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हिमाचल : IGMC में जल्द शुरू होगी रोबोटिक सर्जरी, सरकार को भेजेंगे प्रस्ताव

जटिल सर्जरी के लिए नहीं जाना पड़ेगा प्रदेश से बाहर

शिमला। हिमाचल में गंभीर बीमारी से ग्रस्त रोगियों को अब सर्जरी के लिए अब प्रदेश के बाहर का रुख नहीं करना होगा। IGMC शिमला में जल्द ही रोबोटिक सर्जरी शुरू होगी।

इसके लिए अस्पताल प्रबंधन प्रदेश सरकार को जल्द प्रस्ताव भेजेगा। प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही रोबोटिक मशीन खरीदकर ऑपरेशन शुरू किए जा सकेंगे।

आईजीएमसी के जनरल सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरएस झोबटा ने बताया कि जटिल सर्जरी के लिए मरीजों को प्रदेश के बाहर का रुख करना पड़ता है।

अगर रोबोटिक सुविधा यहां IGMC में उपलब्ध हो जाए तो प्रदेश के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि शरीर के कई भागों को ऑपरेट करने में बड़ी कठिनाई आती है तथा कई भाग तक पहुंचना मुश्किल होता है।

असिस्टेंट प्रोफेसर एजुकेशन और होम साइंस की Answer key जारी 

इस सर्जरी के माध्यम से उन भागों तक पहुंच कर रोग आसानी से दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि रोबोटिक सर्जरी का प्रस्ताव भेजने पर मंथन हो रहा है और जल्द ही इसे सरकार को भेजा जाएगा। रोबोटिक सर्जरी को लेकर अगर सरकार मंजूरी देती है तो आंत, कैंसर, लिवर समेत गंभीर बीमारियों के मरीजों को इसका लाभ होगा।

डॉ. झोबटा ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी में एक चिकित्सक कंसोल में बैठकर सर्जिकल साधनों की मदद से पेट के कैंसर, बड़ी आंत, प्रोस्टेट और लिवर के कैंसर का ऑपरेशन आसानी से और जल्दी कर सकेगा। इसके लिए IGMC के पास दक्ष चिकित्सक भी हैं। रोबोटिक मशीन की कीमत लगभग 25 करोड़ तक है। अभी पीजीआई चंडीगढ़ के चिकित्सक इस तरीके से सर्जरी करते हैं।

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असिस्टेंट प्रोफेसर एजुकेशन और होम साइंस की Answer key जारी

28 नवंबर तक भेजी जा सकती है आपत्तियां

शिमला। हिमाचल लोक सेवा आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर एजुकेशन (कॉलेज केडर) और  असिस्टेंट प्रोफेसर होम साइंस (कॉलेज केडर) के स्क्रीनिंग टेस्ट की आंसर की (Answer key) जारी कर दी है।  असिस्टेंट प्रोफेसर एजुकेशन (कॉलेज कैडर)  का स्क्रीनिंग टेस्ट 20 नवंबर को आयोजित किया गया था। असिस्टेंट प्रोफेसर होम साइंस (कॉलेज कैडर) का स्क्रीनिंग टेस्ट 19 नवंबर को हुआ था।

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उत्तर कुंजी में उत्तरों को लेकर अगर किसी अभ्यर्थी को कोई आपत्ति हो तो वह 28 नवंबर तक साक्ष्यों सहित आपत्तियां दर्ज करवा सकते हैं। आपत्तियां डाक द्वारा, कूरियर से या हिमाचल लोक सेवा आयोग के कार्यालय में खुद आकर दी जा सकती है। आयोग के निर्णय के अनुसार ईमेल और उक्त के अलावा अन्य माध्यम से भेजी आपत्तियां स्वीकार नहीं की जाएंगी। आपत्तियां भेजने के लिए परफोरमा आयोग की वेबसाइट पर उत्तर कुंजी की नोटिफिकेशन के साथ है।

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शिमला में आइस स्केटिंग के रोमांच को हो जाएं तैयार-कवायद शुरू 

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शिमला में आइस स्केटिंग के रोमांच को हो जाएं तैयार-कवायद शुरू

