मंडी। हिमाचल प्रदेश में मंगलवार सुबह धरती डोली। मंडी जिला के किओली थुनाग में मंगलवार सुबह करीब 6:56 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.2 आंकी गई है।
भूकंप का केंद्र जमीन के अंदर पांच किलोमीटर की गहराई पर था। झटके महसूस होते ही कुछ लोग घरों से बाहर की तरफ भागे। हालांकि, किसी तरह के जानी नुकसान की सूचना नहीं है।
मंडी के साथ-साथ बिलासपुर और कुल्लू जिला में भी हल्के झटके महसूस किए गए।
चंबा। लोहड़ी के दिन हिमाचल के चंबा जिला में भूकंप आया है। भूकंप शनिवार को दोपहर करीब 1 बजकर 16 मिनट पर रिकॉर्ड किया गया। तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.1 आंकी गई है और केंद्र जमीन से 9 किलोमीटर नीचे था। किसी प्रकार के नुकसान का अनुमान नहीं है।
अगर भूकंप के वक्त आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं। घर में किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढकें। भूकंप के झटके आने तक घर के अंदर ही रहें और झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें। अगर रात में भूकंप (Earthquake) आया है और आप बिस्तर पर लेटे हैं तो लेटे रहें, तकिए से सिर ढक लें।’
घर के सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें। अगर आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो किसी रुमाल या कपड़े से मुंह को ढक लें। मलबे के नीचे खुद की मौजूदगी को जताने के लिए पाइप या दीवार को बजाते रहें, ताकि बचाव दल आपको तलाश सके।
अगर आपके पास कुछ उपाय न हो तो चिल्लाते रहें और हिम्मत ना हारें। भूकंप के वक्त अगर आप घर से बाहर हैं तो ऊंची इमारतों और भूकंप के खंभों से दूर रहें।
भूकंप आने पर क्या ना करें
अगर आप गाड़ी चला रहे हो तो उसे रोक लें और गाड़ी से बाहर ना निकलें। किसी पुल या फ्लाईओवर पर गाड़ी खड़ी न करें। क्योंकि इससे आप खतरे में पड़ सकते हैं। अगर आप घर में हैं तो बाहर ना निकलें। अगर आप भूकंप (Earthquake) के वक्त मलबे में दब जाएं तो माचिस बिल्कुल ना जलाएं।
इससे गैस लीक होने की वजह से आग लगने का खतरा हो सकता है। घर में हैं तो चले नहीं। सही जगह ढूंढें और बैठ जाएं। घर के किसी कोने में चले जाएं, कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें। भूकंप के वक्त लिफ्ट के इस्तेमाल बिल्कुल ना करें।
साथ ही कमजोर सीढ़ियों का इस्तेमाल भी न करें। क्योंकि लिफ्ट और सीढ़ियां दोनों ही टूट सकती हैं। अगर मलबे में दब जाएं तो ज्यादा हिले नहीं और धूल ना उड़ाएं। आपके आप-पास जो चीज मौजूद हो उसी से अपनी मौजूदगी जताएं। आप पैनिक न करें और किसी भी तरह की अफवाह न फैलाएं।
भूकंप की स्थिति के लिए पहले से तैयारी कैसे करें
आपको एक इमरजेंसी किट बनाकर रखनी चाहिए, जिसमें आपके जरूरी दस्तावेज, खाना, पानी और फर्स्ट एड की चीजें हों। घर के सामान को सुरक्षित रखने की कोशिश करें और छत या किसी दीवार के गिरने की स्थिति में जरूरी सामान को बचाने के उपाय करें। अपने परिवार के लिए एक इमरजेंसी प्लान तैयार करें। क्योंकि ऐसा करना आपके लिए बेहतर होगा।
बिलासपुर। हिमाचल के बिलासपुर जिला में भूकंप आया है। अपडेट के अनुसार दोपहर 2 बजकर 15 मिनट पर 2.9 तीव्रता का भूकंप रिकॉर्ड किया गया। भूकंप का केंद्र जमीन से 13 किलोमीटर नीचे था।
इस माह हिमाचल में दूसरी बार धरती डोली है। इससे पहले 6 नवंबर 2023 को कांगड़ा जिला में 2.8 तीव्रता का भूकंप आया था। भूकंप सुबह 4 बजकर 15 मिनट पर आया था।
