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हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में ISRO ने स्‍थापित किया एटमॉस्फेरिक लाइटनिंग डिटेक्‍शन सिस्‍टम

कुलपति प्रो. एसपी बंसल ने किया उद्घाटन

धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (CU) के धौलाधार परिसर एक में वीरवार को इसरो (ISRO) हैदराबाद और हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में वायुमंडलीय तड़ित संसूचन प्रणाली (Atmospheric Lightning Detection System) का उद्घाटन कुलपति प्रो. एसपी बंसल ने किया।

इस मौके पर कुलपति ने कहा कि यह परियोजना इसरो-हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहयोग से प्रभावोत्पादक शोध की दिशा में एक मील का पत्थर है। आज इस वैश्विक परियोजना का हिस्सा बनना हमारे विश्वविद्यालय के लिए एक अनमोल क्षण है।

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उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले इसरो (ISRO) ने यह निर्णय लिया था कि कुछ इस तरह के सिस्‍टम हिमालय रेंज में इंस्‍टॉल किए जाएंगे। खुशी इस बात की है कि इसरो ने हमारे केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला में एटमॉस्फेरिक लाइटनिंग डिटेक्‍शन सिस्‍टम इंस्टॉल करने का फैसला लिया है।

पर्यावरण विज्ञान विभाग में कार्यरत प्रो. दीपक पंत के माध्‍यम से यह प्रोजेक्ट हमें मिला है। यह प्रोजेक्ट केवल एक-दो वर्ष के लिए नहीं बल्कि आने वाले 15-20 साल के लिए है।

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जैसे, आपने अभी देखा होगा कि पहले कहीं-कहीं कुल्लू में बादल फटने की घटना सुनने को मिलती थीं, लेकिन इस वर्ष पूरा पर्यावरण असंतुलित हुआ था। उन्होंने कहा कि बादल फटने की घटना हमने शिमला, धर्मशाला, मंडी और सिरमौर के साथ-साथ देश के अन्‍य भागों में भी देखीं।

इस तरह के असंतुलन के कारण वातावरण में नाइट्रस ऑक्साइड का उत्पादन हो रहा है, उसके कारण ओजोन लेयर को क्षति हो रही है। इस सारी प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिए यह सिस्टम यहां इंस्‍टॉल किया गया है।

यह पूरे विश्‍व स्‍तर का डाटा इकट्ठा करेगा। इस तरह की कुछ रिसर्च पहले से भी हो रही है और आगे भी हम इसमें आगे बढ़ेंगे, जिससे इसके कारणों का पता लग सके।

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इसके साथ, अगर कोई ऐसी संभावनाएं बनेंगी और हमें लगेगा इस तरह का आगे आने वाले समय में और असंतुलन होने वाला है तो उसके लिए इसरो के साथ मिलकर पहले से सावधानियां सुझाई जाएंगी, इसरो के साथ मिलकर काम भी किया जाएगा।

मैं प्रो. दीपक पंत और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं। यह जो सिस्टम इंस्टॉल होने जा रहा है, बहुत लाभदायक होगा न केवल हिमाचल के लिए बल्कि पूरे देश की हिमालयन रेंज के लिए।

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इस मौके पर उनके साथ प्रो. प्रदीप कुमार अधिष्‍ठाता अकादमिक, प्रो. राजेश कुमार, विभागाध्यक्ष और अधिष्‍ठाता, भौतिकी एवं पदार्थ विज्ञान सकूल, प्रो. ओएसकेएस शास्त्री, निदेशक इनक्यूबेशन सेंटर (उद्भव केंद्र), प्रो. दीपक पंत, इंस्टीट्यूट इनोवेशन काउंसिल के अध्यक्ष, परिसर निदेशक प्रो. मनोज कुमार सक्सेना कार्यक्रम के दौरान उपस्थित थे। इस मौके पर इसरो साइट से डॉ. आलोक ताओरी भी ऑनलाइन माध्यम से मौजूद रहे।

 

