शिमला। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का 4 से 8 मई तक का शिमला का प्रस्तावित दौरा है।
डीसी शिमला अनुपम कश्यप ने एसपी शिमला संजीव कुमार गांधी और अन्य अधिकारियों के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के प्रस्तावित दौरे को लेकर विभिन्न स्थानों का निरीक्षण कर प्रबंधों का जायजा लिया।
उन्होंने आज संकट मोचन मंदिर, तारा देवी मंदिर, कैचमेंट एरिया और दी रिट्रीट का दौरा किया। बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शिमला के विभिन्न स्थानों पर जाएंगी।
इस दौरान अतिरिक्त उपायुक्त अभिषेक वर्मा, अतिरिक्त ज़िला दंडाधिकारी (प्रोटोकॉल) ज्योति राणा, वन मंडलाधिकारी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, उपमंडल दंडाधिकारी शिमला ग्रामीण कविता ठाकुर, डीएसपी, अग्निशमन अधिकारी सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।
पंप ऑपरेटर्स को न्यूनतम रिजर्व बनाए रखने के लिए कहा
धर्मशाला। नए हिट एंड रन कानून के खिलाफ ट्रक ऑपरेटर की हड़ताल के चलते हिमाचल में पेट्रोल और डीजल की किल्लत होने लगी है। कांगड़ा में भी कुछ पेट्रोल पंप पर पेट्रोल और डीजल नहीं मिल पा रहा है और कुछ में लंबी कतारें लग रही हैं। धर्मशाला के कोतवाली बाजार स्थित पेट्रोल पंप पर पांच पुलिस जवानों की तैनाती की है, ताकि किसी प्रकार की अफरा तफरी न मचे। पुलिस जवान बारी-बारी से वाहन चालकों को पेट्रोल-डीजल भरवाने भेज रहे हैं।
इसी बीच डीसी कांगड़ा डॉ निपुण जिंदल ने जिले के पेट्रोल पंप ऑपरेटर्स को आपातकालीन आवश्यकताओं के लिए पेट्रोल- डीजल का न्यूनतम रिजर्व बनाए रखने के आदेश दिए हैं। उन्होंने हड़ताल के कारण जिले में पेट्रोल डीजल आपूर्ति की संभावित कमी और आपातकालीन तथा आवश्यक सेवाओं पर उसके असर को देखते हुए यह आदेश जारी किए हैं।
डीसी कांगड़ा द्वारा जारी आदेश के अनुसार पेट्रोल पंप ऑपरेटर्स को पंप की भंडारण क्षमता के मुताबिक आपातकालीन आवश्यकताओं के लिए न्यूनतम रिजर्व रखने को कहा गया है। 25000 लीटर से अधिक भंडारण क्षमता के पेट्रोल पंप में 3000 लीटर डीजल और 2000 लीटर पेट्रोल तथा 25000 लीटर से कम भंडारण क्षमता के पेट्रोल पंप में 2000 लीटर डीजल और 1000 लीटर पेट्रोल रिजर्व रखने का आदेश दिया गया है ।
इसके अलावा आदेश में यह भी हिदायत दी गई है कि कोई भी डीलर एक समय में 10 लीटर से अधिक रिफिलिंग ना करें। अतिआवश्यक होने की स्थिति में संबंधित एसडीएम की पूर्व मंजूरी आवश्यक होगी। पेट्रोल डीजल को किसी भी प्रकार के कंटेनर में भरकर ले जाने की अनुमति नहीं होगी।
आपातकालीन वाहनों (एम्बुलेंस, फायरब्रिगेड आदि) और सार्वजनिक परिवहन को तेल भरवाने में प्राथमिकता दी जाएगी। इस अवधि में पेट्रोल और डीजल की होर्डिंग और काला बाजारी की कारगुजारी से कड़ाई से निपटा जाएगा।
कुल्लू। ट्रैकिंग गतिविधियों का लुत्फ उठाने के इरादे से अगर आप हिमाचल आ रहे हैं तो ये खबर जरूर पढ़ लें। कुल्लू जिला में आपका ट्रैकिंग का सपना फिलहाल पूरा नहीं हो पाएगा। सर्दी के मौसम को ध्यान में रखते हुए जिला कुल्लू में ट्रैकिंग गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है।
डीसी एवं जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कुल्लू के अध्यक्ष आशुतोष गर्ग ने इस बारे में आदेश भी जारी कर दिए हैं। डीसी ने कहा कि ट्रैकिंग के शौकीन बर्फबारी के दौरान या उसके बाद जिले की चोटियों पर पर्वतारोहण के लिए आते हैं।