अगर भूकंप के वक्त आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं। घर में किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढकें।
भूकंप के झटके आने तक घर के अंदर ही रहें और झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें। अगर रात में भूकंप (Earthquake) आया है और आप बिस्तर पर लेटे हैं तो लेटे रहें, तकिए से सिर ढक लें।’ घर के सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें।
अगर आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो किसी रुमाल या कपड़े से मुंह को ढक लें। मलबे के नीचे खुद की मौजूदगी को जताने के लिए पाइप या दीवार को बजाते रहें, ताकि बचाव दल आपको तलाश सके।
अगर आपके पास कुछ उपाय न हो तो चिल्लाते रहें और हिम्मत ना हारें। भूकंप के वक्त अगर आप घर से बाहर हैं तो ऊंची इमारतों और भूकंप के खंभों से दूर रहें।
अगर आप गाड़ी चला रहे हो तो उसे रोक लें और गाड़ी से बाहर ना निकलें। किसी पुल या फ्लाईओवर पर गाड़ी खड़ी न करें। क्योंकि इससे आप खतरे में पड़ सकते हैं। अगर आप घर में हैं तो बाहर ना निकलें। अगर आप भूकंप (Earthquake) के वक्त मलबे में दब जाएं तो माचिस बिल्कुल ना जलाएं।
इससे गैस लीक होने की वजह से आग लगने का खतरा हो सकता है। घर में हैं तो चले नहीं। सही जगह ढूंढें और बैठ जाएं। घर के किसी कोने में चले जाएं, कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें।
भूकंप के वक्त लिफ्ट के इस्तेमाल बिल्कुल ना करें। साथ ही कमजोर सीढ़ियों का इस्तेमाल भी न करें। क्योंकि लिफ्ट और सीढ़ियां दोनों ही टूट सकती हैं।
अगर मलबे में दब जाएं तो ज्यादा हिले नहीं और धूल ना उड़ाएं। आपके आप-पास जो चीज मौजूद हो उसी से अपनी मौजूदगी जताएं। भूकंप के दौरान आप पैनिक न करें और किसी भी तरह की अफवाह न फैलाएं।
आपको एक इमरजेंसी किट बनाकर रखनी चाहिए, जिसमें आपके जरूरी दस्तावेज, खाना, पानी और फर्स्ट एड की चीजें हों। घर के सामान को सुरक्षित रखने की कोशिश करें और छत या किसी दीवार के गिरने की स्थिति में जरूरी सामान को बचाने के उपाय करें। अपने परिवार के लिए एक इमरजेंसी प्लान तैयार करें। क्योंकि ऐसा करना आपके लिए बेहतर होगा।
कुल्लू।हिमाचल के कुल्लू जिला में भूकंप रिकॉर्ड किया गया है। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.8 आंकी गई है। यह सोमवार सुबह 3 बजकर 07 मिनट पर रिकॉर्ड किया गया है। केंद्र जमीन से पांच किलोमीटर नीचे था।
इस माह अक्टूबर अब तक 4 बार धरती डोल चुकी है। कुल्लू, किन्नौर, शिमला में भूकंप रिकॉर्ड किए हैं।
5 अक्टूबर 2023 को शिमला और किन्नौर में भूकंप आया था, लेकिन समय लगभग आसपास था। किन्नौर में शाम 4 बजकर 35 मिनट पर 2.8 तीव्रता का भूकंप आया था। इसके तीन मिनट बाद शिमला में 4 बजकर 38 मिनट पर 2.8 तीव्रता का ही भूकंप रिकॉर्ड किया गया। इसके बाद 7 अक्टूबर फिर किन्नौर जिला में भूकंप रिकॉर्ड किया गया। भूकंप रात 8 बजकर 46 मिनट पर आया। तीव्रता 2.8 थी। लेकिन, इस माह 9 अक्टूबर तक आए भूकंप में एक बात कॉमन है कि सबकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 2.8 की आंकी गई है।
भूकंप आने पर क्या करें
अगर भूकंप के वक्त आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं। घर में किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढकें। भूकंप के झटके आने तक घर के अंदर ही रहें और झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें। अगर रात में भूकंप (Earthquake) आया है और आप बिस्तर पर लेटे हैं तो लेटे रहें, तकिए से सिर ढक लें।’ घर के सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें।
