शिमला। हिमाचल की राजधानी शिमला के ओक ओवर के पास एक सरकारी गाड़ी से कुचलने के बाद घायल बच्ची ने दम तोड़ दिया है। बच्ची ने आईजीएमसी में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली।
बता दें कि 3 साल की बच्ची हरियाणा सर्किट हाउस के समीप सोई हुई थी। चालक ने गाड़ी बच्ची पर चढ़ा दी, जिसमें बच्ची बुरी तरह से घायल हो गई। उसे इलाज के लिए आईजीएमसी ले जाया गया।
यह छोटी बच्ची झारखंड के मजदूर की थी। मजदूर लंबे समय से यहां पर काम कर रहे हैं। मामले की सूचना मिलने के बाद पुलिस टीम मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू कर दी।
शिमला। हिमाचल प्रदेश में राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी (IGMC) के आरकेएस (RKS) कर्मचारी नियमित पे स्केल के लिए कई दिनों से पेन डाउन स्ट्राइक कर रहे हैं। मांग न मानने पर ये स्ट्राइक आज से चार घंटे हो गई है। ये कर्मी काले बिल्ले लगाकर शांतिपूर्वक धरना दे रहे हैं। मंगलवार को भी अस्पताल में मरीजों की लंबी लाइन लगी रही और लोगों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ी।
आज से हड़ताल सुबह 8 से 12 बजे तक चली। उन्होंने कहा कि पहले भी 60 RKS कर्मचारियों को नियमित पे स्केल में लाया गया है। सरकार को उनकी तरफ ध्यान देने की जरूरत हैं। अगर उनकी मांग नहीं मानी जाती है तो ये प्रदर्शन आगे बढ़ता जाएगा।
शिमला। राजधानी शिमला के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी (IGMC) के आरकेएस कर्मचारियों ने नियमित पे स्केल के लिए पेनडाउन स्ट्राइक शुरू कर दी है। मंगलवार से चार घंटे हड़ताल पर रहेंगे।
बता दें कि सोमवार सुबह 11 बजे तक आरकेएस कर्मियों ने काले बिल्ले लगा कर अस्पताल के बाहर मौन प्रदर्शन किया।
इसके चलते IGMC अस्पताल में आने वाले मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मरीजों को घंटों लाइनों में खड़े रहकर पर्ची बनाने के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा।
2019 में 35 कर्मचारियों ने आठ साल पूरे कर लिए हैं, बावजूद इसके उन्हें नियमित पे स्केल नहीं दिया जा रहा है।
इसको लेकर सरकार और अस्पताल प्रशासन से कई बार गुहार लगाई गई, लेकिन उनकी मांगें नहीं मानी जा रही हैं, जिसके चलते पेन डाउन स्ट्राइक शुरू की है। मंगलवार को चार घंटे की की पेन डाउन स्ट्राइक होगी।
शिमला। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल आईजीएमसी में आज से आधे डॉक्टर ओपीडी और वार्डों में नहीं मिलेंगे। इसकी वजह से मरीजों को बीमारी के साथ डॉक्टरों की कमी से भी परेशानी झेलनी पड़ सकती हैं। वजह है डॉक्टरों की समर और विंटर वेकेशन।
आपदा के दौरान डॉक्टरों की गर्मियों में मिलने वाली एक सप्ताह की छुट्टियां रद्द कर दी गई थीं। इस अवकाश को अब अस्पताल प्रबंधन दे रहा है। 16 से 22 दिसंबर तक पहले चरण में 136 और 24 से 30 दिसंबर तक 153 डॉक्टर दूसरे चरण में अवकाश पर जाएंगे।
उसके बाद दो जनवरी से शीतकालीन अवकाश पर फिर से दो चरणों में डॉक्टर जाएंगे जो कि 18 मार्च तक अवकाश पर रहेंगे। इससे मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है। हालांकि, आईजीएमसी प्रशासन व्यवस्था को आम दिनों की भांति चलाने का दावा कर रहा है।
आईजीएमसी की प्रिंसिपल डॉक्टर सीता ठाकुर ने कहा कि समर सीज़न में छुट्टियां रद्द हो गई थी जिस वजह से दिसंबर माह में 1-1 हफ्ते की छुट्टी पर चिकत्सक जाएंगे। ये छुट्टियां 16 से शुरू होंगी। पहला बैच 16 से 22 दिसंबर तक छुट्टी पर जाएगा।
23 को कॉमन डे रहेगा। 24 से 30 दूसरा बैच छुट्टी जाएगा। इसके बाद 2 जनवरी से विंटर वेकेशन शुरू हो रही हैं जो हर साल होती है। 19 मार्च से अस्पताल में सभी डॉक्टर मिलेंगे। उन्होंने बताया कि इस दौरान मरीजों को कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी हर विभाग में आधे डॉक्टर मौजूद रहेंगे।
