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हिमाचल : अस्पतालों में नहीं हुए पैथोलॉजी टेस्ट व एक्सरे, दिनभर परेशान रहे मरीज

दूर-दराज से आए लोगों को उठानी झेलने पड़ी भारी दिक्कत

शिमला। हिमाचल प्रदेश के अस्पतालों में मरीजों को बुधवार को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। राज्य सरकार की ओर से अधिकृत क्रस्ना लैब (Krsnaa Lab) ने पैथोलॉजी के टेस्ट व एक्सरे पूरे प्रदेश के अस्पतालों में बंद कर दिए हैं।

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इसके चलते मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। मरीज लैब में टेस्ट करवाने के लिए पहुंचे, लेकिन काउंटर के बाहर टेस्ट न होने का नोटिस चिपकाया गया था जिसके चलते मरीजों को निजी लैब का रुख करना पड़ा।

क्रस्ना लैब प्रबंधन का कहना है कि एनएचएम द्वारा पिछले 8 महीने से राशि नहीं जारी की गई है जिसके चलते काम करना मुश्किल हो गया है। रिपन अस्पताल क्रस्ना लैब कर्मी हेमलता ने कहा कि सरकार द्वारा काफी समय से बकाया राशि जारी नहीं की गई है। इसके चलते प्रबंधन ने आज सेवाएं बंद रखी।

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जो रिपोर्ट थी केवल वही दी गई इसके अलावा अन्य सेवाएं नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि लैब प्रबंधन द्वारा आज के दिन ही बंद रखने का फैसला लिया गया है, लेकिन यदि सरकार द्वारा फंड नहीं जारी किए जाते हैं तो आगे भी सेवाएं बंद की जा सकती हैं।

वहीं, अस्पताल में पहुंचे मरीज भी काफी परेशान दिखे। रिपन अस्पताल में सुबह से ही टेस्ट करवाने और एक्सरे करवाने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही।

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टेस्ट करवाने आ रहे लोगों का कहना है कि वो काफी दूर-दूर से यहां पर इलाज करवाने आए थे, लेकिन लैब में टेस्ट और एक्सरे नहीं हुए जिसके चलते परेशानी का सामना करना पड़ रहा।

उधर, रिपन अस्पताल के एमएस डॉ लोकेंद्र शर्मा ने कहा कि क्रस्ना लैब (Krsnaa Lab) के साथ कोई मुद्दा चल रहा है और इसको लेकर बैठक हो रही है, जल्द मामला सुलझा लिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि अस्पताल में भी लैब है और वहां भी टेस्ट हो रहे हैं मरीजों को दिक्कतें नहीं आने दी जा रही है। अस्पताल प्रबंधन के अपने स्तर पर सभी इंतजाम पुख्ता हैं ताकि मरीजों को किसी प्रकार का दिक्कत का सामना न करना पड़ेगा। जल्द ही यह मामला भी सुलझ जाएगा।

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हिमाचल : मेडिकल कॉलेज, अस्पतालों में लोगों को झेलनी पड़ सकती है परेशानी

कंपनी ने पेमेंट न मिलने से काम किया बंद

शिमला। हिमाचल प्रदेश के मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों में आज से मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ेगी। अस्पतालों में पैथोलॉजी टेस्ट और एक्स-रे के लिए अनुबंधित कंपनी क्रस्ना (Krsnaa) ने पेमेंट नहीं मिलने के कारण काम बंद कर दिया है।

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बता दें कि सभी अस्पतालों में दोपहर 12 बजे तक सरकारी लैब में टेस्ट होते हैं। इसके बाद प्राइवेट क्रस्ना लैब (Krsnaa Lab) टेस्ट करती है। आज पूरे प्रदेश में इस लैब में टेस्ट नहीं होंगे।

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हिमाचल के मेडिकल कॉलेज हाईकोर्ट के फैसले की उड़ा रहे धज्जियां-जानें कैसे