पिछले अनुभवों से पता चला है कि सर्दियों के मौसम के दौरान मौसम में तेजी से परिवर्तन होता रहता है, जिससे ट्रैकिंग करने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए ट्रैकिंग व पर्वतारोहण की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया है।
आदेशों के अनुसार, कुल्लू जिला के अधिकार क्षेत्र में 3,500 मीटर से अधिक ऊंची किसी भी चोटियों या दर्रों पर ट्रैकिंग गतिविधियां पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं। पर्वतारोहण गतिविधियों को शुरू करने के इच्छुक टूर ऑपरेटरों और टीम लीडरों को अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संबद्ध खेल संस्थान मनाली के अलावा पुलिस अधीक्षक कुल्लू, जिला पर्यटन अधिकारी कुल्लू और संबंधित एसडीएम को इसकी सूचना देनी होगी।
इसके साथ ही भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन (आईएमएफ) की अनुमति लेनी जरूरी होगी। बता दें कि ट्रैकिंग व पर्वतारोहण के लिए कुल्लू घाटी प्रसिद्ध है और यहां ट्रैकिंग करते हुए कई लोग लापता हो जाते हैं। बर्फबारी में इनकी तलाश करना जोखिम भरा रहता है। इसी को ध्यान में रखकर ये फैसला लिया गया है।
शिमला। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश के सभी डीसी को मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए इस वर्ष 7 नवंबर तक अनाथ बच्चों को समयबद्ध प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की इस महत्त्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत प्रदेश के 4000 से अधिक अनाथ बच्चों को सहायता प्रदान की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा अनाथ बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ के रूप में नामित करते हुए उनके लिए कानून बनाया गया है, जिससे सरकार की उनके अभिभावक के रूप में कानूनी जिम्मेदारी निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अनाथ बच्चों को अभी तक 4.68 करोड़ रुपये के वित्तीय लाभ प्रदान कर चुकी है।
योजना के तहत बाल देखभाल संस्थानों में रहने वाले 1,199 बच्चों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से 1.12 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित की गई है। यह राशि जिला बाल संरक्षण अधिकारी के साथ संयुक्त रूप से संचालित आवर्ती जमा (आरडी) खातों में जमा की गई है।
इसके अंतर्गत 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों को 1,000 रुपये प्रतिमाह और 15 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को 2,500 प्रति माह हिमाचल सरकार द्वारा प्रदान किए जाएंगे। इसके अलावा 48 लाभार्थियों को उनकी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए संस्थागत शुल्क 15.52 लाख रुपये तथा प्रति व्यक्ति 4,000 रुपये प्रति माह की दर से व्यक्तिगत खर्च के लिए 11.52 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।
इसके अलावा व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले 17 लाभार्थियों को पाठ्यक्रम शुल्क (कोर्स फीस) के लिए 7.02 लाख रुपये और जेब खर्च के रूप में 4.08 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं। एक पात्र को कौशल विकास पाठ्यक्रम के लिए 17,500 रुपये प्रदान किए गए हैं।
इसके अलावा औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले बाल देखभाल केंद्रों के 62 बच्चों को संस्थान की फीस के रूप में 15.66 लाख रुपये और जेब खर्च के रूप में 14.88 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के माध्यम से वंचित बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इन बच्चों को घर बनाने के लिए वित्तीय सहायता और 3 बिस्वा जमीन प्रदान की जा रही है। इसके अतिरिक्त इनके लिए हवाई किराया और तीन सितारा होटलों में रहने की सुविधा के साथ शैक्षणिक भ्रमण प्रायोजित किए जा रहे हैं।
