मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट भाषण में की घोषणा
शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट भाषण के दौरान शिक्षा क्षेत्र को लेकर भी कुछ ऐलान किए हैं। बजट भाषण में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ के अनुरूप प्रदेश में स्कूली स्तर पर 5+3+3+4 शिक्षा प्रणाली लागू की जाएगी, जिसमें तीन साल का Pre School ‘बाल वाटिका’ पाठ्यक्रम भी शामिल होगा।
प्रदेश में अभी 6 हजार से अधिक प्राथमिक पाठशालाओं में प्री-स्कूल चलाए जा रहे हैं। इस व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए आगामी वित्तीय वर्ष में 6 हजार नर्सरी टीचर नियुक्त किए जाएंगे।
पात्र आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी नर्सरी अध्यापक बनने का अवसर दिया जाएगा और इसके लिए उन्हें Bridge Course भी करवाया जाएगा।
इस व्यवस्था को सुचारू रूप से लागू करने के लिए पहली कक्षा में प्रवेश के लिए ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ के अनुसार कम से कम 6 वर्ष की आयु तय की गई है और प्री-प्राइमरी की तीन कक्षाओं में प्रवेश के लिए क्रमश: 3, 4 और 5 वर्ष की न्यूनतम आयु सीमा तय की गई है।
स्कूलों और समाज के बीच बेहतर ताल-मेल के लिए तथा सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने के लिए ‘‘अपना विद्यालय-मेरा विद्यालय-मेरा सम्मान’’ योजना प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है।
इसमें, जहां एक ओर मुख्यमंत्री से लेकर खंड स्तरीय अधिकारी तक सभी एक-एक शिक्षण संस्थान को गोद लेंगे, वहीं दूसरी ओर समुदाय को स्कूलों से जोड़ा जाएगा। इसमें पात्र एवं इच्छुक व्यक्तियों द्वारा निशुल्क शिक्षा प्रदान किए जाने की व्यवस्था भी की जाएगी।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट भाषण में कहा कि प्रत्येक उपमंडल में एसडीएम को सभी प्राइमरी स्कूल की महीने में एक दिन बारी-बारी से अनिवार्य रूप से रिव्यू मीटिंग करनी होगी। इस बैठक में उस स्कूल में न केवल विद्यार्थियों बल्कि अध्यापकों की परफोर्मेंस का भी रिव्यू किया जाएगा।
अभिभावकों के साथ भी इसी बैठक में संवाद किया जाएगा। इसी बैठक में स्कूल के रख-रखाव के बारे में भी उचित निर्णय लिया जाएगा। इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए जाएंगे।
प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों की वार्षिक रैकिंग और उनके लिए Performance Based Grant की व्यवस्था की शुरूआत की जाएगी। इस सारी व्यवस्था को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से विकसित किया जाएगा। इसे आम जनता तथा अभिभावकों से भी सांझा किया जाएगा, जिसके लिए एक वेबसाइट बनाई जाएगी।
पढ़ने-पढ़ाने की संस्कृति के विकास के लिए प्रदेश में वर्ष 2024-25 में ‘‘पढ़ो हिमाचल’’ के नाम से एक व्यापक जन अभियान प्रारंभ किया जाएगा। इस अभियान में विद्यालयों के साथ-साथ ग्रामीण एवं शहरी जन समुदाय को भी जोड़ा जाएगा।
इसी अभियान के तहत प्रदेश के 500 शिक्षण संस्थानों में सामान्य पाठकों और विषेश रूप से युवाओं के लिए रीडिंग रूम बनाए जाएंगे तथा इन्हीं शिक्षण संस्थानों के पुस्तकालयों के चलाने में आम जन की भागीदारी को सुनिश्चित किया जाएगा।
प्रत्येक जिला व उपमंडल मुख्यालयों तथा पंचायत स्तर पर एक आधुनिकतम सुविधाओं सहित पुस्तकालय तथा वाचनालय बनाने की घोषणा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट भाषण में की है।
यह कार्य चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा। प्रथम चरण में, पंचायत स्तर पर 493 पुस्तकालयों का निर्माण करके इनमें पुस्तकें तथा अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, जिस पर 88 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे।
