शिमला। हिमाचल के तीन निर्दलीय विधायक होशियार सिंह (देहरा), आशीष शर्मा (हमीरपुर) और केएल ठाकुर (नालागढ़) के इस्तीफे स्वीकार न होने के मामले में हाईकोर्ट दायर याचिका पर आज सुनवाई हुई। इसमें दोनों पक्षों की तरफ से अपनी-अपनी दलील दी गई।
लगभग तीन घंटे तक बहस चली, जिसमें स्पीकर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पैरवी की।
कोर्ट ने तीन निर्दलीय विधायक मामले को अब 30 अप्रैल 4 बजकर 15 मिनट पर सुनने का निर्णय लिया है, जिसमें स्पीकर की तरफ से बहस पूरी की जाएगी। यह जानकारी हिमाचल के एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने दी।
एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने बताया कि तीन निर्दलीय विधायकों के वकील ने कोर्ट में अपनी दलील पूरी कीं। अब हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से आर्गुमेंट जारी हैं।
कोर्ट मंगलवार सवा चार बजे मामले की सुनवाई दोबारा शुरू करेगा। इसमें स्पीकर की तरफ से वकील आर्गुमेंट रखेंगे।
उन्होंने बताया कि हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और उनके सहयोगी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पैरवी कर रहे थे। उम्मीद है कि मंगलवार को भी वह वीडियो कांफ्रेंसिंग से पैरवी करेंगे।
शिमला। हिमाचल के तीन निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा सदस्यता से इस्तीफे दे दिए हैं। हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने अभी इस्तीफे स्वीकार नहीं किए हैं।
इसको लेकर निर्दलीय विधायक हाईकोर्ट पहुंचे हैं। मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
वहीं, हिमाचल सरकार के मंत्री जगत सिंह नेगी ने बीते कल यानी 24 अप्रैल को विधानसभा अध्यक्ष को एक याचिका दी है। याचिका दल बदल कानून के प्रावधानों के तहत दायर की गई है।
याचिका में कहा है कि निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफा स्वीकार होने से पहले ही भाजपा ज्वाइन कर ली थी। ऐसे में यह मामला दल बदल कानून के दायरे में आता है। इसलिए विधानसभा अध्यक्ष इनकी सदस्यता को रद्द करें।
वहीं, विधायक हरीश जनार्था ने भी मामले में शामिल कर पक्ष सुनने के लिए एक अलग याचिका हाईकोर्ट में दी है।
शिमला में पत्रकार वार्ता कर बागवानी एवं राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि भाजपा ने षड्यंत्र के तहत प्रदेश की चुनी हुई सरकार को गिराने का प्रयास किया था, जिसमें उसे कामयाबी नहीं मिली है।
देहरा के निर्दलीय विधायक होशियार सिंह, हमीरपुर के आशीष शर्मा और नालागढ़ के केएल ठाकुर ने भी दबाव में इस्तीफे दिए हैं। इस्तीफे स्वीकार होने से पहले ही भाजपा में शामिल हुए हैं, जो दल बदल कानून के दायरे में आता है।
इसलिए स्पीकर से इन्हें अयोग्य करार देने की मांग की गई है। साथ ही विधायक हरीश जनारथा ने बीते कल मामले को लेकर अपना पक्ष रखने के लिए सम्मिलित करने के लिए याचिका दायर की है।
वहीं, जगत सिंह नेगी ने भाजपा पर तीखा जुबानी हमला बोलते हुए कहा कि मंडी से भाजपा प्रत्याशी मूर्खो की तरह बयान दे रही है और विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर भी मजबूरी में साथ साथ चल रहे हैं।
कंगना कह रही हैं कि देश 2014 में आजाद हुआ और नेता जी सुभाष चंद्र बोस पहले प्रधानमंत्री थे। क्या भाजपा प्रत्याशी हिमाचल प्रदेश की जनता को अनपढ़ समझ रही है, जिन्हें कुछ मालूम नहीं है।
शिमला। हिमाचल में तीन निर्दलीय विधायकों से जुड़ी याचिका पर हाईकोर्ट में अब कल यानी 25 अप्रैल को सुनवाई होगी।
बता दें कि कांगड़ा जिला के देहरा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह, नालागढ़ से केएल ठाकुर और हमीरपुर से आशीष शर्मा ने 22 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा दे दिया था, लेकिन स्पीकर ने अभी तक इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है।
इस याचिका पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने इस्तीफा देने वाले तीनों निर्दलीय विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर 10 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा था।
तीन निर्दलीय विधायक विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के सामने पेश हुए और तीनों निर्दलियों ने एक-एक कर अपना पक्ष विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष लिखित में रखा।