अगर आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो किसी रुमाल या कपड़े से मुंह को ढक लें। मलबे के नीचे खुद की मौजूदगी को जताने के लिए पाइप या दीवार को बजाते रहें, ताकि बचाव दल आपको तलाश सके। अगर आपके पास कुछ उपाय न हो तो चिल्लाते रहें और हिम्मत ना हारें। भूकंप के वक्त अगर आप घर से बाहर हैं तो ऊंची इमारतों और भूकंप के खंभों से दूर रहें।
भूकंप आने पर क्या ना करें
अगर आप गाड़ी चला रहे हो तो उसे रोक लें और गाड़ी से बाहर ना निकलें। किसी पुल या फ्लाईओवर पर गाड़ी खड़ी न करें। क्योंकि इससे आप खतरे में पड़ सकते हैं। अगर आप घर में हैं तो बाहर ना निकलें। अगर आप भूकंप (Earthquake) के वक्त मलबे में दब जाएं तो माचिस बिल्कुल ना जलाएं।
इससे गैस लीक होने की वजह से आग लगने का खतरा हो सकता है। घर में हैं तो चले नहीं। सही जगह ढूंढें और बैठ जाएं। घर के किसी कोने में चले जाएं, कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें।
भूकंप के वक्त लिफ्ट के इस्तेमाल बिल्कुल ना करें। साथ ही कमजोर सीढ़ियों का इस्तेमाल भी न करें। क्योंकि लिफ्ट और सीढ़ियां दोनों ही टूट सकती हैं।
अगर मलबे में दब जाएं तो ज्यादा हिले नहीं और धूल ना उड़ाएं। आपके आप-पास जो चीज मौजूद हो उसी से अपनी मौजूदगी जताएं। भूकंप के दौरान आप पैनिक न करें और किसी भी तरह की अफवाह न फैलाएं।
भूकंप की स्थिति के लिए पहले से तैयारी कैसे करें
आपको एक इमरजेंसी किट बनाकर रखनी चाहिए, जिसमें आपके जरूरी दस्तावेज, खाना, पानी और फर्स्ट एड की चीजें हों। घर के सामान को सुरक्षित रखने की कोशिश करें और छत या किसी दीवार के गिरने की स्थिति में जरूरी सामान को बचाने के उपाय करें। अपने परिवार के लिए एक इमरजेंसी प्लान तैयार करें। क्योंकि ऐसा करना आपके लिए बेहतर होगा।
शिमला। हिमाचल के चंबा और किन्नौर जिला में धरती कांपी है। आधी रात को चंबा में भूकंप आया। इसके आठ घंटे बाद किन्रौर में धरती डोली। चंबा में भी 2.9 रिक्टर पैमाने का भूकंप दर्ज किया है। भूकंप आधी रात करीब 2 बजकर 52 मिनट पर आया है। भूकंप का केंद्र जमीन से 5 किलोमीटर नीचे रहा है। इसके बाद हिमाचल के किन्नौर जिला में भूकंप आया है। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.6 आंकी गई है। इसका केंद्र जमीन से 5 किलोमीटर नीचे था। भूकंप आज सुबह 10 बजकर 50 मिनट पर रिकॉर्ड किया गया है।
अगर भूकंप के वक्त आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं। घर में किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढकें। भूकंप के झटके आने तक घर के अंदर ही रहें और झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें। अगर रात में भूकंप (Earthquake) आया है और आप बिस्तर पर लेटे हैं तो लेटे रहें, तकिए से सिर ढक लें।
घर के सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें। अगर आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो किसी रुमाल या कपड़े से मुंह को ढक लें। मलबे के नीचे खुद की मौजूदगी को जताने के लिए पाइप या दीवार को बजाते रहें, ताकि बचाव दल आपको तलाश सके। अगर आपके पास कुछ उपाय न हो तो चिल्लाते रहें और हिम्मत ना हारें।