जिन स्थानों पर छात्रों और छात्राओं के लिए अलग-अलग स्कूल अथवा महाविद्यालय चल रहे हों, स्थानीय निवासियों की मांग पर आवश्यकतानुसार उन दोनों को मिलाकर एक को एजुकेशन शैक्षणिक संस्थान चलाने की शुरूआत की जाएगी।
इससे छात्र व छात्राओं के शैक्षणिक विकास के साथ-साथ उनका मनोवैज्ञानिक विकास होगा तथा व्यक्तित्व उभरेगा। इसके साथ ही जिन क्षेत्रों में 3 से 5 किलोमीटर के दायरे में कोई प्राथमिक शिक्षा न हो, वहां के बच्चों को नजदीक के स्कूल तक लाने और वापस घर छोड़ने की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाएगी।
बजट भाषण के अनुसार प्रदेश में पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम का संवैधानिक मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा। इसमें प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का समावेश भी किया जाएगा।
इसके लिए पांचवी कक्षा से हिमाचल के इतिहास एवं संस्कृति, भारतीय संविधान, स्वास्थ्य, Basic Hygiene और अन्य सामान्य ज्ञान के विषयों पर अनिवार्य रूप से पाठ्यक्रम आरंभ किया जाएगा।
सभी विद्यालयों में खेलों तथा व्यायाम के लिए प्रतिदिन कम से कम एक पीरियड अनिवार्य किया जाएगा। आवश्यकतानुसार पीईटी की नियुक्ति को प्राथमिकता दी जाएगी। 500 बच्चों से अधिक वाले स्कूलों में स्वयं सहायता समूहों को मिड डे मील के अंतर्गत भोजन बनाने और परोसने में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
सीएम सुक्खू ने बजट भाषण में कहा कि पिछली सरकार ने प्रदेश में तीन स्थानों पर ‘अटल आदर्श विद्यालय’ बनाने प्रारंभ किए। उनकी सरकार इन्हें पूरा करने के लिए न केवल आवश्यक
धनराशि उपलब्ध करवाएगी, बल्कि इन्हें क्रियाशील भी करेगी। ‘राजीव गांधी मॉडल डे बोर्डिंग स्कूलों’ तथा ‘अटल आदर्श विद्यालयों’ के लिए कर्मचारियों का एक विशेष संवर्ग बनाया जाएगा। इन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों पर उत्कृष्ट शिक्षा संस्थानों के रूप में विकसित किया जाएगा।
प्रथम चरण में प्रदेश में लाहडू, नगरोटा बगवां, अमलेहड़, भोरंज, संगनाई (ऊना) आदि सहित 10 राजीव गांधी मॉडल डे बोर्डिंग स्कूलों के निर्माण कार्य को आरंभ किया जाएगा।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार जल जनित रोगों से प्रतिवर्ष भारत को 49 अरब 78 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। भारत के दो तिहाई जिले पानी की कमी से जूझ रहे हैं।
बच्चों को पीने के लिए साफ पानी मिले इसके लिए प्रदेशव्यापी अभियान चलाया जाएगा तथा सरकारी स्कूलों के 8 लाख 50 हज़ार से अधिक बच्चों के लिए एक सुरक्षित एवं स्वच्छ पानी की बोतल उपलब्ध करवाई जाएगी। शिक्षा क्षेत्र में कुल 9 हजार 560 करोड़ रुपये प्रस्तावित हैं।
शिमला। हिमाचल में सरकारी और निजी स्कूलों में छात्रों की संख्या के आंकड़े ने सरकार और शिक्षा विभाग की चिंता बढ़ा दी है। निजी स्कूल, सरकारी स्कूलों को पछाड़ने के करीब पहुंच गए हैं। बुधवार को शिमला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में शिक्षा विभाग द्वारा सौंपी रिपोर्ट के अनुसार सरकारी और निजी स्कूलों में छात्रों की संख्या का अंतर सिर्फ दो फीसदी रह गया है।
हिमाचल सरकारी स्कूलों में 46 फीसदी और प्राइवेट स्कूलों में 44 फीसदी छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। हिमाचल में मॉडल स्कूल विकसित करके इस समस्या से निजात पाने का सुझाव सरकार के पास पहुंचा है। इन स्कूलों में अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टाफ और बिल्डिंग सहित हर सुविधा होगी।
