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नशा निवारण गतिविधियों में कांगड़ा जिला नंबर वन, सीएम ने किया सम्मानित

अतिरिक्त उपायुक्त सौरभ जस्सल ने ग्रहण किया पुरस्कार

धर्मशाला। कांगड़ा जिला नशा निवारण गतिविधियों के प्रभावी कार्यान्वयन में प्रदेश में अव्वल रहा है। 19 से 25 जून तक चले राज्यव्यापी नशा निवारण कैंपेन में कांगड़ा जिला ने सराहनीय कार्य किया है। इसके लिए हिमाचल सरकार ने जिला को पुरस्कार से नवाजा है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 26 जून को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के उपलक्ष्य पर शिमला में हुए एक कार्यक्रम में यह पुरस्कार प्रदान किया। कांगड़ा जिला प्रशासन की ओर से अतिरिक्त उपायुक्त सौरभ जस्सल ने मुख्यमंत्री के हाथों यह पुरस्कार ग्रहण किया।

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वहीं, इस मौके एनआईसी कक्ष धर्मशाला से जिलाधीश डॉ. निपुण जिंदल, एडीएम रोहित राठौर, जिला कल्याण अधिकारी नरेंद्र जरयाल और जिला पंचायत अधिकारी नीलम कटोच समेत अन्य संबंधित अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम में जुड़े रहे। इस मौके सभी ने मुख्यमंत्री द्वारा दिलाई नशा मुक्त हिमाचल की शपथ ग्रहण की।

इस अवसर पर डॉ. निपुण जिंदल ने कांगड़ा जिले को मिले पुरस्कार का श्रेय टीम भावना से किए काम को दिया और जिले में नशा मुक्त हिमाचल अभियान को आगे भी इसी प्रकार गतिमान रखने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने विशेषकर जिला कल्याण अधिकारी नरेंद्र जरयाल और उनकी पूरी टीम के प्रयासों की सराहना की।

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जागरूकता, सुधार और स्वास्थ्य पर ध्यान

डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि कांगड़ा जिले में नशा निवारण पर जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ नशे के शिकार लोगों के सुधार तथा उनके पुनर्वास व स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जिले में नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों की मजबूती पर फोकस किया गया है।

साथ ही चरणवार सिविल अस्पतालों में नशा मुक्ति क्लिनिक सेवाएं शुरू की गई हैं। पहले चरण में जिले के 8 स्वास्थ्य संस्थानों में यह सेवाएं दी जा रही हैं। वहां नशा मुक्ति के मामलों को डील करने के लिए प्रशिक्षित चिकित्सक और स्टाफ मौजूद हैं। साथ ही वहां नशा मुक्ति से जुड़ी सभी दवाइयां भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।

कैंपेन को बनाएं जनांदोलन, सबके सहयोग से होंगे सफल

जिलाधीश ने कांगड़ा जिला वासियों से नशा मुक्त हिमाचल अभियान को जनांदोलन बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि सबके सहयोग से हम नशे के खिलाफ जारी इस जंग में सफल होंगे। इन प्रयासों में प्रशासन के साथ समाज के हर तबके, हर आयु वर्ग के लोगों की सहभागिता और सक्रिय सहयोग आवश्यक है।

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राज्यव्यापी नशा निवारण कैंपेन में यह रही कांगड़ा की उपलब्धि

डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि 19 से 25 जून तक चले राज्यव्यापी नशा निवारण कैंपेन में कांगड़ा जिले में विविध जागरूकता गतिविधियां आयोजित की र्गइं। जिलेभर में शिक्षण संस्थानों, गांवों-पंचायतों में जागरूकता कार्यक्रम किए गए। इनमें पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों, स्वयं सहायता समूहों, सामाजिक संस्थाओं, महिला एवं युवक मंडलों, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं समेत सभी वर्गों का सहयोग लिया गया।

