शिमला। हिमाचल में सरकारी और निजी स्कूलों में छात्रों की संख्या के आंकड़े ने सरकार और शिक्षा विभाग की चिंता बढ़ा दी है। निजी स्कूल, सरकारी स्कूलों को पछाड़ने के करीब पहुंच गए हैं। बुधवार को शिमला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में शिक्षा विभाग द्वारा सौंपी रिपोर्ट के अनुसार सरकारी और निजी स्कूलों में छात्रों की संख्या का अंतर सिर्फ दो फीसदी रह गया है।
हिमाचल सरकारी स्कूलों में 46 फीसदी और प्राइवेट स्कूलों में 44 फीसदी छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। हिमाचल में मॉडल स्कूल विकसित करके इस समस्या से निजात पाने का सुझाव सरकार के पास पहुंचा है। इन स्कूलों में अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टाफ और बिल्डिंग सहित हर सुविधा होगी।
दो तीन साल में इनकी संख्या को बढ़ाया जाएगा। इन स्कूलों में हाई क्वालिफाई और हाईटैक टीचर होंगे और आईटी क्लास रूम आदि होंगे। अब यह कदम कितना कारगर साबित होता है यह तो भविष्य की बात है, लेकिन वर्तमान में छात्रों का सरकारी स्कूलों में भंग होता मोह चिंतनीय है।
बता दें कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को कैसे सुधारा जाए इसको लेकर शिक्षा विभाग ने रिपोर्ट कैबिनेट बैठक में सौंपी। शिक्षा विभाग ने मॉडल स्कूल स्थापित करने का सुझाव दिया है। रिपोर्ट में प्राइमरी, मिडल और हाई स्कूलों को मॉडल स्कूलों में विकसित करने का जिक्र है।
शिमला।हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कार्यरत व्यावसायिक शिक्षक सोमवार को स्थाई नीति बनाने की मांग को लेकर सचिवालय पहुंचे। व्यावसायिक शिक्षकों ने सरकार से जल्द से जल्द उनके लिए पॉलिसी बनाने की गुहार लगाई। व्यावसाहिक शिक्षकों का कहना है कि वे लंबे समय से शिक्षा विभाग में सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन सरकार द्वारा कोई भी उनके लिए पॉलिसी नहीं बनाई जा रही है, जबकि कई बार मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री से मिले हैं और उन्हें केवल आश्वासन ही दिए जा रहे हैं।
व्यावसायिक शिक्षक हुक्म चंद का कहना है कि प्रदेश भर में 21 सौ के करीब व्यावसायिक शिक्षक हैं, जिनका लंबे से शोषण हो रहा है। पूर्व सरकार के समय भी 25 बार मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मिले, लेकिन उन्हें झूठे आश्वासन ही मिले। कोई नीति नहीं बनाई। अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है। ऐसे में इस सरकार से उनके लिए पॉलिसी बनाने की उम्मीद है और मुख्यमंत्री से मिल कर जल्द से जल्द पॉलिसी बनाने की मांग की जाएगी।
शिमला। हिमाचल में सरकारी स्कूलों के शिक्षक अब न ट्यूशन सेंटर चला पाएंगे और न ही स्कूल से छुट्टी होने के बाद घर पर ट्यूशन पढ़ा पाएंगे। यदि वह ऐसा करते हुए पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ जांच होगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर उन्हें सस्पेंड भी किया जा सकता है। निदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग डॉ. अमरजीत शर्मा की ओर से इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं।
उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने बताया कि निदेशालय में कुछ शिक्षकों द्वारा स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने की जगह ट्यूशन पढ़ने का दबाव बनाने को लेकर लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी व निजी स्कूलों के शिक्षकों के ट्यूशन पढ़ाने पर हिमाचल एजुकेशन कोड के तहत रोक लगाई गई है। निजी स्कूलों के शिक्षक भी बच्चों को ट्यूशन के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा मामला आता हैं, तो नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी।