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पझौता। सिरमौर जिला के पझौता में ठंडीधार के पास भ्राच नामक गांव में काली माता के मंदिर में चोरी का मामला सामने आया है। भ्राच में स्थित काली माता के मंदिर में से चोरों ने दान पात्र पर ही हाथ साफ कर लिए हैं। शातिरों ने ग्रिल के अंदर रखे दानपात्र का कुंडा तोड़कर उसमें से चढ़ावे के पैसे चुरा लिए और कुछ ही दूरी पर उसे फेंक दिया।
दान पात्र में करीब चार हजार रुपए थे। ग्रामीण सुनील कुमार ने बताया कि चोरी की जानकारी उस समय लगी जब कुछ लोग मंदिर की तरफ गए। उन्होंने देखा कि मंदिर की ग्रिल के अंदर रखा हुआ दानपात्र कुछ ही दूरी पर पड़ा था और उसका ताला भी टूटा हुआ था। घटना को गांव वाले या किसी बाहर वाले ने अंजाम दिया है इसका पता लगाया जा रहा है।
नर्सिंग प्रशिक्षुओं ने लोगों को दी जानकारी
शिमला। दुनिया भर में हर साल एक दिसंबर को एड्स दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद लोगों के बीच इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना है।
1988 से 1 दिसंबर को हर साल एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य एड्स महामारी के प्रति जागरूकता बढाना और इस बीमारी से जिसकी मौत हो गई है, उन्हें श्रद्धांजलि देना है।
शिमला के रिज मैदान में नर्सिंग प्रशिक्षुओं ने एक नुक्कड़ नाटक और रैली के माध्यम से लोगों को एड्स के प्रति जागरूक किया। अकाल कॉलेज ऑफ नर्सिंग बडू साहिब, सिरमौर की प्रशिक्षु छात्राओं ने आज शिमला के ऐतिहासिक रिज पर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को एड्स के प्रति जागरूक किया।
छात्राओं ने एड्स के कारण,उपायों और इलाज के साथ ही एड्स पीड़ितों के साथ होने वाले भेदभाव को लेकर भी लोगों को जागरूक किया। नर्सिंग कॉलेज की छात्रा दीक्षा ने बताया कि लोगों में एड्स जैसी महामारी को लेकर जागरूकता बेहद जरूरी है, ताकि इससे बचाव हो सके साथ ही एड्स के मरीजों के साथ होने वाले भेदभाव को भी रोका जा सके।
सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र में आज भी प्राचीन परंपराओं को बखूबी निभाया जाता है। दीपावली के एक महीने बाद अमावस्या की रात को गिरिपार क्षेत्र में बूढ़ी दिवाली को पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है। कुछ क्षेत्रों में बूढ़ी दिवाली को मशराली के नाम से जाना जाता है। बूढ़ी दीपावली का त्योहार गिरिपार और उत्तराखंड के जौनसार में मनाया जाता है।
गिरिपार क्षेत्र में एक सप्ताह तक मनाया जाने वाला बूढ़ी दिवाली का त्योहार शुरू हो गया है। एक हफ्ते तक चलने वाले इस त्योहार में सभी ग्रामीण अपने-अपने गांव में एक स्थान पर एकत्रित होकर बूढ़ी दिवाली मनाते हैं। इस दौरान ग्रामीण पारंपरिक लोक नृत्य भी प्रस्तुत करते हैं।
ऐसी मान्यता है कि गिरिपार के लोगों को आम दिवाली के एक माह बाद जब भगवान राम के 14 वर्ष का वनवास व रावण का वध करने के बाद के अयोध्या वापस लौटने की जानकारी मिली तो उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए देवदार और चीड़ की लकड़ियों की मशाल बनाकर रोशनी की। उन्होंने खूब नाच-गाना भी किया था। इसके बाद से ही गिरिपार क्षेत्र बूढ़ी दिवाली मनाने की परंपरा शुरू हो गई।
कई जगह बूढ़ी दिवाली को राजा बलि या बलिराज से भी जोड़ा जाता है। उनके अनुसार राजा बलि को भगवान विष्णु ने जब पाताल पहुंचाया था तो उनके बीच कुछ समझौता हुआ था। उनको ही समर्पित करते हुए ये मशालें जलाई जाती हैं। दीपावली से ठीक एक माह बाद मनाए जाने वाले इस त्योहार की गरिमा किसी भी हालत में दिवाली से कम नहीं रहती। गिरिपार के क्षेत्र में तो यही असली दिवाली है। सदियों से चली आ रही बूढ़ी दिवाली की परंपरा को आज भी गिरिपार क्षेत्र के लोग संजोए हुए हैं।
आधी रात को कड़कड़ाती ठंड में भी लोग हाथों में मशाल लेकर पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन पर थिरकते-थिरकते पौराणिक लिंबर नृत्य का आनंद उठाते हैं। बच्चे-बूढ़े और महिलाएं व पुरुष सभी आस्था के इस महापर्व में खूब झूमते हैं। सतयुग से चली आ रही इस पौराणिक परंपरा को क्षेत्र के लोग सदियों बाद भी संजोए हुए हैं।
