शिमला। डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा (टीएमसी) और आईजीएमसी के 35 डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेज चंबा भेजा गया है। वहीं श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक (मंडी) से एक डॉक्टर को भी चंबा भेजा गया है। मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) ने कुल 36 डॉक्टरों के तबादला आदेश जारी किए गए हैं।
इन डॉक्टरों को जवाहर लाल नेहरू गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज चंबा में तैनाती दी गई है। इनमें 12 विशेषज्ञ डॉक्टर आईजीएमसी शिमला से हैं और 23 विशेषज्ञ डॉक्टर डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा जबकि एक डॉक्टर श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक (मंडी) से जवाहर लाल नेहरू गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज चंबा स्थानांतरित किए गए हैं।
आदेशों के मुताबिक एनेस्थीसिया विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. भानू गुप्ता को टीएमसी से मेडिकल कॉलेज चंबा भेजा गया है। इसके साथ ही डॉ. रमेश कुमार एसोसिएट प्रोफेसर एनेस्थीसिया विभाग को टीएमसी से चंबा, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विजय कुमार रेडियोलॉजी नोसिस विभाग को टीएमसी से चंबा, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरजीत डेंटिस्ट्री विभाग, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. आशा नेगी, फिजियोलॉजी, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. समीर बायोकेमिस्ट्री, डॉ. मोनिश तोमर पैथोलॉजी, डॉ. स्वाति अग्रवाल असिस्टेंट प्रोफेसर पैथोलॉजी को चंबा भेजा गया है।
विस अध्यक्ष ने स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र देकर नवाजा
चंबा। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर हिमाचल के चंबा जिला की मूर्तिकार लता को सम्मानित किया गया। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया, चंबा सदर विधायक नीरज नैय्यर और डीसी चंबा दूनी चंद राणा ने स्मृति चिन्ह और प्रशस्त्री पत्र देकर लता को नवाजा। लता चंबा रूमाल और मिट्टी की मूर्ति के साथ पुलते भी बनाती हैं। लता ने पिता की मृत्यु के बाद मूर्ति बनाने का काम शुरू किया।
बता दें कि लता चंबा शहर के चमेशनी मोहल्ला की रहने वाली हैं। उनके पिता स्वर्गीय पूर्ण चंद एक मूर्तिकार थे। लता अपने पिता के साथ मूर्ति बनाने में सहायता करती थी। इसी दौरान लता ने मूर्ति बनाने का हुनर सीखा। पिता की मृत्यु के बाद मूर्ति बनाने का काम शुरू किया। लता आज भी अपने पिता के हुनर संजोए रखे है। एक बेटी की अपने दिवंगत पिता को इससे बड़ी श्रद्धांजलि ही कोई हो सकती है।
चंबा। हिमाचल के चंबा जिला में सड़क हादसे में कांगड़ा जिला निवासी एक युवक की मौत हो गई है, जबकि एक युवक गंभीर रूप से घायल है। हादसा चंबा-चुवाड़ी वाया जोत मार्ग पर हुआ है। मृतक की पहचान 26 वर्षीय अविनाश पुत्र जोगिंद्र सिंह निवासी गांव चनेद डाकघर फतेहपुर जिला कांगड़ा के रूप में हुई। घायल युवक की पहचान 24 वर्षीय अभिषेक निवासी गांव डड़ोह डाकघर फतेहपुर जिला कांगड़ा के रूप में हुई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर घायल को उपचार के लिए स्थानीय अस्पताल पहुंचाया।