इसके अलावा नशा निवारण पर स्कूलों में वाद-विवाद, भाषण, नारा लेखन व चित्रकला प्रतियोगिताएं कराई गईं। इस विषय पर युवाओं के साथ साथ अभिभावकों और अध्यापकों के लिए भी सेमिनार और वेबीनार कराए गए, साथ ही नशा मुक्त हिमाचल के संदेश को घर घर पहुंचाने के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक तथा सोशल मीडिया का पूरा उपयोग किया गया।

वहीं, इस दौरान प्रभात फेरियों और मैराथन के जरिए भी जागरूकता संदेश का प्रचार प्रसार किया गया। युवाओं के लिए अनेक खेल गतिविधियां आयोजित करने के साथ साथ नशा निवारण पर जागरूकता सामग्री वितरित की गई। पंचायतों में स्वास्थ्य जांच कैंप लगाए गए। नुक्कड़ नाटकों के जरिए भी अभियान के संदेश को जन जन तक ले जाने के प्रयास किए गए।

धर्मशाला की गुंजन संस्था को भी पुरस्कार

वहीं, धर्मशाला की गुंजन संस्था को भी नशा निवारण गतिविधियों के प्रभावी संचालन के लिए पुरस्कृत किया गया। गुंजन संस्था के निदेशक संदीप परमार ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के हाथों यह पुरस्कार ग्रहण किया। बता दें, गुंजन संस्था नशा निवारण कार्यक्रमों के संचालन के साथ ही कांगड़ा जिले में नशा निवारण अभियान के कार्यान्वयन में जिला प्रशासन का निरंतर सहयोग करती रही है।

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कांगड़ा जिला में 8 जून को होगी मॉक ड्रिल, डीसी बोले- गंभीरता से लें अधिकारी

अभ्यास भर नहीं वास्तविक घटना की तरह ही करें प्रतिक्रिया

धर्मशाला। डीसी डॉ. निपुण जिंदल ने आपदा प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों की बैठक लेते हुए सभी को मॉक ड्रिल को पूरी गंभीरता से लेने को कहा। डीसी ने निर्देश दिए कि मॉक ड्रिल को केवल अभ्यास भर नहीं, बल्कि वास्तविक घटना की तरह ही लें तथा असल आपदा के समय की परिस्थिति के मुताबिक ही प्रतिक्रिया करें। इससे सुधार की दृष्टि से प्रतिक्रिया में लगने वाले समय, समन्वय में गैप समेत अन्य कमियों की सही पहचान हो सकेगी, जिससे आपदा प्रबंधन योजना को आगे और कारगर बनाने में मदद मिलेगी। वह जिले में 8 जून को होने वाली मेगा मॉक ड्रिल से जुड़ी टेबल टॉप अभ्यास कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे थे।

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बता दें कि बाढ़ और भूस्खलन जैसी किसी आपदा के समय बेहतर प्रबंधन के लिए जिला प्रशासन 8 जून को मेगा मॉक ड्रिल के जरिए अपनी तैयारी परखेगा। इस दौरान कांगड़ा जिले में चिन्हित 7 स्थलों पर मेगा मॉक अभ्यास के दौरान बाढ़, भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से प्रतीकात्मक नुकसान मानकर बचाव-राहत कार्यों का मॉक अभ्यास किया जाएगा। डीसी ने कहा कि मॉक ड्रिल का मकसद आपदा के समय में जिला प्रशासन की आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना और मानक संचालन प्रक्रियाओं का मूल्यांकन करना है।

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डीसी ने सभी एसडीएम को आपदा प्रबंधन की दृष्टि से संसाधनों की मैपिंग करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अपने अपने क्षेत्र में किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए स्पष्ट कार्ययोजना बनाएं। यह साफ हो कि उपमंडल स्तर पर कौन से संसाधन उपलब्ध हैं तथा जिला मुख्यालय से उन्हें किस प्रकार की सहायता की आवश्यकता है।