दिव्यांग छात्रों से वसूली जा रही फीस
शिमला। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, अस्पताल शिमला, डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज, अस्पताल टांडा और अन्य मेडिकल कॉलेजों में हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मेडिकल कॉलेजों में दिव्यांग छात्रों से फीस वसूली जा रही है। यह आरोप दिव्यांगों के लिए कार्य कर रही संस्था उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने लगाया है।
अजय श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने इस बारे में प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र भेज कर तुरंत संज्ञान लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यदि 15 दिन के भीतर संबंधित मेडिकल कॉलेजों ने दिव्यांग बच्चों की फीस वापस नहीं की तो वह हाईकोर्ट में अदालत की अवमानना का केस दायर करेंगे।
अजय श्रीवास्तव ने कहा कि उनकी जनहित याचिका पर 4 जून 2015 को जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने अपनी फैसले में स्पष्ट कहा था कि दिव्यांग विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय स्तर तक निशुल्क शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है।
हाईकोर्ट ने कहा था कि विश्वविद्यालय स्तर तक दिव्यांग बच्चों से कोई भी फीस वसूल नहीं की जाएगी। अदालत के फैसले में टांडा मेडिकल कॉलेज और आईजीएमसी शिमला का तो साफतौर पर उल्लेख है।
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इसके बावजूद जून 2015 के बाद 9 वर्ष में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज सैकड़ों दिव्यांग विद्यार्थियों से गैरकानूनी ढंग से फीस वसूल चुके हैं।  उन्होंने कहा कि वे समय-समय पर टांडा मेडिकल कॉलेज और आईजीएमसी शिमला के प्रबंधन के ध्यान में हाईकोर्ट का फैसला ला चुके हैं।
इसके बावजूद हाईकोर्ट के आदेशों का खुला उल्लंघन करके एमबीबीएस एवं अन्य कक्षाओं के विद्यार्थियों को फीस देने पर मजबूर किया जा रहा है।
अजय श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों समेत सभी चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षण संस्थानों में दिव्यांग विद्यार्थियों को हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक मुफ्त शिक्षा दी जानी चाहिए।
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इसके बावजूद सरकारी मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक, नर्सिंग कॉलेज, और इंडस्ट्रियल ट्रेंनिंग इंस्टीट्यूट (आईटीआई) आदि संस्थान दिव्यांग बच्चों से फीस चार्ज कर रहे हैं। यह बेहद गंभीर मामला है, जो बताता है कि नौकरशाही किस तरह दिव्यांग बच्चों एवं अन्य कमजोर वर्गों के अधिकारों का हनन कर रही है।
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हमीरपुर मेडिकल कॉलेज- कम होती दिख रही जोल सप्पड़ की दूरी-40 करोड़ जारी

अकादमिक ब्लॉक मार्च तो अस्पताल जून तक तैयार होने लक्ष्य

हमीरपुर। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का जिला हमीरपुर में एक मेडिकल कॉलेज और अत्याधुनिक अस्पताल की स्थापना का सपना अब तेजी से आकार लेने लगा है।

प्रदेश की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अभी पुराने क्षेत्रीय अस्पताल में चल रहे डॉ. राधाकृष्ण मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के लिए गांव जोल सप्पड़ में जारी नए अकादमिक परिसर एवं अस्पताल के निर्माण कार्य को युद्ध स्तर पर करवाने के लिए न केवल विशेष निर्देश जारी किए हैं, बल्कि यहां सभी भवनों के कार्यों को गति प्रदान करने लिए 40 करोड़ रुपये की धनराशि भी तुरंत जारी की है। मुख्यमंत्री के इस कदम से मेडिकल कॉलेज हमीरपुर को जल्द ही नया कैंपस और अस्पताल मिलने की उम्मीदों को बल मिला है।

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नादौन के विधायक के रूप में सुखविंदर सिंह सुक्खू कई वर्षों से जिला हमीरपुर में मेडिकल कॉलेज और अत्याधुनिक अस्पताल के निर्माण के लिए प्रयासरत थे। इसके लिए उन्होंने केंद्र में अपने व्यक्तिगत संपर्कों का भी इस्तेमाल किया और जब हमीरपुर को मेडिकल कालेज मंजूर हुआ तो उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र के गांव जोल सप्पड़ में पर्याप्त जमीन उपलब्ध करवाने में भी योगदान दिया।

मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन के हस्तांतरण में आ रही तमाम बाधाओं को दूर करने के लिए भी सुखविंदर सिंह सुक्खू लगातार सक्रिय रहे। 11 दिसंबर 2022 को प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू नियमित रूप से मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के नए कैंपस में जारी निर्माण कार्यों की रिपोर्ट ले रहे हैं।

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इसी कड़ी में उन्होंने निर्माण कार्यों के लिए 40 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की है। मुख्यमंत्री ने निर्माण कार्यों की समीक्षा के लिए बीते दिनों बड़सर के विधायक इंद्र दत्त लखनपाल को भी मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने के निर्देश दिए थे। यही कारण है कि हाल ही के दिनों में नए परिसर में विभिन्न भवनों के निर्माण कार्यों को गति मिली है।

अकादमिक ब्लॉक मार्च तक और अस्पताल ब्लॉक जून तैयार करने का लक्ष्य

मेडिकल कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ. सुमन यादव ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा 40 करोड़ रुपये की धनराशि जारी होने से जोल सप्पड़ में निर्माण कार्यों की गति तेज हो गई है। उन्होंने बताया कि अकादमिक ब्लॉक को मार्च के अंत तक और अस्पताल ब्लॉक को जून तक तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि नए परिसर में ओवर हैड ब्रिज और ट्रॉमा सेंटर इत्यादि के निर्माण को भी शामिल किया जा रहा है, जिससे इस प्रोजेक्ट की लागत 384 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।

 

