चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। देवी ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप और नौ शक्तियों में से दूसरी शक्ति हैं। मां दुर्गा का यह स्वरूप ज्योर्तिमय है।
ब्रह्मा की इच्छाशक्ति और तपस्विनी का आचरण करने वाली ब्रह्मचारिणी माता त्याग की प्रतिमूर्ति हैं। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है। साथ ही कुंडली में मंगल ग्रह से जुड़े सारे दोषों से मुक्ति मिल जाती है।
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देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप है। ब्रह्म का मतलब तपस्या होता है वहीं चारिणी का मतलब आचरण करने वाली।
इस तरह ब्रह्माचारिणी का अर्थ है- तप का आचरण करने वाली देवी। मां ब्रह्माचारिणी के दाहिने हाथ में मंत्र जपने की माला और बाएं में कमंडल है।
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से सभी कार्य पूरे होते हैं, रुकावटें दूर होती हैं और विजय की प्राप्ति होती है।
इसके अलावा जीवन से हर तरह की परेशानियां भी खत्म होती हैं। आइए जानते हैं क्या है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, बीज मंत्र और आरती ….
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मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
- सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर लें।
- पूजा के लिए सबसे पहले आसन बिछाएं फिर उस आसन पर बैठकर मां की पूजा करें।
- माता को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं।
- ब्रह्मचारिणी मां को भोगस्वरूप पंचामृत चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं।
- इसके साथ ही माता को पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें।
- इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें और फिर आरती करें।
देवी ब्रह्माचारिणी बीज मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
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मां ब्रह्मचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।