बता दें कि दोनों युवक कार में सवार होकर चंबा से कांगड़ा की तरफ जा रहे थे। चंबा-चुवाड़ी वाया जोत मार्ग पर कुट के पास कंडे दा खेतर में चालक कार से संतुलन खो बैठा और कार खाई में गिर गई। हादसे में अविनाश की मौत हो गई और अभिषेक घायल है। घायल युवक की हालत अभी खतरे से बाहर है। वहीं, पुलिस थाना चुवाड़ी में मामला दर्ज कर पुलिस ने हादसे की जांच शुरू कर दी है।
भरमौर। जिला चंबा के भरमौर के खड़ामुख-होली मार्ग में हुए भूस्खलन के कारण 24 घंटों से बंद पड़े मार्ग को बहाल कर दिया गया है। जिसके बाद अब वाहनों की आवाजाही सुचारू रूप से चल पड़ी है।
बता दें कि बीते शनिवार को दोपहर बाद यहां पर एका एक पहाड़ी से भारी लैंडस्लाइड हुआ था। जिस कारण बड़ी-बड़ी चट्टानें रास्ते पर आ गिरी थी। सड़क मार्ग बंद होने के कारण होली तहसील की लगभग 15 पंचायतों का संपर्क दूसरी जगह से पूरी तरह कट गया था।
वहीं, मौसम विभाग के अनुसार अगले 3 से 4 दिन मौसम खराब रहेगा। लिहाजा लैंड स्लाइड की घटना को देखते हुए प्रशासन ने भी अलर्ट जारी कर दिया है। बहरहाल क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन किसी खतरे का संकेत तो नहीं इसको लेकर भी तरह तरह की चर्चाएं लोगों के बीच हो रही है।
लोगों का कहना है कि हाईड्रो प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य में की जा रही ब्लास्टिंग से पहाड़ खोखले हो चुके हैं। यहीं वजह है कि आए दिन क्षेत्र में भूस्खलन की घटनाएं पिछले कुछ समय से सामने आ रही हैं।
प्रदेश वूल फेडरेशन ने पशुपालकों की आर्थिकी को किया सुदृढ़
शिमला। हिमाचल प्रदेश में भेड़ पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आजीविका का अभिन्न अंग है। प्रदेश के छोटे और सीमांत किसानों ने कृषि के साथ-साथ भेड़ पालन को अपनाकर अपनी आमदनी में वृद्धि की है। राज्य के ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों के किसानों के लिए भेड़ पालन जीवनयापन का प्रमुख जरिया है। गुणवत्ता के लिहाज से विशिष्ट पहचान रखने वाली हिमाचली ऊन की मांग अब पश्चिमी बाजारों में निरंतर बढ़ रही है। इसके साथ ही प्रदेश के निजी हितधारक भी राज्य के कुछ हिस्सों में हिमाचली ऊन के जैविक प्रमाणन और अन्य प्रमाणन जैसे आर.डब्ल्यू.एस. (रिस्पॉन्सिबल वूल स्टैंडर्ड्स) में निवेश कर रहे हैं।
बता दें कि हिमाचल में प्रमुख रूप से गद्दी और रामपुर बुशहरी नस्ल का पालन किया जाता है। गद्दी नस्ल की भेड़ चंबा, कुल्लू, कांगड़ा और मंडी जबकि रामपुर बुशहरी नस्ल किन्नौर, रामपुर और शिमला में पाई जाती है।
आंकड़ों के अनुसार राज्य में वर्ष 2019 में की गई पशुधन गणना के अनुसार राज्य में कुल 7,91,345 भेड़ें हैं। जिसमें विदेशी नस्ल की संख्या 72821 है और स्वदेशी नस्ल की 7,18,524 भेंड़ें है। भेड़पालक ऊन, पशु, मांस, खाद और दूध इत्यादि उत्पादों की बिक्री के माध्यम से आय अर्जित करते हैं।
वहीं, भेड़पालकों के हितों की रक्षा के लिए राज्य की शीर्ष सहकारी संस्था हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। तकनीकी और यांत्रिक उपकरणों के माध्यम से भेड़ की ऊन निकालने की सुविधाएं प्रदान करने के साथ-साथ भेड़पालकों से ऊन की खरीद के लिए 133.39 करोड़ रुपये का रिवॉल्विंग फंड भी बनाया गया है। बाजार को ध्यान में रखते हुए ऊन का 125 से 150 मीट्रिक टन प्रापण किया जाता है। इसके लिए भेड़ पालकों को मौके पर भुगतान भी किया जाता है।
हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्य में कुल 15.50 लाख किलोग्राम ऊन का उत्पादन किया जाता है, जिसके आधार पर प्रति भेड़ लगभग 1.9 किलोग्राम का उत्पादन होता है। सफेद ऊन की दर 71.50 रुपये प्रति किलोग्राम से लेकर 34.10 रुपये प्रति किलोग्राम और काली ऊन 45 रुपये प्रति किलोग्राम से 25.50 रुपये प्रति किलोग्राम है। हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन भेड़पालकों को भेड़ों की क्रॉस-ब्रीडिंग प्रक्रिया अपनाने और वस्त्र उद्योग की मांग के अनुसार परिधान निर्माण में उच्च गुणवत्ता वाली ऊन उत्पादित करने के लिए के लिए प्रेरित करती है।
हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन राज्य के भेड़ पालकों को 11 रुपये से 13 रुपये प्रति भेड़ तक की रियायती दरों पर उपकरणों द्वारा भेड़ की ऊन निकालने की सुविधा भी प्रदान कर रहा है। उपकरणों के माध्यम से भेड़ की ऊन निकालने से समय की बचत होने के साथ यह पशु के स्वास्थ्य के अनुकूल भी होती है। यह सुविधा प्रशिक्षित और अनुभवी भेड़पालकों की मदद से प्रदान की जा रही है।
चंबा जिले के होली के गांव देओल के प्रगतिशील भेड़पालक जय सिंह ने बताया कि वह वूल फेडरेशन को लगभग 900 से 1000 किलोग्राम क्रॉसब्रीड ऊन 85.80 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से विक्रय करते हैं। वूलफेड की ऊन निकालने की टीमें भरमौर में उनकी भेड़ों की ऊन निकालने में मदद करती है। फेडरेशन के सहयोग से वह 800 भेड़ों के झुंड को सफलतापूर्वक पालने में सफल हुए हैं। पारम्परिक रूप से ऊन निकालने वाले लोग बहुत कम रह गए हैं और वे प्रति भेड़ 25 रुपये से 30 रुपये शुल्क लेते हैं।
कांगड़ा जिले के छोटा भंगाल के भेड़ पालक मोहिंदर ठाकुर ने बताया कि वह सर्दियों में अपने लगभग 300 भेड़ों के झुंड के साथ नालागढ़ के पास रामशहर चले जाते हैं। फेडरेशन उन्हें रामशहर के पास जंगल में भेड़ की ऊन निकालने की सुविधा प्रदान करता है और नियमित रूप से प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित करती हएै जिससे उनकी समस्याओं के निवारण के लिए स्थानीय पशु चिकित्सकों से परामर्श और प्रशासन से आवश्यक सहायता भी प्राप्त होती है।
प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के फलस्वरूप आज राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था निरंतर आगे बढ़ रही है और इससे समाज के सभी वर्गों तथा दूरदराज क्षेत्रों का समान विकास भी सुनिश्चित हो रहा है।
कांगड़ा/चंबा। हिमाचल प्रदेश के चम्बा औऱ कांगड़ा जिला में सोमवार रात भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.7 मापी गई। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के मुताबिक भूकंप के झटके रात 10 बजकर 38 मिनट पर महसूस किए गए।
इसका केंद्र चंबा जिला में जमीन से 5 किलोमीटर गहराई में था। जानकारी अनुसार भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग घरों से बाहर निकल आये। भूकंप से कई घरों में रखा सामान हिलने लगा। हालांकि कुछ ही सेकंड में सब कुछ सामान्य हो गया।