बूढ़ी दिवाली के त्योहार में लोग परोकड़िया गीत, विरह गीत, भयूरी, रासा, नाटिया व स्वांग के साथ हुड़क डांस करते हैं। कुछ जगहों पर इस बूढ़ी दिवाली पर बढ़ेचू डांस करने की भी परंपरा है। कई जगहों पर रात में बुड़ियात डांस भी किया जाता है। इस दौरान लोग एक दूसरे को सूखे मेवे, चिड़वा, अखरोट व शाकुली खिलाकर बधाई देते हैं। बूढ़ी दिवाली के दौरान अलग-अलग दिन अस्कली, धोरोटी, पटांडे, सीड़ो व तेलपकी आदि पारम्परिक व्यंजन परोसे जाते हैं।
दीपावली के अगले रोज पोड़ोई, दूज, तीच व चौथ आदि पर ग्रेटर सिरमौर के कईं गांव में सांस्कृतिक संध्याओं का आयोजन किया जाता है जिसमें से कुछ जगहों पर रामायण व महाभारत का मंचन किया जाता है। विशेष समुदाय से संबंध रखने वाले पारंपरिक बुड़ेछू कलाकारों द्वारा इस दौरान होकू, सिंघा वजीर, चाय गीत, नतीराम व जगदेव आदि वीर गाथाओं गायन किया जाता है।
सदियों से क्षेत्र में केवल दीपावली अथवा बड़ी दिवाली तथा बूढ़ी दिवाली के दौरान ही बुड़ेछू नृत्य होता है। इसे बूढ़ा अथवा बुड़ियाचू नृत्य भी कहा जाता है। स्थानीय लोग बुड़ेछू दल के सदस्यों को नकद बक्शीश के अलावा घी के साथ खाए जाने वाले पारंपरिक व्यंजन भी परोसते हैं। इस परंपरा को ठिल्ला कहा जाता है।
शिमला। हिमाचल पोस्ट मानसून सीजन में 4 अक्टूबर से 19 नवंबर तक 119 लोगों की जान गई है, साथ ही 212 लोग घायल हुए हैं। शिमला, सिरमौर, सोलन में 17-17, मंडी में 15, ऊना में 13, कुल्लू में 11, बिलासपुर में 7, कांगड़ा और किन्नौर में 6-6, चंबा में 5, लाहौल-स्पीति में 3, हमीरपुर में दो की जान गई है।
3 पक्के और 14 कच्चे मकान पूरी तरह और 5 पक्के और 6 कच्चे मकानों को आंशिक रूप नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा 13 दुकानें, 20 गौशालाओं को नुकसान पहुंचा है। पोस्ट मानसून सीजन में अब तक 1,149.73 लाख की चपत लगी है।
आंकड़ों के अनुसार सबसे अधिक जाने सड़क हादसों में गई हैं। पोस्ट मानसून सीजन में 4 अक्टूबर से 19 नवंबर तक सड़क हादसों में 82 लोगों ने दम तोड़ा है। शिमला में 15, सिरमौर, सोलन में 14-14, ऊना में 13, बिलासपुर में 5, चंबा, किन्नौर, कुल्लू, मंडी में चार-चार, हमीरपुर व लाहौल स्पीति में दो-दो, कांगड़ा में एक की मृत्यु हुई है।
बिजली गिरने से कुल्लू में एक, लैंडस्लाइड से सोलन में तीन, डूबने से कांगड़ा में दो, बिलासपुर, किन्नौर, सिरमौर में एक-एक, आग से कांगड़ा में एक, सांप के काटने से बिलासपुर और मंडी में एक-एक, पेड़ और पहाड़ी से गिरने से मंडी में 9, कुल्लू में 3, सिरमौर में 2, चंबा, किन्नौर, शिमला में एक-एक की जान गई है।
वहीं, 18 नवंबर से 19 नवंबर 6 बजे तक हिमाचल में 94 सड़कें बंद हैं। लाहौल स्पीति में सबसे अधिक 83 रोड बंद हैं। कुल्लू में पांच, चंबा में दो, कांगड़ा में तीन और सिरमौर में एक सड़क बंद है। लाहौल स्पीति में चार पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं।
एक पक्का और एक कच्चा घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुआ है। एक गौशाला और चार दुकानों क्षतिग्रस्त हुई हैं। सड़क हादसों में पिछले 24 घंटे में पांच लोगों की जान गई है। शिमला में तीन, बिलासपुर में दो की मृत्यु हुई है। नेशनल हाईवे 707, नेशनल हाईवे 03 और 505 बंद है।
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पांवटा साहिब। जिला सिरमौर के पांवटा साहिब में भूपपुर के पास एक सड़क हादसा पेश आया है। हादसे में शिलाई निवासी युवक की मौत हो गई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
हादसे के चश्मदीद केशव चौहान शुभखेड़ा निवासी पांवटा साहिब ने बताया कि बुधवार रात करीब 11 बजे जब यह अपने दोस्त नितिन पुंडीर के साथ गाड़ी में बातापुल से पांवटा की तरफ आ रहा था तो रास्ते में स्विफ्ट कार (एचपी- 85- 5656) उनकी गाड़ी के आगे चल रही थी।
भूपपुर के पास स्विफ्ट कार के आगे अचानक गाय आ गई। गाय को बचाने के चक्कर में चालक ने कार को रोड से बाहर की तरफ काट दिया तथा कार रोड से बाहर खड़ी हाइड्रा के टायर से टकरा गई। टायर में टकराने के बाद कार घूमकर उल्टी दिशा में हो गई तथा चालक खिडकी से बाहर गिर गया।
चालक युवक की पहचान शिलाई क्षेत्र के भटनोल गांव निवासी कमल के रूप में हुई है। थाना प्रभारी अशोक चौहान ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है
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