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हिमाचल में भांग की खेती : शुरुआत में 500 करोड़ तक आय की उम्मीद-रोजगार भी मिलेगा

बाद में राजस्व में वृद्धि होने की पूर्ण संभावना

शिमला। हिमाचल में भांग की खेती को वैध करने के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट शुक्रवार को हिमाचल विधानसभा के पटल पर रखी गई। कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल में नशा मुक्त भांग की खेती को लीगल करने से सरकार को अच्छी आय हो सकती है। कमेटी की रिपोर्ट में उम्मीद जताई है कि राज्य में भांग की खेती के वैधीकरण के सफल कार्यान्वयन से प्रारंभिक वर्षों में लगभग 400 से 500 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होगा और बाद में इसमें वृद्धि होने की पूर्ण संभावना है।

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इसके अलावा अतिरिक्त कार्य करने के लिए राज्य आबकारी व कराधान विभाग को मौजूदा संख्या से अधिक विशेष कर्मचारी उपलब्ध करवाने की सिफारिश कमेटी कि रिपोर्ट में की गई है। ऐसे में कहा जा सकता है कि हिमाचल में भांग की खेती लीगल करने से आमदनी भी होगी और युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।

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रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जिसने सरकारी दिशा निर्देशों के अनुसार बड़े पैमाने पर औद्योगिक भांग की खेती को अनुमति दी है। राज्य के आबकारी अधिकारियों के साथ बैठक में समिति के सदस्यों को उनके सामने आने वाली चुनौतियों और नई परियोजना से राज्य के लिए पैदा अवसरों से परिचित करवाया गया।

 

उत्तराखंड ने 0.3 प्रतिशत THC से कम या इससे बराबर वाले औद्योगिक भांग की खेती की अनुमति के लिए एनडीपीएस अधिनियम 1985 की धारा 14 के तहत आदेश जारी किया है। हालांकि, उद्योग के प्रतिनिधियों और आबकारी विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा के दौरान यह भी पता चला कि THC सामग्री को 0.3 फीसदी तय करना भांग नीति के सफल कार्यान्वन में बड़ी बाधा साबित हुई है।

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0.3 प्रतिशत THC वाले ऐसे बीज को प्राप्त करना मुश्किल था और आगे क्रांस परागण के कारण 0.3 फीसदी THC की वांछित सामग्री को बनाए रखना मुश्किल हो गया था। CAP सेलाकुई को औद्योगिक भांग की खेती के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है।

हिमाचल प्रदेश में कृषि विभाग के साथ मिलकर इस परियोजना को शुरू किया जा सकता है, जिसमें किसानों को उपयोग किए जाने वाले बीजों और खेती से संबंधित अन्य मुद्दों पर सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि उच्च गुणवत्ता वाली भांग उगाई जा सके। राज्य में बागवानी और कृषि विश्वविद्यालयों को वैज्ञानिक और चिकित्सा अनुसंधान करने के लिए शामिल किया जा सकता है। उत्तराखंड के अनुभवों से सीखकर 0.3 फीसदी THC की आवश्यकता को खत्म किया जा सकता है।

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मध्य प्रदेश में भांग की खेती को वैध बनाने के लिए आवश्यक नियमों के संबंध में आबकारी अधिकारियों और एनसीबी के अधिकारियों के साथ चर्चा की गई। एनसीबी के अधिकारियों ने भांग की खेती पर सख्त निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि मादक पदार्थों के उपयोग के लिए भांग के उपयोग को रोका जा सके।

ग्वालियर स्थित उत्पादन इकाई साई फाइटोस्यूटिकल्स को भांग की दवा बनाने के लिए नए संशोधित भांग नियमों के तहत लाइसेंस दिया गया है। अब तक राज्य ने भांग की खेती की इजाजत नहीं दी है। जम्मू ने सीएसआईआर-आईआईआईएम द्वारा एक कनाडाई फर्म के साथ निजी सार्वजनिक भागीदारी में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जम्मू में एक फार्म में खेती की जा रही है। यह भारत की पहली कैनबिस दवा परियोजना है।

 

