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HPBOSE : 9वीं और 11वीं की वार्षिक परीक्षा प्रश्न पत्र डिमांड को लेकर बड़ी अपडेट

अब फीस के साथ 100 रुपए विलंब शुल्क भी लगेगा

धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड (HPBOSE) ने 9वीं और 11वीं कक्षाओं की वार्षिक परीक्षाओं के लिए प्रश्न पत्रों की मांग की तिथि बढ़ा दी है।

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हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड (HPBOSE) द्वारा मार्च 2024 में संचालित की जाने वाली 9वीं और 11वीं कक्षाओं की वार्षिक परीक्षाओं के लिए कक्षावार व विषयवार प्रश्न पत्रों की मांग को केवल ऑफलाइन बोर्ड कार्यालय में आकर फी काउंटर पर जमा करवाने के लिए विलंब शुल्क 100 रुपए प्रति छात्र 15 जनवरी, 2024 तक बढ़ाया है। डिमांड ड्राफ्ट के द्वारा भी जमा करवाया जा सकता है। डाक के माध्यम से 15 जनवरी तक भेजना सुनिश्चित करें।

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9वीं और 11वीं दोनों कक्षाओं के लिए 150 रुपए शुल्क और 100 रुपए विलंब शुल्क मिलाकर अब 250 रुपए प्रति छात्र देने होंगे। यह जानकारी हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड (HPBOSE) के सचिव डॉ मेजर विशाल शर्मा ने दी है।

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समस्त विद्यालयों के प्रधानाचार्य/मुख्याध्यापक 15 जनवरी तक प्रश्न पत्रों की मांग को निर्धारित शुल्क सहित केवल ऑफलाइन बोर्ड कार्यालय में आकर जमा करवाना सुनिश्चित करें। डिमांड ड्राफ्ट के द्वारा भी जमा करवाया जा सकता है। डाक के माध्यम से 15 जनवरी तक भेजना सुनिश्चित करें।

निर्धारित अंतिम तिथि के बाद किसी भी प्रकार की छूट प्रदान नहीं की जाएगी तथा प्रश्न पत्रों की अनुपलब्धता तथा कमी का पूर्ण उत्तरदायित्व संबंधित पाठशाला के प्रधानाचार्य/मुख्याध्यापक का होगा।

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बीएससी नर्सिंग छात्रों ने स्टाइपेंड को बहाल करने की उठाई मांग

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से किया आग्रह

शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के प्रथम दिन भोजनावकाश के दौरान मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज ओक ओवर में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिनिधिमंडलों तथा लोगों से भेंट की। मुख्यमंत्री ने जन शिकायतों का निवारण किया।

इस अवसर पर, हिमाचल प्रदेश कांग्रेस समिति के सचिव जगदीश रेड्डी की अध्यक्षता में हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) परिचालक संघ ने मुख्यमंत्री से भेंट की और परिचालकों की विभिन्न समस्याओं व मांगों से उन्हें अवगत करवाया। उन्होंने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार भी व्यक्त किया।

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बीएससी नर्सिंग छात्रों के प्रतिनिधिमंडल ने भी मुख्यमंत्री से भेंट कर इंटर्नशिप के दौरान मिलने वाले स्टाइपेंड को बहाल करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडलों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार उनकी उचित मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी।

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पश्चिमी बाजारों में बढ़ी हिमाचल की ऑर्गेनिक ‘ऊन’ की डिमांड

प्रदेश वूल फेडरेशन ने पशुपालकों की आर्थिकी को किया सुदृढ़

शिमला। हिमाचल प्रदेश में भेड़ पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आजीविका का अभिन्न अंग है। प्रदेश के छोटे और सीमांत किसानों ने कृषि के साथ-साथ भेड़ पालन को अपनाकर अपनी आमदनी में वृद्धि की है। राज्य के ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों के किसानों के लिए भेड़ पालन जीवनयापन का प्रमुख जरिया है।  गुणवत्ता के लिहाज से विशिष्ट पहचान रखने वाली हिमाचली ऊन की मांग अब पश्चिमी बाजारों में निरंतर बढ़ रही है। इसके साथ ही प्रदेश के निजी हितधारक भी राज्य के कुछ हिस्सों में हिमाचली ऊन के जैविक प्रमाणन और अन्य प्रमाणन जैसे आर.डब्ल्यू.एस. (रिस्पॉन्सिबल वूल स्टैंडर्ड्स) में निवेश कर रहे हैं।