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आपदा प्रबंधन से जुड़ी मशीनरी, वाहन, एंबुलेंस, अस्पताल, राशन उपलब्धता समेत राहत बचाव कार्यों को लेकर हर पहलू की इन्वेंटरी तैयार करें, ताकि किसी भी आपात स्थिति के लिए पूर्व तैयारी रहे। स्टेजिंग एरिया को लेकर स्पष्टता हो। साथ ही यह तय बनाएं कि विभागों-अधिकारियों को आपदा प्रबंधन को लेकर अपने दायित्वों की जानकारी रहे तथा बेहतर आपसी समन्वय सुनिश्चित हो।

किसी भी आपदा के समय स्थानीय लोग सबसे पहले सहायता के लिए उपलब्ध होते हैं। जिले में बड़ी संख्या में लोगों को आपदा मित्रों के तौर पर प्रशिक्षित भी किया गया है। तैयारी की दृष्टि से उन सभी का सहयोग लें।

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डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि जिले में चिन्हित 7 घटना स्थलों पर आपदा संबंधी मॉक ड्रिल होगी। इनमें उपमंडल जयसिंहपुर के हलेड़ गांव तथा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला हलेड़, कांगड़ा के अच्छर माता कुंड, धर्मशाला में उपायुक्त निवास के पास टावर नंबर 4 तथा चेतड़ू, पालमपुर में सौरभ वन विहार, देहरा में सिविल अस्पताल, फतेहपुर में पौंग डैम तथा शाहपुर के रजोल गांव में बाढ़-भूस्खलन की स्थिति में प्रतीकात्मक नुकसान मानकर आपदा प्रबंधन व बचाव-राहत कार्यों का अभ्यास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि एनडीआरफ और एसडीआरएफ के स्वतंत्र पर्यवेक्षक मॉक ड्रिल पर नजर रखेंगे।

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गरीब परिवार की बेटियों के विवाह को दी जाने वाली वित्तीय सहायता में रुकेगी डुप्लीकेसी

एक ही मामले में बार-बार सहायता आवेदनों पर कसेगी नकेल

धर्मशाला। कांगड़ा जिला प्रशासन ने सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से शासन व्यवस्था को अधिक पारदर्शी तथा प्रक्रियाओं को सरल व सुगम बनाने की अपनी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए एक और नई पहल की है। इसके तहत डीसी कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने शुक्रवार को धर्मशाला में ‘सहायता मॉड्यूल’ का शुभारंभ किया। जिला एनआईसी टीम द्वारा अंतर विभागीय उपयोग के लिए तैयार ये मॉड्यूल मंदिरों से गरीब परिवारों की बेटियों की शादी के लिए प्रदान की जाने वाली आर्थिक सहायता में दोहराव की समस्या के समाधान में सहायक होगा।

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डीसी ने कहा कि कांगड़ा जिले में स्थित बड़े मंदिरों के माध्यम से गरीब परिवारों की बेटियों के विवाह के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह सहायता उपायुक्त कार्यालय, मंदिर अधिकारी कार्यालय और सहायक आयुक्त मंदिर एवं एसडीएम कार्यालय के माध्यम से दी जाती है। हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक जरूरतमंद लोगों को यह सहायता दी जा सके। इसमें डुप्लीकेसी न हो और एक ही मामले में अलग-अलग कार्यालयों से बार-बार सहायता आवेदनों के मामले न आएं। इस व्यवस्था को बनाने के लिए यह वित्तीय सहायता माड्यूल तैयार किया गया है।

कांगड़ा जिला प्रशासन की पहल, कागज पन्ने के दोनों साइड होगी लिखाई-छपाई-जानिए डिटेल

डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि इस मॉड्यूल में जिले में आवेदकों को मंदिरों से प्रदान की गई वित्तीय सहायता का पूरा ब्योरा अपलोड किया जाएगा, जिससे कोई भी नया आवेदन आने पर पूर्व प्राप्त सहायता को लेकर आधार कार्ड नंबर से डाटा चेक करने की सुविधा होगी। इससे संबंधित कार्यालय में जानकारी रहेगी कि आवेदक को पहले इसमें सहायता दी जा चुकी है अथवा नहीं। इस प्रणाली से आर्थिक सहायता प्रदान करने में दोहराव की समस्या का स्थाई समाधान होगा और एक व्यवस्थित रिकॉर्ड भी मेंटेन होगा।

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बता दें कि कांगड़ा जिला प्रशासन द्वारा लोगों को सुगम सेवाएं देने के ध्येय से जिले में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के सदुपयोग और लोक उपयोगी ऐप्स बनाने की पहलों को देशभर में सराहना मिलती रही है। जिला को हिमाचल विधानसभा निर्वाचन 2022 में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभिनव पहल और बेहतरीन उपयोग कर कांगड़ा जिले में चुनाव व्यय निगरानी के डिजिटलीकरण के लिए एप्लिकेशन ई-कैच विकसित करने पर राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। इस पहल की नवीनता और दक्षता के कारण इसे आईटी क्षेत्र में पूरे भारत में सर्वश्रेष्ठ चुनावी पहल घोषित भी किया गया था।

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वहीं पहले भी अपना कांगड़ा ऐप, पौंग डैम विस्थापितों के मामलों की देखरेख को बनाई अंतर विभागीय ऐप सहित अन्य उपयोगी ऐप्स विकसित की गई हैं, जो प्रक्रियागत सरलीकरण में सहायक रही हैं। आगे इस दिशा में और बल दिया जा रहा है। इस मौके अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी रोहित राठौर, जिला सूचना प्रौद्योगिकी अधिकारी भूपेंद्र पाठक, एनआईसी निदेशक अक्षय मेहता सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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कांगड़ा जिला प्रशासन की पहल, कागज पन्ने के दोनों साइड होगी लिखाई-छपाई-जानिए डिटेल

कागज की बचत होगी, वित्तीय उपयुक्तता के नियमों का भी होगा पालन

धर्मशाला। एक मार्च को कांगड़ा जिला प्रशासन ने भी बड़ा फैसला लिया है। कांगड़ा जिला प्रशासन ने पहल करते हुए सरकारी पत्राचार में कागज की बचत के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। डीसी कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने एक आदेश जारी कर विभागों को सरकारी पत्राचार में एक से अधिक पृष्ठ होने पर कागज के पन्ने इस्तेमाल करते हुए हर पन्ने के दोनों ओर लिखाई-छपाई को कहा है। इससे न केवल कागज की बचत होगी, बल्कि वित्तीय उपयुक्तता के नियमों का पालन भी होगा। ये पहल अपनी तरह से पर्यावरण सुरक्षा में भी सहायक होगी।

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डीसी ने कहा कि हम पत्राचार के लिए यूं तो ऑनलाइन मोड को ही बढ़ावा दे रहे हैं, लेकिन बहुत आवश्यक होने पर यदि फिजिकल तौर पर सरकारी पत्राचार में पन्नों का इस्तेमाल जरूरी हो तो ऐसी स्थिति में हमारा प्रयास है कि कम से कम कागज उपयोग में लाए जाएं। इसी मकसद से सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं।

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बहुत दफा यह देखा जाता है कि कोई ड्राफ्ट, पत्र, आदेश और अन्य संबंधित विषयों पर एक से अधिक पृष्ठ होने पर लिखाई-छपाई में अलग-अलग पन्नों का उपयोग किया जाता है। यह कागज के अपव्यय के साथ-साथ वित्तीय उपयुक्तता के नियमों के भी विरुद्ध है।