प्रधानाचार्य ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार कॉलेज के अन्य ब्लॉकों जैसे- मातृ-शिशु अस्पताल ब्लॉक, सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक, मेडिकल विंग और आवासीय ब्लॉक इत्यादि के निर्माण के लिए भी अतिरिक्त जमीन के हस्तांतरण व अन्य औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। डॉ. सुमन यादव ने बताया कि कॉलेज प्रशासन हर हफ्ते निर्माण कार्यों की समीक्षा कर रहा है।

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हिमाचल : नीट की मार्क्सशीट में गड़बड़ी कर MBBS में लिया दाखिला, छात्रा पकड़ी

मेडिकल कॉलेज चंबा में कर रही थी पढ़ाई

चंबा। हिमाचल प्रदेश में नीट परिणाम में गड़बड़ी कर एमबीबीएस में दाखिला पाने का एक और मामला सामने आया है। ये मामला मेडिकल कॉलेज चंबा में सामने आया है। नीट की मार्क्सशीट में टेंपरिंग कर 300 नंबर के 530 बनाकर कांगड़ा के नूरपुर की छात्रा ने मेडिकल कॉलेज चंबा में एमबीबीएस की सीट हासिल कर ली। गड़बड़ी का खुलासा होने पर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने दाखिला रद्द कर पुलिस को शिकायत दे दी है।

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गड़बड़ी का खुलासा तब हुआ जब प्रशिक्षुओं का डाटा नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) की साइट पर अपलोड किया गया। छात्रा के नीट के रोल नंबर को अपलोड किया जाने लगा तो उसका मिलान नहीं हुआ। इसके बाद एनएमसी ने मेडिकल कॉलेज चंबा के प्राचार्य को सूचित किया। कॉलेज प्रबंधन ने प्रशिक्षु को बुलाकर उससे भी स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया तो प्रशिक्षु ने नीट के परिणाम में गड़बड़ी कर एमबीबीएस की सीट पर पढ़ाई करने की बात पर कबूल कर ली।

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छात्रा ने बताया कि उसने नीट परिणाम में पीडीएफ से छेड़छाड़ कर फर्जी डिग्री तैयार की। इतना ही नहीं, उसने नीट के नंबर बढ़ाकर नेरचौक मेडिकल कॉलेज में आवेदन भी कर दिया। इसके बाद नेरचौक मेडिकल कॉलेज से चंबा मेडिकल कॉलेज में 120 प्रशिक्षुओं का बैच बिठाने की अनुमति प्रदान की गई, जिसमें उसका नंबर भी आ गया। इसके बाद जब एनएमसी ने 120 प्रशिक्षुओं के डाटा का मिलान किया तो 119 का सही पाया गया लेकिन नूरपुर की छात्रा के रोल नंबर का मिलान नहीं हुआ।

मेडिकल कॉलेज चंबा के प्राचार्य डॉ. पंकज गुप्ता ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि प्रशिक्षु छात्रा ने अपनी गलती मान ली है। इसके बारे में आलाधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है साथ ही पुलिस चौकी में इस बारे में शिकायत दे दी गई है। मेडिकल कॉलेज चंबा से प्रशिक्षु छात्रा का दाखिला रद्द कर दिया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। विभाग की तरफ से मामले को लेकर अभी कोई बयान नहीं आया है।

बता दें कि इसी तरह का एक मामला हिमाचल में हाल ही में सामने आया था। बिलासपुर जिला के घुमारवी के रहने वाले छात्र ने फर्जी दस्तावेज से आईजीएमसी शिमला में एमबीबीएस में एडमिशन ले ली थी लेकिन जब दस्तावेज की वेरिफिकेशन हुई तो दस्तावेज नकली पाए गए।

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आरोपी छात्र ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा MBBS में प्रवेश के लिए करवाई गई प्रवेश परीक्षा (नीट) के रिजल्ट में ही छेड़छाड़ कर खुद ही फर्जी सर्टिफिकेट तैयार किया। इसी सर्टिफिकेट के आधार पर वह अटल मैडिकल विश्वविद्यालय नेरचौक मंडी में आयोजित काउंसलिंग में शामिल हुआ। झूठे दस्तावेज के आधार पर उसका दाखिला आइजीएमसी शिमला में कंफर्म हो गया। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उसने कॉलेज में एडमिशन ली और नियमित कक्षाएं भी लगाना शुरू कर दीं।

मामला सामने आने के बाद कॉलेज प्रशासन ने इसे कॉलेज से निष्कासित कर दिया है। वहीं, इसके खिलाफ लक्कड़ बाजार चौकी में शिकायत दर्ज करवाई गईं है जिसके आधार पर पुलिस ने छात्र को गिरफ्तार कर आगामी छानबीन शुरू कर दी है। पुलिस की छानबीन में ये बात भी सामने आई थी कि छात्र के परिवार से अधिकतर डॉक्टर के पेशे में है जिसके चलते परिवार वालों ने छात्र पर डॉक्टर बनने का दबाव बनाया है और इसका नतीजा ये हुआ कि न चाहते हुए भी छात्र ने फर्जी दस्तावेज़ बनाकर MBBS में एडमिशन ली।

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