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शिमला। शिरगुल महाराज की तपोस्थली चूड़धार चोटी पर बुधवार को पहली बार हेलीकॉप्टर की सफल लैंडिंग हुई। कालाबाग में हेलीपैड का निर्माण कार्य किया गया है। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद आज सुबह ट्रायल के लिए शिमला से एक हेलीकॉप्टर चूड़धार पहुंचा।
कालाबाग में बने नए हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर की सफल लैंडिग हुई। हालांकि, कुछ वर्ष पहले हेलीकॉप्टर से श्रद्धालुओं को रेस्क्यू किया गया है, लेकिन लैंडिंग नहीं हुई थी।
शिमला प्रशासन के प्रयासों से ये ट्रायल सफल रहा। लैंडिंग से पहले चूड़धार में विराजमान शिरगुल महाराज से भी अनुमति ली गई।
शिमला हेलीपोर्ट से उड़ान भरने के बाद हेलीकॉप्टर चूड़धार चोटी के कालाबाग में करीब 12 से 15 मिनट में लैंड हो गया। सुबह नौ बजे के आसपास टेक ऑफ किया गया था। मंदिर में करीब दो घंटे बिताने के बाद प्रशासन वापस शिमला लौटा था।
कांग्रेस के संगठन मंत्री रजनीश खिमटा ने एक निजी कंपनी का चौपर हायर किया था। शिमला से चूड़धार की उड़ान में डीसी आदित्य नेगी, चौपाल के एसडीएम नारायण सिंह चौहान, कांग्रेस के संगठन महामंत्री रजनीश खिमटा व डीएफओ भी शामिल थे। छह सीटर चौपर का ट्रायल सफल हुआ है।
ट्रायल के सफल होने के बाद प्रशासन जल्द ही श्रद्धालुओं के लिए भी चौपर सुविधा उपलब्ध करवाने की तैयारी में जुट सकता है। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो अगले सीजन से श्रद्धालुओं को हवाई यात्रा रियायती दरों पर उपलब्ध हो सकती हैं।
इसके लिए दो बिंदुओं पर कार्य हो रहा है। पहला प्रयास ये है कि छह-छह सीटर दो चौपर को लैंड करने की व्यवस्था हो। दूसरी कोशिश ये है कि बड़े हेलीकॉप्टर को उतारा जा सके।
चूड़धार चोटी तक पहुंचने के लिए दो मुख्य पैदल रास्ते हैं। सिरमौर के नौहराधार से करीब 16 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई से चूड़धार पहुंचा जा सकता है।
वहीं, दूसरी तरफ चौपाल के सरांह से भी 8-10 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई है। सरांह से पुलबाहल तक सड़क के निर्माण से पैदल दूरी काफी घट भी गई है। तकरीबन 11 से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर चूड़धार में स्थित शिरगुल महाराज के प्राचीन मंदिर को जीर्णोद्धार के बाद नया स्वरूप प्रदान करने का कार्य भी पूरा हो चुका है।
राजगढ़। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला में स्थित आराध्य देव शिरगुल महाराज की तपोस्थली चूड़धार में सीजन का पहला हिमपात हुआ है। रविवार के बाद सोमवार को दूसरे दिन भी यहां हिमपात हुआ है।
चूड़धार में चोटियां सफेद हो गई हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां दिवाली से ठीक पहले शिरगुल महाराज अपनी तपोस्थली पर बर्फबारी करते हैं।
गौर हो कि चूड़धार यात्रा एक मई को शुरू होकर 30 नवंबर तक चलती है, मगर इस बार समय से पहले ही बर्फबारी होने के कारण यात्रा प्रभावित हो सकती है।
चूड़धार में सुबह से बर्फबारी शुरू होने से यहां रुके हुए श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ा। यहां का तापमान शून्य से नीचे लुढ़क गया है। सोमवार सुबह शिरगुल मंदिर में दर्शन कर यात्रियों का जत्था वापस भेज दिया गया।
अचानक हुए इस हिमपात से नौहराधार, हरिपुरधार आदि क्षेत्र के तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जिससे ठंड का प्रकोप बढ़ गया है। मध्यम ऊंचाई वाले स्थानों पर मटर की फसल को भी ओलावृष्टि से भारी नुकसान होने की आशंका है। इसे लेकर किसान थोड़े चितिंत नजर आए।
बता दें कि रविवार को चूड़धार की चोटी पर बारिश नहीं हुई बल्कि अचानक बर्फबारी शुरू हो गई। इस बर्फबारी से नौहराधार, हरिपुरधार आदि क्षेत्र के तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे ठंड का प्रकोप बढ़ गया है। ठंड से बचने के लिए लोगों ने गर्म कपड़े निकाल दिए हैं।
चूड़धार में बर्फ गिरने के चलते चूड़धार का न्यूनतम तापमान चार डिग्री सेल्सियस, जबकि अधिकतम तापमान छह डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। नौहराधार, हरिपुरधार का न्यूनतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया है।
चौपाल। हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला में चौपाल से चूड़धार जाने वाले मार्ग पर पेड़ों के ठूंठों में सिक्के गड़े हुए मिले हैं। ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि शिरगुल महाराज की तपोस्थली चूड़धार की तरफ जाते समय लोग या तो रास्ते में भटकने के डर से पेड़ों के ठूंठ पर सिक्के गाड़ देते होंगे ताकि उन्हें रास्ते का पता चल सके क्योंकि चूड़धार जाते समय लोगों को जंगल से होकर गुजरना पड़ता है जिससे लौटते समय रास्ता भटकने का डर बना रहता है।
दूसरी वजह लोगों की आस्था भी हो सकती है। किसी मन्नत के तौर पर लोग यहां सिक्के गाड़ते होंगे। सही वजह जो भी हो, लेकिन लोगों के लिए ये तस्वीरें खासी उत्साहित करने वाली हैं और चर्चा का विषय बनी हुई हैं। आपका इसे लेकर क्या मानना है कमेंट कर जरूर बताएं ….