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इसलिए सभी को यह निर्देश गए हैं कि जिले में अब से हर संबंधित विषय के सरकारी पत्राचार एक पृष्ठ से अधिक होने पर कागज के दोनों ओर छापकर जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस पहल के जरिए, शासन व्यवस्था की सामाजिक जिम्मेदारियों को लेकर भी सजगता लाने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि किसी भी स्तर पर आदेशों की अवहेलना को गंभीरता से लिया जाएगा।

 

 

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कांगड़ा: मंदिर भूमि पर बिना किसी लीज डीड कैसे चल रहा स्टोन क्रशर-होगी जांच

डीसी कांगड़ा ने मामले में लिया कड़ा संज्ञान

धर्मशाला। हिमाचल के जिला कांगड़ा के श्री राम गोपाल मंदिर डमटाल की जमीन पर अनाधिकृत तरीके से स्टोन क्रशर और खनन गतिविधियों के संचालन का मामला सामने आया है। मंदिर की भूमि का उपयोग खनन और स्टोन क्रशर के लिए बिना किसी लीज डीड के हो रहा है।

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डीसी कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने डमटाल के श्री राम गोपाल मंदिर की भूमि पर स्टोन क्रशर और खनन गतिविधियों के अवैध एवं अनाधिकृत संचालन का कड़ा संज्ञान लिया है। मामले की जांच को एसडीएम इंदौरा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। इसे लेकर डीसी ने आदेश जारी किए हैं।

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डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि श्री राम गोपाल मंदिर डमटाल की जमीन पर अनाधिकृत तरीके से स्टोन क्रशर और खनन गतिविधियों के संचालन का मामला ध्यान में आया है। इस संदर्भ में मंदिर के सहायक आयुक्त एवं एसडीएम इंदौरा ने अवगत कराया है कि मंदिर की भूमि का उपयोग खनन और स्टोन क्रशर संचालन के लिए करने को लेकर इन ऑपरेटरों के साथ किसी लीज डीड पर हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं।

यह भी प्रतीत होता है कि स्टोन क्रशर संचालकों ने खनन व स्टोन क्रशिंग ऑपरेशन के लिए पीएमटी पंजीकरण और उद्योग तथा खनन विभाग, राज्य भूवैज्ञानिक और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे विभिन्न विभागों से अन्य मंजूरी के संदर्भ में किसी भी वैधानिक आवश्यकता को पूरा नहीं किया है।

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डीसी ने बताया कि मामले को देखते हुए श्री रामगोपाल मंदिर, डमटाल की भूमि पर सभी स्टोन क्रशर एवं खनन पट्टे का निरीक्षण कर फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट सौंपने के लिए एसडीएम इंदौरा की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है। खनन अधिकारी नूरपुर, जिला उद्योग केंद्र कांगड़ा के महाप्रबंधक और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नूरपुर के क्षेत्रीय अधिकारी कमेटी के सदस्य होंगे। ये कमेटी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट के साथ इन संचालकों द्वारा खनन एवं स्टोन क्रशर संचालन के लिए ली गई सांविधिक स्वीकृतियों के संपूर्ण दस्तावेज भी प्रस्तुत करेगी।

 

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कांगड़ा: भारी बर्फबारी को लेकर तैयारी, ‘आपदा मित्र’ निभाएंगे अहम भूमिका