रिंक में घास आदि निकालने का काम शुरू

शिमला।  लंबे समय से स्केटिंग करने का इंतजार कर रहे सैलानियों सहित स्थानीय लोगों के लिए  राहत भरी खबर है। हिमाचल की राजधानी शिमला में एशिया के इकलौते ओपन एयर स्केटिंग रिंक में जल्द ही आइस स्केटिंग शुरू होने वाली है। रिंक में घास व मैदान में गड्ढे पड़ जाने के चलते इसकी साफ-सफाई का कार्य शुरू किया गया है।

आइस स्केटिंग क्लब के सचिव पंकज प्रभाकर ने बताया कि पिछले साल 16 दिसंबर को स्केटिंग शुरू की गई थी, लेकिन इस बार थोड़ा जल्दी करने का प्रयास किया जाएगा।

शिमला में आइस स्केटिंग के रोमांच को हो जाएं तैयार-कवायद शुरू 

लिफ्ट का कार्य चलने की वजह से ग्राउंड की स्थिति बेहतर नहीं है,  ऐसे में  30 नवंबर तक यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा, जिसके बाद दिसंबर के पहले सप्ताह में ही यहां लोग स्केटिंग का लुफ्त उठा सकेंगे। उन्होंने कहा कि आइस स्केटिंग रिंक में पिछले साल जहां 52 सेशन हुए थे। वहीं, इस साल भी यहां स्केटिंग के सेशन शुरू होना प्रस्तावित हुआ है।

बता दें कि साउथ ईस्ट एशिया का पहला सेमी नेचुरल आइस स्केटिंग रिंक शिमला के लक्कड़ बाजार बस स्टैंड के पास स्थित है। ब्रिटिश काल से अब तक इस रिंक में प्राकृतिक तरीके से ही बर्फ जमाई जाती है।
नवंबर माह में जब तापमान में गिरावट आती है तो रिंक में पानी छिड़का जाता है, जिसे प्राकृतिक तरीके से जमने दिया जाता है और जब बर्फ की परत मैदान पर जमकर तैयार हो जाती है तो उस पर स्केटिंग की जाती है।

उधर, रिंक के संगठन सचिव पंकज प्रभाकर का कहना है कि आइस स्केटिंग रिंक में स्केटिंग के सेशन मौसम पर निर्भर करते है। मौसम का साथ रहा तो रिंक की सफाई के बाद यहां बर्फ जमाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। ऐसे में दिसंबर के पहले सप्ताह से स्केटिंग सेशन शुरू होने की संभावना है।

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हिमाचल: कांग्रेस ने स्ट्रांग रूम के बाहर गाड़े तंबू, भाजपा करेगी शिकायत

चुनाव आयोग के नियमों की सीधी-सीधी अवहेलना दिया करार

शिमला। हिमाचल विधानसभा चुनाव मतदान के बाद अब ईवीएम को लेकर सियासत गरमा गई है। पहले भाजपा और कांग्रेस नेताओं के बीच ईवीएम (EVM)की सुरक्षा को लेकर जुबानी जंग तो छिड़ी हुई थी, लेकिन अब ये लड़ाई चुनाव आयोग जाती हुई दिख रही है। कांग्रेस द्वारा ईवीएम (EVM) स्ट्रांग रूम के बाहर तंबू गाड़ने को लेकर भाजपा चुनाव आयोग में शिकायत करने जा रही है।

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भाजपा का कहना है कि कांग्रेस ने स्ट्रांग रूम के 200 मीटर के दायरे के अंदर ही तंबू गाड़ रखे हैं, जो चुनाव आयोग के नियमों की सीधी-सीधी अवहेलना है, जिसके खिलाफ भाजपा चुनाव आयोग में शिकायत करेगी। भाजपा नेता गणेश दत्त ने कहा कि कांग्रेस को हार का डर सता रहा है, जिसके चलते अब वो हमेशा की तरह EVM पर सवाल उठाने लगी है।

वहीं, कांग्रेस का कहना है कि ईवीएम की सुरक्षा को लेकर कार्यकर्ता चिंतित हैं। इसलिए वे स्ट्रांग रूम के बाहर बैठे हैं, ताकी ईवीएम के साथ छेड़छाड़ न हो सके। कांग्रेस नेता नरेश चौहान का कहना है कि शिकायत करने की जगह ईवीएम की सुरक्षा के प्रति लोगों को विश्वास दिलाया जाना चाहिए, क्योंकि ईवीएम की सुरक्षा को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं।