रिपोर्ट में वर्णित चुनौतियों की बात करें संबंधित विभागों/हितधारकों के अधिकारियों को अधिक जागरूकता, शिक्षा और जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता है। जनशक्ति की कमी, अच्छी गणवत्ता वाले बीज विकसित करने के लिए विशेष प्रयोगशालाओं की स्थापना और नियंत्रण और विनियमन तंत्र भी चुनौती है।

वहीं आर्थिक पहलू की बात करें तो हिमाचल भौगोलिक और जलवायु रूप से भांग की खेती के लिए अनुकूल है। यह पौधा राज्य के लगभग सभी जिलों में जंगली रूप से उगता है, जिसे नशीली दवाओं के प्रयोजनों के लिए संभावित उपयोग के कारण प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा नष्ट किया जा रहा है। राज्य सरकार इस अप्रयुक्त क्षमता का दोहन कर सकती है और गैर मादक प्रयोजन के लिए भांग की खेती को विनियमित करके किसानों को लाभ पहुंचा सकती है।

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औद्योगिक भांग की खेती में पर्यावरण पर कार्बन प्रभाव की मात्रा को कम करने की क्षमता है और इसकी खेती रसायनिक कीटनाशकों या उर्वरकों के बहुत कम या बिना उपयोग के की जा सकती है। औद्योगिक भांग एक विविध पौधा है, जिससे बड़ी संख्या में लगाया जा सकता है। इसके डंठल, बीज और पत्तियों का उपयोग विभिन्न निर्माण सामग्री, कपड़ा, कागज, भोजन, फर्नीचर, सौंदर्य प्रसाधन, स्वास्थ्य देखभाल उत्पाद, जैव इंधन आदि में परिवर्तित किया जाता है।

भांग से संबंधित उत्पादों के उत्पादन में शामिल उद्योग को आकर्षित करने से राज्य के राजस्व संसाधन में बढ़ोतरी होगी। उत्तराखंड राज्य ने पहले ही औद्योगिक भांग की खेती करने की अनुमति दे दी है। पौधे में पाए जाने वाले CBD Compound कैंसर, मिर्गी और पुराने दर्द आदि जैसी बीमारियों में प्रभावी है।

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कानून पहलू की बात करें तो भांग की खेती की अनुमति देने की शक्तियां नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोटोपिक सब्सटेंस अधिनियम 1985 की धारा 10 और 14 द्वारा प्रदेश को प्रदान की गई हैं। एनडीपीएस अधिनियम 1985 की धारा 10 के तहत राज्य सरकार को प्रदत शक्तियों के आधार पर किसी भी भांग के पौधे की खेती, उत्पादन, निर्माण, कब्जा, परिवहन, अंतर राज्य आयात व निर्यात, बिक्री, खरीद खपत या भांग (चरस को छोड़कर) का उपयोग नियंत्रित वातावरण में औषधीय और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए अनुमति, नियंत्रण और विनियमन के लिए एचपी एनडीपीएस नियम, 1989 में संशोधन किया जाएगा।

एनडीपीएस अधिनियम 1985 की धारा 14 के तहत फाइबर या बीज प्राप्त करने या बागवानी और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किसी भी भांग के पौधे की खेती की अनुमति देने के लिए कुछ शर्तों के अधीन एक सामान्य या विशेष आदेश पारित किया जाना चाहिए।

कमेटी की सिफारिशें

एनडीपीएस अधिनियम 1985 की धारा 10 के तहत राज्य सरकार को प्रदत्त शक्तियों के आधार पर नियंत्रित वातावरण में औषधीय औऱ वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए किसी भी भांग के पौधे की खेती, उत्पादन, निर्माण, कब्जा. परिवहन, आयात अंतर राज्य, निर्यात अंतर राज्य, बिक्री, खरीद खपत या भांग (चरस को छोड़कर) की खेती की अनुमति, नियंत्रण और विनियमन के लिए हिमाचल प्रदेश एनडीपीएस नियम 1989 में संशोधन किया जाएगा। एनडीपीएस अधियनियम 1985 की धारा 14 के तहत केवल फाइबर या बीज प्राप्त करने या बागवानी और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किसी भी भांग के पौधे की अनुमति देने के लिए कुछ शर्तों के अधीन सामान्य या विशेष आदेश पारित किया जाना चाहिए।

खेती को लेकर उत्पादों के निर्माण की प्रक्रियाओं के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं विकसित की जाएगी। एक राज्य स्तरीय प्राधिकरण का गठन किया जाएगा जो गैर मादक उद्देश्यों के लिए भांग की खेती को विनियमित करने में शामिल प्रक्रियाओं (बीज बैंक की स्थापना, बीज वितरण, उपज की खरीद और औद्योगिक और फार्मा इकाइयां की स्थापना) के संबंध में निर्णय लेने के लिए एकल खिड़की प्रणाली प्रदान करेगा।

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कृषि/बागवानी विभाग द्वारा अनुसंधान एवं विकास विशेषज्ञ व विश्वविद्यालयों के समन्वय से बीज बैंक विकसित किए जा सकते हैं। सीएसके कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और डॉ वाईएस परमार विश्वविद्यालय नौणी की सेवाओं का उपयोग कर अनुसंधान एवं विकास तकनीक विकसित की जा सकती है। भूमि की जियो टैगिंग राजस्व, आईटी और पर्यावरण विज्ञान प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा की जाएगी।

आय का कुछ प्रतिशत अनुसंधान और विकास जागरूकता अभियान और क्षमता निर्माण अभ्यास के लिए अलग रखा जाना चाहिए। अतिरिक्त कार्य करने के लिए राज्य आबकारी व कराधान विभाग को मौजूदा संख्या से अधिक विशेष कर्मचारी उपलब्ध करवाए जाएं।

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नेगी बोले-नशा मुक्त भांग की खेती से सरकार की बढ़ेगी आय, जयराम ने उठाए सवाल

कमेटी की रिपोर्ट विधानसभा सदन के पटल पर रखी

शिमला। हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को वैध करने की संभावनाएं तलाशने के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट कैबिनेट मंत्री जगत नेगी ने विधानसभा सदन पटल पर रखी। बजट सत्र में भांग की खेती को लीगल करने का मुद्दा सदन में उठा था, जिसके बाद सरकार ने पक्ष और विपक्ष के विधायकों की राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में पांच सदस्य कमेटी बनाने का सदन में ऐलान किया था।

हिमाचल में भांग की खेती को वैध करने का मामला, सदन में रखी कमेटी की रिपोर्ट

सुंदर ठाकुर, हंस राज, जनक राज, सुरेंद्र शौरी व पूर्ण चंद कमेटी के सदस्य हैं। कमेटी ने राज्य के सभी जिलों का दौरा कर पंचायत स्तर से जनप्रतिनिधियों के सुझाव लिए और तीन राज्यों मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर का दौरा कर भांग की खेती को औषधीय और औद्योगिक रूप में अपनाने की बारीकियां की जानकारी ली गई है। अब सदन में रिपोर्ट लाकर हिमाचल सरकार ने भांग की खेती को लीगल करने की पूरी तैयारी कर ली है।

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जगत सिंह नेगी ने कहा कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में नशा मुक्त भांग की खेती लीगल है। NDPS एक्ट में भी भांग की खेती पर राज्यों को लीगल करने का अधिकार दिया गया है। भांग की खेती से प्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में मदद मिल सकती है, लेकिन इससे नशे को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति न हो।

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जगत सिंह नेगी ने कहा कि नशा मुक्त भांग की खेती को हिमाचल प्रदेश में लीगल करने से सरकार की आय में भी वृद्धि होगी और कानून में भी इसका प्रावधान है। सरकार जल्द हिमाचल में भांग की खेती को लीगल कर सकती हैं। भांग की खेती में नशे की मात्रा 0.3 ही होगी। सरकार पूरा चेक रखेगी की भांग की खेती का नशे में प्रयोग न हो।

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दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने हिमाचल में भांग की खेती लीगल करने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि एक तरफ पुलिस भांग की खेती को उखाड़ रही है तो दूसरी तरफ भांग की खेती को लीगल कर रही है। सरकार नशा मुक्त भांग की खेती करने की बात कह रही है, लेकिन ये कैसे हो पाएगा, इस पर सवाल है। दूसरे राज्यों में क्या परिणाम रहे हैं, उस पर जानकारी के अलावा जन भावना का भी ध्यान रखना होगा।