कांगड़ा घाटी में चार अप्रैल 1905 को आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी। भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील जोन पांच में शामिल कांगड़ा घाटी में अगर भूकंप आया तो तबाही का मंजर भयावह होगा। आज से 117 साल पहले कांगड़ा में आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8 मापी गई थी। तब लगभग 19000 लोग मौत का शिकार हुए थे तथा 38 हजार पशु भी इस भूकंप की भेंट चढ़ गए थे। अकेले कांगड़ा नगर में मरने वाले लोगों की संख्या 10257 थी। आज जिस कद्र पिछले 117 सालों में भवनों का निर्माण हुआ है उस हिसाब से अगर ऐसा विनाशकारी भूकंप आया, तो मृतकों की संख्या लाखों तक पहुंच सकती है।
चंबा। चंबा-भरमौर मार्ग पर शनिवार को एक दर्दनाक सड़क हादसा पेश आया है। जिसमें दो युवकों की मौत हो गई। हादसा सुबह 10 बजे के करीब हुआ बताया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार दोनों युवक ऑनलाइन ऐमेज़ॉन की कंपनी में डिलीवरी ब्वॉय का काम करते थे। गरोला से धरवाला की तरफ होम डिलीवरी देने के लिए आ रहे थे कि अचानक ढकोग के समीप इनकी बाइक अनियंत्रित होकर रावी नदी में जा गिरी। जिससे इन दोनों युवकों की मौके पर ही मौत हो गई।
मृतकों की पहचान विकास कुमार पुत्र लेहरु राम गांव मरौथा पंचायत लोथल व सचिन कुमार पुत्र रोशन लाल गांव तगैलथा पंचायत सुनारा के रूप में हुई है। विकास मां-बाप का इकलौता सहारा था। बताया जा रहा है कि दोनों युवकों ने करीब 2 माह पहले ही डिलीवरी ब्वॉय का काम शुरू किया था।
मामले की सूचना मिलने बाद मौके पर पहुंचकर पुलिस ने शवों को कब्जे में ले लिया व पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया है। पुलिस मामला दर्ज कर हादसे की जांच शुरू कर दी है।
चंबा। रोजगार का इंतजार कर रहे युवाओं को नौकरी का सुनहरा मौका है। साथ ही एससी से संबंधित महिलाओं के लिए बड़ा अवसर है। जिला चंबा में ट्रेनी, सीनियर ट्रेनी व स्किल्ड प्रोडक्शन वर्कर, फैशन डिजाइनर ट्रेनी के 110 पदों के लिए साक्षात्कार होंगे।
जिला रोजगार अधिकारी अरविंद सिंह चौहान ने बताया कि 21 फरवरी को जिला रोजगार कार्यालय बालू (चंबा) में तीन निजी कंपनियों में 110 पदों के लिए कैंपस इंटरव्यू का आयोजन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि जीएस टेकनो इन्नोवेशन प्राइवेट लिमिटेड व शाही एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड में फैशन डिजाइनर ट्रेनी के 60 पद (केवल अनुसूचित जाति महिलाओं के लिए) भरे जाएंगे। 10वीं व कटिंग टेलरिंग में आईटीआई डिप्लोमा शैक्षणिक योग्यता के साथ 18 वर्ष से अधिक आयु सीमा चाहिए। 4 माह की निशुल्क ट्रेनिंग के बाद 11,000 वेतन निर्धारित किया है।
उन्होंने बताया कि 4 माह की ट्रेनिंग चुवाड़ी में करवाई जाएगी और नौकरी का स्थान बेंगलुरु रहेगा। उन्होंने बताया कि इसी तरह अरिहंत स्पिनिंग मिल ( वर्धमान टैक्सटाइल ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड) मलेर कोटला( पंजाब) में ट्रेनी, सीनियर ट्रेनी व स्किल्ड प्रोडक्शन वर्कर के 50 पद भरे जाएंगे, जिसकी शैक्षणिक योग्यता 8वीं 10वीं ,12वीं पास है, साथ ही इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स फिटर में आईटीआई का डिप्लोमा रखा गया है।
उन्होंने बताया कि इन पदों के लिए 18 से 26 वर्ष आयु सीमा निर्धारित है। ट्रेनिंग के दौरान मासिक वेतन 8,500 से 14,500 रुपए तक निर्धारित किया है । ट्रेनिंग के उपरांत हॉस्टल सुविधा के साथ अन्य मानदेय भी दिए जाएंगे।
इच्छुक आवेदक साक्षात्कार के लिए शैक्षणिक योग्यता के मूल प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो, रोजगार कार्यालय का प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और अपना बायोडाटा लेकर निर्धारित तिथि और समय पर उपस्थित हो जाएं । उन्होंने यह भी बताया कि अधिक जानकारी के लिए जिला रोजगार कार्यालय के दूरभाष नंबर 01899- 222209 पर संपर्क किया जा सकता है।
चंबा। हिमाचल के चंबा जिला में हजारों रुपए वेतन लेने वाले नायब तहसीलदार ने आठ हजार रुपए में अपना ईमान बेच दिया और पकड़ा भी गया। चंबा में विजिलेंस की टीम ने नायब तहसीलदार पुखरी प्रमोद कुमार को 8 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथ धरा है। आरोपी नायब तहसीलदार भूमि की म्यूटेशन के बदले यह रिश्वत ले रहा था।
बता दें कि भगत सिंह पुत्र स्व. कन्हैया राम निवासी गांव काहलो उप तहसील पुखरी की शिकायत के बाद विजिलेंस ने कार्रवाई की है। शिकायतकर्ता ने शिकायत की थी कि उसके भूमि के कार्य को नायब तहसीलदार पुखरी टाल रहा है और 8 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहा है। शिकायत मिलने के बाद विजिलेंस ने टीम का गठन कर आरोपी को पकड़ने के लिए जाल बिछाया।
शिकायतकर्ता अपने काम के बदले अधिकारी को रिश्वत देने के लिए उसके कार्यालय गया, पर वहां उसने पैसे लेने से मना कर दिया। उसे कार्यालय से बाहर पैसे देने को कहा। कार्यालय से छुट्टी करके जब नायब तहसीलदार पुखरी बाजार से करीब 50 मीटर दूरी पर पुखरी-माणी रोड पर पहुंचा तो उसने शिकायतकर्ता को बुलाकर उससे रिश्वत ली।
चंबा में बर्फबारी के चलते बंद पड़े हैं कई सड़क मार्ग
चंबा। जिला चंबा के पांगी में भारी बर्फबारी से सड़कें ठप पड़ी हुई हैं। इसी बीच किलाड़ से एक गंभीर मरीज को आपातकाल की स्थिति में इलाज के लिए पांगी से एयरलिफ्ट कर कांगड़ा जिला के टांडा अस्पताल में भर्ती करवाया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपना दौरा रद्द कर हेलीकॉप्टर को मरीज को एयरलिफ्ट करने के लिए पांगी भेजा।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू को जैसे ही सूचना प्राप्त हुई कि चंबा जिला के पांगी स्थित किलाड़ में एक व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति बहुत गंभीर है और उसे तुरंत विशेषज्ञ उपचार की आवश्यकता है, लेकिन पांगी में भारी बर्फबारी के कारण उसे सड़क के रास्ते अस्पताल पहुंचाना संभव नहीं हो पा रहा है। आपात स्थिति में मरीज को हेलिकॉप्टर से ही टांडा अस्पताल में पहुंचाया जा सकता था।
मुख्यमंत्री ने उसी समय अन्य क्षेत्र के लिए प्रस्तावित अपना सरकारी प्रवास रद्द कर हेलीकॉप्टर किलाड़ भिजवाया और मरीज को एयरलिफ्ट कर डॉ. राजेंद्र प्रसाद चिकित्सा महाविद्यालय, टांडा में भर्ती करवाया गया। अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा मरीज को सही समय पर उपचार उपलब्ध करवाया गया।
चिकित्सकों के अनुसार अब उनकी हालत खतरे से बाहर है। मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार सुनील शर्मा मरीज के एयरलिफ्ट होने से लेकर टांडा चिकित्सा महाविद्यालय में दाखिल होने तक चंबा व कांगड़ा जिला प्रशासन के निरंतर संपर्क में रहे।
मरीज के भाई प्रीतम लाल ने मानवीय संवेदनाओं के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अगर समय रहते उनके भाई को एयरलिफ्ट नहीं किया जाता, तो उनकी जान के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अस्पताल प्रशासन को मरीज को हर संभव चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं।