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आयुष्मान योजना के नाम पर ऐसे हो रहा स्कैम, कोई आए घर तो साझा न करें जानकारी

चोरों ने चोरी का निकाला नया तरीका

 

शिमला। भारत सरकार की आयुष्मान योजना के नाम पर बड़ा स्कैम चल रहा है। अगर आपके घर कोई आए और कहे कि मैं भारत सरकार की आयुष्मान योजना से हूं और आपकी तस्वीर/फिंगरप्रिंट लेना चाहता हूं।

तो आप अपनी किसी भी प्रकार की जानकारी साझा न करें और न ही फिंगरप्रिंट के लिए बायोमेट्रिक मशीन पर अंगूठा लगाएं। घर आया व्यक्ति अगर कोई आईडी कार्ड भी दिखाए तो भी भरोसा न करें और नजदीकी पुलिस स्टेशन में संपर्क करें।

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बता दें कि आजकल चोरों द्वारा चोरी की नवीनतम तकनीक इस्तेमाल की जा रही है। इसके तहत वे घर-घर जाते हैं। उनके पास गृह मंत्रालय की मुहर और लेटरहेड होता है। यह सुनिश्चित करने का दावा करते हैं कि सभी के पास जनगणना के लिए वैध पहचान पत्र है।

ऐसे शातिर आपके घर आएंगे और कहेंगे कि मैं भारत सरकार की आयुष्मान योजना से हूं और आपकी तस्वीर/फिंगरप्रिंट लेना चाहता हूं। उनके पास सरकारी अधिकारियों की तरह लैपटॉप, बायोमेट्रिक मशीनें और सभी नामों की डेटा सूचियां होती हैं। वे आपको सभी डेटा सूची दिखाएंगे और अधिक जानकारी मांगेंगे। ये सब एक घोटाला है। उनके साथ कोई भी जानकारी साझा न करें।

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अपने परिवार के सदस्यों और बड़े बुजुर्गों से कहे कि वे आईडी दिखाने पर भी उन्हें अपने घर में प्रवेश न करने दें। यदि कोई ऐसा व्यक्ति आपके घर आता है, तो निकटतम पुलिस स्टेशन से संपर्क करें। अगर आप ऐसे चोरों के झांसे में आ गए तो आप स्कैम का शिकार हो सकते हैं।

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कंवर बोले-सरकार मौसम की मार झेल रहे किसानों की नहीं ले रही सुध

नुकसान का आकलन करवाए सरकार

शिमला। हिमाचल में हुई बेमौसमी बरसात के कारण किसानों को बहुत नुकसान झेलना पड़ा है। पहले सूखे के कारण और फिर बेमौसमी बरसात ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है। पूर्व कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने किसानों को हुए नुकसान के लिए सरकार से उचित मुआवजा दिए जाने की मांग की है।

पूर्व मंत्री ने कहा है कि प्रदेश सरकार राज्य के किसानों की अनदेखी कर रही है और अभी तक मौसम की मार झेल रहे किसानों की कोई सुध नहीं ली जा रही है।

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वीरेंद्र कंवर ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस किसानों के हितों की रक्षा का दम भरते हुए सत्ता पर काबिज हुई थी, परंतु उनकी मुश्किलों को समझने में नाकाम रही है। वीरेंद्र कंवर ने कहा है कि अभी तक सरकार द्वारा फसलों को हुए नुकसान का जायजा तक नहीं लिया गया है।

पूर्व कृषि मंत्री ने कहा है कि सरकार द्वारा जल्द से जल्द एक सर्वे करवाकर किसानों के नुकसान का आकलन करवाया जाना चाहिए और उन्हें हुए नुकसान का उचित मुआवजा किसानों को मिलना चाहिए।

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वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश भाजपा हिमाचल प्रदेश के किसानों के साथ हैं और उनके हितों की रक्षा के लिए उनके साथ खड़ी है। उन्होंने राज्य के किसानों को आश्वस्त किया है कि उनके हर विषय को पुरजोर तरीके से सरकार के समक्ष उठाया जाएगा और साथ ही उन्होंने सरकार से जल्द ही किसानों को मुआवजा देने की मांग की है।