गौरतलब है कि रामपुर के दत्त नगर में ईवीएम को निजी गाड़ी में ले जाने का मामला सामने आने के बाद कांग्रेस ने ईवीएम की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए थे,  जिसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किन्नौर, घुमारवीं, धर्मपुर, नाचन, ऊना व गगरेट स्थित स्ट्रांग रूम के बाहर तंबू गाड़ दिए हैं।

कांग्रेस कार्यकर्ता  हर गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं। इसके चलते भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस ने स्ट्रांग रूम के 200 मीटर के अंदर ही तंबू गाड़ रखे हैं। इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की जाएगी।

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श्रद्धा हत्याकांड : पुलिस के हाथ लगी मानव खोपड़ी और जबड़े का हिस्सा, हड्डियां भी बरामद

नई दिल्ली। श्रद्धा हत्याकांड मामले में एक तरफ जहां दिल्ली पुलिस हिमाचल के कांगड़ा, कुल्लू जिला में जांच में जुटी है। वहीं, श्रद्धा के शरीर के अवशेष ढूंढना भी एक चुनौती बना हुआ है। मामले में पुलिस फूंक फूंक कर कदम रख रही है।
आज दिल्ली पुलिस को उस वक्त बड़ी कामयाबी मिली जब महरौली के जंगल में पुलिस को मानव खोपड़ी और जबड़े का हिस्सा मिला है। इसके अलावा मानव शरीर के अन्य हिस्सों की हड्डियां भी बरामद हुई हैं।
ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि ये अवशेष श्रद्धा के हो सकते हैं। हालांकि, फॉरेंसिक रिपोर्ट के बाद ही इसकी पुष्टि हो पाएगी। पुलिस ने अवशेष कब्जे में लेकर जांच को भेज दिए हैं।
बता दें कि महरौली के जंगल में सर्च ऑपरेशन के लिए करीब 200 पुलिसकर्मियों की टीम पहुंची। टीम ने जंगल का चप्पा छानना शुरू कर दिया। सर्च ऑपरेशन के दौरान पुलिस टीम को जंगल से कुछ अवशेष और हड्डियां बरामद हुईं।
दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस की एक टीम आरोपी आफताब को लेकर छतरपुर पहाड़ी इलाके पहुंची। यहां आफताब का घर है और  जहां पर उसने श्रद्धा की हत्या की थी।
आफताब के घर के बाहर भारी भीड़ जमा हो गई।  कानून व्यवस्था न बिगड़े इसके लिए पुलिस व अर्धसैनिक बल के जवानों को तैनात किया गया। घर से पुलिस कुछ साक्ष्य जुटाकर साथ ले गई।
गौरतलब है कि कोर्ट के आदेश पर रोहिणी स्थित फोरेंसिक साइंस लैब में आरोपी आफताब के नार्को टेस्ट के बाद 22 नवंबर को उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा।  इस दौरान पुलिस आरोपी के पुलिस रिमांड बढ़ाने की मांग  कर सकती है।
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शिमला रिज पर आकर्षण बना चंबा रुमाल, कितने में बिक रहा-जानिए