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चांद के बाद अब सूर्य की ओर भारत : ISRO के Aditya-L1 की कामयाब लॉन्चिंग

भारत के सूर्य मिशन पर टिकी है पूरी दुनिया की नजर

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन  (इसरो) एक बार फिर इतिहास रचने वाला है। चांद दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद अब पूरी दुनिया की नजर ISRO के सूर्य मिशन यानी Aditya-L1 पर टिकी हैं। श्रीहरिकोटा स्थित लॉन्चिंग सेंटर से ISRO के सूर्य मिशन आदित्य-L1 मिशन को 11.50 बजे लॉन्च किया गया है।

आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी और सूर्य के बीच की एक फीसदी दूरी तय करके L-1 पॉइंट पर पहुंचा देगा। लॉन्चिंग के ठीक 127 दिन बाद यह अपने पॉइंट L1 तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर पहुंचने के बाद Aditya-L1 बेहद अहम डाटा भेजना शुरू कर देगा।

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आदित्य-L1 का वजन 1480.7 किलोग्राम है। लॉन्च के करीब 63 मिनट बाद रॉकेट से आदित्य-L1 स्पेसक्राफ्ट अलग हो जाएगा। रॉकेट वैसे तो आदित्य को 25 मिनट में ही तय कक्षा में पहुंचा देगा। यह इस रॉकेट की सबसे लंबी उड़ानों में से एक है। आदित्य-L1 अपनी यात्रा की शुरुआत लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) से कर चुका है।

PSLV-XL रॉकेट कुछ देर में आदित्य- L1 को उसके लिए तय किए गए LEO में छोड़ देगा। यहां से यह धरती के चारों तरफ 16 दिन तक पांच ऑर्बिट मेन्यूवर करके सीधे धरती की गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्र यानी स्फीयर ऑफ इन्फ्लूएंस (SOI) से बाहर जाएगा। यहां से आदित्य-L1 को हैलो ऑर्बिट (Halo Orbit) में डाला जाएगा। जहां पर L1 प्वाइंट होता है। इस यात्रा में इसे 109 दिन लगेंगे। आदित्य-L1 को दो बड़े ऑर्बिट में जाना है, लिहाजा यह यात्रा बेहद कठिन है।

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आदित्य-L1 के साथ सूरज की स्टडी करने के लिए सात पेलोड्स भी शामिल हैं। इसमें PAPA पेलोड की काफी चर्चा है। ये अपने खास नामकरण की वजह से भी लोगों की उत्सुकता का केंद्र है। PAPA यानी प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य। यह सूरज की गर्म हवाओं में मौजूद इलेक्ट्रॉन और भारी आयन की दिशाओं की स्टडी करेगा। कितनी गर्मी है इन हवाओं में इसका पता करेगा। इसके साथ ही चार्ज्ड कणों यानी आयंस के वजन का भी पता करेगा।

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लैरेंज प्वाइंट जिसे शॉर्ट फॉर्म में L कहा जा रहा है। आदित्य-L1 को सूर्य के निकट इसी पॉइंट पर पहुंचना है। यह नाम गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैरेंज के नाम पर दिया गया है। इन्होंने ही इन लैरेंज प्वाइंट्स को खोजा था। जब किसी दो घूमते हुए अंतरिक्षीय वस्तुओं के बीच ग्रैविटी का एक ऐसा प्वाइंट आता है, जहां पर कोई भी वस्तु या सैटेलाइट दोनों ग्रहों या तारों की गुरुत्वाकर्षण से बचा रहता है। आदित्य-L1 के मामले में यह धरती और सूरज दोनों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से बचा रहेगा।

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चंद्रयान-3 मिशन : हिमाचल का भी जुड़ गया नाम, कांगड़ा के रजत और अनुज भी रहे हिस्सा

विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सफलतापूर्वक हुई है लैंडिंग

