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HPU में SFI का प्रदर्शन, छात्रों का निष्कासन वापस न लेने पर उग्र आंदोलन को चेताया

विश्वविद्यालय प्रशासन पर एक तरफा कार्रवाई का जड़ा आरोप

शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU) में शुक्रवार को छात्र संगठन एसएफआई (SFI) ने छात्रों की विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में छात्रों के बीच हिंसा के मामले में एसएफआई का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने वीडियो को आधार बनाकर एकतरफा कार्रवाई की है।

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लड़ाई के दौरान दूसरे गुट की तरफ से पहले हमला हुआ, लेकिन कार्रवाई सिर्फ छात्र संगठन एसएफआई (SFI) के कार्यकर्ताओं पर ही की गई है और छात्रों को निष्कासित किया गया है। बीते कई दिन से एसएफआई इसके विरोध में प्रदर्शन कर रही है। छात्र संगठन की चेतावनी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई, तो आने वाले वक्त में आंदोलन को उग्र रूप दिया जाएगा।

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एसएफआई (SFI) के राज्य सचिव अमित ठाकुर ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन तानाशाही रवैया अपनाए हुए है। विश्वविद्यालय में हुई हिंसा में एक तरफा कार्रवाई के विरोध के अलावा एसएफआई (SFI) की ओर से छात्र संगठन चुनाव बहाली की मांग और नई शिक्षा नीति- 2020 के खिलाफ भी प्रदर्शन किया गया। अमित ठाकुर ने कहा कि देशभर में कांग्रेस नई शिक्षा नीति का विरोध कर रही है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद नई शिक्षा नीति को लागू किया जा रहा है।

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उन्होंने कहा कि छात्र संगठन एसएफआई (SFI) की यह मांग है की नई शिक्षा नीति को वापस लिया जाए। इसके अलावा छात्र संगठन के नेता और कार्यकर्ता पिछले कुछ वक्त में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में हुई भर्तियों में कथित धांधली की जांच की मांग भी कर रहे हैं। एसएफआई का दावा है कि उन्होंने बीते दिनों हुई भर्ती की आरटीआई ली है।

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इस आईटीआई में करीब 80 फीसदी सिलेक्शन गलत सर्टिफिकेट के आधार पर हुआ है। ऐसे में मांग की जा रही है कि राज्य सरकार इसकी जांच करवाए। अमित ठाकुर ने कहा कि अगर राज्य सरकार उनकी मांगे नहीं मानती है, तो आने वाले वक्त में आंदोलन को बड़ा रूप दिया जाएगा।

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SFI ने किया नई शिक्षा नीति का विरोध : डीसी ऑफिस शिमला के बाहर किया प्रदर्शन

निजीकरण को बढ़ावा देने वाली नीति दिया करार

शिमला। नई शिक्षा नीति के विरोध में एसएफआई (SFI) ने आज डीसी ऑफिस के बाहर धरना प्रदर्शन किया। एसएफआई का कहना है कि ये नीति निजी शिक्षा को बढ़ावा देने वाली है। छात्र संगठन ने इस दौरान नई शिक्षा नीति के विरोध में केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और पुतला भी फूंका।

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एसएफआई (SFI) के जिला सचिव कमल शर्मा ने कहा कि 2020 में कोविड के दौरान बिना किसी चर्चा के नई शिक्षा नीति को लागू किया गया। नई शिक्षा नीति निजीकरण को बढ़ावा देने वाली है।

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हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी 10 से 15 किलोमीटर के दायरे में स्थित स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया है, जिसका सीधा सा मतलब है कि वहां पर निजी स्कूल खोलकर लूट की छूट दी जाएगी।

इस नीति को शिक्षा का व्यापारीकरण कर कुछ लोगों को लाभ देने के लिए लाया गया है। ये शिक्षा नीति सरकारी शिक्षा को खत्म करने की साजिश है। एसएफआई (SFI) इसे वापस लेने की मांग कर रही है।

 

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शिमला में भारी बारिश के बीच SFI का प्रदर्शन, सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी

छात्र संगठन ने राजभवन के बाहर बोला हल्ला

शिमला।  भारी बारिश के बीच छात्र संगठन एसएफआई (SFI) ने राजभवन के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। एसएफआई कार्यकर्ताओं ने राजभवन के बाहर प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। एसएफआई ने नई शिक्षा नीति, छात्र संघ चुनाव बहाल करने और विश्वविद्यालय में कथित तौर पर गलत तरीके से की गई भर्तियों के खिलाफ प्रदर्शन किया।

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एसएफआई के राज्य अध्यक्ष रमन थारटा ने कहा कि नई शिक्षा नीति देश के लोकतंत्र के खिलाफ है। उन्होंने नई शिक्षा नीति को कैंसर बताया और कहा कि जिस तरह कैंसर व्यक्ति की जड़ों को खत्म करता है, उसी तरह नई शिक्षा नीति की जड़ों पर हमला करेगी। उन्होंने कहा कि लंबे वक्त से छात्र संघ चुनाव बहाली नहीं हुई है। पहले कांग्रेस ने चुनाव बंद किए और सत्ता में आने से पहले भाजपा ने छात्र संघ चुनाव बहाली का वादा किया, लेकिन पांच साल तक पूरा नहीं किया। अब कांग्रेस सरकार भी इस बारे में कोई बात नहीं कर रही है।

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रमन थारटा ने कहा कि 70 फीसदी प्रोफेसरों की भर्तियां विश्वविद्यालय में गलत तरीके से हुई हैं। विश्वविद्यालय में अब तक स्थाई कुलपति की नियुक्ति नहीं हो सकी है। इसके अलावा प्रदेश के 104 कॉलेजों में भी प्रिंसिपल नहीं हैं। ऐसे में प्रदेश के राज्यपाल को इन सब बातों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार उनकी बात नहीं मानेगी, तो आने वाले वक्त में छात्र शक्ति के साथ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे।

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शिमला : SFI ने HPU में किया प्रदर्शन, मांगें ना मानने पर उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

ईआरपी सिस्टम को लेकर भी छात्रों में है रोष

शिमला । हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की एसएफआई इकाई ने छात्रों की समस्याओं को लेकर विश्वविद्यालय में वाइस चांसलर के कार्यालय के बाहर उग्र प्रदर्शन किया। विश्वविद्यालय एसएफआई इकाई सह सचिव संतोष ने कहा कि एसएफआई पिछले लंबे समय से रिवॉल्यूशन के रिजल्ट को लेकर लगातार प्रदेश भर में आंदोलनरत है। परंतु, इसके बावजूद भी प्रशासन अभी तक आधे अधूरे परिणाम ही घोषित कर पाया है। जिसकी वजह से प्रदेशभर के अनेक छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। जो रिजल्ट घोषित भी हुए हैं उनमें ईआरपी की खामियों के चलते अनेक अनियमितताएं पाई गई है।

एसएफआई ने कहा कि ईआरपी सिस्टम में सुधार को लेकर भी अनेक बार प्रशासन को चेताया है लेकिन प्रशासन इस ओर भी कोई सुध लेने को तैयार नहीं है। एसएफआई ने कहा यूजी परीक्षाओं के परिणाम को आए 100 से अधिक दिन हो गए हैं परन्तु हालात यह है कि विश्वविद्यालय 100 दिनों के अंदर भी रिवॉल्यूशन के परिणामों को घोषित कर पाने में नाकाम है । जो परिणाम अभी तक विश्वविद्यालय ने घोषित किए हैं उसके अंदर भी काफी खामियां ईआरपी सिस्टम के चलते देखने को मिली हैं।

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एसएफआई इसका विरोध करती है और विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग करती है कि इन परिणामों को जल्दी से जल्दी घोषित किया जाए। अधूरे परिणाम के चलते छात्रों को अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

इस धरने में आगे बात रखते हुए एसएफआई विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष हरीश ने कहा कि विश्वविद्यालय के अंदर पिछले लंबे समय से स्थाई कुलपति नहीं है। पिछले कुलपति और वर्तमान में भाजपा राज्यसभा सांसद सिकंदर कुमार ने इस विश्वविद्यालय को आउट सोर्स भर्तियों का अड्डा बना कर रख दिया था जिसके परिणाम आज प्रदेश भर का छात्र भुगत रहा है।

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साथ ही उन्होंने कहा कि नई सरकार के गठन होने पर हम उम्मीद लगाए बैठे थे कि इस विश्वविद्यालयों को स्थाई कुलपति मिलेगा परंतु आज 3 महीने से अधिक समय होने के बावजूद भी विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति की नियुक्ति नहीं की गई है । यह सरकार के इस विश्वविद्यालय के प्रति नकारात्मक रवैया को दर्शाता है। एसएफआई प्रदेश सरकार से मांग करती है कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंदर जल्द से जल्द स्थाई कुलपति की नियुक्ति की जाए।

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एसएफआई का मानना है कि इन सभी समस्याओं का मूल कारण छात्रों के पास अपनी समस्याओं को उठाने का मंच ना होना है। वह मंच एससीए था परंतु 2013 के बाद से ही प्रदेश भर में एससीए इलेक्शन पर प्रतिबंध लगा हुआ है। छात्रों को उनके जनवादी अधिकार से दूर रखने का काम बीजेपी तथा कांग्रेस दोनों ही सरकारों ने समान रूप से किया है। ऐसे में जब छात्र अपनी मांगों को लेकर प्रशासन के पास जाता है तो प्रशासन छात्र मांगों को गंभीरता से ना लेकर टालमटोल करने की कोशिश करता है। एसएफआई ने कहा कि सरकार चाहे कांग्रेस की हो या बीजेपी की दोनों ने ही छात्रों को उनके अधिकारों से वंचित रखा है।

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एसएफआई ने चेतावनी देते हुए कहा कि इन मांगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। यदि छात्र मांगों को सकारात्मक रूप से सुलझाया नहीं गया तो आने वाले समय के अंदर विश्वविद्यालय के साथ साथ पूरे प्रदेश के अंदर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी और अथॉरिटी का उग्र घेराव किया जाएगा। जिसका जिम्मेदार यूनिवर्सिटी प्रशासन तथा प्रदेश सरकार होगी।

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शिमला : SFI ने किया चीफ वार्डन का घेराव, उग्र आंदोलन को चेताया

छात्रावासों के अंदर खाने की गुणवत्ता को बढ़ाया जाए

शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई एसएफआई ने मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर चीफ वार्डन का घेराव कर ज्ञापने पत्र सौंपा। जिसमें मुख्य मांगी थी कि जो छात्र पीएचडी में 5 साल से अधिक समय से हॉस्टलों में रह रहे हैं उनके हॉस्टल कैंसिल किए जाए। ताकि जो छात्र अभी पीएचडी में दाखिल हुए हैं उन्हें अधिक मात्रा में हॉस्टल मिल सके। एसएफआई ने यह मांग भी रखी है की नए हॉस्टल का निर्माण कार्य जल्द से जल्द शुरू किया जाए और नई हॉस्टल एलॉटमेंट लिस्ट जल्द से जल्द जारी की जाए।

एसएफआई ने मांग की है कि हॉस्टलों के अंदर पर्याप्त मात्रा में पीने के पानी की व्यवस्था की जाए, हॉस्टलों का रिनोवेशन का कार्य जल्द से जल्द पूरा किया जाए, हॉस्टलों के अंदर खाने की गुणवत्ता को बढ़ाया जाए। कन्या छात्रावासों में सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ की जाए, छात्रावासों की सड़कों को स्ट्रीट लाइट्स की मरम्मत की जाए व छात्रावासों के अंदर इंडोर गेम के उपकरण स्थापित किए जाएं।

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इन मांगों को लेकर परिसर अध्यक्ष हरीश ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि जानबूझकर पीएचडी के छात्रों को 5 साल से अधिक समय तक हॉस्टलों के अंदर रहने की एक्सटेंशन दी जा रही है। जिस वजह से जो छात्र अभी पीएचडी के अंदर एनरोल हुए हैं व इस सुविधा से वंचित रह रहे हैं।

परिसर सचिव सुरजीत ने यह मांग रखी कि छात्रावासों के अंदर खाने की गुणवत्ता को बढ़ाया जाए क्योंकि खराब खाना खाने के कारण छात्रों को या तो बाहर खाना खाना पड़ रहा है या फिर भूखे रहना पड़ रहा है। इसके साथ ही उन्होंने प्रत्येक छात्रावास के हर फ्लोर पर एक्वागार्ड स्थापित करने की मांग रखी।

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छात्रावासों में सिक्योरिटी के मुद्दे पर बात रखते हुए इकाई सह सचिव संतोष कुमार ने कहां की छात्रावासों में पुलिस को सिर्फ डराने धमकाने के मकसद से रखा है। जहां पर कन्या छात्रावासों में पुलिस व सुरक्षाकर्मियों की जरूरत है वहां पर एक या दो सुरक्षाकर्मी ही तैनात है जिस कारण छात्राएं बंदरों के डर से छात्रावासों से बाहर निकलने से डरती है तथा लाइब्रेरी तक नहीं पहुंच पाती है।