योजना के अंतर्गत अब तक 3 लाभार्थियों को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए 6 लाख रुपये दिए गए हैं। अपने रिश्तेदारों के साथ रहने वाले 1106 बच्चों को उनकी शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए 2.65 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि शपथ लेने के उपरान्त उन्होंने सर्वप्रथम शिमला में बालिका आश्रम टूटीकंडी का दौरा कर उनकी आवश्यकताओं को जाना।
यहीं से वह अधिकारों से वंचित अनाथ बच्चों के लिए एक योजना बनाने के लिए प्रेरित हुए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार समाज के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है और वंचित वर्गों विशेषकर जरूरतमंदों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री 13 अक्टूबर को शिमला में करेंगे सम्मानित
मंडी। आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य के लिए डीसी मंडी समेत जिले के 5 अधिकारी राज्य स्तर पर सम्मानित होंगे। इसके साथ ही सामाजिक संस्था श्रेणी में राधा स्वामी सत्संग ब्यास मंडी के क्षेत्रीय सचिव को भी पुरस्कृत किया जाएगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू 13 अक्टूबर को शिमला में आपदा प्रबंधन-समर्थ अभियान के तहत होने वाले कार्यक्रम में इन सभी को सम्मानित करेंगे। डीसी अरिंदम चौधरी को आपदा के समय में मंडी जिले में उम्दा टीम लीडर के रूप में शानदार कार्य के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा।
सम्मान पाने वालों में डीसी मंडी के अलावा जिले के बालीचौकी उपमंडल के एसडीएम मोहन शर्मा, तहसीलदार नितेश ठाकुर तथा बीडीओ सुरेंद्र ठाकुर, जिला रेडक्रॉस सोसाइटी के सचिव ओपी भाटिया तथा राधा स्वामी सत्संग ब्यास मंडी के क्षेत्रीय सचिव चेत राम कौंडल शामिल हैं।
मंडी अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी डॉ. मदन कुमार ने बताया कि मानसून में भारी बारिश से उत्पन्न आपदा के समय में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देशारूप डीसी अरिंदम चौधरी की अगुवाई में जिले के अधिकारियों-कर्मचारियों ने लोगों की सुरक्षा और उन्हें राहत देने के लिए बहुत हिम्मत और जज्बे से काम किया है।
सामाजिक संस्थाओं ने भी इसमें बहुत सहयोग किया। अपने कर्तव्य का उत्कृष्टता से पालन करने और आपदा प्रबंधन में बेहतर कार्य के लिए प्रदेश सरकार ऐसे अधिकारियों एवं संस्थाओं को सम्मानित करने जा रही है। इससे जनसुरक्षा के लिए जी-जान से काम करने वालों को और प्रोत्साहन मिलेगा।
बता दें कि भारी बारिश और बाढ़ से बालीचौकी उपमंडल में बहुत विकट परिस्थिति बन गई थी। अनेक जगह रास्ते ध्वस्त हो गए थे, जिससे लोगों तक पहुंचना कठिन हो गया था। ऐसी ही एक घटना में बालीचौकी के खोलानाल में बादल फटने के कारण उस इलाके का बाहरी दुनिया से संपर्क कट गया था । ऐसे समय में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देशों के अनुरूप प्रशासन ने लोगों की सुरक्षा तय बनाने को तत्परता से कार्य किया।