भूकंप के वक्त अगर आप घर से बाहर हैं तो ऊंची इमारतों और भूकंप के खंभों से दूर रहें। अगर आप गाड़ी चला रहे हो तो उसे रोक लें और गाड़ी से बाहर ना निकलें। किसी पुल या फ्लाईओवर पर गाड़ी खड़ी न करें। अगर आप घर में हैं तो बाहर ना निकलें। अगर आप भूकंप (Earthquake) के वक्त मलबे में दब जाएं तो माचिस बिल्कुल ना जलाएं। इससे गैस लीक होने की वजह से आग लगने का खतरा हो सकता है। घर में हैं तो चले नहीं। सही जगह ढूंढें और बैठ जाएं। घर के किसी कोने में चले जाएं, कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें।
भूकंप के वक्त लिफ्ट के इस्तेमाल बिल्कुल ना करें। साथ ही कमज़ोर सीढ़ियों का इस्तेमाल भी न करें। क्योंकि लिफ्ट और सीढ़ियां दोनों ही टूट सकती हैं। अगर मलबे में दब जाएं तो ज़्यादा हिले नहीं और धूल ना उड़ाएं। आपके आप-पास जो चीज मौजूद हो उसी से अपनी मौजूदगी जताएं। भूकंप के दौरान आप पैनिक न करें और किसी भी तरह की अफवाह न फैलाएं।
भूकंप की स्थिति के लिए पहले से तैयारी कैसे करें
आपको एक इमरजेंसी किट बनाकर रखनी चाहिए, जिसमें आपके जरूरी दस्तावेज, खाना, पानी और फर्स्ट एड की चीजें हों। घर के सामान को सुरक्षित रखने की कोशिश करें और छत या किसी दीवार के गिरने की स्थिति में जरूरी सामान को बचाने के उपाय करें। अपने परिवार के लिए एक इमरजेंसी प्लान तैयार करें।
शिमला। उत्तर भारत सहित हिमाचल में मंगलवार को आए भूकंप के झटकों के बाद नगर निगम शिमला भी अलर्ट हो गया है। नगर निगम ने शहर की कई बिल्डिंग को खाली करने के नोटिस जारी किए हैं जो डेंजर जोन में हैं। क्योंकि भूकंप के लिहाज से शिमला शहर बहुत संवेदनशील है और अधिकतर इमारतें भूकंप रोधी नहीं हैं। अगर कोई बड़ा भूकंप आता है तो जान-माल की भारी क्षति हो सकती है।
नगर निगम के आर्किटेक्ट प्लानर मेहबूब शेख का कहना है कि शिमला में कई बिल्डिंग खाली करने के नोटिस दिए गए हैं। बावजूद इसके अभी तक ये खाली नहीं की गई हैं। निगम प्रशासन अब इन मकान मालिकों के खिलाफ सख्ती से पेश आएगा। उन्होंने कहा कि 2 दिन पहले शहर में भूकंप के झटकों ने यह साबित कर दिया है कि यह स्थिति दोबारा से बनेगी।
उन्होंने कहा कि शिमला के दो सिंकिंग जोन में रिज, ग्रैंड होटल, लक्कड़ बाजार, सेंट्रल स्कूल, ऑकलैंड नर्सरी स्कूल, धोबी घाट, कृष्णानगर और होटल क्लार्क्स के आसपास के इलाके शामिल हैं। जहां पर कोई नई बिल्डिंग बनाना खुद विनाश को न्योता देना है।
बता दें कि 25,000 की आबादी के लिए स्थापित शिमला शहर में अब 2.3 लाख लोगों के रहने का अनुमान है। इमारतों को बनाने के लिए 70 डिग्री तक की ढलानों पर अनुमति दी गई है। शिमला भूकंपीय क्षेत्र IV में है। भूकंप के सबसे खतरनाक जोन में होने के बाद भी यहां लापरवाही जारी है। स्थिति को ध्यान में रखते हुए, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 2017 में शिमला के मुख्य और हरित क्षेत्रों में बिल्डिंग बनाने समेत सभी निर्माण पर प्रतिबंध लगाया था।
कांगड़ा/चंबा। हिमाचल प्रदेश के चम्बा औऱ कांगड़ा जिला में सोमवार रात भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.7 मापी गई। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के मुताबिक भूकंप के झटके रात 10 बजकर 38 मिनट पर महसूस किए गए।
इसका केंद्र चंबा जिला में जमीन से 5 किलोमीटर गहराई में था। जानकारी अनुसार भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग घरों से बाहर निकल आये। भूकंप से कई घरों में रखा सामान हिलने लगा। हालांकि कुछ ही सेकंड में सब कुछ सामान्य हो गया।