दो तीन साल में इनकी संख्या को बढ़ाया जाएगा। इन स्कूलों में हाई क्वालिफाई और हाईटैक टीचर होंगे और आईटी क्लास रूम आदि होंगे। अब यह कदम कितना कारगर साबित होता है यह तो भविष्य की बात है, लेकिन वर्तमान में छात्रों का सरकारी स्कूलों में भंग होता मोह चिंतनीय है।
बता दें कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को कैसे सुधारा जाए इसको लेकर शिक्षा विभाग ने रिपोर्ट कैबिनेट बैठक में सौंपी। शिक्षा विभाग ने मॉडल स्कूल स्थापित करने का सुझाव दिया है। रिपोर्ट में प्राइमरी, मिडल और हाई स्कूलों को मॉडल स्कूलों में विकसित करने का जिक्र है।
राजगढ़ में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने दी जानकारी
नाहन।हिमाचल में जल्द ही 550 पीजीटी के पदों पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। सरकार ने 550 पद भरने के लिए लोक सेवा आयोग को सिफारिश भेजी है। पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों की भर्ती प्रकिया जल्द शुरू की जाएगी। यह जानकारी शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने वैद्य सूरत सिंह स्मारक राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, राजगढ़ के भवन का शिलान्यास के उपरांत उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए दी।
उन्होंने कहा है कि प्रदेश में टीचिंग स्टाफ के 12 हजार पद शिक्षा विभाग में खाली पड़े थे और प्रदेश की सुक्खू सरकार ने एक साथ 6000 पद भरने की स्वीकृति प्रदान की है। उन्होंने कहा कि प्रमोशन व बैचवाइज आधार पर इन पदों को शिक्षा विभाग में भरा जा रहा है तथा अध्यापकों को दूर दराज के क्षेत्रों में भी नियुक्त किया जा रहा है ताकि प्रदेश के हर क्षेत्र में विद्यार्थियों को गुणात्मक शिक्षा मिल सके।
उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान भर्ती आयोग में धांधलियां की गई, किन्तु अब नए आयोग द्वारा पारदर्शिता के साथ नियुक्तियां प्रारंभ की जाएंगी। प्रदेश सरकार द्वारा कर्मचारियों के पुरानी पेंशन बहाल की है, जिससे प्रदेश के लगभग 1.36 लाख कर्मचारियों को इसका सीधा लाभ पहुंचा है, जिससे कमर्चारियों एवं उनके परिवार का भविष्य सुरक्षित हुआ है।
सानियो दीदग स्कूल में अंडर-19 खेलें
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर जिला सिरमौर के पच्छाद विधानसभा के क्षेत्र के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सानियो दीदग में आयोजित किया जा रहे अंडर-19 खेलकूद प्रतियोगिता के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभागी खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा कि हिमाचल सरकार शिक्षा में गुणवत्ता लाने के साथ-साथ खेल-कूद प्रतियोगिताओं के माध्यम से बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कृत संकल्प है।
उन्होंने कहा कि स्कूलों में बच्चों को नशे की लत से दूर रखने के लिए खेल-कूद प्रतियोगिताएं करवाई जानी आवश्यक है ताकि युवा अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा प्रदान कर सकें। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने प्रतियोगिता की विजेता टीमों को बधाई देते हुए कहा कि जो बच्चे इस बार सफल नहीं हो पाए वह निराश न होकर आगामी प्रतियोगिताओं के लिए और अधिक मेहनत करें, ताकि वह विजेता बन सकें।
शिक्षा मंत्री ने इस अवसर पर प्रतिभागी खिलाड़ियों को पुरस्कार भी वितरित किए। उन्होंने टूर्नामेंट के आयोजन के लिए आयोजकों को 50 हजार रुपये देने की घोषणा भी की।