शिमला। भारत का चंद्रयान-3 मिशन सफल रहा है। इस मिशन में हिमाचल के कांगड़ा जिला के दो युवाओं रजत अवस्थी और अनुज चौधरी की भी भूमिका रही है। इस मिशन के सफल होने के बाद चंद्रयान-3 मिशन में हिमाचल व कांगड़ा जिला का नाम भी जुड़ गया है।

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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल ने कांगड़ा जिले के रजत अवस्थी पुत्र धनी राम अवस्थी और डॉ. अनुज चौधरी पुत्र अमर सिंह को चंद्रयान-3 मिशन में भूमिका निभाने पर पत्र लिख शुभकामनाएं दी।

बिंदल ने पत्र में लिखा की चंद्रयान- 3 की चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग होने पर आपको बहुत-बहुत बधाई। मिली जानकारी के अनुसार आपका महत्वपूर्ण योगदान इस बड़े अभियान में रहा।

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इसको लेकर हम हिमाचल वासी गौरवान्वित महसूस करते हैं। आपके योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए आपके सफल जीवन की कामना करता हूं।

भारत के चंद्रयान- 3 उपग्रह के विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही इतिहास के पन्नों में प्रदेश के कांगड़ा जिले का भी नाम जुड़ गया है। कांगड़ा जिले के रजत अवस्थी पुत्र धनी राम अवस्थी और डॉ. अनुज चौधरी पुत्र अमर सिंह इस मिशन का हिस्सा बने हैं।

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रजत अवस्थी इसरो में 2012 से सेवाएं दे रहे हैं। उनका जन्म 1989 को सेवानिवृत्त बीडीओ धनी राम अवस्थी के घर में हुआ है। पढ़ने में होशियार रजत की दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई सिद्धपुर के सेक्रेट हार्ट स्कूल में हुई है।

12वीं करने के बाद रजत ने स्पेस साइंस में बीटेक की पढ़ाई की और 2012 में इसरो में सेवाएं देने के लिए चुने गए। वहीं, दो साल की सेवाओं के दौरान 2014 में उन्हें इसरो में टीम एक्सीलेंसी अवार्ड से सम्मानित किया गया है। चंद्रयान- 3 मिशन से पहले रजत मंगलयान और चंद्रयान-2 का भी हिस्सा रह चुके हैं।

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27 साल के डॉ. अनुज चौधरी की पढ़ाई सरकारी स्कूल में हुई है। पहली से लेकर आठवीं तक अनुज गांव के ही मिडिल स्कूल जंदराह में पढ़े हैं, जबकि 9वीं तथा मैट्रिक बाबा बड़ोह में करने के बाद 12वीं ग्रीन फील्ड स्कूल नगरोटा बगवां से पास की।

बचपन से ही अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनने का सपना लिए अनुज ने मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी से की, जबकि पेनसिलवेनिया विश्वविद्यालय से एमबीए किया।

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अनुज चौधरी ने अमेरिका में एमआईटी से पीएचडी की है, जहां से अंतरिक्ष शोध की चाहत के चलते उन्होंने यूरोपियन स्पेस एजेंसी में सिलेक्शन के लिए एग्जाम दिया था। अनुज ने इस एजेंसी में 12वें रैंक के साथ अपनी जगह पक्की की थी।

अनुज के पिता दिल्ली में अकाउंटेंट हैं, जबकि उनकी माता सरिता देवी गृहिणी हैं। प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल का पत्र लेकर मंडल अध्यक्ष सोनी चौधरी और डॉ विशाल नेहरिया अनुज और रजत के घरवालों से मिले और उनको शुभकामनाएं भी दीं।

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भारत ने फिर लहराया परचम : चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक लॉन्च, यात्रा शुरू

नई दिल्ली। भारत के लिए आज बड़ा दिन है। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के 3 साल 11 महीने और 23 दिन बाद भारत ने आज चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया। दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से बाहुबली रॉकेट LVM3-M4 से इसे स्पेस में भेजा गया है।

16 मिनट बाद चंद्रयान को रॉकेट ने ऑर्बिट में प्लेस किया। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने इस सक्सेसफुल लॉन्च के बाद कहा कि चंद्रयान 3 ने चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है।