कांगड़ा घाटी में चार अप्रैल 1905 को आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी। भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील जोन पांच में शामिल कांगड़ा घाटी में अगर भूकंप आया तो तबाही का मंजर भयावह होगा। आज से 117 साल पहले कांगड़ा में आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8 मापी गई थी। तब लगभग 19000 लोग मौत का शिकार हुए थे तथा 38 हजार पशु भी इस भूकंप की भेंट चढ़ गए थे। अकेले कांगड़ा नगर में मरने वाले लोगों की संख्या 10257 थी। आज जिस कद्र पिछले 117 सालों में भवनों का निर्माण हुआ है उस हिसाब से अगर ऐसा विनाशकारी भूकंप आया, तो मृतकों की संख्या लाखों तक पहुंच सकती है।
चंबा। हिमाचल के चंबा जिला में फिर भूकंप रिकॉर्ड किया गया है। भूकंप सुबह 9 बजकर 52 मिनट पर दर्ज किया गया। तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 2.7 आंकी गई है। भूकंप का केंद्र जमीन से पांच किलोमीटर नीचे था। इस माह आठ दिन में चंबा में तीन बार भूकंप आ चुका है। 14 जनवरी को दो बार भूकंप रिकॉर्ड किया गया था।
बता दें कि 14 जनवरी को भी हिमाचल के कांगड़ा और चंबा जिला में भूकंप (Earthquake) आया था। पहले कांगड़ा जिला में धरती डोली। इसके बाद चंबा में झटके महसूस हुए। कांगड़ा जिला के धर्मशाला से 8 किलोमीटर ईस्ट में भूकंप के झटके महसूस हुए थे। यानी चंबा की तरफ के क्षेत्र में भूकंप आया था।
कांगड़ा जिला में धर्मशाला से 8 किलोमीटर ईस्ट में सुबह 5 बजकर 10 मिनट पर 2.8 तीव्रता का भूकंप (Earthquake) रिकॉर्ड किया गया। भूकंप का केंद्र जमीन से पांच किलोमीटर नीचे था। इससे करीब सात मिनट बाद चंबा में सुबह 5 बजकर 17 मिनट पर भूकंप आया था। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.2 आंकी गई था। इसका केंद्र जमीन में 5 किलोमीटर नीचे था। धर्मशाला से 22 किलोमीटर ईस्ट में भूकंप रिकॉर्ड हुआ था। 14 जनवरी को ही दोपहर करीब 12 बजकर 11 मिनट पर चंबा में फिर 2.6 तीव्रता का भूकंप रिकॉर्ड किया गया।
हिमाचल में पिछले दो माह में 12 बार भूकंप रिकॉर्ड किया जा चुका है। इससे पहले 9 जनवरी को बिलासपुर में 2.3 तीव्रता का भूकंप आया था। भूकंप (Earthquake) रात 12 बजकर 42 मिनट दर्ज किया गया। 3 जनवरी को सोलन में सुबह 5 बजकर 33 मिनट पर धरती कांपी। तीव्रता 2.7 रही। 31 दिसंबर को मंडी में सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर 2.8, 26 दिसंबर को कांगड़ा में सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर 2.8, 21 दिसंबर को लाहौल स्पीति में दोपहर 2 बजकर 25 मिनट पर 2.6 तीव्रता का भूकंप रिकॉर्ड किया गया। किन्नौर में 16 दिसंबर को रात 10 बजकर 2 मिनट पर 2.8 और चंबा में 9 दिसंबर को रात 11 बजकर 30 मिनट पर 2.8 और चंबा में 3 दिसंबर को रात 12 बजकर 38 मिनट पर 3.4 रिक्टर स्केल का भूकंप आंका गया।
अगर भूकंप के वक्त आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं। घर में किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढकें। भूकंप के झटके आने तक घर के अंदर ही रहें और झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें। अगर रात में भूकंप (Earthquake) आया है और आप बिस्तर पर लेटे हैं तो लेटे रहें, तकिए से सिर ढक लें।