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हिमाचल में भांग की खेती को वैध करने का मामला, सदन में रखी कमेटी की रिपोर्ट

राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में बनाई थी कमेटी

शिमला। हिमाचल में भांग की खेती को वैध बनाने की संभावनाओं की तलाश के लिए राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने विभिन्नि प्रदेशों के भ्रमण के साथ विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श कर रिपोर्ट तैयार की है।

हिमाचल प्रदेश में भांग के औषधीय और औद्योगिक उपयोग के लिए गठित समिति की इस रिपोर्ट को आज हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सदन में रखा गया। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने रिपोर्ट सदन में रखी।

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रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जिसने सरकारी दिशा निर्देशों के अनुसार बड़े पैमाने पर औद्योगिक भांग की खेती को अनुमति दी है। राज्य के आबकारी अधिकारियों के साथ बैठक में समिति के सदस्यों को उनके सामने आने वाली चुनौतियों और नई परियोजना से राज्य के लिए पैदा अवसरों से परिचित करवाया गया।

उत्तराखंड ने 0.3 प्रतिशत THC से कम या इससे बराबर वाले औद्योगिक भांग की खेती की अनुमति के लिए एनडीपीएस अधिनियम 1985 की धारा 14 के तहत आदेश जारी किया है।

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हालांकि, उद्योग के प्रतिनिधियों और आबकारी विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा के दौरान यह भी पता चला कि THC सामग्री को 0.3 फीसदी तय करना भांग नीति के सफल कार्यान्वन में बड़ी बाधा साबित हुई है।

0.3 प्रतिशत THC वाले ऐसे बीज को प्राप्त करना मुश्किल था और आगे क्रांस परागण के कारण 0.3 फीसदी THC की वांछित सामग्री को बनाए रखना मुश्किल हो गया था। CAP सेलाकुई को औद्योगिक भांग की खेती के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है।

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हिमाचल प्रदेश में कृषि विभाग के साथ मिलकर इस परियोजना को शुरू किया जा सकता है, जिसमें किसानों को उपयोग किए जाने वाले बीजों और खेती से संबंधित अन्य मुद्दों पर सहायता प्रदान की जाएगी ताकि उच्च गुणवत्ता वाली भांग उगाई जा सके।

राज्य में बागवानी और कृषि विश्वविद्यालयों को वैज्ञानिक और चिकित्सा अनुसंधान करने के लिए शामिल किया जा सकता है। उत्तराखंड के अनुभवों से सीखकर 0.3 फीसदी THC की आवश्यकता को खत्म किया जा सकता है।

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मध्य प्रदेश में भांग की खेती को वैध बनाने के लिए आवश्यक नियमों के संबंध में आबकारी अधिकारियों और एनसीबी के अधिकारियों के साथ चर्चा की गई। एनसीबी के अधिकारियों ने भांग की खेती पर सख्त निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि मादक पदार्थों के उपयोग के लिए भांग के उपयोग को रोका जा सके।

ग्वालियर स्थित उत्पादन इकाई साई फाइटोस्यूटिकल्स को भांग की दवा बनाने के लिए नए संशोधित भांग नियमों के तहत लाइसेंस दिया गया है। अब तक राज्य ने भांग की खेती की इजाजत नहीं दी है। जम्मू ने सीएसआईआर-आईआईआईएम द्वारा एक कनाडाई फर्म के साथ निजी सार्वजनिक भागीदारी में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जम्मू में एक फार्म में खेती की जा रही है। यह भारत की पहली कैनबिस दवा परियोजना है।

कांगड़ा जिला के विवेक टलवाल का मैया तेरी मूरत भजन रिलीज, लोगों को आ रहा पसंद

रिपोर्ट में वर्णित चुनौतियों की बात करें संबंधित विभागों/हितधारकों के अधिकारियों को अधिक जागरूकता, शिक्षा और जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता है। जनशक्ति की कमी, अच्छी गणवत्ता वाले बीज विकसित करने के लिए विशेष प्रयोगशालाओं की स्थापना और नियंत्रण और विनियमन तंत्र भी चुनौती है।

