गढ़ के राजा के निमंत्रण पर वहां गए। राजा जगत सिंह व उनके राज पुरोहित को रात्रि विश्राम के लिए महल में स्थान दिया गया। उसके साथ एक मंदिर था, जहां रात के समय राजा को उस मंदिर से घुंघरुओं तथा संगीत की आवाजें सुनाई दीं।

राजा ने जब मंदिर में झांक कर देखा तो उस कमरे में श्रीकृष्ण जी की मूर्ति के सामने एक उनकी एक अनन्य भक्त भजन गाते हुए नाच रही थी। राजा ने सारी बात अपने राज पुरोहित को सुनाई।

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राज पुरोहित ने राजा जगत सिंह को चितौड़गढ़ से घर वापसी पर राजा से इन मूर्तियों को उपहार स्वरूप मांग लेने का सुझाव दिया, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण व मीरा की यह मूर्तियां साक्षात हैं। चितौड़गढ़ के राजा ने भी खुशी-खुशी मूर्तियां व मौलश्री का एक पेड़ राजा जगत सिंह को उपहार स्वरूप दे दिया।

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तदोपरांत नूरपुर के राजा ने अपने दरबार-ए-खास को मंदिर का स्वरूप देकर इन मूर्तियों को वहां पर स्थापित करवा दिया। राजस्थानी शैली की काले संगमरमर से बनी भगवान श्रीकृष्ण व अष्टधातु से बनी मीरा की मूर्ति आज भी नूरपुर किले के अंदर ऐतिहासिक श्री बृज राज स्वामी मंदिर में शोभायमान है। इसके अतिरिक्त मंदिर की भित्तिकाओं पर राजा द्वारा करवाए गए कृष्ण लीलाओं के चित्रण आज भी दर्शनीय हैं।

यहां पर हिमाचल प्रदेश के श्रद्धालुओं के अलावा सीमांत राज्य पंजाब, हरियाणा व जम्मू-कश्मीर तथा अन्य राज्यों से भी हजारों की संख्या में लोग सारा साल मंदिर में शीश झुकाते हैं। प्रेम व आस्था के संगम के प्रतीक इस मंदिर का नूर जन्माष्टमी को छलक उठता है जब यहां पर दिन-रात श्रद्धालुओं की भारी भीड़ श्री कृष्ण तथा मीरा के दर्शन करने के लिए उमड़ती है।

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श्रावण अष्टमी मेले : हिमाचल के शक्तिपीठों में ये रहेगा आरती का समय

कांगड़ा। श्रावण अष्टमी मेले गुरुवार यानी आज से शुरू हो गए हैं। हिमाचल के पांच प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री बज्रेश्वरी देवी, श्री ज्वालामुखी, श्री नैना देवी, श्री चामुंडा देवी तथा श्री छिन्नमस्तिका धाम चिंतपूर्णी सज गए हैं। शक्तिपीठों में माता रानी के स्नान, श्रृंगार व आरती का अलग-अलग समय तय किया गया है।

श्रावण अष्टमी मेले के दौरान श्री छिन्नमस्तिका धाम चिंतपूर्णी श्रद्धालुओं के लिए 24 घंटे खुला रहेगा। सुबह चार बजे मइयों के स्नान के बाद शृंगार किया जाएगा और माता रानी को आरती के साथ भोग लगाया जाएगा। इसके बाद दोपहर 12 से साढ़े 12 बजे तक मंदिर बंद रहेगा।

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श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर, कांगड़ा में सुबह चार से रात नौ बजे तक मंदिर खुला रहेगा। सुबह पांच बजे में मईया का स्नान, श्रृंगार व आरती के साथ चना-पूरी, मेवे व दुध का भोग मां को लगाया जाएगा।

इसके अलावा श्री ज्वालामुखी मंदिर सुबह चार बजे खुलेगा और रात 10 बजे बंद होगा। ज्वाला मां की सुबह चार से बजे तक बजे स्नान व श्रृंगार के बाद आरती होगी। दोपहर 12 से साढ़े 12 बजे तक माता रानी को आरती के साथ खीर व चावल का भोग लगेगा। शाम सात से आठ बजे तक माता को आरती के साथ पूरी-चने का भोग लगेगा। सातवीं, अष्टमी और नवमीं के दिन सारी रात मंदिर मइया के दर्शनों के लिए खुला रहेगा।

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चामुंडा देवी मंदिर में सावन अष्टमी मेलों में मंदिर सुबह पांच बजे खुलेगा और रात को 10 बजे तक बंद होगा। सुबह मां को हलवा और चने का भोग लगेगा, उसके आद दोपहर 12 बजे मां को मां को दाल और चावल सब्जी का भोग लगेगा।

वहीं, श्री नैना देवी मंदिर बिलासपुर में रात 12 से दो बजे तक बंद किया जाएगा। इन दो घंटों में माता रानी का स्नान और श्रृंगार के बाद एक साथ चार आरतियां की जाएंगी। मंदिर में दोपहर 12 से साढ़े 12 बजे और शाम को माता रानी को विशेष भोग लगाए जाएंगे।

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