सड़क संपर्क न होने की वजह से वहां पहुंचना बेहद कठिन था, लेकिन एसडीएम मोहन शर्मा, तहसीलदार नितेश ठाकुर तथा बीडीओ सुरेंद्र ठाकुर ने एनडीआरएफ की टीम के साथ 25 किलोमीटर कठिन पैदल यात्रा कर खोलानाल पहुंच कर 50 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकालने तथा उन्हें राहत शिविरों में पहुंचाने के ऑपरेशन को हिम्मत के साथ पूरी सटीकता और सफलता से अंजाम दिया था।
वहीं, जिला रेडक्रॉस सोसाइटी मंडी ने आपदा के समय में राहत शिविरों में भोजन तथा स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रबंध के साथ साथ जिले में प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री वितरित कर बड़े पैमाने पर लोगों की मदद की। इसमें सचिव ओपी भाटिया का बड़ा महत्वपूर्ण रोल रहा।
आपदा की घड़ी में राधा स्वामी सत्संग ब्यास संस्था ने जिला प्रशासन को पूरा सहयोग प्रदान किया । संस्था द्वारा जहां प्रभावित लोगों के लिए नगवांई में अपने भवन में ठहरने व खाने की सुविधा उपलब्ध करवाई गई, वहीं अनेक राहत शिविरों में खाना भी उपलब्ध करवाया गया।
अभ्यास भर नहीं वास्तविक घटना की तरह ही करें प्रतिक्रिया
धर्मशाला। डीसी डॉ. निपुण जिंदल ने आपदा प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों की बैठक लेते हुए सभी को मॉक ड्रिल को पूरी गंभीरता से लेने को कहा। डीसी ने निर्देश दिए कि मॉक ड्रिल को केवल अभ्यास भर नहीं, बल्कि वास्तविक घटना की तरह ही लें तथा असल आपदा के समय की परिस्थिति के मुताबिक ही प्रतिक्रिया करें। इससे सुधार की दृष्टि से प्रतिक्रिया में लगने वाले समय, समन्वय में गैप समेत अन्य कमियों की सही पहचान हो सकेगी, जिससे आपदा प्रबंधन योजना को आगे और कारगर बनाने में मदद मिलेगी। वह जिले में 8 जून को होने वाली मेगा मॉक ड्रिल से जुड़ी टेबल टॉप अभ्यास कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे थे।
बता दें कि बाढ़ और भूस्खलन जैसी किसी आपदा के समय बेहतर प्रबंधन के लिए जिला प्रशासन 8 जून को मेगा मॉक ड्रिल के जरिए अपनी तैयारी परखेगा। इस दौरान कांगड़ा जिले में चिन्हित 7 स्थलों पर मेगा मॉक अभ्यास के दौरान बाढ़, भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से प्रतीकात्मक नुकसान मानकर बचाव-राहत कार्यों का मॉक अभ्यास किया जाएगा। डीसी ने कहा कि मॉक ड्रिल का मकसद आपदा के समय में जिला प्रशासन की आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना और मानक संचालन प्रक्रियाओं का मूल्यांकन करना है।
डीसी ने सभी एसडीएम को आपदा प्रबंधन की दृष्टि से संसाधनों की मैपिंग करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अपने अपने क्षेत्र में किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए स्पष्ट कार्ययोजना बनाएं। यह साफ हो कि उपमंडल स्तर पर कौन से संसाधन उपलब्ध हैं तथा जिला मुख्यालय से उन्हें किस प्रकार की सहायता की आवश्यकता है।
आपदा प्रबंधन से जुड़ी मशीनरी, वाहन, एंबुलेंस, अस्पताल, राशन उपलब्धता समेत राहत बचाव कार्यों को लेकर हर पहलू की इन्वेंटरी तैयार करें, ताकि किसी भी आपात स्थिति के लिए पूर्व तैयारी रहे। स्टेजिंग एरिया को लेकर स्पष्टता हो। साथ ही यह तय बनाएं कि विभागों-अधिकारियों को आपदा प्रबंधन को लेकर अपने दायित्वों की जानकारी रहे तथा बेहतर आपसी समन्वय सुनिश्चित हो।
किसी भी आपदा के समय स्थानीय लोग सबसे पहले सहायता के लिए उपलब्ध होते हैं। जिले में बड़ी संख्या में लोगों को आपदा मित्रों के तौर पर प्रशिक्षित भी किया गया है। तैयारी की दृष्टि से उन सभी का सहयोग लें।
डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि जिले में चिन्हित 7 घटना स्थलों पर आपदा संबंधी मॉक ड्रिल होगी। इनमें उपमंडल जयसिंहपुर के हलेड़ गांव तथा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला हलेड़, कांगड़ा के अच्छर माता कुंड, धर्मशाला में उपायुक्त निवास के पास टावर नंबर 4 तथा चेतड़ू, पालमपुर में सौरभ वन विहार, देहरा में सिविल अस्पताल, फतेहपुर में पौंग डैम तथा शाहपुर के रजोल गांव में बाढ़-भूस्खलन की स्थिति में प्रतीकात्मक नुकसान मानकर आपदा प्रबंधन व बचाव-राहत कार्यों का अभ्यास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि एनडीआरफ और एसडीआरएफ के स्वतंत्र पर्यवेक्षक मॉक ड्रिल पर नजर रखेंगे।
आईएएस ललित जैन और सुदेश कुमार मोखटा को अतिरिक्त कार्यभार
शिमला। हिमाचल की सुक्खू सरकार ने आईएएस और एचएएस का तबादला किया और कुछ को अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह जिला को नया डीसी मिला है। नेशनल हेल्थ मिशन के प्रबंध निदेशक आईएएस हेमराज बैरवा को हमीरपुर का डीसी तैनात किया गया है। डीसी हमीरपुर देवश्वेता बनिक के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने से पद रिक्त हो गया था।
एडीसी जितेंद्र सांजटा को डीसी हमीरपुर का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा था। निदेशक पर्यावरण, साइंस और टेक्नोलॉजी आईएएस ललित जैन को हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त जिम्मा सौंपा गया है।
मुख्य सचिव के ओएसडी आईएएस शुभकरण सिंह को विशेष सचिव तकनीकी शिक्षा लगाया गया है। उन्हें हिमाचल प्रदेश खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले के निदेशक का अतिरिक्त जिम्मा भी सौंपा गया है। आईएएस सुदेश कुमार मोखटा को नेशनल हेल्थ मिशन के प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त जिम्मा सौंपा गया है।
वहीं, हिमाचल सरकार ने एक एचपीएस का तबादला किया है। एसडीएम सलूणी चंबा डॉ. स्वाति गुप्ता को एससी टू डीसी सोलन के पद पर तैनाती दी है। इसके अलावा एक आईएएस और एक एचपीएस को अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। जारी अधिसूचना के अनुसार निदेशक पर्सनल एंड फाइनांस हिमाचल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड शिमला डॉ. अमित कुमार (IAS) अतिरिक्त नियंत्रक स्टोर, उद्योग विभाग का अतिरिक्त कार्यभार दिया है। सचिव हिमाचल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन छवि नांटा (HAS) अतिरिक्त निदेशक भाषा एवं संस्कृति विभाग का अतिरिक्त चार्ज संभालेंगी
हिमाचल की सुक्खू सरकार ने डिप्टी डायरेक्टर इंस्पेक्शन हमीरपुर का कार्यभार देख रहे प्रिंसिपल जगदीश चंद कौशल को एक साल का सेवा विस्तार दिया है। जगदीश चंद कौशल 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो रहे थे। उन्हें 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक सेवा विस्तार दिया गया है। री इंप्लायमेंट को लेकर दिशा निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।
सर्दियों में किसी भी तरह की आपदा से निपटने के लिए रहें तैयार
हमीरपुर। डीसी एवं जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की अध्यक्ष देबश्वेता बनिक ने सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों को सर्दियों के मौसम के दौरान किसी भी तरह की आपदा से निपटने तथा बचाव एवं राहत कार्यों के लिए आवश्यक प्रबंध करने के निर्देश दिए हैं। सर्दियों के मौसम के दौरान आवश्यक प्रबंधों की समीक्षा के लिए सोमवार को यहां आयोजित की गई बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त ने ये निर्देश दिए।
