हमीरपुर। भूतपूर्व सैनिकों के बच्चों के लिए आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग टैक्नोलॉजी बेंगलूरू से होटल मैनेजमेंट में तीन वर्षीय या चार वर्षीय डिग्री करने का अवसर है।
जिला सैनिक कल्याण उपनिदेशक स्क्वाड्रन लीडर मनोज राणा ने बताया कि इस प्रतिष्ठित संस्थान में शैक्षणिक सत्र 2024-25 में दाखिले के लिए भूतपूर्व सैनिकों के 12वीं पास बच्चे पात्र हैं।
उन्होंने बताया कि तीन वर्षीय या चार वर्षीय डिग्री कोर्स में प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन पत्र और आवश्यक जानकारियां संस्थान की वेबसाइट aihmctbangalore.edu.in पर उपलब्ध है।
अधिक जानकारी के लिए संस्थान की सहायक प्रोफेसर एजी प्रिया के मोबाइल नंबर 8123765777, सहायक प्रोफेसर सजू कुमार के मोबाइल नंबर 9740460564 और सहायक प्रोफेसर सयंतनी करर के मोबाइल नंबर 8904343206 पर संपर्क किया जा सकता है।
इस संबंध में जिला सैनिक कल्याण कार्यालय के दूरभाष नंबर 01972222334 पर भी संपर्क किया जा सकता है। उपनिदेशक ने जिला के भूतपूर्व सैनिकों के पात्र एवं इच्छुक बच्चों से इस अवसर का लाभ उठाने की अपील की है।
रोजगार मेले में 144 अभ्यर्थियों को किया शॉर्टलिस्ट
नगरोटा बगवां। कांगड़ा जिला के नगरोटा बगवां में आयोजित दो दिवसीय रोजगार मेले में 144 अभ्यर्थियों को शॉर्ट लिस्ट किया गया है। इसमें सिक्योरिटी गार्ड के लिए 58 तथा होटल प्रबंधन के लिए 86 अभ्यर्थी सिलेक्ट हुए हैं। मंगलवार को रोजगार मेले में कुल 112 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण करवाया, जिनमें से सिक्योरिटी गार्ड के लिए 26 तथा होटल प्रबंधन के लिए 16 अभ्यर्थियों को शार्ट लिस्ट किया गया है।
मेले के समन्वयक अमित कुमार ने बताया कि रोजगार मेले के पहले दिन इंटेलेक्ट ग्लोबल रिसर्च एंड सॉल्यूशन कंपनी ने सिक्योरिटी गार्ड के लिए 32 अभ्यर्थी शॉर्टलिस्ट किए गए हैं, जबकि होटल प्रबंधन में 70 अभ्यर्थियों को शार्ट लिस्ट किया गया। 130 के करीब कुल युवाओं ने पहले दिन रोजगार मेले में अपना पंजीकरण करवाया है।
अमित कुमार ने बताया कि पर्यटन निगम के अध्यक्ष कैबिनेट रैंक आरएस बाली तथा सरकार के अथक प्रयासों से दुबई की कंपनियों के साथ रोजगार के लिए करार किया गया है, उसी के आधार पर 29 तथा 30 जनवरी को नगरोटा बगवां में दुबई की विभिन्न कंपनियों के लिए सिक्योरिटी गार्ड तथा होटल प्रबंधन में विभिन्न पदों के लिए इंटरव्यू लिए गए हैं।
इसके लिए सैलरी 50 हजार से लेकर 70 हजार प्रतिमाह होगी तथा चयनित अभ्यर्थियों को 15 दिन बिलासपुर तथा 15 दिन वाराणसी में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही स्किल डेवलपमेंट के तहत वीजा तथा हवाई टिकट भी सरकार की ओर से वहन किया जाएगा।
इंदपुर के चेतन ठाकुर पॉलीहाउस लगा कर उगा रहे सब्जियां
ऋषि महाजन/नूरपुर। हिमाचल के अधिकतर किसान-बागवान आज भी परंपरागत खेती कर रहे हैं, जोकि सारा साल मौसम पर निर्भर रहते हैं, लेकिन मौसम की बदलती परिस्थितियों के बाद अब किसानों का रुझान आधुनिक तकनीक से खेती बाड़ी करने की ओर बढ़ा है। ऑफ सीजन सब्जियों की बाजार में बढ़ती मांग और अच्छे दाम मिलने पर अब ग्रीनहाउस और पॉलीहाउस जैसी तकनीक को अपनाकर किसान-बागवान बेमौसमी फल व सब्जियां उगाकर अच्छा उत्पादन व मुनाफा कमा रहे हैं।
हिमाचल सरकार द्वारा संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत बागवानी विकास मिशन चलाया जा रहा है, जिसके तहत किसानों-बागवानों को पॉलीहाउस लगाने के लिए 85 फीसदी अनुदान प्रदान किया जा रहा है ।
जिला कांगड़ा के इंदौरा ब्लॉक के इंदपुर से संबंध रखने वाले चेतन ठाकुर एक ऐसे ही बागवान हैं, जिन्होंने इस योजना से लाभ लेकर पॉलीहाउस लगाया, जिससे वह बेमौसमी सब्जियों का अच्छा उत्पादन कर आज लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं।