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बता दें कि हिमाचल में प्रमुख रूप से गद्दी और रामपुर बुशहरी नस्ल का पालन किया जाता है। गद्दी नस्ल की भेड़ चंबा, कुल्लू, कांगड़ा और मंडी जबकि रामपुर बुशहरी नस्ल किन्नौर, रामपुर और शिमला में पाई जाती है।

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आंकड़ों के अनुसार राज्य में वर्ष 2019 में की गई पशुधन गणना के अनुसार राज्य में कुल 7,91,345 भेड़ें हैं।  जिसमें विदेशी नस्ल की संख्या 72821 है और स्वदेशी नस्ल की 7,18,524 भेंड़ें है। भेड़पालक ऊन, पशु, मांस, खाद और दूध इत्यादि उत्पादों की बिक्री के माध्यम से आय अर्जित करते हैं।

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वहीं, भेड़पालकों के हितों की रक्षा के लिए राज्य की शीर्ष सहकारी संस्था हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। तकनीकी और यांत्रिक उपकरणों के माध्यम से भेड़ की ऊन निकालने की सुविधाएं प्रदान करने के साथ-साथ भेड़पालकों से ऊन की खरीद के लिए 133.39 करोड़ रुपये का रिवॉल्विंग फंड भी बनाया गया है। बाजार को ध्यान में रखते हुए ऊन का 125 से 150 मीट्रिक टन प्रापण किया जाता है। इसके लिए भेड़ पालकों को मौके पर भुगतान भी किया जाता है।

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हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन के एक प्रवक्ता ने बताया कि राज्य में कुल 15.50 लाख किलोग्राम ऊन का उत्पादन किया जाता है, जिसके आधार पर प्रति भेड़ लगभग 1.9 किलोग्राम का उत्पादन होता है। सफेद ऊन की दर 71.50 रुपये प्रति किलोग्राम से लेकर 34.10 रुपये प्रति किलोग्राम और काली ऊन 45 रुपये प्रति किलोग्राम से 25.50 रुपये प्रति किलोग्राम है। हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन भेड़पालकों को भेड़ों की क्रॉस-ब्रीडिंग प्रक्रिया अपनाने और वस्त्र उद्योग की मांग के अनुसार परिधान निर्माण में उच्च गुणवत्ता वाली ऊन उत्पादित करने के लिए के लिए प्रेरित करती है।

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हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन राज्य के भेड़ पालकों को 11 रुपये से 13 रुपये प्रति भेड़ तक की रियायती दरों पर उपकरणों द्वारा भेड़ की ऊन निकालने की सुविधा भी प्रदान कर रहा है। उपकरणों के माध्यम से भेड़ की ऊन निकालने से समय की बचत होने के साथ यह पशु के स्वास्थ्य के अनुकूल भी होती है। यह सुविधा प्रशिक्षित और अनुभवी भेड़पालकों की मदद से प्रदान की जा रही है।

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चंबा जिले के होली के गांव देओल के प्रगतिशील भेड़पालक जय सिंह ने बताया कि वह वूल फेडरेशन को लगभग 900 से 1000 किलोग्राम क्रॉसब्रीड ऊन 85.80 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से विक्रय करते हैं। वूलफेड की ऊन निकालने की टीमें भरमौर में उनकी भेड़ों की ऊन निकालने में मदद  करती है। फेडरेशन के सहयोग से वह 800 भेड़ों के झुंड को सफलतापूर्वक पालने में सफल हुए हैं। पारम्परिक रूप से ऊन निकालने वाले लोग बहुत कम रह गए हैं और वे प्रति भेड़ 25 रुपये से 30 रुपये शुल्क लेते हैं।

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कांगड़ा जिले के छोटा भंगाल के भेड़ पालक मोहिंदर ठाकुर ने बताया कि वह सर्दियों में अपने लगभग 300 भेड़ों के झुंड के साथ नालागढ़ के पास रामशहर चले जाते हैं। फेडरेशन उन्हें रामशहर के पास जंगल में भेड़ की ऊन निकालने की सुविधा प्रदान करता है और नियमित रूप से प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित करती हएै जिससे उनकी समस्याओं के निवारण के लिए स्थानीय पशु चिकित्सकों से परामर्श और प्रशासन से आवश्यक सहायता भी प्राप्त होती है।

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प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के फलस्वरूप आज राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था निरंतर आगे बढ़ रही है और इससे समाज के सभी वर्गों तथा दूरदराज क्षेत्रों का समान विकास भी सुनिश्चित हो रहा है।

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