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हॉस्टल की रिनोवेशन पर बात रखते हुए एसएफआई ने कहा कि हॉस्टलों की मरम्मत पर लाखों रुपए सैंक्शन हुए हैं परंतु उनका उपयोग कहीं नहीं हो रहा है जिस कारण ना तो उन छात्रावासों में कोई छात्र अथवा छात्राएं रह रहे हैं और ना ही उनकी मरम्मत हो रही है। एसएफआई ने यह मांग भी रखी कि छात्रावासों की तरफ जाने वाले रास्ते की मरम्मत की जाए वह स्ट्रीटलाइट्स की भी मरम्मत की जाए ताकि आने जाने वाले छात्रों को परेशानी का सामना ना करना पड़े।

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इसके अलावा हॉस्टलों की सभी मांगो पर चीफ वार्डन से हुई बातचीत पर चीफ वार्डन ने यह आश्वासन दिया की जल्द से जल्द इन मांगो वर अमल किया जाएगा। एसएफआई ने यह चेतावनी भी दी कि यदि प्रशासन जल्द से जल्द इन मांगों पर संज्ञान नहीं लेता है तो ऐसे में आने वाले समय में विश्वविद्यालय के छात्रों को लामबंद करते हुए प्रशासन का घेराव करेगी और उग्र आंदोलन की ओर बढ़ेगी जिसका जिम्मेदार विश्वविद्यालय प्रशासन होगा।

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SFI ने राज्य सचिवालय का किया घेराव, कॉलेज कैडर में हुई भर्तियों की मांगी जांच

शिमला। छात्र संगठन एसएफआई ने राज्य सचिवालय के बाहर हल्ला बोला छात्र संगठन अपनी मांगों को लेकर मुखर नजर आया। कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में राज्य सचिवालय के बाहर जुटकर नारेबाजी की। छात्र संगठन एसएफआई के कार्यकर्ता मांग कर रहे हैं कि पूर्व सरकार के वक्त कॉलेज कैडर में हुई भर्तियों की जांच की जाए। एसएफआई का आरोप है कि पूर्व सरकार के वक्त फर्जी तरीके से भर्ती प्रक्रिया पूरी की गई है।

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छात्र संगठन एसएफआई के राज्य सचिव अमित ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ है। नई सरकार को भर्ती प्रक्रिया की जांच करनी चाहिए। साथ ही एसएफआई ने यह भी मांग की है कि हिमाचल प्रदेश में बीते 10 साल से बंद पड़े छात्र संघ चुनाव को बहाल किया जाए। इसके अलावा छात्र संगठन एसएफआई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को वापस लेने के साथ एससी-एसटी छात्रवृत्ति में हुए घोटाले की निष्पक्ष जांच करने की भी मांग उठाई है।

इसके अलावा छात्र संगठन एसएफआई छात्रवृत्ति को जल्द आवंटित करने की भी मांग कर रहा है। छात्र संगठन एसएफआई ने यह भी मांग उठाई है कि विभिन्न कॉलेजों में रिक्त पड़े टीचरों के पदों को भरा जाए और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में भी जल्द स्थाई कुलपति की नियुक्ति हो। इसके अलावा छात्र संगठन ने कॉलेजों में बड़ी हुई पीटीए फीस को वापस लेने की मांग की है। एसएफआई ने चेताया है कि अगर सरकार इन मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो आने वाले समय में बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

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SFI की चेतावनी- NEP, CBCS व ERP को हटाए सरकार, नहीं तो होगा उग्र आंदोलन

री-वैल्यूएशन परिणाम को किया जाए घोषित

शिमला। एसएफआई ने को पीजी प्रथम सत्र परीक्षाओं में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत सीबीसीएस के माध्यम से जो परेशानियां छात्रों को आ रही हैं उसको जल्द से जल्द सुलझाने की मांग की है। एसएफआई ने चेतावनी देते हुए कहा कि NEP के साथ सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBCS) और एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ERP) को खत्म कर इसके लिए कोई और सिस्टम प्रदेश सरकार द्वारा लाया जाना चाहिए। एसएफआई ने कहा कि अगर जल्द छात्रों की मांगों को सकारात्मक रूप से सुलझाया नहीं गया तो आने वाले समय के अंदर विश्वविद्यालय के अंदर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।