शिमला।हिमाचल में वर्तमान में शिक्षा विभाग में भर्तियों पर विराम लगा है। प्रदेश में नए चयन आयोग के गठन के बाद भर्तियां भी शुरू हो जाएंगी। यह बात शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने मीडिया से बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में सैकड़ों के हिसाब से खाली पड़े पदों को भरना सरकार की प्राथमिकता है।
जेबीटी, पीजीटी, टीजीटी के पद खाली हैं। पहले भी करीब 6 हजार पदों को भरने की मंजूरी कैबिनेट से ली है। जैसे ही नए चयन आयोग का गठन होगी, शिक्षा विभाग की भर्तियां भी शुरू हो जाएंगी। एनटीटी भर्ती को लेकर उन्होंने कहा कि एक सही नीति के तहत मामला कैबिनेट में ले जाया जाएगा। एनटीटी टीचर की भर्ती कैसे हो, इसका प्रस्ताव लेकर कैबिनेट में जाएंगे।
हिमाचल प्रदेश में बीएड प्रशिक्षु और जेबीटी विवाद को लेकर शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के अनुसार होंगी। अब कोर्ट के ऑर्डर का एग्जामिन किया जा रहा है। रोहित ठाकुर ने स्कूलों के छुट्टियों के शेड्यूल बदलने को लेकर कहा कि विचार विमर्श के बाद ही शेड्यूल बदलने पर कुछ फैसला लिया जाएगा।
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि अगस्त के महीने में बरसात का प्रकोप ज्यादा देखने को मिलता है, ऐसे में कई सुझाव आएं हैं कि छुट्टियां भी अगस्त के महीने में हों। पहले भी अगस्त माह में छुट्टियां होती थीं। मगर इसको लेकर कोई भी फैसला प्रदेश की परस्थितियों को देखते हुए प्रदेश के बच्चों के हित में और विचार विमर्श करने के बाद ही लिया जाएगा।
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि शिक्षक शिक्षा विभाग के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, ऐसे में 5 सितंबर को मनाया जाने वाले शिक्षक दिवस के दिन प्रदेश में बेहतर काम करने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा। रोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के शिक्षक दुर्गम इलाकों में निस्वार्थ भाव से सेवा देते हैं, ऐसे में योग्यताओं के आधार पर शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा।
छात्रों की संख्या पूरी होने पर रि-ओपन किए विद्यालय
शिमला। हिमाचल सरकार ने एक तरफ जहां डिनोटिफाई किए 20 सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को खोलने के आदेश जारी किए हैं, वहीं 143 स्कूलों को डिनोटिफाई भी किया है। बता दें कि हिमाचल की सुक्खू सरकार ने दो छात्रों की संख्या वाले 143 स्कूल डिनोटिफाई किए हैं। प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने 117 प्राथमिक और 26 माध्यमिक स्कूल बंद किए जाने को लेकर आदेश जारी कर दिए हैं।
इसमें शिमला जिले के 25, लाहौल स्पीति के 19, मंडी के 18, कांगड़ा के 17, चंबा व सोलन के 8-8, बिलासपुर के 6, किन्नौर के पांच, हमीरपुर व कुल्लू के 4-4 और सोलन के 3 प्राइमरी स्कूल शामिल हैं। वहीं, लाहौल स्पीति के 7, शिमला के 6, मंडी के पांच, कांगड़ा के तीन, चंबा, किन्नौर के दो-दो और सिरमौर का एक मिडल स्कूल है।
वहीं, हिमाचल में छात्रों की संख्या बढ़ने पर पहले बंद किए 20 स्कूलों को दोबारा खोलने की अधिसूचना जारी की है। इसमें शिमला और मंडी के 5-5, चंबा और सिरमौर के 3-3, कांगड़ा, सोलन के 2-2 सीनियर सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं। 29 मई 2023 के अनुसार इन स्कूलों में छात्रों की संख्या 20 से अधिक है। इसके चलते इन्हें दोबारा खोला गया है।
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बता दें कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने छात्रों की कम संख्या के चलते स्कूल बंद किए जाने के बाद कहा था कि अगर किसी स्कूल में छात्रों की निर्धारित संख्या पूरी हो जाती है तो उस स्कूल को दोबारा खोलने पर विचार किया जाएगा।