क्राफ्ट मेला में बिक्री के लिए है उपलब्ध
शिमला। हिमाचल की राजधानी शिमला के रिज पर लगा क्राफ्ट मेला स्थानीय लोगों के साथ ही सैलानियों के भी आकर्षण का केंद्र बना है। खासकर चंबा रुमाल लोगों और सैलानियों को विशेषतौर पर आकर्षित कर रहा है। दुनिया में सबसे महंगा रुमाल चंबा रुमाल ही है, जिसकी कीमत लाखों में जाती है।
कहा जाता है कि इस रुमाल का सबसे पुराना रूप 16 वीं शताब्दी में गुरु नानक की बहन बेबे नानकी द्वारा बनाया गया था, जो वर्तमान समय में होशियारपुर के गुरुद्वारे में संरक्षित रखा गया है।
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रुमाल को बनाने वाली इंदु शर्मा और सुनीता ठाकुर ने बताया कि इन महंगे रुमाल को बनाने के लिए 6 माह  तक का वक्त लग जाता है।8 इंदु शर्मा ने बताया कि रुमाल पर चंबा के ऐतिहासिक मणिमहेश यात्रा को दर्शाया गया है।
इसके अलावा कपड़े पर बारीकी से महाभारत, रामायण, कृष्ण लीला व हिमाचल की संस्कृति को भी दर्शाया जाता है। चंबा रुमाल की कीमत लाखों होती है, लेकिन रिज पर लगे चंबा के एक रुमाल की कीमत 250 रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक है।
विक्टोरिया अल्बर्ट संग्रहालय, लंदन में भी चंबा रुमाल रखा गया है, जो 1883 में राजा गोपाल सिंह द्वारा अंग्रेजों को उपहार में दिया गया था। इस रुमाल में महाकाव्य महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध का एक कशीदाकारी दृश्य बनाया गया है।
17वीं शताब्दी से शाही परिवार के सदस्य व तत्कालीन रियासत की महिलाएं ही शादी के तोहफे या दहेज के रूप में देने के लिए चंबा रुमालों की कढ़ाई करती थीं। इस रुमाल का सबसे पुराना रूप 16 वीं शताब्दी में गुरु नानक की बहन बेबे नानकी द्वारा बनाया गया है, जो अब होशियारपुर के गुरुद्वारे में संरक्षित है, लेकिन ये कला 18वीं व 19वीं सदी में काफी फली फूली।
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सावधान ! ठंड से बचने को जलाते हैं अंगीठी तो इन बातों का रखें ध्यान

सर्दियों का मौसम शुरू हो गया है। ठंड से बचने के लिए लोग की तरह की चीजों का सहारा लेते हैं। कुछ लोग हीटर, ब्लोअर आदि का प्रयोग करते हैं तो कुछ लोग अंगीठी या अलाव जलाते हैं। ये चीजें ठंड से तो बचाती हैं लेकिन कहीं न कहीं सेहत के लिए हानिकारक भी होती हैं। इनका प्रयोग करते समय सावधानी बरतना बेहद जरूरी है वरना ये जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अंगीठी का उपयोग ज्यादा करते हैं, लेकिन यह बात ध्यान में रखना बेहद जरूरी है कि बंद कमरे में अंगीठी जलाना हानिकारक है। जानकारी के अभाव में कई बंद कमरे के अंदर लोग अंगीठी जलाकर सो जाते हैं जो कि बड़े हादसे को न्योता देने जैसा है। ऐसा ही मामला सामने आया है शिमला जिला के कुमारसैन के शिलाजान गांव में।
यहां गैस लगने से दो लोगों की मौत हो गई है और सात बेहोश हुए हैं। इन लोगों ने ठंड से बचने के लिए लोहे की बाल्टी में लकड़ियों से आग जलाई थी। पर एक गलती कर बैठे कि रात को बाल्टी कमरे में ही रहने दी और सो गए।
सुबह बड़ी मुश्किल से दो मजदूरों ने दरवाजा खोला तो पाया कि सभी बेहोश थे। सभी को सीएचसी कोटगढ़ ले जाया गया। अस्पताल में सिरमौर जिला के चाड़ना निवासी रमेश (22) और सुनील (21) की मौत हो गई। बबाई बलीच गांल श्री रेणुका जी के विनोद, अनिल, कुलदीप, राजेन्द्र चौहान, राहुल, कुलदीप व यशपाल को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है।
किस तरह जानलेवा है कोयले की गैस जानिए –
बता दें कि बंद कमरे में लकड़ी या कोयले की अंगीठी को जलाने से ऑक्सीजन का स्तर घटता है। इसके साथ ही कमरे में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है, जो सीधे मनुष्य के दिमाग पर असर डालता है। दिमाग पर कार्बन मोनोऑक्साइड का असर पूरे शरीर में होता है और सोया हुआ इंसान बेहोश हो जाता है।
बंद कमरे में अंगीठी को रखा जाता है तो कार्बन मोनोऑक्साइड सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचता है। इसके फेफड़ों तक पहुंचने के बाद ये सीधा खून में मिल जाता है, जिससे हीमोग्लोबिन का लेवल घट जाता है और इंसान की मौत हो जाती है।
अंगीठी से निकलने वाली गैस सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं बल्कि आंखों को भी नुकसान पहुंचाती है। अंगीठी के सामने बैठने से आंसुओं की परत सूख जाती है। ठंड दूर भगाने को अंगीठी के बजाय मैकेनिकल हीटर आदि का प्रयोग ज्यादा उपयुक्त है। हालांकि रात में सोते समय इसे बंद करना भी नहीं भूलना चाहिए।
अंगीठी जलाते कुछ सावधानियां बरत सकते हैं जैसे –
  • सर्दियों में अगर आप अंगीठी का इस्तेमाल कर रहे हैं तो कभी भी कमरे को पूरी तरह से बंद न करें। कमरे की खिड़की को हमेशा खुला रखें।
  • अंगीठी जलाकर उसके आसपास ना सोएं।
  • कमरे में अंगीठी जलाते वक्त हमेशा एक बाल्टी पानी भरकर किनारे जरूर रखें।
  • जमीन पर सोने से बचें। अंगीठी के आसपास किसी भी तरह का प्लास्टिक का सामान, केमिकल, कपड़े आदि रखने से बचें।
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धर्मशाला: धर्मगुरु दलाई लामा को गांधी मंडेला पुरस्कार, राज्यपाल ने किया सम्मानित

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कांगड़ा आर्जीमोन अलर्ट : सैंपल भेजे- बोतल बंद तेल, लोकल सरसों में कितनी संभावनाएं

धर्मशाला। आर्जीमोन सीड इन दिनों सुर्खियों में है। आर्जीमोन सीड मिला सरसों तेल खाने के बाद कांगड़ा जिला के खुंडियां के लगड़ू गांव में 58 साल के एक व्यक्ति के निधन के बाद कांगड़ा जिला प्रशासन अलर्ट है। स्वास्थ्य विभाग भी वर्किंग मोड में आ गया है। लगड़ू के पीड़ित परिवार ने जिस दुकान से बीज खरीदा था और दुकानदार ने जहां से लिया था वहां से सरसों बीज के सैंपल लेकर जांच को भेजे गए हैं। अब तक राहत की बात है कि पीड़ित परिवार के अलावा अन्य किसी ने भी बीज भारी मात्रा में नहीं खरीदा है।

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आर्जीमोन प्वाइजन आखिर है क्या और यह लोगों के लिए कितना हानिकारक है। साथ ही बाजार में बिकने वाले बोतल बंद तेल और लोकल किसानों द्वारा उगाई सरसों में आर्जीमोन सीड मिलावट की कितनी संभावनाएं हैं, यह हम आपको बताते हैं। आर्जीमोन मेक्सिकाना इसका वैज्ञानिक नाम है और हिंदी में इसको भड़भाड़, सत्यानाशी या घमोई कहा जाता है। आम बोलचाल में कटइया बोलते हैं। यह पौधा सर्दियों में फूल देता है।

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इस कंटीले पौधे की पत्तियां चौड़ी होती हैं। इसमें पीले फूल निकलते हैं जिसके बाद सरसों की फली की तरह ही छोटी गोल फली निकलती है। इसमें सरसों के दाने की तरह काले बीज होते हैं। इससे सरसों के बीजों में इनकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है। इन बीजों से हल्के पीले रंग का गैर खाद्य तेल निकलता है, जिसमें जहरीला रसायन होता है। हालांकि, इसके बारे जानकारी होने पर किसान खेतों में ही इसे पहचान कर निकाल सकते हैं।

इस आर्जीमोन सीड को अगर सरसों के दानों के साथ मिलाकर इनसे निकले तेल का इस्तेमाल किया जाए तो ड्रॉप्सी नामक बीमारी का खतरा होता है। ड्रॉप्सी ऐसी बीमारी है जिसमें पीड़ित व्यक्ति की जान बचाना काफी मुश्किल हो जाता है। ड्रॉप्सी क्या है इसके बारे में भी आपको बताते हैं।

ड्रॉप्सी रोग सरसों के तेल में अर्जीमोन तेल के मिलावट, सायनाइड के मिलावट या उजला रंग करने वाली मिलावट के कारण होता है। लूज मोशन, दोनों पैरों में सूजन, सांस फूलना, न्यूमोनिया, अनियमित धड़कन, सिर दर्द, खून की कमी, धुंधला दिखना आदि ड्रॉप्सी के लक्षण हैं।

मिलावटी सरसों का तेल प्रयोग करने से मनुष्य के जिगर, पित्ताशय, गुर्दे, हृदय आदि अंग कमजोर हो जाते हैं। मनुष्य को साधारण पानी भी नहीं पचता। उसके शरीर में दूषित पानी जमा हो जाता है और पेट फूलने लगता है। मनुष्य के हाथ पैर व मुंह में सूजन आ जाती है। मनुष्य को बुखार भी आ सकता है। डॉप्सी काफी खतरनाक बीमारी है।

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इससे मनुष्य को पैरालिसिस होने का खतरा भी पैदा हो जाता है। चिंता की बात ये है कि ड्रॉप्सी रोग का कोई संतोषजनक इलाज नहीं है। यदि रोगी को तुरंत चिकित्सा उपलब्ध हो जाए तो वह बच सकता है। हार्ट फेलियर का इलाज डिजॉक्सिन जैसी दवा देकर करते हैं। कार्टिकोस्टेराड दवाएं भी दी जाती है। रोगी को ऊंचे दर्जे की प्रोटीनयुक्त खुराक दी जाती है।

लोकल किसानों द्वारा उगाई जाने वाली सरसों में आर्जीमोन की मिलावट की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता है। हालांकि, बोतलबंद तेल के लिए FSSAI एक्ट में इसको लेकर प्रावधान किए गए हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कांगड़ा डॉ. गुरदर्शन गुप्ता ने बताया कि ज्वालामुखी के खुड़ियां क्षेत्र में मामला आने के बाद डीसी कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने मल्टी डिपार्टमेंट टीम गठित की गई है। इसमें एसडीएम, बीएमओ, फूड सेफ्टी ऑफिसर, लोकल एसएचओ को शामिल किया गया है। पीड़ित परिवार ने जहां से सरसों के बीज खरीदे थे वहां से सैंपल लेकर कंडाघाट भेज दिए हैं।

साथ ही होलसेलर से भी सैंपल लेकर भेजे गए हैं। अभी तक की जांच में पता चला है कि इस परिवार के अलावा किसी और ने थोक में सरसों का बीज नहीं खरीदा है। बोतल बंद तेल में आर्जीमोन सीड की मिलावट को लेकर सीएमओ डॉ. गुरदर्शन गुप्ता ने बताया कि FSSAI एक्ट के अनुसार सरसों तेल मेन्यूफेक्चर को सर्टिफिकेट देना पड़ता है कि तेल में आर्जीमोन नहीं है। पर यह व्यवस्था मेन्यूफेक्चर करने वालों के लिए ही है। कंपनी में अगर 15 टीन भी उत्पादन हो रहा है तो भी यह सर्टिफिकेट देना पड़ता है। अगर कोई रजिस्ट्र नहीं है और

बीज व तेल बेच रहा तो उसके लिए ऐसा नहीं है। हमारे लिए लोगों को स्वास्थ्य पहले है। इसलिए फूड सेफ्टी टीम को खुले में बिक रहे सरसों बीज के सैंपल लेने के लिए कहा है। लोकल में किसानों द्वारा उगाई जाने वाली सरसों में आर्जीमोन सीड की मिलावट को लेकर सीएमओ डॉ. गुरदर्शन गुप्ता ने कहा कि यह एक खरपतवार है और सरसों के खेत में उग जाता है।

हालांकि इसकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है। पर समझदार किसान इसकी पहचान कर इसे निकाल देते हैं। उन्होंने कहा कि सरसों के बीज के सैंपल की रिपोर्ट आने के बाद आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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धर्मशाला: धर्मगुरु दलाई लामा को गांधी मंडेला पुरस्कार, राज्यपाल ने किया सम्मानित

गांधी मंडेला फाउंडेशन का जताया आभार

धर्मशाला। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज कांगड़ा जिले के थेकचेन, मैकलोडगंज में गांधी मंडेला फाउंडेशन (जीएमएफ) द्वारा आयोजित एक ऐतिहासिक समारोह में धर्मगुरु दलाई लामा को गांधी मंडेला पुरस्कार से सम्मानित किया।

गांधी मंडेला फाउंडेशन वैश्विक शांति और स्वतंत्रता के हित में महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला के मूल्यों और आदर्शों को बढ़ावा देता रहा है। यह पुरस्कार उन वैश्विक नेताओं को सम्मानित करने का कार्य करता है जो नागरिकों को शांति, एकता और स्वतंत्रता के लिए प्रेरित करते हैं।