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चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट के तीन लैंडर/रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। करीब 40 दिन बाद, यानी 23 या 24 अगस्त को लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे। ये दोनों 14 दिन तक चांद पर एक्सपेरिमेंट करेंगे।

प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा के ऑर्बिट में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स की स्टडी करेगा। मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि लूनर सरफेस कितनी सिस्मिक है, सॉइल और डस्ट की स्टडी की जाएगी।

अगर मिशन सक्सेसफुल रहा तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। अमेरिका और रूस दोनों के चंद्रमा पर सक्सेसफुली उतरने से पहले कई स्पेस क्राफ्ट क्रैश हुए थे। चीन 2013 में चांग’ई-3 मिशन के साथ अपने पहले प्रयास में सफल होने वाला एकमात्र देश है।

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चंद्रयान-3 का बजट लगभग 615 करोड़ रुपए है। इससे 4 साल पहले भेजे गए चंद्रयान 2 की लागत भी 603 करोड़ रुपए थी। हालांकि, इसकी लॉन्चिंग पर भी 375 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग से पहले पीएम मोदी ने मिशन के लिए शुभकामनाएं दीं। भारत के स्पेस सेक्टर में 14 जुलाई 2023 की तारीख हमेशा सुनहरे अक्षरों में अंकित रहेगी। हमारा तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 अपनी यात्रा पर निकलेगा। यह मिशन हमारे राष्ट्र की आशाओं और सपनों को आगे बढ़ाएगा। चंद्रयान-3 मिशन के लिए शुभकामनाएं!

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हिमाचल और चंडीगढ़ से दिल्ली जाने वाली HRTC बसों को लेकर नए आदेश जारी

 

 

कांगड़ा : सिक्योरिटी गार्ड, सुपरवाइजर और HR के 180 पदों पर भर्ती

 

हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय शोध पात्रता परीक्षा की तिथि में बदलाव

 

 

हिमाचल सरकार ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर, आपातकालीन स्थिति में करें कॉल

 

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चिंतपूर्णी का पार्विक इसरो से लेगा ट्रेनिंग, सीखेगा अंतरिक्ष विज्ञान की बारीकियां

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गिडंपुर मलौन का छात्र

ऊना। जिला ऊना के चिंतपूर्णी विधानसभा क्षेत्र के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गिडंपुर मलौन का छात्र पार्विक को बड़ा मौका मिला है। दसवीं का छात्र पार्विक पराशर इसरो से ट्रेनिंग लेगा।

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दरअसल, पार्विक का सिलेक्शन इसरो की ओर से बच्चों के लिए चलाए गए “यंग साइंटिस्ट प्रोग्राम 2023” के लिए हुआ है। इसके लिए पूरे भारत के बच्चों ने आवेदन किए थे, जिनमें से 350 छात्रों का चयन हुआ है। हिमाचल के लिए गर्व की बात है कि पार्विक भी उनमें से एक छात्र हैं।

इसरो द्वारा 15 से 26 मई, 2023 तक चलने वाले युविका 2023 के माध्यम से अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों में उभरते रुझानों से पार्विक पराशर को अवगत कराया जाएगा।

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इस कार्यक्रम के दौरान छात्रों को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष विज्ञान और अंतरिक्ष के बारे में बेसिक जानकारियां दी जाएंगी। खास बात ये है कि ट्रेनिंग, स्टडी मटीरियल, फूडिंग और लॉजिंग, यात्रा भत्ता आदि की व्यवस्था इसरो द्वारा की जाएगी।

पार्विक के पिता पंकज पराशर गणित के लेक्चरर हैं। उन्होंने कहा कि पार्विक की इस उपलब्धि में स्कूल प्रबंधकों और अध्यापकों का योगदान है। स्कूल के प्रधानाचार्य दिनेश कौंडल ने बताया कि पार्विक ने स्कूल के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश का भी नाम रोशन किया है, इससे बाकी छात्रों को प्रेरणा मिलेगी।

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