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SFI की चेतावनी- NEP, CBCS व ERP को हटाए सरकार, नहीं तो होगा उग्र आंदोलन

री-वैल्यूएशन परिणाम को किया जाए घोषित

शिमला। एसएफआई ने को पीजी प्रथम सत्र परीक्षाओं में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत सीबीसीएस के माध्यम से जो परेशानियां छात्रों को आ रही हैं उसको जल्द से जल्द सुलझाने की मांग की है। एसएफआई ने चेतावनी देते हुए कहा कि NEP के साथ सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBCS) और एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ERP) को खत्म कर इसके लिए कोई और सिस्टम प्रदेश सरकार द्वारा लाया जाना चाहिए। एसएफआई ने कहा कि अगर जल्द छात्रों की मांगों को सकारात्मक रूप से सुलझाया नहीं गया तो आने वाले समय के अंदर विश्वविद्यालय के अंदर आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।

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एसएफआई कैंपस सचिवालय सदस्य साहिल ने बताया कि विश्वविद्यालय इस बार पीजी प्रथम सत्र में NEP के तहत CBCS को लागू कर रहा है। जिसके चलते छात्रों को परेशानी देखने को मिल रही है के चलते छात्र परेशान है कि वह इस सिस्टम के अंदर किस तरह अपनी परीक्षाओं की तैयारियां करेंगे।

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उन्होंने कहा कि एसएफआई मांग कर रही है कि री-वैल्यूएशन के परिणाम को जल्द घोषित किया जाए परन्तु अभी तक रिजल्ट पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाया है। जिसके अंदर अभी भी काफी कमियां देखने को मिल रही है। इसके चलते छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि कुछ महाविद्यालय के अंदर मिड टर्म आरंभ हो चुके है पर छात्रों को मालूम नहीं है की वह किस ईयर को वह परीक्षाएं दे।

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धरना-प्रदर्शन के दौरान कैंपस उपाध्यक्ष हैप्पी ने कहा कि काफी समय से प्रदेश सरकार NEP को लागू करने के प्रयत्न करने जा रही है जिसमें मातृभाषा में पढ़ाई करना और करवाना असंभव है। उन्होंने कहा कि हमने GDP का 6% खर्च करना लक्ष्य रखा लेकिन भारत सरकार अभी GDP का 2.5% ही खर्च करवा पा रही है जो NEP के तहत असंभव सा अनुमान लगाया जा रहा है।

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आज भारत शिक्षा पर जीडीपी खर्च करने में भूटान से भी पीछे है। NEP में शिक्षा के समवर्ती सूची से हटा के केंद्रीयकरण करने की कोशिश की जा रही है। इसके साथ ST, SC, JRF व अन्य स्कॉलरशिप के बारे में कोई प्रावधान नहीं है। छात्र अगर इन पर मुद्दा लड़ना चाहे तो उनके लिए कोई SCA का प्रावधान भी नहीं है। ऐसे में कैंपस डेमोक्रेसी के लिए आने वाले समय में खतरा है और बीजेपी सरकार ने अनपर्लियामेंरी तौर पर इसको पास किया है। जिसके तहत NEP का पहला कदम सीबीसीएस है जिसमे 2013 से यूजी में लाया गया और हिमाचल प्रदेश में 2015 में छात्रों को उसका खामियाजा देखने को मिला जब 98% छात्र फेल हो गए थे।

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एसएफआई ने कहा कि आज यूजी व पीजी के छात्रों का भविष्य संकट में है। 13 करोड़ खर्च करने के बावजूद भी सिस्टम में कोई सुधार नहीं हो पाया है। ऐसे में सीबीएस को छात्रों पर थोपना उचित नहीं होगा। इसका परिणाम है इसका परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेंगे ।

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