शिमला : रिपन अस्पताल के कर्मचारी ने उठाया खौफनाक कदम 

एसएफआई कैंपस सचिवालय सदस्य साहिल ने बताया कि विश्वविद्यालय इस बार पीजी प्रथम सत्र में NEP के तहत CBCS को लागू कर रहा है। जिसके चलते छात्रों को परेशानी देखने को मिल रही है के चलते छात्र परेशान है कि वह इस सिस्टम के अंदर किस तरह अपनी परीक्षाओं की तैयारियां करेंगे।

शिमला : रिज पर सजे स्वयं सहायता समूहों के उत्पाद, नाबार्ड का 5 दिवसीय मेला शुरू

उन्होंने कहा कि एसएफआई मांग कर रही है कि री-वैल्यूएशन के परिणाम को जल्द घोषित किया जाए परन्तु अभी तक रिजल्ट पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाया है। जिसके अंदर अभी भी काफी कमियां देखने को मिल रही है। इसके चलते छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि कुछ महाविद्यालय के अंदर मिड टर्म आरंभ हो चुके है पर छात्रों को मालूम नहीं है की वह किस ईयर को वह परीक्षाएं दे।

HRTC चालक पदों पर भर्ती : विभाग ने तय किए ये नियम, अप्लाई करने से पहले पढ़ें

धरना-प्रदर्शन के दौरान कैंपस उपाध्यक्ष हैप्पी ने कहा कि काफी समय से प्रदेश सरकार NEP को लागू करने के प्रयत्न करने जा रही है जिसमें मातृभाषा में पढ़ाई करना और करवाना असंभव है। उन्होंने कहा कि हमने GDP का 6% खर्च करना लक्ष्य रखा लेकिन भारत सरकार अभी GDP का 2.5% ही खर्च करवा पा रही है जो NEP के तहत असंभव सा अनुमान लगाया जा रहा है।

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी का शिमला में विरोध, सड़कों पर उतरे ‘आप’ कार्यकर्ता

आज भारत शिक्षा पर जीडीपी खर्च करने में भूटान से भी पीछे है। NEP में शिक्षा के समवर्ती सूची से हटा के केंद्रीयकरण करने की कोशिश की जा रही है। इसके साथ ST, SC, JRF व अन्य स्कॉलरशिप के बारे में कोई प्रावधान नहीं है। छात्र अगर इन पर मुद्दा लड़ना चाहे तो उनके लिए कोई SCA का प्रावधान भी नहीं है। ऐसे में कैंपस डेमोक्रेसी के लिए आने वाले समय में खतरा है और बीजेपी सरकार ने अनपर्लियामेंरी तौर पर इसको पास किया है। जिसके तहत NEP का पहला कदम सीबीसीएस है जिसमे 2013 से यूजी में लाया गया और हिमाचल प्रदेश में 2015 में छात्रों को उसका खामियाजा देखने को मिला जब 98% छात्र फेल हो गए थे।

हिमाचल : राज्यपाल शिव प्रताप के हृदय की एक धमनी में ब्लॉकेज, डला स्टंट

एसएफआई ने कहा कि आज यूजी व पीजी के छात्रों का भविष्य संकट में है। 13 करोड़ खर्च करने के बावजूद भी सिस्टम में कोई सुधार नहीं हो पाया है। ऐसे में सीबीएस को छात्रों पर थोपना उचित नहीं होगा। इसका परिणाम है इसका परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेंगे ।

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SFI का प्रदर्शन, HPU भर्तियों में धांधली की मांगी जांच-70% पर उठाए सवाल

विश्वविद्यालय में  बड़े स्तर पर भर्तियों में फर्जीवाड़े का आरोप

शिमला। एसएफआई एचपीयू इकाई ने आज  विश्वविद्यालय परिसर में भर्तियों में धांधलियों की जांच कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
एसएफआई हिमाचल प्रदेश राज्य सचिव अमित ठाकुर व राज्य अध्यक्ष रमन थारटा ने कहा कि एसएफआई (SFI)ने विश्वविद्यालय में भर्तियों में हुए फर्जीवाड़े को लेकर सितंबर 2022 में 13,000 पन्नों की सूचना आरटीआई (RTI) के माध्यम से हासिल की। इससे यह उजागर हुआ है कि विश्वविद्यालय में भर्ती हुए शिक्षकों में से 70 फीसदी के करीब लोगों को अयोग्य होने के बावजूद भी नियुक्ति मिली है। विश्वविद्यालय में  बड़े स्तर पर भर्तियों में फर्जीवाड़ा किया गया है।

क्रिकेटर ऋषभ पंत हेल्थ बुलेटिन-माथे पर दो कट, घुटने में लगी चोट

उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्ष में तत्कालीन भाजपा सरकार के द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ मिलकर विश्वविद्यालय में यूजीसी की गाइडलाइन व विश्वविद्यालय अधिनियम  को दरकिनार करते हुए अपने चहेतों को फर्जी तरीके से भर्ती किया है। प्रदेश में वर्तमान समय में लगभग आठ लाख युवा बेरोजगार हैं, जो रोजगार पाने की योग्यता भी रखते हैं, लेकिन  पिछली भाजपा सरकार इन नौजवानों को रोजगार देने के बजाय अपने भगवाकरण के एजेंडे के साथ भर्तियों में फर्जीवाड़ा करके अपने चहेतों को भर्ती करने में लगी हुई थी।

एसएफआई (SFI) का मानना है कि विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़ा हुआ है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका तत्कालीन वाइस चांसलर सिकंदर कुमार की रही है, जो खुद वीसी बनने की योग्यता पूरी नहीं करते थे। उन्होंने भाजपा और आरएसएस की कठपुतली बनते हुए यहां फर्जी तरीके से अपने बेटे को पीएचडी में एडमिशन भी करवाई।

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कॉमरेड कुलदीप ने बताया कि आरटीआई के माध्यम से पता चला है कि अधिकतर भर्ती हुए लोगों की पीएचडी डिग्री वैध नहीं है। भर्ती किए हुए लोगों ने फर्जी अनुभव के दस्तावेज दिए हैं, जिसकी जांच की जानी चाहिए। बहुत से रिसर्च पेपर ऐसे सामने आए हैं जो किसी भी जर्नल में पब्लिश नहीं हुए हैं। साथ ही साथ कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें पहले सात साल तक तो कोई भी रिसर्च पेपर पब्लिश न किया और जब भर्ती का समय आया तो अचानक एक ही टॉपिक पर एक ही जर्नल में पांच रिसर्च पेपर पब्लिश हुए जो सवालों के घेरे में हैं।

इसके अलावा मेरिट को भी इसमें दरकिनार किया गया है। एपीआई ( API) में 96 नंबर वाले को साइड करके 70 नंबर वाले को नियुक्ति दी गई है। आरक्षण के लिए इस भर्ती प्रक्रिया में 200 प्वाइंट वाला रोस्टर लगाया गया है, जिसमें सीट्स को एक डिपार्टमेंट से दूसरे डिपार्टमेंट में फर्जी तरीके से शिफ्ट किया गया है। कुल मिलाकर  70 फीसदी लोगों के फर्जी भर्ती के सबूत प्राप्त हुए हैं।

एसएफआई द्वारा इस शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े का पूरे प्रदेश में अलग अलग संस्थानों में विरोध किया जा रहा है और इसकी न्यायिक जांच की मांग की जा रही है।  अगर जल्द से जल्द मामले की न्यायिक जांच नहीं की गई तो एसएफआई पूरे प्रदेश के तमाम छात्र समुदाय को एकजुट करते हुए बजट सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करेगी,  जिसके परिणाम की सारी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार  की होगी।

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HPU पहुंचे राज्यपाल को छात्र संगठनों ने सौंपा ज्ञापन, उठाई ये मांगें

हॉस्टल की सुविधा सहित कई मांगें उठाई
शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU) की ओर से घोषित किए गए पहले और दूसरे साल के रिजल्ट में करीब 80 फीसदी छात्र परीक्षा पास नहीं कर सके हैं। इसके बाद एचपीयू में माहौल गर्म है। इसी बीच छात्र संगठन एनएसयूआई और एसएफआई ने एक कार्यक्रम के लिए विश्वविद्यालय (HPU) पहुंचे राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को ज्ञापन सौंपा और छात्रों को आ रही दिक्क़तों के समाधान की मांग उठाई।
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छात्र संगठनों का कहना है कि विवि ने ईआरपी सिस्टम से पेपर चेक किए गए, जिससे 80 प्रतिशत छात्र फेल हो गए। इसमें खामियां हैं। रिचेकिंग के बाद जो पास होते हैं, उनकी फीस को रिफंड की जानी चाहिए। छात्रों का कहना है कि विश्वविद्याल (HPU) में 6 से 7 हजार बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन केवल बारह सौ के करीब के लिए ही हॉस्टल की सुविधा है।
नेता विश्वविद्यालय (HPU) में पट्टिका लगाकर चले जाते हैं, लेकिन ये समस्याएं समाप्त नहीं हो रही हैं। उनका कहना है कि छात्र संघ के चुनाव बहाल किए जाने चाहिए। छात्रों ने आरोप लगाया कि अध्यापक राजनीतिक गतिविधियों में पढ़ाई से ज्यादा शामिल रहते हैं, जिससे विश्व विद्यालय में पढ़ाई का स्तर गिर रहा है।
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हिमाचल में सुर्खियां बना यूजी परीक्षा परिणाम, सदमे में छात्र- अभिभावक चिंतित