वहीं आर्थिक पहलू की बात करें तो हिमाचल में भौगोलिक और जलवायु रूप से भांग की खेती के लिए अनुकूल है। यह पौधा राज्य के लगभग सभी जिलों में जंगली रूप से उगता है, जिसे नशीली दवाओं के प्रयोजनों के लिए संभावित उपयोग के कारण प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा नष्ट किया जा रहा है। राज्य सरकार इस अप्रयुक्त क्षमता का दोहन कर सकती है और गैर मादक प्रयोजन के लिए भांग की खेती को विनियमित करके किसानों को लाभ पहुंचा सकती है।

औद्योगिक भांग की खेती में पर्यावरण पर कार्बन प्रभाव की मात्रा को कम करने की क्षमता है और इसकी खेती रसायनिक कीटनाशकों या उर्वरकों के बहुत कम या बिना उपयोग के की जा सकती है। औद्योगिक भांग एक विविध पौधा है, जिससे बड़ी संख्या में लगाया जा सकता है। इसके डंठल, बीज और पत्तियों का उपयोग विभिन्न निर्माण सामग्री, कपड़ा, कागज, भोजन, फर्नीचर, सौंदर्य प्रसाधन, स्वास्थ्य देखभाल उत्पाद, जैव इंधन आदि में परिवर्तित किया जाता है।

भांग से संबंधित उत्पादों के उत्पादन में शामिल उद्योग को आकर्षित करने से राज्य के राजस्व संसाधन में बढ़ोतरी होगी। उत्तराखंड राज्य ने पहले ही औद्योगिक भांग की खेती करने की अनुमति दे दी है। पौधे में पाए जाने वाले CBD Compound कैंसर, मिर्गी और पुराने दर्द आदि जैसी बीमारियों में प्रभावी है।

कमेटी की रिपोर्ट में उम्मीद जताई है कि राज्य में भांग की खेती के वैधीकरण के सफल कार्यान्वन से लगभग प्रारंभिक वर्षों में लगभग 400 से 500 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होगा और बाद में इसमें वृद्धि होने की पूर्ण संभावना है।

कानून पहलू की बात करें तो भांग की खेती की अनुमति देने की शक्तियां नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोटोपिक सब्सटेंस अधिनियम 1985 की धारा 10 और 14 द्वारा प्रदेश को प्रदान की गई हैं। एनडीपीएस अधिनियम 1985 की धारा 10 के तहत राज्य सरकार को प्रदत शक्तियों के आधार पर किसी भी भांग के पौधे की खेती, उत्पादन, निर्माण, कब्जा, परिवहन, अंतर राज्य आयात व निर्यात, बिक्री, खरीद खपत या भांग (चरस को छोड़कर) का उपयोग नियंत्रित वातावरण में औषधीय और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए अनुमति, नियंत्रण और विनियमन के लिए एचपी एनडीपीएस नियम, 1989 में संशोधन किया जाएगा।

एनडीपीएस अधिनियम 1985 की धारा 14 के तहत फाइबर या बीज प्राप्त करने या बागवानी और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किसी भी भांग के पौधे की खेती की अनुमति देने के लिए कुछ शर्तों के अधीन एक सामान्य या विशेष आदेश पारित किया जाना चाहिए।

कमेटी की सिफारिशें

एनडीपीएस अधिनियम 1985 की धारा 10 के तहत राज्य सरकार को प्रदत्त शक्तियों के आधार पर नियंत्रित वातावरण में औषधीय औऱ वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए किसी भी भांग के पौधे की खेती, उत्पादन, निर्माण, कब्जा. परिवहन, आयात अंतर राज्य, निर्यात अंतर राज्य, बिक्री, खरीद खपत या भांग (चरस को छोड़कर) की खेती की अनुमति, नियंत्रण और विनियमन के लिए हिमाचल प्रदेश एनडीपीएस नियम 1989 में संशोधन किया जाएगा। एनडीपीएस अधियनियम 1985 की धारा 14 के तहत केवल फाइबर या बीज प्राप्त करने या बागवानी और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किसी भी भांग के पौधे की अनुमति देने के लिए कुछ शर्तों के अधीन सामान्य या विशेष आदेश पारित किया जाना चाहिए।

