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गृहस्थ लोग 6 तो वैष्णव संप्रदाय के लोग 7 सितंबर को मनाएंगे जन्माष्टमी

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। जन्माष्टमी के निर्धारण में रोहिणी नक्षत्र का भी ध्यान रखते हैं। क्योंकि भगवान कृष्ण का प्राकट्य रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।

इस साल जन्माष्टमी की तारीख को लेकर भी बहुत असमंजस है। 6 सितंबर और 7 सितंबर को जन्माष्टमी का त्योहार होने की बात की जा रही है।  आखिर जन्माष्टमी की सही तिथि क्या है आपको बताते हैं …

 

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इस बार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 38 मिनट आरंभ होगी और इसका समापन 7 सितंबर को शाम में 04 बजकर 14 मिनट पर होगा। इस दौरान रोहिणी नक्षत्र पूरी रात्रि विद्यमान रहेगा। ज्योतिषविदों की मानें तो इस साल गृहस्थ लोग 6 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे और वैष्णव संप्रदाय के लोग 7 सितंबर को जन्माष्टमी का त्योहार मनाएंगे।

जन्माष्टमी की पूजा के श्रेष्ठ मुहूर्त की बात करें तो यह 6 सितंबर को रात 11 बजकर 56 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। जन्माष्टमी पर सामान्यतः: बाल कृष्ण की मूर्ति स्थापित होती है। पर आप अपनी मनोकामना के आधार पर श्री कृष्ण की मूर्ति जिस स्वरूप को चाहें स्थापित कर सकते हैं।
प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए राधा कृष्ण, संतान के लिए बाल कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर सकते हैं। इसके अलावा धन प्राप्ति के लिए कामधेनु गाय के साथ विराजमान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं।

ऐसे करें  जन्माष्टमी की पूजा

जन्माष्टमी की सुबह स्नान करके व्रत, पूजा का संकल्प लें। जलाहार या फलाहार ग्रहण करें और सात्विक रहें। मध्य रात्रि को भगवान श्री कृष्ण की धातु की प्रतिमा को किसी पात्र में रखें।प्रतिमा को पंचामृत स्नान करवाएं।  प्रतिभा को दूध, दही, शहद व शक्कर और घी से स्नान कराएं।

यह ध्यान रखें कि पहले दूध, फिर दही, फिर शहद, शक्कर और आखिर में घी से स्नान करवाएं। इसके बाद कान्हा को जल से स्नान कराएं। ध्यान रखें कि अर्पित की जाने वाली चीजें शंख में डालकर ही अर्पित करें। एक बात का और भी ध्यान रखें कि पूजा करने वाला व्यक्ति इस दिन काले या सफेद वस्त्र धारण ना करे। मनोकामना के अनुसार मंत्र जाप करें। प्रसाद ग्रहण करें और दूसरों में भी बांटें।

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वैसे तो भगवान कृष्ण का नाम ही एक महामंत्र है। इसका भी जप किया जा सकता है। इसके अलावा “हरे कृष्ण” महामंत्र का भी जप कर सकते हैं। जीवन में प्रेम और आनंद के लिए “मधुराष्टक” का पाठ करें।

अपनी समस्त कामनाओं को पूर्ण करने के लिए “गोपाल सहस्त्रनाम” का पाठ भी कर सकते हैं। श्री कृष्ण को गुरु रूप में प्राप्त करने के लिए श्रीमद्भागवत गीता का पाठ कर सकते हैं‌।

 

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