इसके बाद तीनों विधायकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने हिमाचल विधानसभा सचिवालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
राज्य सरकार ने आज कोर्ट में एक एप्लिकेशन डालकर कहा कि CPS केस में हाईकोर्ट का फैसला पूरे देश में लागू होने वाला है। इसलिए इस केस में देश के बेहतर एक्सपर्ट व कानून के जानकारों को बहस का मौका मिलना चाहिए।
हिमाचल प्रदेश राज्यसभा सीट पर कांग्रेस के पास बहुमत के बावजूद बड़ा उलटफेर हुआ था। कांग्रेस के दिग्गज नेता अभिषेक मनु सिंघवी को मिली हार अभी भी हिमाचल की सियासत में छाई हुई है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यसभा वोटिंग में बराबरी के बाद पर्ची सिस्टम से निकाले गए परिणाम को 6 अप्रैल को हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
बता दें कि 27 फरवरी को हिमाचल राज्यसभा की एक सीट पर चुनाव हुआ था, जिसमें तीन निर्दलीयों समेत कांग्रेस के 6 विधायकों ने अभिषेक मनु सिंघवी के खिलाफ वोट दिया था।
68 सदस्यों वाली हिमाचल विधानसभा में 34 -34 पर मामला अटक गया था। टाई होने के बाद पर्ची सिस्टम से नाम निकाला गया था।
पर्ची अभिषेक मनु सिंघवी के नाम की निकली थी, लेकिन भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन को विजयी घोषित किया गया था।
शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने इस्तीफा देने वाले तीनों निर्दलीय विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर 10 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा था। तीन निर्दलीय विधायक आज विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के सामने पेश हुए।
इन तीनों निर्दलीय विधायकों में देहरा से होशियार सिंह, नालागढ़ से केएल ठाकुर और हमीरपुर से आशीष शर्मा ने विधानसभा की सदस्यता से 22 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष तथा सचिव को अपने इस्तीफे सौंपे थे। हालांकि, अभी इस्तीफे मंजूर करने पर फैसला नहीं हो पाया है।
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि निर्दलीय विधायकों ने 22 मार्च को सचिव विधानसभा के पास अपना इस्तीफा दिया और इसके बाद मुझे भी इसकी प्रति दी। इसके दूसरे दिन कांग्रेस विधायकों की ओर से निर्दलियों के इस्तीफे के खिलाफ एक याचिका विधानसभा सचिवालय को दी गई।
पठानिया ने कहा कि जब भी कोई विधायक इस्तीफा देता है तो उस संबंध में नियम है कि यदि अध्यक्ष को यह लगे कि जिन परिस्थितियों में विधायक ने इस्तीफा दिया है, उन परिस्थितियों की जांच करना जरूरी है।
इस स्थिति में संविधान के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष जांच के लिए अधिकृत है। इसी के तहत तीनों विधायकों को नोटिस जारी किया और राज्यपाल को भी इस संबध में सूचित किया था।
नोटिस में विधायकों को 10 अप्रैल को विधानसभा सचिवालय में उपस्थित रहने को कहा था। साथ ही एक दिन पहले नोटिस का जवाब विधानसभा सचिवालय को देने के लिए कहा था। पठानिया ने कहा कि तीनों निर्दलीय विधायक आज उपस्थित हुए। उन्होंने जवाब के लिए समय मांगा। अब मामला गंभीर हो गया है।
विधायकों की ओर से विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के विरोध में रिट पिटीशन की गई है। इसमें विधानसभा अध्यक्ष के सांवैधानिक अधिकारों को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिवालय से जवाब मांगा है।
मामले की सुनवाई 24 अप्रैल को होगी। कुलदीप पठानिया ने कहा कि निर्दलीय भी जब कोई राजनीति दल ज्वाइन करता है तो दलबदल विरोधी कानून को अट्रैक्ट करता है। यानि यह दलबदल प्रावधानों का उल्लंघन है।
हिमाचल के निर्दलीय विधायकों ने कहा है कि अगर विधानसभा अध्यक्ष उनका इस्तीफा मंजूर कर लेते हैं तो अदालत से मामला वापिस ले लेंगे। ढाई बजे तीनों निर्लदलियों ने एक-एक कर अपना पक्ष विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष लिखित में रखा।
विधायक केएल ठाकुर ने कहा कि उन्होंने अपना विस्तृत लिखित जवाब विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा दिया है। उन्होंने कहा हम पहले से इस बात को कह रहे हैं कि हमने अपना बिना किसी दबाव और प्रलोभन के स्वेच्छा से सौंपा है।
उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत रूप से मुख्यमंत्री के द्वारा की प्रताड़ना और विधानसभा क्षेत्र में काम न होने की वजह से इस्तीफा दिया है।
वहीं, विधायक होशियार सिंह ने कहा कि 22 मार्च को उन्होंने निर्दलीय विधायक के तौर पर इस्तीफा दिया था और किसी पार्टी से नहीं थे। इस संबंध में जल्द फैसला लिया जाना चाहिए।
मिजोरम में भी इस तरह के मामले में कोर्ट ने विधानसभा को एक दिन में फैसला देने के आदेश दिए थे। इस संबंध में विधानसभा सचिवालय को पहले भी जवाब दिया गया है। बार-बार जवाब देने की जरूरत नहीं है।
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट ने सुक्खू सरकार के लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि बंद करने के फैसले पर रोक लगा दी है। यह जानकारी नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने दी है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान राशि बहाल करने के हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि आपातकाल में देश के संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए संघर्ष करने वाले प्रहरियों हो भारतीय जनता पार्टी द्वारा सम्मानित किया गया था।
भारतीय जनता पार्टी की सरकार के द्वारा शुरू की गई इस योजना की बहाली का हार्दिक स्वागत है। लोकतंत्र प्रहरियों की इस जीत से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस सरकार यह यह फैसला भी असंवैधानिक था।
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि लोकतंत्र प्रहरी सम्मान योजना के तहत पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा 15 दिन तक जेल में रहने वाले लोकतंत्र प्रहरियों को प्रतिमाह 15 हजार एवं उससे ज्यादा समय तक जेल में रहने पर 20 हज़ार प्रतिमान दिए जाते थे, जिसे सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सत्ता में आते ही बंद कर दिया था।
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में सीपीएस (CPS) मामले पर आज सुनवाई हुई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को रखी है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश बीसी नेगी की बेंच में मामले की सुनवाई हुई। अब मामले में 22 से 24 अप्रैल तक लगातार बहस होगी और बहस पूरी होने के बाद कोर्ट फैसला सुनाएगा।
हिमाचल में 6 सीपीएस की नियुक्तियों के खिलाफ कल्पना देवी ने पीआईएल दायर की है। साथ ही भाजपा के 12 विधायकों ने भी नियुक्तियों को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
मंगलवार को कल्पना देवी बनाम हिमाचल सरकार मामले में सुनवाई हुई। कल्पना देवी के वकील संजय कुमार ने बताया कि मामला एक साल से चल रहा है, जिस पर कोर्ट गंभीरता से सुनवाई कर रहा है।
शिमला। साइबर फ्रॉड के मामलों को लेकर हिमाचल के लोगों के लिए बड़ी राहत मिली है। अब नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर शिकायत कर आसानी से अपनी धनराशि जारी करवा सकेंगे।
बता दें कि हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य के ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिए हैं कि साइबर धोखाधड़ी के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (National Cyber Crime Reporting Portal) पर पहले से ही दर्ज किए गए मामले/शिकायतों में एफआईआर दर्ज करने पर जोर न दिया जाए।
ऐसे अपराधों के पीड़ितों के पक्ष में धनराशि जारी करके ऐसे मामलों का निपटारा किया जाना चाहिए। संबंधित साइबर पुलिस स्टेशनों द्वारा मामले में की गई कार्रवाई रिपोर्ट के साथ उक्त पोर्टल पर दर्ज शिकायत की प्रति के आधार पर आवेदन किया जाएगा।
इससे पहले, जब शिकायत संबंधित बैंक विवरण के साथ उक्त धनराशि जारी करने के लिए ट्रायल कोर्ट में जाती थी, जिसमें पैसा जमा कर दिया गया था/रोक दिया गया था, तो ट्रायल कोर्ट ने इन मामलों में एफआईआर दर्ज करने पर जोर देता है, जिससे साइबर अपराध पीड़ितों को पैसा रिलीज में बहुत देरी और असुविधा होती थी।
अब इन निर्देशों से हिमाचल के शिकायतकर्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी और पीड़ित उपरोक्त पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज कराकर अपनी धनराशि आसानी से जारी करा सकेंगे।
हिमाचल डीजीपी ने उक्त निर्देश जारी करने के लिए हिमाचल पुलिस के लिए हिमाचल हाईकोर्ट का धन्यवाद किया है।