खेती को लेकर उत्पादों के निर्माण की प्रक्रियाओं के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं विकसित की जाएगी। एक राज्य स्तरीय प्राधिकरण का गठन किया जाएगा जो गैर मादक उद्देश्यों के लिए भांग की खेती को विनियमित करने में शामिल प्रक्रियाओं (बीज बैंक की स्थापना, बीज वितरण, उपज की खरीद और औद्योगिक और फार्मा इकाइयां की स्थापना) के संबंध में निर्णय लेने के लिए एकल खिड़की प्रणाली प्रदान करेगा।

कृषि/बागवानी विभाग द्वारा अनुसंधान एवं विकास विशेषज्ञ व विश्वविद्यालयों के समन्वय से बीज बैंक विकसित किए जा सकते हैं। सीएसके कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और डॉ वाईएस परमार विश्वविद्यालय नौणी की सेवाओं का उपयोग कर अनुसंधान एवं विकास तकनीक विकसित की जा सकती है। भूमि की जियो टैगिंग राजस्व, आईटी और पर्यावरण विज्ञान प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा की जाएगी।

आय का कुछ प्रतिशत अनुसंधान और विकास जागरूकता अभियान और क्षमता निर्माण अभ्यास के लिए अलग रखा जाना चाहिए। अतिरिक्त कार्य करने के लिए राज्य आबकारी व कराधान विभाग को मौजूदा संख्या से अधिक विशेष कर्मचारी उपलब्ध करवाए जाएं।

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हिमाचल मानसून सत्र : करुणामूलक आधार पर नौकरी को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू की बड़ी बात

 

बथाऊधार-राजगढ़ HRTC बस पनेली के पास हुई खराब, अंधेरे में परेशान हुए यात्री

 

HRTC के लिए घाटे का सौदा रहीं करोड़ों खर्च कर खरीदीं JNNURM की बसें

 

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हिमाचल में जल्द लीगल होगी भांग की खेती : रिपोर्ट तैयार, अब सरकार लेगी फैसला

सरकार की आय में होगा इजाफा

शिमला। हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को सरकार वैध करने जा रही है। बीते बजट सत्र में भांग की खेती को लीगल करने का मुद्दा सदन में उठा था जिसके बाद सरकार ने पक्ष और विपक्ष के विधायकों की राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी।

इस कमेटी ने राज्य के सभी जिलों का दौरा कर पंचायत स्तर से जनप्रतिनिधियों के सुझाव लिए और तीन राज्यों मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर का दौरा कर भांग की खेती को औषधीय और औद्योगिक रूप में अपनाने की बारीकियां की जानकारी ली।

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शुक्रवार को सचिवालय में  कमेटी की बैठक हुई है जिसमें तय किया गया है कि कमेटी सरकार को अपनी रिपोर्ट देगी और हिमाचल में भांग की खेती को औषधीय और उद्योग के रूप में अपनाने का सुझाव देगी। जगत सिंह नेगी ने कहा कि भांग की खेती को हिमाचल प्रदेश में लीगल करने से सरकार की आय में भी वृद्धि होगी और कानून में भी इसका प्रावधान है।

इसके अलावा आज राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने पौंग विस्थापितों को लेकर भी सचिवालय में एक बैठक की जिसमें पौंग विस्थापितों के पुर्नस्थापन को लेकर सरकार राजस्थान सरकार से मसला उठाएगी ताकि विस्थापितों को उनका अधिकार शीघ्र मिल सके। लगभग 16000 लोग पौंग विस्थापित है जिसमें से 8000 लोगों को पुनर्स्थापित कर दिया गया है अन्य का मसला सरकार सुलझाने का प्रयास कर रही है।

सचिवालय के बाहर कोविड वॉरियर्स का हल्ला बोल, मुख्यमंत्री से मांगी सेवा विस्तार की गारंटी

 

वहीं, केंद्र सरकार द्वारा बुलाए गए मानसून के विशेष सत्र में वन नेशन वन इलेक्शन लाने के प्रस्ताव को लेकर जगत सिंह नेगी ने कहा कि लोकसभा चुनाव काफी नजदीक है ऐसे में भाजपा असल मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए इस तरह की जुमलेबाजी कर रही है। भारत पहले से ही एक देश है इस तरह के मुद्दों को उठाकर भाजपा राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास कर रही है।