सर्दियों के मौसम के लिए  प्रशासन अलर्ट, डीसी ने की बैठक
धर्मशाला। हिमाचल के कांगड़ा जिला के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होने की स्थिति से निपटने को लेकर तैयारी शूरू कर दी है।  स्थानीय स्तर पर ‘आपदा मित्र’ के तौर पर प्रशिक्षित लोग इसमें अहम भूमिका निभाएंगे। साथ ही मैक्लोडगंज क्षेत्र में किसी आपात स्थिति में त्वरित सहायता दल को रोप वे के माध्यम से भेजा जाएगा।
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डीसी कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने  पूर्व तैयारी के तौर पर बर्फबारी वाले क्षेत्रों में खाद्य पदार्थों एवं आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं के पर्याप्त भंडारण व उपलब्धता सुनिश्चत बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सामान्यतः जिला का बड़ा एवं छोटा भंगाल क्षेत्र व मैक्लोडगंज क्षेत्र बर्फबारी से प्रभावित होता है। इन क्षेत्रों में खाद्य पदार्थों के पर्याप्त भंडारण और आवश्यक जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध करवाने के अलावा जरूरी मशीनरी तैयार रखी गई है।
डीसी कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने सर्दियों के दौरान जिले में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संभावित हिमपात एवं इसके चलते उत्पन्न होने वाली किसी भी आपात स्थिति से बेहतर तरीके से निपटने और प्राकृतिक आपदा के बेहतर प्रबंधन के लिए संबंधित विभागों की पूर्व तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने मंगलवार को उपायुक्त कार्यालय धर्मशाला में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर सर्दियों के मौसम में भारी बर्फबारी व उससे होने वाले नुकसान की स्थिति से निपटने के उपायों पर चर्चा की। उन्होंने संबंधित विभागों को शीतऋतु में किसी भी प्रकार की आपदा की स्थिति होने पर जन-धन की सुरक्षा के लिए पर्याप्त पूर्व प्रबन्ध करने और सभी अधिकारियों को पूरी तरह मुस्तैद रहने को कहा है।
डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि आपात स्थिति में लोगों को हर सहायता उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से डीसी ऑफिस धर्मशाला में एक स्थायी आपातकालीन संचालन केंद्र स्थापित किया गया है। 24 घंटे क्रियाशील रहने वाले इस संचालन केंद्र का फोन नंबर 1077 है। उन्होंने सभी उपमंडल कार्यालयों में भी आपातकालीन संचालन केंद्र स्थापित करने एवं उन्हें सुचारू बनाने को कहा।
डॉ. निपुण जिंदल ने इस दौरान जिले के सभी उपमंडलाधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़कर आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों से संबंधित क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों सहित सभी लोगों को खराब मौसम में ज्यादा ऊंचाई वाले क्षेत्रों में न जाने व ट्रैकिंग न करने को लेकर उपयुक्त कदम उठाने को कहा। उन्होंने कहा कि होटल मालिकों और टूरिस्ट गाइड्स का भी इसमें सहयोग लें।
उन्होंने सभी उपमंडलाधिकरियों को अपने यहां आपदा प्रबंधन को लेकर सभी आवश्यक वस्तुओं एवं राहत बचाव कार्यों में उपयोग आने वाले यंत्र व उपकरणों की पूरी व्यवस्था के भी निर्देश दिए। उन्होंने उपमंडलाधिकारियों को भारी बर्फबारी के दौरान प्रशासन द्वारा स्थानीय स्तर पर ‘आपदा मित्र’ के तौर पर प्रशिक्षित लोगों की सेवाएं लेने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि संबंधित क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में आपदा मित्र की उपलब्धता को लेकर पहले ही सूची बना लें, ताकि आवश्यकता पर उनकी सेवाएं ली जा सकें।
उन्होंने जल शक्ति विभाग और अग्निशमन विभाग को जिले में फायर हाइड्रेंट्स की मैपिंग करने को कहा। लोक निर्माण विभाग को बर्फबारी की स्थिति में रास्ते बहाल करने व अन्य प्रबंधों के लिए मशीनरी तैयार रखने के निर्देश दिए। उन्होंने मैक्लोडगंज क्षेत्र में किसी आपात स्थिति में त्वरित सहायता दल को रोप वे के माध्यम से भेजने को लेकर पूर्व तैयारी रखने को कहा। बैठक में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी रोहित राठौर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बद्री सिंह, एसडीएम धर्मशाला शिल्पी बेक्टा, सभी उपमंडलों के एसडीएम, आरएम धर्मशाला राजन कुमार, होम गार्ड के कमांडैंट सहित अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।