छात्र संगठनों ने एचपीयू प्रशासन के खिलाफ खोला मोर्चा
शिमला। हिमाचल प्रदेश विवि आजकल अंडर ग्रेजुएट (यूजी) परीक्षा परिणाम को लेकर चर्चा में है। छह माह बाद यूजी प्रथम वर्ष का परीक्षा परिणाम तो निकाला, लेकिन इस परीक्षा परिणाम में प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ने वाले 80 फीसदी छात्र फेल हो गए। परीक्षा परिणाम के बाद कई छात्र सदमे में हैं। अभिभावकों को अपने बच्चों की चिंता हो रही है। कुछ के आत्महत्या करने की कोशिशों की खबरें भी आ रही हैं।
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वहीं, छात्र संगठनों ने भी एचपीयू प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। छात्र संगठन हिमाचल प्रदेश विवि के खिलाफ धरने प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्र आंदोलन से डरे विवि के वीसी से लेकर बड़े अधिकारी अपनी कुर्सी पर नज़र नहीं आए।
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कांगड़ा के जयसिंहपुर की शगुन ने 10th व 12th में 94 और 95 फीसदी अंक प्राप्त किए थे और बीएससी कर रही थी, लेकिन उसको फेल कर दिया। अधरंग के मरीज शगुन के पिता कश्मीर सिंह ने बताया कि परीक्षा परिणाम आने के बाद से बेटी सदमे में है और कुछ भी कर सकती है। बेटी के लिए वह एचपीयू (HPU) पहुंचे थे, लेकिन उन्हें किसी ने नहीं पूछा।
बड़े आंदोलन की तैयारी में सेब बागवान, शिमला में बनाई रणनीति
एबीवीपी (ABVP) के राज्य मंत्री आकाश नेगी का कहना है कि विवि द्वारा मामले को जल्द हल करने का आश्वासन दिया था,  लेकिन 5 दिन के बाद छात्रों को अभी तक कोई राहत नहीं दी गई है, जिसके चलते आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
उधर, एसएफआई (SFI) ने भी हिमाचल विश्वविद्यालय परिसर में विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और विश्वविद्यालय प्रशासन पर छात्रों के भविष्य से साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। एसएफआई का कहना है कि कई विद्यार्थियों को 1-1 या 2-2 नंबर से फेल कर दिया गया है और कई सब्जेक्ट ऐसे हैं, जिसमें कि विद्यार्थियों को नंबर ही नहीं मिले हैं। आधे अधूरे परीक्षा परिणाम को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ छात्रों क रोष है। एसएफआई 24 घंटे की सांकेतिक हड़ताल पर बैठ गई है। परिसर सचिव सुरजीत ने कहा कि यदि प्रशासन नहीं जागता है तो विश्वविद्यालय का घेराव करते हुए शहर के कॉलेजों सहित विश्वविद्यालय को ताला लगाया जाएगा।
हालांकि, एचपीयू प्रशासन ने अब विकल्प दिया है कि छात्र इसके लिए रि-चैकिंग और रि-इवेल्यूएशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें 300 रुपए फीस प्रति सब्जेक्ट देनी होगी। रि-चेकिंग में केवल जो कुल अंक दिए हैं उनका दोबारा जोड़ किया जाएगा, जबकि पुनर्मूल्याकंन में किसी अन्य शिक्षक से पेपर चेक करवाए जाएंगे। वैसे खराब परीक्षा परिणाम आने का कारण कोविड भी माना जा रहा है। कोविड में दो साल छात्रों को प्रोमोट किया गया है तो ऐसे में छात्र इस बार भी इसी तरह की मनोस्थिति में थे।
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