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इस अवसर पर धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि अहिंसा और करुणा विश्व शांति के लिए आवश्यक है और ये दोनों सिद्धांत हजारों वर्षों से भारतीय संस्कृति में रचे-बसे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान युद्ध में नहीं बल्कि बातचीत और शांति के माध्यम से किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि विश्व शांति के लिए हमें अहिंसा और करुणा का मार्ग अपनाना होगा। ये दोनों सिद्धांत मानव अस्तित्व की मार्गदर्शक शक्तियां हैं। उन्होंने गांधी मंडेला पुरस्कार प्रदान करने के लिए फाउंडेशन का आभार व्यक्त किया।

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राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने इस अवसर पर कहा कि धर्मगुरु दलाई लामा इस पुरस्कार के लिए योग्य व्यक्ति हैं, क्योंकि वह शांति के सार्वभौमिक दूत हैं और इन्हें भारतीय संस्कृति और विचारों को आगे बढ़ाने के लिए सम्मानित किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि वह सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें दलाई लामा को सम्मानित करने का अवसर मिला।

दलाई लामा ने विश्व को अहिंसा और करुणा के सिद्धांत दिए हैं, जिनकी आज के समय में आवश्यकता है, क्योंकि यह सेना की शक्ति से अधिक प्रभावी हैं। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में दूसरों के प्रति सद्भावना, करुणा और प्रेम की भावना है और यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसे आगे बढ़ाने का काम दलाई लामा ने किया है।

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उन्होंने गांधी मंडेला फाउंडेशन को बधाई देते हुए कहा कि दलाई लामा को यह पुरस्कार देकर उन्होंने हमारी हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति को सही मायने में आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला के बाद दलाई लामा जी में विश्व नागरिक बनने की क्षमता है क्योंकि वह सीमाओं से बंधे व्यक्ति नहीं हैं।

इससे पहले न्यायमूर्ति केजी बालकृष्णन, जूरी के अध्यक्ष और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा बड़े समुदाय के रक्षक हैं और युवा पीढ़ी को दलाई लामा की शिक्षाओं का अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह महान नेता हैं और गांधी मंडेला पुरस्कार के लिए उन्हें चुनने पर फाउंडेशन ने खुद को सम्मानित महसूस किया। उन्होंने कहा कि वे कांगड़ा में पहली बार आए हैं। यह बहुत खूबसूरत है और वह बहुत उत्साहित हैं।

जूरी के उपाध्यक्ष और सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा ने कहा कि धर्मगुरु ने पूरे विश्व को शांति का मार्ग दिखाया है। विश्व में व्याप्त अशांति के दौर में दलाई लामा ने शांति का उपदेश दिया जो हमें यह बताता है कि शांति स्थापित करके सभी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है।

गांधी मंडेला फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्याम जाजू ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर जीएमएफ के महासचिव नंदन झा ने राज्यपाल का स्वागत किया। राज्यपाल के सचिव राजेश शर्मा, कांगड़ा के उपायुक्त निपुण जिंदल आदि इस अवसर पर मौजूद थे।

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हिमाचल के लिए हरियाणा रोडवेज के 8 रूट : य़हां पढ़ें डिटेल में जानकारी

कांगड़ा। अगर आप हरियाणा रोडवेज की बसों में सफर करने के इच्छुक हैं तो हम आपके लिए हिमाचल के आठ रूट के बारे जानकारी लेकर आए हैं।

पहला रूट अंबाला चंडीगढ़-43, कुल्लू वाया कीरतपुर साहिब, बिलासपुर, सुंदरनगर, मंडी है। दूसरा यमुनानगर से मनाली वाया, जगाधरी,अंबाला कैंट, रूपनगर, बिलासपुर, मंडी, भुंतर, कुल्लू है। तीसरा पंचकूला से शाहतलाई वाया रूपनगर, आनंदपुर साहिब, नंगल, ऊना है।

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चौथा बहादुरगढ़-चण्डीगढ़- धर्मशाला वाया दिल्ली,पानीपत, करनाल,अम्बाला,रोपड़, नंगल,ऊना,अम्ब,कांगड़ा, सकोह है। पांचवां दिल्ली से बैजनाथ वाया पानीपत ,करनाल,अंबाला कैंट, ऊना, देहरा, रानीताल, कांगड़ा, पालमपुर है।

