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हिमाचल में त्रासदी से सबक : आधुनिक उपकरणों से लैस होगी SDRF

शिमला। इस बार बरसात ने हिमाचल को गहरे जख्म दिए हैं। भारी बारिश ने खूब तबाही मचाई है। कुल्लू, मंडी, शिमला, कांगड़ा, चंबा, बिलासपुर, सोलन, सिरमौर सहित सभी जिलों में बारिश ने कहर बरपाया है। इस आपदा में काफी लोगों की जान गई है।

सोमवार 14 अगस्त को ही एक दिन में हिमाचल में 70 से अधिक लोगों की जान गई है, जोकि हिमाचल के इतिहास में एक दिन में सबसे बड़ा आंकड़ा माना जा सकता है। इस त्रासदी के बाद सुक्खू सरकार भी एक्शन मोड में आ गई है।

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त्रासदी से सबक लेते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने संबंधित विभागों को ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन की संख्या बढ़ाने के लिए निर्देश दिए हैं, ताकि मौसम संबंधित रियल टाइम डेटा उपलब्ध हो सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एडब्ल्यूएस स्थापित करने से मौसम से संबंधित अद्यतन (रियल टाइम) डाटा उपलब्ध होगा, जिससे मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों में समय पर उचित कदम उठाने में मदद मिलेगी। उन्होंने प्रदेश में ऑब्जर्वेटरी सेंटर स्थापित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

मुख्यमंत्री ने राज्य में राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) को और सशक्त बनाने के लिए प्रभावी कदम उठाने को भी कहा। उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ को आपात स्थिति से निपटने के लिए आधुनिक उपकरण उपलब्ध करवाए जाएंगे। इन उपकरणों से गिरे हुए लेंटल व स्लैब उठाने और भारी स्टील की कटिंग सुविधा उपलब्ध होने से आपदा की स्थिति में बचाव कार्यों में अत्यधिक मदद मिलेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारी बारिश के कारण प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में काफी संख्या में पेड़ गिरे हैं। इन पेड़ों की कटाई व निपटान वैज्ञानिक तरीके से सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि गिरे हुए पेड़ों के स्थान पर पौधरोपण करने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाएं।

उन्होंने अधिकारियों को कहा कि कुल्लू जिला में सड़कें बाधित होने के दृष्टिगत गंभीर मरीजों को आपात चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए अतिरिक्त (स्टैंड बाई) हेलीकॉप्टर की व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से प्रदेश के विभिन्न भागों में चलाए जा रहे राहत व बचाव कार्य की विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने आपदा प्रभावितों को हर संभव मदद प्रदान करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री बुधवार सायं शिमला में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

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बता दें कि इस बरसात में अब तक हिमाचल को 8 हजार करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है। साथ ही 300 से अधिक लोगों की जान गई है। सड़कों, पुलों व घरों को नुकसान पहुंचा है। कुछ लोगों के घर धराशाही हुए हैं। पहले कुल्लू, मंडी में बारिश ने तबाही मचाई।

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भारी बारिश के चलते ब्यास में बाढ़ आने से कई वाहन बह गए और पर्यटकों सहित स्थानीय लोगों की जान गई है। इसके बाद शिमला, बिलासपुर, कांगड़ा आदि में बारिश ने तबाही का तांडव मचाया। कांगड़ा जिला के इंदौरा और फतेहपुर सब डिवीजन के पौंग झील के साथ लगते क्षेत्रों के लोगों को बेघर होना पड़ा।

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