घर के सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें। अगर आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो किसी रुमाल या कपड़े से मुंह को ढक लें। मलबे के नीचे खुद की मौजूदगी को जताने के लिए पाइप या दीवार को बजाते रहें, ताकि बचाव दल आपको तलाश सके। अगर आपके पास कुछ उपाय न हो तो चिल्लाते रहें और हिम्मत ना हारें।
भूकंप आने पर क्या ना करें
भूकंप के वक्त अगर आप घर से बाहर हैं तो ऊंची इमारतों और भूकंप के खंभों से दूर रहें। अगर आप गाड़ी चला रहे हो तो उसे रोक लें और गाड़ी से बाहर ना निकलें। किसी पुल या फ्लाईओवर पर गाड़ी खड़ी न करें। अगर आप घर में हैं तो बाहर ना निकलें। अगर आप भूकंप (Earthquake) के वक्त मलबे में दब जाएं तो माचिस बिल्कुल ना जलाएं। इससे गैस लीक होने की वजह से आग लगने का खतरा हो सकता है। घर में हैं तो चले नहीं। सही जगह ढूंढें और बैठ जाएं। घर के किसी कोने में चले जाएं, कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें।
भूकंप के वक्त लिफ्ट के इस्तेमाल बिल्कुल ना करें। साथ ही कमज़ोर सीढ़ियों का इस्तेमाल भी न करें। क्योंकि लिफ्ट और सीढ़ियां दोनों ही टूट सकती हैं। अगर मलबे में दब जाएं तो ज़्यादा हिले नहीं और धूल ना उड़ाएं। आपके आप-पास जो चीज मौजूद हो उसी से अपनी मौजूदगी जताएं। भूकंप के दौरान आप पैनिक न करें और किसी भी तरह की अफवाह न फैलाएं।
भूकंप की स्थिति के लिए पहले से तैयारी कैसे करें
आपको एक इमरजेंसी किट बनाकर रखनी चाहिए, जिसमें आपके जरूरी दस्तावेज, खाना, पानी और फर्स्ट एड की चीजें हों। घर के सामान को सुरक्षित रखने की कोशिश करें और छत या किसी दीवार के गिरने की स्थिति में जरूरी सामान को बचाने के उपाय करें। अपने परिवार के लिए एक इमरजेंसी प्लान तैयार करें।
धर्मशाला/चंबा। हिमाचल के कांगड़ा और चंबा जिला में भूकंप (Earthquake) आया है। पहले कांगड़ा जिला में धरती डोली। इसके बाद चंबा में झटके महसूस हुए। कांगड़ा जिला के धर्मशाला से 8 किलोमीटर ईस्ट में भूकंप के झटके महसूस हुए हैं। यानी चंबा की तरफ के क्षेत्र में भूकंप आया है।
बता दें कि कांगड़ा जिला में धर्मशाला से 8 किलोमीटर ईस्ट में आज सुबह 5 बजकर 10 मिनट पर 2.8 तीव्रता का भूकंप (Earthquake) रिकॉर्ड किया गया। भूकंप का केंद्र जमीन से पांच किलोमीटर नीचे था। इससे करीब सात मिनट बाद चंबा में सुबह 5 बजकर 17 मिनट पर भूकंप आया है। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.2 आंकी गई है। इसका केंद्र जमीन में 5 किलोमीटर नीचे था। धर्मशाला से 22 किलोमीटर ईस्ट में भूकंप रिकॉर्ड हुआ है।
हिमाचल में पिछले दो माह में 10 बार भूकंप रिकॉर्ड किया जा चुका है। इससे पहले 9 जनवरी को बिलासपुर में 2.3 तीव्रता का भूकंप आया था। भूकंप (Earthquake) रात 12 बजकर 42 मिनट दर्ज किया गया। 3 जनवरी को सोलन में सुबह 5 बजकर 33 मिनट पर धरती कांपी। तीव्रता 2.7 रही। 31 दिसंबर को मंडी में सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर 2.8, 26 दिसंबर को कांगड़ा में सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर 2.8, 21 दिसंबर को लाहौल स्पीति में दोपहर 2 बजकर 25 मिनट पर 2.6 तीव्रता का भूकंप रिकॉर्ड किया गया। किन्नौर में 16 दिसंबर को रात 10 बजकर 2 मिनट पर 2.8 और चंबा में 9 दिसंबर को रात 11 बजकर 30 मिनट पर 2.8 और चंबा में 3 दिसंबर को रात 12 बजकर 38 मिनट पर 3.4 रिक्टर स्केल का भूकंप आंका गया।