चेतन ठाकुर ने होटल मैनेजमेंट की डिग्री लेने के बाद बड़े-बड़े होटलों में चार साल तक काम किया, लेकिन वह अपने प्रदेश में ही अपना कारोबार शुरू करने के साथ अन्य लोगों के लिए भी रोजगार उपलब्ध करवाना चाहते थे। उनके पिता कृषि विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं, जिसके कारण शुरू से ही चेतन शर्मा की खेती बाड़ी में गहरी दिलचस्पी थी। अपने पिता से प्रेरणा लेकर उन्होंने खेती बाड़ी में में ही अपना रोजगार शुरू करने का मन बनाया।
कृषि तथा बागवानी विभाग से मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद चेतन ठाकुर ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन से लाभ लेकर एक एकड़ जमीन पर पॉलीहाउस लगा कर सब्जियां उगाना शुरू कीं। उन्होंने क्षेत्र के अन्य किसानों को भी इस संरक्षित खेती बाड़ी से जुड़ने के लिए प्रेरित किया, जिसके चलते आज चेतन ठाकुर पांच अन्य किसान साथियों के साथ क्लस्टर बना कर चार एकड़ एरिया में पॉलीहाउस में संरक्षित खेती कर रहे हैं।
चेतन ठाकुर का कहना है कि बाकी किसान साथियों के साथ क्लस्टर बना कर काम करने से उन्हें सब्जियों को मंडियों तक पहुंचाने, बीज, खाद, उपकरण आदि सामान लाने तथा ले जाने में पैसों की बचत के अलावा खेती में अपना-अपना अनुभव साझा करने में भी मदद मिलती है।
विभाग से मिली सब्सिडी
चेतन ठाकुर को पॉलीहाउस लगाने में बागवानी विभाग द्वारा 85 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की गई है। इसके अलावा सोलह हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में स्वचलित सिंचाई सुविधा लगाने पर 80 प्रतिशत, पॉवर टिलर पर 50 प्रतिशत, ग्रेडिंग मशीन पर 2 लाख 50 हजार, वाटर स्टोरेज टैंक पर 50 प्रतिशत तथा अन्य कृषि उपकरणों पर अनुदान प्रदान किया गया है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा प्रदान की जा रही सब्सिडी तथा प्रशिक्षण के बिना संरक्षित खेती बाड़ी करना अत्यंत मुश्किल काम है। इसके साथ ही हर पांच साल बाद पॉलीहाउस की शीट बदलने में भी सरकार द्वारा 80 प्रतिशत अनुदान दिया गया।
चेतन ठाकुर पॉलीहाउस में फरवरी से सितंबर माह तक खीरा तथा अगस्त से जून के सीजन में लाल-पीली शिमला मिर्च का उत्पादन करते हैं। वह सीजन में दो एकड़ जमीन से सोलह सौ क्विंटल खीरा तथा 2 एकड़ जमीन से 500-500 क्विंटल लाल व पीली शिमला मिर्च का उत्पादन करते हैं। इसके अलावा सर्दियों के मौसम में पॉलीहाउस के बीच की खाली जगह पर ब्रोकली तथा लैट्यूस (सलाद पत्ती) का उत्पादन करते हैं।
आज चेतन ठाकुर तथा उनका प्रत्येक किसान साथी पॉलीहाउस में सब्जियां उगा कर सालाना कम से कम सात-सात लाख रुपये से अधिक का मुनाफा कमा रहे हैं, जो पारंपरिक खेती की तुलना में कई गुना ज्यादा है। वह स्वावलंबी बनने के साथ बारह और स्थानीय लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करवा रहे हैं। चेतन ठाकुर अपने व्यवसाय के क्षेत्र को निकट भविष्य में व्यापक स्तर पर बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं।आज चेतन ठाकुर क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं।
पॉलीहाउस के अंदर का मौसम जैसे तापमान, नमी और यहां तक कीटों की उपस्थिति आदि किसान के नियंत्रण में रहती है, जिससे कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग कम होने के साथ इसकी देखभाल करना भी आसान हो जाता है। पॉलीहाउस में उगाए गए फल, सब्जियां और पौधे ताजा रहते हैं, जिससे मार्केट में अच्छे दाम मिलते हैं।
बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ कमलशील नेगी का कहना है कि इस योजना के तहत राज्य सरकार किसानों को पॉलीहाउस लगाने के लिए 85 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान कर रही है। इसके अलावा सिंचाई सुविधा लगाने, पॉवर टिलर खरीदने, ग्रेडिंग मशीन की खरीद, वाटर स्टोरेज टैंक तथा अन्य कृषि उपकरणों पर 50 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान कर रही है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सूक्खू ने बागवानी तथा कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में नई-नई योजनाओं की शुरुआत की है । मुख्यमंत्री की इन योजनाओं और दूरगामी सोच से किसानों-बागवानों विशेषकर युवाओं को स्वरोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त होने के साथ अच्छी आय भी प्राप्त होगी।
धर्मशाला। अब होटल मैनेजमेंट में भी नेट (National Eligibility Test) लिया जाएगा। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल की अध्यक्षता में आयोजित ऑनलाइन बैठक में यह फैसला लिया गया। यूजीसी नेट (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) में एक नए विषय के रूप में हॉस्पिटैलिटी एवं होटल मैनेजमेंट के पाठ्यक्रम पर चर्चा करने और उसे अंतिम रूप देने के लिए ऑनलाइन माध्यम से एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। यह बैठक आतिथ्य उद्योग के बढ़ते महत्व को पहचानने और परीक्षा में इसके व्यापक समावेश को सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई।
इस मौके पर कुलपति ने कहा कि यूजीसी नेट (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित एक प्रतिष्ठित परीक्षा है। यह परीक्षा भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनुसंधान के लिए तथा शिक्षण पदों हेतु योग्यता मानदंड के रूप में आयोजित की जाती है। आतिथ्य और होटल प्रबंधन को एक नए विषय के रूप में शामिल करने के साथ, यूजीसी नेट का उद्देश्य देश में आतिथ्य उद्योग के बढ़ते महत्व को पहचानना और समायोजित करना है।
इस दौरान बैठक में प्रो. प्रशांत गौतम, पंजाब विश्वविद्यालय, BITS Mesra से डॉ. निशिकांत, प्रो. सुनील काबिया, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, प्रो मनीष शर्मा, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन माध्यिम से भाग लिया। बैठक में आतिथ्य और होटल प्रबंधन के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने पर चर्चा हुई, जिसका उद्देश्य इसे उद्योग की उभरती जरूरतों के अनुरूप तैयार करना और इच्छुक उम्मीदवारों के लिए एक मानकीकृत ढांचा प्रदान करना रहा। प्रो. सत प्रकाश बंसल जी ने बैठक के दौरान पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने वाले आवश्यक विषयों पर विचार-विमर्श किया।
बैठक में फील्डम की समग्र समझ प्रदान करने के लिए आतिथ्य संचालन, पर्यटन प्रबंधन, होटल प्रशासन, इवेंट प्लानिंग, खाद्य और पेय प्रबंधन, और अन्य प्रासंगिक क्षेत्रों जैसे विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करने के महत्व को मान्यता दी गई। पाठ्यक्रम को इस तरह से तैयार किए जाने का निर्णय लिया गया कि यह नवीनतम उद्योग प्रवृत्तियों को दर्शाता हो, उभरती चुनौतियों का समाधान करे और वैश्विक मानकों के अनुरूप हो। सदस्यों ने सर्वसम्मति से उम्मीदवारों के व्यावहारिक कौशल को बढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम के भीतर व्यावहारिक प्रशिक्षण और अनुभवात्मक शिक्षण घटकों को एकीकृत करने के महत्व पर सहमति व्यक्त की।
इस बैठक के निर्णय आगे की समीक्षा और यूजीसी नेट ढांचे में शामिल करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को प्रस्तुत किए जाएंगे। प्रो. बंसल ने बैठक के दौरान सभी प्रतिभागियों के बहुमूल्य योगदान और अटूट समर्थन के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अंतिम रूप दिया गया पाठ्यक्रम आतिथ्य शिक्षा में नए मानदंड स्थापित करेगा और इस गतिशील उद्योग में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल के साथ उम्मीदवारों को सशक्त करेगा।