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सर्दियों में कब्ज और तनाव से रहना चाहते दूर तो करें यह ट्राई

सर्दियों का मौसम आ गया है। शरीर को बाहर से तो गर्म कपड़े पहनकर गर्म रख सकते हैं पर अंदर से भी शरीर गर्म रखना जरूरी होता है। ऐसे में सर्दियों में गर्म प्रकृति के फूड को खाने में शामिल करना चाहिए। ऐसे ही एक आसानी से मिलने वाले फूड के बारे में हम आपको बताते हैं। जी हां यह है तिल। तिल के बारे आप सब लोग जानते होंगे।

कई लोग तिल की चटनी का प्रयोग भी करते हैं। क्या आपको पता है कि तिल के बीजों में औषधीय गुण होते हैं। यह कई तरह की बीमारियों के लिए संजीवनी का काम करते हैं। हालांकि, सामान्य जानकारी के लिए हम यह बता रहे हैं। ज्यादा जानकारी के लिए डॉक्टर से ही संपर्क करें।

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तिल के बीज प्रोटीन, स्वस्थ वसा के भरपूर होते हैं। इन बीजों में पिनोरेसिनॉल पाचन एंजाइम माल्टेस की क्रिया को रोकता है। ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है। बहुत लोग कब्ज और खराब पाचन से परेशान रहते हैं। कब्ज कई रोगों की जड़ है। खराब पाचन या कब्ज में तिल के बीजों का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।

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तिल के बीज एंग्जायटी को कम करने वाले प्रभाव के साथ एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल्स को दूर करते हैं। इससे दिमाग तनाव से मुक्त रहता है। तिल का सेवन कैसे कर सकते हैं, हम आपको बताते हैं। इसका सेवन कच्चे या सूखे रूप में किया जा सकता है। भुने हुए स्नैक्स के रूप में प्रयोग हो सकता है। गुड के साथ मिलाकर भी इसे खाया जाता है। आजकल तिल वाली रेवड़ियां, गचक और लड्डू आदि भी बाजार में मिलते हैं। लोग इन्हें खाते हैं।

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सावधान ! ठंड से बचने को जलाते हैं अंगीठी तो इन बातों का रखें ध्यान

सर्दियों का मौसम शुरू हो गया है। ठंड से बचने के लिए लोग की तरह की चीजों का सहारा लेते हैं। कुछ लोग हीटर, ब्लोअर आदि का प्रयोग करते हैं तो कुछ लोग अंगीठी या अलाव जलाते हैं। ये चीजें ठंड से तो बचाती हैं लेकिन कहीं न कहीं सेहत के लिए हानिकारक भी होती हैं। इनका प्रयोग करते समय सावधानी बरतना बेहद जरूरी है वरना ये जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अंगीठी का उपयोग ज्यादा करते हैं, लेकिन यह बात ध्यान में रखना बेहद जरूरी है कि बंद कमरे में अंगीठी जलाना हानिकारक है। जानकारी के अभाव में कई बंद कमरे के अंदर लोग अंगीठी जलाकर सो जाते हैं जो कि बड़े हादसे को न्योता देने जैसा है। ऐसा ही मामला सामने आया है शिमला जिला के कुमारसैन के शिलाजान गांव में।
यहां गैस लगने से दो लोगों की मौत हो गई है और सात बेहोश हुए हैं। इन लोगों ने ठंड से बचने के लिए लोहे की बाल्टी में लकड़ियों से आग जलाई थी। पर एक गलती कर बैठे कि रात को बाल्टी कमरे में ही रहने दी और सो गए।
सुबह बड़ी मुश्किल से दो मजदूरों ने दरवाजा खोला तो पाया कि सभी बेहोश थे। सभी को सीएचसी कोटगढ़ ले जाया गया। अस्पताल में सिरमौर जिला के चाड़ना निवासी रमेश (22) और सुनील (21) की मौत हो गई। बबाई बलीच गांल श्री रेणुका जी के विनोद, अनिल, कुलदीप, राजेन्द्र चौहान, राहुल, कुलदीप व यशपाल को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है।
किस तरह जानलेवा है कोयले की गैस जानिए –
बता दें कि बंद कमरे में लकड़ी या कोयले की अंगीठी को जलाने से ऑक्सीजन का स्तर घटता है। इसके साथ ही कमरे में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है, जो सीधे मनुष्य के दिमाग पर असर डालता है। दिमाग पर कार्बन मोनोऑक्साइड का असर पूरे शरीर में होता है और सोया हुआ इंसान बेहोश हो जाता है।
बंद कमरे में अंगीठी को रखा जाता है तो कार्बन मोनोऑक्साइड सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचता है। इसके फेफड़ों तक पहुंचने के बाद ये सीधा खून में मिल जाता है, जिससे हीमोग्लोबिन का लेवल घट जाता है और इंसान की मौत हो जाती है।
अंगीठी से निकलने वाली गैस सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं बल्कि आंखों को भी नुकसान पहुंचाती है। अंगीठी के सामने बैठने से आंसुओं की परत सूख जाती है। ठंड दूर भगाने को अंगीठी के बजाय मैकेनिकल हीटर आदि का प्रयोग ज्यादा उपयुक्त है। हालांकि रात में सोते समय इसे बंद करना भी नहीं भूलना चाहिए।
अंगीठी जलाते कुछ सावधानियां बरत सकते हैं जैसे –
  • सर्दियों में अगर आप अंगीठी का इस्तेमाल कर रहे हैं तो कभी भी कमरे को पूरी तरह से बंद न करें। कमरे की खिड़की को हमेशा खुला रखें।
  • अंगीठी जलाकर उसके आसपास ना सोएं।
  • कमरे में अंगीठी जलाते वक्त हमेशा एक बाल्टी पानी भरकर किनारे जरूर रखें।
  • जमीन पर सोने से बचें। अंगीठी के आसपास किसी भी तरह का प्लास्टिक का सामान, केमिकल, कपड़े आदि रखने से बचें।
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