डीसी ने कहा कि सर्दियों के मौसम के दौरान पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की स्थिति में जिला हमीरपुर में भी बारिश, आंधी या आसमानी बिजली से नुक्सान हो सकता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए संबंधित विभाग आवश्यक प्रबंध करें। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की आपदा से निपटने तथा त्वरित कदम उठाने के लिए जिला इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर 24 घंटे सक्रिय रहता है।
इसलिए किसी भी तरह की आपदा या नुक्सान की सूचना इस सेंटर के दूरभाष नंबरों या टॉल फ्री नंबर 1077 पर दें। उन्होंने कहा कि जिला में सभी कार्यालय प्रमुख अपने-अपने कार्यालय के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें, ताकि किसी भी तरह की आपात स्थिति में त्वरित कदम उठाए जा सकें।
डीसी ने बिजली बोर्ड के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे विद्युत लाइनों के आस-पास सूखे एवं खतरनाक पेड़ों को चिह्नित करके इनकी काट-छांट के लिए आवश्यक प्रक्रिया तेजी से पूरी करें। लोक निर्माण विभाग, नेशनल हाईवे और शहरी निकायों के अधिकारी भी ऐसे पेड़ों को हटाने के लिए त्वरित कदम उठाएं। डीसी ने कहा कि सर्दियों में सभी कार्यालयों, संस्थानों तथा आम घरों में हीटर, गीजर और अन्य विद्युत उपकरणों का प्रयोग ज्यादा होता है।
इससे शार्ट सर्किट एवं आग की घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए सभी अधिकारी विशेष एहतियात बरतें। सभी कार्यालयों में हीटिंग उपकरण जरुरत के अनुसार ही चलाएं। डीसी ने जलशक्ति विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सभी उठाऊ पेयजल योजनाओं के पंप स्टेशनों को रात के समय ही चलाना सुनिश्चित करवाएं, ताकि आम लोगों को वोल्टेज की समस्या का सामना न करना पड़े।
बैठक में आपदा प्रबंधन से संबंधित अन्य मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में एडीसी जितेंद्र सांजटा, होमगार्ड के कमांडेंट सुशील कुमार कौंडल, डीएसपी रोहिन डोगरा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरके अग्रिहोत्री और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
धर्मशाला। डीसी कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने आज रविवार को जिला कांगड़ा के फतेहपुर और जवाली विधानसभा क्षेत्र में बने स्ट्रांग रूम की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि विधानसभा चुनाव के बाद जिले में सभी स्थापित सभी स्ट्रांग रूम कड़ी सुरक्षा व्यवस्था से लैस हैं। उन्होंने बताया कि मतदान के बाद ईवीएम को कड़े पहरे में संबंधित उपमंडल मुख्यालय पर बनाए स्ट्रांग रूम में रखा गया है।
उन्होंने बताया कि प्रशासन द्वारा स्ट्रांग रूम की सुरक्षा के लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था स्थापित की गई है। केंद्रीय अर्ध सैनिक बल और पुलिस जवान 24 घंटे ईवीएम की कड़ी पहरेदारी पर तैनात हैं। इसके अलावा सीसीटीवी कैमरों से भी 24 घंटे निगरानी की जा रही है।
डीसी उक्त ने फतेहपुर में स्ट्रांग रूम की सुरक्षा में लगे जवानों को पूरी मुस्तैदी से काम करने की हिदायत दी। उन्होंने सुरक्षा में लगे सैन्य कर्मचारियों से बातचीत की और उनका मनोबल बढ़ाया। डॉ. निपुण जिंदल ने निरीक्षण के उपरांत बताया कि चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश अनुसार सभी स्ट्रांग रूम की पहरेदारी को अभेद्य सुरक्षा घेरा बनाया गया है और सुरक्षा कर्मचारी पूरी सजगता से इनकी निगरानी कर रहे हैं।