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पझौता : भगोट में पड़ेई का आयोजन, लिम्बर में शामिल हुए सभी गांववासी

सदियों से चली आ रही ये परंपरा

राजगढ़। हिमाचल के सिरमौर जिला के राजगढ़ उपमंडल के पझौता क्षेत्र की नेहरटी भगोट पंचायत के गांव भगोट में दिवाली के तीसरे दिन सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार मंगलवार को पड़ेई का आयोजन किया गया। पझौता के भगोट गांव में जातर की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

पड़ेई के दिन सभी गांववासी जिसमें सभी पुरूष, महिलाएं व बच्चे भी शामिल होते हैं मिलकर गांव से अपनी देवी मां काली, कुलईष्ट पालु देवता, शिर्गुल महाराज के जयकारा लगाते हुए अपने मंदिर जाते हैं।

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इसको स्थानीय भाषा में लिम्बर कहा जाता है। मंदिर में गांव के पुरोहित हच्चड़ गांव के पंडितों द्वारा विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है।

इस दौरान माता के पुजारी जिन्हें माता की खेल (हवा) आती है (स्थानीय भाषा में उन्हें घणिता कहा जाता है) माता की खेल आने पर जलते अंगारों के बीच अपनी शक्ति का परिचय देते हैं।

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इस दौरान पूरा पंडाल जोर-जोर से जय माता के जयकारों से गूंज उठता है। माता की खेल आए घणितों के समक्ष सभी ग्रामीण अपनी समस्या रखते हैं व उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

पड़ेई में सभी गांववासी अपनी कुल देवी मां काली मंदिर के पास भोज बनाकर ग्रहण करते हैं। गांव वालों का मानना है कि इससे देवी मां की कृपा से उनके परिवार में सुख समृद्धि रहती है और आपस में भाईचारा बना रहता है।

भगोट गांव के निवासी इस परंपरा को आगे भी हमेशा के लिए बरकरार रखेंगे। दुर्गा स्वरूपणी भगोट की काली माँ की सदा ही जय🙏

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सिरमौर के संजीव ने लिखी कामयाबी की इबारत, मुनाफा भी कमा रहे-रोजगार भी दे रहे

राजगढ़ के नेरी कोटली पंचायत में सनोहत गांव के निवासी
राजगढ़। कहते हैं कि कुछ करने की दृढ़ इच्छा हो तो आप किसी भी मंजिल को पा सकते हो। ऐसा ही कर दिखाया है सिरमौर जिला के राजगढ़ उपमंडल के नेरी कोटली पंचायत के सनोहत गांव के संजीव रपेइक ने। वह न केवल अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, बल्कि लोगों को रोजगार भी मुहैया करवा रहे हैं। संजीव रपेइक मल्टीपर्पज नर्सरी का कारोबार कर रहे हैं। आड़ू, पलम, बादाम और सेब के रूट स्टॉक तैयार कर बेचते हैं।
संजीव रपेइक ने 14-15 साल पहले कोटखाई के पुढ़ग के बेहद अनुभवी बागवान चेत राम धनी से नर्सरी का काम सीखा। उस समय राजगढ़ में सेब की बागवानी नहीं हुआ करती थी। दोनों ने मिलकर राजगढ़ में सेब से ही शुरुआत की। कुछ समय बाद चेत राम कोटखाई लौट गए तो संजीव ने अकेले काम शुरू किया। इसके बाद संजीव रपेइक ने एक छोटी सी नर्सरी से शुरुआत की। अपनी मेहनत से अब मल्टी पर्पज नर्सरी में करोड़ों का कारोबार कर रहे हैं। रमेश कुमार और कमला देवी के पुत्र 40 वर्षीय संजीव रपेइक हिमाचल और उत्तराखंड में मल्टी पर्पज नर्सरी चला रहे हैं। यही नहीं अकेले इस कारोबार की शुरुआत करने वाली संजीव आज करीब 23 लोगों को रोजगार दे रहे हैं।
संजीव रपेइक ने बताया कि जब वह सेब की रूट स्टॉक की नर्सरी करते थे तो उन्हें बांगलादेश से सेब की डिमांड आनी शुरू हो गई। उन्होंने नेपाल और पाकिस्तान भी सेब के रूट स्टॉक भेजे। फिलहाल उनके पास अभी एक्सपोर्ट-इंपोर्ट का लाइसेंस नहीं है फिर भी बाहर से लोग भारत आकर उनके सेब  रूट स्टॉक लेकर जाते हैं। संजीव सेब से कुछ अलग काम चाहते थे। उस समय राजगढ़ में एक अंग्रेज मिस्टर हेडी आए, जिन्होंने संजीव को पलम के रूट स्टॉक के बारे में बताया। उन्होंने पलम की नर्सरी करने का मन बनाया।
वह कुछ समय चंडीगढ़ में भी रहे। उनके दोस्त के पिताजी का नैनीताल में बगीचा था। उसमें पलम और आड़ू के रूट स्टॉक थे। उस समय हिमाचल में इस बारे में कोई नहीं जानता था। नौणी विवि में भी पलम के रूट स्टॉक लाए गए थे, लेकिन वह सफल नहीं हो पाए थे। संजीव बताते है कि उनके आड़ू, पलम और बादाम की अरुणाचल में भारी डिमांड है। खास बात ये है कि पलम में कम खर्चा है और पलम की ज्यादातर वैरायटी शुगर फ्री भी है।
बता दें कि संजीव रपेइक ने 8-10 साल पहले उधार आदि लेकर 30-40 हजार रुपए से कारोबार की शुरुआत की थी। फिर थोड़ा लोन लेकर काम आगे बढ़ाया और आज खर्च 8-10 लाख का हो जाता है और एक करोड़ के आसपास मुनाफा कमा लेते हैं। संजीव इस साल पलम का तीन हजार प्लांट लगाने वाले हैं। रूट स्टॉक खरीदने या इससे जुड़ी जानकारी के लिए संजीव रपेइक से संपर्क किया जा सकता है।

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