छठा गुरुग्राम दिल्ली से बैजनाथ वाया पानीपत, करनाल, अम्बाला, चंडीगढ़, रोपड़, नंगल, ऊना, अम्ब, देहरा, कांगड़ा, पालमपुर है। सातवां बल्लभगढ़ दिल्ली बैजनाथ वाया, फरीदाबाद, पानीपत, करनाल, अंबाला कैंट, चंडीगढ़ 43, रोपड़, किरतपुर, ऊना, देहरा, कांगड़ा, नगरोटा, पालमपुर है।

आठवां रूट दिल्ली-चंडीगढ 43- सुजानपुर वाया पानीपत, करनाल, अंबाला कैंट, ऊना, अम्ब, नादौन, हमीरपुर रूट है। इनके बारे में पूरी जानकारी आपको विस्तार से आगे दी गई है।

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विस्तार से पढ़ें रूट वाइज समय सारिणी
पहला रूट अंबाला-चंडीगढ़ 43-कुल्लू बस अंबाला से सुबह 07:30 बजे, चंडीगढ़ 43 से सुबह 09:15 बजे व सुंदरनगर से दोपहर 02:30 बजे चलती है। वापसी में कुल्लू से सुबह 03:40 बजे, सुंदरनगर से सुबह 06:45 बजे, बिलासपुर से सुबह 08:15 बजे चलती है।
दूसरा रूट यमुनानगर-मनाली बस यमुनानगर से सुबह 7:20 बजे चंडीगढ़ 43 से सुबह 10:20 बजे, सुंदरनगर से शाम 03:20 बजे मनाली शाम 7 बजे के करीब पहुंचती है।  वापसी में मनाली से सुबह 6:20 बजे और मंडी से सुबह 10:00 बजे चलती है।
तीसरा रूट पंचकूला-शाहतलाई बस पंचकूला से सुबह 6:10, चंडीगढ़ 43 से सुबह 6:55 और ऊना से सुबह 09:50 पर चलती है। वापसी में शाहतलाई से दोपहर 12:40, ऊना से दोपहर 2:10, चंडीगढ़ से शाम 5:15 बजे चलती है।
चौथा रूट बहादुरगढ़-धर्मशाला बस बहादुरगढ़ से सुबह 11 बजे, दिल्ली बस अड्डे से दोपहर 2:15, चंडीगढ़गढ़ 43 से रात 8:50 पर चलती है। वापसी में धर्मशाला से दोपहर 3 बजे, कांगड़ा से शाम 4 बजे और ऊना से रात 7:20 बजे चलती है।
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पांचवां रूट दिल्ली-बैजनाथ बस बहादुरगढ़ से शाम 05:00, दिल्ली ISBT से रात 08:15 बजे चंडीगढ़ 43 से रात 02:00 बजे चलती है। वापसी मार्ग बैजनाथ, गुरुग्राम, बहादुरगढ़ रहता है। बैजनाथ से शाम 05:50 बजे, कांगड़ा से रात 08.00 बजे चंडीगढ़ 17 से रात 12:50 बजे चलती है।
छठा रूट गुरुग्राम-दिल्ली- बैजनाथ बस गुरुग्राम से शाम 4:10 बजे दिल्ली से शाम 6:30 बजे, चंडीगढ़ 43 से रात 12:30 चलती है। वापसी में बैजनाथ से शाम 5:20, चंडीगढ़ 17 से रात 12:30 चलती है।
सातवां रूट बल्लभगढ़-दिल्ली ISBT- बैजनाथ बस बल्लभगढ़ से दोपहर 3:45, दिल्ली ISBT से शाम 07:00 बजे व चंडीगढ़ 43 से रात 12:50 बजे चलती है। वापसी में बैजनाथ से शाम 6, कांगड़ा से रात  8:10 व चंडीगढ़ 17 से रात  1:30 बजे चलती है।
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आठवां रूट दिल्ली- सुजानपुर बस दिल्ली से सुबह 4:30, चंडीगढ़ 43 से सुबह 10:30 बजे चलती है। वापसी में सुजानपुर 4:00 और  चंडीगढ़ 17 से सुबह 10 बजे रवाना होती है।