शिमला। इंदिरा गांधी मेडीकल कॉलेज, अस्पताल शिमला के समीप बस सहित आठ गाड़ियों में टक्कर हुई है। बताया जा रहा है कि निजी बस के चालक को चलती बस में चक्कर आया और वह एक्सीलेटर से नियंत्रण खो बैठा।
शिमला। पेट में दर्द के कारण मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) शिमला में भर्ती कराया गया है। अस्पताल में मुख्यमंत्री का अल्ट्रासाउंड लिया गया। रिपोर्ट सामान्य है और उनकी स्वास्थ्य स्थिति स्थिर है।
डॉक्टरों ने उनकी सभी मेडिकल जांच की है और रिपोर्ट सामान्य हैं। डॉक्टरों का कहना है कि मुख्यमंत्री को निगरानी में रखा गया है।आगे की जांच कर रहे हैं, अभी मुख्यमंत्री अस्पताल में ही भर्ती रहेंगे।
शिमला। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, अस्पताल शिमला, डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज, अस्पताल टांडा और अन्य मेडिकल कॉलेजों में हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मेडिकल कॉलेजों में दिव्यांग छात्रों से फीस वसूली जा रही है। यह आरोप दिव्यांगों के लिए कार्य कर रही संस्था उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने लगाया है।
अजय श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने इस बारे में प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र भेज कर तुरंत संज्ञान लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यदि 15 दिन के भीतर संबंधित मेडिकल कॉलेजों ने दिव्यांग बच्चों की फीस वापस नहीं की तो वह हाईकोर्ट में अदालत की अवमानना का केस दायर करेंगे।
अजय श्रीवास्तव ने कहा कि उनकी जनहित याचिका पर 4 जून 2015 को जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने अपनी फैसले में स्पष्ट कहा था कि दिव्यांग विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय स्तर तक निशुल्क शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है।
हाईकोर्ट ने कहा था कि विश्वविद्यालय स्तर तक दिव्यांग बच्चों से कोई भी फीस वसूल नहीं की जाएगी। अदालत के फैसले में टांडा मेडिकल कॉलेज और आईजीएमसी शिमला का तो साफतौर पर उल्लेख है।
इसके बावजूद जून 2015 के बाद 9 वर्ष में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज सैकड़ों दिव्यांग विद्यार्थियों से गैरकानूनी ढंग से फीस वसूल चुके हैं। उन्होंने कहा कि वे समय-समय पर टांडा मेडिकल कॉलेज और आईजीएमसी शिमला के प्रबंधन के ध्यान में हाईकोर्ट का फैसला ला चुके हैं।
इसके बावजूद हाईकोर्ट के आदेशों का खुला उल्लंघन करके एमबीबीएस एवं अन्य कक्षाओं के विद्यार्थियों को फीस देने पर मजबूर किया जा रहा है।
अजय श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों समेत सभी चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षण संस्थानों में दिव्यांग विद्यार्थियों को हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक मुफ्त शिक्षा दी जानी चाहिए।
इसके बावजूद सरकारी मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक, नर्सिंग कॉलेज, और इंडस्ट्रियल ट्रेंनिंग इंस्टीट्यूट (आईटीआई) आदि संस्थान दिव्यांग बच्चों से फीस चार्ज कर रहे हैं। यह बेहद गंभीर मामला है, जो बताता है कि नौकरशाही किस तरह दिव्यांग बच्चों एवं अन्य कमजोर वर्गों के अधिकारों का हनन कर रही है।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने सरकार को दी चेतावनी
शिमला। आईजीएमसी शिमला (IGMC Shimla) के सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से निकालने व कोविड कर्मियों के मुद्दे पर सीटू से संबंधित आईजीएमसी कांट्रेक्ट वर्कर्ज यूनियन ने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, अस्पताल के बाहर धरना प्रदर्शन किया।
यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर नौकरी से निकाले गए सुरक्षा कर्मियों व कोविड कर्मियों को न्याय न मिला तो आंदोलन तेज होगा। इसका जिम्मेदार आईजीएमसी प्रशासन होगा।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने बताया कि आईजीएमसी में राजनीति के चलते पिछले कई वर्ष से काम कर रहे सुरक्षा कर्मियों को निकाला गया है। नियमों को दरकिनार कर कंपनी को नए टेंडर दिए गए हैं। आईजीएमसी प्रबंधन की मिलीभगत से यह टेंडर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि यह आंदोलन निर्णायक मोड़ लेगा। IGMC से निकाले गए कर्मियों को शीघ्र वापस नहीं लिया गया तो गिरफ्तारियां भी दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मामले की जांच कर आरोपी अधिकारियों को सलाखों के पीछे डालने की मांग की है।
वहीं, आईजीएमसी (IGMC) सुरक्षा कर्मी यूनियन के पूर्व में प्रधान रहे बबलू ने कहा कि वह राजनीति का शिकार हुए हैं। कहा जा रहा है कि वे पूर्व एमएस जनक राज के आदमी हैं। उन्हें नौकरी से निकाले जाने के बाद काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
महिलाओं को छोटे बच्चों के साथ मजबूरन यहां धरने पर बैठना पड़ रहा है, लेकिन आईजीएमसी (IGMC) प्रशासन सुध नहीं ले रहा है।
शिमला।हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला (IGMC Shimla) में किसी बात को लेकर आधी रात को दो गुटों में मारपीट हुई है। बताया जा रहा है कि आईजीएमसी (IGMC) के ही मेडिकल कॉलेज के छात्रों की किसी बात को लेकर कुछ बाहरी लोगों के साथ कहासुनी हो गई, लेकिन यह कहासूनी देखते ही देखते मारपीट में बदल गई।
बवाल बढ़ गया तो देखते ही देखते वहां पर लोगों का हुजूम लग गया। मौके पर आलम यह था कि लोग देखते रहे और IGMC के मेडिकल छात्र व अन्य लोग आपस में एक-दूसरे लात घूंसे बरसाते रहे। मेडिकल कॉलेज के छात्रों व बाहरी लोगो के बीच हुई यह लड़ाई किसी फिल्मी सीन की तरह कई मिनट तक चलती रही।
वहां खड़े किसी व्यक्ति ने लड़ाई का वीडियो अपने मोबाइल में शूट कर लिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। छात्रों के साथ किस बात को लेकर कहासूनी हुई फिलहाल इस बात की जानकारी नहीं मिल पाई है।
नौकरी से निकाले कर्मियों को वापस न रखा तो करेंगे आंदोलन
शिमला। आईजीएमसी (IGMC) के 34 गार्ड्स को नौकरी से निकालने के खिलाफ सुरक्षा कर्मियों ने सीटू के बैनर तले आज डीसी ऑफिस शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर नौकरी से निकाले गए कर्मियों को वापस नौकरी पर न रखा गया तो आंदोलन तेज होगा।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि 34 सुरक्षा कर्मियों को नौकरी से बाहर निकालने का निर्णय गैर कानूनी है। इसे तुरंत वापस लिया जाए। अगर ऐसा न किया गया तो कल से आईजीएमसी (IGMC) में जोरदार प्रदर्शन और हड़ताल होगी। उन्होंने कहा कि आईजीएमसी में सुरक्षा कर्मियों को मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है।
ठेकेदार बदलने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है जोकि यूनियन से आईजीएमसी प्रबंधन द्वारा किए गए समझौते व औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 एच का खुला उल्लंघन है।
आईजीएमसी (IGMC) प्रबंधन भी नए ठेकेदार के साथ मिलकर श्रम कानूनों की खुली अवहेलना कर रहा है। पिछले कई वर्षों से कार्यरत सुरक्षा कर्मियों की पुनर्नियुक्ति में श्रम कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है।
औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 25 एच की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। नई आउटसोर्स कम्पनी द्वारा जो शपथ पत्र सुरक्षा कर्मियों से लिया जा रहा है, उसमें अनुचित श्रम व्यवहार किया जा रहा है।
उन्होंने चेताया है कि अगर सभी सुरक्षा कर्मियों की पुनर्नियुक्ति न की गई तो कल से आईजीएमसी शिमला के बाहर धरना दिया जाएगा। इसका जिम्मेदार प्रशासन होगा।