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Breaking : हिमाचल में भांग की खेती लीगल करने के मामले में बड़ी अपडेट-पढ़ें खबर

जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में कमेटी गठित

शिमला। हिमाचल में भांग की खेती को लीगल करने के मामले में कमेटी का गठन कर दिया गया है। इस बारे अधिसूचना जारी कर दी है। कमेटी एक माह के अंदर रिपोर्ट सौंपेगी। कमेटी बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में बनाई है।

नेगी कमेटी के चेयरमैन होंगे। सीपीएस सुंदर सिंह ठाकुर, विधायक डॉ. हंस राज, डॉ. जनक राज और पूर्ण चंद सदस्य होंगे। एडिशनल कमिश्नर एसटी एंड ई (एक्साइज) तकनीकी पहलुओं को लेकर कमेटी की सहायता करेंगे।

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बता दें कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बजट सत्र के अंतिम दिन नियम 63 के तहत भांग की खेती को लीगल करने को लेकर चर्चा लाई गई थी। द्रंग से भाजपा विधायक पूर्ण चंद ने सदन में इसकी चर्चा लाई थी। विधानसभा सदस्यों ने भांग के औषधीय गुणों का हवाला देते हुए इसे लीगल करने की मांग उठाई थी, जिसके बाद सरकार ने इसके लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन करने का ऐलान किया था।

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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि इसकी खेती, पत्तियों व बीज को लीगल करने को लेकर सोचा जा सकता है। भांग के कई औषधीय लाभ हैं। कमेटी की रिपोर्ट के बाद इस पर विचार किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि उतराखंड में भी ये खेती लीगल है।

ND and PS एक्ट (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act) में भी भांग की खेती पर राज्यों को लीगल करने का अधिकार दिया गया है। भांग की खेती से प्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में मदद मिल सकती है, लेकिन इससे नशे को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति न हो।

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हिमाचल : भांग की खेती लीगल करने के मामले में बनाई कमेटी, एक माह में देगी रिपोर्ट

विधानसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन उठा था मुद्दा

शिमला। हिमाचल में भांग की खेती को लीगल करने के मामले में सरकार ने पांच सदस्य कमेटी का गठन किया है। कैबिनेट मंत्री जगत नेगी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। विधायक सुंदर ठाकुर, हंसराज, जनक राज व पूर्ण चंद कमेटी के सदस्य होंगे। कमेटी एक माह में रिपोर्ट देगी।

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बता दें कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बजट सत्र के अंतिम दिन वीरवार को नियम 63 के तहत भांग की खेती को लीगल करने को लेकर चर्चा लाई गई। द्रंग से भाजपा विधायक पूर्ण चंद ने सदन में इसकी चर्चा लाई। विधानसभा सदस्यों ने भांग के औषधीय गुणों का हवाला देते हुए इसे लीगल करने की मांग उठाई गई, जिसके बाद सरकार ने इसके लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन करने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि भांग की खेती, पत्तियों व बीज को लीगल करने को लेकर सोचा जा सकता है। उन्होंने बताया की भांग के कई औषधीय लाभ है, जिसको लेकर दोनों पक्षों के पांच सदस्यों की कमेटी एक माह में इसको लेकर रिपोर्ट देगी। उसके बाद इस पर विचार किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि उतराखंड में भांग की खेती लीगल है।

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ND and PS एक्ट (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act) में भी भांग की खेती पर राज्यों को लीगल करने का अधिकार दिया गया है। भांग की खेती से प्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में मदद मिल सकती है, लेकिन इससे नशे को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति न हो। इसको लेकर पांच सदस्यों की कमेटी बना दी गई।

वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि भांग की खेती को लीगल करने के निर्णय में सरकार को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। सभी पहलुओं के अध्ययन के बाद इस पर विचार करने की आवश्यकता है, क्योंकि इसके अच्छे और बुरे दोनों परिणाम हो सकते हैं, इसलिए इसको कंट्रोल मैनर में कैसे किया जा सकता है, इसको लेकर विचार करने की जरूरत है। वहीं इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नगर निगम शिमला के चुनाव में जीत का दावा भी किया।

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