अगर भूकंप के वक्त आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं। घर में किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढकें। भूकंप के झटके आने तक घर के अंदर ही रहें और झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें। अगर रात में भूकंप (Earthquake) आया है और आप बिस्तर पर लेटे हैं तो लेटे रहें, तकिए से सिर ढक लें।
घर के सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें। अगर आप भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो किसी रुमाल या कपड़े से मुंह को ढक लें। मलबे के नीचे खुद की मौजूदगी को जताने के लिए पाइप या दीवार को बजाते रहें, ताकि बचाव दल आपको तलाश सके। अगर आपके पास कुछ उपाय न हो तो चिल्लाते रहें और हिम्मत ना हारें।
भूकंप आने पर क्या ना करें
भूकंप के वक्त अगर आप घर से बाहर हैं तो ऊंची इमारतों और भूकंप के खंभों से दूर रहें। अगर आप गाड़ी चला रहे हो तो उसे रोक लें और गाड़ी से बाहर ना निकलें। किसी पुल या फ्लाईओवर पर गाड़ी खड़ी न करें। अगर आप घर में हैं तो बाहर ना निकलें। अगर आप भूकंप (Earthquake) के वक्त मलबे में दब जाएं तो माचिस बिल्कुल ना जलाएं। इससे गैस लीक होने की वजह से आग लगने का खतरा हो सकता है। घर में हैं तो चले नहीं। सही जगह ढूंढें और बैठ जाएं। घर के किसी कोने में चले जाएं, कांच, खिड़कियों, दरवाज़ों और दीवारों से दूर रहें।
भूकंप के वक्त लिफ्ट के इस्तेमाल बिल्कुल ना करें। साथ ही कमज़ोर सीढ़ियों का इस्तेमाल भी न करें। क्योंकि लिफ्ट और सीढ़ियां दोनों ही टूट सकती हैं। अगर मलबे में दब जाएं तो ज़्यादा हिले नहीं और धूल ना उड़ाएं। आपके आप-पास जो चीज मौजूद हो उसी से अपनी मौजूदगी जताएं। भूकंप के दौरान आप पैनिक न करें और किसी भी तरह की अफवाह न फैलाएं।
भूकंप की स्थिति के लिए पहले से तैयारी कैसे करें
आपको एक इमरजेंसी किट बनाकर रखनी चाहिए, जिसमें आपके जरूरी दस्तावेज, खाना, पानी और फर्स्ट एड की चीजें हों। घर के सामान को सुरक्षित रखने की कोशिश करें और छत या किसी दीवार के गिरने की स्थिति में जरूरी सामान को बचाने के उपाय करें। अपने परिवार के लिए एक इमरजेंसी प्लान तैयार करें।
काजा। आपदा के समय युवाओं की सहायता लेकर रेस्क्यू कार्य को आसानी से सफल बनाने के लिए युवाओं को इस तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे इन युवाओं को आपदा मित्र कहा जाएगा।
अटल बिहारी पर्वतारोहण संस्थान के लाहौल स्पीति स्थित सब सेंटर जिस्पा और जिला आपदा प्रबंधन के संयुक्त तत्वावधान से काजा में चौदह दिवसीय आपदा मित्र अभियान के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है। एडीसी अभिषेक वर्मा ने मंगलवार को प्रशिक्षण ले रहे सभी स्पीति के युवाओं का हौसला बढ़ाया और स्वयं भी रिपलिंग की। इस शिविर में 60 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
सामुदायिक वालंटियर किसी भी आपात स्थिति के दौरान आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के लिए सेवाएं देंगे और लोगों की जान-माल को बचाने में अहम भूमिका निभाएंगे। बाढ़, भूकंप, भूस्खलन, चक्रवात व अन्य आपदाओं के लिहाज से उच्च संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सेंटर के इंचार्ज मनमोहन नाजू ने कहा कि इन्हें आपदा से निपटने के लिए तैयार किया जा रहा है। रेस्क्यू में इन युवाओं की सहायता से लोगों की जान बचाई जा सकती है। रविंद्र, पीयूष, भुवनेश्वर और टाशी प्रशिक्षण दे रहें है।