जिला कार्यक्रम अधिकारी ने आंगनबाड़ी कर्मियों को दिए निर्देश
हमीरपुर। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के नाम पर ठगी हो रही है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के नाम से हो रही धोखाधड़ी और फर्जी मोबाइल कॉल्स का कड़ा संज्ञान लेते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग के हमीरपुर जिला कार्यक्रम अधिकारी बलवीर सिंह बिरला ने सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, वृत्त पर्यवेक्षकों और आम लोगों से विशेष एहतियात बरतने की अपील की है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत महिलाओं को सरकार की ओर से वित्तीय लाभ प्रदान किए जाते हैं, लेकिन कुछ असामाजिक तत्व इस योजना के नाम पर बहुत ही सुनियोजित तरीके से ठगी करने का प्रयास कर रहे हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि ये ठग आम लोगों की गोपनीय जानकारी कहां से निकाल रहे हैं, इसकी जांच की जा रही है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को संदेह वाले फोन नंबर से कोई भी कॉल न उठाने और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना से संबंधित कोई भी जानकारी किसी अज्ञात व्यक्ति के साथ साझा न करने तथा इस संबंध में सभी लाभार्थियों को आगाह करने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने लाभार्थियों से आग्रह किया है कि वे किसी भी अज्ञात या संदिग्ध व्यक्ति के साथ अपने बैंक खाता या आधार इत्यादि की जानकारी कभी भी सांझा न करें।
कैसे की जा रही धोखाधड़ी
असामाजिक तत्व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को फोन करके खुद को महिला एवं बाल विकास विभाग के कर्मचारी बताते हैं और प्रोफेशनल ढंग से बात करते हुए लाभार्थियों की जानकारी मांगते हैं। कई बार ये लोग सीधा लाभार्थियों को ही फोन कर देते हैं।
मोबाइल फोन पर बात करते समय ये प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की राशि की बकाया किश्तों का भुगतान एक ऑनलाइन लिंक के माध्यम से करने का झांसा देते हैं। वे मोबाइल पर एक लिंक भेजते हैं और लाभार्थियों के खाते में उपलब्ध राशि को उड़ा लेते हैं।
चंबा। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला में चंबा-जोत मार्ग पर जोत में बर्फबारी शुरू हो गई है। चंबा जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण तरफ से ये एडवाइजरी जारी की गई है कि चंबा-जोत मार्ग पर आवाजाही से परहेज करें। किसी भी आपात स्थिति में टोल फ्री नंबर 1077 पर संपर्क करें।
केलांग पुलिस थाना ने लोगों से एहतियात बरतने के लिए कहा
केलांग।हिमाचल को लाहौल स्पीति जिला के दारचा-सरजू मार्ग पर खतरा मंडरा है। दारचा-सरचू मार्ग पर सूरजताल में भूस्खलन के चलते पत्थर गिर रहे हैं। पुलिस थाना केलांग क्षेत्राधिकार में दारचा से सरचू व सरचू से दारचा की तरफ आवाजाही कर रहे वाहन चालकों को फेसबुक में पोस्ट डालकर सूचित किया गया है।
बताया गया है कि दारचा-सरचू सड़क मार्ग में सूरजताल नामक स्थान पर भूस्खलन के कारण बार-बार पत्थर पहाड़ी से सड़क पर गिर रहे हैं। सभी से निवेदन है कि उपरोक्त वर्णित सड़क मार्ग पर वाहन चलाते समय विशेष एहतियात रखें। ताकि किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना न हो सके।
सर्दियों का मौसम शुरू हो गया है। ठंड से बचने के लिए लोग की तरह की चीजों का सहारा लेते हैं। कुछ लोग हीटर, ब्लोअर आदि का प्रयोग करते हैं तो कुछ लोग अंगीठी या अलाव जलाते हैं। ये चीजें ठंड से तो बचाती हैं लेकिन कहीं न कहीं सेहत के लिए हानिकारक भी होती हैं। इनका प्रयोग करते समय सावधानी बरतना बेहद जरूरी है वरना ये जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अंगीठी का उपयोग ज्यादा करते हैं, लेकिन यह बात ध्यान में रखना बेहद जरूरी है कि बंद कमरे में अंगीठी जलाना हानिकारक है। जानकारी के अभाव में कई बंद कमरे के अंदर लोग अंगीठी जलाकर सो जाते हैं जो कि बड़े हादसे को न्योता देने जैसा है। ऐसा ही मामला सामने आया है शिमला जिला के कुमारसैन के शिलाजान गांव में।
यहां गैस लगने से दो लोगों की मौत हो गई है और सात बेहोश हुए हैं। इन लोगों ने ठंड से बचने के लिए लोहे की बाल्टी में लकड़ियों से आग जलाई थी। पर एक गलती कर बैठे कि रात को बाल्टी कमरे में ही रहने दी और सो गए।
सुबह बड़ी मुश्किल से दो मजदूरों ने दरवाजा खोला तो पाया कि सभी बेहोश थे। सभी को सीएचसी कोटगढ़ ले जाया गया। अस्पताल में सिरमौर जिला के चाड़ना निवासी रमेश (22) और सुनील (21) की मौत हो गई। बबाई बलीच गांल श्री रेणुका जी के विनोद, अनिल, कुलदीप, राजेन्द्र चौहान, राहुल, कुलदीप व यशपाल को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है।
बता दें कि बंद कमरे में लकड़ी या कोयले की अंगीठी को जलाने से ऑक्सीजन का स्तर घटता है। इसके साथ ही कमरे में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है, जो सीधे मनुष्य के दिमाग पर असर डालता है। दिमाग पर कार्बन मोनोऑक्साइड का असर पूरे शरीर में होता है और सोया हुआ इंसान बेहोश हो जाता है।
बंद कमरे में अंगीठी को रखा जाता है तो कार्बन मोनोऑक्साइड सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचता है। इसके फेफड़ों तक पहुंचने के बाद ये सीधा खून में मिल जाता है, जिससे हीमोग्लोबिन का लेवल घट जाता है और इंसान की मौत हो जाती है।
अंगीठी से निकलने वाली गैस सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं बल्कि आंखों को भी नुकसान पहुंचाती है। अंगीठी के सामने बैठने से आंसुओं की परत सूख जाती है। ठंड दूर भगाने को अंगीठी के बजाय मैकेनिकल हीटर आदि का प्रयोग ज्यादा उपयुक्त है। हालांकि रात में सोते समय इसे बंद करना भी नहीं भूलना चाहिए।
अंगीठी जलाते कुछ सावधानियां बरत सकते हैं जैसे –
सर्दियों में अगर आप अंगीठी का इस्तेमाल कर रहे हैं तो कभी भी कमरे को पूरी तरह से बंद न करें। कमरे की खिड़की को हमेशा खुला रखें।
अंगीठी जलाकर उसके आसपास ना सोएं।
कमरे में अंगीठी जलाते वक्त हमेशा एक बाल्टी पानी भरकर किनारे जरूर रखें।
जमीन पर सोने से बचें। अंगीठी के आसपास किसी भी तरह का प्लास्टिक का सामान, केमिकल, कपड़े आदि रखने से बचें।